desiaks
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मेरा एक दोस्त है योगराज। उसको अपनी एक गर्लफ़्रेन्ड माला को चोदना था, मगर उसके पास जगह की समस्या आ रही थी। चूंकि उस वक्त मेरे पास मेरे दोनो मकानों की चाबियां थी, उस को पता था कि मेरे पास दोनो मकानों की चाबियां हैं, उसने मुझसे मकान की चाबी मांगी तो मैंने सहर्ष दे दी।
वो माला को लेकर मेरे घर गया, मैं भी उसके साथ ही था। हम तीनों ने मिल कर पहले तो आराम से बीयर पी व खाना खाया। फ़िर योगराज माला को लेकर एक कमरे में चला गया और चोदन कार्यक्रम चालू कर दिया। अन्दर आ…ऊंह्…… धीरे……… धीरे… … की आवाजें आने लगी। आधे घण्टे बाद योगराज तो अपने घर चला गया, मगर जाते वक्त मुझे कह गया कि माला को सुबह जल्दी उसके घर पहुंचाना है।
योगराज के जाने के बाद मैंने और माला ने फ़िर एक बीयर लगाई और दोस्ती गांठी, तो माला चुदाने को तैयार हो गयी।
असल में माला एक कयामत से कम नहीं थी, उसके भारी व गोल खूबसूरत उरोजों को देख कर एकबारगी मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने उस के बूब्स को खूब दबाया व गर्म होते ही उसने भी मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ लिया।
लण्ड माला के हाथ में जाते ही एकदम अकड़ कर लम्बा तन गया जिसे माला ने मुंह में ले लिया औए काफ़ी देर तक चूमती चूसती रही। उसके चूसने से माला के मुंह में ही मेरा ढेर सारा वीर्य निकल गया, जिसे वो बड़े प्यार से पी गयी।
अब मैं उसके मम्मों को मुंह में डाल कर चूसने लगा। माला उत्तेजित हो कर मेरे लण्ड को अपनी बुर में जगह देने की असफ़ल कोशिश करने लगी। मुझे भी लगा कि अब माला नहीं रह पायेगी, मैंने जैसे ही अपना लण्ड उसकी बुर पर रखा और जोर से बुर पर चोट दी तो वह एकदम से चिल्ला पड़ी- नहीं ! मुझे नहीं चुदवाना तुम्हारे हाथी जैसे लण्ड से !
मैं समझ गया कि माला इतनी खेली खाई लड़की नही है, मैंने उसको समझा बुझा कर जैसे तैसे धीरे धीरे उसकी बुर में अपना लण्ड अन्दर तक डाला और धीरे धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर में उसकी चूत मेरे लण्ड को सहने लगी। फ़िर माला ने अपने हाथों से मेरी गाण्ड को पकड़ा और आगे पीछे करने लगी, मैं समझ गया कि अब वो रफ़्तार चाह रही है, फ़िर क्या था- वह जोश में हाय- हाय मार डाला, अच्छी दोस्ती निभाई और ना जाने क्या क्या बड़बड़ाने लगी। जब मैं झड़ने लगा, तब तक माला दो तीन बार झड़ चुकी थी। मगर उसके जोश में अब भी कमी नहीं थी।
इसी प्रकार पूरी रात अलग अलग तरीकों से कभी बैठ कर तो कभी घोड़ी बना कर माला को कम से कम चार पांच बार चोदने का आनन्द मैं आज तक नहीं भुला पाया।
वो माला को लेकर मेरे घर गया, मैं भी उसके साथ ही था। हम तीनों ने मिल कर पहले तो आराम से बीयर पी व खाना खाया। फ़िर योगराज माला को लेकर एक कमरे में चला गया और चोदन कार्यक्रम चालू कर दिया। अन्दर आ…ऊंह्…… धीरे……… धीरे… … की आवाजें आने लगी। आधे घण्टे बाद योगराज तो अपने घर चला गया, मगर जाते वक्त मुझे कह गया कि माला को सुबह जल्दी उसके घर पहुंचाना है।
योगराज के जाने के बाद मैंने और माला ने फ़िर एक बीयर लगाई और दोस्ती गांठी, तो माला चुदाने को तैयार हो गयी।
असल में माला एक कयामत से कम नहीं थी, उसके भारी व गोल खूबसूरत उरोजों को देख कर एकबारगी मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने उस के बूब्स को खूब दबाया व गर्म होते ही उसने भी मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ लिया।
लण्ड माला के हाथ में जाते ही एकदम अकड़ कर लम्बा तन गया जिसे माला ने मुंह में ले लिया औए काफ़ी देर तक चूमती चूसती रही। उसके चूसने से माला के मुंह में ही मेरा ढेर सारा वीर्य निकल गया, जिसे वो बड़े प्यार से पी गयी।
अब मैं उसके मम्मों को मुंह में डाल कर चूसने लगा। माला उत्तेजित हो कर मेरे लण्ड को अपनी बुर में जगह देने की असफ़ल कोशिश करने लगी। मुझे भी लगा कि अब माला नहीं रह पायेगी, मैंने जैसे ही अपना लण्ड उसकी बुर पर रखा और जोर से बुर पर चोट दी तो वह एकदम से चिल्ला पड़ी- नहीं ! मुझे नहीं चुदवाना तुम्हारे हाथी जैसे लण्ड से !
मैं समझ गया कि माला इतनी खेली खाई लड़की नही है, मैंने उसको समझा बुझा कर जैसे तैसे धीरे धीरे उसकी बुर में अपना लण्ड अन्दर तक डाला और धीरे धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर में उसकी चूत मेरे लण्ड को सहने लगी। फ़िर माला ने अपने हाथों से मेरी गाण्ड को पकड़ा और आगे पीछे करने लगी, मैं समझ गया कि अब वो रफ़्तार चाह रही है, फ़िर क्या था- वह जोश में हाय- हाय मार डाला, अच्छी दोस्ती निभाई और ना जाने क्या क्या बड़बड़ाने लगी। जब मैं झड़ने लगा, तब तक माला दो तीन बार झड़ चुकी थी। मगर उसके जोश में अब भी कमी नहीं थी।
इसी प्रकार पूरी रात अलग अलग तरीकों से कभी बैठ कर तो कभी घोड़ी बना कर माला को कम से कम चार पांच बार चोदने का आनन्द मैं आज तक नहीं भुला पाया।