desiaks
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- Aug 28, 2015
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अब तक आपने पढ़ा..
गीता की बुर का छेद बहुत छोटा था और मैं उसे समझा रहा था कि क्या क्या दिक्कतें आ सकती हैं और इसके लिए क्या करना होगा।
अब आगे..
मैंने गीता को बताया- गीता तुम्हारे पेशाब का छेद ऑपरेशन करके ही खोलना होगा, वरना शादी के बाद तुम बच्चे को जन्म नहीं दे पाओगी और ना ही तुम..
अधूरी बात कहकर मैं रुक गया।
गीता बोली- और क्या डाक्टर साहब?
मैंने कहा- और न ही तुम कभी अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बना पाओगी।
गीता पढ़ी-लिखी नहीं थी, वह शारीरिक संबंध का मतलब नहीं समझ पाई, गीता बोली- डाक्टर साहब शारीरिक संबंध का क्या मतलब होता है?
तब मैंने कहा- जिसको करने से बच्चा पैदा होता.. उसे शारीरिक संबंध कहते हैं।
गीता फिर कुछ सोचने लगी और बोली- डाक्टर साहब मैं आपके हाथ-पैर जोड़ती हूँ.. मेरी शादी तय हो चुकी है। अगर मुझे बच्चा नहीं हुआ तो मेरे पति मुझे तलाक दे देंगे, कोर्इ रास्ता निकालिए।
तब मैंने कहा- देखो गीता पेशाब के रास्ते का आपरेशन को करना पड़ेगा। अगर तुम आपरेशन नहीं करवाती हो.. तो एक रास्ता और है।
गीता उछलकर बोली- वो क्या डाक्टर साहब?
मैंने उसकी बुर पर हाथ रखकर सहलाया और उसके एक हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहा- इसे अभी तुरंत इससे खोलना पड़ेगा।
गीता ने मेरा हाथ झिटक कर दूसरी ओर देखने लगी। मैं गीता की बुर पर उंगलियां फेरता रहा और मैंने गीता के दोनों पैरों को उठाकर मोड़ दिया। जिससे गीता की बुर पूरी तरह खुल गई। मैंने अपना मुँह ले जाकर उसकी बुर को चूम लिया।
गीता ने एक लंबी सांस ली और सिसकारियां भरने लगी। गीता की बुर से अभी भी मनमोहक गंध आ रही थी। जिसे सूँघकर मेरा लंड फिर से टाइट हो गया और उछाल मारने लगा।
मेरा लंड उछल-उछलकर गीता की जांघों से टकराने लगा। लंड के जांघों से टकराते ही गीता ने अपने हाथ आगे बढ़ाया और वो लंड पकड़ने का प्रयास करने लगी। पहली बार में लंड गीता के हाथों से छूट गया.. लेकिन दुबारा गीता ने मजबूती के साथ उसे पकड़ लिया और मसलने लगी।
लंड के मसले जाने से वह सांप की तरह फनफनाने लगा। मैंने अपनी पैंट की जिप खोलकर लंड को आजाद कर दिया। जो कि अपनी पूरी लम्बाई का हो गया था। जिसे देखते ही गीता के होश उड़ गए।
वो बोली- हाय भगवान इतना बड़ा..!
मैंने कहा- क्यों इसमें क्या.. तुम्हारे पति का भी तो इतना बड़ा होगा।
तो गीता बोली- यह अन्दर कैसे जाएगा.. छेद तो बहुत छोटा है।
मैंने कहा- इसलिए कहता था कि आपरेशन करना पड़ेगा। तुम चिंता न करो.. मैं अभी तुम्हारी बुर का आपरेशन कर दूँगा।
बुर का नाम सुनते ही गीता शर्मा गई और उसने अपनी आंखों को हाथों से ढक लिया।
फिर मैंने गीता के दोनों पैर पकड़ कर अपने कंधे पर रखे और अपनी जीभ को गीता की बुर पर फेरने लगा। बुर पर जुबान लगते ही गीता अपने बुरड़ उछालने लगी।
फिर मैंने धीरे-धीरे बुर के अन्दर जुबान डाली और बुर का रस पीने लगा। थोड़ी ही देर में गीता की बुर से एक तेज मादक गंध के साथ पानी निकलने लगा और गीता की सिसकारियां तेज होने लगीं।
मैं जितनी बार जुबान इधर-उधर फेरता.. गीता उतनी बार तेज-तेज सिसकारियां लेने लगती ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
अब मैं तेजी के साथ गीता की बुर चाटने लगा और जुबान को बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।
गीता की बुर का छेद बहुत छोटा था और मैं उसे समझा रहा था कि क्या क्या दिक्कतें आ सकती हैं और इसके लिए क्या करना होगा।
अब आगे..
मैंने गीता को बताया- गीता तुम्हारे पेशाब का छेद ऑपरेशन करके ही खोलना होगा, वरना शादी के बाद तुम बच्चे को जन्म नहीं दे पाओगी और ना ही तुम..
अधूरी बात कहकर मैं रुक गया।
गीता बोली- और क्या डाक्टर साहब?
मैंने कहा- और न ही तुम कभी अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बना पाओगी।
गीता पढ़ी-लिखी नहीं थी, वह शारीरिक संबंध का मतलब नहीं समझ पाई, गीता बोली- डाक्टर साहब शारीरिक संबंध का क्या मतलब होता है?
तब मैंने कहा- जिसको करने से बच्चा पैदा होता.. उसे शारीरिक संबंध कहते हैं।
गीता फिर कुछ सोचने लगी और बोली- डाक्टर साहब मैं आपके हाथ-पैर जोड़ती हूँ.. मेरी शादी तय हो चुकी है। अगर मुझे बच्चा नहीं हुआ तो मेरे पति मुझे तलाक दे देंगे, कोर्इ रास्ता निकालिए।
तब मैंने कहा- देखो गीता पेशाब के रास्ते का आपरेशन को करना पड़ेगा। अगर तुम आपरेशन नहीं करवाती हो.. तो एक रास्ता और है।
गीता उछलकर बोली- वो क्या डाक्टर साहब?
मैंने उसकी बुर पर हाथ रखकर सहलाया और उसके एक हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहा- इसे अभी तुरंत इससे खोलना पड़ेगा।
गीता ने मेरा हाथ झिटक कर दूसरी ओर देखने लगी। मैं गीता की बुर पर उंगलियां फेरता रहा और मैंने गीता के दोनों पैरों को उठाकर मोड़ दिया। जिससे गीता की बुर पूरी तरह खुल गई। मैंने अपना मुँह ले जाकर उसकी बुर को चूम लिया।
गीता ने एक लंबी सांस ली और सिसकारियां भरने लगी। गीता की बुर से अभी भी मनमोहक गंध आ रही थी। जिसे सूँघकर मेरा लंड फिर से टाइट हो गया और उछाल मारने लगा।
मेरा लंड उछल-उछलकर गीता की जांघों से टकराने लगा। लंड के जांघों से टकराते ही गीता ने अपने हाथ आगे बढ़ाया और वो लंड पकड़ने का प्रयास करने लगी। पहली बार में लंड गीता के हाथों से छूट गया.. लेकिन दुबारा गीता ने मजबूती के साथ उसे पकड़ लिया और मसलने लगी।
लंड के मसले जाने से वह सांप की तरह फनफनाने लगा। मैंने अपनी पैंट की जिप खोलकर लंड को आजाद कर दिया। जो कि अपनी पूरी लम्बाई का हो गया था। जिसे देखते ही गीता के होश उड़ गए।
वो बोली- हाय भगवान इतना बड़ा..!
मैंने कहा- क्यों इसमें क्या.. तुम्हारे पति का भी तो इतना बड़ा होगा।
तो गीता बोली- यह अन्दर कैसे जाएगा.. छेद तो बहुत छोटा है।
मैंने कहा- इसलिए कहता था कि आपरेशन करना पड़ेगा। तुम चिंता न करो.. मैं अभी तुम्हारी बुर का आपरेशन कर दूँगा।
बुर का नाम सुनते ही गीता शर्मा गई और उसने अपनी आंखों को हाथों से ढक लिया।
फिर मैंने गीता के दोनों पैर पकड़ कर अपने कंधे पर रखे और अपनी जीभ को गीता की बुर पर फेरने लगा। बुर पर जुबान लगते ही गीता अपने बुरड़ उछालने लगी।
फिर मैंने धीरे-धीरे बुर के अन्दर जुबान डाली और बुर का रस पीने लगा। थोड़ी ही देर में गीता की बुर से एक तेज मादक गंध के साथ पानी निकलने लगा और गीता की सिसकारियां तेज होने लगीं।
मैं जितनी बार जुबान इधर-उधर फेरता.. गीता उतनी बार तेज-तेज सिसकारियां लेने लगती ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
अब मैं तेजी के साथ गीता की बुर चाटने लगा और जुबान को बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।