hotaks444
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अब धीरे-धीरे मयंक का लंड दीदी की चूत के अंदर जा रहा था अब दीदी छटपटा कर छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन मयंक ने दीदी को जैसे जकड़ा था वो हिल भी नहीं पा रही थी. अब रश्मि दीदी के मुँह से सिर्फ़ ह्म्म्मुहमममहम्म की आवाज़ ही आ रही थी. मयंक हलके हलके झटके लेकर अपने लंड को दीदी की चूत में घुसाता ही जा रहा था और अब जब उसका पूरा लंड दीदी की चूत के अंदर चला गया तो मयंक रुक गया. मैंने देखा की दीदी की चूत से हल्का सा खून भी निकल रहा था. मुझे मयंक की किस्मत पर रंज हुआ साले को सील पैक चूत की सील तोड़ने को मिल गयी थी.
मयंक ने जैसे ही रश्मि दीदी का मुँह छोड़ा दीदी कहने लगी "प्लीज बाहर निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है प्लीज निकाल लो" लेकिन मयंक बोला "डार्लिंग बस ये पहली बार का दर्द था जो तुमने सह लिया अब मजा ही मजा है." लेकिन दीदी नहीं मानी और उससे लंड बाहर निकालने को कहती रही. मयंक ने दुबारा से दीदी का मुँह अपने हाथ से दबाया और अपना लंड पूरा बाहर निकाला और फिर से एक झटके में पूरा अन्दर डाल दिया और ताबड़तोड़ दीदी को चोदने लगा. मुझे रश्मि दीदी को देखकर लग रहा था कि वो बहुत दर्द में है लेकिन मयंक उसे छोड़ने को तैयार नहीं था. वो पूरी तेज़ी से झटके मार रहा था. मैं भी देख रहा था कि कैसे मेरी बहन की इतनी बेरहमी से चुदाई हो रही है और मुझे एहसास हुआ की सिर्फ आंटी की चुदाई देख कर ही नहीं बल्कि अपनी सगी बहन की चुदाई देख कर भी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
[size=large]थोड़ी देर की चुदाई के बाद दीदी भी मचलने लगी. शायद उनका दर्द अब मजे में बदल गया था. पहली बार दीदी मोटे और तगड़े लंड से चुद रही थी. अब मयंक ने उनके मुह से हाथ हटा लिया और दीदी की मस्ती भरी आवाजो से पूरा कमरा गूँज रहा था. मयंक लगातार दीदी की चूत में अपने मोटे लंड से झटके मारे जा रहा था और झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. शायद उसने जो स्प्रे किया था ये उसी का असर था. दीदी एक बार फिर से झड गयी पर मयंक पूरे जोश से दीदी की चूत का बाजा बजाये जा रहा था. मेरा लंड वापस से खड़ा होकर फटने की कगार पर था. मैंने जोर जोर से लंड को हिलाना शुरू कर दिया उधर मयंक ने दीदी को पलटा कर कुतिया बना दिया और पीछे से उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया और झटके मारने लगा. दीदी की कसी हुई चूत में मयंक का मोटा लंड बहुत फंस कर अन्दर बाहर हो रहा था. मयंक ने दीदी की ब्रा फिर से खोल दी और दीदी की चुचिया हवा में लटकी झटको के साथ आगे पीछे झूल रही थी और मेरी बहन इस पोज़ में बहुत प्यारी लग रही थी. मेरा मन कर रहा था की मैं खुद अन्दर जाकर मयंक को हटा कर अपना लंड अपनी प्यारी दीदी की चूत में पेल दूं. ये शायद पहली बार हुआ था की मैंने अपनी बहन को चोदने के बारे में सोचा था और इसी सोच के साथ मेरे लंड ने फिर से वीर्य उगलना शुरू कर दिया.
उधर मयंक रश्मि दीदी की चूत मारते हर उनकी गांड के छेद को भी सहला रहा था. मुझे लगा की शायद साला आज दीदी की गांड भी मारेगा. वैसे भी दीदी शाम तक का प्रोग्राम तो बना कर ही आई थी. मयंक ने दीदी की चूत मारते मारते वो स्प्रे वापस उठाया और दीदी की गांड के छेद पर डाल दिया. शायद वो स्प्रे लुब्रिकेंट का काम भी करता था. दीदी की चूत में अपना लंड पेलते हुए मयंक ने दीदी की गांड में अपनी एक उंगली डालकर उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया. दीदी की गांड का छेद बहुत छोटा था और उनको ऊँगली अन्दर जाने से दर्द होने लगा था और वो मयंक से बोली "ऐसा नहीं करो. मुझे दर्द हो रहा है" मयंक बोला "रश्मि मेरी जान, थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करो फिर मज़ा ही मज़ा आएगा" और थोडा स्प्रे दीदी की गांड पर और डाल दिया और दो उंगलिया दीदी की गांड में डाल दी. आहिस्ता-आहिस्ता मयंक ने दीदी की गांड में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी और उंगलियों से दीदी की गांड मारता रहा.
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मयंक ने जैसे ही रश्मि दीदी का मुँह छोड़ा दीदी कहने लगी "प्लीज बाहर निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है प्लीज निकाल लो" लेकिन मयंक बोला "डार्लिंग बस ये पहली बार का दर्द था जो तुमने सह लिया अब मजा ही मजा है." लेकिन दीदी नहीं मानी और उससे लंड बाहर निकालने को कहती रही. मयंक ने दुबारा से दीदी का मुँह अपने हाथ से दबाया और अपना लंड पूरा बाहर निकाला और फिर से एक झटके में पूरा अन्दर डाल दिया और ताबड़तोड़ दीदी को चोदने लगा. मुझे रश्मि दीदी को देखकर लग रहा था कि वो बहुत दर्द में है लेकिन मयंक उसे छोड़ने को तैयार नहीं था. वो पूरी तेज़ी से झटके मार रहा था. मैं भी देख रहा था कि कैसे मेरी बहन की इतनी बेरहमी से चुदाई हो रही है और मुझे एहसास हुआ की सिर्फ आंटी की चुदाई देख कर ही नहीं बल्कि अपनी सगी बहन की चुदाई देख कर भी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
[size=large]थोड़ी देर की चुदाई के बाद दीदी भी मचलने लगी. शायद उनका दर्द अब मजे में बदल गया था. पहली बार दीदी मोटे और तगड़े लंड से चुद रही थी. अब मयंक ने उनके मुह से हाथ हटा लिया और दीदी की मस्ती भरी आवाजो से पूरा कमरा गूँज रहा था. मयंक लगातार दीदी की चूत में अपने मोटे लंड से झटके मारे जा रहा था और झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. शायद उसने जो स्प्रे किया था ये उसी का असर था. दीदी एक बार फिर से झड गयी पर मयंक पूरे जोश से दीदी की चूत का बाजा बजाये जा रहा था. मेरा लंड वापस से खड़ा होकर फटने की कगार पर था. मैंने जोर जोर से लंड को हिलाना शुरू कर दिया उधर मयंक ने दीदी को पलटा कर कुतिया बना दिया और पीछे से उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया और झटके मारने लगा. दीदी की कसी हुई चूत में मयंक का मोटा लंड बहुत फंस कर अन्दर बाहर हो रहा था. मयंक ने दीदी की ब्रा फिर से खोल दी और दीदी की चुचिया हवा में लटकी झटको के साथ आगे पीछे झूल रही थी और मेरी बहन इस पोज़ में बहुत प्यारी लग रही थी. मेरा मन कर रहा था की मैं खुद अन्दर जाकर मयंक को हटा कर अपना लंड अपनी प्यारी दीदी की चूत में पेल दूं. ये शायद पहली बार हुआ था की मैंने अपनी बहन को चोदने के बारे में सोचा था और इसी सोच के साथ मेरे लंड ने फिर से वीर्य उगलना शुरू कर दिया.
उधर मयंक रश्मि दीदी की चूत मारते हर उनकी गांड के छेद को भी सहला रहा था. मुझे लगा की शायद साला आज दीदी की गांड भी मारेगा. वैसे भी दीदी शाम तक का प्रोग्राम तो बना कर ही आई थी. मयंक ने दीदी की चूत मारते मारते वो स्प्रे वापस उठाया और दीदी की गांड के छेद पर डाल दिया. शायद वो स्प्रे लुब्रिकेंट का काम भी करता था. दीदी की चूत में अपना लंड पेलते हुए मयंक ने दीदी की गांड में अपनी एक उंगली डालकर उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया. दीदी की गांड का छेद बहुत छोटा था और उनको ऊँगली अन्दर जाने से दर्द होने लगा था और वो मयंक से बोली "ऐसा नहीं करो. मुझे दर्द हो रहा है" मयंक बोला "रश्मि मेरी जान, थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करो फिर मज़ा ही मज़ा आएगा" और थोडा स्प्रे दीदी की गांड पर और डाल दिया और दो उंगलिया दीदी की गांड में डाल दी. आहिस्ता-आहिस्ता मयंक ने दीदी की गांड में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी और उंगलियों से दीदी की गांड मारता रहा.
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