hotaks444
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मैंने 4-5 बार ही अपने लण्ड को बाजी की चूत में अन्दर-बाहर किया था कि एकदम मेरा बैलेन्स बिगड़ गया और मैंने अपने आपको बाजी पर गिरने से बचाते हुए हाथ सामने किए.. जो सीधे बाजी के कूल्हों पर पड़े और कूल्हे नीचे दब गए और इसी झटके की वजह से मेरा लण्ड भी झटके से आगे बढ़ा और बाजी की चूत के पर्दे पर मामूली सा दबाव डाल कर रुक गया।
बाजी ने मेरे हाथों को झटके से अपने कूल्हों पर पड़ते और अपने परदा-ए-बकरत पर लण्ड के दबाव को महसूस किया.. तो सिर उठा कर तक़लीफ़ से कराहते हुए कहा- उफ्फ़.. आराम से करो नाआआ.. जंगलीईइ.. सारा अन्दर डालोगे क्या?
यह कह कर बाजी ने पीछे देखा तो मेरी पोजीशन देख कर उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं और उन्हें अंदाज़ा हुआ कि जिसस दबाव को उन्होंने अपनी चूत के पर्दे पर महसूस किया.. वो डिल्डो नहीं बल्कि उनके अपने सगे भाई का लण्ड था..
तो वो तड़फ कर चिल्ला के बोलीं- नहीं.. वसीम.. खबीस मैंने तुम्हें मना किया था.. बाहर निकालोओ जल्दीई..
यह कह कर बाजी उठने के लिए ज़ोर लगाने लगीं.. लेकिन मेरे हाथों ने बाजी के कूल्हों को दबा रखा था और मेरा पूरा वज़न बाजी पर था.. जिसकी वजह से वो उठने में कामयाब ना हो सकीं।
मैंने अपना वज़न बाजी के ऊपर से हटाते हुए कहा- कुछ नहीं होता बाजी.. देखो आपको कितना ज्यादा मज़ा आ रहा था!
बाजी ने भर्राई हुई आवाज़ में कहा- नहीं वसीम.. इसे फ़ौरन निकालो और मुझे उठने दो.. नहीं तो मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी.. याद रखना।
यह कहते ही उन्होंने फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया।
यह हक़ीक़त है कि मैं अपनी बहन की आँखों में कभी आँसू नहीं देख सकता हूँ.. सेक्स या हँसी-मज़ाक़ अपनी जगह.. लेकिन बाजी की आँखें नम देख कर मेरा दिल बंद होने लगता है।
बाजी अभी जिस तरह फूट कर रोई थीं.. मैं दंग रह गया। बाजी को इस तरह रोता देख कर मेरी हवस ही गुम हो गई।
मैंने तड़फ कर अपना लण्ड बाजी की चूत से बाहर खींचा.. तो वे फ़ौरन ज़ुबैर के ऊपर से उठ कर साइड पर बैठ गईं।
‘अच्छा बाजी प्लीज़ रोओ मत.. मैं कुछ नहीं कर रहा प्लीज़ बाजी.. चुप हो जाओ..’
मैं यह कह कर आगे बढ़ा और बाजी को अपनी बाँहों में ले लिया।
बाजी ने एक झटका मारा और मुझे धक्का दे कर मेरी बाँहों के हलक़े से निकल गईं और शदीद रोते हुए कहा- वसीम मैंने मना किया था ना तुम्हें.. क्यों मुझे इस तरह ज़लील करते हो.. मैं खुद ये करना चाहती हूँ.. लेकिन मैं इसके लिए अभी तैयार नहीं हूँ।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ.. इतनी शिद्दत से बाजी को रोते हुए मैंने पहले कभी नहीं देखा था.. मेरी समझ में कुछ ना आया.. तो मैंने बाजी को बाँहों में लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा- बाजी आई लव यू.. मैं आप से बहुत मुहब्बत करता हूँ.. मैं कभी ये नहीं चाहता कि आपको कोई तक़लीफ़ दूँ या आप की मर्ज़ी के खिलाफ कुछ करूँ.. बस पता नहीं क्या हो गया था मुझे.. प्लीज़ बाजी माफ़ कर दो मुझे।
यह कह कर मैंने बाजी को फिर बाँहों में लेना चाहा.. तो उन्होंने चिल्ला कर गुस्से से कहा- नहींईईई नाआअ वसीम.. दूर रहो मुझसे..
वे रोते-रोते ही खड़ी हो कर अपने कपड़े उठाने लगीं।
ज़ुबैर इन सारे हालात पर बिल्कुल खामोश और गुमसुम सा बैठा था, उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि बाजी को या मुझे कुछ कहे या आगे बढ़े।
बाजी को इस तरह बेक़ाबू देख कर मैंने भी दोबारा उनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं की और उनसे दूर खड़ा खामोशी से उन्हें क़मीज़ सलवार पहनते देखता रहा।
बाजी अभी भी रो रही थीं और उनकी आँखों से आँसू गिरना जारी थे।
रोते-रोते ही बाजी ने अपनी सलवार पहनी और फिर क़मीज़ से अपने आँसू साफ करके क़मीज़ पहन ली। लेकिन ना तो बाजी के आँसू रुक रहे थे और ना ही उनकी हिचकियाँ कम हो रही थीं।
उन्होंने अपना स्कार्फ सिर्फ़ पर बाँधा और ब्रा से अपनी आँखों को रगड़ते हुए हमारी तरफ नज़र डाले बगैर रूम से बाहर चली गईं।
बाजी के जाने के बाद भी मैं कुछ देर वैसे ही गुमसुम सा खड़ा रहा कि एकदम से ज़ुबैर की आवाज़ आई- भाई.. भाई आप थोड़ा..
मैंने ज़ुबैर के पुकारने से घूम कर उसे देखा और उसकी बात काट कर बोला- यार अब तो मेरा दिमाग मत चोदने लग जाना.. मैं वैसे ही बहुत टेन्शन में हूँ।
मैं यह बोल कर ऐसे ही नंगा ही अपने बिस्तर की तरफ चल दिया.. तो ज़ुबैर सहमी हुए से अंदाज़ में बोला- भाई आप मुझ पर क्यों गुस्सा हो रहे हैं.. मेरा क्या क़ुसूर है?
मुझे ज़ुबैर की आवाज़ इस वक़्त ज़हर लग रही थी। उसके दोबारा बोलने पर मैंने गुस्से से उससे देखा.. तो उसकी मासूम और मायूस सूरत देख कर मेरा गुस्सा एकदम से झाग की तरह बैठ गया और मैंने सोचा यार वाकयी ही इस बेचारे का क्या क़ुसूर है.. मैंने उससे कुछ नहीं कहा और बिस्तर पर लेट कर अपनी आँखों पर बाज़ू रख लिया।
सारे वाकिये की वीडियो रेकॉर्डिंग
तकरीबन 5-7 मिनट बाद मुझे कैमरा याद आया.. तो मैंने आँखों से बाज़ू हटा कर ज़ुबैर को देखा.. वो अभी तक वहाँ ज़मीन पर ही बैठा था लेकिन अब उसका चेहरा नॉर्मल नज़र आ रहा था और शायद वो कुछ देर पहले के बाजी के साथ गुज़रे लम्हात में खोया हुआ था।
मैंने उसके चेहरे पर नज़र जमाए हुए ही उसे आवाज़ दी- ज़ुबैर!!
उसने चौंक कर मुझे देखा और बोला- जी भाई?
‘यार वो कैमरा टेबल पर पड़ा है.. उसकी रिकॉर्डिंग ऑफ कर दे।’
यह कहते ही मैंने वापस अपनी आँखों पर बाज़ू रखा ही था कि ज़ुबैर की खुशी में डूबी आवाज़ आई- वॉववव भाई.. आपने सारी मूवी बनाई है?
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बाजी के बारे में सोचने लगा.. मुझे अपने आप पर शदीद घुसा आ रहा था कि मैंने अपनी फूल जैसी बहन को इतना रुलाया किया था कि अगर मैं अपने ऊपर कंट्रोल करता और ये सब ना करता..
लेकिन मैं भी क्या कर सकता था.. उस वक़्त मेरा जेहन कुछ सोचने-समझने के क़ाबिल ही नहीं रहा था।
ऐसी भी क्या बेहोशी यार.. मर्द को अपने ऊपर इतना तो कंट्रोल होना ही चाहिए।
मैं ऐसी ही मुतज़ाद सोचों से लड़ रहा था कि आहिस्ता-आहिस्ता बिस्तर के हिलने से मेरे ख़यालात का सिलसिला टूटा और मैंने आँखें खोल कर देखा तो ज़ुबैर बिस्तर की दूसरी तरफ लेट कर कैमरा हाथ में पकड़े हमारी मूवी देखते हुए मुठ मार रहा था।
मैंने चिड़चिड़े लहजे में कहा- यार क्या है ज़ुबैर.. सोने दे मुझे.. जा बाथरूम में जा कर देख.. वहाँ ही मुठ मार..
मेरे इस तरह बोलने से ज़ुबैर डर कर फ़ौरन उठते हुए बोला- अच्छा भाई सॉरी.. आप सो जाओ।
वो बाथरूम की तरफ चल दिया।
ज़ुबैर के जाते ही मैंने दोबारा अपनी आँखें बंद कर लीं.. मेरा जेहन बहुत उलझा हुआ था।
बाजी के रोने की वजह से दिल पर अजीब सा बोझ था और उन्हीं सोचों से लड़ते-झगड़ते जाने कब मुझे नींद आ गई।
बीच रात की बात
अपनी गर्दन पर शदीद तक़लीफ़ के अहसास से मेरे मुँह से एक सिसकी निकली.. बेसाख्ता ही मेरे हाथ अपनी गर्दन की तरफ उठे और बालों के गुच्छे में उलझ गए।
मैंने हड़बड़ा कर आँख खोली तो एक जिस्म को अपने ऊपर झुका पाया..
वो जिस्म मेरे ऊपर बैठा था और उसने अपने दाँत मेरी गर्दन में गड़ा रखे थे कि जैसे मेरा खून पीना चाहता हो।
मैंने उसके सिर के बालों को जकड़ा और ज़रा ताक़त से ऊपर की तरफ खींचा तो मेरी नज़र उसके चेहरे पर पड़ी।
वो चेहरा तो मेरी बहन का ही था.. लेकिन अजीब सी हालत में.. बाजी के बाल बिखरे और उलझे हुए थे। दाँतों को आपस में मज़बूती से भींच रखा था और आँखें लाल सुर्ख हो रही थीं कि जैसे उन में खून उतरा हुआ हो!
उनके बाल मेरे हाथ में जकड़े हुए थे और ताक़त से खींचने की वजह से उनके चेहरे पर दर्द का तब्स्सुर भी पैदा हो गया और गुलाबी रंगत लाली में तब्दील हो कर एक खौफनाक मंजर पेश कर रही थी।
वो चेहरा बाजी का नहीं बल्कि किसी खौफनाक चुड़ैल का चेहरा था।
मेरी नींद मुकम्मल तौर पर गायब हो चुकी थी.. मैं हैरत से बुत बना बाजी के चेहरे को ही देखा जा रहा था और मेरी गिरफ्त उनके बालों पर ढीली पड़ चुकी थी।
बाजी ने अपने सिर पर रखे मेरे हाथ को कलाई से पकड़ा और झटके से अपने बालों से अलग करके सीधी बैठीं.. तो बाजी के सीने के बड़े-बड़े उभारों और खड़े पिंक निप्पल्स पर मेरी नज़र पड़ी.. जो आज कुछ ज्यादा ही तने हुए महसूस हो रहे थे।
उसी वक़्त मुझ पर ये वज़या हुआ कि बाजी बिल्कुल नंगी हैं.. कुछ देर पहले बाजी के नंगे उभार मेरे सीने से ही दबे हुए थे.. लेकिन तक़लीफ़ के अहसास और फिर बाजी की अजीब हालत के नज़ारे में खोकर मैं इस पर तवज्जो नहीं दे सका था।
बाजी ने मेरे हाथों को झटके से अपने कूल्हों पर पड़ते और अपने परदा-ए-बकरत पर लण्ड के दबाव को महसूस किया.. तो सिर उठा कर तक़लीफ़ से कराहते हुए कहा- उफ्फ़.. आराम से करो नाआआ.. जंगलीईइ.. सारा अन्दर डालोगे क्या?
यह कह कर बाजी ने पीछे देखा तो मेरी पोजीशन देख कर उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं और उन्हें अंदाज़ा हुआ कि जिसस दबाव को उन्होंने अपनी चूत के पर्दे पर महसूस किया.. वो डिल्डो नहीं बल्कि उनके अपने सगे भाई का लण्ड था..
तो वो तड़फ कर चिल्ला के बोलीं- नहीं.. वसीम.. खबीस मैंने तुम्हें मना किया था.. बाहर निकालोओ जल्दीई..
यह कह कर बाजी उठने के लिए ज़ोर लगाने लगीं.. लेकिन मेरे हाथों ने बाजी के कूल्हों को दबा रखा था और मेरा पूरा वज़न बाजी पर था.. जिसकी वजह से वो उठने में कामयाब ना हो सकीं।
मैंने अपना वज़न बाजी के ऊपर से हटाते हुए कहा- कुछ नहीं होता बाजी.. देखो आपको कितना ज्यादा मज़ा आ रहा था!
बाजी ने भर्राई हुई आवाज़ में कहा- नहीं वसीम.. इसे फ़ौरन निकालो और मुझे उठने दो.. नहीं तो मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी.. याद रखना।
यह कहते ही उन्होंने फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया।
यह हक़ीक़त है कि मैं अपनी बहन की आँखों में कभी आँसू नहीं देख सकता हूँ.. सेक्स या हँसी-मज़ाक़ अपनी जगह.. लेकिन बाजी की आँखें नम देख कर मेरा दिल बंद होने लगता है।
बाजी अभी जिस तरह फूट कर रोई थीं.. मैं दंग रह गया। बाजी को इस तरह रोता देख कर मेरी हवस ही गुम हो गई।
मैंने तड़फ कर अपना लण्ड बाजी की चूत से बाहर खींचा.. तो वे फ़ौरन ज़ुबैर के ऊपर से उठ कर साइड पर बैठ गईं।
‘अच्छा बाजी प्लीज़ रोओ मत.. मैं कुछ नहीं कर रहा प्लीज़ बाजी.. चुप हो जाओ..’
मैं यह कह कर आगे बढ़ा और बाजी को अपनी बाँहों में ले लिया।
बाजी ने एक झटका मारा और मुझे धक्का दे कर मेरी बाँहों के हलक़े से निकल गईं और शदीद रोते हुए कहा- वसीम मैंने मना किया था ना तुम्हें.. क्यों मुझे इस तरह ज़लील करते हो.. मैं खुद ये करना चाहती हूँ.. लेकिन मैं इसके लिए अभी तैयार नहीं हूँ।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ.. इतनी शिद्दत से बाजी को रोते हुए मैंने पहले कभी नहीं देखा था.. मेरी समझ में कुछ ना आया.. तो मैंने बाजी को बाँहों में लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा- बाजी आई लव यू.. मैं आप से बहुत मुहब्बत करता हूँ.. मैं कभी ये नहीं चाहता कि आपको कोई तक़लीफ़ दूँ या आप की मर्ज़ी के खिलाफ कुछ करूँ.. बस पता नहीं क्या हो गया था मुझे.. प्लीज़ बाजी माफ़ कर दो मुझे।
यह कह कर मैंने बाजी को फिर बाँहों में लेना चाहा.. तो उन्होंने चिल्ला कर गुस्से से कहा- नहींईईई नाआअ वसीम.. दूर रहो मुझसे..
वे रोते-रोते ही खड़ी हो कर अपने कपड़े उठाने लगीं।
ज़ुबैर इन सारे हालात पर बिल्कुल खामोश और गुमसुम सा बैठा था, उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि बाजी को या मुझे कुछ कहे या आगे बढ़े।
बाजी को इस तरह बेक़ाबू देख कर मैंने भी दोबारा उनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं की और उनसे दूर खड़ा खामोशी से उन्हें क़मीज़ सलवार पहनते देखता रहा।
बाजी अभी भी रो रही थीं और उनकी आँखों से आँसू गिरना जारी थे।
रोते-रोते ही बाजी ने अपनी सलवार पहनी और फिर क़मीज़ से अपने आँसू साफ करके क़मीज़ पहन ली। लेकिन ना तो बाजी के आँसू रुक रहे थे और ना ही उनकी हिचकियाँ कम हो रही थीं।
उन्होंने अपना स्कार्फ सिर्फ़ पर बाँधा और ब्रा से अपनी आँखों को रगड़ते हुए हमारी तरफ नज़र डाले बगैर रूम से बाहर चली गईं।
बाजी के जाने के बाद भी मैं कुछ देर वैसे ही गुमसुम सा खड़ा रहा कि एकदम से ज़ुबैर की आवाज़ आई- भाई.. भाई आप थोड़ा..
मैंने ज़ुबैर के पुकारने से घूम कर उसे देखा और उसकी बात काट कर बोला- यार अब तो मेरा दिमाग मत चोदने लग जाना.. मैं वैसे ही बहुत टेन्शन में हूँ।
मैं यह बोल कर ऐसे ही नंगा ही अपने बिस्तर की तरफ चल दिया.. तो ज़ुबैर सहमी हुए से अंदाज़ में बोला- भाई आप मुझ पर क्यों गुस्सा हो रहे हैं.. मेरा क्या क़ुसूर है?
मुझे ज़ुबैर की आवाज़ इस वक़्त ज़हर लग रही थी। उसके दोबारा बोलने पर मैंने गुस्से से उससे देखा.. तो उसकी मासूम और मायूस सूरत देख कर मेरा गुस्सा एकदम से झाग की तरह बैठ गया और मैंने सोचा यार वाकयी ही इस बेचारे का क्या क़ुसूर है.. मैंने उससे कुछ नहीं कहा और बिस्तर पर लेट कर अपनी आँखों पर बाज़ू रख लिया।
सारे वाकिये की वीडियो रेकॉर्डिंग
तकरीबन 5-7 मिनट बाद मुझे कैमरा याद आया.. तो मैंने आँखों से बाज़ू हटा कर ज़ुबैर को देखा.. वो अभी तक वहाँ ज़मीन पर ही बैठा था लेकिन अब उसका चेहरा नॉर्मल नज़र आ रहा था और शायद वो कुछ देर पहले के बाजी के साथ गुज़रे लम्हात में खोया हुआ था।
मैंने उसके चेहरे पर नज़र जमाए हुए ही उसे आवाज़ दी- ज़ुबैर!!
उसने चौंक कर मुझे देखा और बोला- जी भाई?
‘यार वो कैमरा टेबल पर पड़ा है.. उसकी रिकॉर्डिंग ऑफ कर दे।’
यह कहते ही मैंने वापस अपनी आँखों पर बाज़ू रखा ही था कि ज़ुबैर की खुशी में डूबी आवाज़ आई- वॉववव भाई.. आपने सारी मूवी बनाई है?
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बाजी के बारे में सोचने लगा.. मुझे अपने आप पर शदीद घुसा आ रहा था कि मैंने अपनी फूल जैसी बहन को इतना रुलाया किया था कि अगर मैं अपने ऊपर कंट्रोल करता और ये सब ना करता..
लेकिन मैं भी क्या कर सकता था.. उस वक़्त मेरा जेहन कुछ सोचने-समझने के क़ाबिल ही नहीं रहा था।
ऐसी भी क्या बेहोशी यार.. मर्द को अपने ऊपर इतना तो कंट्रोल होना ही चाहिए।
मैं ऐसी ही मुतज़ाद सोचों से लड़ रहा था कि आहिस्ता-आहिस्ता बिस्तर के हिलने से मेरे ख़यालात का सिलसिला टूटा और मैंने आँखें खोल कर देखा तो ज़ुबैर बिस्तर की दूसरी तरफ लेट कर कैमरा हाथ में पकड़े हमारी मूवी देखते हुए मुठ मार रहा था।
मैंने चिड़चिड़े लहजे में कहा- यार क्या है ज़ुबैर.. सोने दे मुझे.. जा बाथरूम में जा कर देख.. वहाँ ही मुठ मार..
मेरे इस तरह बोलने से ज़ुबैर डर कर फ़ौरन उठते हुए बोला- अच्छा भाई सॉरी.. आप सो जाओ।
वो बाथरूम की तरफ चल दिया।
ज़ुबैर के जाते ही मैंने दोबारा अपनी आँखें बंद कर लीं.. मेरा जेहन बहुत उलझा हुआ था।
बाजी के रोने की वजह से दिल पर अजीब सा बोझ था और उन्हीं सोचों से लड़ते-झगड़ते जाने कब मुझे नींद आ गई।
बीच रात की बात
अपनी गर्दन पर शदीद तक़लीफ़ के अहसास से मेरे मुँह से एक सिसकी निकली.. बेसाख्ता ही मेरे हाथ अपनी गर्दन की तरफ उठे और बालों के गुच्छे में उलझ गए।
मैंने हड़बड़ा कर आँख खोली तो एक जिस्म को अपने ऊपर झुका पाया..
वो जिस्म मेरे ऊपर बैठा था और उसने अपने दाँत मेरी गर्दन में गड़ा रखे थे कि जैसे मेरा खून पीना चाहता हो।
मैंने उसके सिर के बालों को जकड़ा और ज़रा ताक़त से ऊपर की तरफ खींचा तो मेरी नज़र उसके चेहरे पर पड़ी।
वो चेहरा तो मेरी बहन का ही था.. लेकिन अजीब सी हालत में.. बाजी के बाल बिखरे और उलझे हुए थे। दाँतों को आपस में मज़बूती से भींच रखा था और आँखें लाल सुर्ख हो रही थीं कि जैसे उन में खून उतरा हुआ हो!
उनके बाल मेरे हाथ में जकड़े हुए थे और ताक़त से खींचने की वजह से उनके चेहरे पर दर्द का तब्स्सुर भी पैदा हो गया और गुलाबी रंगत लाली में तब्दील हो कर एक खौफनाक मंजर पेश कर रही थी।
वो चेहरा बाजी का नहीं बल्कि किसी खौफनाक चुड़ैल का चेहरा था।
मेरी नींद मुकम्मल तौर पर गायब हो चुकी थी.. मैं हैरत से बुत बना बाजी के चेहरे को ही देखा जा रहा था और मेरी गिरफ्त उनके बालों पर ढीली पड़ चुकी थी।
बाजी ने अपने सिर पर रखे मेरे हाथ को कलाई से पकड़ा और झटके से अपने बालों से अलग करके सीधी बैठीं.. तो बाजी के सीने के बड़े-बड़े उभारों और खड़े पिंक निप्पल्स पर मेरी नज़र पड़ी.. जो आज कुछ ज्यादा ही तने हुए महसूस हो रहे थे।
उसी वक़्त मुझ पर ये वज़या हुआ कि बाजी बिल्कुल नंगी हैं.. कुछ देर पहले बाजी के नंगे उभार मेरे सीने से ही दबे हुए थे.. लेकिन तक़लीफ़ के अहसास और फिर बाजी की अजीब हालत के नज़ारे में खोकर मैं इस पर तवज्जो नहीं दे सका था।