hotaks444
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जीजाजी भी चमेली के बुर में गचा-गछ धक्का मार कर नशे के झोंक में
बर्बरा रहे थे, " साली ले... और... ले.... अपनी बुर में लॉरा.....आज तेरी
बुर की चटनी बना कर अपने लंड को चटाउँगा..... बरी चुदक्कर बनती है
साली.... लौरा खरा कर दिया....ले और कस कस कर ले .... चोद चोद कर
भोसरा ना बनाया तो मेरा नाम मदन नही.... ले चूत में सम्हाल मेरा लॉरा..."
चमेली अब झरने के करीब थी और वह जीजाजी के लंड से ज़्यादा सताने की
कोशिश कर रही थी और नीचे से जीजाजी को चुदाई के लिए ललकार रही थी, "ओह
राज्ज्जाअ ! इस बार तो लगता है बुर का कबाड़ा करके ही दम दोगे... ओह राजा चोदो
और ज़ोर से चोदो ... ऊऊहह म्माआ आआआहह ईएसस्सस्स राज्ज्जाअ आब्ब्ब रुका
नही जा रहा हाईईइ.... ओह राजा मैं गइईई ओह मा गइईई"
चमेली के झरते ही जीजाजी ने मुझे खींच लिया और मेरी बुर में समुचा लंड
पेल दिया. मैं भी काफ़ी गरम हो गयी थी और खुस थी कि जीजाजी ने कामिनी के
पहले मुझे अपने आगोश में ले लिया. आब मैं भरपूर चुदाई का मज़ा लेना
चाह रही थी. मैं अपनी चूतर उठा-उठा कर उनका लौरा बुर में ले रही थी
और जीजा जी को भरपूर चुदाइ करने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी, "मेरे
चुदक्कर शेर फाड़ दो इस बुर को.... छितारे उड़ा दो इस साली का.... विस्की के
साथ और पिलाउंगी पोटन्सी रेज़िंग टॉनिक.... इंडियन वियाग्रा. चोदो मेरे
लौह-पुरुष... चोदो जी भर कर चोदो अब तो यह बुर सदा के लिए तुम्हारी हो
गयी है... जब जी चाहे ... जितना जी चाहे.... जबतक जी चाहे
चोदना....यह बुर सदा चुदने के लिए तैयार मिलेगी... ज़रा मेरी चून्चि मूह
में लेकर चूसो... हाँ! ठीक है ऐसे ही चून्चि चूस-चूस कर चोदो ...
बहुत अच्छा लगता है.... धक्के मार-मार कर मेरी मुनिया का रस बहा दो और अपने
मदन-रस से इसे भर दो मेरे रसिया ..मेरे चुदक्कर राजा....फक मी हार्ड..
फक मी.. फक मी हार्ड.. हार्ड....ओह डियर .. अब्ब सहा नही जा रहा है अब मुझे
आ जाने दो अभी कामिनी भी तो है ओह माआआआ मैं गइईईईईईई" और
मैं भालभाला कर झार गयी. कामिनी पहले से ही मेरे झरने का इंतजार कर
रही थी, उसने जीजाजी को दबोच लिया. जीजाजी का पेलने का क्रम चालू रहा अब वे
दनादन कामिनी की चुदाई कर झरना चाह रहे थे, कामिनी भी गरम थी कुछ
देर बाद दोनो साथ साथ झार कर निढाल हो एक दूसरे मे समाए रहे फिर जीजाजी
उसके नंगे बदन से उठ कर बगल में लेट गये.
इस बीच मेरी-मैड चमेली ने फिर से सब्जी गरम कर डांनिंग टेबल पर लगा दिया.
जीजाजी बहुत थक गये थे बोले, "शुधा एक पेग और बना दो खाने के साथ लेते
रहेंगे" चमेली आँख मारते हुए मुझसे फुसफुसा कर बोली, "स्पेशल बनाना
है.... मैं बना दूं?" मैं बोली, "चल हट.. अब चांटा पड़ जाएगा" जीजा जी ने
शायद स्पेशल शब्द सुन लिया बोले "एक छ्होटा स्माल पेग, चमेली कह रही है
तो उसका भी बना दो ना" मैं बोली, "ठीक है उसके लिए स्पेशल मैं बना के लाती
हूँ" चमेली बोली "मैने कब कहा ग्लास बनाने के लिए दीदी आप तो बस...."
मैने कहा "अब सब केलिए बनेगा लेकिन स्माल" कामिनी खुस होती बोली "चियर्स"
मैने चार ग्लास में एक एक छ्होटा पेग विस्की का डाला और ठंडा पानी और आइस से
ग्लास भर दिया. अब हमलोग खाने की टेबल बैठ गये. चमेली बोली "मैं खाना
परसती हूँ मैं बाद मे खा लूँगी" मैने कहा "चल बैठ, साथ में खाना
खाएँगे लौरा चूत में घुस्वाते समय तो नही कहा कि मैं बाद में चुदवा
लूँगी" "दीदी, आप तो बस बेज़्जती खराब कर देती हैं" हम सब हंस परे.
हम सबों ने विस्की सीप करते हुए नंगे ही खाना खाया, बीच बीच मे चमेली
चुहल करने से बाज नही आ रही थी. एक बार सोले का डाइयलोग बोली "ओ शम्भी! वो
अकेला था और तुम तीन तीन बरा ना इंसाफी है" मैं चिढ़ा कर बोली "तो जा ना
कही से एक दो और पकड़ के ला" चमेली ने फिर तुरुप फेका' "दीदी दुहरे मज़े
वाली फिल्म अभी भूल नही पाए है" कामिनी बीच मे टोकती हुई बोली "अब बस
बहुत हो गया, बेमतल्ब की बात कर क्यो मज़ा खराब करती हो" और फिर बात बदल
कर चुदाई के मज़े की बात करने लगे.
जीजाजी बहुत थक गये थे और हम सब भी कुच्छ देर आराम करना चाह रहे थे
एसलिए हम चारों नंगे ही बिस्तर पर आ गये और एक दूसरे से लिपट कर सो
गये. कुछ देर आराम करने के बाद चुदाई का दूसरा दौर चला जो पौ फटने के
साथ ही समाप्त हुआ तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्त बिना झान्टो वाली बुर की कहानी
समाप्त
बर्बरा रहे थे, " साली ले... और... ले.... अपनी बुर में लॉरा.....आज तेरी
बुर की चटनी बना कर अपने लंड को चटाउँगा..... बरी चुदक्कर बनती है
साली.... लौरा खरा कर दिया....ले और कस कस कर ले .... चोद चोद कर
भोसरा ना बनाया तो मेरा नाम मदन नही.... ले चूत में सम्हाल मेरा लॉरा..."
चमेली अब झरने के करीब थी और वह जीजाजी के लंड से ज़्यादा सताने की
कोशिश कर रही थी और नीचे से जीजाजी को चुदाई के लिए ललकार रही थी, "ओह
राज्ज्जाअ ! इस बार तो लगता है बुर का कबाड़ा करके ही दम दोगे... ओह राजा चोदो
और ज़ोर से चोदो ... ऊऊहह म्माआ आआआहह ईएसस्सस्स राज्ज्जाअ आब्ब्ब रुका
नही जा रहा हाईईइ.... ओह राजा मैं गइईई ओह मा गइईई"
चमेली के झरते ही जीजाजी ने मुझे खींच लिया और मेरी बुर में समुचा लंड
पेल दिया. मैं भी काफ़ी गरम हो गयी थी और खुस थी कि जीजाजी ने कामिनी के
पहले मुझे अपने आगोश में ले लिया. आब मैं भरपूर चुदाई का मज़ा लेना
चाह रही थी. मैं अपनी चूतर उठा-उठा कर उनका लौरा बुर में ले रही थी
और जीजा जी को भरपूर चुदाइ करने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी, "मेरे
चुदक्कर शेर फाड़ दो इस बुर को.... छितारे उड़ा दो इस साली का.... विस्की के
साथ और पिलाउंगी पोटन्सी रेज़िंग टॉनिक.... इंडियन वियाग्रा. चोदो मेरे
लौह-पुरुष... चोदो जी भर कर चोदो अब तो यह बुर सदा के लिए तुम्हारी हो
गयी है... जब जी चाहे ... जितना जी चाहे.... जबतक जी चाहे
चोदना....यह बुर सदा चुदने के लिए तैयार मिलेगी... ज़रा मेरी चून्चि मूह
में लेकर चूसो... हाँ! ठीक है ऐसे ही चून्चि चूस-चूस कर चोदो ...
बहुत अच्छा लगता है.... धक्के मार-मार कर मेरी मुनिया का रस बहा दो और अपने
मदन-रस से इसे भर दो मेरे रसिया ..मेरे चुदक्कर राजा....फक मी हार्ड..
फक मी.. फक मी हार्ड.. हार्ड....ओह डियर .. अब्ब सहा नही जा रहा है अब मुझे
आ जाने दो अभी कामिनी भी तो है ओह माआआआ मैं गइईईईईईई" और
मैं भालभाला कर झार गयी. कामिनी पहले से ही मेरे झरने का इंतजार कर
रही थी, उसने जीजाजी को दबोच लिया. जीजाजी का पेलने का क्रम चालू रहा अब वे
दनादन कामिनी की चुदाई कर झरना चाह रहे थे, कामिनी भी गरम थी कुछ
देर बाद दोनो साथ साथ झार कर निढाल हो एक दूसरे मे समाए रहे फिर जीजाजी
उसके नंगे बदन से उठ कर बगल में लेट गये.
इस बीच मेरी-मैड चमेली ने फिर से सब्जी गरम कर डांनिंग टेबल पर लगा दिया.
जीजाजी बहुत थक गये थे बोले, "शुधा एक पेग और बना दो खाने के साथ लेते
रहेंगे" चमेली आँख मारते हुए मुझसे फुसफुसा कर बोली, "स्पेशल बनाना
है.... मैं बना दूं?" मैं बोली, "चल हट.. अब चांटा पड़ जाएगा" जीजा जी ने
शायद स्पेशल शब्द सुन लिया बोले "एक छ्होटा स्माल पेग, चमेली कह रही है
तो उसका भी बना दो ना" मैं बोली, "ठीक है उसके लिए स्पेशल मैं बना के लाती
हूँ" चमेली बोली "मैने कब कहा ग्लास बनाने के लिए दीदी आप तो बस...."
मैने कहा "अब सब केलिए बनेगा लेकिन स्माल" कामिनी खुस होती बोली "चियर्स"
मैने चार ग्लास में एक एक छ्होटा पेग विस्की का डाला और ठंडा पानी और आइस से
ग्लास भर दिया. अब हमलोग खाने की टेबल बैठ गये. चमेली बोली "मैं खाना
परसती हूँ मैं बाद मे खा लूँगी" मैने कहा "चल बैठ, साथ में खाना
खाएँगे लौरा चूत में घुस्वाते समय तो नही कहा कि मैं बाद में चुदवा
लूँगी" "दीदी, आप तो बस बेज़्जती खराब कर देती हैं" हम सब हंस परे.
हम सबों ने विस्की सीप करते हुए नंगे ही खाना खाया, बीच बीच मे चमेली
चुहल करने से बाज नही आ रही थी. एक बार सोले का डाइयलोग बोली "ओ शम्भी! वो
अकेला था और तुम तीन तीन बरा ना इंसाफी है" मैं चिढ़ा कर बोली "तो जा ना
कही से एक दो और पकड़ के ला" चमेली ने फिर तुरुप फेका' "दीदी दुहरे मज़े
वाली फिल्म अभी भूल नही पाए है" कामिनी बीच मे टोकती हुई बोली "अब बस
बहुत हो गया, बेमतल्ब की बात कर क्यो मज़ा खराब करती हो" और फिर बात बदल
कर चुदाई के मज़े की बात करने लगे.
जीजाजी बहुत थक गये थे और हम सब भी कुच्छ देर आराम करना चाह रहे थे
एसलिए हम चारों नंगे ही बिस्तर पर आ गये और एक दूसरे से लिपट कर सो
गये. कुछ देर आराम करने के बाद चुदाई का दूसरा दौर चला जो पौ फटने के
साथ ही समाप्त हुआ तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्त बिना झान्टो वाली बुर की कहानी
समाप्त