पारिवारिक चुदाई की कहानी - Page 3 - SexBaba
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पारिवारिक चुदाई की कहानी

रोहित के साथ चुदाई करने के बाद हम लोग तैयार होकर कमरे में बैठकर बाते करने लगे।
मैंने रोहित से पूछा- तूने अपने मम्मी पापा की चुदाई करते हुए देखा है… तो फिर तेरा भी मन होता होगा ना अपनी माँ की चुदाई करने का?
रोहित ने कहा- हाँ होता तो बहुत है… पर मम्मी के साथ ये सब कर पाना नामुमकिन है… तो बस हिला कर ही काम चला लेता हूँ।


हम दोनों बात कर ही रहे थे कि तब तक सब लोग आ गए और फिर हम सब लोग खाना खाकर अपने अपने कमरों में चले गए।
रात को रोहन और अन्नू रूम में आकर मेरे साथ बेड पर लेट गए।

तभी रोहन ने पूछा- मम्मी आपका आज का दिन कैसा रहा? आप तो यहां पर बोर होती रही होंगी और हम लोगों ने तो आज बहुत मस्ती की… मैं तो इतना थक गया था कि चल भी नहीं पा रहा हूं सही से।
अन्नू भी बोली- मम्मा सच में आज तो आपको चलना ही था… आपने मिस कर दिया आज।

मैं उन दोनों के बीच में लेटी हुई थी। मैंने अपने दोनों हाथो से अपने बच्चों के सर को सहलाया और उनसे कहा- तुम लोग अच्छे से एन्जॉय करो। रोहित की तबियत ठीक नहीं थी वरना मैं भी चल देती।
थोड़ी देर तक इधर उधर की बाते करने के बाद अन्नू और रोहन सो गए।

मेरी भी नींद लगने ही वाली थी कि तभी मेरे फोन पर एक मैसेज आया। मैंने फ़ोन उठाकर देखा तो वो मैसेज आलोक का था, उसने मुझे गुड़ नाईट विश किया था। फिर मैंने भी आलोक को मेसेज किया।
आलोक- गुड़ नाईट चाची।
मैं- गुड नाईट।
आलोक- आपको जगा तो नहीं दिया मैंने?
मैं- अभी तो मैं सोई भी नहीं हूं… तो तू जगाएगा कैसे।
आलोक- मुझे भी नींद नहीं आ रही… क्या हम लोग होटल की छत पर चल सकते हैं, थोड़ी फ्रेश हवा भी मिल जाएगी।

मैंने मोबाइल में समय देखते हुए उसे रिप्लाई किया- अभी एक बजने वाला है इतनी रात को ऊपर जाना ठीक नहीं होगा।
आलोक- अरे मैं हूं ना चाची… आप तो बेवजह डर रही हो।

आलोक के मनाने पर मैं मान गयी और अपने बच्चों को देखते हुए धीरे से बेड से उठकर रूम के बाहर आई और दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया। आलोक रूम के बाहर खड़ा हुआ मेरा ही इन्तजार कर रहा था।
फिर हम दोनों लिफ्ट से टॉप फ्लोर पर गए, और वहाँ से सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर छत पर पहुँच गए।

होटल सिटी से थोड़ा दूर था और सात फ्लोर का था तो आसपास कोई घर या होटल इतने ऊंचे नहीं थे। छत पर हम दोनों के अलावा कोई नहीं था तो छत पर आते ही आलोक ने एक बार छत का मुआयना लिया और फिर उसने छत के दरवाजे को लॉक कर दिया ताकि कोई ऊपर ना आने पाए।

छत पर बिल्कुल अंधेरा था तो मैं आलोक से साथ ही खड़ी थी। बरसात का सीजन चल रहा तो आसमान में बादल छाए हुए थे जिस वजह से चंद्रमा की रोशनी भी नहीं आ रही थी।
आलोक को गेट बंद करते देख मैंने कहा- आलोक क्या कर रहे हो? अगर किसी को ऊपर आना हुआ हो तो?
आलोक ने कहा- इतनी रात को सब अपनी पत्नी और गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स कर रहे होंगे… कोई आएगा तो खोल देंगे।

फिर आलोक मुझे वहाँ से एक कोने में ले आया। वहाँ से नीचे देखने पर आसपास का नज़ारा स्ट्रीटलाइट की पीली रोशनी में बड़ा ही प्यारा लग रहा था।

मैं बॉउंड्री से टिककर बाहर के नजारे देख रही थी, तभी आलोक ने पीछे से आकर मुझे जोर से जकड़ लिया, उसका जकड़ना इतना तेज था कि मेरे मुंह से ‘आआ आआहहह हहह…’ निकल गयी।
आलोक का लंड बिल्कुल खड़ा हो चुका था जो कि मुझे साफ-साफ मेरी गांड की दरार में महसूस हो रहा था, आलोक ने मेरी गर्दन को पीछे से चूमना शुरू कर दिया।

मैंने सिसकारियां भरते हुए उसे कहा- इतना जोर से क्यूँ पकड़ा है मुझे… आआहहह…
आलोक ने कहा- चाची, आप इतने दिनों बाद मुझे मिली हो इसीलिए आज मैं आपको अपनी बांहों में कस कर रखना चाहता हूं.
और इतना बोलते ही उसने अपने दोनों हाथों से मेरे गोल चूचों को मसलना शुरू कर दिया।

मैं उस समय नाईट गाउन पहनी हुई थी जो की बूब्स से लेकर कमर तक चैन के साथ अटैच थी और अंदर केवल पैंटी ही पहनी हुई थी क्योंकि सोने के लिए मैंने अपनी ब्रा निकाल दी थी। आलोक भी टीशर्ट और कैप्री में था।

गर्दन पर चुम्बन की वजह से मैं काफी गर्म हो गयी थी। तभी आलोक ने मेरे गाउन की चैन को खोलकर बूब्स तक नीचे कर दिया और अपने दोनों हाथ मेरे गाउन के अंदर डाल कर मेरे मम्मों का मर्दन करने लगा।
आलोक अपने हाथों से मेरे निप्पल्स को मरोड़ रहा था और मेरी गर्दन को चूम रहा था।

फिर आलोक ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। मेरे मम्में मेरे गाउन से बाहर निकले हुए थे जो कि अब आलोक की छाती में समा रहे थे। आलोक ने भी अपनी टीशर्ट उतार दी और फिर से मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर मेरे होंठों को चूमने लगा।

मुझे आलोक का गठीला बदन अपने मम्मों पर महसूस हो रहा था।

आलोक ने मुझे किस करते हुए अपने हाथों को मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरे गाउन को मेरी जांघों के ऊपर की तरफ खींचने लगा। आलोक ने मेरे गाउन को मेरी कमर तक ऊपर उठा दिया औऱ फिर अपने एक हाथ को मेरी पैंटी के अंदर डालकर मेरी गांड की गोलाई और चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

आलोक ने फिर आगे से अपने दूसरे हाथ से मेरी पैंटी को नीचे सरका दिया और अपनी सीधे हाथ की दो उंगलियों को मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मेरे जेठ के बेटे आलोक ने मेरे होंठों को छोड़कर अब मेरे मम्मों से रसपान करना शुरू कर दिया। आलोक किसी जानवर की भांति मेरे मम्मों को चूस रहा था और मेरे निप्पल्स भी चबा रहा था।
मैं बस ‘आआहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊऊह…’ ही कर रही थी क्योंकि अब और कुछ मेरे बस में नहीं था।

तभी आलोक ने अपने दूसरे हाथ से मेरी गांड के छेद को चौड़ाया और अपनी बडी उंगली को मेरी गांड के अंदर डाल दिया जिस वजह से मैं थोड़ा ऊपर की तरफ उछल गयी। मैं काफी उत्तेजित हो गयी थी क्योंकि मेरे दोनो छेद आलोक की उंगलियों द्वारा चोदे जा रहे थे।

थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद उसने मेरी चूत से अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल ली पर मेरी गांड को वह अभी थी अपनी उंगली से चोद रहा था। फिर आलोक ने मुझे बाउंड्री वॉल से टिकाया और मेरे उठे हुए गाउन को मेरे हाथों में पकड़ा दिया और खुद घुटनों के बल बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा।

आलोक की जीभ का स्पर्श मेरी चूत के अंदर होते ही मैंने झड़ना शुरू कर दिया और मैंने गाउन को अपने हाथों से छोड़कर आलोक के सिर को पकड़ लिया और अपनी चूत को झटकों के साथ आलोक के मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया।
मैंने सिसकारते हुए अपना सारा पानी आलोक के मुंह पर छोड़ दिया जिसे आलोक ने बिल्कुल चाटकर साफ कर दिया।

आलोक उठ कर खड़ा हो गया और मेरी गांड से अपनी उंगली निकालकर मुझसे बोला- आई लव यू चाची… आपका पानी बड़ा ही स्वादिष्ट है आज बड़े दिनों बाद पीने का मौका मिला।

मैंने भी हँसते हुए उसे कहा- लव यू टू आलोक… अब जो भी करना है जल्दी कर… काफी रात हो गयी है।

मेरी टाँगें और मम्मे अभी भी खुले हुए थे और रात के समय ठंडी हवा लगने के कारण मैं कांपने लगी। आलोक ने बिल्कुल भी देरी ना करते हुए अपनी कैप्री उतार दी। उसने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी। कैप्री उतरते ही उसने अपना खड़ा लंड मेरे हाथ में थमा दिया जिसे मैंने सहलाना शरू कर दिया।

मैंने भी आलोक के लंड को गीला करने के लिए नीचे बैठकर उसे चूसना शुरू कर दिया। आलोक के लंड से वीर्य जैसा चिपचिपा पानी निकल रहा था जिसे मैंने अपने मुंह में लेकर सोख लिया। करीब दो मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसके लंड को अपने मुंह से निकाल दिया।

मेरी चूत भी पानी छोड़ने की वजह से काफी गीली हो चुकी थी। फिर आलोक ने मुझे दीवाल से टिकाया और मेरे गाउन की पूरी चैन को खोल दिया जिससे मेरा गाउन मेरी टांगों से नीचे गिर गया।
अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और बाहर चल रही ठंडी हवा मेरे रोम रोम को उत्तेजित कर रही थी। मुझे ऐसा करते हुए डर भी लग रहा था क्योंकि खुले में चुदाई करने का ये मेरा पहला अनुभव था… पर जब कामुकता हावी हो जाती है तो क्या सही है और क्या गलत… कुछ समझ नहीं आता है।

आलोक ने मुझे टिकाकर खड़ा किया और फिर मुझसे सटकर ही उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे उसने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के अंदर कर दिया।

आलोक ने मेरे होंठों को अपने होंठों से बांध लिया और पूरी दम के साथ उसने अगले धक्के में अपना पूरा लंड मेरी चूत में भर दिया। मेरे होंठों को चूमने की वजह से में चीख नहीं पाई लेकिन मेरी घुटी हुई आवाज भी आसपास गूंज गयी और अपने पैर की उंगलियों के बल खड़ी हो गई।

मैं आलोक के होंठों को चूमना छोड़कर दर्द से सिसकार उठी- ऊऊह्ह माँ… उम्म्ह… अहह… हय… आआहह…
मैंने आलोक को हल्की आवाज में डाँटते हुए कहा- पागल हो गया है क्या… अभी मैं चीख पड़ती तो किसी को पता चल जाता।
पर आलोक ने मेरी बातों को अनसुना कर दिया और फिर से मेरे होंठों को चूमना शुरु कर दिया।


आलोक अब जोर जोर के धक्कों के साथ अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा, मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर आलोक के लंड से चुद रही थी।
हम दोनों के नंगे बदन की गर्मी उस ठंडी हवा में एक दूसरे को साफ महसूस हो रही थी।
थोड़ी देर तक इसी तरह लगातार चोदने के बाद मैं थक गई तो मैंने आलोक से पोजीशन बदलने के लिए कहा।

आलोक ने वैसे ही अपना लंड मेरी चूत में झटके मरते हुए कहा- चाची, छत ज्यादा साफ नहीं है, वरना हम यहीं लेट कर चुदाई करते। पर तुरंत ही उसके मन मैं एक विचार आया और उसने मुझसे बाउंडरी पर हाथ रखकर खड़े होने के लिए कहा।
मैं आलोक की बात मानते हुए अपने दोनों हाथों को सामने बाउंडरी के ऊपर रख कर खड़ी हो गयी। इस वज़ह से मेरी गांड और कमर पीछे की तरफ को उभर आई ऒर सामने से मुझे बाहर का सारा नजारा दिखाई दे रहा था।

अगर ऊँचाई ज्यादा न होती और दिन का समय होता तो सड़क चलते आदमी मेरे नंगे झूलते हुए मम्मों को देख सकता था। पर अभी अंधेरा इतना था कि किसी को कुछ दिखाई नहीं दे सकता था।

इस तरह झुककर खड़े होने की वजह से मैं किसी डॉगी की पोजीशन में थी। अब आलोक ने पीछे से आकर अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया और इस बार उसने हल्के हल्के धक्कों के साथ अपने लंड से मेरी चूत को अंदर तक चीर दिया।

आलोक ने अपने धक्कों की गति को बढ़ा दिया… जिस वजह से मेरा शरीर उसके हर धक्कों के साथ आगे पीछे होने लगा और मेरे कसे हुए मम्मे भी मेरे शरीर के साथ झूलने लगे। आलोक ने अपने हाथों को आगे बढ़ाकर मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया। मेरे मुँह से हल्की हल्की सीत्कार ‘आआहहह… आआऊऊहहह… ओह आलोक… और जोर से चोदो मुझे… फ़क मी हार्डर..’ आसपास के माहौल को और भी गर्म कर रही थी।

काफी देर तक इसी तरह चोदने के बाद मैं अपने चरम पर पहुँच गई और मैंने अपनी चूत से आलोक के लंड पर दबाव बनाते हुए झड़ना शुरू कर दिया। मेरी चूत से निकलता हुआ पानी मेरी टांगों से बहता हुआ नीचे तक पहुँच रहा था। आलोक अभी भी मेरी चूत मार रहा था पर अब चुदाई की आवाज़ें कुछ बढ़ सी गयी थी।

तभी आलोक ने मेरी चूत से अपना लंड निकाला और नीचे झुककर मेरी रिसती हुई चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ का स्पर्श मेरी चूत को अलग ही शांति प्रदान कर रहा था। उसने मेरी जांघों को भी चाटकर साफ कर दिया।

आलोक ने अपने मुँह को मेरी चूत से हटाते हुए मेरी गांड के पास लाया और अपने थूक से मेरी गांड को गीला करना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी कि अब आगे क्या होगा।
मैंने पीछे मुड़कर आलोक को मुस्कुराते हुए कहा- आगे से मन नहीं भरा जो अब पीछे की तरफ जा रहे हो?

आलोक ने कहा- चाची… अगर आपकी गांड नहीं चोद पाया तो फिर मेरे इतने दिनों का इन्तजार बेकार ही रह जाएगा।
मैंने उसकी बात पर हँसते हुए कहा- हां कर ले… पर जरा आराम से करना!
और फिर वापस उसी अवस्था में आ गयी।

आलोक ने आगे बढ़ते हुए अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर टिकाया और बड़े ही प्यार के साथ उसे अंदर डालने लगा। मेरी गांड के लाल छेद को भेदते वक्त मेरी आँखें बंद हो गईं और मेरे माथे पर दर्द के कारण शिकन आने लगी क्योंकि मैं जब कभी ही अपनी गांड चुदवाया करती थी और आलोक का लंड भी कुछ ज्यादा ही मोटा था।

आलोक ने धीरे धीरे से अपना लंड मेरी गाण्ड में डाल दिया और फिर उसने धक्के देना शरू कर दिये. आलोक का लंड जितनी गति से मेरी गांड के अंदर होता मैं उतना मस्त हो जाती।
उसने काफी देर तक मेरी गांड को उसी अवस्था में चोदा। फिर जब वो झड़ने को हुआ तो उसने अपने धक्कों को दोगुनी रफ्तार के साथ मेरी गांड मारने लगा और अंततः उसने ‘आआहहह… चाची… मैं गया… आपकी… गांड… के… अंदर…’ कहते हुए अपना गर्म वीर्य कई पिचकारियों के साथ मेरी गांड के अंदर त्याग दिया।

झड़ने के बाद आलोक अकड़कर मुझसे वैसे ही लिपट गया। कुछ ही देर बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और खुद को ठीक किया.
आलोक का वीर्य मेरी गांड से रिसकर बाहर आने लगा. पर मैं इतना थक चुकी थी कि खुद को साफ करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी।

उसके बाद हम दोनों नीचे आ गए और अपने अपने रूम में आकर सोने लगे। मैं भी धीरे से बेड पर जाकर रोहन और अन्नू के बीच लेट गयी। थोड़ा हलचल होने की वजह से रोहन ने नींद में करवट लेते हुए मुझे खुद से लिपटा लिया और फिर मैं भी वैसे ही सो गई।



उस रात के बाद हम लोगो को चुदाई करने का समय ही नहीं मिल पाया और फिर सफर के खत्म होने के बाद हम लोग वापस अपने घर आ गए। अब बस मैं थी, रोहन था और मेरे पति।
 
हमारे फैमिली ट्रिप को हुए थोड़ा समय बीत चुका था और सभी अपनी अपनी जिंदगी जी रहे थे। रोहन कॉलेज के दूसरे साल में आ गया था। रोहित ने भी अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली थी।

मेरी बहन पूजा थोड़े पिछड़े इलाके से थी तो वहाँ कोई अच्छा कॉलेज नहीं था इसलिए हम लोगों ने तय किया कि रोहित मेरे शहर में रहकर अपनी ग्रेजुएशन पूरी करेगा।

मेरी बहन पूजा अपने बेटे रोहित को होस्टल में रहने के लिए बोल रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि शायद वो हम पर बोझ ना बन जाए।
तो मैंने पूजा से कहा- यहाँ पर इतनी जल्दी अच्छा होस्टल नहीं मिलेगा और फिर जब मेरा घर है यहाँ … तो हॉस्टल क्यों भेज रही हो रोहित को?
मेरे काफी समझाने के बाद पूजा ने कहा- जब तक कोई अच्छा हॉस्टल नहीं मिल जाता तब तक रोहित तेरे साथ रह लेगा।
सब कुछ फाइनल होने के बाद रोहित दूसरे दिन हमारे यहां आने वाला था।

अगले दिन सुबह उठकर मैंने रवि और अन्नू के लिए लंच बनाया और वो लोग ऑफिस और स्कूल के लिए निकल गए। नौ बजे चुके थे… रोहन दस बजे तक कॉलेज निकल जाता था पर आज उसे रोहित को स्टेशन लेने जाना था इसीलिए आज वो कॉलेज नहीं गया था।

मैं रोहन के कमरे में गयी और दरवाज़ा खटखटाया. रोहन सो रहा था तो उसने दरवाज़ा खोलने में जरा देर कर दी। रोहन के दरवाज़ा खोलते ही मैं कमरे के अंदर आई, तब तक रोहन भी वापिस बिस्तर पर लेट गया. वो केवल अंडरवियर में ही था।
मैं भी बेड पर उसके पास जाकर लेट गई और उसके माथे पर किस करते हुए कहा- गुड मॉर्निंग… उठ गया मेरा राजा बेटा।
रोहन ने भी मुस्कुराते हुए मुझे गुड मोर्निंग कहा और मेरे होंठों को चूमने लगा।

रोहन ने अपने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़कर चड्डी के ऊपर से ही अपने लण्ड पर रख दिया। मेरे हाथ रखते ही रोहन के लण्ड ने फैलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरा खड़ा हो गया और उसका ऊपरी भाग बॉक्सर से बाहर निकल आया।
रोहन अभी भी मुझे चूम रहा था और मैं अपनी आँखें बंद किये इन सबका मजा ले रही थी। तभी रोहन ने मेरे गाउन के ऊपर के बटन को खोल दिया. मैं गाउन के अंदर ब्रा नहीं पहनती इसलिए मेरे कसे हुए मम्में बाहर निकल आए और रोहन ने उन्हें दबोचना शुरू कर दिया।

तभी मैं होश में आई और रोहन से कहा- बेटा उठो और जल्दी से फ्रेश हो जाओ, नहा लो … हम उसके बाद ही करेंगे।
रोहन ने कहा- अभी क्या प्रॉब्लम है मम्मी?
मैंने रोहन से मजाक में हस्ते हुए कहा- अभी तेरी मुँह से स्मेल आ रही है.
और फिर हम दोनों हँसने लगे।

रोहन ने मेरे मम्मों पर एक चुम्बन किया और उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगा और मुझसे बोला- चलिए ना मम्मी … साथ नहाएंगे।
मैंने कहा- अभी नहीं रोहन… मुझे अभी काफी काम खत्म करने हैं और अभी दो बजे रोहित भी आ जाएगा।
मेरे समझाने पर रोहन नहाने चला गया। मैंने भी खुद को ठीक किया और रोहन के रूम की सफाई करने के बाद घर के और कामों में लग गयी।

कुछ देर बाद रोहन ने मुझे आवाज़ दी। मैंने कमरे में जाकर देखा तो रोहन बिल्कुल नंगा खड़ा हुआ था। मैंने रोहन से पूछा- क्या हुआ? माँ के साथ मजे करने के चक्कर में बड़ी जल्दी नहा लिया।
रोहन- ऐसी बात नहीं है मम्मी… मेरी दोनों अंडरवियर गीली पड़ी हुई हैं… अब क्या पहनूँ?
तभी मुझे याद आया कि मैं कल रोहन के कपड़े धोना भूल गयी थी। मैंने रोहन से कहा- अब तो कोई एक्स्ट्रा भी नहीं है तेरे लिए… तू एक काम कर तब तक मेरी पैंटी पहन ले।

मेरी इस बात पर हम दोनों हंसने लगे।

रोहन ने कहा- चलिए ठीक है आज यह भी ट्राई कर लेते हैं।
मैंने रोहन को अलमारी से लाल रंग की एक पैंटी लाकर दी, रोहन ने उसे पहन लिया। पैंटी पहनने के कारण रोहन का लण्ड फिर से खड़ा हो गया जो पैंटी के बाहर आ गया।

रोहन ने कहा- मम्मी आपकी पेंटी बहुत सेक्सी है पर मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है इसमें!
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आदत पड़ जाएगी!
और मैं अपने बेटे के लंड को पेंटी के ऊपर से ही पकड़ कर सहलाने लगी।
रोहन ने भी समय ना गंवाते हुए मेरे गाउन को खोल कर नीचे फेंक दिया। मैं अब केवल काली पैंटी में रोहन के सामने थी।

फिर रोहन मुझे अपने साथ बेड पर ले गया। रोहन बेड पर खड़ा हो गया और उसने पेंटी के बीच से लंड को बाहर निकाला और मेरे मुंह की तरफ से लाकर खड़ा हो गया मैं रोहन का यह इशारा समझ चुकी थी और घुटनों के बल बैठ कर उस के लंड को अपने मुंह में भर लिया।
मैं रोहन का लंड बड़े ही प्यार से चूस रही थी और रोहन भी आँखें बंद किये ‘आआआहहह… मम्मी… उफ्फ… खा लो मेरा… आआआह… मम्मी… तुम्हारा मुँह…’ कर रहा था।

थोड़ी देर की चूसाई के बाद मैंने रोहन का लण्ड मुँह से निकाल दिया और हाथों में लेकर सहलाने लगी। फिर मैंने भी उठकर अपनी पैंटी उतार दी और अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर पर लेट गयी।

मैं बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी कर बाहें फैलाकर बोली- आ जा मेरे लाडले!

रोहन भी इशारा पाकर मेरी चूत के पास अपना मुंह लेकर गया और अपनी खुरदुरी जीभ से उसे चाटने लगा।

रोहन की जीभ ने जब मेरी चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो मेरी तो जान ही निकल गयी। मैंने अपना सिर उठाया जिससे मैं अपनी चुसाई देख सकूँ। मैं कुलबुलाई- आआआहह… रोहन… अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो… हाँ … तुम बहुत अच्छा कर रहे हो।
मुझे काफी मजा आ रहा था जिसके कारण मेरी जांघों ने खुद-ब-खुद रोहन के सर को कस कर जकड़ लिया। मुझे अपनी चूत से हल्का सा बहाव महसूस हुआ पर कुछ ही क्षण में मैं एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी… ऐसा पानी छूटा कि बस… “अरे बेटा… मैं झड़ी… झड़ी रे माँआआआँ मेरी… चूस ले मुझे… पी जा मेरा पानी… मॉय डियर… मेरे बेटे… आआ… आआआहह… हहह… हाआआआ आआ…”

जब रोहन मेरा पानी पीकर उठा तो उसके मुंह का आसपास का हिस्सा मेरे पानी से बुरी तरह गीला था जिसे उसने वही पड़ी मेरी पैंटी से पौंछकर साफ कर लिया। मैं निढाल पड़ी हुई… तेज साँसों और बन्द आंखों के साथ रोहन के साथ आगे होने वाली क्रियाओं का इंतजार कर रही थी।

फिर रोहन मुझे उठाकर खुद नीचे पीठ के बल लेट गया और मैं उसके ऊपर आकर आ गई। मैंने अपनी दोनों टांगों को रोहन की कमर के बगल में डाल दिया और जिससे मेरी चूत रोहन के लण्ड के बिल्कुल ऊपर थी।

जैसा कि आप लोगो को पता ही है कि इस अवस्था में जाँघें बहुत दर्द करती हैं … इसलिए मैंने सपोर्ट के लिए अपने दोनों हाथों को रोहन के सीने के पास रख दिया। मेरे बूब्स को अपनी आँखों के पास झूलते देखकर रोहन ने उन्हें पकड़ा और मेरे निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।

रोहन ने साथ ही अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर सेट किया और अपने हाथ से पकड़कर उसे मेरी चूत के अंदर करने लगा। सुपारे के अंदर घुसते ही वो रूक गया… शायद आगे के लिये वो मेरी सहमति मांग रहा था।

मैंने अपने मम्मों को रोहन के सीने पर दबाते हुए अपना शरीर रोहन के शरीर पर रख दिया और अपने हाथों से उसके सर को सहलाते हुए कहा- अब रुको मत बेटा और एक ही बार में बाकी का लंड घुसेड़ दो अपनी मम्मी की चूत में …
और मैं उसके होंठों को चूमने लगी।

यह सुनकर रोहन ने एक जोरदार शॉट मारा और पूरा का पूरा मूसल मेरी चूत में पेल दिया।
मैं चीखी- और अंदर …
और वापस उसी पुरानी अवस्था में आ गयी।

फिर तो रोहन ने आव देखा न ताव और अपने लंड से मेरी चूत की जबरदस्त पिलाई शुरू कर दी। रोहन ने गहरे व लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि मेरे मुँह से चूँ तक न निकल पायी।

कुछ समय बाद जब मैं अपने चरम पर पहुँची तो अपनी सिसकारियों को न रोक सकी- आअहह… रोहन… बस ऐसे ही… चोद मुझे… और जोर से… और अंदर तक… हाँ बेटा… ऐसे ही… चोद… उफ्फ… ऊईई… माँ… मैं गयी… उफ्फ…
मैं जब झड़ी तो मुझे लगा कि शायद मैं मर चुकी हुँ… मेरा अपने शरीर पर कोई जोर नहीं था… मेरे शरीर में एकदम कांटे से चुभने लगे… मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूचियों में पिन घुसी हुई हों…

और मैं रोहन के ऊपर गिर पड़ी।

रोहन के मोटे लण्ड की भीषण पिलाई ने मुझे अंदर तक चीर दिया था… इतनी बुरी तरह झड़ने के बाद मेरा दिमाग सुन्न हो गया था.
पर जैसे ही मैंने होश संभाला तो पाया कि रोहन का लण्ड अभी भी मेरी चूत की असीमित गहराई को चूमने के लिये लगा हुआ था।

रोहन भी अब ज्यादा देर तक ना ठहर सका और उसने भी मेरे अंदर झड़ना शुरू कर दिया। रोहन के गर्म वीर्य की पिचकारियों ने मेरे अंदर गर्मी भरने का काम किया… मैं और रोहन पसीने से बिल्कुल लथपथ चिपके पड़े हुए थे।
थोड़ी देर आराम के बाद मैं रोहन के ऊपर से उठी और अपनी पैंटी उठाकर रोहन के वीर्य से सने हुए लण्ड को साफ करने लगी. रोहन को साफ करने के बाद मैंने खुद को भी उसी पैंटी से साफ किया और अपने नंगे बदन के ऊपर अपना गाउन डाल लिया।

दोपहर के बारह बजने को थे… मैंने रोहन से कहा- बेटा, अब कपड़े पहन ले और फिर लंच करके रोहित को लेने स्टेशन चले जाना।


रोहन ने उठकर वापस से मेरी लाल पैंटी पहन ली और उसके ऊपर से कपड़े भी पहन लिए। कुछ देर बाद रोहन स्टेशन चला गया और मैं भी सभी काम निपटा कर नहाने चली गयी।
 
कुछ देर बाद दरवाजे की घंटी बजी तो मैं समझ गयी कि रोहन रोहित को लेकर आ चुका है.
मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन खड़ा हुआ था.

वो अंदर आया और बोला- रोहित ऑटो से आ रहा है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो रोहन ने जवाब दिया- सामान ज्यादा था तो बाइक पर नहीं आ पा रहा था. इसलिए ऑटो करना पड़ा.
और फिर हम दोनों दरवाजे पर खड़े होकर रोहित का इंतजार करने लगे।

कुछ ही पल में रोहित का ऑटो घर के दरवाजे पर आकर रुका. रोहन सामान लेने के लिए ऑटो की तरफ चल दिया.
रोहित भी ऑटो से उतरकर सामान उतारने लगा. रोहित और रोहन दोनों सामान लेकर अंदर आने लगे.
अंदर आते समय जब रोहित की नज़र मुझसे टकराई तो उसने हँसकर मुझे आंख मार दी।

रोहित के अंदर आते ही मैंने दरवाज़ा बन्द कर दिया। दरवाज़ा बन्द करते ही जैसे ही में पीछे मुड़ी रोहित ने मुझे कसकर गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया.
रोहन तब तक अंदर जा चुका था।

मैंने रोहित को खुद से अलग करते हुए पूछा- सफर कैसा रहा?
रोहित ने कहा- मौसी … जब से ट्रेन में बैठा हूँ, आप ही के ख्यालों में खोया हुआ हूं.
और फिर मेरा हाथ पकड़कर उसने अपनी पैंट के उभार पर रख दिया।

रोहित का लण्ड खड़ा हुआ था पर जीन्स के अंदर वो जिस तरह कसा हुआ था उसे देखकर मालूम हो रहा था कि वो दर्द भी कर रहा होगा।

मैंने मुस्कुरा कर रोहित के लण्ड को उसकी जीन्स के ऊपर से ही दबा दिया और कहा- अंदर जाकर ढीले कपड़े पहन लो जिससे तुम्हें और इसे दोनों को आराम मिले.
और फिर हम दोनों बातें करते करते अंदर आ गए।

रोहित को अभी कुछ दिन रोहन के साथ ही रूम शेयर करना था. रोहित अपना सामान रोहन के रूम में व्यवस्थित करने लगा और रोहन भी उसकी मदद कर रहा था।

मैंने उन दोनों से कहा- तुम दोनों फ्रेश हो जाओ. तब तक मैं खाना तैयार करती हूं.
और मैं वहाँ से किचन में आ गयी और खाना तैयार करने लगी.

जून का महीना था तो गर्मी भी अपने चरम पर थी. खाना बनाते बनाते मैं खुद पसीने से नहा रही थी, ऊपर से मेरा गाउन भी शरीर से चिपका जा रहा था।

हर दिन की तरह जब घर पर कोई नहीं रहता था या सिर्फ रोहन ही रहता था तो मैं बिना गाउन के ही घर के काम करती थी. बस अधनंगे अपने जिस्म को ढकने के लिए एक दुपट्टा डाल लेती थी।
पर अब रोहन के साथ रोहित भी था घर पर. तो यह सब करना तो मुश्किल ही था.

कुछ देर बाद रोहित किचन में आया और दरवाज़े पर खड़ा होकर मेरी तरफ देखने लगा।
मैंने रोहित की तरफ देखा.

वो एक स्लीवलेस टीशर्ट और बॉक्सर में खड़ा हुआ मुझे देख रहा था.
मैंने रोहित की तरफ देखते हुए कहा- बस दस मिनट में खाना तैयार हो जाएगा. अभी रोटियाँ बन रही है. फिर खाकर आराम से सो जाना।
रोहित- मौसी आप आराम से अपना समय लीजिये. कोई जल्दी नहीं है।

मैंने पूछा- और रोहन क्या कर रहा है?
रोहित- वो रूम में ही है.
और इतना बोलते ही वो मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मेरी कमर को अपने हाथों में कसकर जकड़ लिया।


मैंने कहा- क्या कर रहे हो रोहित? अभी मुझे काम करने दो. और अभी मैं पसीने से भी तर हूँ. तुम भी गंदे हो जाओगे।
रोहित- आप अपना काम कीजिये मौसी … मेरी वजह से आपको बिल्कुल भी परेशानी नहीं होगी. मैं तो बस आपको थोड़ा प्यार करना चाहता हूं. औऱ रही बात आपके पसीने की … तो इसकी खुशबू तो मुझे पागल कर रही है।

मेरी किचन घर के सबसे पिछले हिस्से में थी.और किचन का प्लेटफार्म दरवाज़े के बायी तरफ था. प्लेटफॉर्म की दीवार पर ही एक खिड़की लगी हुई थी वेंटिलेशन के लिए। पर उस खिड़की से घर के अंदर का भी सब दिखता था. जैसे रूम में कौन जा रहा है या कौन आ रहा है।

मैंने रोहित से कहा- अभी रोहन आ जाएगा तो क्या करोगे?
रोहित- रोहन जब कमरे से बाहर निकलेगा तो मैं आपसे अलग हो जाऊँगा.
और इतना बोलकर वो मेरी गर्दन पर आ रहे पसीने को चाटने लगा और मेरी गर्दन को चूमने लगा।

मैंने कहा- ये क्या कर रहे हो? पसीना भी कोई चाटता है भला … और हां … खिड़की से बाहर नज़र लगाए रखना. वरना रोहन भी देख लेगा कि भांजे और मौसी के बीच ये कैसा प्यार है।
रोहित ने मेरे कान के निचले हिस्से को मुंह में लेकर चूसते हुए हामी में अपना सिर हिला दिया।

मैंने रोहित से कहा- जो भी करना है, ऊपर ऊपर से ही करना. अभी आगे बढ़ने का सही समय नहीं है।
हम दोनों इतने धीमे धीमे बाते कर रहे थे कि हमारी आवाज़ हम दोनों के अलावा कोई और सुन भी नहीं सकता था।

रोहित करीबन छह फीट का था रोहन के बराबर. पर मेरी लम्बाई उन दोनों से ही कम थी। रोहित मुझे अभी भी कस कर जकड़ा हुआ था और उसका खड़ा लण्ड मुझे अपनी पीठ के निचले हिस्से पर महसूस हो रहा था मेरी गांड से कुछ इंच की ऊँचाई पर।

रोहित ने फिर धीरे धीरे मेरे गाउन को टांगों से ऊपर उठाना शुरू कर दिया.
मैंने अपने एक हाथ से रोहित का हाथ रोककर उससे कहा- बस ऊपर से ही … कपड़े सही करने में भी समय लगता है।
रोहित ने कहा- मौसी बस कमर तक ही उठाऊँगा. और किसी के आने से पहले ही आपका गाउन नीचे हो जाएगा. आप चिंता मत कीजिये।

मैंने वापस अपना हाथ उसके हाथों से हटा लिया और फिर से रोटियां बेलने लगी।

रोहित ने मेरा हाथ हटते ही जल्दी से मेरे गाउन को मेरी कमर तक उठा दिया. मैं अपना सिर झुकाकर अपनी नंगी टांगों और उसके बीच मेरी काली पैंटी, जो मेरे अधनंग शरीर मेरे जननांग और मेरी गांड को ढके हुए थी, को देख रही थी।

रोहित मेरी नंगी जांघों पर हाथ फेरने लगा और फिर मेरी पैंटी की इलास्टिक में उंगली डाल कर मेरी कमर के इर्दगिर्द घुमाने लगा। उसने फिर तेजी से मेरी पैंटी को जाँघों तक नीचे कर दिया और फिर अपना कठोर हाथ मेरी तपती हुई मुलायम चूत पर रख दिया।

खुद को नंगी होती हुई देख मैं वैसे ही काफी उत्तेजित हो गयी थी और फिर रोहित की उंगलियों का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मैं बेकाबू होने लगी और कामवासना में मेरे मुंह से ‘आआह हहऊ श्सहह’ निकल गया।

रोहित ने फिर अपने बॉक्सर को भी आगे की साइड से थोड़ा नीचे कर लिया. इतना कि बस उसका लण्ड ही बाहर निकला हुआ था।


उसने मेरी पीठ पर चूमते हुए एक हाथ को मेरी कमर से नीचे ले जाकर चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से अपने लण्ड को मेरी जाँघों के बीच में घुसेड़ना शुरू कर दिया।

मैंने उसकी कोशिश को देखते हुए अपनी टांगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसका लण्ड मेरी जाँघों के बीच में पूरी तरह से फिट हो गया. जैसे ही मुझे लगा कि अब रोहित का लण्ड बिल्कुल फिट है तो मैंने वापस से अपनी जाँघों को वापस चिपका लिया जिससे रोहित का लण्ड मेरी जांघों के बीच में ही जकड़ गया।

मैंने रोहित से कहा- अब मैं इससे ज्यादा आगे कुछ और नहीं कर सकती।
रोहित का मन तो मेरी चूत चोदने का था पर मेरे इस बर्ताव से उसके तो सपने ही धरे रह गए।

रोहित ने कहा- कोई नहीं मौसी … अभी ऐसे ही सही. पर अगली बार जब मौका मिलेगा और हम दोनों अकेले होंगे तब आज की भी कसर पूरी करूंगा.
और यह बोलते हुए उसने अपने लण्ड को जाँघों में ही आगे पीछे करना शुरू कर दिया।

रोहित बड़ी ही सादगी से मेरी जाँघों को चोद रहा था औऱ मेरी चूत से खेल रहा था.
मैं भी अपनी जाँघों के बीच रोहित के कड़क लण्ड को रगड़ खाते महसूस कर उत्तेजित हो रही थी।

रोहित ने अपने दूसरे हाथ को भी मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरी पीठ गर्दन और कानों को चूमते हुए अपनी उंगलियो को मेरी चूत पर फिरा रहा था. वो अपनी उंगलियों को मेरी चूत में डालने की कोशिश तो कर रहा था. पर पीछे से उसके हाथ जो मेरी बांहों के नीचे से होते हुए मेरी कमर को घेरे हुए थे, इतनी नीचे तक नहीं आ पा रहे थे. इसीलिए उसे बस मेरी चूत को ऊपर से सहलाना पड़ रहा था।

रोहित अपने लण्ड को पूरी तरह मेरी जाँघों के बीच से आगे पीछे कर रहा था. जब उसका लण्ड पूरी तरह से मेरी जाँघों को भेदकर आगे जाता … तो उसके लण्ड का सुपारा मेरी कोमल चूत को नीचे से चूमता हुआ आगे आता और फिर वापस चला जाता।

मेरी चूत और उससे रिसता हुआ पानी … रोहित के लण्ड को हर बार एक गीला चुम्बन दे रही थी और अगला हर चुम्बन पहले से अधिक गीला और गर्म था. इसका यह परिणाम था कि रोहित और मेरी सांसे पहले से तेज और गरम हो गयी थी।

मेरा सारा ध्यान अब रोहित के लण्ड पर था जिससे मेरी काम करने की तेजी भी बहुत कम हो गयी थी. रोटियां बनाना उनको सेकना … इन सब में मुझे काफी समय लग रहा था. एक बार तो मेरा मन कर रहा था कि सारे काम यहीं रोक दूँ और खुल कर चुदाई करूँ!
पर मुझे खुद पर काबू पाना था।

भले ही उस दिन मैं रोहित के आने से कुछ देर पहले ही रोहन से चुदी थी पर रोहित ने मेरी वासना को फिर से पंख दे दिए थे।

कुछ देर बाद रोहित ने अपने लण्ड को वैसे ही आगे पीछे करते हुए अपने हाथों को मेरी कमर से हटाया और मेरी पैंटी को वापस से पहनाने लगा। आगे से तो मेरी पैंटी मुझे ठीक आ गयी पर रोहित का लण्ड मेरी जाँघों में फसा होने के कारण पीछे से मेरी पैंटी मेरे नितम्बों के नीचे ही थी।

मुझे समझ नहीं आया कि रोहित ये क्या कर रहा है. शायद वो अब यहीं रुकना चाहता था.
पर रोहित अभी भी मेरी जंघाओं को चोद रहा था.
और फिर वो तेजी बढ़ाते हुए अपना लण्ड जल्दी जल्दी चलाने लगा।

मैं समझ चुकी थी कि अब रोहित का स्खलन होने वाला है.
रोहित ने भी अपना लण्ड मेरी जाँघों के बीच से बाहर निकाला और मेरी गांड की दरार में अपने लण्ड का सुपारा ऊपर नीचे करने लगा. सीधे खड़े होने के कारण मेरे उभरे हुए नितम्बों में रोहित के लण्ड का सुपारा कहीं गायब ही हो गया था.

परंतु कुछ ही पलों में मुझे मेरी गांड के छेद पर लण्ड के सुपारे के साथ थोड़ा गीलापन भी महसूस हुआ.
और फिर रोहित ने हल्के झटकों के साथ अपना वीर्य स्खलन शुरू कर दिया।

‘आहाह हहह … उहह हहह …’ गर्म वीर्य का स्पर्श अपने शरीर पर पाकर मेरा मन में सिसकारियां फूटने लगी.
एक के बाद एक झटके और हर झटके के साथ वीर्य की धार निकल रही थी जो मेरे नितम्बों की दरार से बहते हुए मेरी चूत पर आ रही थी और वहाँ से नीचे गिर रही थी.

अब मुझे समझ में आया कि रोहित ने मुझे वापस पैंटी क्यों पहना दी थी।


रोहित के लण्ड ने करीब सात-आठ वीर्य की पिचकारियाँ चलाई थी. इतना वीर्य स्खलन कि मेरी गांड और चूत दोनों बुरी तरह उसके वीर्य से भीग चुके थे. चूत से वीर्य की गिरती हुई बूंदें मेरी पैंटी पर जमा हो रही थी।

झड़ने के बाद रोहित ने अपने लण्ड के गीले सुपारे को मेरे नितम्बों पर मलकर साफ कर लिया और अपना बॉक्सर ऊपर करके मुझे मेरी पैंटी को ठीक से पहना दिया और मेरे गाउन को वापस नीचे कर दिया।

सब कुछ व्यवस्थित करने के बाद रोहित मेरी पीठ को फिर से चूमने लगा.

मैंने कहा- कितना माल जमा कर रखा था तूने रोहित? मुझे पूरा गंदा कर दिया. अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा।

रोहित ने कहा- मौसी, जबसे मुझे पता चला कि होस्टल लेने से पहले मैं आपके घर रहूंगा, तब से मैंने अपने लण्ड को सिर्फ आप ही के लिये तैयार रखा था. कि जब आप मिलोगी तो आपकी चूत को अपने वीर्य से भर दूंगा पर आपने तो मेरी मेहनत ही बेकार कर दी।

मैंने हँसते हुए कहा- कोई बात नहीं राजा … तेरी मेहनत अभी बेकार नहीं गयी है. मेरी पैंटी और टांगों के बीच बह रही है।
मेरी इस बात पर हम दोनों हँसने लगे.

मैंने रोहित से कहा- अब जाओ और अपना सामान बाथरूम में जाकर ठीक से साफ कर लो. अब तो मैं तुम दोनों को खाना खिलाने के बाद ही नहाऊंगी।
रोहित मेरे होंठों पर एक चुम्बन देते हुए अपने रूम की तरफ चला गया.

मेरी टांगों के बीच गीली पैंटी की ठंडक मुझे मेरी चूत और जाँघों पर महसूस हो रही थी. ऐसी चिपचिपाहट में रहना थोड़ा अजीब था.
अगले दो-तीन मिनट में खाना तैयार हो गया।

मैंने खाना डाइनिंग टेबल पर लगाया और दोनों लड़कों को आवाज़ दी.
कुछ ही देर में दोनों आ गए और फिर हम तीनों ने मिलकर खाना खाया और इधर उधर की बातें की।
फिर मैंने खाना खिलाकर उनको सोने के लिये कहा और अपने रूम में आ गयी।

रूम में आते ही मैंने अपना गाउन उतार दिया और ब्रा पैंटी मैं ही ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपनी हालत देखने लगी।
मेरी पैंटी पूरी तरह भीगी हुई थी और मेरी जाँघों चूत और नितम्बों से चिपक गयी थी। मेरी जाँघों पर भी वीर्य का थोड़ा गीलापन महसूस हो रहा था।

मैंने देर ना करते हुए खड़े खड़े ही अपनी पैंटी को उतारा और उसे उल्टा करके देखने लगी.

रोहित का वीर्य अभी तक उसमें भरा हुआ था. मैं पैंटी को थोड़ा और ऊपर अपने चेहरे के पास लायी और अपनी नाक से उसे सूंघने लगी.
जैसे ही वीर्य की सुगंध मेरे नथुनों में समायी… आआआहह हहहह … कितनी मादक खुशबू थी.

मैंने कुछ और पल उसको सूंघा और फिर अपनी जीभ निकालकर, जहाँ जहाँ वीर्य का कुछ हिस्सा बचा हुआ था, वहां से उसे चाटने लगी।

मैं रोहित की मेहनत को ऐसे ही बर्बाद नहीं जाने देना चाहती थी. मलाई समान वीर्य का स्वाद भी काफी स्वादिष्ट था. धीरे धीरे करके मैंने अपनी पैंटी पर से सारा वीर्य चाट लिया.
फिर मेरी नज़र शीशे में से मेरी चूत पर गयी जो कि शायद अभी भी रोहित के रस से गीली थी।

मैंने कमर के बल नीचे झुककर अपनी पैंटी को अपने सीधे हाथ में लिया और अपनी टांगों के बीच लेजाकर अपनी गांड को पैंटी से पोछते हुए नीचे अपनी चूत तक को साफ किया और फिर अपनी ब्रा को उतारकर बेड पर फेंकते हुए अपनी पैंटी को हाथ में लेकर बिल्कुल नंगी बाथरूम के अंदर नहाने चली गयी।

नहाने के बाद मैं अंदर आयी और खुद को टॉवल से पोछ कर साफ पैंटी और ब्रा पहनकर ऐसे ही बिस्तर पर लेट गयी।

तभी मुझे याद आया कि ट्रिप के दौरान जब रोहित ने मुझे नंगी देख लिया था तो मेरे कहने पर रोहन ने रोहित से बात की थी और मुझे बताया था कि वो दोनों काफी फ्रैंक हैं और कभी कभी एक दूसरे की मुट्ठी भी मार देते हैं।

मैं सोचने लगी कि क्या आजकल के लड़के … और वो भी कजिन भाई आपस में ऐसा कर सकते हैं. और यहाँ तक कि उन दोनों में ये भी बात हुई थी कि उन दोनों ने अपनी अपनी मम्मियों को नंगी देखा है.
मेरे लिए बच्चों द्वारा अपनी मम्मियों को नंगी देखना कोई बड़ी बात नहीं थी. मुझे याद है जब मेरा बेटा रोहन मुझे अपने पापा से चुदते हुए खिड़की से देखता था।

अगर आपने भी ऐसा कुछ देखा है तो आप मुझे एक छोटा सा लेख लिखकर बता सकते हैं.

पर आपस में एक दूसरे की माँ के बारे में ऐसी बातें करना और एक दूसरे के गुप्तांगों को सहलाना थोड़ा अजीब लगता है.
और अब तो वे दोनों साथ ही रहने वाले थे … अब ना जाने और क्या क्या गुल खिलाने वाले थे।
यह कोई चिंताजनक बात नहीं थी … मैं तो बस यह सब देखने की जिज्ञासा रखती थी।

मैंने रोहन से इस बारे में बात करने का फैसला किया. मैं रोहन से वो हर बात जानना चाहती थी जो उन दोनों में होती थी.
इसी कशमकश मैं मेरी नींद लग गयी।


कुछ देर बाद जब डोरबेल बजी तो मेरी नींद खुल गयी.
 
कुछ देर बाद जब डोरबेल बजी तो मेरी नींद खुल गयी. समय देखा तो पांच बजने को थे और ये समय अन्नू के स्कूल से लौटने का था। मैंने उठकर वापस से वही गाउन पहन लिया और दरवाज़ा खोलकर अपनी बेटी को अपनी बांहों में लेकर अंदर आयी।

अन्नू के रूम में जाने के बाद मैंने सबके लिए चाय बनाई और फिर हम सबने खूब बातें की.

कुछ देर बाद अन्नू और रोहित टीवी देखने हॉल में चले गए और कमरे में मैं और रोहन ही थे।

मुझे इस विषय में बात करने के लिए इससे बेहतर समय नहीं मिल सकता था। मैंने रोहन से अपने मन की बात बता दी, कहा- मैं वाकयी देखना चाहती हूं कि तुम दोनों क्या करते हो।
रोहन मेरी बात सुनकर बोला- मम्मी हम दोनों एक दूसरे को दोस्त से भी बढ़कर मानते हैं. और आज रात मैं आपको हम दोनों के बीच क्या होता है, वो सब कुछ दिखाऊँगा और सुनाऊँगा भी।

मैंने कहा- कैसे?
रोहन ने कहा- वो आप मुझ पर छोड़ दो. पापा साढ़े ग्यारह बजे तक सो जाते हैं. मैं आपको उसके बाद वीडियो कॉल करूँगा. आप बस कॉल पिक कर लेना और सब कुछ देखना और सुनना।

रोहन मेरे सामने ही उठा और अपने बैग से टेबलेट निकाला. और उसे उसने अपने बिस्तर के पीछे लगी हुई कांच की अलमारी में किताबों के बीच रख दिया.
फिर मुझसे कहा- मम्मी, यहाँ से आपको सब दिखाई भी देगा और सुनाई भी देगा।

मैंने रोहन की समझदारी की दाद देते हुए शाबाशी दी और फिर उठकर घर के काम करने लगी।

रात होने को आई तो रवि भी आफिस से वापस आ गए और फिर मैं रात के खाने की तैयारियाँ करने लगी।

रात को दस बजे तक हम सब लोग खाना खा कर फ्री हो गए. फिर ग्यारह बजे के आसपास सब लोग अपने अपने रूम में सोने चले गए।

मैं रूम में थोड़ा देर से पहुँची ताकि रवि सो जाए और मैं रोहन को वीडियो कॉल कर सकूं और हुआ भी ऐसा ही।

मैं बैडरूम के अंदर कुर्सी पर बैठी हुई थी. तभी रोहन का वीडियो कॉल आया. उसने रोहित के बाथरूम जाते ही कॉल ऑन कर दिया और वापस से टेबलेट को वैसे ही सेट कर दिया।

तभी रोहित भी आकर रोहन के बगल में लेट गया. दोनों लड़के बॉक्सर में थे।
तभी रोहन ने बात स्टार्ट करते हुए कहा- रोहित … मैंने जो मंगाया था, वो लाया है?

रोहित- हाँ … लाया हूँ.
इतना बोलकर रोहित ने अपने मोबाइल में कुछ खोजना शुरू कर दिया.
जब वो मिल गयी तो उसने रोहन को दिखाते हुए कहा- ये लो।

रोहन ने रोहित के मोबाइल को अपने हाथों में लेकर कहा- आहह यार … दिन बना दिया तूने तो!
वो कोई फ़ोटो थी … जब रोहन ने उसे ज़ूम किया तब मुझे हल्का सा दिखा कि वो किसी की नंगी तस्वीर है.

उसने एक के बाद एक कई तस्वीरें देखी और वापस रोहित को मोबाइल देते हुए कहा- मौसी तो बहुत मस्त दिखती हैं।

मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वो नंगी फ़ोटो मेरी बड़ी बहन पूजा की थी.
रोहन ने फिर रोहित से कहा- रोहित … तूने अपनी और मेरी मम्मी दोनों को नंगा देखा है. दोनों में ज्यादा सेक्सी कौन है?

मैं दोनों की बातों को बड़ी ही हैरानी से सुन रही थी और उनका लुत्फ उठा रही थी।

रोहित ने दो पल सोचते हुए कहा- वैसे तो सोनाली मौसी बहुत सेक्सी हैं. पर मेरी मम्मी का फिगर मौसी से ज्यादा है तो मम्मी भी कुछ कम नहीं हैं।

मेरी बड़ी बहन पूजा मुझसे दो साल बड़ी है और उसका शरीर मुझसे ज्यादा भरा और गदराया हुआ है. इसमें कोई शंका की बात नहीं थी कि रोहित बिल्कुल सही कह रहा था. मैंने भी कई बार पूजा दीदी को कपड़े बदलते हुए देखा था. उनके मम्में मेरे स्तनों की तुलना में काफी बड़े पर थोड़े लटके हुए हैं. जबकि मेरे बोबे कसे हुए पर उनसे थोड़े छोटे हैं।

रोहित का जवाब सुनकर रोहन ने उसे छेड़ते हुए कहा- हाय मम्मी के आशिक!
और दोनों हँसने लगे।

फिर रोहन ने अपने मोबाइल पर एक पोर्न लगाई और दोनों उसे देखने लगे. पोर्न देखते देखते दोनों ने बॉक्सर के ऊपर से ही एक दूसरे का लण्ड सहलाना शुरू कर दिया।

पोर्न खत्म होने के बाद रोहन ने अपना मोबाइल एक तरफ रख दिया। रोहित अभी भी लेटा हुआ था लेकिन रोहन उठ कर रोहित की टांगों के पास बैठ गया. फिर उसने एक एक करके रोहित के सभी कपड़े उतार दिए.
और आखिर में उसकी चड्डी उतारकर उसके खड़े लण्ड को भी आजाद कर दिया

अब बारी रोहित की थी.
रोहित को नंगा कर रोहन उसके लण्ड की मुट्ठी मारते हुए खुद बिस्तर पर लेट गया. फिर रोहित भी उसी तरह रोहन के कपड़े उतारने लगा।

पर रोहन का बॉक्सर उतारते ही वो चौंक गया. क्योंकि उस समय रोहन मेरी दी हुई लाल पैंटी पहने हुए था. और उसके खड़े लण्ड का सुपारा पैंटी के ऊपर से बाहर निकला हुआ था. जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पैंटी का साइज मर्दों की चड्डी से काफी छोटा होता है।

रोहित ने आश्चर्यचकित होते हुए रोहन से कहा- रोहन, ये तुम किसकी पैंटी पहने हो?

रोहन ने कहा- आज मेरी चड्डी साफ नहीं थी तो मम्मी की पैंटी पहन ली है।
रोहित ने पूछा- क्या उन्हें पता है?
तो रोहन ने उत्तर दिया- हाँ … मम्मी ने ही दी है पहनने के लिए।

कुछ पल सोचने के बाद रोहित ने कहा- लगता है मौसी काफी घुली मिली हुई है तेरे साथ!
और फिर उस लाल पैंटी को रोहन की टांगों से खींचकर अलग कर दिया।

रोहन को नंगा कर रोहित उसके ऊपर लेट गया. दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे और उन दोनों के लण्ड भी एक दूसरे को ठोकर दे रहे थे. रोहन रोहित के नीचे था.

फिर दोनों ने एक दूसरे के चेहरे को चूमना शुरू कर दिया। फिर रोहित नीचे की तरफ होते हुए रोहन की छाती तक आया और उसके छोटे छोटे निप्पलों को चूसने लगा. साथ ही वो अपना लण्ड रोहन से लण्ड से रगड़ रहा था.

इस खेल में दोनों ठंडी ठंडी आहें भर रहे थे।

कुछ देर बार रोहित रोहन के शरीर से अलग हो गया. अब रोहन उठा और उसने रोहित को अपने नीचे लेटाकर उसके शरीर से खेलना शुरू कर दिया. वो भी रोहित के निप्पल्स, उसके पेट को चूम रहा था … साथ ही उसके लण्ड को भी हिला रहा था।

फिर कुछ ऐसा हुआ जो कि मेरे लिए कल्पनामात्र ही हो सकती थी.

रोहित उठा, उसने रोहन को टांगें फैलाकर बिठा दिया और खुद उसकी टांगों के बीच आकर घुटनों के बल बैठ गया और झुककर रोहित के लण्ड को अपने मुंह में ले लिया।

कैमरे से दृश्य कुछ ऐसा था कि रोहन अपनी टांगें फैलाये अपने हाथों को बिस्तर पर टिकाकर सीधा बैठा था. उसका चेहरा कैमरे के सामने था और रोहित के उठे हुए नितम्ब भी.

मैं रोहित को रोहन का लण्ड चूसते हुए तो नहीं देख पा रही थी पर जिस तरह से उसका मुंह ऊपर नीचे हो रहा था; उससे तो यही लग रहा था।

थोड़ी लण्ड चुसाई के बाद रोहन ने अपने हाथ से रोहित के सर को अपने लण्ड पर दबा दिया जिससे रोहन का लण्ड रोहित के गले तक घुस गया.

रोहित इसके लिए तैयार नहीं था; उसने अपने मुंह से लण्ड को निकालते हुए जोर जोर से खाँसना शुरू कर दिया और रोहन से कहा- क्या कर रहे हो ये … जितना जाएगा उतना ही तो मुँह में ले पाऊँगा!
रोहन ने कहा- सॉरी यार, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।

रोहित ने कहा- ठीक है … हम दोनों ये काफी समय से करते आ रहे हैं … पर तूने आज तक मेरा लण्ड नहीं चूसा … और मैं तेरा लण्ड इसीलिए चूस लेता हूं कि मुझे तेरा लण्ड बहुत सेक्सी लगता है. मैं ही नहीं किसी का भी मन कर जाए इसे चूसने का!
और वो फिर से रोहन का लण्ड चूसने लगा।

उन दोनों की बातें सुनकर और उन्हें देख देख कर मैं भी उत्तेजित हो रही थी और मेरी चूत भी भीग रही थी. जिसका अंदाजा मुझे अपनी गीली पैंटी का स्पर्श पाकर हो रहा था.

रोहित द्वारा रोहन की लण्ड चुसाई देखकर मुझे भी रोहन के लण्ड की चुसाई याद आ गयी.
‘आआ अअहह हहह … रोहन का गोरा मोटा लण्ड … गोरी चमड़ी से ढका हुआ उसका सुपारा और उस चमड़ी पर चमकती हुई हरी नसें’


जब रोहन का लण्ड पूरा खड़ा हो जाता था तो उसका सुपारा चारों तरफ से सफेद खाल से घिरा रहता था, बस थोड़ा ऊपरी हिस्सा ही नज़र आता था जो केवल चुदाई और चुसाई के समय ही बाहर निकलता था.


शायद रोहित सही कह रहा था कि कोई भी उसका लण्ड चूसना चाहेगा।

कुछ देर बाद रोहित ने अपने मुंह से लण्ड को निकाला. दोनों लड़के उठ कर बैठ गए और एक दूसरे के सामने घुटनों के बल खड़े होकर एक दूसरे की मुट्ठी मारने लगे.

दोनों के लण्ड एक दूसरे के सामने थे और तेजी से एक दूसरे की मुट्ठी मार रहे थे.

एकाएक रोहन ने झटकों के साथ झड़ना शुरू कर दिया. उसके वीर्य की धार लण्ड से निकलकर सीधे रोहित के पेट कमर के नीचे के हिस्से पर गिर रही थी. यहाँ तक कि वो अपने जिस हाथ से रोहित के लण्ड को सहला रहा था वो भी उसके खुद के वीर्य से गीला हो गया।

रोहन के गर्म वीर्य को अपने शरीर पर पाकर रोहित भी नहीं टिक पाया और उसके लण्ड ने भी अपना वीर्य उगल दिया. और उसने भी रोहन के शरीर को भिगा दिया.

दोनों के शरीर वीर्य से लथपथ थे. उनके वीर्य की कुछ बूंदें बेडशीट पर भी गिर गयी थी. पर वे दोनों इस बात से अनजान थे … और मैं भी।

झड़ने के बाद दोनों अलग हो गए और उसी तरह बिस्तर पर पीठ के बल लेट गए.

कुछ देर बाद दोनों लोग उठकर बाथरूम जाने लगे.
रोहित के बाथरूम जाते ही रोहन ने कैमरे की तरफ फोन काटने का इशारा किया और वो भी बाथरूम की तरफ चला गया।

मैंने कॉल डिसकनेक्ट करते हुए मोबाइल में समय देखा तो साढ़े बारह बजने को थे.

उन दोनों को देखकर मैं भी गर्म हो चुकी थी.
कमरे की लाइट बन्द थी तो मैं धीरे से सोफे से उठी और बिस्तर पर आकर बैठ गयी।

मैंने अपने गाउन की चैन खोलकर अपने गाउन को मम्मों तक नीचे किया. और अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोलते हुए उसे अपने शरीर से अलग कर दिया और वहीं पास टेबल पर रख दिया और वापस से गाउन ठीक करके बिस्तर पर लेट गयी।

मुझे नींद नहीं आ रही थी और ऊपर से मेरे शरीर की गर्मी मुझे चुदाई के लिए उकसा रही थी.

मैंने सिर घुमा कर देखा तो मेरे पति रवि मेरी तरफ पीठ करके लेटे हुए थे. मैं सरक कर उनके पास गई और उनकी पीठ से चिपक कर सोने लगी.
मेरा हाथ उनके हाथों के ऊपर से होता हुआ उनकी छाती को छू रहा था।

मेरी नाक से निकलती हुई गर्म सांसें रवि की गर्दन पर पड़ रही थी और मेरे मम्में उनकी पीठ पर दब रहे थे.

कुछ समय बाद जब रवि को इसका अहसास हुआ. तो उन्होंने मेरी तरफ करवट लेते हुए मेरी तरफ देखा और मुझे जागता हुआ पाकर मुझसे पूछा- क्या हुआ … अभी तक जाग रही हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं … बस नींद नहीं आ रही।

मेरी बात सुनकर उन्होंने मेरे सिर को उठाकर अपने एक हाथ को मेरे सिर के नीचे लगा दिया. और दूसरा हाथ गाउन के ऊपर से ही मेरी पीठ पर फेरने लगे और अपने होंठों से मेरी आँखों और माथे को चूमते हुए मुझसे बोले- कोई बात नहीं … अभी आ जाएगी नींद।

रवि का इस तरह प्यार जताना मुझे काफी पसंद आया और मैंने प्रतिउत्तर में अपने होंठों से उनके होंठों को चूम लिया. मस्ती में उन्होंने भी वापस मेरे होंठों पर एक जोरदार चुम्बन दे दिया.

कुछ देर ऐसा ही चला. दोनों एक दूसरे को एक से बढ़कर एक चुम्बन दे रहे थे … नींद तो मानो कब की गायब हो चुकी थी दोनों की।


फिर मैंने अपनी गाउन की चैन को अपने पेट तक पूरा खोल दिया. चैन खोलते ही मेरे मम्मे गाउन से बाहर आ गए. मैंने रवि का हाथ पकड़कर उसे अपने गाउन के अंदर अपनी कमर पर रख दिया।

रवि भी आगे का इशारा समझकर मेरी नंगी पीठ को सहलाने लगे. कभी वो मेरे उरोजों को दबाते … कभी उनके निप्पल्स खींचते और उन्हें चूमते … तो कभी मेरी नाभि की गहराई तक अपनी उंगली डालकर उसे कुरेदते।

इन सबके कारण मेरी हल्की उफ्फ्फ … हइईई की सीत्कार निकल रही थी. मेरा हाथ भी रवि के पेट से होता हुआ उनके पायजामे के अंदर उनकी चड्डी में चला गया.
आआअअ अअअहह … उनके खड़े लण्ड का स्पर्श पाकर मैंने उसे अपने हाथों में जकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

अब शायद आगे बढ़ने का समय आ चुका था. रवि उठकर बैठ गए … उन्होंने अपने कपड़ों को उतारकर वही बिस्तर पर डाल दिये.
और फिर मेरे पति ने मेरे गाउन को मेरी टांगों से उठाना शुरू किया और मेरी कमर पर लाकर रुक गए.
फिर मेरी पैंटी को भी मेरी टांगों से निकालकर अलग कर दिया।

स्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी … कमर से नीचे तक बिल्कुल नंगी; जिससे मेरी गोरी लम्बी टांगें और उसके बीच मेरी गीली चूत जिस पर हल्के हल्के रुई जैसे बाल … ऊपर से मेरा गाउन वी शेप में खुला हुआ था जिससे मेरे मम्मे बाहर निकले हुए थे और नीचे नाभि तक आते आते मेरा गाउन बंद था।

रवि ने मेरी टांगों के पास आकर मेरी एक टांग उठाई और दूसरी टांग को फैलाकर दूर कर दी. मेरी उठी हुई टांग को अपने हाथों से पकड़कर दूसरे हाथ से अपना लण्ड मेरी चूत पर लगाकर उसे अंदर करने लगे. कुछ ही सेकंड में मेरे पति मेरी चूत की गहराई में अपने पूरे लण्ड को उतार दिया।

रवि का लण्ड चूत में जाते ही मैं कराह उठी- आआ आहहह हह … रवि … ऊउफ़्फ़!

अभी बस लण्ड घुसा ही था; चुदाई तो शुरू भी नहीं हुई थी और मैं बिल्कुल पागल सी सिसकार रही थी.
मैंने अपनी आँखें बंद की और रवि के लण्ड पर अपनी चूत को दबाते हुए उन्हें चुदाई आरंभ करने का इशारा दिया।

बस फिर क्या था … रवि के धक्के और मेरी सिसकारियां … जितने तेज रवि के धक्के हो रहे थे, उतनी तेज मेरी सिसकारियां।

मेरा मुँह बन्द करने के लिए रवि ने अपना एक हाथ बिस्तर पर रखा और दूसरा हाथ मेरी टांग से उठाकर मेरी कमर पर रख दिया. इससे मेरी टांग उनकी दोनों बाजुओं के बीच कैद हो गयी और फिर नीचे झुककर मेरे होंठों को चूमते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे।

हमारी जिह्वायें एक दूसरे के मुख को खंगाल रही थी और गीले होंठों की तपिश … पुच पुच की आवाज़ें कर रही थी.

काफी देर की चुदाई के बाद मैं अपने होंठों को अलग करते हुए सिसकारती हुई बोली- आअह्ह ह्ह्ह … हाए … आअह्ह … चोद दीजिये … जोर से … और जोर से … उफफ्फ … मेरा भी निकलने वाला है … हाए मारिये मेरी चूत … ऐसे ही … ऐसे ही … हाँ!

एकाएक मैंने झड़ना शुरू कर दिया. मेरी रस की गर्मी और गीलापन ज्यादा देर तक रवि झेल नहीं पाए और जल्द ही वे भी झड़ने लगे- आआआ अह्हह ह्ह्ह ह्ह्हह … मेरा भी निकल रहा है … मेरा भी निकल रहा है.
और मेरी चूत को अपने गर्म वीर्य की धाराओं से भरने लगे।

झड़ने के बाद रवि ने मेरी पैंटी उठाई और पैंटी को मेरी चूत के नीचे रखते हुए अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकालने लगे।

वीर्य से भीगे लण्ड के निकलते ही मेरी चूत से रस का एक सैलाब बाहर आया. जिसे रवि ने पैंटी से पौंछ कर साफ कर दिया और फिर अपने लण्ड को भी उसी पैंटी के सूखे हिस्से से पौंछकर उसे जमीन पर डाल दिया।

रवि ने मेरा गाउन वापस से ठीक कर दिया. मैं लेटी हुई मुस्कुराती हुई ये सब देख रही थी..

और फिर रवि अपनी चड्डी पहनकर मुझे अपने सीने से लगाकर लेट गए.

कुछ देर बाद उनकी बांहों में लेटे ही मुझे नींद आ गयी।
 
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