desiaks
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कुछ देर बाद निहारिका फिर से वापस आई और इस बार Drawing Room में पड़ी Fridge को खोल कर साफ करने लगी.
" तुम्हारा काम ख़त्म नहीं हुआ बहु ? ". ससुर जी की आवाज में अब थोड़ी सी बेचैनी थी.
" घर में तीन तीन मर्द अगर काम में हाथ ना बटाने की ठान लें तो काम कभी ख़त्म होगा क्या बाबू जी ??? ". निहारिका तपाक से बोली, मानो उसका जवाब रेडी था.
तीनों की बोलती बंद हो गई और वो एक दूसरे को देखने लगें. फिर जेठ जी ने कुछ Notice किया और बोलें.
" निहारिका... आज तूम कुछ अलग लग रही हो. "
" जैसे की ? ". निहारिका ने बिना पीछे मुड़े ही पूछा.
" कुछ तो है... Wait. ". जेठ जी बोल कर कुछ सोचने लगे. आशीष और ससुर जी ने कोई ध्यान नहीं दिया क्यूंकि उन्हें पता था की राजेश Flirt कर रहा था.
" Got It ! ". जेठ जी को समझ में आ गया. " आज तूमने पायल पहन रखी है... ".
" और ? ". निहारिका मन ही मन मुस्कुरा रही थी.
जेठ जी उठ कर Fridge साफ कर रही निहारिका के पीछे गयें, फिर उसे अपनी ओर घुमा कर बोलें .
" और तुम्हारी ये करधनी. ".
राजेश की बात सुन कर आशीष और ससुर जी अब निहारिका को देखने लगें. उसने सही Notice किया था... आज निहारिका ने एक करधनी पहन रखी थी. वैसे तो वो धागे की बनी एक पतली सी साधारण सी करधनी थी, पर निहारिका के बदन पर उसकी वजह से चार चाँद लग गयें थें ! निहारिका ने करधनी कमर से थोड़ी ऊपर पेट पर पहनी थी जो की उसकी नाभी से होकर गुजर रही थी. करधनी टाईट थी, उसके सामने की ओर दो छोटे छोटे सुंदर से मोती झूल रहें थें, नाभी के एकदम पास में !
" भाभी एकदम रति की देवी लग रही है ना इस करधनी में पापा ? ". आशीष ने अपने पिता की ओर देख कर कहा.
" रात को आदित्य को रिझाने के लिये पहनी थी क्या ? ". राजेश ने मज़ाक किया.
" ये सेक्स या स्टाइल के लिये नहीं है जेठ जी... इसकी ताबीज़ सुख समृद्धि के लिये है. मेरी मम्मी ने दी थी शादी के वक़्त. ". निहारिका ने कहा.
" इसकी ताबीज़ तो दिख नहीं रही... ". जेठ जी ने निहारिका की कमरे निहारते हुए कहा.
" इस तरफ है... ". निहारिका घूम कर जेठ जी को अपनी गांड़ दिखाते हुए बोली. उसकी गांड़ वाली Side में करधनी से एक छोटा सा ताबीज़ लटक रहा था.
" ताबीज़ पीछे क्यूं कर रखा है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" चूत वाली Side में रखने से अपशकुन होता है. ".
" जो भी हो... अच्छी लग रही हो इसमें. हमेशा पहन कर क्यूं नहीं रहती ? " . जेठ जी की नज़र नीचे ही थी.
" बहुत टाईट है जेठ जी... देखिये ना. इसलिये बस कभी कभार ही पहनती हूं. ". निहारिका ने मुँह बना कर नीचे अपनी करधनी को देखते हुए कहा.
" अभी ठीक किये देता हूं... ". जेठ जी ने कहा. उसने देखा की करधनी वाकई में काफी टाईट थी. उसे निहारिका की कमर वाली तरफ करधनी की एक गाठ मिली, उसने थोड़ी सी मसक्कत के बाद वो गाठ ढीली कर दी तो करधनी सरक के निहारिका की कमर से भी नीचे आ गई और उसके चूतड़ के उभारों पर टिक गई. अब ढीली करधनी सामने की ओर इतने नीचे आ गई थी की दोनों छोटे छोटे मोती उसकी चूत के आगे झूलने लगें, मानो चूत देवी की पहरेदारी कर रहें हों !!!
" अब ठीक है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" बेहतर है जेठ जी... So Sweet Of You ! ". निहारिका की खुशी का ठिकाना ना रहा.
निहारिका की करधनी अब जब उसकी कमर के नीचे चूत पर से होकर लिपटी पड़ी थी तो वो बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लगने लगी थी. आशीष की आँखे बड़ी हो गई और ससुर जी का मुँह खुला का खुला ही रह गया.
निहारिका ने देखा की ये सब करते करते जेठ जी थोड़े से उत्तेजित हो गयें थें, उनका लण्ड पजामे में आधा खड़ा साफ झलक रहा था. उसने आँखे उठा कर जेठ जी को देखा, दोनों की नज़रें मिली और दोनों को अंदर ही अंदर इशारे में समझ आ गया की अब क्या करना है.
निहारिका ने Fridge का दरवाजा बंद कर दिया और अपने दाये हाथ में जेठ जी लौड़ा उनके पजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया, फिर बिना एक शब्द मुँह से निकाले उनके लण्ड से उन्हें खींचते हुए वहाँ से अपने बेडरूम की ओर चल पड़ी. राजेश अपना लण्ड खड़ा किये उसके पीछे पीछे ऐसे चला गया मानो निहारिका ने अभी अभी उसे किसी मंत्र से अपने वश में कर लिया हो !!!
आशीष और ससुर जी समझ गयें की निहारिका अब राजेश को कमरे में ले जाकर चुदवायेगी ! उनके चेहरे पर Frustration साफ झलक रही थी. दोनों बेचारे बेवकूफ़ों की तरह ललचाई नज़रों से जाती हुई निहारिका के गांड़ पे थिरकते उसकी करधनी को देखते रहें.
" देखा पापा... आज भी राजेश भैया ही पहले भाभी को चोद रहें हैं... ". आशीष अपने पिता से बोला. " और पहला दूसरा तो छोड़ ही दीजिये... मुझे तो दो दिनों से चोदने नहीं मिल रहा. "
" मैंने भी बहु को तीन चार दिन से नहीं चोदा है बेटे... तो क्या ? ". ससुर जी ने थोड़ी सख्ती से कहा. " औरतों की भी अपनी पसंद नापसंद होती है... Maybe उसे राजेश ज़्यादा पसंद हो. और फिर ये मत भूलो की वो तुम्हारी भाभी है और मेरे मझले बेटे और तुम्हारे भैया आदित्य की धर्मपत्नि ! फिर भी उसका हम तीनो से सम्बन्ध है... सिर्फ इसलिये क्यूंकि उस बेचारी को एक विवाहित स्त्री का सुख नहीं मिल रहा. "
" तुम्हारा काम ख़त्म नहीं हुआ बहु ? ". ससुर जी की आवाज में अब थोड़ी सी बेचैनी थी.
" घर में तीन तीन मर्द अगर काम में हाथ ना बटाने की ठान लें तो काम कभी ख़त्म होगा क्या बाबू जी ??? ". निहारिका तपाक से बोली, मानो उसका जवाब रेडी था.
तीनों की बोलती बंद हो गई और वो एक दूसरे को देखने लगें. फिर जेठ जी ने कुछ Notice किया और बोलें.
" निहारिका... आज तूम कुछ अलग लग रही हो. "
" जैसे की ? ". निहारिका ने बिना पीछे मुड़े ही पूछा.
" कुछ तो है... Wait. ". जेठ जी बोल कर कुछ सोचने लगे. आशीष और ससुर जी ने कोई ध्यान नहीं दिया क्यूंकि उन्हें पता था की राजेश Flirt कर रहा था.
" Got It ! ". जेठ जी को समझ में आ गया. " आज तूमने पायल पहन रखी है... ".
" और ? ". निहारिका मन ही मन मुस्कुरा रही थी.
जेठ जी उठ कर Fridge साफ कर रही निहारिका के पीछे गयें, फिर उसे अपनी ओर घुमा कर बोलें .
" और तुम्हारी ये करधनी. ".
राजेश की बात सुन कर आशीष और ससुर जी अब निहारिका को देखने लगें. उसने सही Notice किया था... आज निहारिका ने एक करधनी पहन रखी थी. वैसे तो वो धागे की बनी एक पतली सी साधारण सी करधनी थी, पर निहारिका के बदन पर उसकी वजह से चार चाँद लग गयें थें ! निहारिका ने करधनी कमर से थोड़ी ऊपर पेट पर पहनी थी जो की उसकी नाभी से होकर गुजर रही थी. करधनी टाईट थी, उसके सामने की ओर दो छोटे छोटे सुंदर से मोती झूल रहें थें, नाभी के एकदम पास में !
" भाभी एकदम रति की देवी लग रही है ना इस करधनी में पापा ? ". आशीष ने अपने पिता की ओर देख कर कहा.
" रात को आदित्य को रिझाने के लिये पहनी थी क्या ? ". राजेश ने मज़ाक किया.
" ये सेक्स या स्टाइल के लिये नहीं है जेठ जी... इसकी ताबीज़ सुख समृद्धि के लिये है. मेरी मम्मी ने दी थी शादी के वक़्त. ". निहारिका ने कहा.
" इसकी ताबीज़ तो दिख नहीं रही... ". जेठ जी ने निहारिका की कमरे निहारते हुए कहा.
" इस तरफ है... ". निहारिका घूम कर जेठ जी को अपनी गांड़ दिखाते हुए बोली. उसकी गांड़ वाली Side में करधनी से एक छोटा सा ताबीज़ लटक रहा था.
" ताबीज़ पीछे क्यूं कर रखा है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" चूत वाली Side में रखने से अपशकुन होता है. ".
" जो भी हो... अच्छी लग रही हो इसमें. हमेशा पहन कर क्यूं नहीं रहती ? " . जेठ जी की नज़र नीचे ही थी.
" बहुत टाईट है जेठ जी... देखिये ना. इसलिये बस कभी कभार ही पहनती हूं. ". निहारिका ने मुँह बना कर नीचे अपनी करधनी को देखते हुए कहा.
" अभी ठीक किये देता हूं... ". जेठ जी ने कहा. उसने देखा की करधनी वाकई में काफी टाईट थी. उसे निहारिका की कमर वाली तरफ करधनी की एक गाठ मिली, उसने थोड़ी सी मसक्कत के बाद वो गाठ ढीली कर दी तो करधनी सरक के निहारिका की कमर से भी नीचे आ गई और उसके चूतड़ के उभारों पर टिक गई. अब ढीली करधनी सामने की ओर इतने नीचे आ गई थी की दोनों छोटे छोटे मोती उसकी चूत के आगे झूलने लगें, मानो चूत देवी की पहरेदारी कर रहें हों !!!
" अब ठीक है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" बेहतर है जेठ जी... So Sweet Of You ! ". निहारिका की खुशी का ठिकाना ना रहा.
निहारिका की करधनी अब जब उसकी कमर के नीचे चूत पर से होकर लिपटी पड़ी थी तो वो बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लगने लगी थी. आशीष की आँखे बड़ी हो गई और ससुर जी का मुँह खुला का खुला ही रह गया.
निहारिका ने देखा की ये सब करते करते जेठ जी थोड़े से उत्तेजित हो गयें थें, उनका लण्ड पजामे में आधा खड़ा साफ झलक रहा था. उसने आँखे उठा कर जेठ जी को देखा, दोनों की नज़रें मिली और दोनों को अंदर ही अंदर इशारे में समझ आ गया की अब क्या करना है.
निहारिका ने Fridge का दरवाजा बंद कर दिया और अपने दाये हाथ में जेठ जी लौड़ा उनके पजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया, फिर बिना एक शब्द मुँह से निकाले उनके लण्ड से उन्हें खींचते हुए वहाँ से अपने बेडरूम की ओर चल पड़ी. राजेश अपना लण्ड खड़ा किये उसके पीछे पीछे ऐसे चला गया मानो निहारिका ने अभी अभी उसे किसी मंत्र से अपने वश में कर लिया हो !!!
आशीष और ससुर जी समझ गयें की निहारिका अब राजेश को कमरे में ले जाकर चुदवायेगी ! उनके चेहरे पर Frustration साफ झलक रही थी. दोनों बेचारे बेवकूफ़ों की तरह ललचाई नज़रों से जाती हुई निहारिका के गांड़ पे थिरकते उसकी करधनी को देखते रहें.
" देखा पापा... आज भी राजेश भैया ही पहले भाभी को चोद रहें हैं... ". आशीष अपने पिता से बोला. " और पहला दूसरा तो छोड़ ही दीजिये... मुझे तो दो दिनों से चोदने नहीं मिल रहा. "
" मैंने भी बहु को तीन चार दिन से नहीं चोदा है बेटे... तो क्या ? ". ससुर जी ने थोड़ी सख्ती से कहा. " औरतों की भी अपनी पसंद नापसंद होती है... Maybe उसे राजेश ज़्यादा पसंद हो. और फिर ये मत भूलो की वो तुम्हारी भाभी है और मेरे मझले बेटे और तुम्हारे भैया आदित्य की धर्मपत्नि ! फिर भी उसका हम तीनो से सम्बन्ध है... सिर्फ इसलिये क्यूंकि उस बेचारी को एक विवाहित स्त्री का सुख नहीं मिल रहा. "