Incest Kahani Incest बाप नम्बरी बेटी दस नम्बरी 1 - Page 6
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Incest Kahani Incest बाप नम्बरी बेटी दस नम्बरी 1

रमेश ने उसके सामने फर्श पर थूका और रिया से बोला- चाट ले इसे। रिया एक पालतू कुतिया की तरह लपलपाती जीभ से बिना एक पल हिचके थूक चाट गयी।
रमेश- और चाटेगी?

रिया- भौं-भौं वुफ.. (जरूर जरूर, हां)।
रमेश ने उसके खुले मुंह में थूक दिया।
रिया उसे अमृत समझ कर निगल गयी।

रमेश- रिया माई बिच, हमारा फोन ले आओ।

आदेश पर रिया सुरेश का फोन अपने मुँह में उठा लाई. रिया की गांड को सहलाते हुए रमेश ने उससे फोन ले लिया. फिर रमेश ने रिया की कुछ तस्वीरें निकाली. रिया बिल्कुल कुतिया बनी हुई थी।
रमेश- तुम अब वापिस उठ सकती हो।

रिया उठकर रमेश के पास बैठ गयी।
फिर रमेश ने उससे पूछा- कैसा लगा रंडी बेटी ?
रिया- डैड आप बुरा तो नहीं मानोगे ना, या मुझे गलत तो नहीं समझोगे? मुझे गलत मत समझना। जो तुमने अभी किया उसमें मुझे बहुत मज़ा आया। आज तक मैंने ऐसे केवल ब्लू फिल्मों में देखा था.

रमेश- मैं बुरा क्यों मानूंगा? पगला गयी हो क्या? तुझे अगर मज़ा आया तो मुझे डबल मज़ा आया ये करने में।
रिया- मेरा हमेशा से इसी तरह चुदने का मन है। खूब गंदी चुदाई, गाली गलौच से भरी हुई चुदाई। आप मुझे एकदम घटिया सस्ती रंडी बनाकर चोदो। ऐसे चोदो कि कल सुबह मैं अपनी नज़रों से गिर जाऊं।

रिया- आप तो बहुत प्यार से चोदते हो। ना तो भद्दी भद्दी गालियां देते हो, ना मुझे जलील करते हो। मुझे अहसास दिलाओ कि मैं केवल चुदने के लिए ही बनी हूं. तुमने मुझे खरीद लिया है. अब मैं केवल तुम्हारे भोगने की चीज़ हूं. मेरे अंदर अपनी बेटी को नहीं एक कोठे की रंडी को देखो. आपको खुश …

बीच में टोकते हुए रमेश बोला- एक मिनट … एक मिनट … तुम ये सब जो बोल रही हो, सच में बोल रही हो ना? तुम सच में हमारी बेटी हो ना? मुझे नहीं पता था कि तुझे ऐसे चुदवाने का शौक है। अब तो बस तुम देखोगी कि मैं तुझे जलील करते हुए सस्ती रंडी बना कर चोदता हूं.

रिया- मुझे हमेशा से ऐसे ही चुदने का मन है। मगर शर्म से बोल नहीं पाती थी।
रमेश- अरे रंडी की बच्ची, चल अब शर्म को हमेशा के लिए टाटा बोल दो क्योंकि अब जो तुम्हारे साथ होगा उसमें तो शर्म को भी शर्म आ जायेगी। जा अपनी गंदी कच्छी ले आ और किचन से गिलास और खीर ले आओ।

गांड मटकाते हुए रिया चली गयी। रमेश अपने लण्ड को देखकर सोच रहा था कि क्या किस्मत है उसकी। रिया थोड़ी देर बाद वापस आ गयी। उसके हाथ में गंदी मैरून रंग की पैंटी थी। दूसरे हाथ में कटोरी में खीर और गिलास था।

रमेश- छिनाल सुन इधर सामने आ और अपनी बुर को फैला।
उसने रिया की गंदी पैंटी को उसकी चूत में घुसा दिया। उसके बाद उसने रिया को पीछे घोड़ी बनने को बोला।

रिया तुरंत घोड़ी बन गयी और पीछे मुड़कर बोली- क्या करने वाले हो?”
रमेश- चल अपनी गांड को फैला. तुम्हारी गांड में ये सारी खीर जायेगी.
रिया उत्साहित होकर- क्या??

रमेश- हाँ, सही सुना तुमने। चलो फैलाओ।
रिया ने वैसा ही करते हुए कहा- ये लो।
रमेश ने धीरे धीरे एक एक चम्मच करके सारी खीर रिया की गांड में ठूंस दी.
 
रिया हंसते-मुस्कराते हुए सब देख रही थी और मज़े ले रही थी। तब रमेश ने रिया के बाल पकड़कर अपनी तरफ घुमा लिया और उसके हाथों में वो कटोरी पकड़ा दी।
रमेश- कैसा लग रहा है तुझे बुरचोदी साली रंडी?
रिया- सारी खीर तो तुमने गांड में डाल दी. अब क्या करोगे?

रमेश- वो अभी रहने दो। पहले अब लण्ड चूसो। जब तुम चुसोगी तो तुम अपना थूक इस कटोरे में चुआओगी। मेरे लण्ड से जो तुम्हारा थूक चूएगा वो भी इस कटोरे में और मैं जो थूकूंगा वो भी इसी में। इसे फेंकना मत हराम की पिल्ली।
रिया- ओह वाओ … ठीक है।

वो रमेश का लण्ड चूसने लगी। रमेश आराम से बेड पर बैठा था और रिया अपने मुंह का जादू दिखा रही थी। रमेश रिया के चूतड़ों को सहलाते हुए उस पर थप्पड़ भी मार रहा था। रिया धीरे धीरे रमेश के लण्ड को कसके चूसने लगी।

रमेश ने रिया को भद्दी भद्दी गालियां देने शुरू कर दिया- क्या बात है माँ की लौड़ी, भोसड़ी वाली, साली तुझे तो पोर्नस्टार होना चाहिए। कहां से तू यहां हमारे घर में पैदा हो गयी? तुझे तो अमेरिका में पैदा होना चाहिए था. वो भी किसी पोर्नस्टार के घर या रंडी के घर। तुझ पर शराफत जंचेगी ही नहीं। अच्छा हुआ अपना असली रूप तूने खुलकर बता दिया, अपने अंदर ऐसी खतरनाक जंगली बिल्ली छुपा कर रखी थी तूने मादरचोद!

रिया मुस्कुराते हुए लण्ड चूस रही थी।

तभी रमेश ने लण्ड का दबाव रिया के हलक तक पहुंचा दिया। रिया हटना चाहती थी मगर रमेश ने उसपर जोर बनाये रखा। उसके होंठ रमेश के लण्ड की जड़ में टकरा रहे थे। रिया गूं … गूं … करते हुए उबकाई के साथ स्वतः छूट गई।

लण्ड उसके मुंह से बाहर निकल आया जो कि पूरा का पूरा थूक से सना हुआ था. लण्ड से थूक चूने लगा तो रिया ने कटोरी लण्ड के नीचे लगा दी और अपने मुंह से चूते हुई लार को हाथों में इकट्ठा कर उस कटोरी में डाल दिया।

रमेश ने उसी वक़्त रिया से कहा- अरे बड़े घर की छिनाल लड़की, इतने से काम नहीं चलेगा। तुमको टाइम बढ़ाना होगा।
रिया ने हाँ में सर हिलाया। फिर दोबारा से रमेश के लण्ड को मुंह मे घुसा लिया उसने।

सिसकारते हुए रमेश बोला- हाँ.. आआहह … आ … आ … बहुत अच्छे मेरी जान … अच्छा कर रही हो। ये लो इनाम।
ये कह कर रमेश ने उस कटोरी में थूक का बड़ा लौंदा गिरा दिया।

रिया ने कटोरी बढाकर उसमें थूक ले लिया। रिया फिर कटोरी को अपने मुंह के ठीक नीचे, जहां लण्ड उसके मुंह मे घुसा था, लगा दिया। उसके मुंह से लगातार थूक और लार अब चूने लगे थे।

रमेश को ये बेहद कामुक लग रहा था। रिया धीरे धीरे अपनी स्पीड भी बढ़ा रही थी। उसने रमेश के लण्ड को और अंदर लेना शुरू किया। रमेश उसके गालों पर हल्की थपकियां मार रहा था।

रिया ने धीरे से पूरा लण्ड अपने मुंह मे समा लिया और रमेश के लण्ड के अंतिम छोर तक जा पहुंची।
रमेश ने उसका उत्साह बढ़ाया- हां, साली रंडी कुतिया ऐसे ही, बहुत अच्छे। अभी मुंह में लिए रह, देखूं तो सही मैं कि तू कितनी देर तक रुक सकती है।
 
रिया आँखें बड़ी करके अपने डैड की आंखों में देख रही थी और रमेश के प्रोत्साहन से सांसें थाम कोई 15 सेकण्ड्स तक टिकी रही। फिर गैग रिफ्लेक्स की वजह से स्वतः अलग हो गयी और हांफते हुए हंसने लगी.

रमेश भी हंसने लगा.
रिया- ठीक कर रही हूं ना डैडी मैं?
रमेश- हम्म ….मगर मुझे लगता है कि तुम इससे और अच्छा कर सकती हो. ट्राय करो.

ये कह कर रमेश ने रिया के चेहरे को वापस भीगे लण्ड पर झुका दिया। रिया फिर लण्ड चूसने की प्रक्रिया में लीन हो गयी। रिया इस बार खुद को ही हराने के चक्कर में थी। इस बार उसने पूरे 30 सेकंड तक पूरे लण्ड को अपने हलक में छुपाए रखा।

रमेश को इतनी देर तक रिया के टिके रहने की उम्मीद नहीं थी। रमेश के आंड रिया की ठुड्ढी पर लटक रहे थे। रिया के चेहरे का निचला हिस्सा पूरी तरह गीला हो चुका था।

उसके हाथों में रखी कटोरी आधी भर चुकी थी। आखिरकार रिया ने मुंह से लण्ड को निकाला। रमेश ने उसके लिए ताली बजाई। रिया करीब 10 मिनट तक लण्ड चूसती रही।
रमेश- चल अब मैं तेरी गांड को चोदने का मजा लूंगा और तुझे भी बहुत मजा आयेगा.

रिया- मगर गांड में तो आपने खीर भर रखी है डैडी।
रमेश- लण्ड अपनी जगह बना लेगा साली रंडी। तू कुतिया बन जा।
रिया फिर चौपाया हो गयी और रमेश के सामने अपनी भूरी छेद वाली गाँड परोस दी।

रमेश ने उसके भारी भरकम चूतड़ों पर पहले थूका और तीन चार करारे थप्पड़ मारे। रिया थप्पड़ से उठे दर्द से ज्यादा आनंद महसूस कर रही थी। उसने खुद ही अपने चूतड़ पर तमाचे मारे- सटाक … सटाक … और मारो.. मेरी गांड पर। लाल कर दो डैडी.

वो ऐसा करते हुए अपनी गांड को जोर जोर से हिला रही थी. रमेश ने कई और थप्पड़ जोर से मारे.
रमेश ने फिर अपना लण्ड रिया की गांड पर रखा और पूछा- क्यों रे रंडी की बच्ची, लण्ड चाहिए?

रिया- हहम्म, हां चाहिए मुझे डैडी.
रमेश- क्या चाहिए कुत्ती खुलकर बोल? रमेश उसके बाल खींचते हुए बोला।
रिया- लण्ड … आपका लण्ड मुझे मेरी गांड में चाहिए डैडी। मुझे अपने लंड का ईनाम दे दो डैडी।

रमेश- भीख मांग लण्ड के लिए।
रिया- प्लीज डैडी, मैं आपके लंड की भीख मांग रही हूं. प्लीज ये मस्त लंड मेरी गांड में डाल दो. मेरी गांड चोद दो डैडी. प्लीज डैडी … मेरी गांड की चुदाई कर दो।

तभी रमेश ने अचानक से लंड के आगे का हिस्सा रिया की गांड में घुसा दिया. रिया के मुंह से चीख निकली मगर रमेश को कोई फर्क नहीं पड़ा। रिया के बाल पकड़े हुए उसने लण्ड को घुसाना चालू रखा। रिया एक हाथ से अपने बाएं चूतड़ को पकड़े हुए थी।

उसकी गांड के अंदर मौजूद खीर लण्ड के दबाव की वजह से और अंदर तक घुस रही थी. रमेश के लण्ड पर खीर का दबाव एक गद्दे की तरह लग रहा था। थोड़ी देर में रिया की गांड रमेश के घुसपैठिये लण्ड से अभ्यस्त हो चुकी थी।

रमेश रिया की गांड में लंड को रखे हुए उसकी गांड का पूरा पूरा अंदाजा लगा पा रहा था. एक तो रिया की गांड में नैचुरल मक्खन जैसा टेक्सचर था और अब खीर उसमें क़यामत ढहा रही थी।

वो बोला- पता है तुम्हारी गांड लाखों में एक है. बहुत ही मस्त शेप है तुम्हारे चूतड़ों की.
ये बोल कर उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये. रिया के मुंह से सीत्कारें उठने लगीं.

रमेश उसकी गांड पर बने टैटू को छूते हुए कस कर उसकी गांड मारने लगा. रिया के पास चीखें मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। रमेश को उसमें बेहद आनंद आ रहा था।

अब रिया की गांड चुदाई जोर से होने के कारण उसकी गांड से खीर भी बाहर गिरने लगी थी. रमेश ने कुछ नहीं कहा. अब रिया भी गांड में लंड के दिये दर्द से निकल कर आनंद की चौखट को चूम रही थी.

रिया पीछे मुड़ते हुए बड़बड़ायी- आह्हह डैडी, बहुत मजा आ रहा है … आह्ह चोदते रहो डैडी, मेरे प्यारे डैडी, मेरी गांड को दिन रात चोदते रहो. मैं आपके लंड की दीवानी हूं. अब मेरी गांड भी आपके लंड की दीवानी है.

रमेश- हां मेरी रंडी रानी. तेरी गांड में जो खीर है वो मुझे तेरी गांड चुदाई का और ज्यादा मजा दे रही है. तेरी चुदाई के बाद मैं तुझे लंड का स्वाद भी तेरे मुंह में दूंगा. तेरी गांड में हलवा तैयार कर रहा हूं मेरी रंडी बेटी.

तेरी गांड को चोद चोद कर उसमें एक मिश्रण बना दूंगा. जिसमें खीर और लंड का स्वाद होगा. खायेगी न बेटी?
रिया पर सेक्स और वियाग्रा का नशा चढ़ा हुआ था. वो मदहोशी में बोली- आह्ह … उम्म.. सोच कर ही मुंह में पानी आ रहा है डैडी. ऐसी टेस्टी खीर तो मैं पहली बार खाऊंगी. लाओ दो न डैडी।
 
रमेश- सब्र करो रंडी रानी, तुमको मीठा फल मिलेगा। पहले अपनी गांड की चुदाई तो करने दे।
रमेश ने उसको करीब पांच मिनट और चोदा. रिया के बार बार कहने पर उसने लण्ड आखिरकार बाहर निकाला और रिया भूखी कुतिया की तरह लण्ड चाटने लगी।

लण्ड पर चिपचिपा लसलसा पदार्थ लगा हुआ था। रिया ने उसे जी भर कर चाटा। रिया की चूत में से उसकी पैंटी बाहर आ रही थी. रमेश ने वो पैंटी उसके मुंह में घुसा दी।

रमेश ने फिर लण्ड वापस रिया की गांड में घुसा दिया और चोदने लगा। रिया के मुंह में उसकी चूत के रस से भीगी पैंटी थी जिससे उसकी आवाज़ सिर्फ गूं …गूं …. करके आ रही थी।

रिया एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। मगर दोनों में से कोई अभी रुकने को तैयार नहीं था। थोड़ी देर बाद रमेश ने फिर लण्ड निकाला और रिया की चुद कर खुली और फैली गांड को निहारा।

उसने उसकी गांड में थूका और फिर से अपनी बेटी की गांड चुदाई करने लगा. कुछ देर और उसने रिया की गांड चोदी और फिर कटोरी रिया के हाथ से ले ली. उसने लण्ड निकाला और कटोरी में इकट्ठा हुआ थूक और लार सब डाल दी. उसके बाद उसने फिर से लंड गांड में घुसा दिया.

रिया की गांड में एक मस्त मीठा मसाला तैयार हो रहा था। रमेश ने उसकी पैंटी निकालकर अपने गले में डाल ली. रिया मस्ती में ठुकवाती जा रही थी।

सिसकारते हुए वो बोली- आह्ह डैडी, ये तो बहुत अच्छा माल तैयार हो रहा है, मुझे खिलाओगे न?
रमेश- हां डार्लिंग. तुम्हारे लिए ही है. तुमको यही खाना है। अभी थोड़ी देर में मैं मुठ भी इसमें गिरा दूंगा. फिर तुम्हारा प्रोटीन भी आ जायेगा इस मीठे मसाले में और फिर ये डिश तैयार हो जायेगी.

कुछ देर के बाद रमेश जोर जोर से सिसकारने लगा- आह्ह आहाहहा … आआहह … लगता है मुठ आने वाला है.
रिया- आह्ह डैडी, लगता है मेरा भी होने वाला है. आह्ह ऊऊ … अंदर गिराओगे ना अपना गाढ़ा मुठ? अपनी रंडी बेटी को दे दोगे ना अपना मीठा मुठ डैडी? अपना ताजा ताजा मुठ मुझे पिला दो डैडी … आह्ह मैं बहुत प्यासी हूं.

इस तरह से सिसकारियां भरते हुए दोनों साथ में झड़ने लगे. रमेश के लंड से वीर्य की 5-6 पिचकारियां निकलीं और बहुत सारा वीर्य उसने अपनी बेटी की गांड में भर दिया. फिर उसने लंड को बाहर खींच लिया और उसकी पैंटी रिया की गांड में ठूंस दी.

रिया- ये क्यों ठूस दी?
रमेश- जहाँ तक मैं तुम्हें जानता हूं बेटी, तुम कुछ भी बर्बाद नहीं करना चाहोगी। इसलिए पहले तुम लण्ड से सब चाट कर साफ करोगी और जो डिश तुम्हारी गांड में बनी है उसको तुम्हारी पैंटी रोक कर रखेगी.

रिया मुस्कराने लगी और अपने पापा के लंड को एकटक निहारने लगी. उसके लंड पर सफेद और मटमैला रंग चढ़ा हुआ था. उसमें खीर, थूक और मुठ का मिश्रण था. रिया घुटनों के बल नीचे बैठ गयी. फिर रमेश की ओर देखते हुए उसके लंड के निचले हिस्से को चाटने लगी.

चाटते हुए वो बोली- आह्ह … ये तो मीठा है.
रमेश- हां, क्यों नहीं जान … तुम्हारी गांड और खीर की मिठास ने मिल कर सब कुछ मीठा कर दिया है.
रिया- तुम्हारे थूक और मुठ ने भी डैडी।

रिया चाट चाट कर पूरा लंड साफ कर गयी. फिर रमेश के लंड अंदर से रिस रहा बचा खुचा मुठ भी चूस गयी. रमेश ने रिया को कटोरी वापस दे दी. रिया हगने की पोज में बैठ गयी. उसने कटोरी को ठीक अपनी गांड के नीचे लगा लिया.

रिया- गांड बहुत भारी लग रही है जैसे कि हगने के पहले लगती है.
रमेश- हां तो तुम अभी हगोगी न … उस मीठे मसाले को जिसे तुमने अपनी गांड में भर रखा है.
रिया- पैंटी को निकाल दो डैडी।

रमेश- ये लो अभी निकाल देता हूँ।
पीछे से जाकर पैंटी रमेश ने पैंटी निकाल दी. पैंटी निकालने के बाद रिया की वीडियो रिकॉर्ड करने लगा. रिया की गांड से चिपचिपा लुवेदार पदार्थ बाहर निकलने लगा. वो पदार्थ सीधा कटोरी में गिर रहा था.
 
रिया धीरे धीरे सब निकाल रही थी। कटोरी भर गई।
रमेश ने पूछा- सब निकल गया?
रिया- नहीं अभी इतना ही और है अंदर।

रमेश ने फिर से पैंटी उसकी गांड में घुसा दी और चम्मच से गांड के छेद के आसपास लटकते उस पदार्थ को कटोरी में डाल दिया। रिया की ओर कटोरी बढाकर उसने कहा- ये है सब्र का मीठा फल। खा लो इसे।

रिया ने कटोरी ली और एक चम्मच भर कर खा गयी.
वो बोली- वाऊ … बहुत टेस्टी है. बहुत ही मजेदार है.
वो धीरे धीरे उस माल को चम्मच से खा रही थी. रमेश उसकी वीडियो बनाने में लगा हुआ था.

वो बोली- डैडी मैं एक अच्छी लड़की नहीं हूं क्या? मैं क्या करूं डैडी, मेरा मन मुझे ये सब करने को कहता है. आप मुझे अच्छी सोचो या बुरी लेकिन मुझे ये सब करने में बहुत मजा आता है.

रमेश ने उसके बाल संवारते हुए कहा- तुम एक बहुत अच्छी रंडी हो। जैसी हो वैसे ही रहो, बल्कि तुम्हारा ये रूप देख कर मैं तो तुम्हें और ज्यादा चाहने लगा हूं. ऐसा घिनौना सेक्स तुमको पसंद है ना?
रिया- हां डैडी, इसी में तो असली मजा आता है.
उसने कटोरी को चाट चाट कर साफ कर दिया था अब तक. वो सारा माल खा चुकी थी.

रमेश को पता नहीं क्या सूझा कि वो बोला- खाना हो गया हो तो अब पानी भी पी ले साली रंडी.
ये कह कर रमेश ने गिलास में अपने मूत की धार भरना शुरू कर दी. देखते ही देखते उसके लंड से निकला हल्के पीले रंग का मूत गिलास में भर गया.

गिलास भर कर उसे रिया के हाथ में दे दिया और बोला- ये ले रंडी, पी ले इस अमृत को सारा, तेरा सारा खाना हजम हो जायेगा.
रिया ने गिलास उठा लिया और मुस्कराते हुए रमेश के लंड से निकले पेशाब को गट गट करके पीने लगी. उसने एक ही बार में पेशाब से भरा हुआ पूरा गिलास खाली कर दिया.

पेशाब पीने के बाद उसने गिलास एक ओर रख दिया. फिर दोनों थक कर लेट गये और आराम करने लगे.
इन तीन दिनों में रमेश ने रिया को घर में हर जगह हर तरीके से चोदा. उसने रिया को इतने बुरे तरीके से चोदा जैसे कि वो उसकी बेटी न होकर कोई बहुत सस्ती बाजारू रंडी हो.

वह रिया को कुतिया वाला पट्टा पहनाकर उसे कुतिया की तरह बांध देता था और जमकर उसकी गांड मारता था. रमेश की बीवी रति उसको गांड नहीं देती थी जिसकी सारी कसर उसने रिया की गांड से पूरी की.

रिया को भी रफ सेक्स करना बहुत पसंद था. रिया की गांड चुदाई करते हुए रमेश उसकी गांड पर थप्पड़ मार मार कर पूरी लाल कर देता था. रिया घर में कहीं भी जाती तो रमेश वहीं पर उसकी गांड चोदने लगता था.

इतनी ज्यादा चुदाई से तंग आकर रिया परेशान हो गयी और काफी थकी थकी रहने लगी. अब वो इतनी ज्यादा मात्रा में चुदाई नहीं करवा सकती थी. उसकी गांड दर्द करती रहती थी. इसलिए अब वो अपने पिता को रोकने का उपाय सोचने लगी.
 
रिया सोचने लगी कि डैड का काम जल्दी जल्दी खत्म करना होगा नहीं तो ये पता नहीं मेरे साथ और कितनी गंदी हरकतें करेंगे. मुझे दो तीन दिन में ही ये काम करवाना होगा ताकि डैड का दिया चेक भी पास हो जाये और अपनी मर्ज़ी से मैं सेक्स करूँ।

ये सोचकर रिया ने रतनलाल को कॉल किया.
रिया- रतन, तुझे मेरा एक काम करना होगा. किसी भी तरह रवि सेठ की बेटी रश्मि को कॉन्टेक्ट करो और उसको भी इस धंधे में उतारने का कोई तरीका लगाओ. अगर वो इस धंधे में आ गयी तो मैं तुझे पूरे 1 लाख रुपये दूंगी.

रतनलाल खुश हो गया क्योंकि उसको इतने सारे पैसे मिलने वाले थे. रिया ने उसको सारी बात समझा दी.
उसके बाद रिया ने रेहाना को कॉल किया और उसको भी रश्मि वाला काम सौंप दिया. वो बोली कि जाकर रश्मि से मिले और पता करे कि उसकी क्या क्या कमजोरी है? कैसे रश्मि को चुदाई के धंधे में उतारा जा सकता है?

रेहाना को भी रिया ने एक लाख रुपये ऑफर कर दिये. रेहाना भी खुश हो गयी. फिर रिया, रतन और रेहाना तीनों मिल कर रश्मि के पीछे लग गये. तीनों ने अपने अपने तरीके से रश्मि को अपने विश्वास में ले लिया.

रश्मि अपनी चूत की चुदाई अपने बॉयफ्रेंड से करवा चुकी थी. मगर अब उसका बॉयफ्रेंड किसी दूसरी लड़की के चक्कर में पड़ा हुआ था. वो दूसरी लड़की रश्मि से ज्यादा पैसे वाली थी. हमेशा नये नये कपड़े पहनती थी और अपने जिस्म को संवारने में बहुत खर्च करती थी.

चूंकि रश्मि के पास इतने पैसे होते नहीं थे इसलिए ज्यादा खर्च नहीं कर पाती थी. जिसकी वजह से उसका बॉयफ्रेंड दूसरी लड़कियों की ओर आकर्षित हो रहा था.

रतन से मिलीभगत करके रेहाना एक दिन रश्मि से जाकर मिली और उसको कहने लगी कि अगर वो उसके साथ चलेगी तो वह उसे एक रात के लिए अच्छी खासी रकम दिला सकती है. होटल में कुछ घंटे गुजारने के ही मोटे पैसे मिलेंगे.

ये सुन कर रश्मि पहले तो गुस्सा हो गयी. मगर बहुत सोचने के बाद फिर वो सेक्स फॉर कैश के लिए तैयार हो गयी क्योंकि उसको पैसों की जरूरत थी. वो अपने पिता से भी नहीं मांग सकती थी क्योंकि बॉयफ्रेंड के बारे में वो बता नहीं सकती थी.
रेहाना ने रश्मि को कहा कि अगर वो कुंवारी मतलब अब तक बिना चुदी है तो उसे डबल पैसे मिलेंगे.
यह सुन कर रश्मि ने लालच में झूठ कह दिया कि वो अक्षत यौवना है.

रेहाना ने रश्मि की एक नाइट की बुकिंग कर दी. रात में रतनलाल रश्मि को कुछ समझा कर अपनी कार से उसे होटल में ले गया. वहां जाकर उसने रूम नंबर बता दिया और सब कुछ समझाकर लौट आया.

रश्मि ने जाकर रमेश के रूम को नॉक किया. रमेश ने दरवाजा खोला. रमेश को देख कर रश्मि का मुंह खुला का खुला रह गया. ये उसकी पहली रात थी और वो भी एक बड़ी उम्र के मर्द के साथ.

रमेश ने रश्मि को ऊपर से नीचे तक देखा. चेहरे पर जालीदार कपड़ा ढका हुआ था रश्मि ने, मगर रमेश उसके जिस्म को देख रहा था. रमेह को तो यही पता था कि रश्मि कुंवारी है. उसको देख कर रमेश की लार टपकने लगी. सेक्सी जिस्म वाली जवान कुंवारी लड़की में उसको सेक्स ही सेक्स भरा नजर आ रहा था.

उसने रश्मि को रूम के अंदर कर लिया और दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया. रश्मि घबरा रही थी.
रमेश बोला- डरो नहीं, रिलेक्स हो जाओ. यह बात केवल तुम्हारे और मेरे बीच में रहेगी. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.
 
बेड पर बैठते हुए बॉटल से न्यू पैग बना कर उसने सोडा मिलाया और 2 सिप मार कर लड़की को इशारे से अपने पास बुलाया।
“इधर आओ.. क्या नाम है तुम्हारा?”

रमेश के इशारे पर भी रश्मि टस से मस ना हुई.
तो रमेश बोला- मैंने कहा ना रिलॅक्स हो जाओ. चलो आओ मेरे पास!

रमेश को उसका खूबसूरत चेहरा देखने की लालसा बढ़ गयी थी. इस वक़्त रश्मि ने अपने बदन पर जीन्स और टॉप डाला हुआ था. मॉर्डन गेट-अप में थी. अजीब सी आडी टेढ़ी हेयर स्टाइल, जैसे अक्सर फिल्मी एक्ट्रेस रखे रहती हैं.

पैरों में हाइ हील सैंडल. टाइट जीन्स में उसकी मांसल जाँघों और चूतड़ों का आकार बेहद भड़काऊ था. उसकी चूचियाँ हाथों के नीचे दबी होने से रमेश को नज़र नहीं आ रही थी. कुल मिला कर आज की रात रमेश के लिए बड़ी कातिल थी.

रमेश- अच्छा ठीक है पास मत आओ. अपना चेहरा तो दिखा सकती हो ना?
रमेश ने वापस एक स्ट्रॉन्ग सिप लिया और बेड के स्टैंड से टिक कर लेट गया.

उसका लंड इस बात से ही अकड़ने लगा था कि माल 20 साल का है और कुंवारी है. टावल के नीचे नंगे होने से लंड का उभार भी हल्का हल्का दिखाई देने लगा था. जब काफ़ी देर तक लड़की ने कोई रिएक्शन नहीं दिया तो रमेश गुस्से से भर गया।

गुस्से में वो बोला- क्या यहाँ नौटंकी करने आई है साली? अरे जब इतनी शर्म थी तो चुदने आना ही नहीं चाहिए था तुझे!
इतना बोल कर रमेश ने अपना मोबाइल हाथ में उठा लिया।

रश्मि- किसे फोन कर रहे हैं अंकल?
लड़की ने घबरा कर अपने दोनों हाथ चेहरे से हटा लिए. उसे डर महसूस हुआ कि कहीं रमेश ऐसी जगह कॉल ना कर दे जो इस कमरे की बात बाहर चली जाए।

रमेश- रतनलाल को फोन कर रहा हूं. तुम्हें ले जाएगा यहाँ से। ऐसे छुईमुई बन कर बैठी रहोगी तो क्या मैं तुम्हारा अचार डालूंगा यहां?
रश्मि- नहीं, रुकिये अंकल. मेरे पैसे अटक जाएँगे.
इतना कह कर वो बेड पर आ कर बैठ गयी.

रमेश ने ये बात सुनते ही मोबाइल वापस नीचे रख दिया और बड़े गौर से उसका खूबसूरत चेहरा देखने लगा.

रश्मि वाकई बहुत सुंदर थी. बनावट में एकदम से परफेक्ट. अब उसकी चूचियों को घूर रहा था रमेश. उसकी चूची काफी कसी हुई थी. उसका फिगर भी काफी हद तक रिया से मैच कर रहा था सिवाय उसके मैच्योर चेहरे को छोड़कर।

रमेश- इधर आओ मेरे पास।
रमेश ने अपनी जाँघों पर थपकी देते हुए कहा और इस बार रश्मि अपनी सैंडल उतार कर उसकी तरफ सरकने लगी. आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ती हुई वो बिल्कुल रमेश के पास घुटने मोड़ कर बैठ गयी।

रमेश- क्या नाम है तुम्हारा?
लड़की- जी रश्मि.
उसने बेहद धीमी आवाज में जवाब दिया और रमेश की आँखों में देखने लगी. मासूम चेहरा कजरारी आँखें. रमेश के तो आज मज़े हो गये थे।

वो बोला- बड़ा प्यारा नाम है. किस कॉलेज मे पढ़ती हो?
रमेश उसके माथे से उंगली फिराता हुया उसके बूब्स तक पहुंच गया था।
रश्मि- जी वो मत पूछिये.
 
धड़कनें बढ़ते ही उसने ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अगले ही पल रमेश ने अपने होंठों से उसकी गर्दन के सेंटर पर एक गहरा चुम्मा जड़ दिया. रश्मि का रोम रोम सिहर गया. हालांकि रमेश के मुंह से आती शराब की गंध उसको अच्छी नहीं लग रही थी.

रमेश- ठीक है, कॉलेज के बारे में नहीं पूछ रहा. मगर आँखें तो खोल लो.
रमेश का कहा मानकर रश्मि ने अपनी आँखें खोलीं लेकिन इस बार उसकी नज़रें रमेश के टॉवल में बने तंबू से चिपक कर रह गयीं. उसका मुंह ऐसे खुला रह गया जैसे लंड चूसने के लिए खोला हुआ हो.

रमेश- ज़्यादा परेशान नहीं करेगा ये तुम्हें, चाहो तो छू कर देख सकती हो.
रमेश उसके मुलायम हाथ को पकड़ कर लंड पर रखने लगा. रश्मि ने थोड़ा ज़ोर लगाया ताकि अपना हाथ छुड़ा सके लेकिन अगले ही पल उसे याद आ गया कि वो यहाँ रमेश की रात रंगीन करने आई है ना कि कोई विरोध करने।

हाथ का स्पर्श अध-खड़े लंड पर महसूस कर दोनों की हालत पतली हो गयी. जहाँ रमेश उसके कोमल हुस्न को देख कर पागल हुआ जा रहा था वहीं रश्मि लंड की लंबाई और चौड़ाई का अहसास कर पानी-पानी होने लगी थी।

रमेश- अपने कपड़े उतारो।
उसने जैसे फ़ैसला सुनाकर कहा.

रश्मि ने हां में अपनी गर्दन हिलाई और रमेश का हाथ उसके टॉप के निचले छोर को पकड़ कर ऊपर उठाने लगा. रश्मि ने खुद-ब-खुद अपने दोनों हाथ हवा में ऊपर उठा लिए और टॉप उसके बदन से अलग हो गया.

ब्रा में जकड़ी बड़ी-बड़ी कड़क चूचियों को देखकर रमेश के लंड ने ठुमकी मारी और वो अपने दोनों हाथ बूब्स के साइड में रखते हुए पूरी क्लीवेज को अपनी जीभ से चाटने लगा.
रश्मि- उफ्फ… अम्म … आह्ह अंकल।
उसने एक ज़ोरदार अंगड़ाई ली और रमेश की बांहों से चिपक गयी.

रमेश- शर्म आ रही है मेरी जान? रमेश उसके चेहरे की तरफ झुकते हुए बोला.
एक बार फिर शराब की बदबू से रश्मि की रूह काँप गयी. बिना आवाज़ के उसने हां में जवाब दिया और अपने बूब्स पर हाथ रख कर उन्हें छुपाने लगी.

रमेश- ऐसे शरमाने से क्या फ़ायदा? आज की रात मैं तुम्हें प्यार करूँगा, तुम मुझे करना … ये समझ लो कि हम दोनों एक रात के पति पत्नी हैं.
फिर रमेश ने कहा- जीन्स भी उतार दो। रहने दो, रुको मैं ही उतार देता हूं.

इससे पहले रश्मि कुछ और कह पाती तब तक रमेश अपने घुटनों पर बैठ चुका था. बिना बेल्ट की शॉर्ट ज़िप जीन्स के फ्रंट पार्ट से चूत के उभार का अनुमान लगाकर रमेश के मुंह में पानी आ गया.

बिना देर किए उसने बटन अनलॉक किया और सर ऊपर उठा कर रश्मि के रिएक्शन को नोट करने लगा।
रश्मि- अंकल मत देखिए मुझे ऐसे. मैं पिघल रही हूं.

इसके आगे रश्मि कुछ नहीं बोल पाई और जीन्स को कमर से पकड़ कर रमेश ने उसकी जाँघ तक खींच दी.

रमेश- शरमाओ मत, एंजाय करो।
उसने अपना चेहरा पैंटी की तरफ बढ़ाया और चूत से निकले द्रव्य की मादक सुगंध लेने लगा. कई बार रमेश के मुंह से साँस अंदर-बाहर होने से रश्मि को उस हिस्से पर गर्म और ठंडा मिश्रित अहसास हो रहा था।
 
अब रमेश से रहा नहीं गया और उसने जीन्स को पूरी तरह उसकी टाँगों से नीचे उतार दिया. रश्मि ने अपने हाथ से उसके कंधों पर वजन डाला और बारी बारी से टाँग उठा कर जीन्स अपने पैरों से अलग कर दी।

रमेश- मैं तुम्हारी चूत देखना चाहता हूँ. फिर साथ में ड्रिंक लेंगे.
इतना कहकर रमेश ने उसकी टाँगों को छुड़ाया और पैंटी की साइड छोर सरका कर चूत का मुआईना करने लगा.

चिपचिपी फूली हुई, हल्के रोयें से भरी चूत देख कर उसे अपनी बेटी रिया की याद आ गयी. तुरंत ही रमेश ने उंगली से चूत की फांकों को कुरेदना शुरू कर दिया. लंबाई उसे लगभग 3 इंच के बराबर जान पड़ी. जैसे ही रमेश ने अपनी मिडिल फिंगर अंदर डालनी चाही तो रश्मि ने टाँगों की जड़ को चिपका लिया और थोड़ा पीछे हट कर खड़ी हो गयी।

रमेश- क्या हुआ रश्मि?
रश्मि- अंकल सॉरी.

उसके चेहरे पर ग्लानि के भाव देख कर रमेश मुस्करा दिया- तुम कुँवारी नहीं हो. मेरी नज़र से कुछ नहीं बचता और शायद यही तुम्हारी परेशानी का कारण भी है. सही कहा ना मैंने?

फिर रमेश ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास खींचा और अगले ही पल किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा लिया। उमर ज़्यादा होने पर भी रमेश की मर्दाना ताकत से इंप्रेस होकर रश्मि ने अपना झूठ स्वीकार करने का फ़ैसला कर लिया।

वो बोली- जी अंकल, आपने सही पहचाना है, मैं वर्जिन नहीं हूं. लेकिन मैंने केवल एक बार ही किया हुआ है. मैं खून देख कर घबरा गयी थी और उसके बाद कभी मेरी हिम्मत नहीं हुई.

रश्मि के मुंह से सच सुन कर रमेश हँसने लगा और बोला- तो झूठ बोलने की कोई वजह?
रमेश ने उसे गोद से नीचे उतार कर कहा।

रश्मि- पैसे ज़्यादा मिल रहे थे, इसलिए बोल दिया था.
रश्मि के मुंह से ये स्वर बहुत ही धीमी आवाज में निकले.
रमेश- तो फिर अभी कितने दिये हैं उसने? रमेश ने उसका गंभीर चेहरा देख कर पूछा.
वो बोली- पचास हज़ार.

रमेश ने अपना हाथ रश्मि के सर पर ले जाकर रश्मि के बालों की पिन निकाल दी जिससे उसके लंबे बाल खुल कर पूरी पीठ पर फैल गये।
फिर रमेश ने मादक से स्वर में पूछा- लंड चूसना आता है? ये पूछते हुए रमेश अपने टॉवल के ऊपर से ही अपने तने हुए लंड को सहला रहा था.

चुदाई से पहले लंड चुसवाने का ये उसका शौक बहुत पुराना था.
रश्मि ने शरमाते हुए कहा- आता तो नहीं है, मगर आपकी खातिर चूस दूंगी.

रश्मि की इस भोली अदा पर तो रमेश एकदम से फिदा हो गया. उसने तुरंत अपना टॉवल खोल कर फर्श पर गिरा दिया. टॉवल गिरते हुए उसका मोटा तगड़ा लौड़ा जो इतनी देर से तौलिया की दीवार के पीछे कैद था अब हवा में खुले रूप से लहराने लगा.

बार बार उछाला देकर उसका लंड ये बता रहा था कि रश्मि के कोमल जिस्म को भोगने के लिए कितनी प्यास है उसके अंदर। रमेश ने धीरे से रश्मि का कोमल मुलायम हाथ पकड़ लिया और आहिस्ता से अपने झटके दे रहे लंड पर टिका दिया.

उसने अब अपनी बनियान निकाल दी और पूरा नंगा हो गया. साथ ही उसने रश्मि की ब्रा को भी निकाल दिया. रश्मि की नंगी चूची देख कर जैसे उसको कोई पुराना गड़ा हुआ खजाना मिल गया हो, कुछ ऐसी चमक आ गयी थी उसकी आंखों में।

धीरज खोकर उसने रश्मि की चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और उनको आराम आराम से भींचना शुरू कर दिया. चूचियों पर रमेश के हाथ कसते ही रश्मि का हाथ भी रमेश के गर्म गर्म लोहे की तरह तप रहे लौड़े पर कस गया. रमेश लड़की को गर्म करने की कला में पूरा मास्टर था जिसका असर रश्मि पर साफ दिख रहा था.
 
रमेश ने रश्मि का हाथ अपने लंड पर रखवा दिया और उसकी चूचियों को भींचने लगा.
वो सिहर उठी- आह्ह … आराम से अंकल … दर्द हो रहा है. आपका ये भी बहुत बड़ा है.

वो उसकी चूचियों के निप्पलों को खींचते हुए बोला- क्या बड़ा है मेरा?
रश्मि- आपका ये हथियार काफी बड़ा है.
रमेश- इसको नाम लेकर बुलाओ ना एक बार!
रश्मि ने शरमाते हुए कहा- आपका ये … ये लंड बहुत बडा़ है अंकल।

रमेश- हां बेशक … जब ये तुम्हारी चूत में जायेगा तो ये तुम्हें परम सुख देगा. मगर उससे पहले तुम्हें इसको अपनी चूत चुदाई के लिए उकसाना होगा. आओ मैं तुम्हें इसको उकसाने का तरीका बताता हूं.
अपने कदम बढ़ा कर रमेश बेड के एक छोर पर बैठ गया और उसने अपनी जांघें फैला लीं.

बेड पर बैठ कर रमेश ने कहा- आओ रश्मि, तुम्हारा परिचय अपने लंड से करवाता हूं. तुम्हें लंड को चूसना सिखाता हूं. एक बार तू सीख गयी तो तेरे ग्राहक तेरे आगे पीछे घूमा करेंगे. हमेशा तुझसे खुश रहेंगे. लड़की के मुंह का कमाल मर्द को बहुत पसंद आता है.

रमेश के कहने पर रश्मि शरमाती हुए उसके सामने अपने घुटनों पर बैठने लगी।
रमेश- पैंटी उतार कर बैठ बेटी!

न जाने रमेश के मुंह से कैसे ये ‘बेटी’ शब्द निकल गया. शायद अपने दोस्त रवि की बेटी में उसको अपनी बेटी रिया ही नजर आ रही थी.
मगर उसने तुरंत बात को बदलते हुए कहा- मेरा मतलब है पैंटी उतार कर बैठो रश्मि।

बात पलट कर रमेश ने खुद उसकी पैंटी को नीचे खिसका दिया और बोला- हां अब बैठ जा और जैसा मैं कहूं करना। शुरुआत में थोड़ा गंदा लगेगा मगर तू सही ढंग से कोशिश करेगी तो कामयाब हो जाएगी.

रमेश की बात सुन कर वो वापस अपने घुटनों पर बैठ गयी. अपने सिर को नीचे झुकाते हुए उसने लंड की एक्सट्रा लेंग्थ पर गौर किया. जिसे देख कर रश्मि के मन में एक ही बात आई- अद्भुत!

रश्मि- अंकल पहले क्या करूं?
उसने अपने होंठ लंड के सुपारे पर टिकाते हुए पूछा।
रमेश- पहली बात तो ये कि तू मुझे अंकल बोलना छोड़ दे. और इस तपते हुए लौड़े को मुंह खोल कर अपने मुंह में भर ले. स्सस … इतनी देर से अपने होंठ मेरे लंड के टोपे पर छुआ कर बैठी है, जान निकालेगी क्या? फटाफट चूस इसे.

बार-बार अंकल शब्द सुन कर रमेश खीजने लगा था. उसे रश्मि के बचपने पर भी गुस्सा आया कि साली यहां पर रंडी बन कर चुदने आई है और इसे लंड चूसना भी नहीं आता. या तो ये लड़की बहुत ही शातिर है या फिर मुझे ही चूतिया बना रही है.
 
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