desiaks
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दो दो लंड लेते हुए रश्मि पांच मिनट से ज्यादा नहीं टिक पायी और उसकी चूत के गर्म गर्म पानी ने रमेश के लंड को भिगो दिया. अब रमेश का लंड पच-पच करता हुआ उसकी चूत में चोदने लगा.
रवि भी इस आवाज से और ज्यादा जोश में आ गया. वो रश्मि की गांड को फाड़ने लगा. कुछ ही देर में वो दोनों झड़ने के कगार पर पहुंच गये. रवि जोर जोर से उसकी चूचियों को मसलने लगा और उसके निप्पलों को काटने लगा.
इधर रमेश ने उसकी गांड को भींचना शुरू कर दिया. उसके हाथ पर कभी कभी रवि का लंड भी लग जाता था. दोनों रेल के इंजन की तरह आगे और पीछे से रश्मि की चूत और गांड को पेल रहे थे.
फिर दोनों जोर जोर से चीखते हुए झड़ने लगे- आह्हह … ओहह … हाहाहह … आहह्ह्ह … याह्हह … हम्म … हुह … करते हुए दोनों ने ही रश्मि के दोनों छेदों को आगे और पीछे से भर दिया.
उसके बाद तीनों थक कर लेट गये. किसी को होश नहीं रहा. आधे घंटे तक वो पड़े रहे.
उसके बाद रमेश ने फिर से रश्मि की चूत को उंगली से कुरेदना शुरू कर दिया. अब रवि भी शरारत करते हुए अपनी बेटी की गांड के छेद पर उंगली फिराने लगा.
रश्मि की गांड दुख रही थी. फिर भी वो बाप की उंगली का मजा गांड में ले रही थी. थोड़ी देर तीनों एक दूसरे के जिस्मों को सहलाते चाटते रहे और तीनों ही फिर से गर्म हो गये.
रवि उठा और उसने रश्मि के हाथ को खींच कर रश्मि को अपने साथ उठा लिया. उसने रश्मि को दीवार के सहारे लगा लिया और अपना लंड उसके हाथ में दिया. हाथ में लंड आते ही रश्मि उसकी मुठ मारने लगी. रवि उसके होंठों को पीने लगा.
ये देख कर रमेश से रहा न गया. वो उठ कर उन दोनों के पास गया. तब तक रवि ने आगे से रश्मि की चूत में अपना लंड दे दिया था. वो उसकी चूत को चोदने लगा. अब रमेश को जगह नहीं मिल रही थी.
फिर उसने रश्मि को आगे की ओर लाते हुए रमेश को दीवार की तरफ कर दिया. अब रवि की पीठ दीवार से सट गयी और रश्मि का मुंह रवि की तरफ हो गया. पीछे से रमेश ने रश्मि की गांड पर लंड लगा दिया और उसको अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा.
रमेश ने रश्मि को गांड थोड़ी ऊपर उठाने के लिए कहा. रश्मि ने वैसा ही किया और उसकी गांड अब रमेश के लंड के निशाने पर आ गयी. रमेश ने झटके से उसकी गांड में लंड घुसा दिया और उससे चिपक गया.
रवि भी इस आवाज से और ज्यादा जोश में आ गया. वो रश्मि की गांड को फाड़ने लगा. कुछ ही देर में वो दोनों झड़ने के कगार पर पहुंच गये. रवि जोर जोर से उसकी चूचियों को मसलने लगा और उसके निप्पलों को काटने लगा.
इधर रमेश ने उसकी गांड को भींचना शुरू कर दिया. उसके हाथ पर कभी कभी रवि का लंड भी लग जाता था. दोनों रेल के इंजन की तरह आगे और पीछे से रश्मि की चूत और गांड को पेल रहे थे.
फिर दोनों जोर जोर से चीखते हुए झड़ने लगे- आह्हह … ओहह … हाहाहह … आहह्ह्ह … याह्हह … हम्म … हुह … करते हुए दोनों ने ही रश्मि के दोनों छेदों को आगे और पीछे से भर दिया.
उसके बाद तीनों थक कर लेट गये. किसी को होश नहीं रहा. आधे घंटे तक वो पड़े रहे.
उसके बाद रमेश ने फिर से रश्मि की चूत को उंगली से कुरेदना शुरू कर दिया. अब रवि भी शरारत करते हुए अपनी बेटी की गांड के छेद पर उंगली फिराने लगा.
रश्मि की गांड दुख रही थी. फिर भी वो बाप की उंगली का मजा गांड में ले रही थी. थोड़ी देर तीनों एक दूसरे के जिस्मों को सहलाते चाटते रहे और तीनों ही फिर से गर्म हो गये.
रवि उठा और उसने रश्मि के हाथ को खींच कर रश्मि को अपने साथ उठा लिया. उसने रश्मि को दीवार के सहारे लगा लिया और अपना लंड उसके हाथ में दिया. हाथ में लंड आते ही रश्मि उसकी मुठ मारने लगी. रवि उसके होंठों को पीने लगा.
ये देख कर रमेश से रहा न गया. वो उठ कर उन दोनों के पास गया. तब तक रवि ने आगे से रश्मि की चूत में अपना लंड दे दिया था. वो उसकी चूत को चोदने लगा. अब रमेश को जगह नहीं मिल रही थी.
फिर उसने रश्मि को आगे की ओर लाते हुए रमेश को दीवार की तरफ कर दिया. अब रवि की पीठ दीवार से सट गयी और रश्मि का मुंह रवि की तरफ हो गया. पीछे से रमेश ने रश्मि की गांड पर लंड लगा दिया और उसको अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा.
रमेश ने रश्मि को गांड थोड़ी ऊपर उठाने के लिए कहा. रश्मि ने वैसा ही किया और उसकी गांड अब रमेश के लंड के निशाने पर आ गयी. रमेश ने झटके से उसकी गांड में लंड घुसा दिया और उससे चिपक गया.