vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी - Page 8 - SexBaba
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vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी

समधि जी - लेकिन तुम शादी में टीशर्ट और पेंट पहनी हो? तुम साड़ी नहीं पहनती क्या?

सरोज - साड़ी भी पहना था पापा और हमलोगों ने तो खूब डांस भी किया था। रुकिए मैं आपको साड़ी वाली फोटो दिखाती हू। (बहु बेड के साइड से फोटो निकाल कर अपने पापा को दिखाई)

सरोज - ये देखिये पापा, मुझे प्लेन साड़ी ज्यादा पसंद है तो मैं हमेशा ऐसी ही साड़ी पहनती हू।
(बहु एक फोटो में लाल साड़ी पहने हुये अपनी खुली पेट और नाभि दिखा रही थी, तो दूसरी फोटो में ग्रीन साड़ी पहने हुये थी) 

समधि जी - बेटी साड़ी तो बहुत अच्छी है, और इस ग्रीन साड़ी वाले फोटो में तुम डांस कर रही हो क्या?

सरोज - हा, मैं वो मिस्टर इंडिया के श्रीदेवी वाले गाने पे डांस कर रही थी। मैं जब साड़ी पहन के तैयार हुई तो शालिनि मेरे पास आयी और अपना हाथ मेरी कमर के अंदर डाल साड़ी नाभि के नीचे सरका दी। मैं शर्मा गई लेकिन वहां केवल लड़कियां थी तो खूब डांस की। 



समधि जी - वाह तुम तो एकदम श्रीदेवी ही लग रही हो इस पोज़ में तुम्हारी नाभि तो श्रीदेवी के नाभि से भी ज्यादा अच्छी लग रही है।

सरोज - हंसकर।। नहीं मैं कहाँ और कहाँ श्रीदेवी

समधि जी - नहीं बेटी मैं सच कह रहा हूं, तुम्हारी कमर काफी अच्छी है बस बारिश हो रही होती तो भीगे बदन और चिपकी साड़ी में तुम एकदम हॉट लग रही होती।

सरोज - पापा आप नहीं जानते मेरी फ्रेंड कितनी शैतान है, उन्होंने सच में मेरे ऊपर एक बाल्टी पानी डाल दिया था और मैं बिलकुल वैसे ही थी जैसा आप सोच रहा है।

समधि जी - सच? फोटो दिखाओ भीगी साड़ी वाली ? 

सरोज - वो मैंने किसी को फोटो नहीं लेने दिया, सबकुछ दिख रहा था। अगर होता तो मैं आपको दिखा भी नहीं सकती। कुछ और भी फोटो होंगी लेकिन सब नहीं दिखा सकती। 

समधि जी - है है खूब मस्ती की तुमलोगों ने, कुछ और फोटो हो तो दिखाओ।

सरोज - अच्छा मैं आपको एक और फोटो दिखाती हु, मैंने वो ब्लाउज के डिज़ाइन के लिए रखा था। 

समधि जी - (बेसब्री से।। ) दिखाओ 

सरोज - (एक और फोटो लाकर अपने पापा को देती है) ये देखिये पापा है न अच्छी डिज़ाइन?
 
समधि जी - वाओ बेटी तुम तो बहुत अच्छी लग रही हो इस ब्लाउज में। तुम कपडे बदल रही थी क्या?

सरोज - हाँ पापा, मैंने साड़ी उतार दी थी और ब्लाउज खोल रही थी तभी शालिनी ने फोटो खीच लिया। लेकिन मुझे वो ब्लाउज के डिज़ाइन चाहिए था इसलिए ले आयी। मैंने ऐसे ही २ और ब्लाउज बनवाई है। 

समधि जी - हाँ बेटी तुम्हारी पीठ इस ब्लाउज में मांसल लग रही है, और कहाँ बनवाया तुमने ब्लाउज?

सरोज - पास में ही एक टेलर है उसको दिया, वो तो कभी कभी घर आ के मेरा नाप ले जाता है। बहुत अच्छा टेलर है, मैंने उसे ये फोटो दिखाइ और उसने डिज़ाइन देख कर मेरा नाप लिया और बिलकुल ऐसी ही ब्लाउज बना के दे दिया।

समधि जी - बेटी तुमने टेलर को ये फोटो दिखाए, मेरा मतलब ऐसे ब्लाउज खोलते हुए?

सरोज - ओह पापा, टेलर बुजुर्ग हैं मैं उन्हें चाचा बुलाती हूँ और वो बहुत मानते हैं मुझे। 

समधि जी - ओके फिर ठीक है, और ब्लाउज बना के उन्होंने तुम्हे ये फोटो वापस कर दिया।

सरोज - नहीं नही, ये तो दूसरी फोटो है। मैंने उनसे फोटो माँगा तो वो बोले की उनको डिज़ाइन बहुत पसंद है और इसलिए वो फोटो अपने पास ही रख लिये।

मै समझ गया की समधी जी क्या जानने की कोशिश कर रहे थे, मुझे भी ये बात आज ही पता चली। उस बुजुर्ग टेलर को ब्लाउज के डिज़ाइन में कोई इंटरेस्ट नहीं रहा होगा। वो तो बहु की खुली पीठ का दिवाना हो गया होगा। और अबतक तो वो न जाने वो कितनी बार बहु के पीठ देख कर मुट्ठ मार लिया होगा।
 
समधि जी - अच्छा बेटी, क्या मैं तुम्हारी ये साडी फोटो रख लूँ? तुम्हारी कोई फोटो मेरे पास नहीं है। तुम्हारी जब याद आएगी तो मैं तुम्हे इस फोटो में इमेजिन कर लिया करुँगा और सोचूँगा की मेरी प्यारी बेटी मेरे पास ही है।

सरोज - कौन कौन सी मेरी फोटो चाहिए आपको पापा ?

समधि जी -सभी, वो मेहँदी वाली, साड़ी वाली और ये ब्लाउज वाली सभी।

सरोज - ठीक है पापा आप रख लीजिये।

मुझे समधी जी का इरादा पता था। समधी जी क्या मिस कर रहे थे? वो अपनी बेटी का पवित्र प्यार नहीं बल्कि उसकी मांसल जाँघ, नाभि और गदराई पीठ देख कर मुट्ठ मारने के लिए तड़प रहे थे। टेलर के बाद अब समधी जी की मुट्ठ मारने की बारी थी।।
 
सुबह काफी देर तक मैं समधी जी और बहु रूम में बातें करते रहे। बहु ने सुबह जल्द ही नाश्ता बना दिया था, मैं और समधी जी ने रूम के बेड को आपस में जोड दिया, अब बेड पे हम तीनो के लिए काफी जगह थी। बहु रूम में पिंक कलर का सलवार सूट पहन के घूम रही थी, वो जब रूम में चलती तो उसकी चूचियां उछल रही थी। जो मुझे और समधी जी को संकेत देने के लिए काफी थी की बहु ने आज कुरते के अंदर ब्रा नहीं पहनी है। मैं हाथ में टीवी रिमोट लिए बैठा था और मेरे बगल में समधी जी टीवी पे अपना पसंदीदा प्रोग्राम देख रहे थे। 

तभी बहु बिस्तर पे मेरे और समधी जी के बीच चढ़ गयी, बहु किचन में काम करके थोड़ा थक सी गई थी। वो बिस्तर पे आते ही लेट गई और अपने पापा से बोली 

सरोज - पापा, क्या देख रहे हैं टीवी में? सीरियल लगाईये न प्लिज।

समधि जी - बेटी सीरियल में क्या है? वो तो तुम दूबारा देख सकती हो लेकिन ये टीवी पे ये लाइव शो मैं नहीं देख पाउँगा

बहु समधी जी के बिलकुल पास आ गई, उसने टीवी रिमोट लेने के कोशिश की तो समधी जी ने नहीं दिया और उसे मेरी तरह फेंक दिया। मैं इससे पहले के रिमोट ले पाता, बहु ने अपना हाथ आगे बढा कर रिमोट मुझसे छिन लिया। 

समधि जी- बेटी दो न प्लिज।

सरोज - नहीं दूंगी (कहते हुए बहु ने चैनल चेंज कर दिया)

बहु पिंक कलर के लेग्गिंग्स में अपनी मस्त जाँघो के शेप को दिखा रही थी। समधी जी बहु के हाथ पकड़ कर रिमोट छिनने लगे। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ईस वक़्त में मैं क्या करूँ। बहु ने रिमोट बिस्तर पे अपनी पीठ के नीचे छिपा लिया। समधी जी रिमोट लेने के बहाने अपनी बेटी के आधे शरीर पे चढ़ गए थे। 



समधि जी - देसाई जी पकड़िये न बेटी को, रिमोट लेकर भाग जायेगी

मै समधी जी की यह बात सुनकर बहु के दोनों हाथ ऊपर कर कस कर पकड़ लिये। हाथ ऊपर करने से बहु के चूनरी हट गई थी और उसकी दोनों चूचि और बड़ी और मुलायम दिख रही थी। समधी जी का भी ध्यान बिलकुल अपनी बेटी के नरम-नरम चूचि पे था। रिमोट लेने के बहाने समधी जी बहु के पेट और साइड से नंगी कमर को छू कर आनन्द उठाए। कई बार तो वो बहु के नाभि का नज़ारा भी ले लिए । बहु भी जान बूझ कर अपने पापा को चकमा देति रही और इसी बहाने समधी जी अपनी बेटी को ऊपर से नीचे तक कई जगहों पे मसल चुके थे। 

सरोज - पापा, बाबूजी, ये गलत है आप दोनों लोग एक साथ मुझे पकड़ कर मुझसे जबरदस्ती रिमोट ले रहे है। 

मै - कुछ गलत नहीं है (कहते हुए मैंने बहु के पीठ के नीचे से रिमोट लेने के कोशिश की लेकिन बहु मेरे इरादे को जान चुकी थी मैंने बहु को आँखों से इशारा किया ताकि वो अपने पापा को और रिझाये)
 
बहु ने रिमोट निकाल कर अपने दोनों जांघो के बीच में कस के दबा लिया। समधी जी रिमोट को पकड़ना चाहते थे लेकिन इस चक्कर में उनका हाथ बहु के दोनों जाँघो के बीच फ़ांस गया।बहु ने तो लेग्गिंग्स के अंदर पैन्टी भी नहीं पहनी थी। वो बिना कोई ऐतराज़ दिखाते हुए अपने पापा का हाथ को जांघो के बीच दबाती रही। समधी जी का हाथ का स्पर्श बहु के गरम बुर से हो रहा था। समधी जी भी उत्तेजित हो कर अपने हाथ को बाहर न निकाल कर रिमोट ढूंढने के बहाने अपनी बेटी के गरम चुत को रगडते रहे। समधी जी इस मौके का पूरा आनन्द उठा रहे थे। फिर होश संभालते हुए मुझसे बोले - 

समधि जी - देसाई जी, क्या हमदोनो इतने बूढ़े हैं के हमलोगों में ताकत नहीं रही, मैं अपनी बेटी से जीत नहीं पा रहा हूँ। 

मै - (मैं बहु के हाथ जोर से पकड़ते हुवे बोला) - समधी जी आपकी नज़र कमजोर है बहु ने रिमोट अपने नीचे दबा लिया है। सरोज को उठा कर निकाल लीजिये। 

बहु खिलखिला कर हँसती रही।।


समधि जी - देसाई जी मुझे मालूम है, लेकिन एसके कुल्हे इतने बड़े हैं के मैं इन्हे उठा नहीं पा रहा हूँ। 

समधि जी के मुह से अपनी बेटी के कूल्हों के बारे में बात करता देख मेरा लंड सख्त हो गया। मैंने जवाब में "सच है कहा" कह कर चुप हो गया। बहु ने भी अपनी तरफ से झुठा ऐतराज़ करते हुये कहा

सरोज - पापा आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं वो भी बाबूजी के सामने ।

समधि जी - नहीं बेटि, इसमे मजाक उड़ाने वाली कौन सी बात हो गई। तुम्हे तो अपनी ख़ूबसूरती पे नाज़ होना चहिये

सरोज - कैसा नाज़ पापा, आपने अभी-अभी मुझे मोटी कहा।

समधि जी - बेटी मोटी कब कहा मैंने? मैंने तो सिर्फ इतना कहा के मैं तुम्हे उठा नहीं पा रहा क्योंकि तुम्हारे कुल्हे बड़े और भारी है। और लड़कियों के बड़े और भारी कुल्हे तो काफी अकर्षित लगते है, कई कवियों ने अपनी कविता में स्त्रियों के कूल्हों को उसके सिंगार का गहना बताया है। क्यों देसाई जी ठीक कहा न मैंने?

मैन अपने खड़े लंड को सहलाते हुए, ये सोच के हैरान था के समधी जी कितनी आसानी से अपनी जवान बेटी की बड़ी गांड की बात कर रहे हैं और मुझे भी उसके यौवन के बारे में बोलने के लिए उकसा रहे है। मैंने भी इस चर्चा को थोड़ा और मसाला देने की सोचा। मैं देखना चाहता था की समधी जी किस हद्द तक मुझसे अपनी बेटी के बारे में खुल सकते है। 

मै - पापा ठीक कह रहे हैं बेटी, तुम नहीं जानती अपने जमाने में जब हमलोग कॉलेज जाया करते थे उस वक़्त थिएटर में हर आने वाली लड़की के लचकती कमर और मटकते कूल्हों पे हम लड़के सीटियाँ बजाय करते थे। 

सरोज - सच में बाबूजी, आप लोग भी उस जमाने में बदमाशी करते थे? हम लड़कियों को तो कभी पता हे नहीं चल पता के लड़को को क्या अच्छा लगता है।

समधि जी - बेटी वो तो उम्र ही ऐसी होती है, तुम्हे नहीं पता चलता लेकिन मैं तो समझ सकता हूँ न। इसलिए तो मैं तुम्हे अपने साथ बाजार ले जाने में झिझकता था याद है बेटी।

सरोज - हाँ आप मुझे मना करते थे लेकिन मैं फिर भी आपके साथ जिद्द करके आ जाती थी। लेकिन आप मुझे क्यों मना करते थे पापा?

समधि जी - बेटी तुम बाजार में ध्यान नहीं देती थी, मैं देता था। जब भी तुम अपनी ब्लू कलर वाली टाइट जीन्स पहन के बाजार में चलति, तो तुम्हारे पीछे कॉलेज के लड़के जवान, बूढ़े सभी तुम्हारी बड़े-बड़े कूल्हों को देखा करते थे। और वो जीन्स भी तो टाइट थी जो तुम्हारी मांसल जाँघ और तुम्हारे निचले हिस्से को और भी उभार देती थी। 

सरोज - ओह पापा मैं तो कभी ऐसा सोचा ही नही मुझे नहीं पता था की लोग ऐसे अट्रॅक्ट होते हैं लड़कियों के इस भाग के लिये। मेरे जीन्स पहनने पे ये हाल था तो मैं शॉर्ट्स पहनती तो क्या होता।। 

समधि जी - है है ।। क्यों समधी जी आप बताइये क्या होता? आखिर शादी के बाद यहाँ इस मोहल्ले में क्या होता है वो तो आप ही बता सकते हैं क्यों?

मै - हाँ समधी जी मैंने भी कई बार कोशिश की बहु को बोलने की लेकिन बोल नहीं पाया। यहाँ भी आस पास के लड़के बहु के हिप्स को बहुत घूरते है।
 
समधि जी - इस समस्या का कोई समाधान भी तो नहीं है। मेरी बेटी कर भी क्या सकती है, वो अपने बड़े-बड़े हिप्स को छुप्पा भी तो नहीं सकति। किस्सी भी कपडे में ये उभर कर दिखने लगते हैं (हम सब समधी जी के बात पे हंसने लगे।।)

मै - तुम्हे याद है बहु, वो हमारे पडोसी? शमशेर जी?

सरोज - हाँ शमशेर अंकल मुझे पता है हमारे पडोसी। क्या हुआ?

मै - मुझे पहले पता नहीं चला, लेकिन वो जब बार बार घर पे आने लगे तो मुझे शक़ हुआ और फिर मैंने शमशेर को कई बार पकड़ लिया। फिर उन्हें मैंने यहाँ से भगा दिया।

समधि जी - ये कब की बात है? क्या मैं मिला हूँ शमशेर से?

मैन - नहीं आप नहीं जानते उनको, मेरी उम्र के है। पड़ोस में रहते हैं आज़कल कहीं बाहर गए है।

समधि जी -अच्छा, क्या किया उन्होंने?

मै - वो बहु को बहुत ही गन्दी नज़र से देखते थे, वो बहु के कई फोटोग्राफ्स भी क्लिक किये थे। उन्हें मैंने कई बार घिनौनी हरकत करते देखा जो मैं बहु के सामने आपसे बता नहीं सकता। 

सरोज - कैसी हरकत बाबूजी, बताइये मुझे। बात मेरे बारे में है तो मुझे पता होना चहिये। 

मैन - नहीं बहु मैं नहीं बता सकता

समधि जी - कोई बात नहीं समधी जी मेरी बेटी कोई बच्ची नहीं है। अब ये शादीशुदा है आप बे-झिझक खुलकर बताइये
मै - समधी जि, मैंने एक दिन रात में उनके कमरे में सिगरेट लेने गया तो देखा की बिस्तर पे बहु की कुछ पर्सनल फोटग्राफ्स है। जिनमे से कुछ फोटो में बहु नंगी भी थी। 

सरोज - (चौंकते हुए) क्या मेरी पर्सनल फोटो? तो क्या शमशेर अंकल ने मेरी प्राइवेट फोटोज मेरे कमरे से चुरायीं थी? 

समधि जी - (ग़ुस्से में आकर बोले) लेकिन सरोज बेटी, तुम्हारी नंगी फोटो उस बहनचोद शमशेर को कैसे मिली? 

अपने पापा को गुस्से में गाली देता देख बहु घबरा गई थी। 

सरोज - (घबराती हुई) पापा वो कुछ फोटोज थे जो मेरे पति ने खिची थे वही उनके हाथ लग गई होंगी। लेकिन मैंने अभी कल ही देखा, सारी फोटोज मेरे पास है। और शमशेर अंकल बहुत अच्छे थे हो सकता है की वो शायद अनजाने में देख लिए होंगे और फिर वापस रख दी होगी।
 
मै - बहु सिर्फ इतनी बात होती तो मैं उन्हें घर से बाहर नहीं निकालता।

सरोज - तो फिर कैसी बात थे बाबूजी बताइये।

मै - बहु मैंने शमशेर को तुम्हारी फोटो पे मूठ मारते हुए देखा था 

समधि जी - क्या? ये आप क्या कह रहे हैं समधी जी?

सरोज - मुट्ठ मारना मेरी फोटो देख कर? मैं समझी नही। (बहु जानबूझ कर अपने पापा के सामने अन्जान बनने की कोशिश कर रही थी)

सरोज - मुझे बताइये पापा मुट्ठ मारने का क्या मतलब होता है?

समधि जी - बेटी, मुट्ठ मारना मतलब वो बहनचोद शमशेर तुम्हारी नंगी फोटो देख कर अपना लंड रगड रहा था और तुम्हारी नंगी फोटो पे अपने लंड का सफ़ेद पानी गिराया। इसको बोलते हैं मुट्ठ मारना

(समधी जी का अपनी बेटी के सामने लंड शब्द का यूज करना काफी शॉकिंग था।) 

सरोज - छी: पापा ये आप क्या कह रहे हैं शमशेर अंकल ऐसा नहीं कर सकते।

मै - बहु सिर्फ इतना ही नही वो रात में तुम्हारी यूज की हुई पैन्टी ले जाते थे ताकि उसे सूंघ कर अपनी वासना शांत कर सकें

सरोज - मेरी यूज की हुई पैन्टी? ओह माय गॉड़। 

समधि जी - बेटी, गलती तुम्हारी है। तुम अपनी यूज की हुई पैन्टी क्यों शमशेर के सामने रखती थी। ऐसे तो किसी भी मरद की वासना जाग जयेगी।

सरोज - मुझे मालूम नहीं था पापा सॉरी।। मेरे पास तो बहुत सारी पैन्टी और ब्रा हैं मैं उनको धोती नही। सभी इकठ्ठा होने के बाद मशीन में धुलने के लिए डाल देती हूँ। इधर देखिये मेरे बिस्तर पे कल रात की मेरी पहनी हुई पेंटी ऐसे ही सामने पड़ी है। मुझे नहीं मालूम की मर्दो को पेंटी एक्साइड करती है

समधि जी - हाँ बेटी, गलती तुम्हारी नहीं है। तुम्हारी सास नहीं है न तुम्हे ये सब बताने के लिये। समधी जी आपको ही सास का फ़र्ज़ निभाना होगा और मेरी बेटी को ये सब बात बतानी चाहिए ताकि वो अनजाने में ऐसी गलती न करे

मै - मैं समझ सकता हूँ समधी जी, लेकिन में इसका ससुर हू। मुझे बहु को ये सब बताने में शर्म आती थी।

समधि जी - मैं जानता हूं, लेकिन कोई और ऑप्शन भी तो नहीं है। मुझे माफ़ कर दो बेटी मैंने गुस्से में तुम्हे डाँटा और मेरे मुह से गाली भी निकल गई तुम्हारे सामने। 

सरोज - इटस ओके पापा, (वो अपने पापा के गले लग गई)
 
समधि जी - लेकिन बेटी तुम्हे ऐसी फोटो सब नहीं रखनी चहिये। दिखाओ मुझे मैं बताता हूँ के कौन सी फोटो तुम रख सकती हो और कौन नही।

सरोज - जी पापा लेकिन कुछ फोटो उसमे बहुत गन्दी हैं आपको दिखाने में मुझे शर्म आएगी 

समधि जी - जब शमशेर तुम्हारी फोटो देख सकता है तो मैं क्यों नही। वैसे भी तुम मेरी बेटी हो तुम्हे मैंने बचपन से देखा है।

सरोज - ठीक है मै लाती हूँ।

(सरोज फोटो निकाल कर लाई और अपने पापा को दिखाने लगी) 

समधि जी - ये जीन्स और ब्रा वाली फोटो किसने खीची।

सरोज - ये वाली तो बाबूजी ने खींची है? वो मैं एक नयी ब्रा लाई थी बाबूजी के साथ तो देखना चाहती थी की मेरी ब्रा पीछे से कैसी लगती है

मै - हाँ ये पिछले महिने के ही शॉपिंग के फोटोज है, मनिष् नहीं था तो मैं ही गया था बहु के अंडरगार्मेन्ट्स ख़रीदने और फिर मैंने ही ये फोटो ली बहु को साइज दिखाने के लिये।

समधि जी -अच्छा।।एक बात है, ब्रा से अच्छी तो तुम्हारी हिप्स लग रही है इस फोटो में

सरोज - पापा।।।।। आप बदमाश हो

समधि जी - है है है सच में, क्यों समधी जी सच है की नहीं ? 
(मैं वहीँ खड़ा मुस्कुरा दिया)

समधि जी - ये वाली फोटो बेटी? 



सरोज - ये भी बाबूजी ने खीचि। उसी दिन के शॉपिंग की है

समधि जी - अच्छा तो आप दोनों ने बहुत शॉपिंग की और तुम समधी जी को कपडे पहन के दिखा रही थी।

सरोज - हाँ मैं इन्हे कपडे पहन के दिखा रही थी और फोटो खीचने के लिए बोली ताकि मैं देख सकूँ की मैं कैसी लग रही हू।

समधि जी - तुम तो हमेशा अच्छी लगती हो बेटी, और इस फोटो में तुम्हारी नाभि तो बहुत उत्तेजक दिख रही है। ऐसी फोटो देख कर शमशेर की हालत ख़राब हो जाती होगी।

सरोज - मुझे नहीं पता की शमशेर अंकल को मेरी नाभि देख कर उत्तेजना होती होगी।

तभी तीसरी फोटो काफी हैरान कर देने वाली थी जिसमे बहु ने ब्लाउज नहीं पहना था और केवल साड़ी लपेटे खड़ी थी।



समधि जी - बेटी क्या ये भी??? तुम्हारे ससुर ने खींची।।।।

सरोज - पापा वो गलती से हो गया, मेरी ब्लाउज ढीली थी और हुक भी बंद नहीं थे जब मैं झुक कर साड़ी ठीक करने लगी तभी मेरी ब्लाउज पूरी नीचे सरक गई। मैंने झट्ट से आंचल से अपना फ्रंट कवर कर लिया। लेकिन तबतक पापा जी के हाथ से गलती से कैमरा का बटन दब गया और ये फोटो खींच गई।

समधि जी - बेटी इसमे तुम्हारे फ्रंट नज़र आ रहे है।कहीं समधी जी से पहले क्लिक हो जाता तो तुम पूरी नंगी दिख जाती इस फोटो में।। (हा हा है है )
 
समधि जी अब धीरे धीरे खुल गए थे और बहु को टीज(छेड़छाड़ या चिढ़ाना) करने लगे थे। बहु भी इन सब बातों का मजा ले रही थी।

समधि जी ने आगे के दो फोटो देखा तो एकदम से चौंक गये, मुझे पता था की उन्होंने ने क्या देखा। वो अपनी आँखे बड़ी किये हुये देख रहे थे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था की ये उनकी बेटी है ।

समधि जी - बेटी सरोज, अब ये मत कहना की ये फोटो भी तुम्हारे ससुर ने खिची है ( समधी जी ने बहु को टीज करते हुये फोटो दिखाया। बहु की फोटो देख के होश उड़ गए) 
ये वो फोटो थी जिसमें बहु अपने हस्बैंड यानी मेरे बेटे मनीष का लंड चूस रही थी। और मनीष के लंड का फव्वारा अपने मुह पे ले रही थी।

सरोज - ओह पापा आप गंदे हो छी:। आपको ये नहीं देखना चाहिए थी।। 

समधि जी - (एक बार फिर से बहु को टीज करते हुये बोले) पहले ये बताओ बेटी ये ससुर जी ने तो नहीं खीचा न?

सरोज - छी: पापा कैसी बात करते है। ये तो मेरी पति है। उनके जिद्द करने पे मैंने ऐसा किया वो ऐसी ही फोटो चाहते थे।

समधि जी - लेकिन बेटी, एक बात कहुं।

सरोज - (शर्माते हुए) हाँ पापा बोलिये।

समधि जी - तुम इस पिक्चर में जिस तरह मनिष का लंड चूस रही हो, और उसके लंड के पानी को अपने मुह में ले रही हो। ऐसी तो प्रोस्टीच्यूट(रंडी) भी नहीं करती।

सरोज - ओह पापा प्लीज हटा दिजिये इस फोटो को।

समधि जी - क्यों बेटी, चूसते वक़्त तुम्हे शर्म नहीं आ रही थी अभी फोटो देख कर आ रही है। 

सरोज - पापा, उस वक़्त की बात अलग थी अभी आपके सामने देखने में शर्म आ रही है।

समधि जी - ओह सरोज बेटी, तुम्हारी ऐसी फोटो देख कर तो वो बहनचोद शमशेर रोज मुट्ठ मरता होगा। (समधी जी ने अपना लंड अपने पेन्ट के ऊपर से रगडते हुये कहा) 

सरोज - पापा फिर गाली दिए आप? और वो भी गलत है ।

समधि जी - गलत? गलत क्यों?

सरोज - हाँ वो मुझे देख कर मुट्ठ मारते थे, और मैं उनको अंकल बुलाती थी तो फिर आपकी गाली गलत हुई ना

संधि जी - है है ह।। हाँ बेटी वो बहनचोद नहीं बेटीचोद था जो अपनी बेटी सामान लड़की को देख कर मुट्ठ मारता था ।

मै - समधी जी, ये गाली भी तो गलत ही हुई

समधि जी - क्यों ?

सरोज - क्यों?

मै - क्योंकि सरोज शमशेर की बेटी नहीं है, वो तो आपकी बेटी है है है ह।।। 

मैने हिम्मत करते हुए और आगे बोला।।।

मै - शमशेर की जगह आप होते तो।।। गाली सही होती 

(बहु शर्म से लाल हो गई।। ) 

समधि जी - (मुस्कुराते हुए) समधी जी आप बहुत बदमाश हो गए है, क्यों बेटी जब ससुर इतना बदमाश है तो बेटा तो तुम्हे बहुत परेशान करता होगा?

सरोज - पापा आप भी न कैसी बात कर रहे हैं?

समधि जी - हाँ बेटी बताओ, जिस तरह से तुम दामाद जी का लन्ड चूस रही हो उसे देख कर तो यही लगता है की तुम उसका लंड रोज चुसती होगी है न?
 
सरोज - हाँ चुसती थी हर रोज (बहु शरमाते हुए और खुल कर बोली) बिना चुसवाए वो मुझे कोई काम नहीं करने देते थे। गले तक अपना मोटा सा लंड डाल देते थे और मैं १५ मिनट तक उनका लण्ड चुसती रहती थी। इतना बड़ा लंड मैंने कभी नहीं देखा।

समधि जी -हा हा, आखिर बेटा किसका है। तुम्हारे ससुर जी इतने हट्टे कट्टे है। दमाद जी का वो भी तो उनही पे गया होगा। और जब बेटा का इतना बड़ा है तो सुसुर का तो और भी मोटा और मस्त होगा। और समधी जी का मुट्ठ भी मनीष से ज्यादा निकलता होगा। है न समधी जी? इस फोटो में अगर मनिष की जगह तुम्हारे ससुर जी होते तो तुम्हारा पूरा मुह इनके मुट्ठ से भरा होता।

सरोज - प्लीज पापा, ससुर जी आपको टीज किये तो आप अब उनको टीज कर रहे है। मगर कमसे कम मुझे लेकर टीज मत करिये। कोई और लड़की भी तो हो सकती है

मै - हाँ समधी जी ये क्या बात हुई? आप मेरी बात का बदला ले रहे है।

समधि जी - अच्छा , अब नहीं बोलता मैं कुछ (समधी जी ने अपनी कान पकड़ते हुए कहा, मैं और बहु हंसने लगे )

समधि जी - अच्छा बेटी अब दूसरी फोटो तो देखने दो। (समधी जी ने जब दूसरी फोटो देखी तो जोर जोर से हंसने लगे)

सरोज - क्या हुआ पापा?



समधि जी - ये तुम सोफ़े पे क्या कर रही हो? खुद ही देखो।

(बहु उस फोटो में सोफ़े पे बिलकुल नंगी सिर्फ पेंटी पहने बैठी थी)

सरोज - ओह पापा क्या है आप भी न, अब मत देखिये मेरी फोटो।

समधि जी - हाँ लेंकिन बताओ तो तुम ये क्या कर रही हो?

सरोज - वो मेरी पेंटी ट्रांसपेरेंट थी न तो जब मेरे हस्बैंड फोटो ले रहे थे तो मैं शर्म से अपना वो छुपा ली थी।

समधि जी - ओह मुझे लगा।।। 

सरोज - क्या लगा?

समधि जी - नहीं जाने दो मुझे कुछ दुसरा लगा।

सरोज - बोलिये न पापा

समधि जी - मुझे लगा की घर पे कोई है नहीं और तुम एक्साईटमेंट में अपने वहां पर ऊँगली कर रही हो।

सरोज - छी: पापा, मैं ये सब नहीं करती ?
 
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