मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - Page 12 - SexBaba
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मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : तेरा बाप तो बहुत हरामी है साला ...

पति : पर ये आप क्या कर रहे हो ...??? मेरी रानी के साथ ....

मैं : बदला ....जब वो खुलकर कर रहा है ...तो क्या मैं ऊपर से भी नहीं कर सकता ...

मैंने उसको बरगलाया ...
उसको ऐसा दिखाया कि मैं ऊपर-ऊपर से ही कर रहा हूँ ...

जबकि मेरा लण्ड ..रानी की चूत में गहराई तक आ ..जा रहा था .....

रानी के पति को अपने बाप के ऐसे कृत्य को देखते हुए कोई पछतावा नजर नहीं आ रहा था ....

वल्कि वो पूरा मजा ले रहा था ....
उनकी चुदाई देखते हुए वो खुद अपना लण्ड जोर जोर से हिला रहा था ......

उसका ध्यान मेरी या फिर रानी की ओर बिलकुल नहीं था ....
रानी को मैंने लगभग पूरा नंगा कर दिया था ....
उसकी चूत में लण्ड भी डाल दिया था ...
मगर उसको जैसे पता ही नहीं चला था ......

और वो बड़बड़ा भी रहा था ....
आह्ह्हा यार कुछ भी बोलो ...तुम्हारी बीवी है बहुत मस्त माल ...
मेरा बाप तो कई साल से भूखा है ....अगर मैं भी होता तो खुद को नहीं रोक पाता...
इसको पूरा नंगा करके खूब चोदता ....

मैं : साले ..हरामी ....मेरे सामने ही ऐसा बोल रहा है ...
मैंने एक चपत उसके सर पर लगाई ....

सॉरी यार ....पर क्या करूँ ??? वो है ही ऐसी ...

काश इसको पूरा नंगा करके ....कमरे में खड़ा करके ...इसको घुमा घुमाकर ...चारों ओर से देखता ...

बस उसका इतना कहना था ...

मामाजी ने उधर ...जूली की चूत से अपना लण्ड बाहर निकल लिया ....

जूली अब आँखे खोलकर उनको देख रही थी .......

उन्होंने अपनी बनियान ..हाथ ऊपर करके उतार दी ...
फिर जूली को उठाकर खड़ा किया ...

उसकी बाँहों में फंसे हुए ब्लाउज और ब्रा को उसके शरीर से अलग कर एक ओर फेंक दिया ....

जूली : नहीईइइइइइइइइइइइ अरे कोई आ जायेगा ...

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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]मामाजी : चुप्प्प्प्प्प्प्प कुछ नहीं होगा ........

और फिर उन्होंने जूली के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया ...

पेटीकोट टाइट था ...वो एक दम नहीं उतरा ...

उन्होंने उसको अपने हाथ से जूली के चूतड़ों से उतारा ...

जूली मदहोशी सी हालत में थी ...
वो उस कमरे में मामाजी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी ...
और मामाजी भी पूरे नंगे खड़े अपने लण्ड को हाथ से सहला रहे थे ...लण्ड जूली के चूत से अभी ही निकला था ...
अतः वो चूत के रस से भीगा हुआ था और चमक रहा था .....

जूली ने एक मस्त अंगड़ाई ली ....
उसकी चूचियाँ और चूतड़ दोनों ही उठे और हिले ...
कमरे में जैसे भूचाल सा आ गया ....

मामाजी ने जोर से सिसकारी ली ...
उनका लण्ड उछल उछल कर हिल रहा था ....

उन्होंने अपने दोनों हाथो से जूली के योवन को सहलाना शुरू कर दिया ....
वो कभी उसकी चूचियों को मसलते तो कभी उसके चूतड़ों को ....

जूली कमरे में घूम घूम कर मस्ती ले रही थी ....

तभी जूली ने मामाजी के लण्ड को अपने मुट्ठी में भर लिया ...
वो उसको पागलो की तरह हिला रही थी ...

मामाजी ने जूली को बालो से पकड़ उसके सिर को अपने लण्ड की ओर झुकाया .....

जूली तो जैसे नशे में थी ....
वो घुटनो पर बैठ उनके लण्ड को अपने होंठों के बीच दबा लेती है ....

रानी का पति और भी कमीनपने पर उतर आता है ...

देख मैं सही बोल रहा था ना ...ये तो बिलकुल रंडी जैसा चूस रही है ...
साली कितनी मस्त है यार ....

मुझे गुस्सा आ जाता है ...
मैं गप्प्प्प्प्प्प की आवाज के साथ अपने लण्ड को रानी की चूत से बाहर निकाल लेता हूँ ....

वो चौंककर मुझे देखता है ....

मैं उसके बालो को कसकर खींचता हूँ ...

साले तेरा बाप तो हरामी है ही ...तू उससे भी बड़ा हरामी है ...

कमीने चल अपने बाप का क़र्ज़ अब तू चुकाएगा ...
साले चूस मेरे लण्ड को वैसे ही ...

और मैं अपने लण्ड को उसके खुले मुहं में घुसेड़ देता हूँ ...

बहुत ही गरम माहोल हो गया था ....

?????????????????
………….
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[font=verdana, geneva, lucida,]हम दोनों ने उधर देखा ....[/font]


[font=verdana, geneva, lucida,]ओह ये तो जूली आज पूरे चुदाई के मूड में थी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी ने सभी गद्दे एक के ऊपर एक करके ..जूली को उनपर झुका कर खड़ा कर दिया था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उनका लण्ड टनटना रहा था ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]अब ये पक्का था कि वो जूली को नहीं छोड़ने वाले ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वो उसको चोदने की पूरी तैयारी कर रहे थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी जूली के चूतड़ों के पीछे बैठ ..अपने दोनों हाथों से उसके मखमली चूतड़ को चीड़कर ..खोल देते हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वो वहां ढेर सारा थूकते हैं ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]फिर हाथ से उस जगह को चिकना बना देते हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अब मामाजी खड़े होकर ..अपने लण्ड को सेट करते हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]ये पता नहीं चला ...कि वो चूत में डालने वाले हैं या गांड में ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर वो अपना लण्ड सेट कर एक धक्का लगाते हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अह्ह्ह्हाआआआआआ [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली उचक जाती है ...लण्ड काफी हद तक अंदर चला गया था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]रानी का पति : उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ तू सही कह रही है .रानी ....इन्होने तो चोद भी दिया इसको ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : चुप साले ...अब देखना ..कैसे इसका बदला तेरी बीवी से लुंगा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं रानी को वहीँ अपने आगे घोड़ी बना देता हूँ ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]चल साले ...सही से चुदवा इसको ...नहीं तो तेरी गांड मारूंगा ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वो बहुत डर गया था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसने खुद रानी की चूत को गीला किया ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मेरा लण्ड तो पहले से ही उसके थूक से लबालब था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]फिर रानी के पति ने मेरे लण्ड को पकड़ ..रानी की चूत में खुद सेट किया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]...........................[/font]

[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]ये मेरा बहुत पुराना सपना था ...[/font]
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[font=verdana, geneva, lucida,]जो आज पूरा हुआ था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]कि किसी हसीना का पति ..खुद अपने हाथो से मेरा लण्ड ...अपनी सुन्दर बीवी कि चूत में डाले ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]आज जूली के कारण ..मेरा ये सपना भी पूरा हो गया था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने एक जोरदार धक्का मारा .....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]आह्ह्ह्ह्हाआआआआआआ और मेरा आधे से ज्यादा लण्ड रानी की सुरंग में चला गया ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी की चूत इतना पानी छोड रही थी ...कि एक ही बार में पूरा लण्ड निगलने को तैयार थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने रानी के चूतड़ों पर हाथ रख एक और धक्के में ही अपना पूरा लण्ड उसकी गहराई तक उतार दिया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और अब एक मस्त चुदाई का माहोल बन गया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]दोनों कमरों से केवल सिसकारी और चुदाई कि आवाजें आ रही थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उधर मामाजी जूली को पीछे से ही चोद रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]इधर मैंने भी रानी को घोड़ी बनाकर ..उसके चूतड़ों को दोनों हाथो से पकड़ चोद रहा था .....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी का पति दोनों ओर देख रहा था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और कभी रानी के सर पर हाथ फेरता तो कभी उसकी नीचे को लटकती हुई चूची को सहलाता ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]लण्ड में एक अलग ही उबाल आया हुआ था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मन कर रहा था कि ये चुदाई कभी ख़त्म ना हो ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं बहुत तेजी से धक्के लगा रहा था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मेरा लण्ड तेजी के साथ रानी की चूत में आ जा रहा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]तभी मैंने जूली को देखा ...वो भी जमकर मजा ले रही थी ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी भी लम्बी चुदाई करने के लिए अपना पूरा अनुभव का प्रयोग कर रहे थे ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वो बार बार अपने लण्ड को जूली की चूत से बाहर निकाल ले रहे थे ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उसके बाद या तो खुद नीचे बैठ जूली की चूत अपनी जीभ से चाटने लगते ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]या फिर जूली से अपना लण्ड चुसवाते .....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और फिर मामाजी ने एक और कलाकारी की ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उन्होंने जूली को गद्दे के ऊपर सीधा लिटाकर ...उसके दोनों पैर हवा में उठा दिए ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली की चूत सामने खिलकर ...आ गई ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उन्होंने अपना लण्ड एक ही झटके में अंदर डाल दिया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और फिर से उसको चोदने लगे .... [/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]पर मैंने अपना आसन नहीं बदला ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वरना जूली की चुदाई देखने में परेसानी हो जाती ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]हाँ मैंने छेद जरूर बदलने की सोची ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और मैंने अपना लण्ड रानी की चूत से बाहर निकाल लिया ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]फिर .............????????[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]?????????????????[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]………….[/font]
[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]……………………….[/font][/size]
 
[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अच्छा आप भी सब कुछ बताइये फिर ...रोबिन को तो अपने ना जाने क्या क्या बता दिया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]फिर मुझे क्यों नहीं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : नहीं यार उससे तो बस ऐसे ही नार्मल बातें ही हुई हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : तो पहले आप बताओ अपने किस किस के साथ चुदाई की है ...अब आपकी पत्नी तो है नहीं ..ये तो मुझे पता है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अरे यार वो बहुत पहले ही मर गई थी ..तभी तो मुझे ना जाने कब से प्यासा ही रहना पड़ा .[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]सच बताऊ तो केवल तुम ही हो जिसने मुझे पत्नी के मरने के बाद आज इतनी शांति दी ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]वरना मैं तो ना जाने कब से प्यासा ही था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : तो अपने किसी के साथ कुछ नहीं किया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : कहाँ यार ...एक तो मेरी उम्र ...और फिर समाज में रुतवा ...कभी मैंने गलत करने की नहीं सोची ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : ओह ...फिर तो मैंने आपके बारे में काफी गलत सोचा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : हो सकता है ...वैसे तुमसे झूट नहीं बोलूंगा ...जब से मेरी बहु घर आई है ...उससे जरूर ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : वाओ ...सच ...मुझे लगा था ...वो रानी ना ...उससे मैं मिली थी ....बहुत ही सेक्सी है वो तो ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अरे यार उसको कुछ मत बोलना ...उसको कुछ नहीं पता....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : क्याआआ ...फिर क्या ...???[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : बता रहा हूँ यार ...वो तो बहुत ही सीधी सादी है ..मेरी उसके साथ भी कुछ करने की हिम्मत नहीं है ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]बस छुपकर ही उसको देखता हूँ या फिर मौका लगता है तो थोड़ा बहुत ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : ओह क्या कह रहे हैं आप ...सब कुछ सही से बताओ ना ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : हम्म्म्म अरे यार उसको छुपकर नहाते हुए ..या जब बेशुद सो रही होती है तो देख लेता हूँ ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : बस देखते ही हो ..या फिर कुछ और भी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अब तुझसे क्या छुपाना ..दरअसल उसकी नींद बहुत गहरी है ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]तो जब वो सो जाती है ...तो वो सब भी थोड़ा बहुत कर लेता हूँ ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : ओह क्या मामाजी आप भी ना ...जरा सही से बताओ ना ...क्या चोदा भी है उसको ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : कोशिश तो की है ...पर डर के कारण सही से नहीं हो पाता ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : मतलब उसको नंगा करके अच्छी तरह से सब कुछ देखा है ...[/font]

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[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : हाँ यार वो तो कई बार ....उसकी चूत खूब चाटी है ...और चूची भी पी हैं ...[/font]
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[font=verdana, geneva, lucida,]उसके चूतड़ों के बीच लण्ड डालकर लेटा रहता हूँ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]बहुत मजा आता है ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : तो उसको कुछ पता नहीं चलता ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : मैंने बोला न उसकी नींद बेहोशी की नींद है ..एक बार सो जाने के बाद वो घंटो तक बेहोश सी रहती है ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : फिर तो अपने अपना उसकी चूत में डाला भी होगा ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : हाँ कई बार प्रयास किया है ...पर अब शरीर में इतनी ताकत तो है नहीं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]इसलिए सही से पोजीशन नहीं बन पाती...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]हाँ थोड़ा सा डालकर ही कर लेता हूँ ... [/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : हा हा ....बात तो वही हुई ...अपनी बेटी जैसी बहु को छोड़ चुके हो ..और बात ऐसी करते हो ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : वो तो आज भी चोदा है ..और सही मैने में तो इसे ही चढ़ाई कहते हैं ...जहाँ दोनों एक साथ सही से करें ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसमे सच बिलकुल मजा नहीं आता ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]बस मन की संतुष्टि के लिए करता हूँ ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उनकी बातें सुन रानी और उसका पति भी काफी उत्तेजित हो गए थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और मेरा भी बुरा हाल था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]तभी मेरा भी पानी निकलने वाला हो गया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और मैंने रानी को कसकर जकड लिया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने सारा पानी रानी की गांड के अंदर ही छोड़ दिया ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी भी बहुत गरम हो गई थी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]सही मायने में उसको आज ही गांड चुदवाने में सही मजा आया था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]फिर उसके ससुर की कहानी सुनकर तो उसको और भी मजा आया होगा ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं लण्ड से पानी की एक एक बून्द निकाल वहीँ लेट गया ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जिसको रानी ने पकड़ जूली की तरह ही अपनी जीभ और मुहं में लेकर साफ़ किया ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उधर जूली अपनी कहानी बताने लगी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जिसको सुनने के लिए ...रानी और उसके पति से ज्यादा ..मैं लालायित था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]अतः मैंने फिर से अपनी आँखे और कान वहां लगा दिए ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]पता नहीं क्या राज अब खुलने वाला था .????[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]?????????????????[/font]
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[font=verdana, geneva, lucida,]लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरे कपड़ों से बाहर झांकते जिस्म को देख वो बैचेन हो जाते थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर इस सबमे मुझे मजा ही आ रहा था ....इसलिए मैंने इस ओर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मगर तीसरी रात को मुसीबत आई ...वो भी रोबिन के काम के कारण ही ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]हम उसी कमरे में सोते थे ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]रोबिन और मैं तो उनके बेड पर ...और अनवर भैया ने नीचे अपना बिस्तर लगा लिया था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उस रोबिन का मूड सेक्स का करने लगा ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने मना भी किया पर वो नहीं माने ...बोले अरे अनवर तो सो रहा है ...कुछ नहीं होगा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और उन्होंने मेरी पैंटी और ब्रा निकाल दी ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]किन्तु मैंने नाइटी नहीं निकालने दी ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर नाइटी तो वैसे भी बहुत शार्ट और नेट वाली थी ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]उन्होंने उसको मेरी गर्दन तक समेट दिया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और मेरी चूची और चूत को खूब चूसा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं बहुत ही गरम हो गई थी ....फिर उन्होंने अपने लण्ड को भी मेरे से चुसवाया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं तो बिलकुल भूल ही गई थी ...कि अनवर भैया भी उसी कमरे में मौजूद हैं ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने अपने मुहं से चूसचूस कर ही उनका पानी निकाल दिया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उन्होंने फिर मेरे जिस्म से खेलना शुरू कर दिया ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]तभी उनके सेल पर किसी का मेसेज आया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उन्हें उसी समय किसी से मिलने जाना था ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]उफ्फ्फ्फ्फ़ वो उनका ऑफिस का काम ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वो खुद तो शांत हो गए थे ...पर मैं अभी भी उस आंच में सुलग रही थी .....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर कर भी क्या सकती थी ... [/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]ये जाने कब तैयार होकर चले गए ...पता ही नहीं चला ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे भी हलकी सी झपकी आ गई थी ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]जिस्म में इतनी बैचेनी थी ...कि उठकर ब्रा पैंटी बी नहीं पहनी ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]बस नाइटी को थोड़ा सा सही कर........ लेट गई थी ...[/font]

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[font=verdana, geneva, lucida,]ये शायद जाते हुए मेरे को चादर से ढक गए होंगे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर गर्मी के कारण वो मैंने खुद हटा दी होगी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]इस बीच अनवर भैया उठे होंगे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और उन्होंने मेरे नंगे अंगों को देख लिया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]ये उन्होंने ही मुझे बताया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]फिर नीचे सोने से अपनी कमर में दर्द के कारण वो मेरे पास बिस्तर ही लेट गए थे ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उनके मजबूत बदन पर केवल एक लुंगी ही थी ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मेरी जब आँख खुली तो उनकी लुंगी खुली पड़ी थी ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वो मेरे से बिलकुल चिपके लेटे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं तो उनका लण्ड देखती रह गई ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]बहुत लम्बा और मोटा था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]रोबिन वैसे तो बहुत ही अच्छा है पर उसका लण्ड ६ इंच के आस पास ही है ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने इतना बड़ा और अजीब तरह का कभी नहीं देखा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी चमड़ी उतार दी हो ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : हाँ बेटा ..मुसलमानो का ऐसा ही होता है ...उनका खतना कराया जाता है ...इसलिए खाल काट देते हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उससे चुदाई का मजा कुछ अलग सा आता है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]इसीलिए हिंदी औरते अगर एक बार उस तरह के मुसलमानी लण्ड से चुदवा लेती है ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]तो उनकी दीवानी हो जाती हैं ...है ना ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : हाँ मामाजी ...आप सही कह रहे हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं भी उसको देख ….. बहुत ही ज्यादा उत्त्सुक हो गई थी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]एक तो पहले ही रोबिन मुझे प्यासा छोड़ गए थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और फिर उस जैसे लण्ड को देख मेरी बुरी हालत हो गई थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]पर अनवर भैया का डर ही था ...जो मैं बस उसको देख रही थी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मगर उसको छूने का बहुत मन था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]तभी एक आईडिया मेरे मन में आया ...[/font]



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[font=verdana, geneva, lucida,]और अनवर भैया ने वही किया जिसका डर था ...वो अपनी कमर को मेरे पास लाते हुए...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]लण्ड को अंदर की ओर ले जाने लगे ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मेरी टाँगे अपने आप खुलने लगी ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]उनके लण्ड का टोपा आधा मेरी चूत में घिस रहा था ...और आधा चूत के बाहरी होंठो को रगड़ खा रहा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में हूँ .....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]अभी कुछ देर तक मेरे दिल में यही था ...कि बस कुछ मस्ती ही करुँगी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर अब ऐसा लग रहा था ..कि ये लण्ड पूरा मेरी चूत में घुस जाये ... [/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]फिर चाहे जो हो ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने खुद अपने चूतड़ पीछे को निकाल दिए ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और अनवर भैया जो लण्ड को मेरी चूत के मुख पर घिस रहे थे ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]एक गप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प कि आवाज से इतना बड़ा टोपा मेरी चूत के अंदर चला गया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]हाआईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ [/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]मेरी मुहु से जोर से चीख निकली ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और मैं दर्द से बिलबिला गई ...अनवर भैया मेरी पीठ से चिपक गए ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]उन्होंने अपनी कमर बिलकुल भी नहीं हिलाई ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे ऐसा लग रहा था जैसे पहली बार चुदाई हो रही हो ....और मेरी झिल्ली कस कर टूटी हो ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]सच बहुत ही दर्द हो रहा था ....चूत के दोनों होंठ चिर से गए थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने एक दम से गर्दन घुमाई ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]भैया आप ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]बस इतना ही बोल पाई ...उन्होंने मेरे होंठ अपने होंठो के बीच दबा लिए ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]एक छोटी सी चिड़िया जैसी थी मैं उनके सामने ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]कहाँ वो लम्बे चौड़े बलसाली ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और कहाँ मैं जरासी ...कमसिन ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]अपने मजबूत बाजुओं में कस लिया था उन्होंने ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]............................[/font]

[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]उनकी लम्बी ..खुरदरी जीभ ..मेरे मुहं के अंदर ...चारों ओर घूमने लगी ...[/font]
[/size]

[font=verdana, geneva, lucida,]उनसे बचने के लिए मेरी जीभ भी बार बार उनकी जीभ से टकरा रही थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे कसने के लिए उन्होंने अपनी कमर को थोड़ा और आगे को किया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जिससे उनका लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]कुछ आगे को खिसका ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]इस बार हलकी चीसे तो उठी ..पर वैसा दर्द नहीं हुआ ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]शायद इसलिए क्युकि ..उनके लण्ड के टोपे ने आगे जगह बना दी थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उनके लण्ड का टोपा बहुत ही मोटा था ..जबकि लण्ड कुछ पतला था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]इसलिए लण्ड को आगे बढ़ने में ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामा जी : हो सकता है बेटी ...एहि लम्बे लण्ड की खासियत होती हो ...जिससे लण्ड अंदर जाने में कोई ज्यादा परेसानी न हो ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]लण्ड का टोपा ..अपने आप आगे रास्ता बना देता हो ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]हा हा [/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : हाँ मामाजी ..आप सही कह रहे है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अनवर भैया ..ने होंठ चूसते हुए ही काफी लण्ड अंदर डाल दिया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और फिर उतने लण्ड से ही मुझे चोदने लगे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उनका लण्ड मेरी चूत में अंदर बाहर होने लगा ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उन्होंने ..पेट पर सिमटी मेरी नाइटी को चूचियों से ऊपर तक उठा दिया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और फिर मेरी दोनों चूचियों को ..कस कस कर अपनी बड़ी बड़ी हथेलियों में लेकर मसलने लगे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं स्वर्ग में पहुँच गई थी ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अब मैं खुद उनके होंठो और जीभ को चूस रही थी ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]बहुत मजा आ रहा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उनका लण्ड बहुत ही फंस-फंस कर मेरी चूत आ जा रहा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं अनवर भैया की जकड में फंसी हुई इस चुदाई का मजा ले रही थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उनकी स्पीड भले ही बहुत कम थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मगर हर क्षण मेरी जान पर बनी थी ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जब भी उनका लण्ड आगे जाता ...या फिर बाहर आता ..मेरा मजे से बुरा हाल था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]शायद पहली बार मेरी चूत से इतना पानी निकल रहा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]अब मेरा दिल करने लगा था कि वो मुझे अच्छी तरह से रगड़ डालें ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे खूब जोर जोर से चोदें ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मगर तभी उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]अह्ह्ह्ह्हाआआआआआ [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]ये क्या ....??????????[/font]




[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]?????????????????[/font][/size]
 
[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने पीछे से उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]दोनों पूरे गीले थे ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]लण्ड आराम से अंदर तक चला गया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अब फिर से दोनों और चुदाई चलने लगी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]दोनों ही खड़े होकर कर रहे थे ....पर फर्क बस इतना था कि वो आगे से कर रहे थे ....और मैं पीछे से ...बस आसन अलग था ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]उसका कारण ये थे उनको तो कोई मतलब नहीं था ...चाहे कैसे भी करें ...... पर हम दोनों को जूली ले कमरे में भी देखना था .....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अह्ह्ह्हाआआ अह्ह्हाआआ क्या बात है ..मामाजी आज तो कुछ ज्यादा ही जोश आ रहा है ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : तू चीज ही ऐसी है ...काश मेरी बहु भी तेरी जैसी होती ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]तो उसको रोज चोद चोद कर खूब मजे करता ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अह्ह्ह अह्हा ओह अह्हा अह्ह्ह अह्ह्ह्ह तो चोद लेना ना ...सोच लेना मुझे ही चोद रहे हो ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अरे मैं उसको सोते हुए मजबूरी का फ़ायदा उठाना नहीं चाहता ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]अगर वो जरा सा भी हिंट दे तो बस्स्स्स आह्ह्ह्ह्हाआआआआआ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : ले मेरी रानी ...तेरा एक तो और जुगाड़ कर दिया मैंने ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]आःह्हाआआआआआ [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]रानी : अह्हा अह्हा अह्हा नहीईईईईईई ये तो हो ही नहीं सकता ..अह्ह्ह अह्हा अहा [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसका पति : क्यों नहीं ....?? जब इससे चुदवा सकती है ....तो वो मेरे पिता हैं ....देख न चुदाई के लिए कितने परेसान रहते हैं ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]रानी : तुम तो चुप रहो ...अहा अह्हा यह अह्हा अह्हा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अच्छा बेटा उस चुदाई के बाद भी क्या अनवर से फिर चुदवाया ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अह्ह्ह अह्हा अह्ह्ह अह्ह्ह्ह बस उसी टूर में ...आअह आह्ह्ह्हा [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : मतलब उसके बाद कभी नहीं ..अह्हा [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : नहीं ....वो कभी आये ही नहीं ....और ना ही उनसे बात होती है ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने सोचा ये जूली उनसे झूट क्यों बोल रही है....अनवर तो ५-६ बार मेरे घर आ चुका है ... समझ नहीं आ रहा था कि वो सब ऐसे ही बोल रही थी ...या फिर क्या था ..???[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : तो फिर उस टूर मैं ही तुमने कितनी बार चुदाई की....अह्हा अह्ह्ह्ह ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]..............................[/font]

[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अह्ह्ह अह्हा अह्हा अह्हा कई बार १५ दिनों तक जब भी मौका मिलता था ....[/font]
[/size]

[font=verdana, geneva, lucida,]मजे की बात तो ये थी कि उस टूर में रोबिन मेरे पति होते हुए भी मुझे एक बार भी नहीं चोद पाये ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जब उनका दोस्त जिससे पहली बार मिली थी ...उसने पूरा हनीमून मनाया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : ऐसा क्यों ..?? [/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अरे उस एक कमरे के कारण ....वो चुपचाप वाली मस्ती तो कर लेते थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर चोदते नहीं थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उनको डर रहता था कि उससे आवाजें होंगी ...इसी कारण ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]हाँ हर रात को मैं हाथ से ही उनका निकाल देती थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अह्हा अह्हा अहा बेचारा ....तवा गर्म वो करता था ....अह्हा अह्हा और रोटी कोई और सेकता था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]ये तो जूली बिलकुल सही कह रही थी ....मुझे याद है उस टूर पर मैं काम में ही ज्यादा बिजी रहा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और हाँ जूली को एक बार भी नहीं चोदा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे ये भी याद आया ..कि घर आने के बाद भी करीब ७-८ दिन तक वो मुझसे बचती रही थी ....कभी मेंसिस का कहकर तो कभी तबियत का बोलकर ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और जब मैंने उसको चोदा था तो मुझे उसकी चूत कुछ ढीली सी महसूस हुई थी ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मगर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था .....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]ओह तो ये बात थी ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अह्हा अह्ह्ह हा हा अब पैर नीचे कर दो न ..दर्द होने लगा ...अह्हा अह्हा अह्हा [/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : हा हा आह्ह अहा कहाँ ...???[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : ओह पैर में ....अह्हा अह्हा आपका उतना बड़ा नहीं है ..हा हा आह्ह अह्हा अह्हा ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अह्हा अह्हा हाँ रे ...मैं कोई अनवर थोड़ी हूँ ... अह्हा अह्हा ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उन्होंने उसको फिर से वैसे ही आराम से गद्दे पर लिटा दिया ..और फिर से लण्ड डालकर ..अब आराम से चोदने लगे ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : पर ये तो बता फिर और कब और कैसे कैसे चोदा अनवर ने तुझको ...उस सबमे तो बहुत मजा किया होगा तूने ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : हाँ मामाजी ..मैं तो अनवर भैया के लण्ड की कायल हो गई थी ....बहुत ही मजबूत लण्ड था उनका ...कितना बी चोद लें ...हर समय खड़ा ही रहता था ...और वो एक भी मौका नहीं जाने देते थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उन १५ दिनों में ना जाने कितनी बार उन्होंने मुझे चोदा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]एक ही दिन में कई कई बार वो कर देते थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी : अरे हाँ मगर बता तो कैसे ...रोबिन कहाँ होता था ...और वो कैसे मौका निकालता था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : हहा अह्ह्ह ऊऊ ओ हाँ ...कुछ कुछ तो बताती हूँ ...अह्हा अह्हा [/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और ..????[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]?????????????????[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]………….[/font]
[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]……………………….[/font][/size]
 
[font=verdana, geneva, lucida,]ऊपर पलंग पर रोबिन नींद में खर्राटें ले रहे थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और उसी पलंग के पास नीचे जमीन पर हम दोनों पूरे नंगे ...चुदाई कर रहे थे ..[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]मेरे दिल में एक डर की कहीं उनकी आँख ना खुल जाये ..वो देख ना लें ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]और चूत के अंदर वो मजेदार मोटा लण्ड ...इतना मजा दे रहा था ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]कि मैं ये रिस्क भी लेने को तैयार हो गई ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]फिर चुदाई के बाद भी मैं वहीँ उनसे चिपककर ऐसे ही नंगी सो गई थी ..[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]सुबह उठकर मैंने नाइटी पहनी और फिर रोबिन के पास लेटी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]शुक्र था कि रात को रोबिन की आँख एक बार भी नही खुली ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]वरना वो ना जाने हमको उस अवस्था में कैसे भी देख लेते ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैं उनकी बात सुनते हुए रानी को तेजी से ना चोदकर हलके हलके ही उससे मजा ले रहा था ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]तभी उसका पति कहीं बाहर चला गया ...शायद उसके पेट में दर्द हो रहा था ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अपने पति के जाते ही ...रानी ने अपने दिल की बात कह दी ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]रानी अभी फुसफुसा ही रही थी ...कितना मजा आया होगा इस कमीनी को ..[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]सुना है मुसलमानी लण्ड बहुत ही मजेदार होता है ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]काश मुझे भी मिल जाता ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और जैसे रानी के जीभ पर सरस्वती बैठ गई हो ...उसकी इच्छा उसी पल पूरी होने वाली थी ..[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]हुआ ऐसा कि ....[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]हमने ध्यान ही नहीं दिया कि वो दरवाजा खुला छोड़ गया है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और तभी वहां से ३ आदमी अंदर आ गए ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वो कोई रिस्तेदार तो नहीं दिख रहे थे ..कोई काम करने वाले ही थे ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]एक पहलवान टाइप ..आँखों में सुरमा लगाये ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]साफ़ पता चल रहा था कि मुस्लिम ही है ...४०-४५ साल का भारी भरकम इंसान था ...असलम नाम था उसका बाद में पता चला ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]दूसरा भी ३०-३५ का होगा ..लम्बा पर कुछ पतला ...उसकी तो दाढ़ी ही बता रही थी कि मुल्ला है ...अफजल मियां बोल रहे थे उसको ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और तीसरा एक १८-१९ साल का लड़का था ...बहुत ही खूबसूरत ...लड़की की तरह चिकना ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]उनकी बातों से पता चला कि वो दोनों उसी लड़के की गांड मारने उस कमरे में आये थे ...[/font]
[font=verdana, geneva, lucida,]सलीम नाम था उसका ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]....................................[/font]

[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]अफजल : वाह रे ..यहाँ तो पहले से काम चल रहा है वे ...क्या चिकनी परी है ...ये तो इसकी गांड मार रहा है ...[/font]
[/size]



[font=verdana, geneva, lucida,]उनकी आवाज सुनते ही हम दोनों अलग हो गए ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मेरा दिमाग ने एक दम से काम किया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने दरवाजा भिड़ा दिया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और पलटकर अपना लण्ड रानी की चूत से निकालकर खड़ा हो गया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी भी चोंक गई थी ...और डर के मारे वैसे ही पलट कर उलटी लेट गई ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसने अपना सर अपने हाथो के बीच छुपा लिया था ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मगर उसकी नंगी पीठ और गांड सब दिख रहे थे ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]तीनो हमारे पास आकर खड़े हो गए ...असलम ने दरवाजा फिर से बंद कर दिया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उनको देखकर मुझे कोई खास डर तो नहीं लग रहा था ...पर दूसरी जगह होने से बदनामी का डर था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]असलम : क्यों वे कहाँ से लाया इसको ...?? बहुत कड़क माल है यार ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे कोई बहाना ही नहीं सूझा...मुझसे ये तक नहीं कहते बना कि हम हस्बैंड वाइफ हैं ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]अफजल ने रानी के नंगे चूतड़ों को दबाया ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और [/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]अफजल : असलम भाई ..पटाका है ये तो ...बेटा सलीम आज तेरी गांड बच गई ...आज तो इस चिकनी को ही चोदेंगे...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी जो अभी तक ना जाने क्या क्या बोल रही थी ...अब उसकी फटने लगी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी : नहीईईईईईईईई मुझे जाने दो ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]असलम : साली अगर जरा भी आवाज निकाली तो तेरा सीक कबाब बनाकर खा जायेंगे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मेरा लण्ड तो उनको देखकर ही ढीला हो गया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]हमारे कमरे से इतनी आवाजें सुनकर मैं ये भी भूल गया था कि ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]बराबर के कमरे में जूली और मामाजी हैं ...वो हमको वैसे ही झांककर देख सकते हैं ...जैसे अभी कुछ देर पहले हम देख रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]कुछ ही देर में असलम और अफजल दोनों नंगे हो गए ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उनके लण्ड देखकर …अभी- अभी जूली के महुँ से सुना… अनवर का लण्ड भी याद आने लगा ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]बड़े ही अजीव तरह के थे दोनों के लण्ड ...असलम का बहुत मोटा ...और काला कोई ८-९ इंच का होगा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर अफजल का… था तो …पतला पर १०-११ इंच का होगा ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]दोनों के ही छिले हुए केले जैसे चिकने थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उनके टोपे चमक रहे थे ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]दोनों ने रानी को अपने बीच दबा लिया ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और…?????[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]?????????????????[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]………….[/font]
[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]……………………….[/font][/size]
 
[font=verdana, geneva, lucida,]अपडेट 131
[/font]


[font=verdana, geneva, lucida,]रानी : नहीईईईईईईईई मुझे जाने दो ...

असलम : साली अगर जरा भी आवाज निकाली तो तेरा सीक कबाब बनाकर खा जायेंगे ...

मेरा लण्ड तो उनको देखकर ही ढीला हो गया था ...

हमारे कमरे से इतनी आवाजें सुनकर मैं ये भी भूल गया था कि ...
बराबर के कमरे में जूली और मामाजी हैं ...वो हमको वैसे ही झांककर देख सकते हैं ...जैसे अभी कुछ देर पहले हम देख रहे थे ...

कुछ ही देर में असलम और अफजल दोनों नंगे हो गए ...

उनके लण्ड देखकर …अभी- अभी जूली के महुँ से सुना… अनवर का लण्ड भी याद आने लगा ...

बड़े ही अजीव तरह के थे दोनों के लण्ड ...असलम का बहुत मोटा ...और काला कोई ८-९ इंच का होगा ...
पर अफजल का… था तो …पतला पर १०-११ इंच का होगा ..
दोनों के ही छिले हुए केले जैसे चिकने थे ...
उनके टोपे चमक रहे थे ....

दोनों ने रानी को अपने बीच दबा लिया ...
और…?????
मैं और सलीम दोनों खड़े होकर उनको देख रहे थे ...

मैं अभी भी पूरा नंगा था ....और फिर से मेरे लण्ड ने सर उठाना शुरू कर दिया था ....

रानी ने पहले तो दोनों का विरोध किया ...पर एक थप्पड़ पड़ते ही वो चुप हो गई ...

अब दोनों उसके दोनों ओर बैठे एक एक मम्मे को चूस रहे थे ...

रानी भी गौर से उनके लंडो को देख रही थी ...

तभी असलम ने रानी का एक हाथ पकड़ अपने लण्ड पर रख दिया ....

मैंने देखा अब तक ना नुकुर कर रही रानी ने उसके लण्ड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया ...

मैं ये सोच रहा था कि अगर रानी एक बार भी बचाने को बोलती ...
तो चाहे जो होता ..मैं उसको इतने लण्डों से चुदने से बचा लेता ...

................................
[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मगर जब मैंने देखा कि वो इस सबमें भी मजा ले रही है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]तो मैंने उसके आनंद में खलल नहीं डालने की सोची ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने चुपचाप उस दरवाजे की ओर देखा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और जैसे हम देख रहे थे ...अब जूली और मामाजी भी वैसे ही देख रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे आश्चर्य हुआ कि ..मामाजी को अपनी बहु को देखकर भी बचाने की नहीं सोची ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने जल्दी से अपने कपडे पहने ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वैसे भी मुझे इस तरह के ग्रुप सेक्स में ज्यादा मजा नहीं आता है ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]इतनी देर में ही उन दोनों ने रानी को पूरी तरह तैयार कर लिया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और दोनों एक साथ ही रानी को चोदने का प्रोग्राम बना रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]असलम नीचे लेट गया था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और रानी उसके लण्ड पर बैठ ..ऊपर से खुद हिल रही थी ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसकी हिलती कमर बता रही थी ...कि ये उसका पसंदीदा स्टाइल है ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वो बहुत तेजी से ...एक अनुभवी की तरह ही कमर चला रही थी ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]तभी अफजल ने उसको पीछे से आगे को झुकाया ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]ओह और उसने रानी की गांड के छेद को हल्का सा ही चिकना कर अपना लम्बा लण्ड उसके गांड के छेद में घुसेड़ दिया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने पहले फिल्मो में तो कई बार देखा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर सामने होते हुए पहली बार ही देख रहा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जिस छोटे से सलीम को में सीधा और बच्चा समझ रहा था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वो तो पूरा कमीना निकला ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसने भी नंगे होकर अपना लण्ड रानी के मुहं में डाल दिया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वरना अभी इस समय तो वो चिल्ला रही होती ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उसकी ऐसी हालत मुझसे देखि नहीं जा रही थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]तीन तीन लण्ड एक साथ उसके तीनो छेदों में आ जा रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उसको वैसे ही चुदते छोड़कर में चुपके से कमरे से बाहर निकल आ गया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]बाहर रानी का पति मिला ...जो नोक करने ही जा रहा था ...[/font]


[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]..............................[/font][/size]

[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]मुझे उसने बड़ी ही हिकारत भरी नजरों से देखा ...[/font]
[/size]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने कुछ नहीं कहा ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]चुपचाप बाहर को निकल ...अपने कमरे की ओर आया ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने सोचा अब रानी का पति अपने आप संभाल लेगा ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वहां ये देखकर आश्चर्य हुआ ..कि[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मेरे कमरे का दरवाजा पूरा बंद नहीं था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली और मामाजी ....दोनों में किसी को जरा भी डर नहीं था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]अगर कोई भी अंदर ऐसे ही आ गया तो ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मुझे तो सोचकर ही झुरझुरी सी चढ़ गई कि ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]वो तीनो अगर यहाँ आ जाते तो क्या होता ..??[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने हल्का सा दरवाजा उरेक कर अंदर झाँका ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और वो दोनों तो अभी भी वही ..[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसी कमरे में रानी की चुदाई देखने में लगे थे ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली ने ये भी नहीं सोचा ...कि मैं बाहर आकर यहाँ भी आ सकता हूँ ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी तो पीछे से नंगे दिख ही रहे थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली भी नंगी ही होगी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वो मामाजी के आगे थी ..तो दिखाई नहीं दे रही थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]पर सामने सिमटा हुआ उसका पेटीकोट पड़ा था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जो चीख चीख बता रहा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]कि जूली के बदन पर एक भी कपडा नहीं है ....और वो अपने नंगे बदन को मामाजी से चिपकाये ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मजे से रानी की चुदाई का आनंद उठा रही है ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]अब मैं ऐसी हालत में अंदर तो जा नहीं सकता था ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और वापस रानी के कमरे में भी जाने का दिल नहीं किया ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]वही जेब से सिगरेट निकाल सुलगा ली ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]और सोचने लगा ...क्या ये सब सही हो रहा है ...??[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जब लण्ड में साला उबाल आता है ...तो सब कुछ अच्छा ही लगता है ...[/font]


[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]...............................[/font][/size]


[font=verdana, geneva, lucida,]पर आज जब रानी को चोदने के बाद लण्ड कुछ शांत हो गया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]तो यथार्थ में भी सोचने लगा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अभी जो रानी के साथ हो रहा है ...क्या ये सब में जूली के साथ सहन कर पाउँगा ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]हो सकता है ..जूली उस समय कुछ ना कहे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उसको अच्छा भी लगे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]पर बाद में तो ग्लानि होगी ना ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]ये तो एक तरह से बलात्कार ही है ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]क्या इस तरह के बलात्कार के बाद उसको साधारण सेक्स पसंद आएगा ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]ना जाने कैसे विचार मेरे मन में उमड़ घुमड़ कर रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]फिर सोचा देखूं वो लोग क्या कर रहे हैं ...??[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने खांसते हुए बाहर अपनी उपस्थिति का एहसास उनको करा दिया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]दरवाजा खोलकर चुपके से ही देखने वाला था ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पर सामने ही जूली थी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जो देखते ही बोली ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अरे कहाँ चले गए थे आप ....??? मुझे उठाया भी नहीं ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली अपनी ब्लाउज पहन चुकी थी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अपने पेटीकोट को ठीक कर रही थी ...या हो सकता है अभी ही पहना हो ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मामाजी बड़ी ही चालाकी से दूसरी और करवट लिए मुहं तक चादर ओढे सो रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : हाँ जान जरा सिगरेट पीने चला गया था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने सुना ...इस कमरे में बराबर वाले कमरे की आवाजें बहुत तेज सुनाई दे रही थी ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जहाँ रानी की चुदाई चल रही थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]पट पट ....जांघो की आवाजें ...आहें ...और सिस्कारियां ...सभी काफी तेज आ रही थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]दिल में एक कसस सी उठी ...क्या रानी का पति भी उनका साथ दे रहा है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]पता नहीं वहां क्या चल रहा होगा ...??[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : अरे ये आवाजें कैसी आ रही हैं ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : पता नहीं ...मैं भी इनको सुनकर ही जाग गई थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : और मामाजी जी अभी तक सो रहे हैं ...इन पर कोई फर्क नहीं पड़ा ...[/font]


[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]..................................[/font][/size]

[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]जूली : हाँ ...शायद ज्यादा थक गए हैं ...[/font]
[/size]

[font=verdana, geneva, lucida,]पता नहीं ...लगता है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]उधर कोई अपनी सुहागरात बना रहा है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]जूली ने बड़े ही सेक्सी मुसकुराहट के साथ बोला ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : आओ जान.... देखें तो ...कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा ..[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]जूली : अरे नहीं न ...क्या करते हो ..?? ऐसे किसी को …..वो सब करते देखना अच्छा होगा क्या ..??[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]मैं : अरे कुछ नहीं होता ...कौनसा हम उनको परेशान कर रहे है ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]बस चुपके से देखेंगे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और मैं मामाजी के उधर फलांग कर उस कमरे में देखने लगा ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]एक बार मामाजी की ओर भी देखा ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]लगा जैसे वाकई में सो रहे हों ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]बार रे….. क्या नजारा था .....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]रानी अपने पति की गोद में सर रखे लेटी थी ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]और तीन लण्ड उसको अपने पानी से भिगो रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी का पूरा जिस्म ही वीर्य से सराबोर था ...लगता था तीनो ने ही उसको जमकर चोदा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]केवल रानी के पति के जिस्म पर ही १-२ कपडे दिखाई दे रहे थे ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]रानी और वो तीनो मुस्टंडे नंगे ही थे ...[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]अब तो वो सलीम भी पूरा मर्द ही नजर आ रहा था ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उसका लण्ड देखकर लग रहा था ...जैसे उसने भी रानी को जमकर चोदा है ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]तभी जूली भी मेरे पास आकर बैठ गई ....[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]मैंने ध्यान दिया ...वो बिलकुल मामाजी के चेहरे के पास आकर बैठी थी ...[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]उसके चूतड़ मामाजी के नाक से छू रहे थे ....[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]पर ...??????????[/font]



[font=verdana, geneva, lucida,]?????????????????[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,]………….[/font]
[size=medium][font=verdana, geneva, lucida,]……………………….[/font]
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[font=verdana, geneva, lucida,]अपडेट 132[/font]


[font=verdana, geneva, lucida,]बीच में अपडेट ना देने के लिए क्षमा करें ...
अब तक आपने पढ़ा ....
बा रे….. क्या नजारा था .....
रानी अपने पति की गोद में सर रखे लेटी थी ....

और तीन लण्ड उसको अपने पानी से भिगो रहे थे ...

रानी का पूरा जिस्म ही वीर्य से सराबोर था ...लगता था तीनो ने ही उसको जमकर चोदा था ...

केवल रानी के पति के जिस्म पर ही १-२ कपडे दिखाई दे रहे थे ...

रानी और वो तीनो मुस्टंडे नंगे ही थे ...
अब तो वो सलीम भी पूरा मर्द ही नजर आ रहा था ...

उसका लण्ड देखकर लग रहा था ...जैसे उसने भी रानी को जमकर चोदा है ...

तभी जूली भी मेरे पास आकर बैठ गई ....
मैंने ध्यान दिया ...वो बिलकुल मामाजी के चेहरे के पास आकर बैठी थी ...

उसके चूतड़ मामाजी के नाक से छू रहे थे ....

पर लगता था जैसे मामाजी अब गहरी नींद में सो रहे थे ...
जूली अब मेरे सामने भी काफी बोल्ड हो रही थी ...

मैं : ओह कौन है यार ये ...कैसे ये सब करवा रही है ...

मैंने रानी को देखते हुए ही बोला था ...

जूली : पता नहीं ...पर लगता तो नहीं कि कोई जबरदस्ती कर रहा है ...
देखो सब कुछ मजे से ही करवा रही है ...

मैं : हम्म्म्म कह तो तुम सही ही रही हो ...चलो छोड़ो इनको ...
और मैं उसको लेकर अपने बिस्तर पर आ गया ..

उस शादी में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिससे हमारे जीवन में बहुत ही बदलाव आ गया था ...

रानी की चुदाई एक साथ देखने के बाद हम दोनों एक साथ लेट गए ...अमूमन जूली ऐसा नहीं करती है पर उस रात उसने मेरे रहते ही मामा जी के साथ एक बार फिर चुदवा लिया ...

मेरी आँखों में तो नींद थी ही नहीं ...

जूली केवल पेटीकोट और ब्लाउज में ही थी ...सुबह करीब ५ बजे मुझे लगा की वो उठ रही है ...

किन्तु वो खिसक कर मामा के कम्बल में चली गई ...
उसको अच्छी तरह से पता था की मैं सो नहीं रहा ..फिर भी उसने ऐसा किया ...

मैंने देखा कि मामाजी ने तो फिर भी एक बार मेरी ओर देखा कि मैं सो रहा हूँ या नहीं ...पर जूली ने एक बार भी ये जेमत नहीं की ...
उसका पूरा डर ख़त्म हो चुका था ...अब तो वो खुलेआम चुदवा सकती थी ...

फिर जूली ने मेरे कमरे में रहते हुए ही मामाजी का लण्ड चुसा ...फिर खड़े होकर अपना पेटीकोट निकाल नीचे से नंगी हो गई ...

बिना किसी डर के वो मामाजी का कम्बल हटा उसमे घुस गई ...और फिर कुछ ही देर में उसकी सिसकारी गूंजने लगी ..

मेरी जूली मेरे ही सामने एक अधबूढ़े आदमी से चुद रही थी ...और मैं कुछ कर भी नहीं सकता था ...

फिर वो चुदवाकर चुपचाप से फिर मेरे बिस्तर में आ गई ...

मैंने उसके शरीर को अपने से चिपका लिया जिससे उसको एहसास हो जाए कि मैं जाग रहा हूँ ...

वो मेरे से कसकर चिपक गई और उसने कोई अलग सा रिएक्शन नहीं दिया ...

उसका चिकना शरीर अभी तक चुदाई से गरम था और वो पूरी नंगी थी ...

जैसे ही मेरा हाथ उसकी पीठ पर गया मुझे पता चल गया कि .उसने अपनी ब्लाउज और ब्रा भी उतार दी थी ..
वो पूरी नंगी थी ... जैसे ही हाथ पीठ के निचले हिस्से में आया ...
ओ माय गॉड ...
ये क्या ...वहां तो बहुत चिपचिपा हो रहा था ...

लगता है मामाजी ने उसको पीछे से ही चोदा होगा ...और फिर अपना सारा वीर्य उसकी पीठ पर निकल दिया था ...

मैं उसके चिपचिे पानी को अपने हाथ से पोंछता हुआ ..नीचे की ओर पहुंचा ...
उसके गोलमटोल चूतड़ों तक वैसा ही पानी चिपका हुआ था ...

जूली को पूरी तरह एहसास हो रहा होगा की मैं उसकी चुदाई की निशानी को देख रहा हूँ ...
फिर भी उसने किसी तरह का कोई भाव नहीं दिखाया ..

इसका मतलब साफ़ था की उसको पता था कि मुझे उसकी चुदाई के बारे में सब कुछ पता था ..फिर भी कोई विरोध नहीं है ...ये उसी का परिणाम था ...

वैसे भी मैं यही तो चाहता था ..अतः अब कुछ भी कहना बेकार था ...

एक अलग तरह का मौन हमारे बीच था ...जो हमरे प्यार को ना जाने कहाँ ले जाने वाला था ...

मैंने अपने हाथ से ही उसके सारे चिपचिपे बदन को साफ कर दिया ...

फिर कुछ देर आराम करके हम उठ गए ...पहले जूली ही उठी ..वैसे भी ७ से ऊपर हो चुके थे ...बहुत मदमस्त रात थी ...

जूली बिलकुल नंगी ऐसे ही उठकर खड़ी हो गई ..
उसने एक कमरतोड़ अंगड़ाई ली ...
उसके मस्त वदन का एक एक कटाव बाहर को उजागर हो गया ...

मैंने मामाजी के बिस्तर की ओर देखा… साफ लगा कि वो जाग रहे हैं ...
उनकी आँखे जूली की ओर ही टिकी थीं ...
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[font=verdana, geneva, lucida,]अपडेट 133[/font]


[font=verdana, geneva, lucida,]
पर जूली किसी को नहीं देख रही थी ...
वो अब अपने बिखरे हुए कपड़ों को समेटने लगी ..

वहां टंगी साडी उसने उठा ली ...पेटीकोट भी नीचे पड़ा था ...ब्लाउज मामाजी के बिस्तर के पास था ...कच्छी एक कोने से उसने उठाई ...
जिसको उठाते हुए उसके चूतड़ और बीच का छेद वहां हम दोनों ने ही अच्छी तरह से देखा ...

अब वो फिर इधर उधर देखने लगी ...
शायद ब्रा ढूंढ रही थी ..वो कहीं नहीं दिखी ..
तभी शायद उसको कुछ याद आया ...और वो बिना किसी संकोच के मामाजी के कम्बल को उलट कर देखती है ...

मामाजी भी पुरे नंगे थे ...उनका सोया हुआ लण्ड मुझे तक दिख गया ...

ब्रा भी वहीँ थी ..उसकी एक डोरी लण्ड में फंसी हुई थी ..
जूली चाहती तो ब्रा उठाकर वैसे ही उसको निकल सकती थी ...
पर उसने दूसरा काम किया ...

मेरे सामने ही जूली ने एक हाथ से लण्ड को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाला ...और फिर कम्बल वैसे ही ढक कर अपने कपडे पहनने लगी ...

उसके वहीँ खड़े होकर एक एक करके अपने कपडे पहने ..
जिसमे जब मुझे इतना मजा आया ..तो मामाजी का तो क्या हाल हुआ होगा ...

फिर हम अपने होटल में ही आ गए ...

उस शादी में और भी बहुत मजे हुए ...काफी अच्छी शादी थी ...
उसमें तिवारी अंकल की बेटी से भी मुलाक़ात हुई ...

श्वेता शर्मा नाम था उसका ...
बहुत सुंदर थी वो ...तिवारी अंकल की पहली बीवी से हुई थी वो ...

मगर फिर भी रिश्ते में तो रंजू भाभी की भी बेटी हुई ...

उसको देखते ही मेरे दिल में उसको चोदने का विचार आया ...

बहुत ही गदराया हुआ बदन था उसका ...और जैसे आँखे नचा नचा कर बाते कर रही थी ...
उससे साफ़ लगा कि इसको पटाना कोई ज्यादा मुस्किल नहीं है ...

रंजू भाभी और मेरी जूली दोनों ही समझ गई कि मुझे क्या चाहिए ....
दोनों ने ही मुझे बहुत प्यार से देखा ...जब मैं श्वेता से बात कर रहा था ...

उसने एक टाइट जीन्स और टॉप पहना था ...अपने दोनों बच्चो के साथ आई थी वो ...
मगर उसका पति दिखाई नहीं दिया ...अपने बिज़नेस के कारन नहीं आ सका होगा ..

वो हमारे कमरे में ही रुक गई ...
कुछ देर बाद रंजू भाभी और तिवारी अंकल तो चले गए किसी काम से ...और वहां हम लोग ही रह गए ..

मैंने सोचा कुछ आराम कर लिया जाए ..वैसे भी रात तो सो ही नहीं पाये थे ...

मैं और जूली एक ही बेड पर थे दूसरे पर श्वेता अपने बच्चो के साथ लेट गई ...

जूली ने उसको टोका ...

जूली : अरे श्वेता इतनी टाइट जीन्स में कैसे लेटेगी ...चल बदल ले पहले ...

श्वेता : अरे नहीं भाभी ...कुछ देर ही तो लेटना है ...अभी हो सकता है किसी प्रोगाम में जाना हो ...फिर बदल लुंगी ...अभी कपड़ो का बेग नीचे ही रखा है ...

जूली : तो कुछ और पहन ले या फिर जीन्स तो निकालकर लेट जा ...यहाँ कौन है जो देखेगा ...

श्वेता : हूऊ हट ..शिट भाभी जी क्या बोलती हो ? भैया तो है यहाँ ...ऐसे कैसे ..नहीं मैं ऐसे ही ठीक हूँ ...

जूली : जैसी तेरी मर्जी ...मुझसे तो ऐसे नहीं लेटा जाता ...जब तक बदन फ्री ना हो ...

और उसने अभी नाइटी पहनी थी ...उसका ऊपर का भाग निकाल दिया ...अंदर तो उसकी वाही शार्ट पारदर्शी हिस्सा ही था ....जिसमे से उसका गोरा और चिकना बदन पुआ दिखता ही है ....

श्वेता : भाभी आपने अंडरगार्मेंट्स भी नहीं पहने ....

जूली : अरे मैं आराम ही तो कर रही थी ...इसीलिए नहीं पहने ...फिर तुझसे क्या छिपाना ...

और वो बिना किसी शर्म के मेरे बिस्तर में घुस गई ...

मैं केवल लुंगी में ही था ...उसको वैसे भी लण्ड पर हाथ रख सोने कि आदत है ...
उसने लुंगी खोल मेरे लण्ड को पकड़ लिया ...

हम कुछ देर ही सोये होंगे ...

तभी रंजू भाभी की आवाज आई ...

रंजू भाभी : अरे उठ ना जूली ..क्या यहाँ सोने को ही आई है ....ऋतू और रिया बुला रही है ....उनको तैयार करना है ...

जूली उठ कर बैठ गई ....

जूली : ओह भाभी अभी तो नींद आई थी ...अच्छा आप चलो ..मैं १० मिनट में आती हूँ ...

ये बोलकर जूली बाथरूम में चली गई ...
मेरी चादर भी उसके उठने से हट गई थी ...लुंगी तो पहले ही खुल गई थी ...

मेरा आधा खड़ा लण्ड रंजू भाभी के सामने था ...

वो झुककर लण्ड को पकड़ लेती हैं ...

रंजू भाभी : क्या अमित ?? खुद तो सोते रहते हो पर ये हमेशा जागता रहता है ...

मैंने उठकर भाभी को अपनी बाहों में भर लिया ...

रंजू भाभी : क्या करते हो ?? श्वेता भी यही है ....और बड़े घूर घूर कर देख रहे थे उसको ...

मैं : हाँ भाभी माल ही ऐसा है ...बहुत मजेदार है आपके बेटी ...

रंजू भाभी : अच्छा तो उस पर भी नजर है ....

मैं : तो क्या हुआ ...अगर उसको भी लण्ड चाहिए तो इसमें क्या बुराई है ...

मैंने श्वेता की ओर देखा वो सीधी लेटी थी ...
पता नहीं सो रही थी या हमारी बातें सुन रही थी ...

उसने अपनी जीन्स का बटन खोल लिया था ...जहाँ से अंदर का गोरा हिस्सा दिखाई दे रहा था ...

मैं : यार भाभी इसकी चूत के तो दर्शन करा दो ..देखो कैसे झांक रही है झरोके से ...मैंने रंजू भाभी को बाँहों में कसकर उनके लाल लाल होंठो को चूमते हुए बोला ..

और उन्होंने .....

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