मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - Page 23 - SexBaba
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मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह

दस मिनट के विश्राम के बाद पराग ने मेरी पलंगतोड़ चुदाइ की. उस दौरान डॉली अपनी चूत मुझसे चटवाती रही.

रात भर में पराग ने हम दोनोंको दो-दो बार भरपूर सूख का अहसास दिया।

अगले ही दिन, डॉली का टेस्ट करके हमने सुनिश्चित कर लिया की उसे कोई बीमारी नहीं हैं. डॉली ने भी गर्भनिरोधक गोलियां खाना शुरू कर दिया, उसके बाद तो पराग बिना कंडोम के हम दोनोंको चोदता गया.

तीसरा भाग पराग की जुबानी है.

मुझे इस बड़ी कंपनी में दो साल हो गए थे, और मेरे अच्छे काम के कारण मुझे एक बड़ी पदोन्नति (प्रमोशन) मिला. उसकी ख़ुशी मनाने के लिए मैं, अनु और डॉली तीनोंने गोवा जाकर पांच दिन की छुट्टी मानाने का प्रोग्राम बनाया। स्वाभाविक हैं की मैंने और डॉली ने एक ही समय उन तीन दिनोंकी छुट्टी के लिए अर्जी दी (दो दिन वीकेंड था). मंगलवार की रात को हम तीनो वातानुकूलित बस में बैठकर गोवा के लिए रवाना हुए. सीधा अगले सोमवार की सुबह वापसी होनी थी.

पणजी पहुँचते ही हमने थ्री स्टार होटल में चेक इन किया. हमने एक बड़ा सा आलिशान सूट लिया था. मैंने अपना बरमुडा पहना। अनु ने नीले रंग की वन पीस बिकिनी और डॉली ने फूलोंकी डिज़ाइन वाली लाल रंग की टू पीस बिकिनी पहनी थी. जैसे ही हम स्विमिंग पूल पहुंचे, सबकी नजरे हमपर टिक गयी. एक लड़के के साथ दो दो सेक्सी लड़कियोंका होना कोई साधारण बात नहीं थी. दो-तीन घंटोंतक हमारी मस्ती चलती रही. मैं कभी अनु से लिपटता तो कभी डॉली से. मालदीव की तरह यहांभी कई लड़कोंने और कुछ कपल्स ने हमसे दोस्ती करने को कोशिश की. मगर हमने किसी को घास नहीं डाली. सारे मर्द मानो आंखोंसे अनु और डॉली को नंगा कर रहे थे और चोद रहे थे.

दोपहर का भोजन कर हम तीनो कमरे में चले गए. वहां बियर और वाइन का दौर चला. हमारे सूट का बड़ा वरांडा समुन्दर की तरफ था, इसलिए उसे खुला रखकर ही हम चुदाई में लग गए. अब इतने दिनोंके कामुक और गर्मागर्म सम्भोग के बाद अनु और डॉली काफी खुल गयी थी. चुदाई के समय गांड के अंदर एक या दो ऊँगली से चोदना दोनोंको भी अच्छा लगने लगा था. वीर्यपतन होने के बाद जब मैं अगले राउंड के पहले आराम करता, तब अनु और डॉली दोनों सिक्सटी नाइन के पोज में सुख लेती और देती थी. उनका वो भरपूर सेक्स देखकर मेरा लौड़ा भी जल्दी खड़ा होकर फिर हम थ्रीसम में जुट जाते थे.

शाम को मैं पतला सा टी-शर्ट और शार्ट पहना था. अनु ने बैकलेस गाउन और डॉली ने अंगप्रदर्शन करने वाला छोटा सा फ्रॉक पहना था. रात को डिस्को में दस बजे तक नाचने और शराब के नशे मे धुत्त होने के बाद हम सूट पर पहुंचे. आज एक अमेरिकन जोड़ा हमसे काफी घुल मिल गया था. उनका सूट भी हमारे सूट से नजदीक ही था, इसलिए हम तीनो और वो दोनों साथ ही साथ चले आये थे. वो लड़का (माइकल) ३० साल की उम्र का था, मगर २२-२३ का लगता था. उसने अपने आप को बहुत फिट रक्खा था. माइकल भी मेरी तरह टी-शर्ट और शॉर्ट्स में ही था. उसकी गर्लफ्रेंड (जूलिया) ३२ साल की थी, मगर वो भी २५ साल के करीब की लगती थी. उसके चूचे मध्यम आकार के, कमर पतली, नितम्ब गोलमटोल और टाँगे मांसल थी. उसकी गोरी त्वचा, नीली आँखें और होठोंपर मीठी मुस्कान देखते ही बनती थी. उसने चोलीनुमा टॉप और मिनी स्कर्ट पहना था. उसके बार बार ऊपर होने से उसकी गुलाबी पैंटी दिखाई दे रही थी. टॉप भी काफी पतला था और उसके नुकीले स्तनाग्र आसानी से दिख रहे थे, मतलब उसने ब्रा पहनी ही नहीं थी.

माइकल और जूलिया ने अमेरिकन डॉलर में सूट लिया था, इसलिए उनका सूट काफी बड़ा था. उन्होंने हमें और बियर और वाइन पीने के लिए उनके सूट में आने के लिए बहुत आग्रह किया.

"क्या अनु, क्या बोलती हो तुम, जाना ठीक रहेगा? और डॉली डार्लिंग तुम्हारी क्या राय हैं?" मैंने पूंछा.

"बस मैं माइकल के साथ चुदाई नहीं करूंगी, उसके अलावा मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हैं," दोनोंने एक ही स्वर में कहा.

"हाँ, उनके बाजे में लेटकर अपना थ्रीसम करते रहेंगे. उनको उनकी चुदाई करने दो. हम उनको हमारा लाइव शो दिखाएंगे, और हम उनका लाइव शो देख लेंगे," डॉली ने हँसते हुए कहा.

"ओके, चलो फिर."

और हम तीनो माइकल और जूलिया के आलिशान बड़े सूट में आ गए. मास्टर बेड बहुत बड़ा और गोल आकर में था. अब इसके बाद उनके साथ जो संवाद हुआ उसे मैं हिंदी में अनुवादित करके लिख रहा हूँ.

"आप लोग क्या पीयोगे," माइकल ने पूंछा.

"मेरे लिए बीयर और डॉली तुम वाइन पीओगी न?" अनु ने खिलखिलाते हुए कहा.

"हाँ मेरी जान, वाइन ही लूंगी," डॉली आधे नशे में बोल उठी.

"और मेरे लिए, रम सोडे के साथ," मैंने जूलिया के अधनंगे बदन को घूरते हुए कहा.
 
माइकल मेरे साथ रम और जूलिया वाइन लेकर हम पाँचों का पीने का दौर चला. अश्लील हास्य विनोद और किसी का भी किसी को स्पर्श करना शुरू हो गया. संगीत की ताल पे सभी कदम थिरकने लगे और माइकल बारी बारी अनु और डॉली को आलिंगन देने लगा. मैंने भी जूलिया को बाहोंमें लेनेमें और उसके खुले अंगोंको चूमने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सबपे शराब और जवानी का नशा चढ़ा हुआ था.

अनु को दुसरे मरदोंसे चुदने के अलावा बाकी हर कोई मस्ती करने में कोई परेशानी नहीं थी, इसलिए वो दिल खोलके माइकल के साथ चूमा चाटी कर रही थी.

"क्या गज़ब की माल हो तुम हनी," कहते हुए माइकल अनु के होंठ चूसते हुए उसके गठीले वक्षोंको उसके गाउन के ऊपर से ही मसलने लगा.

"वॉव , कितना मस्त लम्बा और कड़क लौड़ा हैं तेरा," उसके शॉर्ट में हाथ डालकर उसके लंड को सहलाती हुई अनु बोली.

माइकल ने अनु के स्लीवलेस गाउन के कंधे पर का कपडा हटाया और पीछे की ज़िप खोल दी. अब वो गाउन अनु की कमर तक आ गया और काली ब्रा में अनु के सख्त और कठोर स्तन उजागर हुए. उन्हें मसलते हुए माइकल ने गाउन को अनु के शरीर पर से हटा दिया. अब अनु सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैंटी में थी. उसकी मांसल मुलायम जाँघे देखकर माइकल उत्तेजित हुआ. डॉली ने अपना फ्रॉक खुद ही उतार दिया और वो भी माइकल को पीछे से चिपक गयी.

माइकल के दोनों तरफ खूबसूरत, सेक्सी और हॉट लड़किया थी. अनु की ब्रा का हुक खोलकर माइकल उसके स्तनोको पीने लग गया. तभी डॉली ने माइकल को धीरे से बेड की दिशा में धकेला और तीनो बिस्तर पर गिर गए. माइकल ने अनु के स्तनोंको चूसना जारी रखा. डॉली ने माइकल की अंडरवेयर निकालकर उसके लंड को चूमने और चाटने लगी. माइकल ने अनु की काली पैंटी हटा दी और उसकी दो उंगलिया अनु की योनि को चोदने लगी.

अनु की योनिसे लगातार जूस बह रहा था और आँखें मूंदकर वो एक नए पुरुष से सुख का आनंद ले रही थी. डॉली भी नंगी हो गयी और माइकल के मोटे लम्बे लिंग को चूसने लगी. माइकल ने पलट कर डॉली की चूत चाटना आरम्भ किया और अनु ने खींचकर माइकल के लौड़े को पीना शुरू किया. इस प्रकार माइकल दोनों लडकियोंको बारी बारी सुख देने लगा. पांच मिनट में गुर्राने की आवाज़ के साथ माइकल का लौड़ा वीर्य की बड़ी बड़ी पिचकारियां अनु और डॉली के चेहरे और स्तनोंपर मारता गया.

पूरा झड़ने के बाद दोनोने लौड़े को पूरा चाट कर आखरी बूँद तक पी डाली. फिर अनु और डॉली ने एक दुसरे के शरीर के ऊपर से माइकल का वीर्य चाटा। इतना सेक्सी सीन देखने के बाद माइकल का लौड़ा फिर से सख्त होने लगा.
 
अभी तक माइकल ने अनु या डॉली को चोदने की कोशिश नहीं की थी, इसीलिए सब ठीक चल रहा था. वैसे भी डॉली को गैरमर्द से चुदवाने में कोई पाबंदी नहीं थी, वो कोई मेरी पत्नी नहीं थी. सिर्फ अनु ही मेरे अलावा किसी अन्य आदमी से चुदने के लिए आज तक राजी नहीं हुई थी. पता नहीं आज वो अपने आप पर काबू रख पाएगी या माइकल के लौड़े से उसकी चूत का मिलान होगा.

इधर मैं और जूलिया फ्रेंच किसिंग करते हुए एक दुसरे के अंगोंको टटोल रहे थे. बेशर्म होकर मैं डॉन हाथोंसे उसके पुष्ट वक्षोंको टॉप के ऊपर से दबाने लगा. उसने भी हाथ मेरी शार्ट में डालकर मेरे सख्त लम्बे लौड़े से खेलने लगी. उसके हाथों का स्पर्श होते ही वो और भी कड़क होने लगा.

मैंने निःसंकोच होकर जूलिया का टॉप उतार दिया और उसके मम्मे चूसने लगा. उसने भी मेरी शार्ट खोल डाली और फ्रेंची खींचकर उतार दी. मेरे दोनों हाथ उसकी कमर में उसकी मिनी स्कर्ट खोलने लग गए. जैसे ही मैंने उसे नीचे के कपडोंसे मुक्त कर दिया, हम दोनो बेड की ओर चल दिए. मैंने जूलिया को बीएड पर लिटाया और उसके स्तन मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगा. उसने मेरे लौड़े और गोटियोंसे खेलना जारी रखा.

"चल, अब तू मेरी चूत चाट ले. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा हैं."

"हाँ, जूलिया, ये लो मैं तुम्हारे ऊपर चढ़कर तुम्हे चाटता हूँ. तुम भी मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसती रहो."

जूलिया के बदन पर मैं सिक्सटी नाइन में चढ़कर ओरल सेक्स में लग गया. उसकी चूत का स्वाद अनु और डॉली की चूत से काफी अलग और ज्यादा स्वादिष्ट था. जैसे जैसे मैं उसकी चूत की पंखुडिया और दाना (क्लाइटोरिस) चाटते और चूसते गया, उसकी योनि से स्त्राव बहता रहा. एक एक बूँद को मैं प्यार से चाटता गया.

"क्या मस्त लौड़ा हैं तेरा यार," कहकर जूलिया मेरे लंड को अपने मुँह से बलात्कार करने लगी. एक तो इतनी गोरी और सेक्सी लड़की के साथ इतना कुछ करके ही मैं उत्तेजना की चरम सीमा पर था. उसपर जब जूलिया मेरा लौड़ा पीती गयी, तब मेरी सब्र का बाँध टूटा और एक जबरदस्त पिचकारी मारकर मेरा वीर्य उसके मुँह में झड़ने लगा. लगता हैं जूलिया को लौड़े पीने की अच्छी खासी आदात थी, इसलिए मेरा सारा वीर्य वो गटागट पीने लगी.

जूलिया के सहलाने और चूमने से कुछ ही पलोंमें मेरा लंड फिर से तन गया और मैं एक भूखे शेर की तरह जूलिया पर टूट पड़ा. उसकी चूचियोंको मसलते हुए मैंने जूलिया की जाँघे खोल दी और उसकी गुलाबी योनि को चाटने लगा.

"हाय जालिम, कितना प्यार से चाट रहे हो. फक, और चाटो. इतना अच्छा तो मेरा माइकल भी नहीं चाटता, उसे तो सिर्फ चोदने की पड़ी रहती हैं. आह, आह, यस्स, मेरे दाने को जीभ लगाते जाओ और चूसते जाओ," जूलिया मदमस्त होकर चिल्ला रही थी. उसकी आवाज़ सुनकर मेरी अनु डार्लिंग की नज़र इस तरफ पड़ी. अब तक वो माइकल और डॉली के साथ मजे लूटने में इतनी मग्न थी की उसे मैं क्या कर रहा हूँ इसका ख्याल ही नहीं था.

अनु पलट कर मेरे और जूलिया पास आ गयी. उसने जूलिया के बिस्तर पर धकेला और उसके स्तनोंको मुँह में भरकर चूसने लगी. मेरा जूलिया की चूत चाटना और तीन उंगलियोंसे चूत को चोदने का कार्यक्रम चला. उसकी चूत काफी टाइट थी और उसमेंसे निकलते हुए जूस से भरी मेरी उंगलिया मैं , अनु और जूलिया तीनो चाटते रहे.

कुछ समय बाद, जूलिया ने अनु की चूत चाटी और मैं अनु के मुँह को चोदता गया. जैसे ही मैंने मेरा पानी अनु के स्तनोंपर गिराया, जूलिया ने उसे चाटकर निगल लिया.

दूसरी तरफ माइकल और डॉली फिर सिक्सटी नाइन की पोज में आकर जीवन के सर्वोच्च सुख का आदान प्रदान करने लगे. फिर जब माइकल ने डॉली को सम्भोग के आखरी चरण पर ले जाना चाहा, तब डॉली बोली, " तुम कंडोम लगाओ और फिर हम चुदाइ करेंगे."

अब माइकल और जूलिया आपस में कंडोम के बिना ही सेक्स करते थे, इसलिए उनके पास एक भी कंडोम नहीं था. उस कारण उधर माइकल और डॉली और इस तरफ मैं, अनु और जूलिया फिर से ओरल सेक्स में जारी रहे और वीर्यपान करके तीनो लड़कियां तृप्त हो गयी.

मैं मन ही मन सोच रहा था की इतना सब कुछ होने के बाद तो अनु का मन बदल जाएगा और वो माइकल से चुद जायेगी. उससे मेरा जूलिया को चोदने का रास्ता साफ़ हो जाता. मगर अभी भी किस्मत मेरा साथ नहीं दे रही थी.

करीब दो घंटे के बाद और बहुत सारा ओरल सेक्स करके हम तीनो अपने सूट पर वापस आ गए. फिर साथ में नहाकर फ्रेश हो गए. अब थ्रीसम का एपिसोड लगभग एक घंटे तक चला. आखिरी में अनु की चूत में तीसरी बार पानी छोड़कर मैं दोनों सेक्सी लड़कियों के बीच सो गया.

अगले दिन सुबह सुबह माइकल ३६ कंडोम का बड़ा बॉक्स लेकर आ गया. उसी पल माइकल और डॉली का जोरदार सम्भोग हुआ. अभी भी अनु मेरे अलावा किसी और से चुदने से मना कर रही थी, इसलिए मैं, अनु और जूलिया फिर एक बार ओरल सेक्स थ्रीसम कर के तृप्त हो गए.

अगले पूरे दिन, माइकल और डॉली उस आलिशान सूट में रहे और माइकल ने डॉली को कम से कम दस बार अलग अलग तरीके से चोदा . मैं, अनु और जूलिया हमारे सूट में रहे. क्योंकि अनु माइकल से चुदवाने के लिए राजी नहीं थी, इसलिए उसका सम्मान करते हुए पूरा दिन हम तीनो थ्रीसम का मजा लेते गए, मगर मैंने एक बार भी जूलिया को यनि में अपना हथियार नहीं घुसाया. रात को थ्रीसम के दो राउंड हुए, दोनों बार मैंने अपना वीर्य जूलिया के स्तनोंपर उंडेल दिया, जिसे अनु प्यार से चाट गयी. कुछ कुछ जूलिया के साथ भी बांटा. दोनों नंगी सेक्सी लड़कियोंके बीच मैं एक महाराज की तरह गहरी नींद में सोया हुआ था.

आधी रात को मेरे लंड पर कुछ गीला गीला महसूस होने लगा, साथ ही लौड़ा फन निकालकर खड़ा हो रहा हैं ऐसा भी लगा. जब गोटियोंको भी गीलेपन का स्पर्श हुआ तब मेरी आँख खुली. अँधेरे में आँखे मुश्किल से खुली, तो देखा जूलिया ही मेरे लौडे और गोटियोंको चाट रही थी. मेरे मुँह से कुछ आवाज़ निकले इसके पहले उसने अपनी उंगली मेरे होठोंपर रख दी. मैं इशारा समझ गया और आँखे मूंदकर आहे भरने लगा. जैसे ही मेरा लौड़ा पूरा सख्त हुआ, उसने मुझे उठाया और बाथरूम की तरफ ले गयी.
 
अंदर जाते ही हम फिर से गले मिले और उसने मेरा एक प्रदीर्घ चुम्बन लिया. फिर सिंक के नीचे के ड्रावर से पांच कंडोम का पैकेट बाहर निकाला और मेरी तरफ देखके मुस्कुरा दी.

"माइकल के ख़रीदे हुए कंडोम बॉक्स में से ये एक पत्ता लायी हूँ डार्लिंग. मुझे पता है की तुम इसके बगैर सेक्स नहीं करोगे," जूलिया ने शरारती अंदाज़ में कहा.

"हाँ जूलिया डार्लिंग, मैं डॉली के साथ सम्भोग करू या तुम्हारे साथ, एक ही तो बात हैं. अनु को अच्छा नहीं लगेगा मगर मैं तो तुम्हें चोदे बगैर नहीं रूकूंगा," इतना कहकर मैंने उसे घोड़ी बनकर सिंक के सहारे झुकाया। फिर जूलिया के स्तन मसलने लगा. तुरंत मेरा लंड और भी सख्त होने लगा और समय न गवाते हुए, मैंने कंडोम पहन लिया. एक ही झटके में मेरा हथियार जूलिया की चूत में प्रवेश कर गया. उसकी योनि पहले से ही इतनी ज्यादा गीली थी की किसी भी फोरप्ले की आवश्यकता नहीं थी.

ज्यादा आवाज़ हुई तो अनु की नींद खुलने का डर था. मुझे पता नहीं था, की मुझे जूलिया को बाथरूम में चुपके से चोदते हुए देखकर अनु की प्रतिक्रिया क्या होगी. इसीलिए बिना कोई शब्द कहे हम डॉगी स्टाइल में सेक्स करते रहे. जूलिया की चूत से कुछ ही समय में फव्वारा निकला. उसका ओर्गास्म देखकर मैं और भी उत्तेजित होकर उसे चोदता गया. जूलिया भी बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ पर काबू किये थी. जूलिया को लगातार दो और ओर्गास्म आये और वो मानो स्वर्ग की सैर कर रही थी.

जूलिया के नितम्बोँको मसलते हुए दस पंद्रह मिनट तक चोदने के बाद मुझे लगा की अब फव्वारा छोड़ने की मेरी बारी हैं. मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसे मेरी तरफ घुमाया. कंडोम को हटाकर फेंक दिया और चूसवाने के लिए लौड़े को तैयार किया.

जूलिया अपने घूटनोंपर बैठकर मेरे लंड को चूसने लगी.

"ओह यस, फक, ऐसे ही चूसती रहो जूलिया डार्लिंग," मैं दबी हुई आवाज़ में बोला.

मेरी आँखों में आँखें डालकर जूलिया जोर जोर से चूसती गयी और मेरा पानी निकल गया. वीर्य की पिचकारी सीधे उसके गले में गयी. तीन चार बड़ी पिचकारियां मारने के बाद लंड का पानी छोड़ना बंद हुआ. जूलिया ने मेरे लौड़े के ऊपर से एक एक बूँद को चाटकर निगल लिया और मुझे देखकर मुस्कुराती रही.

बैडरूम में दबे पाँव दोनों वापस आये और पंद्रह मिनट तक एक दुसरे की बाहोंमें लेटकर आलिंगन चुंबन का सुख लिया. फिर से लंड महाराज खड़े हो गए, क्योंकि इतनी हॉट और सेक्सी अमेरिकन लड़की को चोदने का मौका बार बार नहीं मिलने वाला था. फिर से बाथरूम में जाकर चुसाई और ठुकाई हुई.

सुबह पांच बजे तीसरी और आखरी बार जूलिया को चोदने के बाद हम एकदम गहरी निद्रा में सो गए. निकलने से पहले मैंने हमारा फ़ोन नंबर और पता जूलिया और माइकल को दिया.

"जब कभी भारत आओ, तब फ़ोन कर देना. हम तुरंत आप लोगोंसे मिलने आ जाएंगे," मैं, अनु और डॉली ने एक स्वर में कहा.

गोवा से लौटने के एक हफ्ते बाद, जब में ऑफिस के काम में मग्न था, तब रिसेप्शन से डॉली का फ़ोन आया. जैसे ही मैंने फ़ोन उठाया, उसने कहा, "पराग, तुम्हारे लिए कोई एक पार्सल छोड़ गया हैं."

मैंने वहां पहुँच कर वो पार्सल ले लिया और अपने डेस्क पर आया.

"अरे यार, किसने मुझे पार्सल भेजा होगा यार, और वो भी ऑफिस के पते पर?" अपने आप से बात करते हुए मैंने पार्सल खोला.

अंदर की चीज़ देखकर मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गयी. उसमें मेरे, अनु और डॉली के सेक्स करने के फोटोज थे. और तो और गोवा में माइकल और जूलिया के साथ जो भी अलग अलग प्रकार से सेक्स किया था, उसके भी फोटो थे. साथ में एक मोबाइल फ़ोन था. उसको खोलके देखा तो उसमें हमारी चुदाई के वीडियो भी थे. सीधी सी बात थी की कोई हमें ब्लैकमेल कर रहा था.

लिफ़ाफ़े में एक और कागज़ था, जिस पर पर लिखा था, इसी मोबाइल पर फ़ोन आएगा, जो बताएगा की आगे क्या करना हैं. फ़ोन का इंतज़ार करना.

चौथा भाग भी पराग की जुबानी है.

लिफाफे के अंदर मिले फोटो, मोबाइल के वीडियो और धमकी भरा खत पढ़ने के बाद तो मेरी बुरी तरह से गांड फट गयी. अगर इसमें से एक भी फोटो या वीडियो अनु के रिश्तेदारोंतक, ख़ास कर उसके पिताजी तक पहुंचा तो मेरी खैर नहीं। अगर ऑफिस में किसी को यह दिख गए तो मेरी नौकरी तो जाती ही थी, साथ में बदनामी होती वो अलग. मैं और अनु समाज में किसीको मुँह दिखाने लायक नहीं रहते. हम दोनों के साथ साथ डॉली की भी बदनामी हो जाती. सबसे बड़ी मुसीबत ये थी की मदद मांगने के लिए किसी के पास जा भी नहीं सकते थे.
 
शाम को जब मैं घर पहुंचा, तब मेरी सूरत देखकर अनु बोली, "क्या हुआ डार्लिंग, आज तुम्हारा चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों हैं?"

"अनु, हम लोग एक बहुत बड़ी मुसीबत में फस गए हैं," लिफाफा उसके हाथोने देते हुए मैं बोला.

फोटो देखकर अनु चिल्लाई, "ओह माय गॉड, ये सब क्या हैं और किसने किया?"

"कुछ पता नहीं, फोटोज के अलावा मोबाइल में वीडियो भी हैं. अपनी तो पूरी खटिया खड़ी हो गयी है."

मैंने उस मोबाइल फ़ोन को चार्जिंग में लगाते हुए आगे कहा, "इसी मोबाइल पर ब्लैकमेलर का कॉल आएगा जो आगे क्या करना हैं ये बताएगा. पता नहीं कितनी बड़ी रकम मांगेगा वो."

"तुम चिंता मत करो डार्लिंग, मैं कुछ भी बहाना करके डैड से पैसे लेकर आ जाऊँगी."

"वो तो ठीक हैं जान, मगर जब तक उसका फ़ोन नहीं आता तब तक कितनी परेशानी रहने वाली हैं, की वो कौन होगा, क्यों ऐसा किया और उसे कितने पैसे चाहिए.."

अगले चार दिन उलझन में गए, हमने डॉली को भी सब बता दिया, वो भी डर के मारे रोये जा रही थी. हम दोनोंने बड़ी मुश्किल से उसे समझाया.

शनिवार की सुबह उस मोबाइल फ़ोन की घंटी बजी.

"हेलो, कौन बोल रहा हैं?"

"मैं तेरा बाप बोल रहा हूँ साले, तेरी जान मेरी मुट्ठीमें हैं पराग."

इसका मतलब था की वो हमें अच्छे से जानता था. वो आदमी फ़ोन पर कपडा जैसा कुछ रख कर आवाज़ बदलने की कोशिश कर रहा था, मगर फिर भी उसकी आवाज जानी पहचानी सी लग रही थी.

अपने डर को छुपाते हुए मैंने कहा, "तुम जो भी हो, तुम्हारी मांग बताओ और फिर सारा नेगेटिव और वीडियो हमको वापस कर दो."

"अरे, इतनी आसानी से कैसे जाने दूंगा तुम तीनोंको? ग्यारह बजे ये फ़ोन लेकर तुम तीनो शॉपिंग मॉल में पहुंचो. फिर मैं इसी फ़ोन पर कॉल करके बताऊंगा की कहा मिलना हैं. हाँ, और एक बात का ध्यान रहे, अगर कुछ भी उलटी सीधी चाल चली या पुलिस के पास गए, तो कितनी बदनामी होगी ये तो तुम जानते ही हो. मेरा दूसरा साथी वो सारी चीज़े..."

"नहीं नहीं, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जैसा तुम कहो, वैसा ही करेंगे. प्लीज, इन चीजोंको अपने पास ही रक्खो."

हमने डॉली को तैयार रहने के लिए फ़ोन किया और उसे पिक अप करके तीनो समय पर शॉपिंग मॉल में पहुँच गए. दस मिनट बाद फिर घंटी बजी.

"मॉल के सामने एक छोटा सा कॉफ़ी शॉप हैं, वहाँ पर आ जाओ."

हम तुरंत वह पहुँच गए. वहाँ जो व्यक्ति खड़ा था उसे देखकर मेरी और डॉली की आँखें फटी की फटी रह गयी.

वो इंसान कोई और नहीं हमारे कंपनी का जनरल मैनेजर निखिल था, इसीलिए मुझे फ़ोन पर आवाज़ पहचानी सी लग रही थी.

निखिल की आयु कोई ३२ के आसपास की होगी. अनु ने उसे आज तक देखा नहीं था, इसलिए वो मेरी और प्रश्नार्थक रूपसे देखने लगी.

फिर पता चला की कुछ महीने पहले निखिल ने डॉली को पटाने की काफी कोशिश की थी, मगर डॉली ने उसे ठुकरा दिया था. उसी अपमान का बदला लेने के लिए उसने एक निजी जासूस (प्राइवेट डिटेक्टिव) डॉली के पींछे लगा दिया था. उसीने वो सारे फोटो और वीडियो लिए थे.

"निखिल सर, प्लीज मुझे माफ कर दीजिये. आप जो कहोगे, मैं वही करूंगी. मगर हमें इस मुसीबत से बचा लीजिये," डॉली ने रोते हुए कहा.

"निखिल सर, मैं आप को मुँह मांगी रकम। .."

मुझे आधे में ही रोक कर निखिल ने कहा, "पराग, तुम्हें क्या लगता हैं, ये सब मैंने पैसोंके लिए किया?"

"नहीं, सॉरी सर, आप हमें माफ़ कर दीजिये."

"अगले वीकेंड पर हम चारो खंडाला जाएंगे. एक बड़ा सा सूट बुक करो. एक ही बिस्तर पर मैं डॉली को चोदता रहूंगा और तुम तुम्हारी अनु डार्लिंग को."

"ओके निखिल सर, उसके बाद प्लीज..."

"देखेंगे, डॉली मुझे कितना खुश करती हैं, उसपर सारा निर्भर हैं. और हाँ, पुलिस या किसी के भी पास जाने की कोशिश की तो.."

"नहीं सर, हम समझ गए, हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे."

चेहरे पर विजय का हास्य लेकर निखिल वहाँ से चला गया, और हम तीनो सोच में डूबे रहे. आखिर मैंने कहा की घर जाकर ही आगेका प्लान बनाना चाहिए. यहाँ, कॉफ़ी शॉप में सबके सामने ये सब बाते करना उचित नहीं था.

घर पहुँच कर अनु और डॉली सिसकिया लेकर रोने लगी. मैंने दोनोंको समझा बूझा कर शांत किया. निखिल की बात मानने के सिवाय हमारे पास कोई और चारा नहीं था.
 
निखिल के कहने के अनुसार होटल की बुकिंग की गयी, अनु और डॉली दोनों वैक्सिंग करके पूरी चिकनी बन गयी. शुक्रवार की रात को हम खंडाला के होटल में पहुंचे. सूट में निखिल पहले से ही आ गया था.

डॉली: "निखिल सर, आप जो बोलोगे वो मैं करूंगी, मगर प्लीज आप कंडोम पहन कर सेक्स करिये."

"क्यों, तू तो पिल्स लेकर पराग से बिना कंडोम चुदती हो न, फिर मैं क्यों कंडोम लगाउ?"

निखिल का विवाह हो गया था मगर उसकी पत्नी कुछ महीने पहले ही उसे छोड़ कर चली गयी थी. शायद तभी से वो डॉली के पीछे पड़ा था. अब डॉली को जैसा जी चाहे चोदने का सुनेहरा मौका उसके पास था.

"सिर्फ जब मैं तेरी गांड मारूंगा, तभी कंडोम लगाऊंगा, वह भी मेरी सुरक्षा के लिए."

"नहीं निखिल सर, प्लीज, आज तक मैंने अपनी गांड नहीं चुदवाई है. प्लीज ऐसा मत किजीये."

"साली, जब मैं तुझे प्यार से पूंछ रहा था था तब मेरे साथ डिनर के लिए भी आने से इंकार करती थी, अब आज पहले तेरी चूत में अपना लौड़ा डालूँगा और फिर तुझे घोड़ी बनाऊंगा, और तेरी यह गोल गोल मस्त गांड भी चोद डालूंगा. साली रंडी, ये देख, ये वैसलीन की इतनी बड़ी शीशी क्या अचार डालने के लायी हैं क्या?"

निखिल की आंखोंमे अजीब चमक थी, जिससे मुझे डर लग रहा था.

उस सूट में आलिशान बेड था जिसपर निखिल ने डॉली को धकेल दिया और उसके कपडे खींचकर उतारने लगा. डॉली की आंखोमें आंसू थे मगर आज सभी बेबस थे. मैं भी लाख चाहने पर कुछ नहीं कर पा रहा था और खून का घूँट पीकर यह गया.

डॉली का टॉप और स्कर्ट उतर जाने के बाद वो काले रंग की ब्रा और छोटी सी चड्डी में आ गयी. निखिल ने उसकी ब्रा को खींच तानकर अलग किया और उसके भरपूर कठोर वक्षोंको दोनों हाथोसे आटे की तरह गूंधने लगा. बारी बारी एक एक निप्पल को चूसकर दातोंसे चबाने लगा. पीड़ा के मारे डॉली रोती रही मगर निखिल पर जैसे भूत सवार था. जोरके झटके से उसकी काली पैंटी भी फाड़ दी. अब डॉली पूर्ण नग्नावस्था में उसके सामने हताश और असहाय पड़ी थी.

अपने खुद के कपडे उतारते हुए निखिल ने कहा, "पराग, अनु, तुम दोनों भी नंगे होकर मेरे और डॉली के बाजू में लेट जाओ और ऐसी मस्ती से चुदाई करो जैसे की सिर्फ तुम दोनों ही इस बिस्तर पर हो."

सीधी सी बात थी की वह मेरी प्यारी अनुपमा डार्लिंग के नंगे बदन को देखना चाहता था और उसे चुदते हुए देखना चाहता था.
 
निखिल पूरा नंगा हो गया. उसके शरीर पर जगह जगह घने बालोंका जंगल था, और उसका आठ इंच का मोटा लौड़ा अपनी पूरी गर्मी में उठा हुआ था.

"चल रंडी, अब चुदने का मजा ले, मेरे पास कोई फोरप्ले नहीं , कुछ नहीं, सिर्फ पलंगतोड़ चुदाई."

"और तुम दोनों, चलो जल्दी नंगे होकर फकिंग में लग जाओ. देखु तो सही ये इतनी सुन्दर अनु नंगी कैसी लगती हैं."

निखिल ने डॉली की जाँघे अलग की और एक ही झटके अपना लौड़ा उसकी योनि में घुसा दिया. पहले झटके में आधा अंदर चला गया और दर्द के मारे डॉली चिल्लाने लगी. उसकी कोई परवाह किये बगैर निखिलने दूसरा झटका लगाया और अब उसका लगभग पूरा लिंग घुस गया. डॉली के वक्षोंको मसलते और रगड़ते हुए वो उसे जंगली जानवर की तरह चोदने लगा.

निखिल और नाराज़ न हो, इसलिए मैंने अनु के सारे कपडे उतार दिये और स्वयं भी नंगा हुआ. निखिल तो मानो डॉली का प्रायः बलात्कार ही कर रहा था, फिर भी वो दृश्य देखकर न जाने क्यों मेरा लौड़ा भी पूरा सख्त हो गया.

मैंने भी अनु को डॉली के बाजू लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा. शायद बाजू में चल रही पलंगतोड़ चुदाई देखकर अनु भी उत्तेजित हो रही थी, इसलिए उसने मुझे सिक्सटी नाइन में आनेका हमारा हमेशा का इशारा (मेरी पीठ पर उंगलिया गोल घुमाई) किया. मैं झट उसपर उलटा हो गया और उसकी योनि को अपनी जीभ और होठोंसे सुख देने लगा.

आश्चर्य की बात ये थी की अनु की चूत हमेशा से ज्यादा गीली थी और लगातार कामरस की धरा बह रही थी. मैं भी उस रस की एक एक बूँद चाटता गया और अनु जैसे मेरे सख्त लिंग को चबा चबा कर खाने के प्रयास में थी.

निखिल डॉली को मसलता और चोदता गया, कुछ समय बाद उसकी आंखोंसे आंसू रूक गए. शायद वो भी इस आक्रामक संभोग को पसंद करने लगी थी. इतने में निखिल बोला, "चल छिनाल, अब घोड़ी बन. पहले तुझे पीछे से चोदूंगा और फिर तेरी गांड के बारे में सोचेंगे."

डॉली चुपचाप डॉगी पोज में आ गयी और फिर से निखिल ने उसको पीछे से चोदना चालु किया. अब निखिल कभी डॉली के लटकते हुए स्तनोंका मर्दन करता और कभी उसकी गांड पर पूरी ताकत से चांटे मारता. उन चाटों से डॉली के गांड लाल हुई जा रही थी.

मैं और अनु भी सिक्सटी नाइन से निकलकर मिशनरी पोज में चुदाई में लग गए.

"हाय, क्या सॉलिड माल मिला हैं तेरे को, साले फिर भी बाहर मुँह मारता फिरता हैं! अगर ये डॉली तुम दोनोंके बजाय तीन महीने पहले मुझे अपना सेक्स पार्टनर बना लेती, तो आज का यह दिन देखना नहीं पड़ता हरामी," डॉली को चोदते चोदते निखिल बोला।

बिना कुछ कहे मैं अनु डार्लिंग की टांगों में अपना लंड पेलता गया. निखिल की नजरे अनु की बड़ी बड़ी छातियों पर ही अटकी हुई थी.

जाहिर बात थी, की निखिल कोई शक्ति-वर्धक गोलिया खा कर आया था, ताकि उसका लंड जल्दी पानी नहीं छोड़े.

दो मिनट के बाद, वो हुआ, जिसके बारे में हम तीनोंने सोचा भी नहीं था.

"चल पराग, अब तू इधर आ और मैं तेरी अनु डार्लिंग को चोदूंगा."

"मगर आप तो सिर्फ डॉली.." अनु ने कुछ बोलने की कोशिश की, मगर उसे बीच में से काटकर निखिल बोलै, "अबे रंडी, तू गोवा में उस माइकल के साथ सब कुछ कर रही थी और अब मेरे सामने नखरे कर रही हैं."

"नहीं निखिल सर, वहाँ भी मैंने माइकल को चोदने नहीं दिया, उसके अलावा बाकी सब कुछ.."

"अब आज वो कमी भी पूरी होगी. साली, तेरेको क्या लगा, की मैं तुझे यहाँ सिर्फ मेरा और डॉली का सेक्स शो देखने के लिए लाया हूँ?" एक विकट हास्य करते हुए निखिल ने मुझे अनु के शरीर से बाजू में धकेल दिया और अनु के नंगे बदन पर सवार हो गया.

जैसे ही अनु की गीली चूत में निखिल ने अपना लौड़ा डाल दिया, वो भी डॉली की तरह चिल्ला उठी.

"उइ माँ, मर गयी, बाहर निकालो इसे प्लीज."

अब निखिल पर भूत, पिशाच सब सवार थे, वो अनु की टाँगे फैलाकर उसमें अपना लिंग घुसेड़ते गया. एक के बाद एक धक्के मारकर अपना पूरा लिंग अनु के अंदर पेल दिया.

ये सब देख कर मैं तो हक्का बक्का हो गया था. डॉली भी डर के मारे चुपचाप देख रही थी.

"पराग, चल अब तू ये नज़ारा देखेगा और उसी समय डॉली तेरा लौड़ा चूसेगी. इतना चूसेगी की तेरा पूरा पानी उसके मुँह में झड़ जाए."

पूरी तरह अपमानित और पराजित हो कर जैसे मेरा शरीर पुतले की तरह अकड़ गया.

"डॉली, चूस उसको, जल्दी," निखिल ने फ़रमाया.

"सॉरी पराग, मुझे माफ़ कर दो," इतना कहकर डॉली ने मेरा पूरी तरह मलूल और लटकता हुआ लिंग अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

निखिल ने मुझे ऐसी जगह खड़ा किया था की मैं निखिल-अनु का संभोग अच्छे से देख सकूं और वो मेरे लंड को डॉली द्वारा चूसने का सीन अच्छे से देख सके.
 
शर्मिंदगी के मारे मेरे पसीने छूट रहे थे और चेहरा गुस्से से लाल हो गया था. मैं बड़ी मुश्किल से अपने आप पर नियंत्रण रक्खे हुए था, मगर यह क्या हो रहा था?

मेरी प्यारी अनु को वो ब्लैकमेलर निखिल बड़ी बेरहमी से उसकी इच्छा के विपरीत एक जंगली भेड़ियेके जैसा चोद रहा था, और वो दृश्य देखकर धीरे धीरे मेरा लिंग खड़ा होने लगा. फिर मुझे याद आया की, मेरी पार्टनर स्वैपिंग की इच्छा थी जिसमे अनु मेरी आँखों के सामने किसी गैर पुरुष से चुदती। आज वो इच्छा एक अलग तरह से ही सही मगर पूरी हो रही थी. जैसे जैसे निखिल अनु के शरीर को मसलता गया और अपने लम्बे चौड़े लिंग से उसकी योनि में लगातार आघात करता गया, मेरा लौड़ा सख्त और लम्बा होने लगा.

डॉली मेरे लौड़े को चूसकर मुझे और भी पागल करने लगी. कुछ समय पहले जैसे डॉली की आँखों से आंसू रुक गए थे, वैसे ही अब मेरी अनुपमा की आँखोसे भी आसूं बहना बंद हुआ और मुझे ऐसा लगा की वो निखिल के पागलोंकी तरह संभोग का सुख लेने लगी.

आखिर कार अनु से रहा नहीं गया और उसके मुँह से आवाज़ निकलने लगी, "यस, यस, फक मि, आह, आह, और जोर से , यस फक मि, हार्डर, आह."

अति प्रसन्न होकर निखिल चिल्लाया, "यस, रांड, छिनाल, कैसे मजे लेकर चुद रही है तू, आह ,ले और पेलता हूँ तुझे. देख हरामी, तेरी बीवी कैसे मुझसे चुद रही हैं और मेरे लौड़े से मजे ले रही है. अब मैं इसकी चूत में ही मेरा पानी छोडूंगा. ओह फक, यस्स।"

अगले पंद्रह मिनट तक यही सिलसिला चलता रहा. कभी मिशनरी तो कभी डॉगी पोज में निखिल अनुको चोदता गया और अनु जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी. निखिल तो सुख की परमावधि पर था.

मैं एक बार अपना वीर्य डॉली के मुँह में झड़ चूका था, और डॉली फिर उसे खड़ा करने की कोशिश में थी. मगर निखिल अभी भी पूरी ताकत लगाकर चोदने के काम में लगा हुआ था. अब निखिल को लगा की उसका पानी जल्द ही निकलने वाला हैं.

तभी मेरे अपने मोबाइल फ़ोन एक मैसेज आया. जैसे ही मैंने मैसेज पढ़ा, मैंने ड्रावर में रखा हुआ लोहे का मजबूत डंडा निकाला और निखिल के सर पर मार दिया. उसी समय उसका पानी मेरी अनु डार्लिंग की चूत में छूटा और उस के सर से खून की धारा भी निकली. निखिल बेहोश होकर बेडपर गिर गया, अनु उसके नीचे से हटकर जमीन पर आ खड़ी हुई.

इस अचानक घटना से डरी हुई अनु और डॉली दोनों चिल्लाकर मेरी तरफ देखने लगी. मैंने अपने होठोंपर ऊँगली रखके उन्हें चुप होने के लिए कहा. मैंने एक फ़ोन किया और पांच मिनट में अपने कपडे पहनकर हम तीनो रूम से बाहर निकले. जैसे हम बाहर आये, दरवाजे पर खड़े तीन मुश्टण्डे अंदर गए और उन्होंने निखिल को ख़तम कर दिया. कुछ घंटो में उसकी लाश भी ठिकाने लगा दी.

ये क्या हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ..अब उन फोटोग्राफ और वीडियो का क्या, जो निखिल के प्राइवेट डिटेक्टिव के पास थे? इतनी बड़ी जोखिम मैंने क्यों उठाई?

पांचवा भाग अनुपमा की जुबानी है.

खंडाला के होटल के सूट से बाहर निकलकर हम तीनो (मैं, पराग और डॉली) बाहर हमारी कार में बैठ गए. ड्राइवर पहले सी ही गाडी में बैठा हुआ था. मैं और डॉली, दोनोंने पराग की तरफ प्रश्नार्थक दृष्टि से देखा. उसने इशारों से कहा बाद में बताऊंगा.

यात्रा समाप्ति के पश्चात हमें डॉली को उसके घर पर विदा किया और अपने घर पहुँचे. दोनोने साथ मिलकर स्नान किया और वाइन का एक एक गिलास लेकर सोफे पर बैठे. अब पराग ने सारा वृत्तांत बताया।

"जिस दिन मुझे वो लिफाफा मिला, उसी दिन मैंने मेरे चचेरे भाई अजय को फ़ोन किया. अजय के संपर्क में कई खबरी, जासूस और गुंडे लोग रहते हैं, क्योंकि वो एक आपराधिक मामलोंके जाने माने वकील का सहायक वकील हैं. मैंने उसे सिर्फ इतना ही बताया की कोई हमें ब्लैकमेल कर रहा हैं. बात गोपनीय रेहनी चाहिए."

अजय ने हमारे पीछे भी एक जासूस लगा दिया.

"जिस दिन हम तीनो मॉल के सामने कॉफी शॉप में गए, उसी समय हमारा जासूस भी दूरी पर था. उसने निखिल का पीछा किया और निखिल के जासूस का पता लगाया. फिर इस बात का भी पता लगाया की सारे ओरिजिनल फोटोज और वीडिओज़ कहाँ रक्खे हुए हैं."
 
"जब हम खंडाला के लिए निकले, तब अजय, अपना जासूस और चार गुंडे निखिल के जासूस के घर के बाहर थे. सारे मेरे इशारे की प्रतीक्षा में थे. जैसे ही निखिल ने डॉली को चोदना शुरू किया, मैंने अपने फ़ोन से अपने अजय को एक मिस्ड कॉल दिया. अब निखिल की भी सूरत में उसके अपने जासूस को कांटेक्ट नहीं करने वाला था, क्योंकि वो चुदाइ में मग्न था. उसी समय गुंडे निखिल के जासूस के घर में घुसे. उससे पहले लॉकर की चाबी ली फिर उसे मार कर बेहोश किया, और फिर अजय ने मुझे मैसेज किया."

"तभी मैंने उस लोहे के डंडे से निखिल पर प्रहार किया. बाकी का बचा हुआ काम उन तीन गुंडोंने किया जो हमारे बाद उस सूट में दाखिल हुए."

"अब सारे सबूत से भरा वो लॉकर और उसकी चाबी अजय के पास हैं. मैं कल सुबह जाकर सारे सबूत मिटा दूंगा."

मैंने कहा, "ओह माय गॉड, तुमने इतना सारी विस्तार से योजना बनायी और मुझे बताया तक नहीं."

"कोई बात नहीं अनु डार्लिंग, जिसका अंत भला, वो सब भला," कहकर पराग ने मुझे गले लगाया.

"तुम्हारा पहला और सच्चा प्रेमी और पति होने नई नाते यह मेरा उत्तरदायित्व था की मैं हम दोनोंकी रक्षा के लिए जो जरूरी है वो सब करून. इस सारे मामले में मुझे एक बात का बड़ा दुःख है और एक बात की अजीब ख़ुशी हैं," पराग ने कहा.

"दुःख तो समझ में आया मगर ख़ुशी?" मैं अचम्भे में पड़ गयी.

"देखो डार्लिंग, दुःख तो इस बात का हैं की उस ब्लैकमेलेर निखिल और उसके जासूस को हमको रास्ते से हटाना पड़ा. और अजीब ख़ुशी की बात ये हैं तुम किसी और आदमी के साथ संभोग करो ये मेरी इच्छा पूरी हो गयी. मैं मानता हूँ की जो तुम्हारे साथ हुआ वो बलात्कार ही था, मगर मैंने देखा की थोड़े समय के बाद तुम्हे उस जंगली संभोग से अत्याधिक सुख मिलने लग गया था. सच कहो," पराग ने बड़े प्यार से मुझे बाहोंमे लेकर कहा.

उसकी आँखों में आंखें मिलाकर मैंने पराग को चुम्बन दिया और कहा, "तुम कितने प्यारे हो, हाँ, यह सच हैं की मैं उस आक्रामक और क्रूर संभोग का सचमुच आनंद लिया. तुम्हारी फैंटसी भी पूरी हो गयी."

प्रेम भरे आलिंगन और चुम्बन करते हुए हम लोग बैडरूम की तरफ बढे और आज पराग ने बड़े रोमांटिक तरीके से मुझे संभोग सुख दिया.

अगले दिन, सुबह उठकर पराग अजय के साथ उन सबूतोंको नष्ट करके घर वापिस लौटा. मैंने ही उसे फ़ोन करके कहा, "तुम अजय भैया को भी साथ में लेकर आओ. हम तीनो किसी अच्छे से रेस्ट्रॉन्ट में जाकर भोजन करेंगे."

अजय भैया ने जो हमारी इतने बड़े संकट में मदद की थी, उसके लिए मेरा उनसे विशेष रूप से आभार प्रकट करना आवश्यक था. अजय सांवले रंग के ही हैं मगर उनके फीचर्स अच्छे हैं. बीच बीच में उनसे मुलाक़ात होती रहती थी, हर बार वो मुझसे बड़े प्यार और अपनेपन से पेश आते.

जब पराग ने कहा की उसे मेरे और निखिल के सम्भोग को देख करा मज़ा आया, फिर मैंने सोचा क्यों न अजय भैया को भी खुश कर दूँ. मेरी जैसी सुन्दर, सेक्सी और प्यारी लड़की के साथ संग करने को तो वो एक पल में तैयार हो जाएंगे. पोर्न फिल्मोंमें हमने ऐसे सैंकड़ो दृश्य देखे थे, जहां दो लड़के एक साथ एक लडकीसे अलग अलग प्रकार से संभोग करते हैं. अब गुदा (ऐनल) सेक्स में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी, मगर एक लौडेको चूसना और दुसरे से चुदवाने के सिर्फ विचार से ही मैं उत्तेजित हुई और मेरी योनि गीली होने लगी.

जब मेरा पति स्वयं मुझे रोकता नहीं, बल्कि प्रोत्साहित करता है, तो फिर मैं भी एम्-ऍफ़-एम् थ्रीसम का मजा लूंगी. वैसे भी मैंने गोवा के होटल में उस रात पराग को जूलिया के साथ कंडोम लगाकर चुदाइ करते देखा था. इसलिए मेरा भी मन किया की मैं भी अलग लड़के के साथ सेक्स का मजा लू.

वैसे मुझे पराग और जूलिया के सेक्स से कोई शिकायत नहीं थी, मगर उसने अगले दिन भी मुझे नहीं बताया, इस बात का थोड़ा बुरा तो जरूर लगा. शायद इसीलिए मैं अजय भैया के साथ सेक्स करने के लिए उत्साहित हुई थी, वो भी न की सिर्फ पराग के आँखों के सामने, उसके साथ.
 
अजय को आकर्षित करने के लिए मैंने ख़ास लाल रंग की साडी, पीले रंग का स्लीवलेस ब्लाउज, काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी. मेरी बाकी के साड़ी ब्लाउज की तरह इस ब्लाउज का भी गला काफी खुला हुआ था. पल्लू सरकते ही मेरे गठीले वक्षोंका और दो वक्षोंके बीच की दरार (क्लीवेज) की आसानी से दर्शन होते थे. रेस्ट्रॉन्ट में अजय मेरे सामने बैठा था और उसे मैं पल्लू गिरा गिराकर अपने वक्षोंके प्रदर्शन से लुभा रही थी.

भोजन समाप्ति के पश्चात हम तीनो पुनः हमारे घर पर आये. लाल वाइन पीते हुए हंसी मजाक शुरू हुआ. फिर मैंने अजय के पास जाकर उसे कहा, "अजय भैया, आप ने हमें एक बड़े संकट से निकाला हैं. मैं आप की अत्यंत आभारी हूँ." इतना कहकर मैंने उसे गले से लगा लिया. तभी पीछे से पराग ने मुझे आलिंगन दिया और मेरी अधनंगी पीठ पर चुम्बन करने लगा. मुझे लगा की पराग ने मुझे संकेत दे दिया की मैं अजय के साथ अपनी इच्छा से जो चाहे करू.

अजय के गालोंपर हलके चुम्बन करके मैंने उसके कानोंमें हलके से कहा, "थैंक यू डिअर अजय भैया. आप कितने अच्छे हो और कितने हैंडसम भी."

"ओह, भाभी, आप कितनी प्यारी हो. माय स्वीट डार्लिंग भाभी," कहकर उसने मेरे माथेपर और गालोंपर किस करने लगा. अभी भी पीछे से पराग मेरी गर्दन, पीठ और कमर को सेहला रहा था. पराग का खड़ा हुआ लंड मेरी गांड के बीच की दरार में चुभ रहा था. साफ़ था की मेरा अजय के साथ आलिंगन चुम्बन पराग को बिलकुल नहीं खटक रहा था, बल्कि वो जैसे की मुझे प्रोत्साहित कर रहा था.

"अजय, मैं आज आपसे बहुत खुश हूँ, यू आर सच अ स्वीटहार्ट," कहके मैंने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए.

"ओह भाभी, यू आर सो स्वीट एंड सो सेक्सी," अजय ने मुझे चूमते हुए कहा.

"अजय, प्लीज मुझे भाभी मत कहो, अनु कहो."

"नहीं भाभी, मेरी युवा अवस्था से एक फैंटसी हैं की मैं तुम्हारी जैसी किसी सेक्सी हॉट भाभी के साथ रोमांस और सेक्स करु. आज मुझे वो मौका मिला है, मुझे भाभी कहने से मत रोको."

अब अजय मेरे होठोंको चूसकर मेरी जीभ से अपनी जीभ लड़ाने लगा. उसके दोनों हाथ अनायास मेरे स्तनोंपर आ गए और उन्हें प्यार से मसलने लगे.

"ओह अजय, तुम कितने गंदे हो," मैंने झूटमूठ की नाराजगी दिखाते हुए अपने मम्मे उसकी छाती पर दबा दिए.

अजय मेरी गर्दन और कानोंको चूमते हुए "ओह मेरी सेक्सी भाभी" की रट लगाए हुए था.

पराग ने मेरे ब्लाउज के पीछे के बटन खोल दिए और दोनों भाइयोंने मिलकर मेरी ब्लाउज उतार दी. अजय मेरे क्लीवेज को चूमने और चाटने लगा. पराग ने पीछे से हाथ मेरे कमर पर लाये और मेरी साडी निकालना शुरू किया. धीरे धीरे एक एक परत हटती गयी और मेरी साडी मेरे पैरों में थी.

अजय मेरे अधनंगे स्तनोंको मसलते हुए बोला, "हाय भाभी, क्या मस्त बूब्ज हैं तेरे. एकदम घट्ट और बड़े बड़े."

एक कंधे पर से ब्रा की पट्टी हट गयी और अजय उसपर गीले चुम्बनों की बौछार करने लगा.

"अजय, तुझे मेरे बूब्ज देखने की, इनसे खेलने की कब से इच्छा थी?"

" जबसे तुम्हे तुम्हारी शादी में पहली बार देखा था. आह, कितने गोरे और स्मूथ स्किन हैं भाभी तुम्हारे बूब्ज," अजय के मुँह से गर्म साँसे निकल रही थी.

पराग ने मेरे लहंगे का नाडा खोला और वो भी नीचे गिर गया. मैं अब काली ब्रा और पैंटी में अजय की बाहों में थी. हाथ नीचे लेकर मैंने उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से ही टटोला और कहा, "साले, अच्छा, तो जब से ही मुझे चोदने के सपने देख रहा था, हाँ. देख तेरा लंड भी कितना उठ गया हैं."

"हाँ भाभी, तुम हो ही इतनी माल," अजय ने मेरी ब्रा का हुक खोलकर कहा.

फिर दोनों भाइयोंकी सहायता से मेरी ब्रा भी अलग हुई और अजय थोड़ा झुककर मेरे स्तनाग्रोंको चूसने लगा.

"और, क्या मस्त गांड हैं तुम्हारी भाभी," मेरे नितम्बोँको सहलाते हुए अजय बोला।

"चल अजय, मास्टर बैडरूम में चलते है, वही पर दोनों भाई मिलकर अनु को चोदेंगे, वो भी एकदम आरामदायक पोज में," पराग ने कहा और हम तीनो बैडरूम में चले गए.

बैडरूम में पहुँचते ही अजय और पराग ने अपने अपने कपडे उतार दिए, अब दोनों भी सिर्फ फ्रेंची में थे. मेरे शरीर पर भी सिर्फ पैंटी ही बची हुई थी. अजय ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरा दाया स्तन चूसने लगा. उसकी देखा देखि पराग भी मेरा बाया स्तन चूसने लग गया. जीवन में पहली बार दो मर्दोंसे संग के विचार से ही मेरी योनि गीली हुई जा रही थी, उसी में दोनों निप्पल एक साथ चूसे जाने से मैं और भी कामोत्तेजित हुई.

"आहां, कितना मजा आ रहा हैं. ऐसे ही चूसो मेरे मम्मोंको।"

"चल अजय, अब तू मेरी चूत चाट और मैं इधर पराग के लौड़े को चूसती हूँ." अब मैं भी दो मर्दोंके साथ पहले थ्रीसम की पूरी मस्ती में आ गयी थी.

एक पालतू कुत्ते की तरह अजय नीचे झुका, मेरी पैंटी निकली और दोनों जांघें खोलकर मेरी गीली योनि पर अपने जीभ, होंठ और दातोंसे सुख देने लगा.

"ले मेरी अनु डार्लिंग, वैसे भी तुझे मेरा लिंग चूसना पसंद हैं मेरी रानी. आज तुम अजय का लौड़ा चूसोगी भी और उससे चुदवाओगी भी."

पांच मिनट के बाद मैं बोली, "चलो, अब दोनों अदलाबदली करो. मुझे पता है की अजय उसकी सेक्सी भाभी से लौड़ा चुसवाने के लिए तड़प रहा हैं. और पराग, तुमको भी तो मेरी गीली चूत को और दाने को चाटने में बड़ा मज़ा आता हैं, न. आ जाओ दोनों."

अजय अपनी फ्रेंची कबकी निकाल चूका था, उसका मोटा और कड़क लिंग जैसे ही मेरे मुँह के सामने आया, मैंने उसे लपक लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.

"आह, मेरी सेक्सी अनु भाभी, क्या मस्त लौडा पीती हो तुम, आह, तुम सिर्फ दिखने में ही माल नहीं हो, बिस्तर में भी एकदम हॉट हो. चल, अब मैं तेरे मुँह को मस्त चोदता हूँ," इतना कहकर अजय शब्दशः मेरे मुँह में अपना लंड जोर जोर से घुसाने लग गया.
 
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