desiaks
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- Aug 28, 2015
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अब मेरी मेरी पत्नी उर्मि और प्रशांत सर अकेले मेरे कंप्यूटर सेंटर में थे . मैं फटा फट भाग कर 4th फ़्लू r पे आगया और कॉरिडोर से होता हुआ बिल्डिंग की पीछे वाले इलाके में चला गया . वहां पर लकड़ी का दरवाज़ा सिर्फ चिटकनी के साथ बंद था. दरवाज़ा खोल कर मैं अन्दर घुस गया और अन्दर से चिटकनी लगा ली. ये हमारे कंप्यूटर सेंटर की किचन थी. किचन में घुप अँधेरा था. थोड़ी थोड़ी लाइट बस दरवाज़े के नीचे से आ रही थी. लेकिन सर्विस विंडो के शीशे पर ब्लैक कलर का चार्ट चिपकाया हुआ था. जो की पुराना हो चूका था और थोडा थोडा सा फट रहा था. मैंने थोडा सा उसे और फाड़ा और मेरा कंप्यूटर सेंटर पूरा दिखाई दे रहा था!.
प्रशांत और उर्मि .मेरे ऑफिस केबिन में थे. उसने उर्मि को कुछ कहा और वो उठ कर गयी और मैं दूर को लॉक कर दिया. लॉक ऐसा था जो कि बाहर से भी खुल सकता था और अन्दर से भी. उस लॉक कि एक चाबी मेरी जेब में थी. मैं चाहता तो अपनी पत्नी का भांडा फोड़ सकता था. पर पता नहीं क्यों मैं उसे किसी दूसरे मर्द से चुदने कि चाहत दिल में बिठा चुका था. और वो भी वो आदमी जिसने मेरे सामने ही मेरी पत्नी के बारे में बहुत कुछ बताया था. अब मुझे सिर्फ इस बात का इंतज़ार था कि क्या उर्मि ने ये सब मुझे ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने कि लिए किया है?
इतने में उर्मि वापिस आई और प्रशांत ने उठ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और लगा उर्मि के होंठ चूसने. वे मुझ से करीब 25 फ़ुट कि दूरी पे थे पर साफ़ पता चल रहा था कि उर्मि भी पूरा साथ दे रही थी. अब प्रशांत ने अपने एक हाथ उर्मि के चूतड पे रखा और उसे दबाने लगा. फिर दूसरा हाथ भी दूसरे चूतड पे रख के दबाने लगा. उर्मि के होंठ प्रशांत के होंठों से चिपके हुए थे ओए वो उन्हें बिलकुल अलग नहीं कर रही थी. तभी प्रशांत ने एक उंगली उर्मि के चूतडों की दरार में घुसा दी और उर्मि थोडा सा उछल पड़ी. अब धीरे धीरे प्रशांत अपने हाथों से उर्मि की साड़ी उठाने लगा.
तभी उर्मि ने प्रशांत को कुछ कहा और वो उस से अलग हो गयी और स्विच बोर्ड के पास जा कर लाइट बंद कर दी और मेरे केबिन में अँधेरा हो गया.
मैंने सोच की शायद वो शरमा रही है इसलिए लाइट बंद कर दी है. अब वो दोनों थोड़े थोड़े ही दिखाई दे रहे थे क्योंकि मेन हॉल में लाइट अभी भी जल रही थी और उसकी रोशनी मेरे केबिन में भी जा रही थी. लेकिन वो दोनों मेरे केबिन से निकल कर हॉल में आ गए और अब मुझे उस दोनों कि बातें सुनाई देने लगी. प्रशांत ने पूछा ''क्या हुआ, वहां क्यों नहीं?"
उर्मि ने कहा," वो जो विंडो है, वहां पे लाइट जलने से नीचे सडक पे पता लगता है कि सेंटर में अभी भी कोई है, और कोई आ न जाये इसलिए इस हॉल में ज्यादा ठीक रहेगा''.
' 'लेकिन यहाँ करेंगे कैसे. सोफा तो अभिनव के केबिन में ही है''.
"अरे बाबा जब करना होगा तो वहां चल पड़ेंगे. लाइट ज्यादा ज़रूरी है क्या?"
और इतना कहते ही प्रशांत ने उर्मि को फिर से अपने बाहों में जकड लिया और लगा चूमा चाटी करने. अब वो भी प्रशांत को बेतहाशा चाट और चूम रही थी. एक दुसरे को चूसते चाटते हुए ही प्रशांत ने उर्मि के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए. और थोडा सा पीछे हो कर सामने से उसके खुले ब्लाउज को देखने लगा.
"क्या देख रहे हो?"
"देख रहा हूँ कि तुम कितनी सेक्सी हो. ज़रा देखो अपने बूब्स को! कितनी सुंदर तरह से इस सेक्सी ब्रा में पैक्ड हैं."
"तो ये गिफ्ट पैक खोल के अपना गिफ्ट ले लो!"
और प्रशांत अपने दोनों हाथ उर्मि के पीछे ले गया और ब्रा के हुक खोलने लग गया. ब्रा के हुक खुलते ही उर्मि के बूब्स हलके से नीचे की और लहराए. अब प्रशांत उर्मि से अलग हो गया और २-3 कदम पीछे हट कर देखने लगा.
"अब क्या हुआ आपको?"
"देख रहा हूँ तुम्हें के क्या लाजवाब लग रही हो. थोडा सा साड़ी का पल्लू हटाओ."
और पल्लू हटाते ही प्रशांत के साथ साथ मैं भी अपनी पत्नी के सौंदर्य को निहारने लगा. ब्लाउज के खुले हुक और उसमें से झांकती वाइट ब्रा जो की अब हुक खुल जाने के कारण मुश्किल से उर्मि की चूचियों को ढक पा रही थी.उर्मि के निप्पल अभी भी ब्रा के पीछे ही थे लेकिन उसके बूब्स की गोलाइयाँ और शेप साफ़ नज़र आ रही थी.
"कार में तो बड़े उतावले होते हो इनको पकड़ने के लिए?और अब खोल के भी छोड़ दिए?"
"उर्मि ! क्या तुम्हें कभी किसी ने बताया है की तुम कितनी सेक्सी हो?"
"क्या मतलब ?"
"इधर आओ."
उर्मि प्रशांत के पास गयी और प्रशांत ने उर्मि की साड़ी के नीचे फिर से हाथ डाला और कुछ हलचल हुई. और उर्मि ने हलकी से मुस्कराहट के साथ हंसी की फुलझड़ी सी छोड़ी और कहा,"अरे रुको तो!"
और अब प्रशांत ने उर्मि की साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाना शुरू किया. घुटनों से साडी ऊपर उठे ही मैंने देखा की उर्मि की पीले रंग की पेंटी उर्मि के घुटनों में फंसी हुई थी. मैंने सोच की ओह्ह तो वो हलचल उर्मि की पेंटी को नीचे करने की थी. प्रशांत का एक हाथ उर्मि के चूचे को रगड़ रहा था और दूसरा हाथ साडी के अन्दर था.
क्योंकि उर्मि की पेंटी अब उसके घुटनों के आसपास थी इसलिए मुझे यकीं था की अब प्रशांत की उंगलिया मेरी पत्नी की चूत से खेल रही थी.
तभी उर्मि ने एक हलकी सी आह भर कर अपनी आँखे बंद कर ली....
"क्या हुआ? मज़ा आया?"
उर्मि ने हाँ में सर हिलाया और अपना हाथ प्रशांत की गर्दन में लपेट लिया.
उर्मि थोड़ी से जोर से हिली और बोली," प्लीज़ दो उँगलियाँ नहीं,एक से ही कर लो."
प्रशांत मेरी पत्नी की चूत में उंगली डाल रहा था.
तभी प्रशांत ने वहां पड़ी एक रिवॉल्विंग कुर्सी पे उर्मि को बिठाया और कहा,"उर्मि तुम्हारे हस्बैंड कितने लकी हैं, अगर मैं तुम्हारा पति होता तो दिन रात तुम्हारी साड़ी में ही घुसा रहता."
"तुम्हें क्या पता मेरी साड़ी में क्या है?"
"मेरी इन उँगलियों ने देख लिया है की क्या है तुम्हारी साड़ी में और वो ये बता रही हैं कि साड़ी में जो छेद है वो उँगलियों से खेलने कि नहीं है."
"तो फिर किस चीज़ से खेलने कि है?"
प्रशांत ने अपनी जीभ की टिप निकली और कहा,"-इस से."
ये कह कर प्रशांत, उर्मि की पेंटी निकालने लगा.
प्रशांत ने उर्मि को थोडा सा कुर्सी पर और लिटाया ताकि उसके चूतड़ थोड़े से बाहर निकल आयें और उर्मि की साड़ी को ऊपर उठा दिया. अब उर्मि की गोरी गोरी पिंडलियाँ और जांघे प्रशांत को तो क्या मुझे भी साफ़ साफ़ नज़र आने लगी. प्रशांत ने जांघो को थोडा सा खोला और अब उर्मि की चूत , जिस पर छोटे छोटे बाल थे, नज़र आने लगी
प्रशांत ने एक लम्बी सांस भरी और कहा-,"ओह गॉड ! उर्मि तुम्हारी चूत इतनी सुंदर है !"
"प्रशांत !! मुझे शर्म आ रही है. प्लीज़ ऐसे मत बोलो !"
"उर्मि ! सच कह रहा हूँ, इतनी सुंदर चूत मैंने आज तक नहीं देखी."
प्रशांत ने उर्मि की चूत की दरार में अपनी जीभ फिरानी शुरू की. और जैसे ही प्रशांत की जीभ चूत पर नीचे से ऊपर गयी, उर्मि ने एक छोटी सी सिसकी ली. अब प्रशांत ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकली और उर्मि की चूत पर सबसे नीचे रखी और पूरी जीभ से उर्मि की चूत को चाटता हुआ धीर धीर ऊपर ले जाने लगा.
"आआ...ह्ह्ह्हह्ह.....प्रा ......शा ........नत .......ओह्ह्ह .....मर जा....उंगी......मैं.....अह्ह्
ह.......उह्ह्ह बस....बस प्रशांत....!!!"
इतना कहते ही उर्मि ने प्रशांत के बाल पकड़ किये और सारा शरीर अकड़ने लगा. और बोली,".प्रआस्स्श ......!!!!....ओह्ह्ह गौड़ड़ड़ !......ऑउच..........अह्ह्ह.... आई म.... कम्मिंग!! ....प्रशांत !!!
और ये उर्मि का पहला ओर्गास्म था. उर्मि ने शायद 1 मिनट तक लम्बी लम्बी साँसे ली.
"अरे उर्मि तुम तो पहले चखने में ही निकल गयी!.इतनी जल्दी !"
और उर्मि प्रशांत को देख कर मुस्करा दी और कहा,".प्लीज़ डू इट अगेन!"
और अब प्रशांत ने उर्मि की चूत को जीभ से चाटने की रेल सी चला दी. लगा मेरी बीवी की चूत को अच्छी तरह से चाटने. अब प्रशांत मेरी पत्नी की चूत के अंदर जीभ घुसाने लगा और उर्मि की आहें तेज़ होती गयी. प्रशांत ने अपना चेहरा थोडा सा पीछे किया और अपने हाथो की दोनों उँगलियों से उर्मि की चूत की फलको को खोलने और फिर अपनी पूरी लम्बी जीभ से अन्दर उनको को चाटने लगा.
तभी उर्मि ने कहा," लिंक माय क्लिट प्लीज़ .".
उसकी तरफ देख कर प्रशांत ने कहा,"अभी चाटता हूँ उर्मि,.तुम देखती जाओ आज तुम्हारी कैसे हर तमन्ना पूरी करूँगा." और ये कह कर प्रशांत ने उर्मि कि चूत की क्लिट अपनी जीभ के टिप से चाटना शुरू किया.
" अह्ह्ह्ह.....हाँ ..........धीरे थोडा धीरे प्रशांत........आउच ........अह्ह्ह...... अहह्म्म्म.....ओह माय गॉड . ये क्या कर रहे हो !!"और प्रशांत ने अब उर्मि की क्लिट अपने लिप्स के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा.
"बस करो प्रशांत !!!! मर जाउंगी मैं ......ऊह्ह्ह्ह .......फिर से होने वाली हूँ मैं .......आःह्ह.....ध्रुवव्वव्व.. .....आ रही हूँ मैं फिर से.......थोडा और......यहीं पे...बस यही पे...और करो .....आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!!"
और उर्मि एक बार फिर से झड़ने लगी. १-२ मिनट तक अकड़ती रही और फिर निढाल हो कर कुर्सी पे अधलेटी सी हो गयी. प्रशांत एक विजयी मुस्कान के साथ उठा और कहा,"क्या हुआ उर्मि ? थक गयी हो क्या अभी से?"
उर्मि ने एक थकी हुई मुस्कान के साथ कहा," अगर कहूँ कि थक गयी हूँ तो क्या आप मुझे छोड़ दोगे?"
"अच्छा बाबा थोड़ी देर आराम कर लो."
"जी नहीं अब तो एक बार ही आराम होगा."
और उँगली से प्रशांत को अपने पास आने का इशारा किया.
जैसे ही प्रशांत उर्मि कि लेफ्ट साइड पे आया, उर्मि ऊपर मुंह करके प्रशांत की और देखने लगी लेकिन उसके हाथ प्रशांत के पैंट खोलने लगे. बेल्ट और पैंट के हुक खोलने के बात उर्मि ने प्रशांत कि पैंट नीचे सरका दी और प्रशांत ने सफ़ेद रंग का अंडरवियर पहना हुआ था.
प्रशांत ने पूछा,"क्या देख रही हो."
"अभी तो कुछ नहीं दिखा?"
" क्या देखना चाहती हो."
उर्मि ने कुछ नहीं बोला और उंगली से प्रशांत के अंडरवियर के उभरे हुए हिस्से की तरफ अपनी आँखों से इशारा किया.
"कौन रोक रहा है? देख लो."
उर्मि नीचे मुंह करके बोली, मुझे शर्म आ रही है."
प्रशांत और उर्मि .मेरे ऑफिस केबिन में थे. उसने उर्मि को कुछ कहा और वो उठ कर गयी और मैं दूर को लॉक कर दिया. लॉक ऐसा था जो कि बाहर से भी खुल सकता था और अन्दर से भी. उस लॉक कि एक चाबी मेरी जेब में थी. मैं चाहता तो अपनी पत्नी का भांडा फोड़ सकता था. पर पता नहीं क्यों मैं उसे किसी दूसरे मर्द से चुदने कि चाहत दिल में बिठा चुका था. और वो भी वो आदमी जिसने मेरे सामने ही मेरी पत्नी के बारे में बहुत कुछ बताया था. अब मुझे सिर्फ इस बात का इंतज़ार था कि क्या उर्मि ने ये सब मुझे ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने कि लिए किया है?
इतने में उर्मि वापिस आई और प्रशांत ने उठ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और लगा उर्मि के होंठ चूसने. वे मुझ से करीब 25 फ़ुट कि दूरी पे थे पर साफ़ पता चल रहा था कि उर्मि भी पूरा साथ दे रही थी. अब प्रशांत ने अपने एक हाथ उर्मि के चूतड पे रखा और उसे दबाने लगा. फिर दूसरा हाथ भी दूसरे चूतड पे रख के दबाने लगा. उर्मि के होंठ प्रशांत के होंठों से चिपके हुए थे ओए वो उन्हें बिलकुल अलग नहीं कर रही थी. तभी प्रशांत ने एक उंगली उर्मि के चूतडों की दरार में घुसा दी और उर्मि थोडा सा उछल पड़ी. अब धीरे धीरे प्रशांत अपने हाथों से उर्मि की साड़ी उठाने लगा.
तभी उर्मि ने प्रशांत को कुछ कहा और वो उस से अलग हो गयी और स्विच बोर्ड के पास जा कर लाइट बंद कर दी और मेरे केबिन में अँधेरा हो गया.
मैंने सोच की शायद वो शरमा रही है इसलिए लाइट बंद कर दी है. अब वो दोनों थोड़े थोड़े ही दिखाई दे रहे थे क्योंकि मेन हॉल में लाइट अभी भी जल रही थी और उसकी रोशनी मेरे केबिन में भी जा रही थी. लेकिन वो दोनों मेरे केबिन से निकल कर हॉल में आ गए और अब मुझे उस दोनों कि बातें सुनाई देने लगी. प्रशांत ने पूछा ''क्या हुआ, वहां क्यों नहीं?"
उर्मि ने कहा," वो जो विंडो है, वहां पे लाइट जलने से नीचे सडक पे पता लगता है कि सेंटर में अभी भी कोई है, और कोई आ न जाये इसलिए इस हॉल में ज्यादा ठीक रहेगा''.
' 'लेकिन यहाँ करेंगे कैसे. सोफा तो अभिनव के केबिन में ही है''.
"अरे बाबा जब करना होगा तो वहां चल पड़ेंगे. लाइट ज्यादा ज़रूरी है क्या?"
और इतना कहते ही प्रशांत ने उर्मि को फिर से अपने बाहों में जकड लिया और लगा चूमा चाटी करने. अब वो भी प्रशांत को बेतहाशा चाट और चूम रही थी. एक दुसरे को चूसते चाटते हुए ही प्रशांत ने उर्मि के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए. और थोडा सा पीछे हो कर सामने से उसके खुले ब्लाउज को देखने लगा.
"क्या देख रहे हो?"
"देख रहा हूँ कि तुम कितनी सेक्सी हो. ज़रा देखो अपने बूब्स को! कितनी सुंदर तरह से इस सेक्सी ब्रा में पैक्ड हैं."
"तो ये गिफ्ट पैक खोल के अपना गिफ्ट ले लो!"
और प्रशांत अपने दोनों हाथ उर्मि के पीछे ले गया और ब्रा के हुक खोलने लग गया. ब्रा के हुक खुलते ही उर्मि के बूब्स हलके से नीचे की और लहराए. अब प्रशांत उर्मि से अलग हो गया और २-3 कदम पीछे हट कर देखने लगा.
"अब क्या हुआ आपको?"
"देख रहा हूँ तुम्हें के क्या लाजवाब लग रही हो. थोडा सा साड़ी का पल्लू हटाओ."
और पल्लू हटाते ही प्रशांत के साथ साथ मैं भी अपनी पत्नी के सौंदर्य को निहारने लगा. ब्लाउज के खुले हुक और उसमें से झांकती वाइट ब्रा जो की अब हुक खुल जाने के कारण मुश्किल से उर्मि की चूचियों को ढक पा रही थी.उर्मि के निप्पल अभी भी ब्रा के पीछे ही थे लेकिन उसके बूब्स की गोलाइयाँ और शेप साफ़ नज़र आ रही थी.
"कार में तो बड़े उतावले होते हो इनको पकड़ने के लिए?और अब खोल के भी छोड़ दिए?"
"उर्मि ! क्या तुम्हें कभी किसी ने बताया है की तुम कितनी सेक्सी हो?"
"क्या मतलब ?"
"इधर आओ."
उर्मि प्रशांत के पास गयी और प्रशांत ने उर्मि की साड़ी के नीचे फिर से हाथ डाला और कुछ हलचल हुई. और उर्मि ने हलकी से मुस्कराहट के साथ हंसी की फुलझड़ी सी छोड़ी और कहा,"अरे रुको तो!"
और अब प्रशांत ने उर्मि की साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाना शुरू किया. घुटनों से साडी ऊपर उठे ही मैंने देखा की उर्मि की पीले रंग की पेंटी उर्मि के घुटनों में फंसी हुई थी. मैंने सोच की ओह्ह तो वो हलचल उर्मि की पेंटी को नीचे करने की थी. प्रशांत का एक हाथ उर्मि के चूचे को रगड़ रहा था और दूसरा हाथ साडी के अन्दर था.
क्योंकि उर्मि की पेंटी अब उसके घुटनों के आसपास थी इसलिए मुझे यकीं था की अब प्रशांत की उंगलिया मेरी पत्नी की चूत से खेल रही थी.
तभी उर्मि ने एक हलकी सी आह भर कर अपनी आँखे बंद कर ली....
"क्या हुआ? मज़ा आया?"
उर्मि ने हाँ में सर हिलाया और अपना हाथ प्रशांत की गर्दन में लपेट लिया.
उर्मि थोड़ी से जोर से हिली और बोली," प्लीज़ दो उँगलियाँ नहीं,एक से ही कर लो."
प्रशांत मेरी पत्नी की चूत में उंगली डाल रहा था.
तभी प्रशांत ने वहां पड़ी एक रिवॉल्विंग कुर्सी पे उर्मि को बिठाया और कहा,"उर्मि तुम्हारे हस्बैंड कितने लकी हैं, अगर मैं तुम्हारा पति होता तो दिन रात तुम्हारी साड़ी में ही घुसा रहता."
"तुम्हें क्या पता मेरी साड़ी में क्या है?"
"मेरी इन उँगलियों ने देख लिया है की क्या है तुम्हारी साड़ी में और वो ये बता रही हैं कि साड़ी में जो छेद है वो उँगलियों से खेलने कि नहीं है."
"तो फिर किस चीज़ से खेलने कि है?"
प्रशांत ने अपनी जीभ की टिप निकली और कहा,"-इस से."
ये कह कर प्रशांत, उर्मि की पेंटी निकालने लगा.
प्रशांत ने उर्मि को थोडा सा कुर्सी पर और लिटाया ताकि उसके चूतड़ थोड़े से बाहर निकल आयें और उर्मि की साड़ी को ऊपर उठा दिया. अब उर्मि की गोरी गोरी पिंडलियाँ और जांघे प्रशांत को तो क्या मुझे भी साफ़ साफ़ नज़र आने लगी. प्रशांत ने जांघो को थोडा सा खोला और अब उर्मि की चूत , जिस पर छोटे छोटे बाल थे, नज़र आने लगी
प्रशांत ने एक लम्बी सांस भरी और कहा-,"ओह गॉड ! उर्मि तुम्हारी चूत इतनी सुंदर है !"
"प्रशांत !! मुझे शर्म आ रही है. प्लीज़ ऐसे मत बोलो !"
"उर्मि ! सच कह रहा हूँ, इतनी सुंदर चूत मैंने आज तक नहीं देखी."
प्रशांत ने उर्मि की चूत की दरार में अपनी जीभ फिरानी शुरू की. और जैसे ही प्रशांत की जीभ चूत पर नीचे से ऊपर गयी, उर्मि ने एक छोटी सी सिसकी ली. अब प्रशांत ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकली और उर्मि की चूत पर सबसे नीचे रखी और पूरी जीभ से उर्मि की चूत को चाटता हुआ धीर धीर ऊपर ले जाने लगा.
"आआ...ह्ह्ह्हह्ह.....प्रा ......शा ........नत .......ओह्ह्ह .....मर जा....उंगी......मैं.....अह्ह्
ह.......उह्ह्ह बस....बस प्रशांत....!!!"
इतना कहते ही उर्मि ने प्रशांत के बाल पकड़ किये और सारा शरीर अकड़ने लगा. और बोली,".प्रआस्स्श ......!!!!....ओह्ह्ह गौड़ड़ड़ !......ऑउच..........अह्ह्ह.... आई म.... कम्मिंग!! ....प्रशांत !!!
और ये उर्मि का पहला ओर्गास्म था. उर्मि ने शायद 1 मिनट तक लम्बी लम्बी साँसे ली.
"अरे उर्मि तुम तो पहले चखने में ही निकल गयी!.इतनी जल्दी !"
और उर्मि प्रशांत को देख कर मुस्करा दी और कहा,".प्लीज़ डू इट अगेन!"
और अब प्रशांत ने उर्मि की चूत को जीभ से चाटने की रेल सी चला दी. लगा मेरी बीवी की चूत को अच्छी तरह से चाटने. अब प्रशांत मेरी पत्नी की चूत के अंदर जीभ घुसाने लगा और उर्मि की आहें तेज़ होती गयी. प्रशांत ने अपना चेहरा थोडा सा पीछे किया और अपने हाथो की दोनों उँगलियों से उर्मि की चूत की फलको को खोलने और फिर अपनी पूरी लम्बी जीभ से अन्दर उनको को चाटने लगा.
तभी उर्मि ने कहा," लिंक माय क्लिट प्लीज़ .".
उसकी तरफ देख कर प्रशांत ने कहा,"अभी चाटता हूँ उर्मि,.तुम देखती जाओ आज तुम्हारी कैसे हर तमन्ना पूरी करूँगा." और ये कह कर प्रशांत ने उर्मि कि चूत की क्लिट अपनी जीभ के टिप से चाटना शुरू किया.
" अह्ह्ह्ह.....हाँ ..........धीरे थोडा धीरे प्रशांत........आउच ........अह्ह्ह...... अहह्म्म्म.....ओह माय गॉड . ये क्या कर रहे हो !!"और प्रशांत ने अब उर्मि की क्लिट अपने लिप्स के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा.
"बस करो प्रशांत !!!! मर जाउंगी मैं ......ऊह्ह्ह्ह .......फिर से होने वाली हूँ मैं .......आःह्ह.....ध्रुवव्वव्व.. .....आ रही हूँ मैं फिर से.......थोडा और......यहीं पे...बस यही पे...और करो .....आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!!"
और उर्मि एक बार फिर से झड़ने लगी. १-२ मिनट तक अकड़ती रही और फिर निढाल हो कर कुर्सी पे अधलेटी सी हो गयी. प्रशांत एक विजयी मुस्कान के साथ उठा और कहा,"क्या हुआ उर्मि ? थक गयी हो क्या अभी से?"
उर्मि ने एक थकी हुई मुस्कान के साथ कहा," अगर कहूँ कि थक गयी हूँ तो क्या आप मुझे छोड़ दोगे?"
"अच्छा बाबा थोड़ी देर आराम कर लो."
"जी नहीं अब तो एक बार ही आराम होगा."
और उँगली से प्रशांत को अपने पास आने का इशारा किया.
जैसे ही प्रशांत उर्मि कि लेफ्ट साइड पे आया, उर्मि ऊपर मुंह करके प्रशांत की और देखने लगी लेकिन उसके हाथ प्रशांत के पैंट खोलने लगे. बेल्ट और पैंट के हुक खोलने के बात उर्मि ने प्रशांत कि पैंट नीचे सरका दी और प्रशांत ने सफ़ेद रंग का अंडरवियर पहना हुआ था.
प्रशांत ने पूछा,"क्या देख रही हो."
"अभी तो कुछ नहीं दिखा?"
" क्या देखना चाहती हो."
उर्मि ने कुछ नहीं बोला और उंगली से प्रशांत के अंडरवियर के उभरे हुए हिस्से की तरफ अपनी आँखों से इशारा किया.
"कौन रोक रहा है? देख लो."
उर्मि नीचे मुंह करके बोली, मुझे शर्म आ रही है."