XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर - Page 2 - SexBaba
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XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर

"ओह राजा! इसी तरह चूसते और चाटते रहो ..बहुत ..अच्च्छा लग रहा है 
....जीभ को अंदर बाहर करो ना...है .. तुम ही तो मेरे चुदक्कर सैया 
हो....ओह राजा बहुत तरपि हूँ चुदवाने के लिए... अब सारी कसर निकाल 
लूँगी....ओह राज्ज्जजाआ चोदूऊ मेरी चूऊओत को अपनी जीएभ से...." 

जीजाजी को भी पूरा जोश आ गया और मेरी चूत मैं जल्दी-जल्दी जीभ 
अंदर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगे. मैं ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर जीजाजी के 
जीभ को अपनी बुर में ले रही थी. जीजाजी को भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा. 
जीजाजी ने अपनी जीभ कड़ी कर के स्थिर कर ली और सर को आगे-पिछे कर के मेरी 
चूत चोदने लगे. मेरा मज़ा दुगना हो गया. 

अपने चूतरो को उठाते हुए बोली, " और ज़ोर से जीजाजी... और जूऊओर से है... 
मेरे प्यारे जीजाजी ... आज से मैं तुम्हारी माशूका हो गयी.इसि तरह जिंदगी 
भर चुदाउगी....ओह माआआआआ ओह्ह्ह्ह ..उईईईईई माआअ" मैं अब झरने 
वाली थी. मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेते हुए अपनी चूत जीजू के चेहरे पर रगर 
रही थी. जीजू भी पूरी तेज़ी से जीभ लपलपा कर मेरी चूत पूरी तरह से चाट 
रहे थे. अपनी जीभ मेरी चूत में पूरी तरह अंदर डालकर वे हिलने लगे. 
जब उनकी जीभ मेरी भग्नासा से टकराई तो मेरा बाँध टूट गया और जीजाजी के 
चेहरे को अपनी जांघों मे जाकड़ कर मैने अपनी चूत जीजू के मूह से चिपका 
दी. मेरा पानी बहने लगा और जीजाजी मेरे भागोस्तों को अपने मूह में दबा 
कर जवानी का अमृत 'सुधरस' पीने लगे. 

इसके बाद मैं पलंग पर लेट गयी. जीजाजी उठकर मेरे बगल मे आ गये. मैने 
उन्हे चूमते हुए कहा, "जीजाजी! ऐसे ही आप दीदी की बुर भी चूसते हैं" 
"हाँ! पर इतना नही. 69 के समाया चूसता हूँ पर उसे चुदवाने मे ज़्यादा मज़ा 
मिलता है" मैने जीजाजी के लंड को अपने हाथ में ले लिया. जीजाजी का लंड 
लोहे की रोड की तरह सख़्त और अपने पूरे आकार में खरा था. देखने मे 
इतना सुंदर और अच्छा लग रहा था कि उसे प्यार करने का मन होने लगा, सुपरे 
के छ्होटे से होंठ पर प्रीकुं की बूँद चमक रही थी. मैने उसपर एक-दो बार 
उपर-नीचे हाथ फेरा, उसने हिल-हिल कर मुझसे मेरी मुनिया के पास जाने का 
अनुरोध किया. मैं क्या करती, मुनिया भी उसे पाने के लिए बेकरार थी. मैने उसे 
चूम कर मनाने की कोशिश की लेकिन वह मुनिया से मिलने के लिए बेकरार था. 
अंत में मैं सीधी लेट गयी और उसे मुनिया से मिलने के लिए इजाज़त दे दी. 
जीजाजी मेरे उपर आ गये और एक झटके मे मेरी बुर में अपना पूरा लंड घुसा 
दिया. मैं नीचे से कमर उठा कर उन दोनो को आपस मे मिलने मे सहयोग देने 
लगी. दोनो इस समय इस प्रकार मिल रहे थे मानो वे बरसो बाद मिले हो. जीजाजी 
कस-कस कर धक्के लगा रहे थे और मेरी बुर नीचे से उनका जवाब दे रही थी. 
घमासान चुदाई चल रही थी. 

लगभग 15-20 मिनट की चुदाई के बाद मेरी बुर हारने लगी तो मैने गंदे 
शब्दों को बोल कर जीजू को ललकारा, "जीजाजी आप बरे चुदक्कर हैं.. चोदो 
रजाआअ चड़ूऊ .. मेरी बुर भी कम नही है.... कस-कस कर धक्के मारो मेरे 
चुदक्कर रजाआा, फार दो इस साली बुर कूऊऊओ, जो हर समय चुदवाने के लिए 
बेचैन रहती है.. बुर को फार कर अपने मदनरस से इसे सिंच 
दूऊऊओ....ओह माआअ ओह मेरे राजा बहुत अच्च्छा लग रहा है 
...चोदो..चोदो...चोदो ..और चोद्दूऊ, राजा साथ-साथ गिरना...ओह 
हाईईईईईईईईई आ जाओ ... मेरे चोदु सनम....है अब नही रुक पाउन्गी ओह मैं 
.. मैं..गइईईईईईईई." एधर जीजाजी कस कस कर दोचार धक्के लगाकर 
साथ-साथ झार गये. सचमुच इस चुदाई से मेरी मुनिया बहुत खुस थी क्यो की 
उसे लॉरा चूसने और प्यार करने का भरपूर सुख मिला. 

कुछ देर बाद जीजाजी मेरे उपर से हट कर मेरे बगल में आ गये. उनके हाथ 
मेरी चून्चियो, चूतर को सहलाते रहे मैं उनके सीने से कुच्छ देर लग कर 
अपने सांसो पर काबू प्राप्त कर लिया. मैने जीजाजी को छेड़ते हुए पुंच्छा, 
"देवदास लगा दूं?" 

"आरे! अच्च्छा याद दिलाया जब कामिनी आई थी तो उस समय मैं उस पिक्चर को नही 
देख पाया था, अब लगा दो" जीजाजी मेरी चून्चि को दबाते हुए बोले. 

"ना बाबा! उस सीडी को लगाने की मेरी अब हिम्मत नही है, उसे देख कर यह मानेगा 
क्या?" मैं उनके लौरे को पकड़ कर बोली. "आप भी कमाल के आदमी है सेक्स से 
थकते ही नही. आपको देखना है तो लगा देती हूँ पर मैं अपने कमरे में 
सोने चली जाउन्गि" 

"ओह मेरी प्यारी साली! बस थोड़ी देर देख लेने दो, मैं वादा करता हूँ मैं कुछ 
नही करूँगा, क्यों की मैं भी थक गया हूँ" जीजाजी मुझे रोकते हुए बोले.
 
मैं उठी कपरे और बाल ठीक किए और चमेली के साथ चाय लेकर जीजाजी के 
कमरे में आ गयी, जीजाजी गहरी नींद में सो रहे थे. चाय साइड टेबल पर 
रखकर चमेली ने धीरे से चादर खींच जीजाजी नंगे ही सो रहे थे, उनका 
लॉरा भी सो रहा था" चमेली धीरे से बोली, "दीदी देखो ना कैसा सुस्त सुस्त 
पड़ा है" मैने उनके गाल पर गीला चुंबन लिया और वे जाग गये,उन्होने मुझे 
अपनी बाहों में समेट लिया. चमेली चहकि, " वह जीजाजी! रात भर दीदी की 
चुदाई कर नंगे ही सो गये" "आरे रात भर कहाँ तुम्हारी दीदी तो एक ही बार में 
पस्त हो भाग गयी आधी रात के बाद का वादा करके.. पर आई अब" " अरे जीजाजी! 
आधी रात के बाद वाली बात तो गाने की तुक भिड़ा कर कहा था" मैने अपने को 
छुड़ाते हुए चमेली से कहा "पुंछ ली ना बुर चोदि! लगता है चुदवाने के लिए 
तेरी बुर रात भर कुलबुलाती रही, ऐसा था तो यहीं रात में रुक क्यो नही 
गयी" 

फिर जीजाजी को चादर देती हुई बोली "चलिए गरम गरम गरम चाय पिया जाय" 
चादर लपेट कर जीजा जी उठे और बाथरूम मेजाकर पायजामा एवम् शर्ट पहन कर 
बाहर आ कर हम लोंगों के साथ चाय पी फिर जीजाजी चमेली से बोले "ज़रा ज़रा 
एक सिगरेट तो सुलगा कर देना" चमेली ने एक सिगरेट अपने मूह में लगा कर 
सुलगया फिर कपरे के उपर से ही बुर के पास ले गयी और जीजा जी के ओठों मे 
लगा दिया. हम सब हंस परे. जीजाजी सिगरेट लेकर यह कहते हुए बाथरूम 
में घुस गये, "मुझे 10 बजे ऑफीस पहुचना है, 2 बजे तक लौट आउन्गा" 
मैं समझ गयी की जीजाजी के पास इस समय हमलोगो से बात करने के लिए समय 
नही है. तभी मॅमी का कॉल बेल बज उठा. हम नीचे आ गये. 

मेरी मॅमी बहुत कम ही सीढ़ी चढ़ कर उपर आती हैं, उन्हे एक अटॅक पड़ 
चुक्का है. उन्होने नीचे से मेरे कमरे में एक कॉलिंग बेल लगवा दिया है कि 
जब उन्हे ज़रूरत हो मुझे उपर से बुला लें. 

9 बजे जीजाजी तैयार होकर उपर से नीचे उतरे और नस्ता कर ऑफीस चले गये. 

दो बजे के करीब वे ऑफीस से लौटे और खाना खाकर आराम करने उपर चले 
गये. इस बीच चमेली आ गयी. साफ-सफाई करने के बाद वह यह कह कर चली 
गयी कि वह 1 घंटे के बाद आ जाएगी उसका जाना इस लिए भी ज़रूरी था क्योकि 
उसे आज कामिनी के यहाँ रुकना था. थोरी देर बाद मा भी एक घंटे में आने 
के लिए कह कर बगल में चली गयीं. मैने चाय बनाई और उसे लेकर उपर आ 
गयी. जीजाजी 2 घंटे आराम कर चुके थे. टी साइड टेबल पर रख कर उन्हे 
जगाने के लिए जैसे ही चुके उन्होने मुझे अपने आगोस मे ले लिया. शायद वे जाग 
चुके थे और मेरे आने का इंतजार कर रहे थे. मैने उन्हे चूमते हुए कहा, 
"जीजाजी अब उठिए! चाय पी कर तैयार होइए. कामिनी का दो बार फोन आ चुका 
है" जीजा जी उठे चाय हम्दोनो ने चाय पी. चाय पीने के बाद जीजा जी 
सिगरेट पीते है इस लिए आज मैने एक सिगरत पकेट से निकाली और अपने मूह 
में लगा कर जला दिया और एक काश लगाकर धुआँ (स्मोक) जीजाजी के चेहरे पर 
उड़ा दिया फिर सिगरेट जीजाजी को देते हुए बोली, "आप कामिनी के यहाँ चलने के 
लिए तैयार होइए, मैं भी अपने कमरे में तैयार होने जा रही हूँ" जीजाजी 
बोले, "चल्लो मैं भी वही चलकर तैयार हो लूँगा" मैने सोचा चलो ठीक है 
जीजाजी के मन पसंद कपरे पहन लूँगी फिर बोली, "अपने कपरे ले कर आइए 
लेकिन कोई शतानी नही" 
क्रमशः.........
 
RajSharma stories

बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--4 
गतान्क से आगे.................... 
मैं बगल के अपने कमरे में आ गयी पिछे-पिछे जीजाजी आ गये और आकर 
पलंग पर लेट गये और बोले, "तुम तैयार हो जाओ.... मुझे क्या बस कमीज़ पॅंट 
पहनना है" मैं बाथरूम में मूह धो आई और उपर के कपरे उतार दिए अब मैं 
पॅंट और ब्रा में थी, ब्रा का हुक फँस गया जो खुल नही रहा था मैं जीजा जी 
के पास आई और बोली, "ज़रा हुक खोल दीजिए ना" मैं पलंग पर बैठ गयी. 
उन्होने हुक खोल कर दोनो कबूतरों को पकर लिया फिर मेरे होंठ को अपने होंठ 
में ले लिया. उनके हाथ मेरी पॅंटी के अंदर पहुँच गये. अपने को छुड़ाने 
की नाकाम कोशिश की लेकिन मन में कही मिलने की उत्सुकता भी थी,मैं बोली 
"जीजाजी आप ये क्या करने लगे, वहाँ चल कर यही सब तो होना है.... प्लीज़ 
जीजाजी उगली निकालिए....ओह्ह्ह... क्यो मन खराब करते हैं... ओह्ह्ह.. बस भी 
कीजिए..." 

जीजाजी कहाँ मानने वाले थे उन्होने पॅंटी उतार दी और मेरी बिना झांतो वाली 
बुर को चूमने चाटने लगे और बोले, " मैं इस बिना बाल वाली बुर का दीवाना हो 
गया हूँ मन होता है कि ऐसे दिन रत प्यार करूँ.... हाँ! अब जब तक अपना राज 
नही खोलो गी मैं मैं कुत्ते की तरह अपना लंड तुम्हारी बुर में फँसा दूँगा 
जैसे तुमने कल देखा था" 

मैने जीजाजी को घूरा "जीजाजी आप बहुत गंदे है... तभी जब मैं अंदर आई 
तो आप का लॉरा खड़ा था.... एक बात जीजा जी मैं भी बताउ जब आप चोद रहे 
थे तो मेरे मन में भी यह बात आई थी कि काश मेरी बुर कुतिया की तरह आप 
के लॅंड को पकड़ पाती तो कितना मज़ा आता... आप छूटने के लिए बेचैन 
होते, आप सोचते ताव-ताव में साली को चोद तो दिया पर अब फँस कर बदनामी भी 
उठानी परेगी.." जीजा जी ने अब तक गरमा दिया था मैने उन्हे अपने उपर खींच 
लिया बोली "जीजा जी सुबह से बेचैन हूँ अब आ भी जाओ एक राउंड हो जाए" "हाँ 
रानी! मैं भी सोकर उठने के बाद तुम्हरी बदमाशी को मानता आ रहा हूँ पर अब 
यह भी अपनी मुनिया को देखकर मिलने के लिए बेचैन हो रहा है" जीजा जी मेरी 
भाषा का प्रयोग करते हुए बोले और अपना समूचा लॉरा मेरी बुर में पेल दिया. 
थोरा दर्द तो हुआ पर प्यासी बुर को बरी तसल्ली हुई जब उनका लॉरा मेरी बुर के 
अंदर ग्रभाशय के मुख तक पहुँच कर उसे चूमने लगा. जीजा जी धक्के पर 
धक्के लगाए जा रहे थे और मैं भी अपनी चूतर नीचे से उठा उठा कर 
अपने बुर मे उनके लंड को ले रही थी पर अचानक जीजा जी रुक गये. मैने 
पुंच्छा "क्या हुआ? रुक क्यो गये" जीजा जी बोले, "बुर के बाल गढ़ रहे है" कह कर 
मुस्कराते हुए बोले "अब तो राज जानकार ही चुदाई होगी" मैं जीजा जी की पीठ पर 
घूँसा बरसाते हुए बोली " जीजा जी खरे लंड पर धोका देना इसे ही कहते 
हैं... अच्छा तो अब उपर से हटिए, पहले राज ही जान लो जीजाजी मेरे बगल में 
आ गये फिर मैं धीरे-धीरे राज खोलने लगी. 

"मॅमी ने अपनी एक सहेली को मेरी बुर को दिखा कर इस राज को खोला था. उन्होने 
उसे बताया था कि जब मैं पैदा हुई तो एक नई और जवान नाइन नहलाने के लिए 
आई. मेरी पुरानी नाइन बीमार थी और उसने ही उसे एक महीने के लिए लगा दिया 
था. मम्मी को नहलाने के बाद उसने मुझे उठाया और मेरी बुआ से कहा कि बीबीजी 
ज़रा चार-पाँच काले बेगन (ब्रिंजल) काटकर ले आइए, इसे बेगन के पानी से भी 
नहलाना है, मेरी मॅमी ने पुंच्छा कि अरी! नहलाने मे बेगन के पानी का क्या 
काम? इस पर उसने हँसते हुए बताया कि बेगन के पानी से लरकियों को नहलाने पर 
उनके बाल नही निकलते, लेकिन नहलाते समय यह ध्यान रखना पड़ता है कि वह 
पानी सर पर ना लगे. मॅमी ने कहा कि मैं इस बात को कैसे मानू? तो उसने अपनी 
बर मॅमी को दिखाते हुए कहा की भाभी जी मेरी देखिए एस पर एक भी बाल नही 
दिखेंगे. मॅमी और बुआ मान गयी और बोली की ठीक है नहला दो पर ध्यान से 
नहलाना. बुआ हलके कुनकुने पानी में बेगन काट कर डाल दी और नाइन ने मुझे 
नहलाने के बाद बरी सफाई से बेगन के पानी से मेरे निचले भाग को धो दिया, 
इसी तरह उसने दो तीन दिन और बेगन के पानी से मेरे निचले भाग को धोया. 
बात आई-गयी ख़तम हो गयी, मॅमी भी इस बात को भूल चुकी थी, मैं 
अठारह की हुई मेरी सहेलियों को काली-भूरी झांते निकल आई पर मेरी बुर पर 
बाल ही नही निकले. एक दिन कपड़ा बदलते समय मॅमी की नज़र मेरी बुर पर 
गयी और उन्होने मुझे टोकते हुए कहा बेटी! अभी से बाल साफ करना ठीक नही 
है, बाल काले हो जाएँगे. मैने कहा मॅमी मेरे बाल ही कहाँ है कि मैं उसे साफ 
करूँगी" अचानक मॅमी को उस नाइन का ख्याल आया और उन्होने मुझे पास बुलाया 
और मेरी बुर को हाथ लगा कर देखा और बरी खुस हुई. सचमुच मेरे बदन पर 
बाल निकले ही नही. अब जब भी मम्मी की कोई खास सहेली मेरे घर आती है तो 
मुझे अपनी बुर उसे दिखानी परती है, लेकिन मॅमी सब को इस रहस्य को बताती 
नही. एक दिन मॅमी की एक सहेली बोली, कि तू तो बरी किस्मेत वाली है, तेरा आदमी 
तुझे दिन-रात प्यार करेगा, बस यही है इस बिना बाल वाली बुर की कहानी"
 
इस बीच जीजाजी बुर को सहला-सहला कर उसे पनिया चुके थेआब वे मेरी टाँगो के 
बीच आ गये और अपना शिश्न मेरी यौवन गुफा में दाखिल कर दिया. मैं 
चुदाई का मज़ा लेने लगी. नीचे से चूतर उचका उचका कर चुदाई में 
भरपूर सहयोग करने लगी. "हाई मेरे चोदु सनम तुम्हारा लंड बरा जानदार है 
तीन चार बार चुद चुकी हू पर लगता है पहली बार चुद रही हूँ... मारो 
राजा धक्का... और जूऊर से पूरा पेल दो अपना लॉरा ..... आज इसे कुतिया की 
तरह बुर से निकलने नही दूँगी.. लोगा आएगे देखेंगे जीजा का लॉरा साली की बुर 
में फसा है.... जीजा ... अच्च्छा बताओ... अगर ऐसा होता तो क्या आप मुझे चोद 
पाते...." मैं थोरा बहकने लगी. जीजू मस्त हो रहे थे बोले, "चुदाई करते 
समय आगे की बात कौन सोचता है फस जाता तो फस जाता जो होना है होगा पर इस 
समय चुदाई मे ध्यान लगाओ मेरी रानी.... आज चुदाई ना होने से मन बरा बेचैन 
था उससे ज़्यादा तुम्हारा राज जानना चाहता था .... अब चुदाई का मज़ा लेने दो ले 
लो अपनी बुर में लौरे को और लो आज की चुदाई में मज़ा आ गया ... 
हाँ रानी अपनी चूत को इस लौरे के लिए हमेशा खोले रखना...लो 
मजाआआआआआआआ लो रनीईईईई" जीजा जी उपर से बोल रहे थे और मैं 
नीचे से उनका पूरा लॉरा लेने के लिए ज़ोर लगाते हुए बर्बरा रही थी, " 
ऊऊओ मेरे चुदक्कर राजा चोद दो.... अपनी बिना झांतो वाली इस बुर्र्र्र्र्र्ररर 
कूऊऊऊ और चोदूऊऊऊ फर्रर्र्र्ररर दूऊऊओ एस साली बुर को.... बरी चुदासी 
हो रही थी.... सुबह से...... जीजाजी साथ साथ गिरना .... हाँ अब... मैं आने 
वाली हूँ ..... कस.... कस.... कर दो चार धक्के और मारो चूसा दो अपनी 
मुनिया को मदनरस.... मिलने दो सुधारस को मदनरस से.... ओह जीजू आप पक्के 
चुदक्कर हूऊओ.... ना जाने कितनी बुर को अपने मदनरस से सिंचा होगा....आज 
तो रात भर चुदाई का प्रोग्राम है... तीन बुर से लोहा लेना है.. लेकिन मेरी बुर 
का तो यही बजा बजा दिया..... मारो राजा और ज़ोर से.... थक गये हो तो बताओ 
मैं उपर आ कर चोद दू..... इस भोसरी को.... ओह अब मैं 
नहियीईईईईईईईईईईईई रुक्कककककककक सकाआति ओह अहह लूऊऊ माइ 
गइईई ओह राजा तुम भी एयाया जाऊऊऊ" 

मैं नीचे से झरने के लिए बेकरार हो रही थी और जीजा जी भी उपर से दना 
डन धक्के पै धक्के मार रहे थे पूरे कमरे में चुदाई धुन बज रही थी 
मॅमी भी नीचे नही थी इस लिए और निसचिंत थी खूब गंदे गंदे शब्दों 
का आदान-प्रदान हो रहा था आज का मज़ा ही और था.. बस चुदाई ही चुदाई.. केवल 
लौरे और बुर की घिसाई ही घिसाई... जीजाजी अब झरने के करीब आ रहे थे और 
उपर से कस कस कर थक्के लगा कर बोलने लगे, "ओह्ह्ह्ह मेरी बिना झांतो वाली बुर 
की शहज़ादी तेरी बुर तो आफताभ है....चोद चोद का इसे इतना मज़ा दूँगा कि 
मुझसे चुदे बिना रह ही नही पाओगी....चुदाई के लिए सब समय बेकरार रहो 
गी....ओह रानी!!!!!! एक बार फिर साथ-साथ झरेंगे....ओह अब तुम भी 
आआअजाओ......" कहते हुए जीजू मेरी बुर की गहराई में झार गये और मैं भी 
साथ-साथ खलाश हो गयी.... जीजू मेरी छाती से चिपक गये कुछ पल तो ऐसा 
लगा की मुनिया ने उनके लौरे को फसा लिया है. 

थोरी देर इसी तरह चिपके रहे फिर मैं जीजा जी को उतारते हुए बोली, " अब 
उठिए! कामिनी के यहाँ नही चलना है क्या?" जीजू बोले, "जब अपने पास 
साफ-सुथरा लॅंडिंग प्लॅटफॉर्म है तो जंगल में एरोप्लेन उतारने की क्या ज़रूरत 
है" उनकी बात सुनकर दिल बाग-बाग हो उठा और मैने उन्हे चूमते हुए कहा, 
"जीजाजी! कामिनी के यहाँ तो चलना ही है, ज़बान दे दी है" फिर हसते हुए 
बोली, " कहीं तीन की वजह से डर तो नही रहे है" मैने उनकी मर्दानगी को 
ललकारा. "अब मेरी प्यारी साली कह रही है तो चलना ही परेगा, कुच्छ नया 
अनुभव होगा" जीजा जी उठे और हम दोनो नेबाथरूम मे जा साफ-सफाई की और कपड़ा 
पहनने लगे. तभी नीचे मैन गेट खुलने की आवाज़ आई. मैने जीजाजी से कहा 
"अब आप दीदी के कमरे मे चलिए मॅमी आ गयी हैं" जीजाजी अपने कमरे में 
चले गये. 

मैं तैयार हो कर अपने कमरे से निकली तो देखा चमेली चाय लेकर उपर आ 
रही है. हम दोनो साथ-साथ जीजा जी के कमरे में घुसे देखा जीजाजी तैयार 
होकर बैठे हैं. चमेली चहाकी, "वह! जीजाजी तो तैयार बैठे हैं, कामिनी 
दीदी से मिलने की इतनी जल्दी है?" मैने उससे कहा, "चमेली तुझे बोलने की 
कुच्छ ज़्यादा ही आदत पड़ती जा रही है, चल चाय निकाल" चमेली ने दो कप 
में चाय निकली और एक मुझे दी और एक जीजाजी को पकड़ा कर मुस्करा दी, बोली 
"जीजाजी लगता है दीदी ने ज़्यादा थका दिया है सिगरेट निकालू?" " हाँ रे 
पीला, लेकिन मेरे पकेट मे तो नही है" "अरे दीदी ने मुझसे मगवाया था यह 
लीजिए" और उसने अपने चोली से निकाल कर जीजाजी को सिगरेट पकड़ा दी" 
जीजाजी चाय पीते हुए बोले " अरे एक सुलगा कर दे ना" चमेली ने सिगरेट 
सुलगाया और एक कश लगा कर धुआँ जीजाजी के उपर उड़ाते हुए बोली "दीदी का मसाला 
लगा दूँ या सादा ही पिएगें" हमलोग उसकी दो-अर्थी बाते सुनकर हंस पड़े" मैने 
उसे डाँटते हुए कहा "चमेली तू हरदम हँसती और मज़ाक करने के मूड में क्यो 
रहती है" "क्या करूँ दीदी दुनिया में इतने गम है कि उससे झुटकारा नही मिल 
सकता खुशी के इन्ही लम्हो को याद कर इंसान अपना सारा जीवन बिता देता है" 
"अरे वह मेरी छेमिया फिलॉसफर भी है" जीजा जी बोले. चमेली के चेहरे पर 
ना जाने कहा से गमो के बदल मदराए पर जल्दी ही उरनच्छू हो गये. "जीजाजी ये 
छमिया कौन है" फिर हम सब हंस परे. 
 
मैने चमेली से कहा "चलो नीचे गरेज का ताला खोलो, कार कयी दीनो से 
निकली नही है साफ कर देना, और मॅमी जो दे उसे रख देना, मेरा एक बॅग मेरे 
कमरे से ले लेना पर उसे मॅमी ना देख पाए." जीजाजी बोले "अरे उसमे ऐसी क्या 
चीज़ है" मैं बोली जीजाजी आपके लिए भाभी के कमरे से चुराई है, वही 
चलकर दिखाउन्गि" 

हमलोग मॅमी से कह कर घर से कार पर निकले. एक जगह गाड़ी रोक कर जीजाजी 
अकेले ही कुच्छ खरीद कर एक झोले में ले आए और मुझसे कहा "सुधा अब तुम 
स्टारर्रिंग सम्हालो" मैने उन्हे छेड़ते हुए कहा "जीजाजी को आज तीन गाड़ी 
चलानी है इसी लिए इस गाड़ी को नही चलाना चाहते" और मैं ड्राइवर सीट पर 
बैठ गयी, मेरे बगल में जीजू और चमेली को जीजाजी ने आगे बुला कर अपने 
बगल मे बैठा लिया. हमलोग कामिनी के घर के लिए चल परे जो थोरी ही दूर 
था........ 
रास्ते में जीजाजी कभी मेरी चूची दबाते तो कभी चमेली की मैं ड्राइव कर रही थी इस लिए उन्हे रोक भी नही पा रही थी मैने कहा, "जीजाजी क्यो बेताब हो रहे हैं वहाँ चल कर यही सब तो करना है, मुझे गाड़ी चलाने दीजिए नही तो कुच्छ हो जाएगा" जीजाजी अब चमेली की तरफ़ हो गये और उसकी चून्चि से खेलने लगे और चमेली जीजाजी की जिप खोलकर लंड सहलाने लगी फिर झुककर लंड मूह में ले लिया. यह देख कर मैं चमेली को डाँटते हुए बोली, "आरे बुर्चोदि छिनार, यह सब क्या कर रही है कामिनी का घर आने वाला है" चमेली जो अब तक जीजाजी के नशे में खो गई थी जागी, और ये देख कर कि कामिनी का घर आने वाला है जीजाजी के खरे लंड को किशी तरह थेलकार पॅंट के अंदर किया और जिप लगा दिया. जीजाजी ने भी उसकी बुर पर से अपना हाथ हटा लिया. 

जब हमलोग कामिनी के घर पहुँचे तो चमेली ने उतर कर मैन गेट खोला मैने पोर्टिको मे गाड़ी पार्क की. तब तक कामिनी और उसकी मा दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी. 

जीजाजी कामिनी की मा के पैर छूने के लिए झुके, कामिनी की मा बोली "नही बेटा! हमलॉग दामाद से पैर नही छुवाते, आओ अंदर आओ" हमलोग अंदर ड्रॉइग्रूम में आ गये. कामिनी की मा रेखा और घर वालो का हालचाल लेने के बाद आज के लिए अपनी मजबूरी बताते हुए कहा, "बबुआ जी आज यही रुक जाना कामिनी काफ़ी समझदार है वह आपका ध्यान रखेगी, कल दोपहर दो बजे तक मैं आजवँगी, कल तो सनडे है, ऑफीस तो जाना नही है, मैं आउन्गी तभी आप जाइएएगा. अच्च्छा तो नही लग रहा है पर मजबूरी है जाना तो परेगा ही." जीजाजी बोले मॅमी जी किसके साथ जाएँगी कहिए तो मैं आपको मामा जी के यहाँ छोड़ दूं" कामिनी की मा बोली "नही बेटा, चंदर (ममाजी) लेने आते ही होंगे. 

तभी मामा जी के कार का हॉर्न बाहर बजा. कामिनी बोली लो मामा जी आ भी गये, वह बाहर गयी और आ कर अपनी मा से बोली, "मामा जी बहुत जल्दी में है अंदर नही आ रहे है कहते है मॅमी को लेकर जल्दी आ जाओ. उसकी मा बोली, "बेटा तुम लोग बैठो मैं चलती हूँ कल मिलूँगी" 

कामिनी मॅमी को मामा की गाड़ी पर बिठा कर और मैन गेट पर ताला और घर का मुख्य दरवाजा बंद कर जब अंदर आई तो मुझसे लिपट गयी और बोली, "हुर्रे! आज की रात सुधा के नाम" फिर जीजाजी का हाथ पकड़ कर बोली, "आपका दरबार उपर हॉल में लगेगा और आपका आरामगाह भी उपर ही है. जहांपनाह! उपर हॉल में पूरी वयवस्था है डिनर भी वही करेंगे, मॅमी कल दोपहर लंच के बाद आएँगी इस लिए जल्दी उठने का जांझट नही है, हॉल में टीवी, सीडी प्लेयर लगा है और तांस (प्लेयिंग-कार्ड) खेलने के लिए कालीन पर गद्दा बिच्छा है" 

जीजाजी बोले, "तांस" 

"मॅमी ने तो तांस के लिए ही बिच्छवाया था लेकिन आप जो भी खेलना चाहें खेलिएगा, वैसे आप का बेड भी बहुत बरा है" कामिनी मुझे आँख मारती हुई बोली" 

"चमेली से ना रहा गया बोली, " जीजाजी को तो बस एक खेल ही पसंद है..खाट कबड्डी.. आते आते...." चमेली आगे कुच्छ कहती मैने उसे रोका, "चुप शैतान की बच्ची ! बस आगे और नही" 

जीजाजी बोले, "अब उपर चला जाय" 

कामिनी सब को रोकती हुई बोली, "नही अभी नही, नस्ता करने के बाद, लेकिन दरबार में चलने का एक क़ायदा है शहज़ादे" 

"वह क्या? हुस्न-की-मल्लिका" जीजाजी उसी के सुर मे बोले. 

कामिनी बोली, "दरबार में ज़्यादा से ज़्यादा एक कपड़ा पहना जा सकता है" 

"और कम से कम, चलो हम सब कम से कम कपरे ही पहन लेते है" जीजाजी चुहल करते हुए बोले "चलो पहले कपरे ही बदल लेते है" 

सब्लोग ड्रेसिंग रूम में आ गये. कामिनी बोली, " सब लोग अपने अपने ड्रेस उतार कर ठीक से हॅंगर करेंगे फिर मैं शाही कपड़े पहनाउगि" 

चमेली बोली, "मुझे भी उतारने है क्या? 

"क्यों? क्या तू दरबार के काएदे से अलग है क्या?" और हम्दोनो ने सबसे पहले उसी के कपरे उतार कर नंगी कर दिया फिर उसने हम्दोनो के कपरे एक-एक कर उतारे और हॅंगर कर दिए और जीजाजी की तरफ देख कर कहा अब हमलोग कम-से-कम कपड़े मे है. 

जीजाजी की नज़र कामिनी पर थी. कामिनी मुस्काराकार जीजाजी के पास आई और बोली, " शहज़ादे अब आप भी मदरजात कपरे मे आ जाइए" और उसने उनके कपरे उतारने शुरू किए. 

चमेली मेरे पास ही खड़ी थी मुजसे धीरे से बोली "सुधा दीदी, कामिनी दीदी कैसी है आते ही मूह से गाली निकालने लगी मदर्चोद कपरे.." मैने उसे समझाया, "अरे पगली! मदर्चोद नही मदरजात कपड़ा कहा, जिसका मतलब है जब मा के पेट से निकले थे उस समय जो कपड़े पहने थे उस कपड़े में आ जाइए" "पेट का बच्चा और कपड़ा" "आरे बात वही है बच्चा नंगा पैदा होता है और उसीतरह आप भी नंगे हो जाओ, जैसे कि तू खड़ी है मदरजात नंगी" "ओह दीदी, पढ़े-लिखों की बाते.." चमेली की बात पर सब लोग खूब हासे. चमेली अपनी बात पर सकुचा गयी. 

कामिनी जीजाजी को नगा कर कपड़े हॅंगर करने के लिए चमेली को दे दिए और खुद घुटनो के बल बैठ कर जीजाजी के लंड को चूम लिया. 

मैने पुचछा, "अरी यह क्या कर रही है क्या यहीं...." 

अरे नही, यह नंगे दरबार के अभिवादन करने का तरीका है चलो तुम दोनो भी अभिवादन करो" चमेली फिर बोली, "कामिनी बरा मस्त खेल खेल रही है" 

मैने उसे फिर टोका, "गुस्ताख! तू फिर बोली अब चल जीजू का लॅंड चूम" "दीदी आप चूमने को कहती हैं, कहिए तो मूह में लेकर झार दूँ" हम सब फिर हंस परे. 

चमेली और मैने दरबार के नियम के अनुसार कामिनी की तरह लंड को चूम कर अभिवादन किया फिर जीजाजी ने कामिनी की चून्चियो को चूमा. 

मैने कहा फाउल ! शरीर के बीच के भाग को चूम कर अभिवादन करना है" 
क्रमशः......... 
 
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बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--5 
गतान्क से आगे.................... 
जीजाजी घुटनो के बल बैठ कर कामिनी के बुर को चूमा और उसकी टीट को जीभ से सहला दिया. उसकी बुर पाव-रोटी की तरह उभरदार थी और उसने अपनी बुर को बरी सफाई से सेव किया था. बुर के उपरी भाग में बाल की एक हल्की खरी लाइन छोड़ दिया था जिससे उसकी बुर सेक्सी और आकर्षक लग रही थी. फिर मेरी बारी आई जीजाजी नेघुटनो के बल बैठ कर बड़े सलीके से बुर को चूम कर अभिवादन किया पर नज़रें बुर पर जमी थी. अब चमेली की बारी थी जीजाजी ने उसके हल्के रोएँ वाली बुर को उंगलियों से तोड़ा फलाया फिर टीट को ओठों से पकड़ कर थोड़ा चूसा और उसके चूतर को सहला कर बोले "झार दूँ" चमेली शर्मा गयी और सब लोग ज़ोर से हंस परे. 

इसके बाद कामिनी ने एक-एक पारदर्शक गाउन (नाइटी) हमलोगो को पहना दिया जो आगे की तरफ से खुला था. इस कपड़े से नग्नता और उभर आई.

कामिनी बोली "अब हम सब नस्ता कर उपर के लिए प्रस्थान करेंगे" जीजाजी बादशाह की अंदाज मे बोले, "नाश्ता, दरबार लगाने के बाद उपर किया जाएगा" "जो हूकम बादशाह सलामत, कनीज उपर ले चलने के लिए हाजिर है" हम तीनो सीधी पर खरी हो गयी और जीजाजी वाजिदली शाह की तरह चून्चिया पकड़ पकड़ कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगे. उपर पहुँच कर जीजाजी का लंड तन कर हुस्न को सलामी देने लगा. 

जीजाजी बोले, "आज इस हुस्न के दरबार में शम्पेन खोला जाइ, "कामिनी बोली "शम्पेन हाजिर किया जाय" चमेली को पता था कि जीजाजी के बॅग में दारू की बोतलें हैं, वह नीचे गयी और उनका पूरा बॅग ही उठा लाई. जीजाजी उसमे से शम्पेन की बोतल निकाली और हिला कर खोली तो हम तीनो शम्पेन की बौच्हर से भीग गये. जीजाजी ने चार प्याली में शम्पेन डाली और हमलोगो ने अपनी अपनी प्याली उठाकर चियर्स कर शम्पेन की चुस्की ली और फिर उसे टेबल पर रख शम्पेन से भीग गये एकमात्र कपड़े को उतार दिया, अब हमलोग पूरी तरह नंगे हो गये. 

चमेली बोली, "लो जीजाजी हमलोग मादर चोद नंगे हो गये" अब की बार उसने यह बात हसने के लिए ही कही थी और हम्सब ठहाका मार कर हसने लगे. मैने हँसी पर ब्रेक लगाते हुए कहा "अरे.. गुस्ताख लड़की! तू दरबार में गाली बकती है, जहांपनाह! इसे सज़ा दी जाय. 

जीजाजी सज़ा सुनाते हुए बोले "आज इसकी चुदाई नही होगी यह केवल चुदाई देखे गी" 

"जहापनाह! मौत की सज़ा दे दीजिए पर इस सज़ा को ना दीजिए मैं तो जीतेज़ी मर जाउन्गि" चमेली ने अपनी भूमिका में जान डालते हुए बड़े नाटकिया ढंग से इस बात को कहा. 

कामिनी ने दरबार से फरियाद की, "रहम.. रहम हो सरकार .. कनीज अब यह ग़लती नही करेगी". "ठीक है, इसकी सज़ा माफ़ की जाती है पर अब यह ग़लती बार-बार कर हमारा मनोरंजन करती रहे गी, मैं इसकी अदाओं से खुश हुआ". 

इसके बाद जीजाजी थोरी शम्पेन कामिनी के बूब्स पर छलका कर उसे चाटने लगे. मैने अपनी शम्पेन की प्याली मे जीजाजी के लौरे को पकड़ कर डुबो दिया फिर उसे अपने मूह में ले लिया. कामिनी की चून्चियो को चाटने के बाद चमेली की चून्चियो को जीजाजी ने उसी तरह चूसा. फिर मुझे टेबल पेर लिटा कर मेरी बुर पर बोतल से शॅंपन डालकर मेरी चूत को चाटने लगे. कामिनी मेरी चून्चियो को गीला कर चाट रही थी और चमेली के मूह में उसका मनपसंद लंड था. हम सब इन क्रिया-कलापों से काफ़ी गरम हो गये. अपनी-अपनी तरह से शम्पेन पीकर हम चारों ने मिलकर उसे ख़तम कर दिया, जिसका हलका सुरूर आने लगा था. 

जीजाजी बोले, "चलो अब एक बाजी हो जाय..." कामिनी जीजाजी के लंड को बरी हसरत भरी निगाहों से देखते हुए बोली, "शहबे आलम पहले किस कनीज का लेंगे" मैने जीजाजी की दुविधा को समाप्त करते हुए कहा, "पहले तो होस्ट का ही नंबर होता है, वैसे हमलोग तुझे हारने नही देंगे" 

चमेली फिर बोली "हाँ! दीदी जीजाजी है तो बहुत दमदार जल्दी झरने का नाम नही लेते पर तुम चिंता मत करो, सुधा दीदी ने इन्हे जल्दी खलास करने का उपाय मुझे बता दिया है, चून्चि से गंद मार दो ...खलास" 

जीजाजी का मन कामिनी पर तो था ही उन्होने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और हॉल में बिछे गद्दे पर ले आकर लिटा दिया. फिर उसपर झुक कर उसके निपल को मूह में लिया. कुछ देर उसके दोनो निपल को चूसने के बाद उसकी टाँगो को फैला कर बुर पर मूह लगा कर टीट चाटने लगे. कामिनी तो पहले से ही चुदवाने के लिए बेचैन थी उसने जीजाजी को अपने उपर खींच लिया और लंड पकड़ कर बोली, "अब नही सहा जा रहा है.... अब इसे अंदर कर दो.... मेरी बुर इसे चूसना चाहती है" उसने लंड को अपनी बुर के मूह पर लगा दिया. जीजाजी ने एक जोरदार शॉट लगाया कामिनी चीख उठी, " ओह मार डाला ... बरा तगरा है.... ओह .... ज़रा धीरे...." एधर मैने और चमेली ने कामिनी की एक एक निपल अपने मूह में ले लिया. जीजाजी धक्के की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ा रहे थे और कामिनी "उहह हाईईईईईईई ओह" करती हुई नीचे से चूतर उठा-उठा कर अपनी बुर में लंड ले रही थी. चमेली पिछे से जाकर कामिनी की बुर में अंदर बाहर होते हुए लंड को देखने लगी फिर देखते-देखते जीजाजी के अंडकोष को हलके हलके सहलाने लगी जो कामिनी के चूतर पर थाप दे रहा था. 

मैं चुदाई कर रहे जीजाजी के सामने खरी हो गई और उन्होने मेरी बुर को अपने मूह मे ले लिया. कामिनी नीचे से अब मज़े लेकर चुदवा रही थी और बर्बरा रही थी, " हाई मेरे कामदेव.... हाई! मेरे चोदु सनम.... तुम्हारा लौरा बरा जानदार है..... लगता है पहली बार चुदवा रही हूँ.... मारो राजा धक्का .... और ज़ोर से.... हाईईईई! और ज़ोर से... और जूऊओर सीईए.... आज तो रात भर चुदाई का प्रोग्राम है..... तीन-तीन बुर से लोहा लेना है..... तुमने तो चोद-चोद कर जान निकाल दी.... हाईईईईईईईई इस जालिम लौरे से फाड़ दो मेरी बुर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर.... बहुत आच्छा लग रहा हाईईईईईईईईईईईईईई.... हाईईईईईई और ज़ोर सीईई मेरे रज्जा और ज़ोर सीईए..... अरी सुधा अपनी बुर मुझे भी चूसा...बरा मज़ा आ रहा है.." मैने घुटनो के बल बैठ कर अपनी बुर कामिनी के मूह में लगा दिया. अब जीजाजी मेरी चून्चियो पर मूह मारते हुए धक्के-पर-धक्के लगाने लगे और कामिनी नीचे से अपनी गंद उच्छाल-उच्छाल कर चुदवा रही थी और पूरे कमरे में चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी. 

थोरी देर बाद जीजाजी ने कामिनी को उपर कर लिया और अब कामिनी उपर से धक्का मार मार कर चुदाई करते हुए बर्बरा रही थी, "हाई राजा! क्या लंड है..... ओह हाईईईईईई ... चोदो राजा.... बहुत अच्च्छा लग रहा है..... ओह हह हाऐईयइ मेरा निकलने वाला है.... ओह्ह्ह्ह मैईईईईई गइईईई" वह झार चुकी थी और उसने जीजाजी के ओठों चूम चूम लिया.
 
जीजाजी अभी झाडे नही थे. उन्होने अपना लॉरा कामिनी की बुर से निकाल कर मेरी बुर में पेल दिया. मैं भी अब तक काफ़ी गरम हो चुकी थी. नीचे से गंद उच्छाल-उच्छाल कर जीजाजी के बेताब लंड को अपने बुर में लेने लगी. चमेली मेरी चून्चियो के निपल को एक-एक कर चुभालने लगी. मैं भी झरने के करीब थी बोली, "ओह मेरे चोदु सनम.... क्या जानदार लॉरा है....मेरी बुर को चोद चोद कर निहाल कर दो.... मारो राजा मारो.....कस कस कर धक्के.....चोद दो....चोद दूऊऊओ ईईई हाईईईईईईईई मैईईईईईई गइईईई" और मैं भल भला कर झार गयी. अब चमेली की बारी थी. चमेली जीजाजी के उपर आ गयी और बोली, "बारे चूडदकर बनते हो अब मैं तुम्हे झरोनगी" 

उसने जीजाजी के लौरे को बुर में लगाया और एक ही झटके में पूरा निगल लिया फिर उसने अपनी चून्चि जीजाजी के मूह में लगा कर चुदाई करने लगी. कामिनी ने अपनी चूंची चमेली के मूह में लगा दिया. मैं काफ़ी ढक गयी थी जीजाजी ने चार बार चोद कर लास्ट कर दिया था. मैं लेटा कर इन तीनो को देखने लगी. चमेली उपर से कस-कस कर धक्के लगा रही थी और बर्बरा रही थी, "है! मेरे बुर के चोदन हार.... चोद चोद कर इस साले लंड को डाउन करना है ...... हाईईईईईईई रजाआ ले लो अपनी बुर को.... हाआ रज्जाअ अब आ जाओ नाआअ साथ-साथ....हाँ राजा हाँ हम दोनो साथ झरेंगीईई ओह माआअ मैं अपने को रोक नही पा रही हूँ ... जल्दी करो .. ओह मैं गैईईईइ" चमेली झर कर जीजाजी के सीने पर निढाल हो गयी. जीजाजी ने अपने उपर से चमेली को हटाया और कामिनी को पकड़ कर बोले, " आओ रानी अब तुझे अमृतपान कराउँगा" उन्होने कामिनी को लिटा कर उसके पैरों को फैलाया और उसके चूतर के नीचे तकिया लगा कर बुर को उँचा किया फिर उसे चूम लिया और बोले, " हाई 
रानी क्या उभरी हुई बुर है इसे चोदने के पहले इसे चूसने का मन कर रहा है" कामिनी बोली, "ओ! मेरे बुर के यार.... जैसे चाहे करो ये तीनो बुर आज तुम्हारी है" जीजाजी कामिनी की बुर की टीट चूसने लगे. कामिनी मुझसे बोली, "सुधा आ तू, मुझे अपनी बरी-बरी चून्चि पीला दे" मैं बोली, "ना बाबा! मेरे में अब और ताक़त नही है, चार बार झार चुकी हूँ. तू अब आपस में ही सुलट ले" 

इस पर चमेली उस के पास आ गयी और अपनी चून्चि उसके मूह में लगा दिया. कुछ देर बुर चूसने के बाद जीजाजी उठे और कामिनी की बुर में अपना लौरा घुसा दिया और दनादन धक्के मारने लगे कामिनी नीचे से सहयोग करने के साथ गंदे गंदे सब्दो को बोल कर जीजाजी को उत्साहित कर रही थी, " जीजाजी आप पक्के चुदक्कर हैं तीन तीन बुर को पछाड़ कर मैदान में डटे हैं..... छोड़ड़ूऊव रज्जाआ चोदो... मेरी बुर भी कम नही है..... कस कस कर धक्के मरूऊऊ मेरे चुद्दकर रज्जाआअ.. मेरी बुर को फार डूऊऊ ..... अपने मदन रस से सींच दूऊ मेरी बुर को.... ओह राजा बरा अच्छा लग रहा है .... चोद्दो ... छोद्दो....चोदो ... और चोदो ..... राजा साथ-साथ गिरना .... ओह हाईईइ आ बा भी जाओ मेरे चुदक्कर बलम" जीजा जी हाफ्ते हुए बोले "ओह मेरी बुर की मालिका ... थोरा और रूको बस आने वाला हूँ ओह्ह्ह्ह मैं अब गयाआअ ....कामिनी भी बिल्कुल साथ-साथ झरी. उसकी बुर वीर्य की सिंचाई से मस्त हो गयी. 

कामिनी बोली, "जीजाजी आज पूरी तरह चुदाई का मज़ा मिला" 

जीजाजी काफ़ी थक गये थे और कामिनी की चून्चियो के बीच सर रख कर लेट गये. थोरी देर बाद कामिनी के उपर से उठे ओरमेरी बगल में लेट गये. उनका लौरा सुस्त पड़ा था मैने उसे हिला कर कहा, "आज एस बेचारे को बड़ी मेहनत करनी पड़ी, ओ! कामिनी जीजाजी को तरोताजा करने के लिए कुच्छ टनिक चाहिए" कामिनी अपनी बुर साफ कर चुकी थी और जीजाजी के लंड को साफ करते हुए बोली, "ताक़त और मस्ती के लिए सारा इंतज़ाम है आ जाओ टेबल पर, हम चारो नंगे टेबल पर आ गये जहाँ विस्की की बोतल और ग्लास रखी थी... 
कामिनी जीजू को विस्की की बॉटल देती हुई बोली, "जीजाजी! सुधा की शील तो तोड़ 
चुके अब इसकी शील तोड़िए" जीजाजी ने बोतल ले लिया और ढक्कन घुमा कर उसका 
शील तोड़ दिया और कामिनी को दे दिया. चमेली बोली, "जीजाजी! अब तक आप कितनी 
शील तोड़ चुके हैं" सब हंस परे. कामिनी ने काँच के सुंदर ग्लास में चार 
पेग तैयार किए फिर सब ने ग्लास को उठा कर "चियर्स" कहा. कामिनी बोली, "आज 
का जाम जवानी के नाम" मैने अपना ग्लास जीजू के लंड से च्छुआ कर कहा, " आज का 
जाम इस चोदु के नाम" चमेली जीजाजी के लंड को ग्लास के विस्की में डुबो कर 
बोली, " दीदी की शील तोड़ने वाले के नाम" जीजाजी ने हम तीनो की चून्चियो से 
जाम छुआते कहा, "आज का जाम मदमस्त हसिनाओं के नाम" फिर हम चारों ने 
अपने ग्लास टकराए और सराब का एक घूट लिया. थोरी छेड़-छाड़ करते हुए 
हम चारों ने अपने-अपने ग्लास खाली किए. शराब का हल्का सुरूर आ चुका था. 
जीजाजी बोले "शुधा! कामिनी को ब्लू फिल्म की सीडी दे दो वह लगा देगी" जीजाजी जो सीडी 
आते समय ले आए थे उसे मैने कामिनी को दे दिया. कामिनी अपनी चूतर हिलाती 
हुई टीवी तक गयी और और सीडी लगा कर सीडी प्लेयर ऑन कर दिया और पास पड़े 
सिगरेट के पकेट ले वापस आ कर नंगे जीजाजी की गोद में दोनो तरफ पैर कर 
बैठ गयी और थोड़ा अडजेस्ट कर लंड को अपनी बुर के अंदर कर लिया. एधर 
मैने दूसरा पेग बना दिया. कामिनी ने मुझसे एक सिगरेट सुलगाने के लिए 
कहा. मैने सिगरेट सुलगा कर एक कश लिया और कामिनी की चून्चियो पर 
धुआ उड़ा दिया फिर कामिनी के मूह में लगा दिया. 

इधर चमेली ने भी एक सिगरेट जलाया और एक कश ले कर मेरी बुर में खोष 
दिया जीजाजी ने उसे हाथ बढ़ा कर निकाल लिया और धुए के छल्ले बनाने लगे. 
कामिनी ने मुझे अपना सिगरेट पकड़ा कर ग्लास उठा लिया और एक ग्लास में ही 
जीजा-साली पीने लगे. 

टीवी पर ब्लू फिल्म के सुरूआती द्रिश्य तीन लरकियाँ और दो मर्द ड्रिंक के साथ चूमा 
चाती के बाद सभी नंगे हो चुके थे और एक लड़की को एक उँचे टेबल पर खरा 
कर उसकी झांट रहित बुर को खरे-खरे चाटने लगा दूसरी लड़की ने उसके 
लंड को मूह में लेलिया औरे उसे कभी चूसति कभी चाटती और कभी हाथ 
में लेकर सहलाती. तीसरी लड़की जो सिगरेट पी रही थी नंगी टेबल पर टिक 
कर अढ़लेटी थी ने अपने सिगरेट.को बुर मे खोस दिया जिसे दूसरे लड़के ने 
निकाल कर पिया और फिर उस लड़की को पकड़ा कर उसकी चूत चूसने लगा. फिर 
दोनो टेबल पर लेट कर 69 करने लगे अर्थात एक दूसरे की चूत और लंड 
चूसने और चाटने लगे. 

इधर हम चारों गरमा-गरम दृश्या देखा कर मस्त हो रहे थे. जीजाजी ने अपने 
ग्लास से थोड़ी सी शराब कामिनी की चून्चि ऑर गिरा कर उसे चाटने लगे. थोरी 
देर विस्की के साथ चून्चि पीने के बाद चून्चि से झलके जाम को पीने के लिए 
कामिनी को गोद से उतार कर टेबल पर बैठा दिया और बुर तक बह आए मदिरा के 
तार को चाटते-चाटते बुर की टीट को मूह में ले लिया. अब कामिनी धार बना 
कर शराब अपने पेट पर गिराने लगी जिसे जीजाजी बुर के रस के साथ मिक्स कर 
पीने लगे. देखा देखी चमेली ने मुझे कामिनी के बगल टेबल पर बैठा कर कामिनी 
की तरह शराब गिराने के लिए कहा. मैने जैसे ही थोरी सी मदिरा अपनी बुर 
पर झलकाया जीजाजी कामिनी की बुर छोड़ कर मेरी बुर की तरफ झपट परे और 
मेरी बुर की छेद से अपनी जीभ सटा दिया और बुर के रस से शराब को मिला 
कर कॉकटेल का मज़ा लेने लगे. चमेली अब कामिनी की बुर में मूह लगा कर 
शराब पीने लगी. मैं जीजाजी के बुर चाटने और दो पग पीने के बाद बहक कर 
बोली "ओ मेरे चुदक्कर राजा ज़रा ठीक से अपनी साली का मिक्स सोडा को पियो ... ओह 
राजा ज़रा जीभ को और गहराई तक पेलो... ओह अहह हाईईईई राजा ज़रा 
स्क्रीन पर देखो.. साला बहन्चोद चूत में लंड पेल रहा है ... और तुम 
भोसरी के...बिना झांट की बुर को चाट-चाट कर मेरी मुतनी को झरने पर 
मजबूर कर रहे हो..... ओह मेरे चोदु .. अब लौरे का मज़ा दो ना...."
 
मैं मेज पर पैर फैला कर लेट गयी और जीजाजी खरे-खरे मेरी बुर में लंड 
डालकर चुदाई करने लगे. वे जबारजस्ट शॉट लगा रहे थे मैं चिल्लाई " हाँ 
राजा हाँ फार दो इस साली बुर को.... राजा तुम्हारा लौरा बरा दमदार है.. क्या 
चुदाई करता है... राजा आज रात भर चुदाना है.. ओह मेरे चुदक्कर सनम 
शादी तो मेरी बहन से की है लेकिन अब मैं भी तुम्हारे लौरे की दासी बन कर 
रहूंगी.... जब भी मौका मिलेगा ये साली चूत तुम्हारे लौरे से चुदवाति 
रहेगी.... मारो राजा कश-कश कर धक्का .... फार दो बुर को .. मसल दो इन 
चूंचियो को..... ओह माइ डियर फक मी हार्ड ...फक मी..." जीजाजी सटा-सॅट लॉरा 
मेरे बुर में पेल रहे थे, तभी उनकी निगाह कामिनी की बुर गयी जो उसी मेज 
पर अढ़लेटी चमेली को अपनी बुर चटवा चटवा कर शराब पिला रही थी. 
जीजाजी अचानक मेरी बुर से लॉरा निकाल कर बगल में मेज के सहारे आढालेटी 
कामिनी के बुर में ठूंस दिया और चमेली को भी बगल में लिटा लिया. अचानक 
मेरी बुर से लंड निकाले जाने से मुझे बहुत बुरा लगा लेकिन स्क्रीन पर चल रहे 
द्रिश्य को देख कर जीजाजी की मंशा का पता चला जिसमे तीनो लड़कियो मेज पर 
झुकी थी और पहला आदमी बारी बारी से उन तीनो को चोद रहा था और दूसरा 
आदमी मेज पर लेटा अपना लॉरा चुसवा रहा था. सारा गिला-शिकवा समाप्त हो 
गया और मैं भी कामिनी के बगल मे लेट अपनी पारी का इंतजार करने लगी, कामिनी 
कि दूसरी तरफ चमेली थी. कामिनी की बुर में दस बारह बार धक्का लगाने के 
बाद चमेली की बुर में लॉरा पेल कर कयि बार धक्के लगाए फिर मेरी बारी 
आई. मैं अब तक बहुत गरम हो गयी थी मैं जीजू से बोली " जीजाजी अब मैं 
रुक नही सकती.. पहले मेरा गिरा दो फिर इन दोनो के साथ मूह काला करते 
रहना... राजा निकालना नही मैं बहुत जल्दी आ रही हूँ.... प्लीज़ जीजू ज़रा 
और ....ओह मा मैं गइईईईईईईईई आह राजा बहुत सुख मिलाआआअ. और मैं 
भालभाला कर झार गई. 

जीजाजी अभी नही झारे थे. मेरी बुर से अपने खरे लंड को निकाल कर उन्होने 
कामिनी के बुर में डाल दिया और फिर कामिनी और चमेली को बराबर चोदना शुरू 
किया. 

मैं थक गयी थी. मैने अपने लिए एक पेग बनाया और एक सिगरेट सुलगा कर 
ब्लू फिल्म देखने सोफा पेर बैठ गयी. स्क्रीन पर घमासान चुदाई का द्रिश्य 
चल रहा था. मुझे पेशाब लग रही थी पर मैं सिगरेट और विस्की 
ख़तम कर बाथरूम जाना चाह रही थी. इसी समय स्क्रीन पर दूसरा द्रिस्य 
उभरा. अब पहला युवक लेटा था और एक लड़कीने उसके उपर चढ़ कर उसके लंड 
को अपने बुर में ले लिया. उसकी गंद की छेद दिखाई पड़ रही थी, दूसरा युवक 
पास आया और अपने खरे लंड पर थूक लगा कर उसकी गंद में पेल दिया. 
तीसरे आदमी ने अपना लंड उसके मूह में लगा दिया और दूसरी लड़की उसकी 
चून्चिया एक-एक कर चूस रही थी. मैने एक दो ब्लू फिल्म देखी थी पर दुहरे 
चुदाई वाले इस द्रिश्य को देख कर मैं नशे से स्रोबोर हो गयी, वहाँ से 
हटने का मन नही हो रहा था पर पेशाब ज़ोर मार रहा था मैने पास ही रखे 
ग्लास को बुर के नीचे लगा कर उसमे पेशाब कर लिया और उसे उठा कर सोफा के 
बगल स्टूल पर रख दिया, यह सोंच कर कि जब फिल्म ख़तम होगी तो उठ कर 
बाथरूम में फेक आउन्गि. जब ग्लास को रखा तो पेसाब की बू आई, तब उस बू को 
दबाने के लिए मैने उस ग्लास में बॉटल से विस्की डाल दी और फिल्म देखने के 
साथ विस्की और सिगरेट पीती रही. इस दुहरी चुदाई को देखने के लिए मैने 
सब से कहा. 
क्रमशः......... 
 
RajSharma stories


बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--6 
गतान्क से आगे.................... 
कामिनी और चमेली जो आगे से चुदवा रही थी घूम कर टेबल पर झुक कर 
खरी हो पिक्चर देखने लगी और जीजाजी उन दोनो को बारी-बारी से डोगी स्टाइल 
में चोदने लगे. कामिनी के बाद वे चमेली के पीछे आ कर जब उसकी बुर 
चोद रहे थे तब एक बार उनका लंड चमेली की बुर से बाहर निकल आया और 
उसकी गंद की छेद पर टिक गया. जीजाजी ने चुदाई की धुन में धक्का मारा तो 
बुर के रस से सने होने के कारण चमेली की गंद में घुस गया. चमेली दर्द से 
कराह उठी और बोली "जीजाजी पिक्चर देख कर गंद मारने का मन हो आया क्या? अब 
जब घुसा दिया है तो मार लो, आपकी ख़ुसी के लिए दर्द सह लूँगी" फिर क्या था 
जीजाजी शेर हो गये और हचा-हच उसकी गंद मारने लगे. कामिनी बोली, "जीजाजी 
इसकी गंद जम कर मारना सुना है इसने आपकी गंद चून्चि से मारी थी" "क्या 
दीदी! चून्चि से जीजाजी की गंद तो सुधा दीदी ने मारी थी और फँसा रही हैं 
मुझे" अब जीजा जी का ध्यान कामिनी की तरफ गया. चमेली की गंद से लंड निकाल 
कर वे कामिनी के पीछे आए. कामिनी समझ गयी अब उसके गंद की खैर नही पर 
बचने के लिए बोली, "जीजाजी मैने कभी गंद नही मराई है, अभी रहने 
दीजिए, जब एक लंड का इंतज़ाम और हो जाएगा तो दोहरे मज़े के लिए गंद भी 
मरवा लूँगी". पर जीजाजी कहाँ मानने वाले उन्होने कामिनी की गंद की छेद पर 
लंड लगाया और एक जबारजस्ट शॉट लगाया और लंड गंद के अंदर दनदनाता हुआ 
घुस गया. कामिनी चीख उठी, "उईइ मा! बरा दर्द हो रहा है निकालिए अपने 
घोरे जैसे लंड को" 

इस पर चमेली ब्यंग करती हुए बोली, "जब दूसरे में गया तो भूस में गया 
जब अपनी में गया तो उई दैया" मैं खिलखिला कर हंस पड़ी. 

कामिनी गुस्से में मुझसे बोली, "साली, छिनार रंडी मेरी गंद फट गयी और 
तुझे मज़ा आ रहा है, जीजा जी की गंद तूने मारी और गंद की धज्जी उड़वा दी 
मेरी, रूको! बुर्चोदि, गन्दू, लौंडेबाज, तुम्हारी भी गंद जब फाडी जाएगी तो 
मैं ताली पीट-पीट कर हँसूगी... प्लीज़ जीजाजी ....बहुत आहिस्ते आहिस्ते मारिए 
....दर्द हो रहा है" धीरे धीरे कामिनी का दर्द कम हुआ और अब उसे गंद 
मरवाने में अच्छा लगने लगा "जीजाजी अब ठीक है मार लो गंद....तुम भी क्या 
याद रखो गे कि किसी साली की अन्छुइ गंद मारी थी" 

उसको इस प्रकार गंद मारने का आनंद लेते देख मेरा भी मन गंद मारने का हो 
आया, पर मैने सोचा कभी बाद में मरवाउंगी अभी नशे में जीजाजी गंद का 
कबाड़ा कर देंगे और अभी जीजाजी इतना सम्हाल भी नही पाएँगे.और यही हुआ 
कामिनी की सकरी गंद ने उन्हे झड़ने के लिए मजबूर कर दिया और वे कामिनी की 
गंद में झार कर वही सोफे पर ढेर हो गये. 

अब स्क्रीन पर दूसर द्रिश्य था, दोनो लरकियाँ उन तीनो आदमियॉंके लंड को मूठ 
मार्कर मुँह से चूस कर उनका वीर्य निकालने का उद्यम कर रही थी. उन तीनो के 
लंड से पानी निकला जिसे वो अपने मूह में लेने की कोशिस कर रही थी. वीर्य 
से उन दोनो का मूह भर गया जिसे उन दोनो ने घुटक लिया. ब्लू फिल्म समाप्त हुई 
कामिनी टीवी बंद कर बोली, "चलो अब खाना लगा दिया जाई बड़ी ज़ोर की भूख लगी 
है" 

तैयार खाने में आवश्यक सब्जियों को चमेली नीचे से गरम कर लाई और तब 
तक मैं और कामिनी ने मिल कर टेबल लगा दिया खाना प्लेट में निकालना भर 
बाकी था तभी जीजाजी की आवाज़ आई, "आरे कामिनी! इस ग्लास में किस ब्रांड की 
विस्की थी? बरी अच्छी थी, एक पेग और बना दो इसका, ऐसी स्वदिस्त विस्की मैने 
कभी नही पी. मैने उधर देखा और अपना सर पीट लिया. जीजाजी ग्लास में 
रखे मूत (पी) को शराब समझ कर गटक चुके थे और दूसरे ग्लास की माँग 
कर रहे थे. शायद चमेली ने मुझे ग्लास में मूतते देख लिया था, उसने 
कहा "दीदी मुझे लगी है मैं जीजाजी के ब्रांड को तैयार करती हूँ" वह एक 
ग्लास लेकर शराब वाली अलमारी तक गयी और एक लार्ज पेग ग्लास में डाल कर 
अलमारी के पल्ले की ओट कर अपनी मूत से ग्लास भर दिया. कामिनी यह देख गुस्सा 
करती मैं उसे खिच कर एक ओर ले गयी और उसे सब कुच्छ बता दिया. मैं बोली 
"दीदी! क्या करती इज़्ज़त का सवाल था. अपना बचा कर रखना दुबारा फिर ना 
माँग बैठे. वह मस्कराई और बोली, " तुम दोनो बहुत पाजी हो" 
 
चमेली ने जीजाजी को ग्लास पकड़ा दिया जिसे वे बड़े चाव से सिगरेट सुलगा कर 
सीप करने लगे. चमेली उनके पास खरी थी उनके मूह से सिगरेट निकाल कर 
एक गहरा कश लगाया और उसे अपनी बुर से च्छुआ कर फिर से उनके मूह में लगा 
दिया. जीजाजी नेउसके ओठो पर अपनी मदिरा का ग्लास लगा दिया. उसने बड़ी अज़ीजी 
से हम दोनो की तरफ देखा और फिर उसने उस ग्लास से एक शिप लिया और हमलोगो 
के पास भाग आई. कामिनी ने उसकी चून्चि दबाते हुए कहा, "फँस गयी ना 
बच्चू" वाह बोली, "दीदी! प्यार के साथ चुदाई में यह सब चलता है, यह तो 
मिक्स सोडा था लोग तो सीधे मूह में मुतवाते हैं" "आरे तू तो बरी एक्सपीरियेन्स्ड 
है" कामिनी बोली. चमेली कहाँ चूकने वाली थी बोली, "हाँ दीदी, यह सब 
आपलोगों की बदओलत हुआ है" बात बिगरते देख मैं बोली, "चमेली तू फालतू 
बहुत बोलती है. अब जा चुदक्कर जीजू को खाने की टेबल पर ले आ". "उन्हे गोद 
में उठा कर लाना है क्या" वह बोली. "नही! अपनी बुर में घुसेड कर ले आ" 
मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली. चमेली जीजाजी के पास जाकर बोली, "हुजूर! अब 
स्पेकाल ड्रिंक नही है, जितना बचा है उसे ख़तम कर खाने की मेज पर चलें" 
फिर जीजाजी के लौरे को सहलाते हुए बोली, " शुधा दीदी ने कहा है बुर में 
घुसा कर लाना" उसने जीजाजी को खरा कर उनके लौरे को मूह में ले लिया जीजाजी 
का लॉरा एकदम तन गया. फिर उनके गले में बाँहे डाल कर तथा उनके कमर को 
अपने पैरो में फसा कर उनके कंधे पर झूल गयी और जीजाजी ने उसके 
चूतर के नीचे हाथ लगा कर अपने लंड को अडजेस्ट कर उसकी बुर में घुसा 
दिया. आब जीजू से कामिनी बोली, " हाँ! आब ठीक है इसी तरह खाने की मेज तक 
चलिए" जीजाजी उसे गोद में उठाए खाने के टेबल तक आए. चमेली बोली, 
"देखो दीदी! जीजाजी मेरी बुर में घुस कर यहाँ तक आए हैं" उसकी चालाकी 
भरी इस करतूत को देख कर हम दोनो हंस परे. 

जीजाजी खाने की बरी मेज के खाली जगह पर उसके चूतर को टीका कर उसकी बुर 
को चोदने लगे. चमेली घबरा कर बोली, "आरे जीजाजी यह क्या करने लगे 
खाना लग गया है" "तूने मेरे लंड को ताओ क्यो दिलाया. अब तो तेरी चूत का बाजा 
बजा कर ही छोड़ूँगा ले साली सम्हाल, अपनी बुर को भोसरा बनने से बचा... 
तेरी बुर को फार कर ही दम लूँगा...". चुदाई के धक्के से मेज हिल रही थी. 
मैं यह सोंच रही थी कि मज़ाक में जीजाजी चमेली को चिढ़ाने के लिए चोद 
रहे हैं, अभी चोदना बंद कर देंगे, लेकिन जब जीजाजी नशे के शुरूर में 
बहकने लगे "साली! तूने मेरे लंड को खरा क्यो किया.... आब तो तेरी बुर फार 
कर रख दूँगा ..... ले .... ले .... अपनी बुर में लौरे को ... उस समय नही 
झारी थी आब तुझे चार बार झरुन्गा..." कामिनी धीरे से बोली "लगता है 
चढ़ गयी है" मैने जीजाजी को समझाते हुए कहा, "जीजाजी इस साली की बुर को 
चोद-चोद कर भूरता बना दीजिए.... उस समय झरी नही थी तभी तल्ख़ हो 
रही थी.... इस साली को पलंग पर ले जाइए और चोद-चोद कर कचूमर निकाल 
दीजिए. यहाँ मेज पर लगा समान खराब हो जाएगा" जीजाजी बरे मूड में थे 
बोले "ठीक है इस साली को पलंग पर चोदुन्गा..... इस मेरे लंड को खरा 
क्यो किया.... चल साली पलंग पर तेरी बुर की कचूमर निकालता हूँ" जीजाजी उस 
नंगी को पलंग तक उठा कर लाए. चमेली खुस नज़र आ रही थी और जीजाजी से 
सहयोग कर रही थी, कहीं कोई विरोध नही. जीजाजी चमेली को पलंग पर लिटा 
कर उसपर चढ़ गये और उसकी बुर में घचा-घच लंड पेल कर उसे चोदने 
लगे. हम सभी समझ गये कि जीजाजी मूड में हैं और बिना झरे वे चुदाई 
छ्होरने वाले नही हैं. 

जीजाजी उसकी चूत में अपने लंड से कस-कस कर धक्का मार रहे थे और 
समूचा लौरा चमेली की चूत में अंदर बाहर हो रहा था. वे दना-दान शॉट 
पर शॉट लगाए जा रहे थे और चमेली भी चुदासी अओरत की तरह नीचे से 
बराबर साथ दे रही थी. वह दुनिया जहाँ की ख़ुसी इसी समय पा लेना चाह रही 
थी. कामिनी इस घमासान चुदाईको देख कर मुझसे लिपट कर धीरे से बोली, " हाई 
रानी! लगता है यह नुक्सा अमेरिकन वियाग्रा से ज़्यादा एफेक्टिव है, चल आज 
उसकी ताक़त देख लिया जाइ" उसने जीजाजी के पास जाकर उनके बाल को पकड़ कर सिर 
उठाया और उनका मूह अपनी चूत पर लगा दी जिसे चाट-चाट कर चमेली की 
चूत में धक्का लगा रहे थे. इधर मैं पीछे से जाकर चमेली की चूत 
पर धक्का मार रहे जीजाजी के लंड और पेल्हरे (टेस्टिकल) से खेलने लगी. 
जीजाजी का लंड चमेली की चूत में गपा-गॅप अंदर बाहर हो रहा था और उनके 
पेल्हरे के अंडे चमेली के चूतर पर ठप दे रहे थे. बरा सुहाना मंज़र था. 
चमेली अभी मैदान में डटी थी और नीचे से चूतर हिला हिला कर जीजाजी के 
लंड को अपनी बुर में लील रही थी और बर्बरती जा रही थी, "चोदो मेरे 
राजा...... चोदो.....बहुत अच्छा लग रहा है...पेलो .. पेलो .... और पेलूऊऊओ 
....ऊऊओह माआअ जीजाजी मेरी बुर चुदवाने के लिए बहुत बेचैन थी.... 
बहुत अच्छा हुआ जो आपका लौरा मेरी बुर फाड़ने को फिर से तैयार हो 
गया...ऊओह आआहह.... ओह राजा लगता है अपने से पहले मुझे खलास कर 
दोगे... देखो ना! कैसे दो बुर मूह बाए इस घोरे जैसे लंड को गपकने के लिए 
आगे पिछे हो रही हैं.... जीजाजी आज इन मुतनियों को को भोसरा ज़रूर बना 
देना"
 
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