hotaks444
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मयंक बोला "सॉरी बहना. बहुत दिनों बाद तुम्हे नंगा देखा तो रहा नहीं गया." और वापस रुची को चोदने लगा. मैं उन दोनों भाई बहन की चुदाई देख कर मस्त हुआ जा रहा था. अचानक मुझे रश्मि दीदी की याद आई. मैंने मयंक से पुछा की दीदी कहाँ है. वो चुदाई करते करते बोला "वो थक कर सो गयी तो मैंने जगाया नहीं." मैं अपने कमरे से निकल कर दीदी के रूम में चला आया. डोर तो मयंक खोल ही चूका था. दीदी पूरी नंगी बेड पर पड़ी सो रही थी. मैं भी पूरा नंगा था और जाकर रश्मि दीदी के बगल मे बैठ गया और गौर से उनके नंगे बदन को देखने लगा. रुची और आंटी का बदन दीदी के बदन के आगे कुछ नहीं है मेरे दिल से आवाज उठी. मुझे सबसे प्यारी तो दीदी की चुंचिया ही लगती है एक दम तोतापरी आमों जैसे. मैंने दीदी की चूत को भी ध्यान से देखा. मयंक का मोटा तगड़ा लंड लेकर दीदी की चूत थोड़ी खुल गयी थी और बहुत प्यारी लग रही थी. मन तो कर रहा था की इसे खा जाऊं पर मैं वापस दीदी की चुचियों की तरफ आया और धीरे से एक हाथ दीदी की नर्म चूंची पर रख दिया. उफ्फ्फ क्या एहसास था. दीदी सोती ही रही तो मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने दीदी की चूंची को मुह में ले लिया और चूसने लगा. दीदी बिना आँख खोले नींद में ही बोली "अब रहने भी दो मयंक बहुत थक गयी हूँ" और मैं भी चुपचाप वहा से उठा और वापस आ गया.
[size=large]मेरा लंड दीदी के नंगे बदन को देख कर फिर से खड़ा हो गया था. जब मैं वापस कमरे में आया तो देखा की मयंक अब रुची को पलटा कर उसकी गांड मारने की कोशिश कर रहा था और रुची मना कर रही थी. मयंक ने मुझे देख कर बोला "देखो ना यार. तुमसे गांड मरवा ली और मुझे मना कर रही है". रुची बोली "अरे मनीष के लंड ने ही मेरी गांड फाड़ दी है और तुम्हारा तो उससे भी बड़ा है. न बाबा न. तुमसे मैं गांड नहीं मरवाऊंगी" मैंने मयंक को समझाते हुए कहा "यार ये कहा भागी जा रही है. फिर किसी दिन ले लेना. अब देखो न कितनी बार चुद चुकी है लेकिन अभी भी इसको चुदने में दर्द होता है. ऊपर बैठ कर तो लंड ले ही नहीं पाई". "अच्छा. वो तो बहस आसान है. कुछ गलत कर रहे होगे तुम लोग. दिखाओ तो कैसे कर रहे थे." मयंक ने मुझे आँख मार कर कहा. मैंने कहा "अभी दिखाता हूँ" और बेड पर लेट गया. लंड तो मेरा पहले ही दीदी को देख कर खड़ा था तो मैंने रुची को लंड चूत में लेकर मेरे ऊपर बैठने को कहा. रुची लंड लेकर बैठी तो दर्द से कराह उठी. अचानक मयंक रुची के पीछे से आया और बोला की जब ऐसे में दर्द हो तो आगे झुक कर सामने वाले को चूमना चाहिए और उसने रुची को धक्का देकर मेरे ऊपर झुका दिया. रुची मुझे किस करने लगी तो मयंक ने मुझे इशारा किया की मैं उसे अपनी बाँहों में भर लूं. मैंने वैसा ही किया और मयंक बेड पर चढ़ कर मेरी दोनों टांगो के बीच बैठ गया.
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[size=large]मैं समझ गया की क्या होने वाला है तो मैंने रुची के होठो को जोर से दबा दिया और उसको कस के पकड़ लिया. पीछे से मयंक ने अपना लौड़ा क्रीम लगा कर रुची की गांड के छेद में ठूस दिया. पता नहीं कितना लंड अन्दर गया पर रुची की आँखे निकल कर बाहर आ गयी. मयंक ने एक झटका और मारा और रुची की आँख से आंसू निकल कर मेरे चेहरे पर टपक गए. वो चीखना चाहती थी पर मैंने उसके होठ जकड़े हुए थे. आखिर में मयंक ने एक धक्का और मार कर अपना लंड पूरा जड़ तक रुची की गांड में ठूस दिया और अब आगे पीछे करने लगा. मुझे अपने लंड पर उसका लंड रगड़ खाता साफ़ महसूस हो रहा था. आज का दिन तो वाकई कमाल था. न सिर्फ आज मैंने रुची को चोदा, उसकी गांड का उद्घाटन भी किया. दीदी की चूंची भी मैंने आज ही चूसी और आज ही अपनी जिंदगी का पहला थ्रीसम कर रहा था.
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[size=large]मेरा लंड दीदी के नंगे बदन को देख कर फिर से खड़ा हो गया था. जब मैं वापस कमरे में आया तो देखा की मयंक अब रुची को पलटा कर उसकी गांड मारने की कोशिश कर रहा था और रुची मना कर रही थी. मयंक ने मुझे देख कर बोला "देखो ना यार. तुमसे गांड मरवा ली और मुझे मना कर रही है". रुची बोली "अरे मनीष के लंड ने ही मेरी गांड फाड़ दी है और तुम्हारा तो उससे भी बड़ा है. न बाबा न. तुमसे मैं गांड नहीं मरवाऊंगी" मैंने मयंक को समझाते हुए कहा "यार ये कहा भागी जा रही है. फिर किसी दिन ले लेना. अब देखो न कितनी बार चुद चुकी है लेकिन अभी भी इसको चुदने में दर्द होता है. ऊपर बैठ कर तो लंड ले ही नहीं पाई". "अच्छा. वो तो बहस आसान है. कुछ गलत कर रहे होगे तुम लोग. दिखाओ तो कैसे कर रहे थे." मयंक ने मुझे आँख मार कर कहा. मैंने कहा "अभी दिखाता हूँ" और बेड पर लेट गया. लंड तो मेरा पहले ही दीदी को देख कर खड़ा था तो मैंने रुची को लंड चूत में लेकर मेरे ऊपर बैठने को कहा. रुची लंड लेकर बैठी तो दर्द से कराह उठी. अचानक मयंक रुची के पीछे से आया और बोला की जब ऐसे में दर्द हो तो आगे झुक कर सामने वाले को चूमना चाहिए और उसने रुची को धक्का देकर मेरे ऊपर झुका दिया. रुची मुझे किस करने लगी तो मयंक ने मुझे इशारा किया की मैं उसे अपनी बाँहों में भर लूं. मैंने वैसा ही किया और मयंक बेड पर चढ़ कर मेरी दोनों टांगो के बीच बैठ गया.
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[size=large]मैं समझ गया की क्या होने वाला है तो मैंने रुची के होठो को जोर से दबा दिया और उसको कस के पकड़ लिया. पीछे से मयंक ने अपना लौड़ा क्रीम लगा कर रुची की गांड के छेद में ठूस दिया. पता नहीं कितना लंड अन्दर गया पर रुची की आँखे निकल कर बाहर आ गयी. मयंक ने एक झटका और मारा और रुची की आँख से आंसू निकल कर मेरे चेहरे पर टपक गए. वो चीखना चाहती थी पर मैंने उसके होठ जकड़े हुए थे. आखिर में मयंक ने एक धक्का और मार कर अपना लंड पूरा जड़ तक रुची की गांड में ठूस दिया और अब आगे पीछे करने लगा. मुझे अपने लंड पर उसका लंड रगड़ खाता साफ़ महसूस हो रहा था. आज का दिन तो वाकई कमाल था. न सिर्फ आज मैंने रुची को चोदा, उसकी गांड का उद्घाटन भी किया. दीदी की चूंची भी मैंने आज ही चूसी और आज ही अपनी जिंदगी का पहला थ्रीसम कर रहा था.
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