hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
रिसेशन की मार
लेखक : दा_ग्रेट_वाररियर
मेरा नाम स्नेहा है. मैं गार्डेन सिटी बॅंगलुर की रहने वाली हू. अब इस वक़्त मेरी एज 28 यियर्ज़ की है और मैं एक शादी शुदा महिला हू. हमारी शादी को 4 साल बीत चुके है और मैं एक पक्की हाउसवाइफ हू. मेरे हज़्बेंड
( सतीश ) सतीश का अपना डिफरेंट टाइप्स ऑफ एलेक्ट्रिकल आक्सेसरीस का बिज़्नेस था. वो वाइर्स, होल्डर्स, प्लग्स, कनेक्टर्स और दूसरे आक्सेसरीस आइटी के कंपनीज़ और दूसरे प्राइवेट ऑफिसस मैं सप्लाइ करते थे. सतीश का काम ठीक ठाक चल रहा था. हमारी लाइफ सेट थी. हम एक मीडियम क्लास फॅमिली से बिलॉंग करते थे. सतीश के पास अपना खुद का एक घर भी था जिस्मै हम रहते थे. हमे किसी चीज़ की कोई कमी नही थी. ऊपेर वाले ने बोहोत ज़ियादा तो नही दिया था पर कम भी नही दिया था. हम बोहोत अछी तरह से रह रहे थे. मैं यह पास्ट टेन्स मैं इस लिए लिख रही हू के अब हमारा बिज़्नेस एक दम से ठप्प हो गया है रिसेशन की मार की वजह से बोहोत सारे आइटी कंपनीज़ का
दीवालिया निकल चुका था और प्राइवेट ऑफीस का भी कुछ ऐसा ही हाल था. सतीश का लॉस कुछ ज़ियादा ही हो गया था और वो अपने सप्लाइयर्स को भी पेमेंट करने के काबिल नही थे जिसकी वजह से सप्लाइयर्स ने माल सप्लाइ करना बंद कर दिया था. सतीश कर्ज़े मैं डूबते चले गये और बिज़्नेस ऑलमोस्ट बंद करना पड़ा और हमारी ज़िंदगी मैं जैसे बोहोत बड़ी कठिनाई आती चली गयी. हमारी परेशानी का दौर शुरू हो गया और सतीश बेचारे सारा दिन इधर उधर घूम घूम के अपने पेंडिंग इनवाइसस की अमाउंट्स को वसूल करने के लिए डिफरेंट ऑफिसस के चक्कर लगा चुके थे पर कही से कोई उम्मीद की किरण नज़र नही आ रही थी और कोई भी पेमेंट नही कर रहा था. रिसेशन की मार ऐसी पड़ी के हमारी ज़िंदगी मैं जैसे एक भूचाल आ गया और अब हमको खाने पीने की भी तकलीफ़ होने लगी. थोड़े ही दीनो मैं जो कुछ बचा कुचा था वो भी सब ख़तम हो गया और सतीश कर्ज़े मैं डूबने लगे और नौकरी की तलाश मैं इधर उधर भटकने लगे पर कही भी किसी किसम का भी जॉब नही मिला और इस बीच मैं ने सतीश से कहा के अगर वो कोई ख़याल ना करे तो मैं भी कही कोई जॉब कर लूँगी तो कुछ ना कुछ तो घर का खर्चा पानी चल ही जाएगा तो सतीश बड़ी मुश्किल से तय्यार हो गये और मैं अब पूरे इंडिया मैं अपने जॉब के अप्लिकेशन भेजने लगी. डेली मेरा काम यही था के पेपर्स मे आड़ देखती और अप्लाइ कर देती थी.
यह मेरी एक फॅंटेसी है और कुछ रियल इन्सिडेंट्स है जो मैं आप के साथ शेर कर रही हू. इस से पहले कि मैं अपनी फॅंटेसी स्टार्ट करू लेट मी डिस्क्राइब माइसेल्फ आंड इन शॉर्ट टू टेल यू सम्तिंग अबौट मी.
मेरा परिवार जिस्मै मेरे डॅड, मोम और मैं बॅस हम तीन ही लोग थे. मेरे डॅड एक सरकारी करमचारी थे. हमारा भी एक छोटा सा घर है लैकिन पिताजी को गवर्नमेंट क्वॉर्टर मिला हुआ था जिस्मै हम रहते थे. मैं अपनी खूबसूरती की तारीफ तो नही करना चाहती पर सच मे मैं एक बोहोत ही खूबसूरत लड़की हू यह मैं नही मेरे फ्रेंड्स कहते है. बॅंगलुर के फर्स्ट क्लास वेदर की वजह से मेरे चिक्स किसी कश्मीरी सेब की तरह गुलाबी हो गये थे, मेरा फेस राउंड और ब्राइट है. माइ स्माइल ईज़ माइ ट्रेषर और जब स्माइल देती तो गालो मैं छोटे छोटे डिंपल्स पड़ते है जो बोहोत अच्छे लगते हैं. मेरे बाल थोड़े से कर्ली है पर डार्क ब्लॅक और शाइनिंग वाले है. मेरी आँखें काली और बड़ी बड़ी चमकदार है फ्रेंड्स बोलते है कि आइ हॅव लाइव्ली एएस जैसे आँखें बोल रही हो और अगर कोई मुझ से बात करता है तो मेरी आँखो की गहराई मैं और मेरी मुस्कान मे डूब जाता है. मैं हेर आयिल तो यूज़ नही करती पर फिर भी लोग ऐसा फील करते है जैसे मैं हेर आयिल लगाए
हुए हू, ई मीन टू से कि मेरे बाल इतने शाइनिंग वाले है. मेरे दाँत मोटी जैसे सफेद और चमकदार है और जब मैं स्माइल देती हू तो ऑलमोस्ट हाफ मोती जैसे चमकते हुए दाँत दिखाई देते है. मैं उतनी मोटी तो नही पर दुबली पतली भी नही मीडियम बिल्ट है मेरी. आइ हॅड वेरी गुड हेल्थ. मेरा बदन भरा भरा है जो बोहोत ही सेक्सी लगता है. मेरे बूब्स का साइज़ 36” है, एक दम से कड़क और बोहोत ही पर्फेक्ट शेप मे है, गोल गोल है ऐसा लगता है जैसे कोकनट को हाफ कट कर के मेरे चेस्ट पे रख दिया हो जिन के ऊपेर लाइट चॉक्लेट कलर के निपल्स है जो मोस्ट्ली एरेक्ट ही रहते है और लाइट ब्राउन कलर के 1 इंच का आरियोला है और मेरे बूब्स बोहोत ही कड़क है एक दम से सख़्त पत्थर जैसे. यूँ तो मैं ब्रस्सिएर पेहेन्ति हू पर जब घर मे रहती हू तो मोस्ट्ली अवाय्ड करती हू और ऐसे टाइम पे मेरे निपल्स मेरे शर्ट के ऊपेर से सॉफ एरेक्ट और खड़े हुए दिखाई देते है और जब मैं चलती हू तो मेरे शर्ट के अंदर जब कपड़ा निपल्स से रगड़ता है तो मुझे बोहोत ही मज़ा आता है, ऐसा लगता है जैसे कोई धीरे धीरे मेरे निपल्स की मसाज कर रहा है. मेरे बूब्स और निपल बोहोत ही सेन्सिटिव है. थोडा सा भी टच मुझे मज़ा देता है और जैसे मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ने लगती है. मैं अपनी चूत के बालो को हमेशा ट्रिम कर के शेप मैं रखती हू और फर्स्ट क्लास ट्रिम देती हू. मुझे अपनी ट्रिम किए हुए छोटे छोटे नरम और मुलायम झांतो वाली चूत बोहोत अछी लगती है और मैं उसपे बोहोत प्यार से हाथ फेरेती और ऐसे ट्रिम बालो पे मसाज करना मुझे बोहोत अछा लगता है और मेरा ख़याल है के हर लड़की को अपनी चूत प्यारी होती है और हर लड़की अपनी चूत पे प्यार से हाथ फेरती है जैसे मैं फेरती हू.
मैं कॉमर्स की ग्रॅजुयेट हू और जब मैं बी. कॉम के फर्स्ट एअर मे थी तब मैं ने फर्स्ट टाइम अपनी चूत का मसाज किया था.
मैं लाइट एक्सर्साइज़ भी करती थी जिस से मेरी बॉडी पर्फेक्ट शेप मे है. एक दिन मैं कॉलेज से वापस आई और बाथरूम मैं शवर लेने चली गई. मेरे बाथरूम मे एक लाइफ साइज़ का मिरर भी लगा हुआ है जिस्मै मैं अपने नंगे बदन को बोहोत देर तक देखती और अप्रीशियेट करती रहती थी, अपने बूब्स को भी लाइट मसाज करती थी. उस दिन शवर लेने के लिए जब अपने कपड़े उतारे तो मे एज यूषुयल अपने बूब्स का मसाज किया और फिर मिरर मे अपने नंगे बदन को देखते देखते पता नही कब और कैसे मेरा हाथ अपनी चूत पे चला गया और जैसे के मैं प्यार से अपनी चूत पे हाथ फेरती हू उसी तरह से चूत पे हाथ फेरने लगी तो उस दिन मुझे ऐसे प्लेषर का एहसास हुआ जो पहले कभी नही हुआ था और देखते ही देखते मेरी मिड्ल फिंगर चूत के दाने को रगड़ते रगड़ते चूत के अंदर चली गयी और मैं अज्ञाने मे अपनी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल के चोदने लगी और तो मुझे ऐसा मज़ा आया जो
पहले कभी नही आया था, मेरा सारा बदन गरम हो गया, मेरी आँखे बंद हो गयी और साँसें तेज़ी से चलने लगी और 2 – 3 मिनिट के अंदर ही मेरा बदन सुन्न हो गया और जैसे मेरे दिमाग़ मैं आँधियाँ चलने लगी मेरा बदन काँपने लगा और फर्स्ट टाइम एवर इन माइ लाइफ मेरी चूत मे से जूस बह के चूत के बाहर निकलने लगा और मैं लाइफलेस हो के बाथरूम के फ्लोर पे बैठ गई और फिर फ्लोर पे ही लेट गयी और मुझे लगा के शाएद मैं 10 – 15 मिनिट के लिए सो गयी. जब मैं अपने सेन्सस मे वापस आई तो मुझे महसूस हुआ के मेरे बदन मे मीठा मीठा नशा सा फैला हुआ है और मुझे अपना बदन बोहोत ही हल्का हल्का महसूस होने लगा और मुझे लगा जैसे मैं हवाओ मे उड़ रही हू. मैं फ्लोर से उठ गई और शवर ले के बाहर आ गई. उस दिन के बाद से मेरा मूड एक दम से चेंज दिखाई देने लगा मुझे हर चीज़ अछी लगने लगी और मैं अक्सर अपने आप मे गाना गाने लगी और अकेले मे मुस्कुराने लगी और उसके बाद से मैं रात मे डेली सोने से पहले अपनी चूत को बोहोत प्यार से सहलाती हू और फिर अच्छी तरह से चूत के दाने को रगड़ के और चूत के अंदर उंगली डाल के मास्टरबेट कर के जूस निकाल देती हू और उसके बाद ही सोती हू जिस से मुझे बोहोत अछी मीठी और गहरी नींद आती है.
जब मैं बी.कॉम के 2न्ड एअर मई थी तब मेरी फ्रेंडशिप मेरे एक कॉलेज फेलो रवि से हो गई वोमेरे से एक साल सीनियर था उस से फ्रेंडशिप हो गई थी जो ऑलमोस्ट 1 साल तक मेरा बॉय फ्रेंड रहा. उसके साथ मैं थियेटर मे फिल्म देखने जाती थी, कभी हम पार्क मे घूमने भी चले जाते थे और कभी ईव्निंग मे रेस्टोरेंट मे भी जा के कॉफी वाघहैरा पीते थे. हम काफ़ी क्लोज़ हो गये थे. एक शाम कॉलेज के छोटे से पार्क के कॉर्नर मे उसने मुझे पहला टॅंक सकिंग पॅशनेट किस किया और साथ मे उसके हाथ मेरे बूब्स पर भी आ गये और वो मेरे बूब्स को स्क्वीज़ करने लगा. उसका हाथ मेरे बूब्स पे लगते ही मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ने लगी और आइ ब्रोक दा किस क्यॉंके मुझे पता था कि मेरे बूब्स और निपल्स कितने सेन्सिटिव है और इफ़ आइ अलो हिम टू स्क्वीज़ मोर टू मेरी चूत से जूस वही निकल जाता. उसके बाद वी केम क्लोज़र टू ईच अदर और जब हम थियेटर मे होते तो वो अपने हाथ मेरे बदन पे इधर उधर घुमाता और लोगो की नज़र बचा के मेरे थाइस पे हाथ रख देता और थियेटर के अंधेरे मे मेरी चूत का भी मसाज करता जिसकी वजह से मोस्ट ऑफ दा टाइम्स मैं वही थियेटर के अंदर ही झाड़ जाती. और मेरा हाथ ले कर अपने लौदे पर रख देता. उसका आकड़े हुए लौदे को पकड़ते ही मेरी चूत गीली हो जाती. मैने हमेशा ही उसके लंड को पॅंट के ऊपेर से ही पकड़ा था कभी नेकेड लंड को नही पकड़ा जिसकी वजह से मुझे उसके लंड का साइज़ भी नही मालूम, बॅस इतना जानती थी के उसका लंड बोहोत ही कड़क हो जाता था जब मैं हाथ मे उसके लंड को पकड़ती तो. जब जब भीहमको मोका मिलता वी किस ईच अदर आंड हे स्क्वीज़ मी बूब्स आंड मसाज माइ पुसी ओवर माइ क्लोद्स.
रवि से मिलने के बाद से ही मेरे अंदर सेक्स की भावना बढ़ने लगी और मैं इंटरनेट पे लंड, चूत और चुदाई के फोटोस और वीडियो क्लिप्स देखने लगी और उसके बाद से मेरा मास्टरबेशन करना कुछ ज़ियादा ही हो गया पर मैं ने रवि को कभी चोदने नही दिया. एक अछी और रिप्यूटेड फॅमिली से होने की वजह से मे चाहती थी के मैं अपनी चूत की सील शादी के बाद अपने पति से ही तुडवाउन्गि और अपने पति को ही अपनी वर्जिनिटी प्रेज़ेंट करूगी. पर शादी के बाद ख़याल आया के मैं ने रवि को एक मौका दिया होता तो अछा होता काश के रवि भी मुझे चोद देता. एनिहाउ अब क्या हो सकता था जो होना था वो हो चुका था.
मेरी फॅंटेसी शादी के थोड़े ही दीनो मे शुरू होती है जिसे मैं ऊपेर लिख चुकी हू अब मैं यहा से अपनी फॅंटेसी स्टार्ट करती हू.
मेरी शादी सतीश के साथ पूरे रीति रिवाजो के साथ ठीक ठाक तरीके से हो गई थी और मैं उसके घर आ गई थी. सतीश के पेरेंट्स बॅंगलुर से तकरीबन 300 किमी दूर एक डिस्ट्रिक्ट मे रहते थे. सतीश अपने बिज़्नेस की वजह से बॅंगलुर शिफ्ट हो गये थे और एक छोटा सा घर भी खरीद लिया था तो उसी घर मे, मैं और सतीश अकेले ही रहते थे. पहले ही लिख चुकी हू के पहले पहले तो बिज़्नेस बोहोत अछा चलता रहा पर 2 या 3 सालो मैं ही रिसेशन की मार की वजह से सतीश का बिज़्नेस तकरीबन बंद हो गया था, हमारा गुज़र बसर, खाना पीना बहुत मुश्किल हो गया था, बड़े ही कठिन दिन चल रहे थे. सिन्स आइ वाज़ कॉमर्स ग्रॅजुयेट, तौग आइ नेवेर हॅड एनी प्रॅक्टिकल एक्सपीरियेन्स बट आइ नो दा नो हाउ आंड दा अंडरस्टॅंडिंग ऑफ अकाउंट्स आंड आइ वाज़ शुवर इफ़ आइ स्टार्ट डूयिंग आ जॉब इन अकाउंट्स ऑर सेक्रेटेरियल फील्ड, आइ कॅन पिक अप वेरी ईज़िली आंड कॅन बी कॉन्फिडेंट इन आ शॉर्ट टाइम. आइ हॅव सीन सो मेनी लेडी सेक्रेटरीस इन ऑफिसस वेनेवर आइ हॅड आ चान्स टू विज़िट एनी ऑफीस फॉर एनी वर्क आंड आइ थिंक दा वर्क ऑफ सेक्रेटरीस आर ऑल्सो ईज़ी आंड आइ वाज़ कॉन्फिडेंट दट आइ कॅन डू तट ऑल्सो आस अन आल्टर्नेटिव टू अकाउंट्स फील्ड. ऐसा सोचते हुए आइ स्टार्टेड अप्लाइयिंग फॉर ए जॉब ऑल ओवर इंडिया टेकिंग दा अड्रेसस ऑफ कंपनीज़ इन नीड ऑफ अकाउंटेंट्स ओर इन सिक्रेटेरियल फील्ड. जहा जॉब की अड्वर्टाइज़्मेंट देखी, अप्लाइ कर देती और बोहोत बेचैनी से डेली पोस्ट का वेट करती रहती पर हमेशा निराशा ही हाथ आती और पोस्ट मन बिना लेटर दिए चला जाता. अप्लाइ करने के टाइम पे ही अपना पोस्टल और ईमेल आइडी दोनो लिख देती थी. पोस्ट को तो चेक कर लेती थी पर एमाइल चेक करना मुश्किल हो गया था क्यॉंके धीरे धीरे फोन कट करवाना पड़ा फिर इंटरनेट और केबल कनेक्षन भी कट
करवाना पड़ा था इसी लिए अब मैं अपने एमाइल्स भी नही चेक कर सकती थी. घर के करीब ही एक इंटरनेट केफे था जिसे एक फिज़िकली चल्लनगेड आदमी चला ता था. हमारा पड़ोसी होने के नाते उसे हमारे बिज़्नेस के बारे मे भी पता था वो मुझे अपने केफे मे आ के फ्री मे ईमेल चेक करने की पर्मिशन दे देता था जहा जा कर मैण अपने ईमेल्स चेक कर लिया करती थी.
क्रमशः......................
लेखक : दा_ग्रेट_वाररियर
मेरा नाम स्नेहा है. मैं गार्डेन सिटी बॅंगलुर की रहने वाली हू. अब इस वक़्त मेरी एज 28 यियर्ज़ की है और मैं एक शादी शुदा महिला हू. हमारी शादी को 4 साल बीत चुके है और मैं एक पक्की हाउसवाइफ हू. मेरे हज़्बेंड
( सतीश ) सतीश का अपना डिफरेंट टाइप्स ऑफ एलेक्ट्रिकल आक्सेसरीस का बिज़्नेस था. वो वाइर्स, होल्डर्स, प्लग्स, कनेक्टर्स और दूसरे आक्सेसरीस आइटी के कंपनीज़ और दूसरे प्राइवेट ऑफिसस मैं सप्लाइ करते थे. सतीश का काम ठीक ठाक चल रहा था. हमारी लाइफ सेट थी. हम एक मीडियम क्लास फॅमिली से बिलॉंग करते थे. सतीश के पास अपना खुद का एक घर भी था जिस्मै हम रहते थे. हमे किसी चीज़ की कोई कमी नही थी. ऊपेर वाले ने बोहोत ज़ियादा तो नही दिया था पर कम भी नही दिया था. हम बोहोत अछी तरह से रह रहे थे. मैं यह पास्ट टेन्स मैं इस लिए लिख रही हू के अब हमारा बिज़्नेस एक दम से ठप्प हो गया है रिसेशन की मार की वजह से बोहोत सारे आइटी कंपनीज़ का
दीवालिया निकल चुका था और प्राइवेट ऑफीस का भी कुछ ऐसा ही हाल था. सतीश का लॉस कुछ ज़ियादा ही हो गया था और वो अपने सप्लाइयर्स को भी पेमेंट करने के काबिल नही थे जिसकी वजह से सप्लाइयर्स ने माल सप्लाइ करना बंद कर दिया था. सतीश कर्ज़े मैं डूबते चले गये और बिज़्नेस ऑलमोस्ट बंद करना पड़ा और हमारी ज़िंदगी मैं जैसे बोहोत बड़ी कठिनाई आती चली गयी. हमारी परेशानी का दौर शुरू हो गया और सतीश बेचारे सारा दिन इधर उधर घूम घूम के अपने पेंडिंग इनवाइसस की अमाउंट्स को वसूल करने के लिए डिफरेंट ऑफिसस के चक्कर लगा चुके थे पर कही से कोई उम्मीद की किरण नज़र नही आ रही थी और कोई भी पेमेंट नही कर रहा था. रिसेशन की मार ऐसी पड़ी के हमारी ज़िंदगी मैं जैसे एक भूचाल आ गया और अब हमको खाने पीने की भी तकलीफ़ होने लगी. थोड़े ही दीनो मैं जो कुछ बचा कुचा था वो भी सब ख़तम हो गया और सतीश कर्ज़े मैं डूबने लगे और नौकरी की तलाश मैं इधर उधर भटकने लगे पर कही भी किसी किसम का भी जॉब नही मिला और इस बीच मैं ने सतीश से कहा के अगर वो कोई ख़याल ना करे तो मैं भी कही कोई जॉब कर लूँगी तो कुछ ना कुछ तो घर का खर्चा पानी चल ही जाएगा तो सतीश बड़ी मुश्किल से तय्यार हो गये और मैं अब पूरे इंडिया मैं अपने जॉब के अप्लिकेशन भेजने लगी. डेली मेरा काम यही था के पेपर्स मे आड़ देखती और अप्लाइ कर देती थी.
यह मेरी एक फॅंटेसी है और कुछ रियल इन्सिडेंट्स है जो मैं आप के साथ शेर कर रही हू. इस से पहले कि मैं अपनी फॅंटेसी स्टार्ट करू लेट मी डिस्क्राइब माइसेल्फ आंड इन शॉर्ट टू टेल यू सम्तिंग अबौट मी.
मेरा परिवार जिस्मै मेरे डॅड, मोम और मैं बॅस हम तीन ही लोग थे. मेरे डॅड एक सरकारी करमचारी थे. हमारा भी एक छोटा सा घर है लैकिन पिताजी को गवर्नमेंट क्वॉर्टर मिला हुआ था जिस्मै हम रहते थे. मैं अपनी खूबसूरती की तारीफ तो नही करना चाहती पर सच मे मैं एक बोहोत ही खूबसूरत लड़की हू यह मैं नही मेरे फ्रेंड्स कहते है. बॅंगलुर के फर्स्ट क्लास वेदर की वजह से मेरे चिक्स किसी कश्मीरी सेब की तरह गुलाबी हो गये थे, मेरा फेस राउंड और ब्राइट है. माइ स्माइल ईज़ माइ ट्रेषर और जब स्माइल देती तो गालो मैं छोटे छोटे डिंपल्स पड़ते है जो बोहोत अच्छे लगते हैं. मेरे बाल थोड़े से कर्ली है पर डार्क ब्लॅक और शाइनिंग वाले है. मेरी आँखें काली और बड़ी बड़ी चमकदार है फ्रेंड्स बोलते है कि आइ हॅव लाइव्ली एएस जैसे आँखें बोल रही हो और अगर कोई मुझ से बात करता है तो मेरी आँखो की गहराई मैं और मेरी मुस्कान मे डूब जाता है. मैं हेर आयिल तो यूज़ नही करती पर फिर भी लोग ऐसा फील करते है जैसे मैं हेर आयिल लगाए
हुए हू, ई मीन टू से कि मेरे बाल इतने शाइनिंग वाले है. मेरे दाँत मोटी जैसे सफेद और चमकदार है और जब मैं स्माइल देती हू तो ऑलमोस्ट हाफ मोती जैसे चमकते हुए दाँत दिखाई देते है. मैं उतनी मोटी तो नही पर दुबली पतली भी नही मीडियम बिल्ट है मेरी. आइ हॅड वेरी गुड हेल्थ. मेरा बदन भरा भरा है जो बोहोत ही सेक्सी लगता है. मेरे बूब्स का साइज़ 36” है, एक दम से कड़क और बोहोत ही पर्फेक्ट शेप मे है, गोल गोल है ऐसा लगता है जैसे कोकनट को हाफ कट कर के मेरे चेस्ट पे रख दिया हो जिन के ऊपेर लाइट चॉक्लेट कलर के निपल्स है जो मोस्ट्ली एरेक्ट ही रहते है और लाइट ब्राउन कलर के 1 इंच का आरियोला है और मेरे बूब्स बोहोत ही कड़क है एक दम से सख़्त पत्थर जैसे. यूँ तो मैं ब्रस्सिएर पेहेन्ति हू पर जब घर मे रहती हू तो मोस्ट्ली अवाय्ड करती हू और ऐसे टाइम पे मेरे निपल्स मेरे शर्ट के ऊपेर से सॉफ एरेक्ट और खड़े हुए दिखाई देते है और जब मैं चलती हू तो मेरे शर्ट के अंदर जब कपड़ा निपल्स से रगड़ता है तो मुझे बोहोत ही मज़ा आता है, ऐसा लगता है जैसे कोई धीरे धीरे मेरे निपल्स की मसाज कर रहा है. मेरे बूब्स और निपल बोहोत ही सेन्सिटिव है. थोडा सा भी टच मुझे मज़ा देता है और जैसे मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ने लगती है. मैं अपनी चूत के बालो को हमेशा ट्रिम कर के शेप मैं रखती हू और फर्स्ट क्लास ट्रिम देती हू. मुझे अपनी ट्रिम किए हुए छोटे छोटे नरम और मुलायम झांतो वाली चूत बोहोत अछी लगती है और मैं उसपे बोहोत प्यार से हाथ फेरेती और ऐसे ट्रिम बालो पे मसाज करना मुझे बोहोत अछा लगता है और मेरा ख़याल है के हर लड़की को अपनी चूत प्यारी होती है और हर लड़की अपनी चूत पे प्यार से हाथ फेरती है जैसे मैं फेरती हू.
मैं कॉमर्स की ग्रॅजुयेट हू और जब मैं बी. कॉम के फर्स्ट एअर मे थी तब मैं ने फर्स्ट टाइम अपनी चूत का मसाज किया था.
मैं लाइट एक्सर्साइज़ भी करती थी जिस से मेरी बॉडी पर्फेक्ट शेप मे है. एक दिन मैं कॉलेज से वापस आई और बाथरूम मैं शवर लेने चली गई. मेरे बाथरूम मे एक लाइफ साइज़ का मिरर भी लगा हुआ है जिस्मै मैं अपने नंगे बदन को बोहोत देर तक देखती और अप्रीशियेट करती रहती थी, अपने बूब्स को भी लाइट मसाज करती थी. उस दिन शवर लेने के लिए जब अपने कपड़े उतारे तो मे एज यूषुयल अपने बूब्स का मसाज किया और फिर मिरर मे अपने नंगे बदन को देखते देखते पता नही कब और कैसे मेरा हाथ अपनी चूत पे चला गया और जैसे के मैं प्यार से अपनी चूत पे हाथ फेरती हू उसी तरह से चूत पे हाथ फेरने लगी तो उस दिन मुझे ऐसे प्लेषर का एहसास हुआ जो पहले कभी नही हुआ था और देखते ही देखते मेरी मिड्ल फिंगर चूत के दाने को रगड़ते रगड़ते चूत के अंदर चली गयी और मैं अज्ञाने मे अपनी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल के चोदने लगी और तो मुझे ऐसा मज़ा आया जो
पहले कभी नही आया था, मेरा सारा बदन गरम हो गया, मेरी आँखे बंद हो गयी और साँसें तेज़ी से चलने लगी और 2 – 3 मिनिट के अंदर ही मेरा बदन सुन्न हो गया और जैसे मेरे दिमाग़ मैं आँधियाँ चलने लगी मेरा बदन काँपने लगा और फर्स्ट टाइम एवर इन माइ लाइफ मेरी चूत मे से जूस बह के चूत के बाहर निकलने लगा और मैं लाइफलेस हो के बाथरूम के फ्लोर पे बैठ गई और फिर फ्लोर पे ही लेट गयी और मुझे लगा के शाएद मैं 10 – 15 मिनिट के लिए सो गयी. जब मैं अपने सेन्सस मे वापस आई तो मुझे महसूस हुआ के मेरे बदन मे मीठा मीठा नशा सा फैला हुआ है और मुझे अपना बदन बोहोत ही हल्का हल्का महसूस होने लगा और मुझे लगा जैसे मैं हवाओ मे उड़ रही हू. मैं फ्लोर से उठ गई और शवर ले के बाहर आ गई. उस दिन के बाद से मेरा मूड एक दम से चेंज दिखाई देने लगा मुझे हर चीज़ अछी लगने लगी और मैं अक्सर अपने आप मे गाना गाने लगी और अकेले मे मुस्कुराने लगी और उसके बाद से मैं रात मे डेली सोने से पहले अपनी चूत को बोहोत प्यार से सहलाती हू और फिर अच्छी तरह से चूत के दाने को रगड़ के और चूत के अंदर उंगली डाल के मास्टरबेट कर के जूस निकाल देती हू और उसके बाद ही सोती हू जिस से मुझे बोहोत अछी मीठी और गहरी नींद आती है.
जब मैं बी.कॉम के 2न्ड एअर मई थी तब मेरी फ्रेंडशिप मेरे एक कॉलेज फेलो रवि से हो गई वोमेरे से एक साल सीनियर था उस से फ्रेंडशिप हो गई थी जो ऑलमोस्ट 1 साल तक मेरा बॉय फ्रेंड रहा. उसके साथ मैं थियेटर मे फिल्म देखने जाती थी, कभी हम पार्क मे घूमने भी चले जाते थे और कभी ईव्निंग मे रेस्टोरेंट मे भी जा के कॉफी वाघहैरा पीते थे. हम काफ़ी क्लोज़ हो गये थे. एक शाम कॉलेज के छोटे से पार्क के कॉर्नर मे उसने मुझे पहला टॅंक सकिंग पॅशनेट किस किया और साथ मे उसके हाथ मेरे बूब्स पर भी आ गये और वो मेरे बूब्स को स्क्वीज़ करने लगा. उसका हाथ मेरे बूब्स पे लगते ही मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ने लगी और आइ ब्रोक दा किस क्यॉंके मुझे पता था कि मेरे बूब्स और निपल्स कितने सेन्सिटिव है और इफ़ आइ अलो हिम टू स्क्वीज़ मोर टू मेरी चूत से जूस वही निकल जाता. उसके बाद वी केम क्लोज़र टू ईच अदर और जब हम थियेटर मे होते तो वो अपने हाथ मेरे बदन पे इधर उधर घुमाता और लोगो की नज़र बचा के मेरे थाइस पे हाथ रख देता और थियेटर के अंधेरे मे मेरी चूत का भी मसाज करता जिसकी वजह से मोस्ट ऑफ दा टाइम्स मैं वही थियेटर के अंदर ही झाड़ जाती. और मेरा हाथ ले कर अपने लौदे पर रख देता. उसका आकड़े हुए लौदे को पकड़ते ही मेरी चूत गीली हो जाती. मैने हमेशा ही उसके लंड को पॅंट के ऊपेर से ही पकड़ा था कभी नेकेड लंड को नही पकड़ा जिसकी वजह से मुझे उसके लंड का साइज़ भी नही मालूम, बॅस इतना जानती थी के उसका लंड बोहोत ही कड़क हो जाता था जब मैं हाथ मे उसके लंड को पकड़ती तो. जब जब भीहमको मोका मिलता वी किस ईच अदर आंड हे स्क्वीज़ मी बूब्स आंड मसाज माइ पुसी ओवर माइ क्लोद्स.
रवि से मिलने के बाद से ही मेरे अंदर सेक्स की भावना बढ़ने लगी और मैं इंटरनेट पे लंड, चूत और चुदाई के फोटोस और वीडियो क्लिप्स देखने लगी और उसके बाद से मेरा मास्टरबेशन करना कुछ ज़ियादा ही हो गया पर मैं ने रवि को कभी चोदने नही दिया. एक अछी और रिप्यूटेड फॅमिली से होने की वजह से मे चाहती थी के मैं अपनी चूत की सील शादी के बाद अपने पति से ही तुडवाउन्गि और अपने पति को ही अपनी वर्जिनिटी प्रेज़ेंट करूगी. पर शादी के बाद ख़याल आया के मैं ने रवि को एक मौका दिया होता तो अछा होता काश के रवि भी मुझे चोद देता. एनिहाउ अब क्या हो सकता था जो होना था वो हो चुका था.
मेरी फॅंटेसी शादी के थोड़े ही दीनो मे शुरू होती है जिसे मैं ऊपेर लिख चुकी हू अब मैं यहा से अपनी फॅंटेसी स्टार्ट करती हू.
मेरी शादी सतीश के साथ पूरे रीति रिवाजो के साथ ठीक ठाक तरीके से हो गई थी और मैं उसके घर आ गई थी. सतीश के पेरेंट्स बॅंगलुर से तकरीबन 300 किमी दूर एक डिस्ट्रिक्ट मे रहते थे. सतीश अपने बिज़्नेस की वजह से बॅंगलुर शिफ्ट हो गये थे और एक छोटा सा घर भी खरीद लिया था तो उसी घर मे, मैं और सतीश अकेले ही रहते थे. पहले ही लिख चुकी हू के पहले पहले तो बिज़्नेस बोहोत अछा चलता रहा पर 2 या 3 सालो मैं ही रिसेशन की मार की वजह से सतीश का बिज़्नेस तकरीबन बंद हो गया था, हमारा गुज़र बसर, खाना पीना बहुत मुश्किल हो गया था, बड़े ही कठिन दिन चल रहे थे. सिन्स आइ वाज़ कॉमर्स ग्रॅजुयेट, तौग आइ नेवेर हॅड एनी प्रॅक्टिकल एक्सपीरियेन्स बट आइ नो दा नो हाउ आंड दा अंडरस्टॅंडिंग ऑफ अकाउंट्स आंड आइ वाज़ शुवर इफ़ आइ स्टार्ट डूयिंग आ जॉब इन अकाउंट्स ऑर सेक्रेटेरियल फील्ड, आइ कॅन पिक अप वेरी ईज़िली आंड कॅन बी कॉन्फिडेंट इन आ शॉर्ट टाइम. आइ हॅव सीन सो मेनी लेडी सेक्रेटरीस इन ऑफिसस वेनेवर आइ हॅड आ चान्स टू विज़िट एनी ऑफीस फॉर एनी वर्क आंड आइ थिंक दा वर्क ऑफ सेक्रेटरीस आर ऑल्सो ईज़ी आंड आइ वाज़ कॉन्फिडेंट दट आइ कॅन डू तट ऑल्सो आस अन आल्टर्नेटिव टू अकाउंट्स फील्ड. ऐसा सोचते हुए आइ स्टार्टेड अप्लाइयिंग फॉर ए जॉब ऑल ओवर इंडिया टेकिंग दा अड्रेसस ऑफ कंपनीज़ इन नीड ऑफ अकाउंटेंट्स ओर इन सिक्रेटेरियल फील्ड. जहा जॉब की अड्वर्टाइज़्मेंट देखी, अप्लाइ कर देती और बोहोत बेचैनी से डेली पोस्ट का वेट करती रहती पर हमेशा निराशा ही हाथ आती और पोस्ट मन बिना लेटर दिए चला जाता. अप्लाइ करने के टाइम पे ही अपना पोस्टल और ईमेल आइडी दोनो लिख देती थी. पोस्ट को तो चेक कर लेती थी पर एमाइल चेक करना मुश्किल हो गया था क्यॉंके धीरे धीरे फोन कट करवाना पड़ा फिर इंटरनेट और केबल कनेक्षन भी कट
करवाना पड़ा था इसी लिए अब मैं अपने एमाइल्स भी नही चेक कर सकती थी. घर के करीब ही एक इंटरनेट केफे था जिसे एक फिज़िकली चल्लनगेड आदमी चला ता था. हमारा पड़ोसी होने के नाते उसे हमारे बिज़्नेस के बारे मे भी पता था वो मुझे अपने केफे मे आ के फ्री मे ईमेल चेक करने की पर्मिशन दे देता था जहा जा कर मैण अपने ईमेल्स चेक कर लिया करती थी.
क्रमशः......................