hotaks444
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इतने से ही बस नही की उन्होने , उसे एक कोठे पर बेच दिया, तब जाकर उसे अकल आई कि उसने हमारे साथ गद्दारी करके कितनी बड़ी भूल की थी, पर अब कुछ नही हो सकता था,
जमाल आजकल वो पागलों की तरह सड़कों पर घूमता रहता है, उसके बच्चे भीख माँग कर अपना पेट भरते हैं, बीवी कोठे पर चुद रही है, नित नये लंड से.
ये कोई इकलौता जमील नही था जो फ़ौजी हुकूमत की तानाशाही का शिकार हुआ हो, ऐसे ही ना जाने कितने जमील थे इस देश में जो जुल्मों का शिकार होकर कुरबत की जिंदगी जीने पर मजबूर थे.
खैर ये सब तो इस देश की नियती बन चुकी है, अब चल कर देखते हैं हमारी इंसानियत की दोस्त टीम आजकल क्या कर रही है, जो अब अपना और आकार बढ़ा चुकी है.
मैने ग्रूप की लड़कियों को स्पाई के तौर पर यूज़ करने का सोचा और कैसे भी करके बड़े-2 फ़ौजी अधिकारियों और लीडरन के घरों में काम पर लगवा दिया, जिससे उनकी आक्टिविटी पर नज़र रखी जा सके.
मेरा सबसे बड़ा हथियार हुश्न की मल्लिका शाकीना जो अब पूरी तरह गदरा गयी थी, मेरे साथ रहते-2, हाइट तो उसकी पहले से ही आम लड़कियों की तुलना में ठीक ही थी, लेकिन उसके शरीर के कटाव अब और ज़्यादा सेक्सी हो गये थे.
चेहरे पर लालिमा लिए 34-28-34 का फिगर उपर से 5’6” की हाइट, सुराही दार गर्दन गोरी इतनी की पानी भी गले से नीचे उतरता हुआ महसूस हो.
जब वो हील वाले संडले पहन कर चलती थी तो देखने वाले आहें भरकर अपना लॉडा मसले बिना नही रह पाते थे.
कइयों ने तो राह चलते उसका हाथ ही पकड़ लिया था और उसके साथ ज़ोर जबदस्ती करने की भी कोशिश की,
लेकिन वो कोई आम लड़की तो थी नही, जो हर कोई उसे यूँही आसानी से भोग ले.
जिसने भी उसके साथ इस तरह की हिमाकत करने की कोशिश की, उसको उसने छ्टी का दूध याद दिला दिया.
फिर पलट कर वो कभी उसके सामने आने की भी हिम्मत नही जुटा पाया.
दिलेरी तो मे कई बार उसकी देख ही चुका था, फाइट और शूटिंग में भी हमारे ग्रूप में वाकी सबसे आगे थी.
मेरा निशाना इस मुल्क की सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेन्सी का चीफ था, जिस मुझे नज़र रखनी थी,
क्योंकि वाकी चाहे कोई कुछ भी करता रहे लेकिन इस देश की सत्ता की छवि उसी के पास थी. सेना और सिस्टम दोनो पर ही उसका नियंत्रण था.
इसी योजना को मद्देनज़र रखते हुए, मे खुद दो महीने से उस पर नज़र रखे हुए था, लेकिन अभी तक कोई सॉलिड प्लान मेरे दिमाग़ में नही आ पा रहा था.
एक तो साला वो खुद ही इतनी टाइट सेक्यूरिटी में रहता था कि बिना उसकी जानकारी के परिंदा भी पर नही मार सकता था, दूसरा उसका शेड्यूल का कुछ पता नही चल रहा था कि वो कब और कहाँ जाने वाला है.
उसकी एक कमज़ोरी मेरे हाथ लग गयी, वो ये कि साला ठर्की नंबर वन था. सुंदर लड़कियाँ, औरतें उसकी कमज़ोरी थी.
अब मुझे इसी बात को मद्देनजर रख कर कोई प्लान तैयार करना होगा…!
और मैने वो प्लान तैयार कर लिया, जिसमें 90 फीसदी चान्स थे उसको जाल में फँसाने के……!!
45-46 साल का उमर खालिद, गोरा चिटा 6’2” हाइट कसरती शरीर, चेहरे पर फ्रेंच कट दाढ़ी, जो लाइट ब्राउन कलर करके रखता था.
बिल्लौरी आँखों वाला शक्ल से ही खुर्राट दिखने वाला उमर खालिद पाकिस्तान की सर्वोत्तम सीक्रॅट एजेन्सी का चीफ था.
अगर रंग रूप से देखा जाए तो खालिद मियाँ पाकिस्तानी तो कतयि नही लगते थे.
वैसे वो थे भी जन्म से केनेडियन, वही पैदा हुए, पले बढ़े, सारी सिक्षा वही से प्राप्त की.
चूँकि पेरेंट्स पाकिस्तानी थे सो लेवेल लग गया और उसी का फ़ायदा उठा कर वो आज इस देश को कंट्रोल कर रहे थे.
नो डाउट हाइ क्वालिफाइड बंदा था ही, और बहुत सालों तक इंटेलिजेन्स सर्वीसज़ में पार्टिसिपेशन रहा था उसका, उसी का परिणाम था कि आज वो इस मुकाम पर पहुँचा था.
गोल्फ और सुंदर लड़कियों का शौकीन खालिद रोज़ शाम को 6 बजे राजधानी में स्थित गोल्फ क्लब में खेलने जाता था, जहाँ शहर के सभी टॉप मोस्ट लोग ही आते थे, फिर चाहे वो किसी भी विभाग या बिज्नीस से रिलेटेड हों.
जमाल आजकल वो पागलों की तरह सड़कों पर घूमता रहता है, उसके बच्चे भीख माँग कर अपना पेट भरते हैं, बीवी कोठे पर चुद रही है, नित नये लंड से.
ये कोई इकलौता जमील नही था जो फ़ौजी हुकूमत की तानाशाही का शिकार हुआ हो, ऐसे ही ना जाने कितने जमील थे इस देश में जो जुल्मों का शिकार होकर कुरबत की जिंदगी जीने पर मजबूर थे.
खैर ये सब तो इस देश की नियती बन चुकी है, अब चल कर देखते हैं हमारी इंसानियत की दोस्त टीम आजकल क्या कर रही है, जो अब अपना और आकार बढ़ा चुकी है.
मैने ग्रूप की लड़कियों को स्पाई के तौर पर यूज़ करने का सोचा और कैसे भी करके बड़े-2 फ़ौजी अधिकारियों और लीडरन के घरों में काम पर लगवा दिया, जिससे उनकी आक्टिविटी पर नज़र रखी जा सके.
मेरा सबसे बड़ा हथियार हुश्न की मल्लिका शाकीना जो अब पूरी तरह गदरा गयी थी, मेरे साथ रहते-2, हाइट तो उसकी पहले से ही आम लड़कियों की तुलना में ठीक ही थी, लेकिन उसके शरीर के कटाव अब और ज़्यादा सेक्सी हो गये थे.
चेहरे पर लालिमा लिए 34-28-34 का फिगर उपर से 5’6” की हाइट, सुराही दार गर्दन गोरी इतनी की पानी भी गले से नीचे उतरता हुआ महसूस हो.
जब वो हील वाले संडले पहन कर चलती थी तो देखने वाले आहें भरकर अपना लॉडा मसले बिना नही रह पाते थे.
कइयों ने तो राह चलते उसका हाथ ही पकड़ लिया था और उसके साथ ज़ोर जबदस्ती करने की भी कोशिश की,
लेकिन वो कोई आम लड़की तो थी नही, जो हर कोई उसे यूँही आसानी से भोग ले.
जिसने भी उसके साथ इस तरह की हिमाकत करने की कोशिश की, उसको उसने छ्टी का दूध याद दिला दिया.
फिर पलट कर वो कभी उसके सामने आने की भी हिम्मत नही जुटा पाया.
दिलेरी तो मे कई बार उसकी देख ही चुका था, फाइट और शूटिंग में भी हमारे ग्रूप में वाकी सबसे आगे थी.
मेरा निशाना इस मुल्क की सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेन्सी का चीफ था, जिस मुझे नज़र रखनी थी,
क्योंकि वाकी चाहे कोई कुछ भी करता रहे लेकिन इस देश की सत्ता की छवि उसी के पास थी. सेना और सिस्टम दोनो पर ही उसका नियंत्रण था.
इसी योजना को मद्देनज़र रखते हुए, मे खुद दो महीने से उस पर नज़र रखे हुए था, लेकिन अभी तक कोई सॉलिड प्लान मेरे दिमाग़ में नही आ पा रहा था.
एक तो साला वो खुद ही इतनी टाइट सेक्यूरिटी में रहता था कि बिना उसकी जानकारी के परिंदा भी पर नही मार सकता था, दूसरा उसका शेड्यूल का कुछ पता नही चल रहा था कि वो कब और कहाँ जाने वाला है.
उसकी एक कमज़ोरी मेरे हाथ लग गयी, वो ये कि साला ठर्की नंबर वन था. सुंदर लड़कियाँ, औरतें उसकी कमज़ोरी थी.
अब मुझे इसी बात को मद्देनजर रख कर कोई प्लान तैयार करना होगा…!
और मैने वो प्लान तैयार कर लिया, जिसमें 90 फीसदी चान्स थे उसको जाल में फँसाने के……!!
45-46 साल का उमर खालिद, गोरा चिटा 6’2” हाइट कसरती शरीर, चेहरे पर फ्रेंच कट दाढ़ी, जो लाइट ब्राउन कलर करके रखता था.
बिल्लौरी आँखों वाला शक्ल से ही खुर्राट दिखने वाला उमर खालिद पाकिस्तान की सर्वोत्तम सीक्रॅट एजेन्सी का चीफ था.
अगर रंग रूप से देखा जाए तो खालिद मियाँ पाकिस्तानी तो कतयि नही लगते थे.
वैसे वो थे भी जन्म से केनेडियन, वही पैदा हुए, पले बढ़े, सारी सिक्षा वही से प्राप्त की.
चूँकि पेरेंट्स पाकिस्तानी थे सो लेवेल लग गया और उसी का फ़ायदा उठा कर वो आज इस देश को कंट्रोल कर रहे थे.
नो डाउट हाइ क्वालिफाइड बंदा था ही, और बहुत सालों तक इंटेलिजेन्स सर्वीसज़ में पार्टिसिपेशन रहा था उसका, उसी का परिणाम था कि आज वो इस मुकाम पर पहुँचा था.
गोल्फ और सुंदर लड़कियों का शौकीन खालिद रोज़ शाम को 6 बजे राजधानी में स्थित गोल्फ क्लब में खेलने जाता था, जहाँ शहर के सभी टॉप मोस्ट लोग ही आते थे, फिर चाहे वो किसी भी विभाग या बिज्नीस से रिलेटेड हों.