hotaks444
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पापा की हेल्पिंग बेटी -लास्ट पार्ट
(एन ओरिजिनल वर्क ऑफ फॅंटेसी)
पहली ही दफ़ा मैं हम दोनो बाप बेटी चुदाई का इतना मज़ा ले चुके थे के शाएेद सुहाग रात को हज़्बेंड और वाइफ भी नही लेते होंगे. हम दोनो इतना थक चुके थे के अब और हिम्मत नही थी. जितना मैं पहली दफ़ा मैं छुड़वा चुकी थी और मज़े ले चुकी थी, उसके नशे मैं सिर से पाओं तक डूबी रहना चाहती थी.
कोई 15 मिनिट्स तक अपनी अपनी साँस ठीक करने के बाद हम दोनो उठे और पापा ने बाथ टब का शावर खोल दिया. दुनिया मैं कितने बाप बेटी ऐसे होंगे जो एक साथ नंगे बाथ टब मैं नहाए हों? ठंडा ठंडा पानी जिसम से लगते ही मज़ा आ गया. पापा ने मेरे सारे जिसम पेर लक्स सोप लगा कर और मेरे बालों मैं सुनसिल्क शॅमपू अछी तारा लगा कर और मेरे पूरे जिसम हेड से ले कर फीट तक मल मल के मुझे नहलाया. मैं पापा की तरफ बॅक कर के उनके जिसम के साथ जूरी हुई थी. पापा ने मेरी नेक के बाद जब मेरी एप्रिकॉट जैसे टिट्स को सोप लगा कर हाथों से मलना श्रु काइया तो मेरी टिट्स से ले कर मेरी चूत तक टिकलिंग शुरू हो गई.
फिर पापा का हाथ जब अपनी छोटी सी बेटी की हेरलेस चूत पेर पहुँचा तो मैं एक बार मस्त होने लगी. सोप की वजह से चूत मेरी और चिकनी हो गई थी, ऊपेर से पापा की उंगलियाँ जब मेरे चूत के दाने को मसाल्तीं तो मैं बे इक्तियार गांद को आगे पीछे करने लगती.
पापा के दोनो हाथ मेरी चूत से होते हुआी पीछे मेरी गोरी और मोटी मोटी गांद पेर सोप मलने लगे. पापा ने अपना हाथ मेरी गोरी और वॉटर मेलन जैसी गांद पेर फेरना शुरू काइया, और फिर अपने हाथ से मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं सोप के सड्स मलने लगे.
मैं तो अभी पूरी तरह जवान भी नहीं हुई थी, और ना मुझे अभी तक पीरियड्स श्रु हुआी थे. कच्ची जवानी मैं जब लर्की पहली दफ़ा चुड़वा लेती है तो उसका बस नहीं चलता के वो हर पल चुड़वाए. और यहाँ तो परदह ही कोई नही था. छुड़वाने वाली बेटी थी तो छोड़ने वाला मेरे पापा थे. और पापा मैं पूरा ट्रस्ट कर सकती थी, क्यूँ क पापा से मुझे मम्मी के वक़्त से ही बोहट प्यार था. मगर वो पहले वाला प्यार रियल बाप बेटी वाला था. अब मेरे प्यार ने एक नया टर्न ले लिया था और मैं अब सेक्सुअल्ली पापा को प्यार करने लगी थी. पापा पेर मेरा ट्रस्ट और भी ज़ियादा हो गया था. मैं शाएेद किसी अजनबी लरके से कभी इतना नही खुल सकती थी. अगर किसी लरके से प्यार हो भी जाता, तो भी मैं उसके साथ इतनी जल्दी सेक्स अफेर मैं नही जाती.
पापा के साथ पिछली रात से मेरा सेक्स अफेर शुरू हुआ. पापा ने जो भी मेरे साथ काइया, मेरे एग्री होने पर काइया. मेरी बॉडी को अब्यूस नही काइया. मेरे जिसम के एक एक ऑर्गन को बोहट प्यार से हॅंडल काइया. यहाँ तक के मेरी चूत को भी आराम से और मुझ से पूछ पूछ कर छोड़ा, ताकि मुझे दर्द ना हो, तकलीफ़ ना हो. यह सब इस लिये हुआ के पापा भी मुझे बोहट प्यार करते थे (और करते हैं). मैं हमेशा पापा से बोहट क्लोज़ रही हूँ. और वो बाप बेटी के अनमोल प्यार का रीलेशन था. और एक ही रात मैं इतनी सी आगे मैं, मैं पापा की औरत बुन चुकी थी.
यह सूब सोचते सोचते हम दोनो बाप बेटी बाथ ले चुके थे के अचानक मुझे पापा का तना हुआ सख़्त लंड पीछे से अपनी गांद के बीच मैं घुसता हुआ लगा. पापा का 7 इंच के लंड का हेड मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं से होता हुआ मेरी चूत की तरफ से बाहर निकल आया. पापा ने ऐसा जान के नहीं काइया था. असल मैं पापा शवर को बूँद करने के लिये जब आगे हुआी तो आप ही आप ऐसा होगआया.
मैं ने झट से पापा के लौरे की टॉप को अपनी मुथि मैं पाकर लिया और अपनी मुथि को लंड पे आगे पीछे करने लगी.
"जानू काइया फिर चुदना चाहती हो" पापा ने पूछा.
"नही पापा … बोहट ज़ियादा हम दोनो थक नही गये … हन बेड पे आप के साथ सोने से पहले आपके इस प्यारे से लंड को चूस कर इसकी गरम गरम मनी मुँह मैं निकल कर पीऊँगी .. ठीक हे ना पापा?"
बाथ लेने के बाद पापा मुझे अपनी गौड़ मैं उठा कर बेड पेर ले गाए. मैं नंगी पापा की गौड़ मैं अजीब सी लग रही थी. छोटी सी नन्नी बेबी की तरह मैं मैं पापा की बाहों मैं थी.
बेड पेर पापा की तरफ करवट ले कर लेट कर मैं ने अपनी मुथि मैं पापा का खरा हुआ सख़्त लंड पाकर लिया और आहिस्ता आहिस्ता पापा के लंड को सहला ती रही. मुझे अपने पापा पेर बे हुड प्यार आ रहा था, जिन्होने एक ही रात मैं अपनी बेटी को काली से फूल बना दिया था. मैं लर्की और लरके के सेक्स रिलेशन्स (जिन्सी रिश्ते) से ना आशना थी. पापा के साथ एक ही रात मैं, मैं सूब कुछ सीख गई, समझ गई और वो भी भरपूर मज़े के साथ.
(एन ओरिजिनल वर्क ऑफ फॅंटेसी)
पहली ही दफ़ा मैं हम दोनो बाप बेटी चुदाई का इतना मज़ा ले चुके थे के शाएेद सुहाग रात को हज़्बेंड और वाइफ भी नही लेते होंगे. हम दोनो इतना थक चुके थे के अब और हिम्मत नही थी. जितना मैं पहली दफ़ा मैं छुड़वा चुकी थी और मज़े ले चुकी थी, उसके नशे मैं सिर से पाओं तक डूबी रहना चाहती थी.
कोई 15 मिनिट्स तक अपनी अपनी साँस ठीक करने के बाद हम दोनो उठे और पापा ने बाथ टब का शावर खोल दिया. दुनिया मैं कितने बाप बेटी ऐसे होंगे जो एक साथ नंगे बाथ टब मैं नहाए हों? ठंडा ठंडा पानी जिसम से लगते ही मज़ा आ गया. पापा ने मेरे सारे जिसम पेर लक्स सोप लगा कर और मेरे बालों मैं सुनसिल्क शॅमपू अछी तारा लगा कर और मेरे पूरे जिसम हेड से ले कर फीट तक मल मल के मुझे नहलाया. मैं पापा की तरफ बॅक कर के उनके जिसम के साथ जूरी हुई थी. पापा ने मेरी नेक के बाद जब मेरी एप्रिकॉट जैसे टिट्स को सोप लगा कर हाथों से मलना श्रु काइया तो मेरी टिट्स से ले कर मेरी चूत तक टिकलिंग शुरू हो गई.
फिर पापा का हाथ जब अपनी छोटी सी बेटी की हेरलेस चूत पेर पहुँचा तो मैं एक बार मस्त होने लगी. सोप की वजह से चूत मेरी और चिकनी हो गई थी, ऊपेर से पापा की उंगलियाँ जब मेरे चूत के दाने को मसाल्तीं तो मैं बे इक्तियार गांद को आगे पीछे करने लगती.
पापा के दोनो हाथ मेरी चूत से होते हुआी पीछे मेरी गोरी और मोटी मोटी गांद पेर सोप मलने लगे. पापा ने अपना हाथ मेरी गोरी और वॉटर मेलन जैसी गांद पेर फेरना शुरू काइया, और फिर अपने हाथ से मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं सोप के सड्स मलने लगे.
मैं तो अभी पूरी तरह जवान भी नहीं हुई थी, और ना मुझे अभी तक पीरियड्स श्रु हुआी थे. कच्ची जवानी मैं जब लर्की पहली दफ़ा चुड़वा लेती है तो उसका बस नहीं चलता के वो हर पल चुड़वाए. और यहाँ तो परदह ही कोई नही था. छुड़वाने वाली बेटी थी तो छोड़ने वाला मेरे पापा थे. और पापा मैं पूरा ट्रस्ट कर सकती थी, क्यूँ क पापा से मुझे मम्मी के वक़्त से ही बोहट प्यार था. मगर वो पहले वाला प्यार रियल बाप बेटी वाला था. अब मेरे प्यार ने एक नया टर्न ले लिया था और मैं अब सेक्सुअल्ली पापा को प्यार करने लगी थी. पापा पेर मेरा ट्रस्ट और भी ज़ियादा हो गया था. मैं शाएेद किसी अजनबी लरके से कभी इतना नही खुल सकती थी. अगर किसी लरके से प्यार हो भी जाता, तो भी मैं उसके साथ इतनी जल्दी सेक्स अफेर मैं नही जाती.
पापा के साथ पिछली रात से मेरा सेक्स अफेर शुरू हुआ. पापा ने जो भी मेरे साथ काइया, मेरे एग्री होने पर काइया. मेरी बॉडी को अब्यूस नही काइया. मेरे जिसम के एक एक ऑर्गन को बोहट प्यार से हॅंडल काइया. यहाँ तक के मेरी चूत को भी आराम से और मुझ से पूछ पूछ कर छोड़ा, ताकि मुझे दर्द ना हो, तकलीफ़ ना हो. यह सब इस लिये हुआ के पापा भी मुझे बोहट प्यार करते थे (और करते हैं). मैं हमेशा पापा से बोहट क्लोज़ रही हूँ. और वो बाप बेटी के अनमोल प्यार का रीलेशन था. और एक ही रात मैं इतनी सी आगे मैं, मैं पापा की औरत बुन चुकी थी.
यह सूब सोचते सोचते हम दोनो बाप बेटी बाथ ले चुके थे के अचानक मुझे पापा का तना हुआ सख़्त लंड पीछे से अपनी गांद के बीच मैं घुसता हुआ लगा. पापा का 7 इंच के लंड का हेड मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं से होता हुआ मेरी चूत की तरफ से बाहर निकल आया. पापा ने ऐसा जान के नहीं काइया था. असल मैं पापा शवर को बूँद करने के लिये जब आगे हुआी तो आप ही आप ऐसा होगआया.
मैं ने झट से पापा के लौरे की टॉप को अपनी मुथि मैं पाकर लिया और अपनी मुथि को लंड पे आगे पीछे करने लगी.
"जानू काइया फिर चुदना चाहती हो" पापा ने पूछा.
"नही पापा … बोहट ज़ियादा हम दोनो थक नही गये … हन बेड पे आप के साथ सोने से पहले आपके इस प्यारे से लंड को चूस कर इसकी गरम गरम मनी मुँह मैं निकल कर पीऊँगी .. ठीक हे ना पापा?"
बाथ लेने के बाद पापा मुझे अपनी गौड़ मैं उठा कर बेड पेर ले गाए. मैं नंगी पापा की गौड़ मैं अजीब सी लग रही थी. छोटी सी नन्नी बेबी की तरह मैं मैं पापा की बाहों मैं थी.
बेड पेर पापा की तरफ करवट ले कर लेट कर मैं ने अपनी मुथि मैं पापा का खरा हुआ सख़्त लंड पाकर लिया और आहिस्ता आहिस्ता पापा के लंड को सहला ती रही. मुझे अपने पापा पेर बे हुड प्यार आ रहा था, जिन्होने एक ही रात मैं अपनी बेटी को काली से फूल बना दिया था. मैं लर्की और लरके के सेक्स रिलेशन्स (जिन्सी रिश्ते) से ना आशना थी. पापा के साथ एक ही रात मैं, मैं सूब कुछ सीख गई, समझ गई और वो भी भरपूर मज़े के साथ.