Antarvasna kahani मासूम - Page 3 - SexBaba
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Antarvasna kahani मासूम

मैं वैसे ही आराम से हिलता रहा और दीपा के बूब्स को मूह मे भर कर चूसने लगा और उसके पूरे बदन पर हाथ फिराने लगा

"भैया थोड़ा सा ज़ोर लगाओ देखो अंदर जाता है या नही आह भाई इतना नही बिल्कुल हल्का सा बहुत धीरे से प्लीज़ आह आह भैया अभी दोबारा अंदर बाहर करो आराम आराम से आहह.......हूंम्म......हां भैया और स्लो करो शायद इस तरह कुच्छ और अंदर चला जाए आह भाई हां बस अब रुक जाओ थोड़ी देर इतना ही अंदर बाहर करो फिर बाद मे और ज़ोर लगाना" दीपा दर्द और मज़े दोनो से बोली

मुझे दीपा को इस तरह धीरे धीरे चोदने मे बहुत मज़ा आरहा था मेरी कोशिश थी कि किसी तरह मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत मे चला जाए बाकी तो फिर घुसेड ही लूँगा

"भैया अभी थोड़ा अंदर घुसाओ लेकिन बिल्कुल आराम से आह भाई हां हां जाने दो थोड़ा और अंदर औचह........रूको मत भैया थोड़ा और ज़ोर लगाओ कुच्छ कुच्छ अंदर जा रहा है आज भैया आराम से करो मज़ा आरहा है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..बस भैया अभी रुक जाओ आह अब धीरे धीरे अंदर बाहर करो मुझे अभी दर्द हो रहा है" दीपा मेरा पूरा साथ देते हुए बोली

अब मेरा सुपाडा उसकी चूत मे पूरा घुस गया था और अब मुझे कोई डर नही था मैं आराम से अपना लंड हिलाता रहा और कुच्छ ही देर मे दीपा को मज़ा आने लगा क्योंकि मैं उसके बूब्स भी सक कर रहा था

करीब 5 मिनिट बाद मैने अपने होंठ दीपा के होंठो पर पहली बार रखे और लंड को आराम से हिलाता रहा कुच्छ ही सेकेंड मे दीपा भी मुझे किस करने लगी उसे भी मज़ा आरहा था मौका अच्छा देख कर मैने थोड़ा ज़ोर लगाया और मेरा लंड 1 इंच से ज़्यादा उसकी चूत मे घुस गया लेकिन उसकी चूत बहुत ज़्यादा टाइट थी तो मुझे बहुत परेशानी हो रही थी लंड अंदर करने मे जब मेरा ये हाल था तो मैं समझ सकता था कि दीपा का क्या हाल हो रहा होगा

मैने अपने लिप्स दीपा के लिप्स पर ही रखे थे दर्द के मारे निकली उसकी चीख मेरे मूह मे घुट कर रह गई थी और मैं उसका दर्द महसूस कर सकता था लेकिन मुझे पता था कि अभी नही किया तो काफ़ी वेट करना पड़ेगा जो मैं नही कर सकता था

कुच्छ देर बाद जब दीपा नॉर्मल हुई तो मैने अपना लंड सुपाडे तक बाहर निकाला और एक ज़ोर का धक्का और लगा दिया मेरा लंड उसकी चूत को चीरता फाड़ता हुआ लगभग आधा अंदर घुस गया

मेरा लंड आधे से ज़्यादा दीपा की चूत मे था और उसकी आँखो से लगातार आँसू बह रहे थे मेरे लिप्स अभी भी उसके लिप्स पर रखे हुए थे तो उसकी चीख एक बार फिर बाहर नही निकल पाई थी मैने उसे बहुत मजबूती से पकड़ रखा था और दीपा मेरे नीचे बिन पानी की मछली जैसे तड़प रही थी

बहुत कोशिश करने के बाद दीपा ने जैसे तैसे अपने लिप्स मेरे लिप्स से छुड़ा लिए और रोते हुए बोली "भैया मुझे मारना चाहते हो क्या, एक तो मुझे इतना दर्द हो रहा था उपर से तुमने मेरे लिप्स भी अपने लिप्स से बंद कर दिए थे मुझे सांस लेने मे कितनी तकलीफ़ हो रही थी पता है, प्लीज़ अब आराम आराम से डालना अब पहले जितना दर्द नही हो रहा है प्लीज़ धीरे धीरे करना और झटके मत मारना"

दीपा की बात सुनकर मैं उसके निपल्स को चूस्ते हुए अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और मौका देख कर थोड़ा थोड़ा अंदर भी करने लगा थोड़ी देर बाद ही मैं अपना पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा चुका था और अब वो भी मज़ा लेने लगी थी

"आह भाई अब दर्द नही हो रहा है और मज़ा भी आरहा है ऐसे ही धीरे धीरे चोदते रहो हूंम्म्ममम......" दीपा अपनी कमर हिलाते हुए बोली

दीपा की कमर हिलते देख मैं समझ गया कि अब इसे भी मज़ा आने लगा है तो मैने अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी जिससे उसे कोई फरक नही पड़ा बल्कि अब उसने भी मेरे धक्को की जवाब देना शुरू कर दिया था अपनी गान्ड उछाल कर

पहली चुदाई के मज़े लेते हुए दीपा कुच्छ भी बडबडाये जा रही थी और मैं गछागछ धक्के लगाए जा रहा था कोई 10 मिनिट की चुदाई के बाद दीपा का बदन अकड़ने लगा था मैं समझ गया था कि उसका काम होने वाला है

"आह भैया ऐसे ही धक्के लगाओ मुझे बहुत मज़ा आरहा है प्ल्ज़ पूरा बाहर निकाल कर वापस अंदर घुसेडो हां भैया सच मुझे बहुत मज़ा आरहा है भैया ऊओ.....माआ...मैं तो गई..........." कहते हुए दीपा झड़ने लगी

दीपा की टाइट चूत ने झड्ते हुए मेरे लंड को जकड लिया था जिससे मैं भी ठहर नही पाया और उसकी चूत मे ही झड़ने लगा......

झड़ने के बाद कुच्छ देर तक दीपा और मैं वैसे ही पड़े रहे लेकिन मेरा मन तो कहीं और लगा हुआ था मैं आज के आज ही दीपा की टाइट और छोटी सी गान्ड मार लेना चाहता था जो कि मेरी बहुत बड़ी फॅंटेसी थी

मैं अभी दीपा के पिछे लेट गया और उसके छोटे छोटे चुतड़ों को सहलाने लगा और अपने सेमी हार्ड लंड को उसकी गान्ड की लाइन पर घुमाने लगा

"आह....भैया क्या कर रहे हो....." दीपा कुन्मुनाई

"दीदी आपके दो होल्स तो हो गये अब इस लास्ट वाले मे ट्राइ करे क्या" मैं उसके कूल्हे दबाते हुए बोला

"लेकिन वहाँ से मज़ा आएगा क्या मुझे?" वो अपनी गान्ड पिछे धकेलते हुए बोली

"क्या बात कर रही हो दीदी लड़कियो को अपने हर होल से मज़ा आता है" मैं अपना एक हाथ आगे लाकर उसके बूब्स दबाते हुए बोला

"लेकिन दर्द भी तो होगा ना जैसे अभी चूत मे हुआ था" वो बोली

"दर्द तो होगा थोड़ा सा लेकिन बस पहली बार बाद मे तो मज़े ही है" मैं उसकी चुचियो को मसल्ते हुए बोला

"ठीक है आज जब मैं अपने भाई से चुद ही गयी हूँ और अपने दो होल्स मे लंड ले ही चुकी हूँ तो इस लास्ट होल की भी ओपनिंग कर ही दो" वो मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबाते हुए बोली जो अब तक वापस फुल हार्ड हो चुका था

अब मैने देर करना ठीक नही समझा और पास ही पड़ी तेल की शीशी उठा लाया और दीपा को घोड़ी बना कर उसकी गान्ड पर अच्छे से तेल लगा दिया और अपने लंड को भी तेल से चिकना कर लिया और दीपा की छोटी सी गान्ड के होल पर अपना लंड सेट कर दिया

"दीदी तैयार हो ना" मैं बोला

"हूंम्म....." दीपा की आवाज़ आई जबकि उसकी गान्ड मेरे लंड को महसूस करके कांप सो रही थी

"देखो थोड़ा दर्द होगा हां......." मैं बोला

"तुम अपने काम पर ध्यान दो अब जो होगा मैं देख लूँगी" वो बोली

उसकी बात सुनकर मैं समझ गया कि वो दर्द झेलने के लिए अपने आपको तैयार कर चुकी है फिर भी मैने आगे झुकते हुए अपना एक हाथ उसके मूह पर लगा दिया और लंड को अंदर घुसेड़ने लगा

उसकी टाइट गान्ड को चीरते हुए मेरा लंड पूरी तरह छिल्ते हुए अंदर जाने लगा मुझे मेरे लंड पर बहुत दर्द हो रहा था तो दीपा के दर्द का अंदाज़ा मैं लगा ही सकता था लेकिन वो चीखी या चिल्लाई नही बस अपनी गर्दन ही हिलाते रही

अभी मेरा सुपाडा ही उसकी गान्ड मे घुसा था तो उसके ये हाल थे मैने फिर दबाव बनाया और लंड को अंदर करने लगा लेकिन अब शायद दर्द दीपा की सहन से बाहर था तो वो वैसे ही बेड पर ढेर हो गई और मैं उसके उपर वैसे ही उसकी गान्ड मे लंड घुसाए गिर गया इस दौरान मेरा हाथ उसके मूह से हट गया था

"प्ल्ज़ भैया और नही प्ल्ज़ बाहर निकाल लो अपना लंड मुझे बहुत दर्द हो रहा है" दीपा रोते हुए बोली

"थोड़ी देर रुक जाओ दीदी दर्द अभी ख़तम हो जाएगा" मैं बोला

"नही नही मुझे नही रुकना और ना ही गान्ड मर्वानी है.......चलो अब अपना लंड बाहर निकालो" वो मेरे नीचे से निकलने की कोशिश करती हुई बोली

मैं समझ गया कि अब वो नही मानने वाली है लेकिन अभी नही तो कभी नही वाली सनक मुझ पर सवार हो गई थी मैं धीरे से अपना हाथ उसके मूह के पास लाया और उसका मूह दबोच कर बंद कर दिया और इससे पहले कि वो कुच्छ समझ पाती मैने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा लंड उसकी गान्ड को फाड़ते हुए आधा अंदर घुस गया

वो छटपटाई तडपी और उसने चीखना भी चाहा लेकिन एक तो मेरा पूरा भार उस पर था और दूसरे मेरा हाथ उसके मूह पर था तो उसकी पेश नही चली और मैं लगातार अपने लंड को अंदर घुसाते रहा

थोड़ी देर बाद जब मेरा 80%लंड उसकी गान्ड मे घुस गया तो मैं शांत हो गया और वैसे ही पड़ा रहा कोई 5 मिनिट बाद वो भी ठंडी पड़ गई और मेरा विरोध करना बंद कर दिया तो मैने अपना हाथ उसके मूह से हटा लिया लेकिन वो कुच्छ नही बोली और वैसे ही पड़ी रही

"दीदी अब तो दर्द नही हो रहा है ना" मैं बोला

लेकिन वो चुप ही रही

"सॉरी दीदी लेकिन मैं अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाया, प्लीज़ बताओ ना अभी तो दर्द नही हो रहा है ना" मैं बोला

"भाड़ मे जा.......मेरी गान्ड फाड़ कर रख दी और पुछ रहा है कि दर्द तो नही हो रहा है" वो गुस्से से बोली

"दीदी मैं सॉरी तो बोल चुका हूँ ना, और अब वो होना था वो तो हो गया है ना तो फिर अब मज़े लेते है ना" मैं उसके गाल चूमते हुए बोला

"बड़ा आया सॉरी वाला......" वो बोली और अपनी गान्ड को मेरे लंड पर धकेल दिया

मैं समझ गया कि अब वो तैयार है तो मैने अपना लंड बाहर खिचा और थोड़ा और तेल उसकी गान्ड मे डाल कर एक ही झटके मे पूरा अंदर घुसेड दिया और अपना एक हाथ उसके नीचे डाल कर उसकी चूत मे उंगली करते हुए उसकी गान्ड मारने लगा

तेल की चिकनाई की वजह से मेरा लंड सतसट अंदर बाहर हो रहा था और मेरी उंगली उसकी चूत को पेल रही थी

कोई 10 मिनिट की धक्कम पेली के बाद मैं उसकी गान्ड मे ही झड़ने लगा और वो भी मेरे माल को अपनी गान्ड मे महसूस करते हुए झड़ने लगी

इतनी देर की धुआधार चुदाई के बाद हम दोनो ही बहुत थक गये थे और बगैर एक दूसरे से बात किए ही सो गये शायद पूरी रात ही लग गई थी हमे क्योंकि दिन भी अब निकलने ही वाला था

जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा 11 बज रहे है और दीपा भी रूम मे नही है और मुझ पर चादर डाला हुआ है मैने चेक किया तो इस वक्त मेरे बदन पर अंडरवेर और लोवर भी था मैं समझ गया कि ये मुझे दीपा ने ही पहनाया होगा

मैं उठ कर अपने रूम मे आया और फ्रेश होकर बाहर आगया जहाँ सभी लोग बैठे हुए थे तभी दीपा भी वहाँ आई मैने देखा कि वो टाँगे फैला कर चल रही है तो मेरे होंठो पर मुस्कान आ गई जिसे भाभी ने देख लिया और इशारो मे मुझसे पुछा तो मैने भी गर्दन हिला दी कि इसका भी काम लग चुका है

अपनी छोटी सी उमर मे ही मैं अपनी 3 सग़ी बहनो और 2 कज़िन बहनो के साथ अपनी भाभी की भी सील तोड़ कर चुदाई कर चुका था और अभी सारी ज़िंदगी पड़ी थी पता नही कितनी और चूत मुझसे चुदने वाली थी

अब मैं जब भी दिल करता है और जिस के साथ भी करता है उसे चोद लेता हूँ लेकिन भैया के ना होने पर, और एक बार जब भैया घर पर नही थे तो मैने सभी को एक बेड पर नंगा करके बारी बारी से चोदा और गान्ड भी मारी

अब सभी बहनें भी एक दूसरे से शरमाती नही है और सामूहिक चुदाई का मज़ा लेती है और भाभी तो सबसे एक कदम आगे रहती है सच मे बहुत मज़ा आता है फॅमिली सेक्स करने मे

बहनो को तो नही कर मेरी भाभी को पहला बच्चा भी मेरा ही है और वो मुझसे बहुत प्यार करता है लेकिन बेचारा मुझे चाचा कहता है क्योंकि वो नही जानता है कि वो मेरी औलाद है.

दोस्तो ये कहानी यही पर समाप्त कर रहा हूँ और आशा करता हूँ ये कहानी आपको अच्छी लगी होगी 

समाप्त
 
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