Antarvasna kahani माया की कामुकता - SexBaba
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Antarvasna kahani माया की कामुकता

hotaks444

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माया


फ्रेंड्स "माया" ये एक ऐसी बला है जो इंसान के ना चाहने पर भी उसके ऊपर हावी हो जाती है इसीलिए तो बुजुर्गों ने कहा है माया तेरे तीन नाम "परसी" "परसा" "परशुराम" मतलब "जर" "जोरू" और "ज़मीन" दोस्तो आप सोच रहे होंगे कि ये क्या बात हुई तो मैं बस यही कहूँगा कि "को जग जाय न व्यापी माया" 

एक और कहानी आपके लिए शुरू होने वाली है इस कहानी को लिखा है त्रिवेणी का रोमियो ने इसी लिए इसका सारा क्रेडिट इसके लेखक को जाता है मुझे उम्मीद है आपका जैसा प्यार पहली कहानियों को मिला है वैसा ही प्यार इस कहानी को भी मिलेगा

फ्रेंड्स हम सभी लोगों के जीवन में पैसे की बहुत अहेमियत है.. हम चाहते हैं हमारे पास हर वो सुख हो जिससे हमारी ज़िंदगी आराम से गुज़रे... हर वक़्त, हर पल हम अपने नफे नुकसान के बारे में सबसे पहले सोचते हैं.


पैसा है तो उसे संभालने की मुसीबत... पैसा नही है तो उसे कमाने की इच्छा... हम दिन में कई बार सोचते हैं.. "काश... पैसा आ जाए कहीं से..."



पैसों के बाद बात आती है ताक़त की.... जब इंसान के पास पैसा आ जाता है, वो सब पे राज करना चाहता है.. वो चाहता है जहाँ वो जाए लोग उसे सलाम करें, उसके सामने झुकें, उसकी इज़्ज़त करें.... पैसे वाला अक्सर चाहता है कि उसके संबंध बड़े लोगों के साथ होने चाहिए... बड़े, नामी गिरामी लोगों के साथ उठना बैठना हो, वो जहाँ जायें लोग उन्हे जाने पहचाने.... चाहे वो पोलीस हो, बिज़्नेस मेन, या मंत्री और संतरी... बस, बड़े कॉंटॅक्ट्स तो चाहिए ही. 


हां... दिन तो गुज़र गया पैसे कमाने में... शाम गुज़री बड़े लोगों के साथ... लेकिन रात.. रात को जनाब , काटना बहुत मुश्किल होता है.. चाहे वो पैसे वाला हो या ग़रीब, जिस्म की भूक हर किसी को लगती है.. किसी ने सही कहा है, यह जिस्म प्यार नहीं जानता, जानता है तो सिर्फ़ भूक... जिस्म की भूक... इंसान की यह भूक कभी ख़तम नहीं होती, यह तो बस बढ़ती जाती है..


इंसान के सर पे जब इन तीन चीज़ो को हासिल करने का भूत सवार हो जाता है, तब... तब क्या होता है.. जानने की कोशिश करेंगे हम इस कहानी से.. यह कहानी मिश्रण है अडल्टरी और इन्सेस्ट का.. यह कहानी गुज़रेगी पुणे से न्यू यॉर्क वाया मुंबई.
 
तो आइए, अब मिलते हैं इस कहानी के कुछ प्रमुख किरदारों से....




भारत :- 




महाराष्ट्रा में मुंबई का रहने वाला भारत, एक 27 वर्षीया युवक जो अभी अपना एमबीए कंप्लीट करने वाला है.. कॉलेज का ड्यूड तो नहीं कह सकते, पर हां, है वो सब लड़कियों का फॅवुरेट... चाहे किसी को देर रात में आइस क्रीम चाहिए हो, या फिर सुबह सवेरे पिज़्ज़ा खानी हो... भारत हर चीज़ पे अपना जुगाड़ बिठाना जानता था.. वैसे उसकी यह सर्विस सिर्फ़ लड़कियों के लिए ही थी... क्यूँ कि वो कुछ फ्री में नहीं करता था.. अगर वो रात को किसी को आइस क्रीम खिलाता था, तो खुद भी अपनी प्यास भुजाके आता था.. भारत अभी किसी सीरीयस रिलेशन्षिप के लिए तैयार नहीं था, या यूँ कहिए के वो किसी कमिटमेंट में बंधना नहीं चाहता था... कॉलेज में एक्सट्रा करिक्युलर आक्टिविटीस के लिए सबसे आगे रहता था... यह कॉलेज का ड्रामा और फुटबॉल टीम की सक्सेस ही थी जिस वजह से वो लड़कियों में छाया हुआ था.. पढ़ाई में कभी पीछे नहीं था, लेकिन इतना आगे भी नहीं था... मिडियोकर स्टूडेंट था वो, जो हमेशा 65 % से पास हुआ है, और उसका यह रेकॉर्ड आज तक नहीं टूटा.. भारत 21 साल में अपना +5 कंप्लीट करके सेल्स की जॉब में लग गया.. सेल्स ऑफ फाइनान्षियल प्रॉडक्ट्स, म्यूचुयल फंड्स, डेमाट अकाउंट्स, बॅंक अकाउंट्स.. 4 साल तक सेल्स की फील्ड में काम करके भारत को पता चला लोगों को बॉटल में उतारने का सबसे अच्छा और सक्सेस्फुल तरीका,और कौनसी चीज़ कब बोलनी है, कहाँ बोलनी है वो उसे सेल्स की जॉब ने ही सिखाया.. यह सेल्स की जॉब ही थी जिसकी वजह से आज भारत अपने एमबीए कॅंपस में छाया हुआ था.. जब वो बोलता था उसके दोस्त उसको सुनना पसंद करते थे, वो कभी भारत की कंपनी में बोर नहीं होते... हाइ प्रोफाइल पार्टीस, हाइ प्रोफाइल लोगों से मिलना, फॅसिनेटिंग लाइफस्टाइल का दीवाना था भारत. चाहे वो उसके कपड़े हो या उसके जूते, या घड़ी हो, या चाहे वो उसका पर्फ्यूम.. भारत सब कुछ ब्रॅंडेड पहेनता था... उसके नॉर्मल कपड़े में सीके की जीन्स, लूयिस विटटन की शर्ट, बेरलूटि के जूते और टॅग्य्यूवर की घड़ी आती थी.... उसका मानना था अगर पैसा खर्च नहीं करेंगे तो पैसा कमाने की ज़्यादा इच्छा नहीं होगी...भारत.. एक बहुत ही इमपेशेंट बंदा या अग्रेसिव...जो भी समझिए, वैसा था... उसके दोस्तों को भारत से सिर्फ़ यह शिकायत थी के वो सुनता बिल्कुल नहीं है, या सुनके अनसुना कर देता था.. लाइफ में कुछ ज़्यादा ही प्रॅक्टिकल बंदा था...जबसे उसने एमबीए जाय्न किया उसने दिमाग़ में हमेशा एक ही चीज़ का टारगेट बनाया था.... "पैसा...पैसा...और ज़्यादा पैसा...."



राकेश :- 



55 साल के राकेश, भारत के पिता.. वैसे तो वो बिज़्नेस्मेन हैं, पर ज़्यादातर वक़्त वो स्टॉक मार्केट्स में ही गुज़ारते हैं.. स्टॉक मार्केट्स जब ठंडे पड़े तो राकेश अपना ध्यान बिज़्नेस में लगाते... पैसों की कोई कमी नहीं थी इनके पास.. बस डर था तो भारत का.. राकेश को हमेशा यह डर था के भारत कुछ ज़्यादा तेज़ी से उड़ता था... वो उसका लाइफस्टाइल देख के घबराते थे.. पैसों की वजह से नहीं, डर था तो भारत के आटिट्यूड से.... राकेश हमेशा जानते थे के उनके बाद भारत ही उनका एक लौता वारिस है जो इस जयदाद का मालिक बनेगा... पर क्या वो यह सब संभाल पाएगा.. इसी डर के साथ राकेश रोज़ सुबह उठते, और इसी डर के साथ रोज़ रात को सोते.... वैसे एक चीज़ का और ज़्यादा डर था उन्हे.. भारत की नफ़रत उनके रिश्तेदारों के प्रति.. भारत अपने कज़िन्स से कभी बात नहीं करता.. जब भी उसके रिलेटिव्स उनके घर आते, भारत कोई ना कोई बहाना बनके घर से बाहर चला जाता और दोस्तों के साथ वक़्त गुज़ारता अपना.. लेकिन भारत का नालेज स्टॉक मार्केट्स में राकेश को भाता था... जब भी राकेश कहीं निवेश करता था भारत के कहने पे तभी राकेश को उम्मीद से दुगना फ़ायदा होता था... भारत की इसी चीज़ की वजह से राकेश उसपे चाह के भी गुस्सा नहीं करता था.. राकेश रोज़ अपना शेड्यूल फॉलो करते, मॉर्निंग 7 तो 9 जिम आंड ब्रिस्क वॉक... 9 तो 10 टी विद हिज़ वाइफ, 10 तो 11 रेडी होके अपने काम में लग जाते... इनकी शाम हमेशा इनकी बीवी के साथ समुन्द्र के किनारे निकलती, जहाँ यह शाम की ताज़ी हवा खाते और घर आके अपनी फेव स्कॉच.. राकेश हमेशा भारत को बिज़्नेस जाय्न करने के लिए कहते, पर भारत हमेशा से अपनी फ्रीडम चाहता था, तभी तो पहले सेल्स की जॉब और एमबीए के बाद भी वो जॉब की प्लॅनिंग कर रहा था..राकेश हमेशा भारत को प्यार से रिश्तों की एहमियत समझाता था.. बदले में भारत सिर्फ़ एक ही जवाब देता..

"डॅड... सब पैसों का खेल है.. आज आप के पास पैसा है तो रिलेटिव्स आपसे पूछते हैं.. कल जब मेरे पास अपना पैसा होगा ना तो यही रिलेटिव्स मेरे पास भी मुझसे मेरा हाल पूछने आएँगे"
 
सीमी :- 



उमर 50 साल.. राकेश की बीवी, भारत की माँ.. सीमी की ज़िंदगी के सिर्फ़ दो ही लक्ष्य थे.. एक, राकेश को स्टॉक मार्केट्स में से बाहर निकालना, और दूसरी. भारत की शादी करना.... उनकी पहली इच्छा तो पूरी होने से रही, पर उनकी दूसरी इच्छा को पूरा करने के लिए आए दिन लड़कियों की फोटोस मँगवाती और भारत को ईमेल करती.. भारत ने अपनी माँ के एक भी ईमेल का जवाब नहीं दिया था आज तक... हां, शादी को छोड़ के भारत को उसकी माँ बहुत प्यारी थी, वो जब भी कहीं फँसता हमेशा मा से पूछता क्या करना चाहिए... वैसे राकेश और सीमी की लव मॅरेज हुई थी, जिस वजह से आज भी इनका प्यार बरकरार था... सीमी ने अपने आप को अच्छी तरह मेंटेंड रखा था… जैसे राकेश अपना शेड्यूल फॉलो करते, वैसे सीमी भी कभी अपनी योगा क्लासस मिस नहीं करती.. इतना पैसा होने का बावजूद घर के सब काम सीमी खुद निपटाती, क्यूँ की उसके हिसाब से काम करने से ही बॉडी फिट रहेगी, अगर ज़रा भी सुस्ती की तो शरीर लटक जाएगा.
 
दीपा :- 



23 साल की युवती, हाल ही में उसने अपना बॅच्लर्स इन इंजिनियरिंग कंप्लीट किया है.. और अपनी पढ़ाई पूरी करके अभी एक कॉलेज में लेक्चरर की जॉब करती है.. दीपा, एक सेन्सिबल बंदी है... उसकी ज़िंदगी में पैसों के साथ साथ रिश्तों की भी उतनी ही एहमियत है... तभी तो अपने रिश्तेदारो में दीपा सब की फॅवुरेट थी.. कुछ भी मुश्किल हो, दीपा को कॉंटॅक्ट करो...

जहाँ दीपा सुलझी हुई बंदी थी, वहीं वो किसी से ज़्यादा बात करना पसंद नहीं करती थी.. अपने आप में रहने वाली लड़की, जो सुबह कॉलेज जाती थी पढ़ाने, शाम को वक़्त पे घर आ जाती थी.. कॉलेज में उसके ज़्यादा दोस्त नहीं थे, क्यूँ कि वो बहुत ही सेलेक्टिव थी, किसी को फालतू मूह नहीं लगाती थी.. अपने काम से काम रखती थी.... इसलिए तो उसके दोस्त कम थे, और रिश्तेदार ज़्यादा थे..दीपा एक आंबिशियस लड़की थी और अपने दम पे कुछ करना चाहती थी.. उसके उसूल कहीं ज़्यादा मज़बूत थे.. उसकी ना मतलब ना... फिर कोई उसे कन्विन्स नहीं कर सकता था कभी.. दीपा का फिगर, 34-28-34 होगा..



अशोक :- दीपा के पिता, उमर 49 साल.. इनका कपड़े का व्यापार था.. रीटेल स्टोर था जिनसे इनके घर का गुज़ारा होता था.. इनके जीवन की जितनी ज़रूरतें थी वो उसके हिसाब से कमाते थे... घर पे कोई कमी नहीं थी... जितने कमाते उतना इन्हे काफ़ी पड़ जाता.. दीपा इनकी लाडली है, यह कहीं भी फंसते तो दीपा से उसका सल्यूशन माँगते थे



चाँदनी :- 



दीपा की छोटी बहेन, उमर 21 साल.... लेकिन दीपा के बिल्कुल विपरीत, घर में सबसे ज़्यादा बदमाश और तूफ़ानी थी... कोई इसे देख के अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता था कि यह दीपा की बहेन है.. इसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और अभी घर पे ही बैठी रहती.. क्यूँ कि इसे कहा गया था कि काम सीखो, शादी ही तो करनी है.. अनलाइक दीपा, इसे पढ़ाई में बिल्कुल इंटेरेस्ट नहीं था.. वो आराम से सुबह उठती , काम करती और सो जाती... अपने मोहल्ले की बॉम्ब थी चाँदनी... जब घर से निकलती, लड़के उसे देख के वहीं रुक जाते.. या यूँ कहा जाए कि लड़के उसके जाने के लिए रास्ता बना देते थे उसे देख के... उसका फिगर 36 द- 28- 36



सिद्धार्थ :- 





सिद्धार्थ कुमार.. जहाँ भारत एक हाइ क्लास बाप का सूपर ड्यूपर हाइ क्लास बेटा, वहीं सिद्धार्थ एक अप्पर मिड्ल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करता था.. सिड के पापा एक कंपनी में सीनियर मॅनेजर की नौकरी करते थे.. सिद्धार्थ अपने पापा की तरह ही लाइफ में सक्सेस्फुल बनना चाहता था.. तभी तो वो बहुत ही अच्छे नंबर्स से एंट्रेन्स टेस्ट क्लियर करके एमबीए करने आया था पुणे... बचपन से लेके एमबीए तक, सिड ने सभी एग्ज़ॅम्स में टॉप किया था.. कॉलेज के शुरू के कुछ दिनो में स्टूडेंट्स में भारत और सिड की कंपॅरिज़न होने लगी... सिड हमेशा एक डाउन टू अर्थ बंदा था, बट धीरे धीरे वो खुद को भारत का कॉंपिटिटर मानने लगा... कॉलेज की फुटबॉल टीम का कॅप्टन था और उसी टीम में भारत फॉर्वर्ड की पोज़िशन में खेलता था... जहाँ सिड अपनी गोल कीपिंग से सब को इंप्रेस करने की ट्राइ करता था, वहीं भारत अपने सूपर किक्स की बदोलत छा जाता था.. हर मॅच के बाद सिड को यह बात बहुत परेशान करती कि कॅप्टन से ज़्यादा क्रेडिट भारत को मिलती थी... सिड ने काफ़ी बार अपने कोच से बात की कि भारत की पोज़िशन चेंज की जाए, पर वो कामयाब नहीं हुआ.. इसी वजह से आज सिड , भारत को अपना कट्टर दुश्मन मानता था... पर भारत ने कभी इन बातों पे ध्यान नहीं दिया... उसका मानना था कि उसके कॉंपिटेशन में कोई नहीं, क्यूँ कि हर एक बंदा यूनीक है.. तभी तो वो कॅंपस में बहुत ही फेमस था, और सिड, फुटबॉल टीम का कॅप्टन, पढ़ाई में टॉपर होते हुए भी, गिने चुने लोगों का ही दोस्त था..



यह हैं कहानी के कुछ मुख्य किरदार... जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी, वैसे वैसे उनका इंट्रोडक्षन भी आएगा
 
कॉलेज में एग्ज़ॅम का आखरी दिन... भारत रोज़ सुबह की तरह, पुणे में बसे अपने कॉलेज के हॉस्टिल रूम नंबर 312 में सो रहा था... पता नहीं क्या लगाव था इसे 6 नंबर से, कि जब हॉस्टिल में रूम के लिए अप्लाइ किया, उसने सॉफ कहा था ऐसे रूम दो मुझे जिनका टोटल 6 हो.. रूम ना मिलने पर उसने हॉस्टिल वॉर्डन के साथ सेट्टिंग करके पैसे खिलाए और रूम बदलवा दिया अपना.. सुबह 7 बजे जैसे ही उसका अलार्म बजा



"ओह.... यार, व्हाई डू मॉर्निंग्स कम सो अर्ली" कहके भारत ने अपना मोबाइल उठा के अलार्म को स्नऊज़ किया और फिर सो गया... करीब आधे घंटे बाद उसका मोबाइल फिर बजा, पर इस बार उसका अलार्म नहीं था .. यह फोन उसकी कॉलेज की स्वीटहार्ट रूबी का था... रूबी भारत के लिए कुछ भी कर सकती थी, वो दीवानी थी उसकी... हाला कि भारत ने उसे कभी ऐसा कुछ करने को नहीं कहा, लेकिन रूबी हमेशा भारत के लिए हाज़िर रहती थी.. 



"नो बेब्स... कॅन’ट स्पीक टू यू नाउ.." कहके भारत ने उसका फोन कट किया और अपने बेड से उठ खड़ा हुआ.. बेड से उठके उसने सबसे पहले अपने कमरे का दरवाज़ा खोला, सुबह की ठंडी धूप में भारत को नज़ारा भाने लगा… कुछ देर नज़ारा निहारने के बाद, भारत अपने वॉशरूम में गया.. वहाँ अपना माउथवाश ना देख के भारत बाहर आया और अपनी मोम को फोन लगाने में व्यस्त हो गया



"मॉर्निंग सीमी.. हाउ आर यू स्वीटहार्ट" भारत अपनी मोम को उनके नाम से या स्वीटहार्ट कहके बुलाता था...



"मॉर्निंग बेटे, ऑल सेट फॉर युवर एग्ज़ॅम.." सीमी ने भारत से पूछा



"यआः मोम, रात को थोड़ा लेट हो गया, जस्ट गॉट अप नाउ" कहके भारत अपनी आँखें मीचने लगा



"ओह.. सो स्वीट ऑफ यू डार्लिंग, पहला कॉल मुझे ही" सीमी ने अपनी चाइ की चुस्की लेते हुए जवाब दिया



"मोम, यू नो ना, सुबह सबसे पहले मैं आपसे ही बात करता हूँ.. " भारत ने खुश होके जवाब दिया



"हां बेटा आइ नो.. चलो अब गेट रेडी, आंड डू वेल ओके.. बाय, लव यू" कहके सीमी ने फोन रख दिया




सीमी के साथ कॉल ख़तम करके भारत ने अपने कॅंटीन वाले को फोन घुमाया



"डेम्पो, भोसड़ी के तुझसे मैने लिस्टेरिने कहा था ना रात को, लाया क्यूँ नहीं साले... तो, तो चूतिए लिस्टेरिने नहीं था तो पेप्सी के कॅन्स ला देता, अब जल्दी से तीन पेप्सी के कॅन्स पहुँचा मेरे पास, " कहके भारत ने गुस्से में फोन काटा और रूबी को कॉल्लबॅक किया



"यस बेब.. टेल मी" भारत ने रूबी से कहा



"गुड मॉर्निंग बेबी, उठे कि नहीं, आंड फोन क्यूँ नहीं उठाया मेरा" रूबी ने अपनी उत्साह वाली आवाज़ में कहा



"बेब, यू नो ना, सबसे पहले मैं मोम के साथ बात करता हूँ.." भारत ने रूखा सा जवाब दिया



"हां बाबा, बट शादी के बाद भी उनसे ही बात करोगे सबसे पहले" रूबी ने सामने से कहा



"बेब्स, कॅन यू प्लीज़ कट दिस क्रॅप.. हज़ार बार आइ हॅव टोल्ड यू आइ आम नोट सीरीयस इन माइ रिलेशन्षिप्स ऑलराइट.. आंड तुमसे भी कह चुका हूँ, सो वॉट'स दा प्राब्लम हाँ" भारत ने रूबी को वोही जवाब दिया जो वो हर लड़की को देता है



"कूल डाउन ओके.. आइ वाज़ किडिंग" रूबी ने अपनी बात को मज़ाक कहा



"बेब्स, आइ डोंट लाइक दिस ओके.. चल सी यू इन क्लासरूम" कहके भारत ने फोन कट किया



भारत और रूबी पिछले 6 महीने से दोस्त थे., जहाँ भारत उसे दोस्त ही मानता था, रूबी उससे प्यार करती थी... हाला कि 3 महीने पहले ही जब रूबी ने उसे प्रपोज़ किया तब भारत ने उसे सीधा मना किया था यह कह कर, कि वो रिश्तों का बोझ नहीं उठा सकता... रूबी और भारत काफ़ी बार सेक्स कर चुके थे.. भारत ने उसे कभी वादा नहीं किया था कि वो उससे शादी करेगा
 
"बेब्स, आइ वान्ट टू लिव माइ लाइफ विद स्पीड ओके.. आंड शादी क्या, कोई भी रिश्ता मुझे बोझ लगता है मेरे मोम डॅड को छोड़ के... सो अगर तुम मुझसे सीरीयस प्यार करती हो, तो प्लीज़ डोंट डू इट.. और अगर सेक्स करना चाहती हो तो आइ आम ओके..." भारत ने उसे सॉफ कहा था एक बार..




"नॉक..नॉक.. सर, आपके पेप्सी कॅन्स" कॅंटीन के लड़के ने उसको अपने ख़यालों से जगाया


"तो दे ना इधर.." भारत ने अपने वॉलेट से 500 का नोट निकालते हुए कहा


"यह पकड़, और जा" भारत ने उस लड़के को कहा



"साहब, छुट्टा नहीं है.."



"अरे मेरे बाप मैने माँगा तुझसे छूटता.. तू जा ना, मैं डेम्पो से समझ लूँगा चल"



जैसे ही वो लड़का गया, भारत वॉशरूम में घुसा और ब्रश करके पेप्सी के 2 कॅन्स के साथ अपने गार्गल्स किए... क्लासरूम के लिए तैयार होके वो अपने रूम से निकला और दौड़ दौड़ के क्लासरूम में पहुँचा



"मे आइ कम इन सर..." क्लास रूम में बैठे सर ने दो आवाज़ें सुनी.. एक तो भारत की, दूसरी थी उसके सो कॉल्ड कॉंपिटिटर की... सिधार्थ


"भारत.. यस कम इन आंड टेक युवर सीट" सर ने भारत को अंदर बुलाया और भारत सिड को स्माइल देके अंदर जाके अपनी बेंच पे बैठ गया



"सिड, व्हाई आर यू सो लेट... दिस ईज़ नोट आक्सेप्टबल ओके" सर ने उसे अंदर बुला के कहा



"बट सर, ईवन भारत..." सिड ने इतना ही कहा कि सर ने उसे जवाब दिया


"सिड, प्लीज़ तुम अपने टाइम पे रहो.. भारत को टाइम मॅनेज्मेंट मैं सिखा दूँगा ओके.. राइट भारत" कहके सर ने भारत को स्माइल दी



"ऊह सर... वैसे, आइ आम ऑल्सो सॉरी हाँ, फॉर बीयिंग लेट" भारत ने हंस के जवाब दिया.. उसका जवाब सुनके क्लास में बैठे सभी स्टूडेंट्स हँसने लगे..



"ओह नो प्राब्लम.." कहके सर ने सिड को अपनी जगह पे बैठने का ऑर्डर दिया




"ड्यूड... व्हाट'स दा कॅच हाँ.. कल सुबह तक तो यह तुझे देखना भी पसंद नहीं करता था, आज सुबह सडन चेंज हाँ" भारत के पास बैठे उसके सबसे अच्छे दोस्त राहुल ने कहा



"मेरे भाई.. कल सुबह और आज सुबह के बीच में एक रात आती है... वन नाइट..." भारत ने अपनी शैतानी स्माइल के साथ कहा



"व्हाट !!! क्या हुआ ऐसा कल रात को हाँ ?" राहुल ने सर्प्राइज़ होके भारत से पूछा
..................................................

"ओह बेब.... यू आर दा हॉटेस्ट आइ हॅव एवर बिन विद ऑन बेड.." भारत अपनी चुदाई ख़तम करके अपने पार्ट्नर से बोलने लगा


पिछली शाम भारत , शालिनी के रूम में आइस क्रीम पहुँचाने गया था... शालिनी को क्वालिटी वॉल्स चाहिए थी वो भी स्ट्रॉबेरी फ्लेवर... क्यूँ कि कॅंटीन में मिली नहीं, शालिनी ने अपनी इच्छा भारत को बताई.. स्ट्रॉबेरी फ्लेवर के साथ भारत ने चॉक्लेट फ्लेवर का भी बंदोबस्त कर लिया था, जो उसका पर्सनल फेवोवरिट था सेक्स में...

"उम्म... पूरी शाम पेलते रहे उसके बाद भी फ्रेश लग रहे हो... क्या एनर्जी है तुम में भारत, उपर से चॉक्लेट की महक से तो सेक्स करने की इच्छा और बढ़ गयी..." शालिनी अपने बेड से उठके सिगरेट जलाती बोली


"तुम चीज़ ही ऐसी हो जानेमन.. तुम पहली लड़की हो जिसने पूरी चुदाई में "आइ लव यू" नही कहा... आइ नो लोग चुदाई में पागल होके लव यू वगेरह बोलते हैं, बट बेबी यू आर डॅम प्रॅक्टिकल" भारत ने अपने लिए सिगरेट लेते हुए कहा


"हाए रे, ऐसा मत बोल यार, प्यार तो तुझसे कॉलेज के सभी पटाखे करते हैं, पर मेरा ध्यान फिलहाल कल के एग्ज़ॅम में है, उसका टेन्षन बहुत है यार" शालिनी अपने बेड के सामने रखे टेबल पे अपने पेर फेलाती हुई उसको बोली


"ईको बेब, डॅम ईज़ी सब्जेक्ट, उसमे क्या लोचा है ? " भारत अपनी टीशर्ट पहनने लगा


"बेबी... प्लीज़ हेल्प मी ना, कल मेरे मार्क्स अच्छे आयें, ऐसा कुछ कर ना " शालिनी अपने होंठों पे अपनी जीभ फेरती हुई बोली


"व्हाट कॅन आइ डू बेब्स, स्टडी युवरसेल्फ़ ओके" भारत अपनी टीशर्ट पहेन के रूम से निकलता हुआ बोला


"धाधाांम्म्ममम....." की आवाज़ से रूम का दरवाज़ा बंद हुआ, और शालिनी एक बार फिर अपने कमरे में अकेली हो गयी और उसके दिमाग़ में घूमने लगा एकनॉमिक्स का भूत..


"यार, कैसे पास हो पाउन्गि कल... मुझे कुछ आता भी नहीं" शालिनी अपने आप से बोलने लगी और जाके शीशे के सामने खड़ी हो गयी


"उम्म्म्म...जितनी सेक्सी बॉडी है मेरी काश उतना अच्छा दिमाग़ भी होता एकनॉमिक्स के मामले में" शालिनी अपने होंठों पे उंगली फिराती बोली.. धीरे धीरे अब वो खुद के चुचों पे आई और अपने निपल्स को भींच दिया


"सीयी...आहह.एम्म्म" शालिनी सिसकती हुई बोली
 
शालिनी वर्मा:-



पुणे की रहने वाली थी.. घर पे बैठना उसे अच्छा नही लगता, वो तो बस अपने दोस्तों के सहारे ज़िंदगी गुज़ारने के सपने देखती.. उसका बाप भी पुणे के फेमस बिल्डर्स में से एक था... शालिनी दोस्तों के लिए ही एमबीए करने यहाँ आई और यहीं के हॉस्टिल में रहने लगी.. शालिनी का फिगर, किल्लर था.. नॅचुरल ब्यूटी थी वो, उसके 34बी के चुचे हर लड़के के मूह में पानी ला देते, 26 की कमर उसकी, लो वेस्ट जीन्स जब पहनती, तब अपनी कमर पे एक पतली सी चैन बाँध देती... 34 की जांघें उसकी, हर किसी लंड पे वार करती.. जब वो चलती, उसकी मटकती गान्ड और उछलते चुचे लड़कों के दिल पे बिजलियाँ गिराती... कॉलेज के ज़्यादातर लड़के शालिनी पे चान्स मार चुके थे पर उसने किसी को घास नहीं डाली.. शालिनी की घायलों की लिस्ट में था भारत का सो कॉल्ड कॉंपिटिटर सिद्धार्थ... सिड उसे अपना जीवन साथी बनाना चाहता था, पर शालिनी कभी उसकी बात का जवाब नहीं देती.. 


"सिड, प्लीज़ ग्रो अप यार... मैं यहाँ से उस जाने वाली हूँ, और तुमसे शादी करके मैं अपनी लाइफ को स्लो नहीं करना चाहती" शालिनी ने सिड को कहा था जब सिड ने उसे दबे लफ़्ज़ों में प्रपोज़ किया था...


आईने के सामने खड़े शालिनी को 15 मिनिट के करीब हो चुके थे, एक हाथ से अपने चुचे सहलाती और एक हाथ अपनी चूत पे रगड़ने लगी थी... 


"उम्म्म्म...आहह यअहह आहमम्म्म.... ओह्ह्ह.... नूऊऊओ" शालिनी ने अपनी चूत और चुचे से हाथ हटाते हुए घड़ी पे नज़र डालते हुए कहा


"यह ईको, ना तो दिमाग़ में जाती है, ना तो चूत में कुछ करने देती है" शालिनी झल्ला के शीशे के सामने से हटी और जाके बेड पे बैठ के किताब पढ़ने लगी... कपड़ों के नाम पे शालिनी ने एक लोंग टी-शर्ट पहनी थी जो उसके घुटनो के थोड़ा उपर तक आ रहा था.. अंदर ब्लॅक ब्रा और पैंटी... नीचे उसकी चिकनी सफेद टाँगें नंगी थी... वक़्त शाम के 7 बजने वाला था, भारत के साथ की हुई चुदाई को एक घंटा गुज़र चुका था... शालिनी को धीरे धीरे अब दिमाग़ में पढ़ाई घुस रही थी, उसका पूरा ध्यान अब बुक में था, तभी..


"नॉक नॉक" दरवाज़े पे हुए इस आवाज़ से उसका ध्यान टूटा


"व्हाट दा फक.. अब कौन आ गया" शालिनी गुस्से में बेड से उठके दरवाज़े के पास जाने लगी..


"हू ईज़...." शालिनी दरवाज़ा खोलके सिर्फ़ इतना ही बोली, तभी सामने खड़े शक़्स को देख के चौंक सी गयी


"सर, आप... इस वक़्त.... यहाँ ?" शालिनी सामने खड़े भार्गव सर को देख के बोली


"हेलो मिस शालिनी..." भार्गव सर ने अंदर आते हुए कहा... "वो , भारत ने मुझे बताया कि तुम्हे एकनॉमिक्स समझ नही आ रही... इसलिए उसने मुझे रिक्वेस्ट की कि मैं पर्सनली यहाँ आके तुम्हे थोड़ा गाइड करूँ" भार्गव सर चेर पे बैठ कर बुक देखने लगे...


"सो, क्या बॉदर कर रहा है शालिनी तुम्हे ईको में ?" भार्गव सर ने अपने रीडिंग ग्लासस पहेन के शालिनी से पूछा..

शालिनी, भार्गव सर के आने से शॉक्ड तो थी ही, पर उससे ज़्यादा शरम उसे अपने कपड़ों की वजह से आ रही थी... 

"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू..." इस आवाज़ से शालिनी की नज़र कोने में पड़े अपने फोन पे गयी

"सर, एक्सक्यूस मी फॉर आ सेक प्लीज़ " कहके शालिनी ने फोन लिया और कमरे से बाहर चली गयी

"बेब... दिस ईज़ व्हाट आइ हॅव अरेंज्ड फॉर यू.. नाउ यू नो व्हाट टू डू" भारत ने उसे सामने से फोन पे कहा

"बट, हाउ... आइ मीन , व्हाट" शालिनी अपनी लड़खड़ाती हुई ज़बान से बोली

"कम ऑन डार्लिंग , ही ईज़ दा इंचार्ज फॉर टुमॉरो'स एग्ज़ॅम... आइ नीड नोट से एनितिंग एल्स आइ गेस..." कहके भारत ने फोन कट कर दिया

शालिनी ने तुरंत भारत कॉल्लबॅक किया

"व्हेर आर यू" शालिनी ने भारत को पूछा

"व्हाई.." भारत अपनी नूडल्स ख़ाता हुआ बोला

"थॅंक्स आ टोन डार्लिंग.. " शालिनी ने दबी आवाज़ में कहा

"नो थॅंक्स बेब, कल इसकी फीस देना, आइ हंग्री नाउ, बाय " कहके भारत ने फोन कट किया

"यह ऐसा क्यूँ है" शालिनी मन में यह सवाल लेके अपने रूम में चली गयी

"मिस शालिनी, वेस्टिंग लॉट ऑफ टाइम नाउ... कॅन वी प्लीज़ स्टार्ट, टेल मी व्हाट'स युवर प्राब्लम इन दिस सब्जेक्ट" भार्गव ने अपनी कड़क आवाज़ में अंदर आती शालिनी से पूछा

"उः सर.. दिस टॉपिक ईज़ दा प्राब्लम..." शालिनी ने भार्गव के आगे झुक के कहा, जिससे उसकी लूस टी-शर्ट का गला खुल गया, और उसके दो चुचे भार्गव की आँखों के सामने आ गये... भार्गव का ध्यान जो अब तक बुक में था, शालिनी के चुचों पे उसका ध्यान पड़ते ही, भार्गव के लंड में अकड़न चालू हो गयी.. शालीन जैसी युवती का ऐसा रूप देख तो बूढ़ों के मरे हुए लंड में भी जान आ जाए, भार्गव तो फिर भी 48 साल का हॅटा कट्टा आदमी था... शौकीन आदमी, हमेशा शराब और शबाब के ख़यालों में रहता, कॅंपस में रहके यह शौंक उसका कभी पूरा नही हुआ था, पर भारत ने आज उसका ध्यान रखा, इसके लिए शालिनी का यह रूप देख वो अंदर ही अंदर खुश हो रहा था.
 
"उः.... ओह हां... उम्म.... " भार्गव ने बस इतना ही कहा कि शालिनी इस बार उसके पास आके बैठ गयी, उसका एक हाथ बुक के पेज पे, और एक हाथ उसने जान बुझ के भार्गव की जाँघ पे रखा..


"सर... यह समझाइये ना प्लीज़, मुझे तो दिमाग़ में घुस ही नहीं रहा यह सब" शालिनी अपने हाथों के साथ अपने चुचे हिलाती हुई बोल रही थी... शालिनी के हिलते चुचे देख भार्गव के लंड में उभार बढ़ता जा रहा था..


"उहह... हां यह दरअसल, यह ऐसा है के... उहह आक्च्युयली इसमे..." भार्गव शब्द खोजने लगा 


यह देख शालिनी ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा


"सर... आइ गेस यूआर नोट कंफर्टबल हाँ.... आप रिलॅक्स हो जाइए प्लीज़.. लेट मी हेल्प यू..." यह कहके शालिनी ने हल्के हल्के भार्गव के जांघों पे हाथ फिराते हुए, अपनी उंगलियों का जादू चलाने लगी...जांघों से होके शालिनी भार्गव के पैरो के पास जाके उसके जूते निकालने लगी... 


"फीलिंग बेटर सर..." शालिनी भार्गव के पैरो के बीच बैठी हुई थी..


"उम्म्म...यअहह" भार्गव बस इतना ही बोल पाया


"ओह्ह...इट्स डॅम हॉट हियर, कहके शालिनी अपनी जगह से उठी, और भार्गव का जॅकेट उतारने लगी.. जॅकेट उतारते उतारते शालिनी ज़्यादा से ज़्यादा अपने चुचों के दर्शन करवाने लगी.... एक एक कर सब बटन खुलते ही भार्गव के जॅकेट को शालिनी ने कोने में फेंका... भार्गव का खड़ा हुआ लंड अब शालिनी के नज़रों से छुपा हुआ नहीं था.. वो थोड़ा और टीज़ करना चाहती थी भार्गव को


"अरे सर, थोड़े और रिलॅक्स होइए ना..." कहके शालिनी ने भार्गव को धक्का दे दिया बेड पे और भार्गव के बेड पे गिरते ही, शालिनी उसके उपर चढ़ गयी... शालिनी की नंगी जाँघो को अब भार्गव का लंड सॉफ महसूस हो रहा था


"उम्म्म... आइ लव दा स्मेल ऑफ आ मॅन... सर" शालिनी अपने होंठ भार्गव के होंठों के पास ले जाती हुई बोली
शालिनी की गरम साँसें और उसकी तेज़ धड़कन को अब भार्गव महसूस कर रहा था... कुछ पल के लिए भार्गव और शालिनी की नज़रें एक दूसरे पे अटक ही गयी थी..

"ओह... ईवन आइ लव दा सेंट ऑफ आ वुमन माइ डियर.. ब्लू लेडी..." भार्गव ने अपने नाक से शालिनी की बगल को सूंघते हुए कहा

"ओह... आइ आम इंप्रेस्ड .... सर्र्र्र्र्र्ररर......" शालिनी ने कसकते हुए अंदाज़ में जवाब दिया

"पढ़ाई करें माइ डियर...." भार्गव ने शालिनी को अपने आप से कसते हुए कहा

"कौनसी पढ़ाई सर... मैं तो बस अब काम सुत्र में ही रूचि रखती हूँ..." कहके शालिनी भार्गव से अलग हुई और सामने पड़ी चेर पे जाके अपनी एक टाँग चढ़ा दी.. शालिनी ने अपनी नंगी जाँघो को दिखाते हुए अपने लिए एक सिगरेट जला ली और उसके कश मारते हुए आँखों से भास्कर को अपने पास बुला लिया... भास्कर ने न्योता स्वीकारा और बेड से उठके शालिनी के पास जाने लगा.. भास्कर के पॅंट में उसका लंड तंबू बनके झूलने लगा था जिसे शालिनी ने नोट कर लिया और उसकी कामुक मुस्कान और भी ज़्यादा फेल गयी.... 

"उफ़फ्फ़... इस मेंथोल फ्लेवर में तुमने अपने होंठों का रस मिला के मुझे और भी पागल बना दिया शालिनी बेटी..." भास्कर अब शालिनी के रंग में रंगते हुए उसके हाथ से ही सिगर्रेट का कश लेते हुए बोला

"आप अपनी बेटी के साथ भी ऐश करते हैं क्या सर..." शालिनी ने अपने कामुक अंदाज़ में अपनी जांघों पे उंगलियाँ फेरते हुए भास्कर से पूछा...

“हाअई…. जब ऐसी बेटी हो, मैं तो बेटीचोद बनने में एक पल भी नहीं सोचूँ बेटी… उसके साथ ऐश क्या, सब करने को रेडी हो जाउ मैं तो…” कहके भास्कर ने अपने लंड पे हाथ घमाया और एक नज़र से शालिनी को देख के मुस्कुराहट दी..


“उम्म्म्म… लगता है आपको अभी भी कंफर्ट नहीं आया.. पर सर, कल की एग्ज़ॅम के लिए मुझे तैयारी करनी है, तो आप बाद में आइए प्लीज़… मैं नहीं चाहती मैं कल फैल हो जाउ” शालिनी ने जान बुझ के सीरीयस होते हुए कहा और अपनी टाँगें और भी ज़्यादा चौड़ी कर दी… शालिनी की पैंटी देख, भास्कर के पॅंट में उसके लंड की अकड़न और भी ज़्यादा बढ़ने लगी जिसे शालिनी ने देखा और मन ही मन में वो खुश हुई के उसका प्लान सही जा रहा है..

“अरे नहीं , ऐसे कैसे मेरी बेटी फैल होगी हाँ…. पहले पापा को खुश करो, फिर मैं तुम्हे कल के एग्ज़ॅम में फैल नहीं होने दूँगा बेटी…” भास्कर अब खुल के चुदाई के लिए शालिनी से बोलने लगा

“अरे, ऐसे कैसे, मेरे पापा तो सबसे पहले मुझे जो चाहिए वो देते हैं और बदले में कुछ माँगते भी नहीं… तो आप को अगर मैं मज़ा दूं, पहले मुझे वो दीजिए जो मुझे चाहिए..” शालिनी अभी अपनी कुर्सी से उठी और जाके जीन्स पहनने लगी.. यह देख भास्कर को लगा उसकी ख्वाहिश आज भी अधूरी रह जाएगी..

“अरे नहीं शालिनी बेटी.. रूको, मैं अभी कुछ करता हूँ, तुम ऐसे ही रहो, मैं अभी आया” कहके भास्कर तुरंत शालिनी के कमरे से बाहर निकला और स्टाफ रूम की तरफ बढ़ने लगा… क्यूँ कि अंधेरा हो चुका था, उसको देखने वाला कोई नहीं था… एक लंबे से कॉरिडर से गुज़र कर भास्कर स्टाफ रूम पहुँचा और काफ़ी देर तक ड्रॉयर्स और कपबोर्ड सर्च करके उसे पार्सल मिल गया जिसकी उसको तलाश थी.. अपना काम फिनिश करके, भास्कर वापस शालिनी के कमरे में गया, जहाँ शालिनी उसी का इंतेज़ार कर रही थी.. भास्कर का लंड जो अब बैठ गया था, शालिनी को ऐसे पोज़ में देख, फिर उसका लंड उबलने लगा


शालिनी कपड़े बदल के अब एक स्कर्ट और टॉप में बैठी थी और सिगरेट के मज़े ले रही थी…
 
“उम्म्म… आ गये पापा.. अपनी बेटी के लिए क्या लाए” कहके शालिनी बेड से उठी और भास्कर की छाती पे अपना हाथ फेरने लगी

“यह देखो मेरी बेटी… “ कहके भास्कर ने आने वाले कल के एग्ज़ॅम का क्वेस्चन पेपर की कॉपी शालिनी को हाथ में पकड़ा दी

“ओह्ह्ह्ह… थॅंक्स आ लॉट….” कहके शालिनी ने ध्यान से चेक किया और जब उसे यकीन हुआ कि क्वेस्चन पेपर सही है, उसने झट से उसे अपने वॉर्डरोब में लॉक कर दिया..

“आहह.. ज़रा यह देखो, कैसे मेरे पापा का लंड अपनी बेटी को देख के उछल रहा है.. लगता है मेरे पापा बेटीचोद बन जाएँगे आज…”

"आह...क्या हुआ इसे, यह आपका लंड तो मुझे ही देख खड़ा हो रहा है पापा...अब क्या करूँ मैं इसका" शालिनी भार्गव के पास आती हुई बोली... भार्गव का लंड अब पूरी तरह से फूल चुका था..उसे अब आज़ादी की ज़रूरत थी नहीं तो भार्गव का पॅंट फटने को था


"उम्म्म आहह बेटी, अब तडपाओ मत प्लीज़... तुम्हारे पापा अब तरस रहे हैं...इनकी प्यास भुझाओ ना आहह" भार्गव ने शालिनी को अपनी तरफ खींचते हुए कहा, जिससे शालिनी के तने हुए पहाड़ी चुचे भार्गव की छाती में जा कर धँस गये. अब भार्गव का तना हुआ लंड शालिनी की चूत पे दस्तक दे रहा था जिसे शालिनी ने महसूस कर लिया... शालिनी ने ज़्यादा देर ना करते हुए अपने हाथों से भार्गव के फेस को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों से मिला लिए


"उम्म्म्म अहह उम्म्म्म यूंम्म्म ँववाहह्ा आहह... सर लव मी आहह उम्म्म्मम...आहह यस ओह आहह यॅ राइट हियर सर" कहके शालिनी ने भार्गव के हाथ अपनी सुडोल गान्ड पे रखवा दिए.. अब भार्गव और शालिनी चूमने में व्यस्त थे जबकि शालिनी के हाथ भार्गव के लंड को मुक्त करने लगे और भार्गव के हाथ शालिनी की गान्ड को दबोचने में व्यस्त हुए. 

"आमम्म्ममवाहह आहहहहह...आहह हां बेटी आहह ससिईईई..... उम्म्म्म एस पापा आहह सीईईईईईई आहमम्म्ममममममम ओह आहह हाआँ पापा और दबोचो ना मेरी गान्ड को आहह.." शालिनी और भार्गव एक दूसरे को जन्गलियो की तरह चूमे जा रहे थे. शालीन और भार्गव को बिल्कुल भी होश नहीं था.. ना तो जगह का, ना तो वक़्त का... भार्गव तो यह भी भूल गया था कि वो दरवाज़ा बंद करना भी भूल गया है.. क्यूँ कि शालिनी का रूम कॉरिडर के एक दम कोने में था, वहाँ उस वक़्त कोई नहीं आने वाला था.. एक दूसरे को बेतहाशा चूमने के बाद भार्गव से अब रहा नहीं जा रहा था.. शालिनी की गर्मी उसके लंड के लिए कुछ ज़्यादा ही हो रही थी... उसका लंड अब किसी गरम लोहे के रोड की तरह हो गया था....



"आहहहहः बेटी, अब और मत तडपा ना.. अपने पापा के लंड को अब शांति दे ना मेरी रानी बिटिया आहह..." कहके भार्गव ने शालिनी के होंठों को छोड़ा और शालिनी को नीचे झुका लिया.. शालिनी को समझते देर ना लगी अब क्या करना है... पर भार्गव को वो खूब तड़पाना चाहती थी.. इसलिए उसने भार्गव के पॅंट से ही लंड को चूमना चालू किया... भार्गव सिर्फ़ "आअहह सीईईईईईईईयाहहहहहः बेटी अब कर ना आहमम्म्मम" यही बोल पा रहा था.... शालिनी ने भार्गव की आग को और भड़काने के लिए, अपने चुचों से अपने टॉप को हटा दिया और भार्गव के लंड पे अपने चुचे रगड़ने लगी..... यह देख भार्गव की आग और भड़क गयी और वो अब शालिनी के बाल खींचने लगा.. इससे शालिनी को दर्द हुआ, पर उसका मज़ा भी आने लगा उसे.. "आहहहहहा पापा आहहहहा नाआ... अपनी बेटी का रेप करोगे क्या आहहहहहहा उम्म्म्मम मेरे पापा आआहहहहहहहाः" शालिनी ने भार्गव की आग में घी डालना चाहा.... यह सुन भार्गव ने शालिनी के बाल छोड़ दिए, और खुद ही अपनी पेंट की ज़िप खोल के अपने मूसल लंड को बाहर निकाला.. भार्गव का लंड देखते ही शालिनी चोंक गई.. इतना बड़ा लंड आज तक उसने देखा नहीं था, भारत के साथ कई बार चुदि थी, पर भारत के 7 इंच के लंड के बाद भार्गव का यह लंड उसको काफ़ी बड़ा लगा... भार्गव का लंड देख के शालिनी थोड़ा डरी तो सही, पर अगले ही पल उसने भार्गव के लंड को अपने मूह में ले लिया और उसके चुप्पे मारने लगी... भार्गव जैसे सातवें आसमान पे पहुँच चुका था.. कहाँ उसे कॅंपस में आए हुए सात महीने हुए और उसको चूत नहीं मिली थी, और आज उसको 28 वर्षीया युवती की चूत मिलने वाली थी.. यह सोच भार्गव बहुत खुश हो रहा था और मन ही मन भारत को थॅंक यू बोलने लगा था..... नीचे शालिनी अब भार्गव का पूरा पॅंट उतार चुकी थी और खुद भी नंगी हो गयी थी... लंड चूस्ते चूस्ते शालिनी भार्गव के टट्टों को भी चूसने लगी थी.,.. भार्गव को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई ऐसा भी कर सकता है..




"आआहहाहा मेरी मदरजात बेटी आहहहसिईईई... रंडी हो गयी है मेरी बिटिया रानी आहहहहा सीईईईईई.... और चूस ना मेरी भाडवी बेटी उम्म्म्ममममममम..." भार्गव मज़े लेते हुए बोलने लगा... शालिनी भार्गव को डॉमिनेट करना चाहती थी, इसलिए उसने जब देखा भार्गव को मज़ा आ रहा है, उसने उसके लंड की चुसाइ आधे में छोड़ दी. यह देख भार्गव ने पूछा "क्या हुआ बेटी आहहहहा कर ना और आहहस्सिईईईईई".. शालिनी ने जवाब दिया.. "आआहहा मेरे भडवे पापा, अपना लंड चटवा रहा है, तेरी इस मूह भोली बेटी की चूत कौन चाटेगा, उसके लिए क्या तेरी असली बेटी आने वाली है, साले रंडी जात के" कहके शालिनी बेड पे जाके लेट गयी और भार्गव को बुलाया.. भार्गव झट से जाके शालिनी की चूत पे टूट पड़ा और 69 पोज़िशन में आके अपने लंड उसके मूह में डाल दिया... शालिनी की जवान और चिकनी चूत देख भार्गव से रहा नहीं जा रहा था..

भार्गव चूत चाट चाट के लाल हो चुका था, उसमे बिल्कुल दम नहीं रहा था अब, अब वो चोदना चाहता था शालिनी को, उधर शालिनी ने भार्गव के लंड के सुपाडे पे हमला चालू रखा.. जब जब शालिनी को लगता कि भार्गव झड़ने वाला है, शालिनी उसे छोड़ देती और भार्गव को गालियाँ देती... "चूस ना साले ना मर्द कहीं के.. चूत तो चाट नहीं सकता और चोदेगा, साले भडवे चल चाट अब चूत को... करीब 15 मिनट तक भार्गव ने शालिनी की चूत को चाटा और शालिनी 2 बार झाड़ चुकी थी.. लेकिन शालिनी भार्गव को झड़ने देना नहीं चाह रही थी... जब शालिनी ने देखा कि भार्गव अब उसकी चूत को और नहीं चाट सकता, उसने भार्गव के मूह को अपनी चूत से हटाया और आगे जाके उसके मूह के सामने घोड़ी की पोज़िशन में आ गयी.. "चल चोद भडवे कहीं के, साले ना मर्द कहीं के..." कहके शालिनी ने अपनी चूत को भार्गव के आगे फेलाया.. इतनी गालियाँ सुन के भार्गव से रहा नहीं गया और उसने बिना कुछ सोचे अपना मूसल लंड जो अब अपने पूरा ताव में आ चुका था, उसने शालिनी की चूत में घुसा दिया.... 
 
जैसे ही शालिनी की चूत में लंड घुसा, करीब 10 सेकेंड के लिए शालिनी को लगा जैसे किसी ने उसकी चूत में गरम लोहा घुसा दिया आहो. "आहहहहहहा ओमम्म्मम मैं मर गयी आहहह नहीं नहाहहहहहह" शालिनी की चीख निकल गयी.. 

"क्यूँ साली रंडी, तेरे बाप को ना मर्द बोल रही थी ना ले अब भाईं की लौडि अहहहाहा.." कहके भार्गव अब उसकी चूत के अंदर अपना मूसल पेलने लगा.... 





"आहहहहहा नहीं आहहहहा.... हानन और चोदो मुझे अहहहहहा... ह्म्म्म्म म अहहहहहा और चोदो ना अहाहाहहः फक मी पापा यआःहः अहहाहाः एस फक मी हार्ड यू सोन ऑफ आ बिच अहहाहा यआःहहहहा" शालिनी अब मज़े लेने लगी... शालिनी को इतना मज़ा आने लगा कि अब वो अपनी सुडोल गान्ड को पीछे लाने लगी, जिससे भार्गव का लंड अब उसकी चूत की गहराई में उतारने लगा था... शालिनी की सुडोल गान्ड देख भार्गव से रहा नहीं गया, और अब वो उसकी गान्ड पे थप्पड़ मारने लगा...


"आहहहहहा यॅ पापा आहंम... स्पॅंक मी हार्डर अहाहाहा यआःहहहाः आइ आम आ स्लट पापा अहहहः.. आइ एम डॅडी'स लिट्ल स्लट ओह्ह्ह अहहहाहा यआहहहा फक मी हार्डर अपापा अहाहाहहहा,,," शालिनी मज़े लेती हुई बोली.. भार्गव शायद अब इससे ज़्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकता था.. जैसे ही भार्गव को लगा वो निकलने वाला है, उसने शालिनी से पूछा


"आइ एम कमिंग बेटी अहहहहा.. कहाँ निकालु.." यह सुन शलनी तुरंत उसके लंड को अपनी चूत से निकलती हुई पलटी और भार्गव के लंड की मूठ मारने लगी... शालिनी के ठंडे हाथ भार्गव के गरम लंड पे, भार्गव से रहा नहीं गया और उसने अपना सारा माल शालिनी के चेहरे पे गिरा दिया






शालिनी ने सारा का सारा माल भार्गव का, अपने अंदर गटक लिया.. और उसके बाद भी शालिनी भार्गव के टट्टों को मसल्ति रही... भार्गव में अब बिल्कुल जान नहीं बची थी.. वो कुछ ही सेकेंड्स में वहीं बेड पे गिर गया और लंबी लंबी साँसें लेने लगा.... शालिनी अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में गयी और 10 मिनट बाद खुद को सॉफ करके कपड़े पहन के बाहर आई.. जैसे ही उसने दरवाज़े पे नज़र डाली, एक पल के लिए तो वो शॉक हो गयी, पर किसी शॅक्स को खड़े देख वो मुस्कुराने लगी और धीरे धीरे आगे बढ़ के दरवाज़े के पास गयी और दरवाज़ा बंद करने लगी... दरवाज़ा बंद करके शालिनी ने एक नज़र बिस्तर पे मारी जहाँ भार्गव अभी भी लेटा हुआ था..
 
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