hotaks444
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और मुझे लेकर बेडरूम में आ गयी. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की ये सच है या सपना. ये और बात है की मैं इस घडी का दिन रात सपना देखता था लेकिन मन के किसी कोने में मैं जानता था की ये होना संभव नहीं है. पर तभी आंटी ने मेरा लंड कर दबा दिया तो मैं हकीकत की दुनिया में आ गया. आंटी बोली "लगता तो बच्चे जैसा ही है."
मैंने कहा "अभी तो बाहर से देखा है."
फिर आंटी धीरे से अपना हाथ मेरे कपड़ो के अंदर डाल कर लण्ड को सहलाने लगी. मैंने कभी कुछ किया तो था नहीं बस देखा ही था ओम को करते हुए. मैंने ओम जैसा ही आंटी को किस करने की कोशिश की पर आंटी ने मुझे रोक दिया. फिर भी मैंने भी उनके शरीर को इधर उधर छूना शुरू कर दिया. उनके शरीर से साबुन की भीनी भीनी सुगंध आ रही थी और उनका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था. इन दोनों बातों का असर जल्द ही मेरे लंड पर दिखने लगा और लंड पूरा खड़ा हो गया. अब मैं वासना से मस्त होकर आंटी के मम्मे दबाने लगा.
आंटी ने हाथ बाहर निकाला और अपने ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसे उतर दिया और वापस मेरे लण्ड के साथ खेलने में मस्त हो गयी. मैंने उनके मम्मे को ब्रा से बाहर निकल कर नंगा कर दिया और उससे खेलने लगा. मेरा एक हाथ उनके मम्मे पर और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के ऊपर से उनकी चूत रगड़ रहा था. अचानक आंटी रुकी और उन्होंने मेरे सारे कपडे उतार दिए. फिर उन्होंने अपनी साड़ी भी उतार दी. अब हम दोनों लगभग पूरे नंगे थे सिर्फ आंटी की ब्रा उनके कंधो पर लटक रही थी. उसको उतारने का शुभ काम मैंने किया और उनके एक मम्मे को मुँह में ले कर कस कर चूसने लगा. इतने में आंटी की सिसकारियाँ शुरू हो गई. आंटी भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी. फिर आंटी ने मेरा लंड ध्यान से देखा और बोली, "हम्म्म. इतना बच्चा भी नहीं रहा तू. तेरे अंकल से तो बड़ा ही है. अच्छा है.
[size=large]मैंने धीरे से पूछा. "क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ?"
[/size]
तो वो बोली "अब पूछ मत जो मन करे वो कर."
मैंने धीरे से आंटी की चुत को छुआ. उनकी चूत गीली थी और झांटे तो उन्होंने अभी आधे घंटे पहले ही साफ़ की थी. मैंने ओम जैसा करता था वैसे ही अपनी जीभ उनकी चूत पर लगाई तो उन्हें तो जैसे करंट लग गया हो. उन्होंने एक जोर का झटका लिया और मैं उनकी चूत का स्वाद लेने लगा. उन्होंने कहा दाने को चाटो दाने को. मैं दाने को चाटने की जगह हल्का सा काट बैठा. वह कसमसा कर बोली "उफ्फ्फ. जान लोगे क्या" और तेज तेज सिसकारियाँ लेने लगी. मैं अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा, उनकी सिसकारियाँ और तेज होती गई और 2 मिनट के बाद आंटी झड़ गई.
एक मिनट आंटी वैसे ही पड़ी रही फिर बोली, "ला. तेरा भी चूस देती हूँ." मैंने अपना लण्ड आंटी के मुँह के पास ले गया और आंटी उसे चूसने लगी. मुझे तो लगा की मैं तो जैसे जन्नत में पहुच गया.
आंटी कस कस कर मेरे लंड को चूस रही थी. मैं भी अब थोडा निश्चिन्त होकर उनके मम्मों को कस कस कर दबा रहा था. बीच बीच में उनके निप्पल भी नोच रहा था. जब मैं उनके निप्पल नोचता तब वो वो मेरे लंड पर अपने दांत गडा देती. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
[size=large]कुछ देर के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैं आंटी से बोला "मेरा निकलने वाला है"[/size]
मैंने कहा "अभी तो बाहर से देखा है."
फिर आंटी धीरे से अपना हाथ मेरे कपड़ो के अंदर डाल कर लण्ड को सहलाने लगी. मैंने कभी कुछ किया तो था नहीं बस देखा ही था ओम को करते हुए. मैंने ओम जैसा ही आंटी को किस करने की कोशिश की पर आंटी ने मुझे रोक दिया. फिर भी मैंने भी उनके शरीर को इधर उधर छूना शुरू कर दिया. उनके शरीर से साबुन की भीनी भीनी सुगंध आ रही थी और उनका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था. इन दोनों बातों का असर जल्द ही मेरे लंड पर दिखने लगा और लंड पूरा खड़ा हो गया. अब मैं वासना से मस्त होकर आंटी के मम्मे दबाने लगा.
आंटी ने हाथ बाहर निकाला और अपने ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसे उतर दिया और वापस मेरे लण्ड के साथ खेलने में मस्त हो गयी. मैंने उनके मम्मे को ब्रा से बाहर निकल कर नंगा कर दिया और उससे खेलने लगा. मेरा एक हाथ उनके मम्मे पर और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के ऊपर से उनकी चूत रगड़ रहा था. अचानक आंटी रुकी और उन्होंने मेरे सारे कपडे उतार दिए. फिर उन्होंने अपनी साड़ी भी उतार दी. अब हम दोनों लगभग पूरे नंगे थे सिर्फ आंटी की ब्रा उनके कंधो पर लटक रही थी. उसको उतारने का शुभ काम मैंने किया और उनके एक मम्मे को मुँह में ले कर कस कर चूसने लगा. इतने में आंटी की सिसकारियाँ शुरू हो गई. आंटी भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी. फिर आंटी ने मेरा लंड ध्यान से देखा और बोली, "हम्म्म. इतना बच्चा भी नहीं रहा तू. तेरे अंकल से तो बड़ा ही है. अच्छा है.
[size=large]मैंने धीरे से पूछा. "क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ?"
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तो वो बोली "अब पूछ मत जो मन करे वो कर."
मैंने धीरे से आंटी की चुत को छुआ. उनकी चूत गीली थी और झांटे तो उन्होंने अभी आधे घंटे पहले ही साफ़ की थी. मैंने ओम जैसा करता था वैसे ही अपनी जीभ उनकी चूत पर लगाई तो उन्हें तो जैसे करंट लग गया हो. उन्होंने एक जोर का झटका लिया और मैं उनकी चूत का स्वाद लेने लगा. उन्होंने कहा दाने को चाटो दाने को. मैं दाने को चाटने की जगह हल्का सा काट बैठा. वह कसमसा कर बोली "उफ्फ्फ. जान लोगे क्या" और तेज तेज सिसकारियाँ लेने लगी. मैं अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा, उनकी सिसकारियाँ और तेज होती गई और 2 मिनट के बाद आंटी झड़ गई.
एक मिनट आंटी वैसे ही पड़ी रही फिर बोली, "ला. तेरा भी चूस देती हूँ." मैंने अपना लण्ड आंटी के मुँह के पास ले गया और आंटी उसे चूसने लगी. मुझे तो लगा की मैं तो जैसे जन्नत में पहुच गया.
आंटी कस कस कर मेरे लंड को चूस रही थी. मैं भी अब थोडा निश्चिन्त होकर उनके मम्मों को कस कस कर दबा रहा था. बीच बीच में उनके निप्पल भी नोच रहा था. जब मैं उनके निप्पल नोचता तब वो वो मेरे लंड पर अपने दांत गडा देती. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
[size=large]कुछ देर के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैं आंटी से बोला "मेरा निकलने वाला है"[/size]