hotaks444
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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दोस्तों आज आपके लिए एक नयी कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ. लेकिन अपडेट जल्दी जल्दी नहीं दे पाऊँगा इसके लिए पहले ही माफ़ी मांग लेता हूँ...
मेरा नाम मनीश है और मैं लखनऊ में रहता हूँ. मैं १२वी क्लास में पढता हूँ. मेरे घर पर मेरे पापा मम्मी और मेरी बड़ी बहन रश्मि है. मेरे मम्मी पापा दोनों नौकरी करते है और मेरी बहन ग्रेजुएशन सेकंड इयर में पढ़ रही है. जहा हमारा घर है वो एरिया अभी नया बसा है. वह अभी ज्यादा मकान नहीं है. जब हम यहाँ आये थे तब हमारी लाइन में सिर्फ हमारा ही घर बना था. धीरे धीरे और घर बन गए सामने भी काफी घर बन गए पर हमारे पड़ोस में कोई नहीं आया. पर पिछले साल हमारे बगल में भी एक नया मकान बन गया था और उसमे एक फॅमिली भी आकर रहने लगी थी. पापा उनसे मिलने गए और लौट कर उन्होंने मम्मी को बताया की अच्छे लोग है. उनके घर में भी 4 लोग ही थे. अंकल एक सरकारी नौकर थे और आंटी घर पर ही रहती थी. उनका बड़ा लड़का मयंक मेरे ही कॉलेज में पड़ता था और उनकी छोटी बेटी रुची ११वी क्लास में पढ़ रही थी. मम्मी ने कहा चलो अच्छा है की कम से कम कोई पडोसी तो आये. पापा ने कहा एक और अच्छी बात है उन्होंने अपने घर में जो दुकान बनवाई है वो भी जल्दी खुल जाएगी. अभी मेरे सामने ही एक लड़का किराये की बात पक्की करके गया है. फिर पापा ने मुझसे कहा की कल कॉलेज जाते समय मयंक को अपने साथ ले जाना क्योंकि वो कह रहा था की उसको यहाँ का बस रूट अभी पता नही है. इस बातचीत में मेरे लिए दो ख़ुशी की बाते थी. एक तो मेरा कॉलेज सिर्फ लडको का कॉलेज है और मेरे मोहल्ले में भी ज्यादा लडकिया नहीं थी इसीलिए मैं रुची की खबर से थोडा खुश हुआ क्योंकि जब से मैंने मस्तराम पढना शुरू किया था बस एक ही सपना था की कैसे भी किसी लौंडिया की मिल जाए. और दूसरा मुझे घर का सामान लेने काफी दूर जाना पड़ता था अगर बगल में दुकान खुलेगी तो मुझे ज्यादा दौड़ना नहीं पड़ेगा.[/font]
अगले दिन मैं तैयार होकर कॉलेज के लिए निकला और उनके घर जाकर बेल बजायी. आंटी ने दरवाजा खोला तो मैंने देखा की वो एक ३८-४० साल की काफी खूबसूरत महिला थी. रंग एक दम दूध जैसा. लम्बे काले बाल. गुलाबी रंग की साढ़ी में वो बहुत कमाल लग रही थी. मैंने उन्हें बताया की मैं बगल के घर में रहता हूँ और मयंक को साथ ले जाने के लिए आया हूँ. उन्होंने कहा की मयंक तैयार हो रहा है. ५ मिनट वेट कर लो मैं भेजती हूँ. और वो अन्दर चली गयी. मैंने सोचा की जब माँ ही ऐसा माल है तो बेटी तो और भी कमाल होगी. उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था और तभी मैंने पहली बार रुची को देखा. वो शायद नहाकर अपने रूम में जा रही थी. एक झलक में ही उसने मुझे पागल कर दिया. ख़ूबसूरत तो वो थी ही पर उसका कटीला बदन और भी क़यामत था. उसकी लचकती कमर का तो मैं उसी दिन से दीवाना हो गया. मैं उसके ख्यालों में खोया था की तभी एक लड़का बाहर निकला और मुझसे हाथ मिलाता हुआ बोला की मैं ही मयंक हूँ. मैंने उसे गौर से देखा. स्मार्ट लड़का था. शायद जिम भी जाता होगा क्योंकि उसकी बॉडी काफी फिट थी पर उम्र में वो मुझे थोडा बड़ा लग रहा था. मैं बोला चलो वरना कॉलेज में देर हो जाएगी और हम दोनों बस स्टैंड के लिए चल दिए. अब तो हमारा यही रूटीन था. मयंक अलग सेक्शन में था और मैं अलग सेक्शन में पर हम दोनों साथ ही कॉलेज जाते तो कुछ ही दिनों में हमारी अच्छी दोस्ती हो गयी. तभी मुझे पता चला की मयंक मुझसे 2 साल बड़ा है और एक साल बीमार होने के कारण और एक बार फेल होने की वजह से उसके दो साल ख़राब हो गए और वो मेरी ही तरह १२वी क्लास में पढ़ रहा है. मुझे ये भी पता चला की ये दोनों आंटी अंकल के अपने बच्चे नहीं है बल्कि आंटी की बड़ी बहन के बच्चे है. एक एक्सीडेंट में आंटी की बड़ी बहन और जीजा की मौत हो गयी थी और इनके अपने कोई बच्चे नहीं थे इसीलिए आंटी ने इन दोनों को गोद ले लिया था. मयंक पढने में थोडा कमजोर था तो वो कॉलेज के बाद सीधा कोचिंग पढने चला जाता था और मैं अकेले घर लौट आता था. रुची की मेरी दीदी से अच्छी दोस्ती हो गयी थी और वो अक्सर दीदी से मिलने घर भी आती थी लेकिन रुची से मेरी दोस्ती तो दूर जान पहचान भी नहीं हो पाई थी. इसका एक कारण तो ये था की हमारे कॉलेज और रुची के कॉलेज का टाइम अलग अलग था. हम सुबह ८ से १२ कॉलेज जाते और १ बजे तक घर वापस आ जाते जबकि रुची १० बजे कॉलेज जाती और ४ बजे लौट कर आती थी. दीदी कॉलेज से शाम को ५ बजे तक आती थी और उसी टाइम मैं कोचिंग चला जाता था और ९ बजे तक लौटता था. रुची दीदी से मिलने ५ और ९ के बीच ही आती थी जब मैं घर पर नहीं होता था. मैंने सोचा की कुछ ही दिन में पेपर हो जायेंगे फिर छुट्टियों में २ महीने मैं घर पर ही रहूँगा. रुची वाला प्रोजेक्ट तभी पूरा किया जायेगा.
मेरा नाम मनीश है और मैं लखनऊ में रहता हूँ. मैं १२वी क्लास में पढता हूँ. मेरे घर पर मेरे पापा मम्मी और मेरी बड़ी बहन रश्मि है. मेरे मम्मी पापा दोनों नौकरी करते है और मेरी बहन ग्रेजुएशन सेकंड इयर में पढ़ रही है. जहा हमारा घर है वो एरिया अभी नया बसा है. वह अभी ज्यादा मकान नहीं है. जब हम यहाँ आये थे तब हमारी लाइन में सिर्फ हमारा ही घर बना था. धीरे धीरे और घर बन गए सामने भी काफी घर बन गए पर हमारे पड़ोस में कोई नहीं आया. पर पिछले साल हमारे बगल में भी एक नया मकान बन गया था और उसमे एक फॅमिली भी आकर रहने लगी थी. पापा उनसे मिलने गए और लौट कर उन्होंने मम्मी को बताया की अच्छे लोग है. उनके घर में भी 4 लोग ही थे. अंकल एक सरकारी नौकर थे और आंटी घर पर ही रहती थी. उनका बड़ा लड़का मयंक मेरे ही कॉलेज में पड़ता था और उनकी छोटी बेटी रुची ११वी क्लास में पढ़ रही थी. मम्मी ने कहा चलो अच्छा है की कम से कम कोई पडोसी तो आये. पापा ने कहा एक और अच्छी बात है उन्होंने अपने घर में जो दुकान बनवाई है वो भी जल्दी खुल जाएगी. अभी मेरे सामने ही एक लड़का किराये की बात पक्की करके गया है. फिर पापा ने मुझसे कहा की कल कॉलेज जाते समय मयंक को अपने साथ ले जाना क्योंकि वो कह रहा था की उसको यहाँ का बस रूट अभी पता नही है. इस बातचीत में मेरे लिए दो ख़ुशी की बाते थी. एक तो मेरा कॉलेज सिर्फ लडको का कॉलेज है और मेरे मोहल्ले में भी ज्यादा लडकिया नहीं थी इसीलिए मैं रुची की खबर से थोडा खुश हुआ क्योंकि जब से मैंने मस्तराम पढना शुरू किया था बस एक ही सपना था की कैसे भी किसी लौंडिया की मिल जाए. और दूसरा मुझे घर का सामान लेने काफी दूर जाना पड़ता था अगर बगल में दुकान खुलेगी तो मुझे ज्यादा दौड़ना नहीं पड़ेगा.[/font]
अगले दिन मैं तैयार होकर कॉलेज के लिए निकला और उनके घर जाकर बेल बजायी. आंटी ने दरवाजा खोला तो मैंने देखा की वो एक ३८-४० साल की काफी खूबसूरत महिला थी. रंग एक दम दूध जैसा. लम्बे काले बाल. गुलाबी रंग की साढ़ी में वो बहुत कमाल लग रही थी. मैंने उन्हें बताया की मैं बगल के घर में रहता हूँ और मयंक को साथ ले जाने के लिए आया हूँ. उन्होंने कहा की मयंक तैयार हो रहा है. ५ मिनट वेट कर लो मैं भेजती हूँ. और वो अन्दर चली गयी. मैंने सोचा की जब माँ ही ऐसा माल है तो बेटी तो और भी कमाल होगी. उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था और तभी मैंने पहली बार रुची को देखा. वो शायद नहाकर अपने रूम में जा रही थी. एक झलक में ही उसने मुझे पागल कर दिया. ख़ूबसूरत तो वो थी ही पर उसका कटीला बदन और भी क़यामत था. उसकी लचकती कमर का तो मैं उसी दिन से दीवाना हो गया. मैं उसके ख्यालों में खोया था की तभी एक लड़का बाहर निकला और मुझसे हाथ मिलाता हुआ बोला की मैं ही मयंक हूँ. मैंने उसे गौर से देखा. स्मार्ट लड़का था. शायद जिम भी जाता होगा क्योंकि उसकी बॉडी काफी फिट थी पर उम्र में वो मुझे थोडा बड़ा लग रहा था. मैं बोला चलो वरना कॉलेज में देर हो जाएगी और हम दोनों बस स्टैंड के लिए चल दिए. अब तो हमारा यही रूटीन था. मयंक अलग सेक्शन में था और मैं अलग सेक्शन में पर हम दोनों साथ ही कॉलेज जाते तो कुछ ही दिनों में हमारी अच्छी दोस्ती हो गयी. तभी मुझे पता चला की मयंक मुझसे 2 साल बड़ा है और एक साल बीमार होने के कारण और एक बार फेल होने की वजह से उसके दो साल ख़राब हो गए और वो मेरी ही तरह १२वी क्लास में पढ़ रहा है. मुझे ये भी पता चला की ये दोनों आंटी अंकल के अपने बच्चे नहीं है बल्कि आंटी की बड़ी बहन के बच्चे है. एक एक्सीडेंट में आंटी की बड़ी बहन और जीजा की मौत हो गयी थी और इनके अपने कोई बच्चे नहीं थे इसीलिए आंटी ने इन दोनों को गोद ले लिया था. मयंक पढने में थोडा कमजोर था तो वो कॉलेज के बाद सीधा कोचिंग पढने चला जाता था और मैं अकेले घर लौट आता था. रुची की मेरी दीदी से अच्छी दोस्ती हो गयी थी और वो अक्सर दीदी से मिलने घर भी आती थी लेकिन रुची से मेरी दोस्ती तो दूर जान पहचान भी नहीं हो पाई थी. इसका एक कारण तो ये था की हमारे कॉलेज और रुची के कॉलेज का टाइम अलग अलग था. हम सुबह ८ से १२ कॉलेज जाते और १ बजे तक घर वापस आ जाते जबकि रुची १० बजे कॉलेज जाती और ४ बजे लौट कर आती थी. दीदी कॉलेज से शाम को ५ बजे तक आती थी और उसी टाइम मैं कोचिंग चला जाता था और ९ बजे तक लौटता था. रुची दीदी से मिलने ५ और ९ के बीच ही आती थी जब मैं घर पर नहीं होता था. मैंने सोचा की कुछ ही दिन में पेपर हो जायेंगे फिर छुट्टियों में २ महीने मैं घर पर ही रहूँगा. रुची वाला प्रोजेक्ट तभी पूरा किया जायेगा.