hotaks444
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रति-द्वार दर्शन :
जब मैं रमेश और सुधा को स्टेशन छोड़ कर वापस आया तो लगभग साढ़े ग्यारह बज चुके थे। मिक्की गेस्टरूम में सो चुकी थी। मैंने उस रात मधु को दो बार कस कस कर चोदा और एक बार उसकी गांड भी मारी। आज जिस तरीके से मैंने मधु को रगड़ा था मुझे नहीं लगता वो अगले दो दिनों तक ठीक से चल फिर पाएगी।
आज मेरा उतावलापन और बेकरारी देखकर मधु आखिर बोल ही पड़ी, “आज आपको क्या हो गया है ? मुझे मार ही डालोगे क्या ? कहीं आप नशा तो नहीं कर आये हो।”
अब मैं उसे क्या बताता कि मैं तो मिक्की के नशे में अन्दर तक डूबा हुआ हूँ। मैं तो बस इतना ही बोल पाया आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मेरी जान और तीन चार चुम्बन उसके गालों पर ले लिए तो वो बोली- उन्ह्ह्ह…. हटो परे झूठे कहीं के…. !हम लोगो को रात को सोने में दो बज गए थे।
रात के घमासान के बाद सुबह उठाने में देर तो होनी ही थी। मैं कोई आठ बजे उठा। मधु पहले ही उठ चुकी थी। मधु ने मुझे जगाया और उलाहना देते हुए बोली- रात में तो तुमने मेरी कमर ही तोड़ डाली।
मैंने उसे फिर बाहों में भरने कि कोशिश की तो अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली “सुबह सुबह छेड़खानी नहीं ! जाओ मोना को जगा दो ! मैं चाय बनाती हूँ “
मैं बाथरूम से फ्रेश होकर गेस्ट रूम में गया जहां मिक्की सोई हुई थी। मिक्की अभी भी बेसुध पड़ी सो रही थी। उसने अपना अंगूठा मुंह में ले रखा था और दूसरे हाथ से बेबी डॉल को सीने से चिपका रखा था। बालों की एक आवारा लट उसके गालों पर बिखरी पड़ी थी। जिस अंदाज में वो सोई थी मुझे लगा कि वो अभी निरी मासूम बच्ची ही है। मुझ जैसे पढ़े लिखे आदमी के लिए ऐसी भावनाए रखना कदापि उचित नहीं है।
पर मेरा ये ख़याल अगले ही पल हवा में काफूर हो गया। उसने फूलोंवाली फ़्रॉक और गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी। वो करवट लेकर लेटी हुई थी। एक टांग थोड़ी सी ऊपर की ओर मुड़ी हुई। उसकी पुष्ट जाँघों को देखकर तो लगा जैसे वो कोई हॉकी की खिलाड़ी हो। पेंटी के अन्दर कसी हुई उसकी बुर एकदम फूली हुई थी। रोम विहीन टाँगे घुटनों से ऊपर उठी उसकी फ़्रॉक से झांकती हुई उसकी जाँघों की रंगत तो शरीर के दूसरे हिस्सों से कहीं ज्यादा गोरी थी। मैं तो बेसाख्ता आँखें फाड़े उस रूप की देवी को देखता ही रह गया। मेरा पप्पू तो बेकाबू होने लगा।
मैं सोच रहा था कि उसे जगाने के लिए उसकी संगमरमरी जाँघों पर हाथ फेरूँ या नितम्बों पर जोर की थप्पी लगाऊं या उसके गालों पर एक पप्पी लेकर उसे जगाऊं। धड़कते दिल से मैंने अपना एक हाथ और मुंह उसकी जाँघों की ओर बढाया ही था कि पीछे से मधु की आवाज आई,”अरे मोना अभी उठी नहीं ? ऑफ।। ये लड़की भी कितना सोती है ?”
मैं तो इस अप्रत्याशित आवाज से हड़बड़ा ही गया। मुझे तो ऐसा लगा जैसे मेरा सारा खून रगों में जम ही गया है। आज तो मेरी चोरी पकड़ी गई है। पता नहीं मेरे मुंह से कैसे निकल गया।
“हाँ हाँ उठ ही रही है !”
मुझे लगा अगर मैंने मधु की ओर देखा तो जरूर वो जान जायेगी और मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगी मैं तो कहीं का नहीं रहूँगा। पर भगवान् का लाख लाख शुक्र है वो रसोई में चली गई थी। अगर एक दो सेकंड की भी देरी हो जाती तो ??
सोच कर मैं तो सूखे पत्ते की तरह काँप गया।
मैं तो तब चौंका जब मिक्की ने आँखे मलते हुए कहा,”गुड-मोर्निंग फूफाजी !”
मैं भला क्या कहता। मिक्की बाथरूम में चली गई। मेरी हालत तो उस निराश शिकारी की तरह हो रही थी जिसके हाथ में आया हुआ शिकार छूट गया हो। मैं बाहर लॉन में पड़ी चेयर पर बैठ कर अखबार पढ़ने लगा।
गर्मियों की छुटियाँ चल रही थी इसलिए मधु को तो वैसे ही स्कूल नहीं जाना था (मधु बच्चों के एक स्कूल में डांस टीचर है) और मैंने आज बंक मारने का इरादा पहले ही कर लिया था वैसे भी आज बुद्ध पूर्णिमा की छुट्टी थी। मैं चाहता था कि मिक्की और मधु पहले नहा धो लें, मैं तो आराम से नहाना चाहता था। मुझे आज अपने पप्पू का मुंडन भी करना था। आप तो जानते ही है मधु को लंड और चूत पर झांटे बिलकुल अच्छी नहीं लगती। उसने कल रात भी उलाहना दिया था। पर मैं तो कुछ इससे आगे भी सोच रहा था। क्या पता कब किस्मत मेरे ऊपर निहाल हो जाये और मेरी मोनिका डार्लिंग मेरी बाहों में आये तो मैं एक हैंडसम चिकने आशिक की तरह लगूं। वैसे एक कारण और भी था। गुरूजी कहते है झांटों की सफाई करने के बाद लंड और चूत दोनों की सुन्दरता बढ़ जाती है और लंड का आकार बड़ा और चूत का छोटा नजर आने लगता है। वैसे तो ये नज़र का धोखा ही है पर चलो इस खुशफहमी में बुरा भी क्या है।
खैर कोई बारह-साढ़े बारह बजे मैं नहा धोकर फारिग हुआ। मिक्की स्टडी रूम से बाहर आ रही थी। उसकी नज़रें झुकी हुई थी और साँसे उखड़ी हुई माथे पर पसीना। वो मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थी। वो मेरी और देखे बिना मधु के पास रसोई में चली गई। पहले तो मैं कुछ समझा नहीं पर बाद में मेरी तो बांछें ही खिल गई। ओह मिक्की डार्लिंग ने जरूर वो ही ‘जंगली छिपकलियों’ वाला फोल्डर और फाइल्स देखी होंगी। थैंक गॉड। आईला….। मेरा दिल किया कि जोर से पुकारूं – मोनिका…. ओ।।। माई।। । डार्लिंग”।
कोई आधे घंटे बाद मिक्की नाश्ता लेकर आई। उसकी नज़रें अभी भी झुकी हुई थी। ऊपर से वो सामान्य बनने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसे पूछा,”क्या बात है ?”
तो वो बोली “कुछ नहीं आआन्न…. वो….। वो हम मंदिर कब चलेंगे ?”
मैंने उसके चहरे की और गौर से देखते हुए कहा,”शाम को चलेंगे अभी तो बहुत गरमी है !”
आज कामवाली बाई गुलाबो नहीं उसकी लड़की अनारकली आई थी। मैं सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था। जब मिक्की रसोई में जा रही थी तो अनारकली उधर देखते हुए मेरे पास आकर फुसफुसाने वाले अंदाज में आँखें मटकते हुए बोली “ये चिकनी लोंडिया कौन है ?”
मैंने उसके दोनों संतोरों को जोर से दबाते हुए कहा “क्यों लाल मिर्च से जल गई क्या ?”
“जले मेरी जूती !” पैर पटकते हुए वो अपना मुंह फुलाते हुए वो अन्दर चली गई।
आप चौंक गए न ? मैं आपको बताना भूल गया कि अनु हमारे यहाँ काम करनेवाली बाई गुलाबो की लड़की है जिसे मैं कई बार चोद चुका हूँ और उसकी गांड भी मार चुका हूँ। वो तो समझती है कि सारी खुदाई छोड़ कर मैं तो बस उस पर ही मोर हूँ। उसे हम भंवरों की कैफियत का क्या गुमान। वैसे भी भगवान् ने औरतों को दूसरी किसी भी सुन्दर औरत के लिए ईर्ष्यालू बनाया ही है तो इसमें बेचारी अनारकली का क्या दोष है।
शाम को कोई चार बजे मैं और मिक्की लिंग महादेव मंदिर पर जाने के लिए तैयार हो गए। मधु ने वो ही कमर दर्द का बहाना बनाया और साथ नहीं गई। मैं इस कमर दर्द का मतलब अच्छी तरह जानता था। मिक्की को जब ये पता चला कि बुआजी साथ नहीं जा रही तो वो बहुत खुश हुई पता नहीं क्यों। दो जनो के लिए तो कार की जगह बाइक ही ठीक थी।
जब मैं रमेश और सुधा को स्टेशन छोड़ कर वापस आया तो लगभग साढ़े ग्यारह बज चुके थे। मिक्की गेस्टरूम में सो चुकी थी। मैंने उस रात मधु को दो बार कस कस कर चोदा और एक बार उसकी गांड भी मारी। आज जिस तरीके से मैंने मधु को रगड़ा था मुझे नहीं लगता वो अगले दो दिनों तक ठीक से चल फिर पाएगी।
आज मेरा उतावलापन और बेकरारी देखकर मधु आखिर बोल ही पड़ी, “आज आपको क्या हो गया है ? मुझे मार ही डालोगे क्या ? कहीं आप नशा तो नहीं कर आये हो।”
अब मैं उसे क्या बताता कि मैं तो मिक्की के नशे में अन्दर तक डूबा हुआ हूँ। मैं तो बस इतना ही बोल पाया आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मेरी जान और तीन चार चुम्बन उसके गालों पर ले लिए तो वो बोली- उन्ह्ह्ह…. हटो परे झूठे कहीं के…. !हम लोगो को रात को सोने में दो बज गए थे।
रात के घमासान के बाद सुबह उठाने में देर तो होनी ही थी। मैं कोई आठ बजे उठा। मधु पहले ही उठ चुकी थी। मधु ने मुझे जगाया और उलाहना देते हुए बोली- रात में तो तुमने मेरी कमर ही तोड़ डाली।
मैंने उसे फिर बाहों में भरने कि कोशिश की तो अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली “सुबह सुबह छेड़खानी नहीं ! जाओ मोना को जगा दो ! मैं चाय बनाती हूँ “
मैं बाथरूम से फ्रेश होकर गेस्ट रूम में गया जहां मिक्की सोई हुई थी। मिक्की अभी भी बेसुध पड़ी सो रही थी। उसने अपना अंगूठा मुंह में ले रखा था और दूसरे हाथ से बेबी डॉल को सीने से चिपका रखा था। बालों की एक आवारा लट उसके गालों पर बिखरी पड़ी थी। जिस अंदाज में वो सोई थी मुझे लगा कि वो अभी निरी मासूम बच्ची ही है। मुझ जैसे पढ़े लिखे आदमी के लिए ऐसी भावनाए रखना कदापि उचित नहीं है।
पर मेरा ये ख़याल अगले ही पल हवा में काफूर हो गया। उसने फूलोंवाली फ़्रॉक और गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी। वो करवट लेकर लेटी हुई थी। एक टांग थोड़ी सी ऊपर की ओर मुड़ी हुई। उसकी पुष्ट जाँघों को देखकर तो लगा जैसे वो कोई हॉकी की खिलाड़ी हो। पेंटी के अन्दर कसी हुई उसकी बुर एकदम फूली हुई थी। रोम विहीन टाँगे घुटनों से ऊपर उठी उसकी फ़्रॉक से झांकती हुई उसकी जाँघों की रंगत तो शरीर के दूसरे हिस्सों से कहीं ज्यादा गोरी थी। मैं तो बेसाख्ता आँखें फाड़े उस रूप की देवी को देखता ही रह गया। मेरा पप्पू तो बेकाबू होने लगा।
मैं सोच रहा था कि उसे जगाने के लिए उसकी संगमरमरी जाँघों पर हाथ फेरूँ या नितम्बों पर जोर की थप्पी लगाऊं या उसके गालों पर एक पप्पी लेकर उसे जगाऊं। धड़कते दिल से मैंने अपना एक हाथ और मुंह उसकी जाँघों की ओर बढाया ही था कि पीछे से मधु की आवाज आई,”अरे मोना अभी उठी नहीं ? ऑफ।। ये लड़की भी कितना सोती है ?”
मैं तो इस अप्रत्याशित आवाज से हड़बड़ा ही गया। मुझे तो ऐसा लगा जैसे मेरा सारा खून रगों में जम ही गया है। आज तो मेरी चोरी पकड़ी गई है। पता नहीं मेरे मुंह से कैसे निकल गया।
“हाँ हाँ उठ ही रही है !”
मुझे लगा अगर मैंने मधु की ओर देखा तो जरूर वो जान जायेगी और मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगी मैं तो कहीं का नहीं रहूँगा। पर भगवान् का लाख लाख शुक्र है वो रसोई में चली गई थी। अगर एक दो सेकंड की भी देरी हो जाती तो ??
सोच कर मैं तो सूखे पत्ते की तरह काँप गया।
मैं तो तब चौंका जब मिक्की ने आँखे मलते हुए कहा,”गुड-मोर्निंग फूफाजी !”
मैं भला क्या कहता। मिक्की बाथरूम में चली गई। मेरी हालत तो उस निराश शिकारी की तरह हो रही थी जिसके हाथ में आया हुआ शिकार छूट गया हो। मैं बाहर लॉन में पड़ी चेयर पर बैठ कर अखबार पढ़ने लगा।
गर्मियों की छुटियाँ चल रही थी इसलिए मधु को तो वैसे ही स्कूल नहीं जाना था (मधु बच्चों के एक स्कूल में डांस टीचर है) और मैंने आज बंक मारने का इरादा पहले ही कर लिया था वैसे भी आज बुद्ध पूर्णिमा की छुट्टी थी। मैं चाहता था कि मिक्की और मधु पहले नहा धो लें, मैं तो आराम से नहाना चाहता था। मुझे आज अपने पप्पू का मुंडन भी करना था। आप तो जानते ही है मधु को लंड और चूत पर झांटे बिलकुल अच्छी नहीं लगती। उसने कल रात भी उलाहना दिया था। पर मैं तो कुछ इससे आगे भी सोच रहा था। क्या पता कब किस्मत मेरे ऊपर निहाल हो जाये और मेरी मोनिका डार्लिंग मेरी बाहों में आये तो मैं एक हैंडसम चिकने आशिक की तरह लगूं। वैसे एक कारण और भी था। गुरूजी कहते है झांटों की सफाई करने के बाद लंड और चूत दोनों की सुन्दरता बढ़ जाती है और लंड का आकार बड़ा और चूत का छोटा नजर आने लगता है। वैसे तो ये नज़र का धोखा ही है पर चलो इस खुशफहमी में बुरा भी क्या है।
खैर कोई बारह-साढ़े बारह बजे मैं नहा धोकर फारिग हुआ। मिक्की स्टडी रूम से बाहर आ रही थी। उसकी नज़रें झुकी हुई थी और साँसे उखड़ी हुई माथे पर पसीना। वो मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थी। वो मेरी और देखे बिना मधु के पास रसोई में चली गई। पहले तो मैं कुछ समझा नहीं पर बाद में मेरी तो बांछें ही खिल गई। ओह मिक्की डार्लिंग ने जरूर वो ही ‘जंगली छिपकलियों’ वाला फोल्डर और फाइल्स देखी होंगी। थैंक गॉड। आईला….। मेरा दिल किया कि जोर से पुकारूं – मोनिका…. ओ।।। माई।। । डार्लिंग”।
कोई आधे घंटे बाद मिक्की नाश्ता लेकर आई। उसकी नज़रें अभी भी झुकी हुई थी। ऊपर से वो सामान्य बनने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसे पूछा,”क्या बात है ?”
तो वो बोली “कुछ नहीं आआन्न…. वो….। वो हम मंदिर कब चलेंगे ?”
मैंने उसके चहरे की और गौर से देखते हुए कहा,”शाम को चलेंगे अभी तो बहुत गरमी है !”
आज कामवाली बाई गुलाबो नहीं उसकी लड़की अनारकली आई थी। मैं सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था। जब मिक्की रसोई में जा रही थी तो अनारकली उधर देखते हुए मेरे पास आकर फुसफुसाने वाले अंदाज में आँखें मटकते हुए बोली “ये चिकनी लोंडिया कौन है ?”
मैंने उसके दोनों संतोरों को जोर से दबाते हुए कहा “क्यों लाल मिर्च से जल गई क्या ?”
“जले मेरी जूती !” पैर पटकते हुए वो अपना मुंह फुलाते हुए वो अन्दर चली गई।
आप चौंक गए न ? मैं आपको बताना भूल गया कि अनु हमारे यहाँ काम करनेवाली बाई गुलाबो की लड़की है जिसे मैं कई बार चोद चुका हूँ और उसकी गांड भी मार चुका हूँ। वो तो समझती है कि सारी खुदाई छोड़ कर मैं तो बस उस पर ही मोर हूँ। उसे हम भंवरों की कैफियत का क्या गुमान। वैसे भी भगवान् ने औरतों को दूसरी किसी भी सुन्दर औरत के लिए ईर्ष्यालू बनाया ही है तो इसमें बेचारी अनारकली का क्या दोष है।
शाम को कोई चार बजे मैं और मिक्की लिंग महादेव मंदिर पर जाने के लिए तैयार हो गए। मधु ने वो ही कमर दर्द का बहाना बनाया और साथ नहीं गई। मैं इस कमर दर्द का मतलब अच्छी तरह जानता था। मिक्की को जब ये पता चला कि बुआजी साथ नहीं जा रही तो वो बहुत खुश हुई पता नहीं क्यों। दो जनो के लिए तो कार की जगह बाइक ही ठीक थी।