Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - Page 17 - SexBaba
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Antarvasna kahani वक्त का तमाशा


"ओके मिस्टर राइचंद.. वी शैल टेक आ लीव नाउ.." जैसे ही विलसन ने यह कहा स्नेहा ने अपने पैर सीधे किया और सॅंडल पहनने लगी.. रिकी ने भी तब चैन की साँस ली और विलसन के साथ बाहर जाने लगा..




"आइ विल कॉल यू मिस्टर विलसन..बाय.." रिकी ने आखरी शब्द कहे और गाड़ी में जाके बैठा जहाँ स्नेहा पहले से ही बैठी हुई थी..




रेस्तरो से लेके घर तक रिकी ने स्नेहा से कोई बात नहीं की और घर जाके सीधा अपने कमरे में लॉक हो गया.. स्नेहा अच्छी तरह समझ रही थी उसकी हरकतों को, इसलिए उसने भी कुछ नहीं कहा और जाके अपने अगले कदम के बारे में सोचने लगी.. दोपहर से शाम हुई ही कि मौसम में बदलाव आ गया.. शाम के 5 बजे और घना अंधेरा सा छाने लगा पहाड़ियों में.. 15 मिनिट तक तेज़ हवा और फिर हुआ बारिश का आगमन...




"यह ओक्टूबर में कैसी बारिश.." रिकी ने खिड़की से परदा हटा के देखा तो मौसम काफ़ी खराब था और तभी ही उसका फोन भी बजा




"शीना, यार इट'स रेनिंग हियर.." रिकी ने फोन उठाते हुए कहा




"आइ नो, अभी पता चला, आप मौसम ठीक होते ही निकलना ओके.. घर पे मैं अकेली हूँ एक तो."




"क्यूँ, मोम डॅड और चाचू कहाँ गये.."




"अरे वो लोग तो एक पार्टी में गये हैं, ज्योति भी नहीं है. और भाभी भी पता नहीं कहाँ गयी है"




"तो भाभी को फोन करके पूछ लो ना.." रिकी जानता था कि वो कभी स्नेहा को फोन नहीं करेगी, लेकिन वो बार बार यह सोच रहा था कि जब शीना को पता चलेगा के स्नेहा उसके साथ है तब वो क्या करेगा




"नहीं, मरने दो, मैं क्यूँ पूछूँ.. चलो आप आओ आराम से, मैं भी फरन्ड को बुला देती हूँ, शी विल अकंपनी मी.. चलो बाइ, टेक केयर" शीना ने फोन रखा




"यार, अब इसको कैसे बताउन्गा..." रिकी सोच ही रहा था कि तभी बिजली भी चली गयी




"यह भी अभी होना था बेन्चोद... किस्मत ही.." रिकी अभी आस पास कुछ देख ही रहा था कि स्नेहा की आवाज़ आई




"देवर जी... ज़रा बाहर आइए प्लीज़, अंधेरे से डर लग रहा है.."




"गान्ड मरवा ले डर में.. बेन्चोद, " रिकी ने खुद से कहा कि तभी स्नेहा की आवाज़ फिर आई




"हां आया भाभी... " रिकी ने जल्दी से अपनी शर्ट पहनी और बाहर चला गया जहाँ स्नेहा खड़ी थी..




"देवर जी, नीचे साथ बैठते हैं, अकेले में मुझे डर लगेगा.. कॅंडल्स लाई हूँ मैं" स्नेहा ने हाथ में कॅंडल्स दिखाते हुए कहा




"चलिए भाभी..." रिकी ने सिर्फ़ इतना ही कहा और स्नेहा के आगे आगे चलने लगा..









दोनो मेन रूम में आके बैठ गये जहाँ काफ़ी अंधेरा था.. अंधेरे को दूर करने के लिए रिकी ने अपने मोबाइल की लाइट से टेबल पे कॅंडल्स रखे और उन्हे जला दिया.. कॅंडल्स जलते ही रूम में खोया हुआ उजाला लौट आया और रिकी ने स्नेहा को देखा जो अभी केवल बाथरोब में थी.. रिकी ने एक नज़र देखा और फिर अपनी नज़रें फेर सामने पड़े सोफा पे जाके बैठ गया... स्नेहा और रिकी आमने सामने बैठ गये.. अब आमने सामने बैठे थे तो रिकी की नज़रें स्नेहा पे पड़नी ही थी.. स्नेहा तो जैसे इस मौके के लिए तैयार बैठी ही थी, जैसे ही रिकी की नज़र स्नेहा पे पड़ी, स्नेहा ने अपने पैरों को हल्के से खोला जिससे बाथरोब के बीच से उसकी जांघों का प्रदर्शन हुआ, इतने अंधेरे में भी स्नेहा का शरीर चाँदी के जैसा चमक रहा था.. रिकी की आँखों को यकीन नहीं हो रहा था जो वो देख रहा था उसपे, लेकिन उस एक सेकेंड में रिकी की आँखों का निशाना पकड़, स्नेहा के चेहरे पे एक कातिलाना मुस्कान छा गयी




"कैसा लग रहा है देवर जी.." स्नेहा अपने पैरों को और फेला के बैठ गयी.. रिकी की हालत पतली होती रही और उसका गला सुख़्ता चला गया.. रिकी ने कुछ जवाब नहीं दिया और अपनी नज़रें नीची कर ली..




"क्या करूँ..हां वापस उपर जाता हूँ.. नहीं, उसमे भी बेन्चोद मना ही करेगी... हां, मोबाइल पे कुछ भी कर लेता हूँ, या शीना से बात.. हां यह सही है.." रिकी ने मन ही मन सोचा और मोबाइल निकाल अपनी आँखें उसमे ही गाढ दी.. करीब 5 मिनिट तक रिकी मोबाइल में ही कुछ ना कुछ करता रहा, शीना को एसएमएस किए लेकिन कोई जवाब नहीं, तो कभी क्रिकेट स्कोर, कभी एमाइल, लेकिन आख़िरकार अंदर देख देख वो भी झल्लाने लगा...




"साला, जब कुछ करना हो तभी कुछ नहीं सूझता, कुछ बात भी नहीं कर सकता एक तो, नहीं तो फिर कहीं डबल मीनिंग ना ले जाए... हां, मौसम का बोलता हूँ, उसमे कुछ डबल मीनिंग नहीं निकलेगी .. यस.." रिकी ने मन ही मन सोचा और स्नेहा से नज़रें उठा के कहा




"भाभी, अचानक मौसम खराब हो गया, नहीं.. दिस ईज़... उहह... ट्थ्स्स्स्स.... इस, उन... उंईए .... अनएक्सपेक्टेड्ड्ड्ड..." रिकी हल्का हकला के बोलने लगा




जवाब में स्नेहा ने फिर वोही रंडी स्माइल अपने चेहरे पे लाई और अपनी चेयर से खड़ी होती हुई बोली..




"लगता है आज रात यहाँ तूफान आने वाला है.. आपको क्या लगता है... देवर... जीई.." स्नेहा ने जवाब दिया और एक ही झटके में अपने पारदर्शी सॉफ चमकते बदन से काला बाथरोब उतार दिया.. सिल्क का बाथरोब डोरी खुलते ही उसके बदन से अलग हुआ और सार्रर्र्ररर करके नीचे गिर गया जिससे स्नेहा रिकी के सामने अपनी ब्लॅक कलर की शिफ्फॉन ब्रा पैंटी में आ गयी.. ऐसा नज़ारा देख रिकी के कलेजे पे छुरियाँ चलने लगी, उसका मूह खुला का खुला रह गया, एक दम स्तब्ध रह गया था रिकी स्नेहा को ऐसे देख...




"वो क्या है ना देवर जी.. इतनी देर बाथरोब में, बदन पे रॅशस पड़ सकते हैं.. आइ होप आप कंफर्टबल हैं.." स्नेहा ब्रा पैंटी में आगे बढ़ के उसके पास आने लगी जिसेदेख रिकी होश में आया और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया




"देवर जी ...." स्नेहा अपने कहेर धाते बदन को रिकी के पास लाई और उसके सामने किसी प्रोफेशनल रंडी की तरह खड़ी हो गयी .. रिकी ने स्नेहा की इस पुकार का कोई जवाब नहीं दिया




"लगता है आप कंफर्टबल नहीं हैं... पर मैं क्या करूँ, मेरे कपड़े रूम में हैं, अकेले जाने में डर लगता है.." स्नेहा ने एक अंगड़ाई लेते हुए बोला जिससे उसका सीना और चौड़ा हो गया




"बह बह... बाआह .... भाभिि... म्म्म्मँम..एमेम..... एमेम.म.म.म.म माईंन्न्न् लीयी आताआ हुन्न्ञन् आअपक्कीए.... कककक .... क... क....कपड़े..." बड़ी मुश्किल से रिकी ने अपना वाक्य ख़तम किया और स्नेहा को बिना देखे सोफे से उठा और एक कॅंडल लेके सीढ़ियों से दौड़ता हुआ उपर चला गया.. जल्दी जल्दी में जैसे ही पहला रूम आया रिकी वहाँ घुस गया और दरवाज़े को धक्का दे दिया..
 
"यार..." रिकी ने अपना पसीना पोछते हुए कहा और खड़े खड़े सोचने लगा कि अब वो क्या करे ...




"यार यह तो ..." रिकी ने मोबाइल निकाला और शीना को कॉल किया लेकिन उसने भी कोई जवाब नहीं दिया




"आज कोई फोन नहीं उठा रहा साला, अब मैं..." रिकी खुद से बातें ही कर रहा था कि पीछे से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई जिससे रिकी जैसे ही पीछे मुड़ा तो उसकी आँखें बाहर निकलने को हो गयी और लंड... खैर उसका तो हाल कब्से खराब हो रखा था




सामने स्नेहा एक कॅंडल लिए हुए खड़ी थी, खुले काले बालों के साथ और चेहरे पे वोही कॅटिली मुस्कान.. कुछ फरक था तो वो यह के अब वो ब्रा भी उतार के आई थी और नीचे उसने पैंटी के बदले थॉंग पहना था ... रिकी के हाथ से मोबाइल गिर गया और दिमाग़ ... वो तो कब का काम करना बंद हो चुका था




"वो क्या है ना देवर जी.... कि इतनी देर ब्रा पहनने से भी स्किन पे निशान बनने लगते हैं , तो इसलिए ..." कहते कहते स्नेहा रिकी के एक दम पास आई जो पूरा का पूरा पसीने से भीग चुका था, पसीने से उसकी ब्लॅक शर्ट पूरी की पूरी भीग चुकी थी और उसकी साँसें काफ़ी तेज़ चल रही थी, जैसे मानो ओलिंपिक में 800 मीटर की रेस दौड़ आया था, दिल की धड़कन पे उसका कोई काबू नहीं था, पल में धीमी, पल में तेज़..




"आप तो पसीना पसीना हो रहे हैं देवर जी.." स्नेहा ने रिकी की शर्ट के बटन पे हाथ रख कहा और उसे खोलने लगी, लेकिन रिकी ने उसके हाथों को पकड़ लिया




"भाभिईिइ... दिस ईज़ नोट राइट.." रिकी ना कांपति आवाज़ और टूटी हुई साँसों में कहा




"ओफफ़फो.... आप भी ना देवर जी.. डरो मत, मैं शीना से नहीं कहूँगी कुछ भी.. देवर का ख़याल रखना तो भाभी का फ़र्ज़ है ना.. देखिए, आप कितना पसीना पसीना हो रहे हैं, अब ऐसे मैं अगर मैं ख़याल नहीं रखूँगी तो और कौन रखेगा..." स्नेहा ने रिकी के हाथ को साइड में किया और उसकी शर्ट के दो उपरी बटन खोल के उसके सीने पे नाख़ून फिराने लगी




"उफफफ्फ़.... यही तो चीज़ भाती है मुझे आपकी, चोटी से लेके एडी तक, एक दम चिकने हो.. लंडन में काफ़ी रंगरेली मनाई, अब ज़रा इधर भी तो कुछ बूँदें गिराए अपने प्रेम रस की... मेरे प्यारे देवर जी..." कहते कहते स्नेहा ने उसकी पूरी शर्ट खोल दी




"भाभी.... प्लस्सस्स्सस्स... आपको भैया का वास्ता..." रिकी की आँखें कुछ और कह रही थी और शरीर कुछ और.. मन में शीना समाई हुई थी जिसका असर उसकी आँखों में दिख रहा था, लेकिन सामने स्नेहा उसपे चढ़ि हुई थी तो उसका असर रिकी के शरीर पे दिख रहा था




"अरे रे देवर जी.. आपके भैया की कमी ही पूरी करनी है आपको, क्या इतना भी नहीं करेंगे आप उनके लिए..." स्नेहा ने अपने हाथ आगे किए और रिकी के जिस्म से उसकी शर्ट उतार फेंकी... रिकी के सीने पे बहती पसीने की बूँदें एहसास दिला रही थी इस बात का के स्नेहा की गर्मी कितनी तेज़ थी. स्नेहा आगे झुकी और रिकी के सीने पे अपनी तेज़ लबाबदार गीली ज़बान फेरने लगी.. रिकी की आँखें बंद हो चुकी थी और खुद को मक्कम करने के लिए अपने हाथ की मुट्ठी बंद कर ली.. स्नेहा भी मज़े से अपनी आँखें बंद करे अपनी जीभ को रिकी के सीने से लेके उसके पेट तक ले जाने लगी... रिकी की नाभि पे आते ही स्नेहा ने अपनी जीभ उधर गोल गोल घुमाना चालू की और मज़े से उसे सक करने लगी..




"फूऊऊऊ...." रिकी के मूह से बस यही निकला और धीरे धीरे उसके सब्र का बाँध टूटने लगा जिससे उसके हाथ की मुट्ठी भी हल्की होके खुलने लगी...




"उूउउम्म्म्म........" स्नेहा ने फिर नीचे से उपर तक अपनी जीभ घुमाई और रिकी के चेहरे तक पहुँची... रिकी के चेहरे पे आके जब उसने देखा के रिकी की आँखें बंद है, तो स्नेहा के चेहरे पे तुरंत एक विजयी मुस्कान तैर गयी और थोड़ा सा उसके चेहरे पे झुक के उसके होंठों के ठीक नीचे, उसकी चिन पे अपनी जीभ घूमने लगी..




"ससलसुर्र्ररप्प्प्प्प्प्प्प्प्प... आआहहह....." स्नेहा चिन से लेके गालों तक अपनी जीभ घुमाने लगी और इसी दौरान अपने हाथ उसने रिकी के मज़बूत कंधों पे रखे जिससे उसने भाँपा कि रिकी का शरीर भी उतना ही गरम है जितनी वो खुद थी उस वक़्त.. चिन से लेके पहले राइट और फिर लेफ्ट जाके स्नेहा रिकी के गालों को गीला करके धीरे धीरे रिकी के होंठों के पास पहुँची और अपने होंठों की तेज़ गरम साँसें उसके होंठों पे छोड़ने लगी...





"पफीएववव.व...... देवर जी.... मानना पड़ेगा उफफफफ्फ़.... क्या प्यार है भाई बेहन का... अब तक टस से मस नहीं हो रहे आप....." स्नेहा ने यह कहके अपनी आँखें बंद की और अपने होंठ आगे बढ़ा के रिकी के होंठों पे रख दिए.. रिकी के होंठ अब तक बंद थे, इसलिए स्नेहा ने भी ज़्यादा कुछ नहीं किया, बस अपनी जीभ उसके होंठों पे फेर के उसके होंठों का ज़ायक़ा लेने लगी..




"उम्म्म्म आअहह.... स्वादिष्ट हैं आप मेरे प्यारे देवर जी...." स्नेहा ने फिर अपनी तेज़ गरम साँसों को छोड़ते हुए कहा और फिर से रिकी के होंठों पे अपनी जीभ घुमाने लगी..

स्नेहा की ऐसी गर्मी में तो उस वक़्त बरफ भी पिघल जाती, तो रिकी क्या चीज़ था.. जैसे जैसे स्नेहा की गरम जीभ का असर बढ़ता, वैसे वैसे रिकी के होंठ भी धीरे धीरे खुलने लगते, और जैसे जैसे रिकी के होंठ खुलने लगते, वैसे वैसे स्नेहा भी अपनी जीभ उसके अंदर डालती चली गयी.. स्नेहा के गरम होंठों ने जैसे ही रिकी के गरम होंठों को छुआ, मानो कुदरत भी इसके आगे पिघलने लगी और बाहर बहती तेज़ बारिश हल्की सी होने लगी...




"उम्म्म्मम......... आहहहूंम्म्मममम....." रिकी ने सिसकी ली और अपने हाथ स्नेहा की कमर से लेके धीरे धीरे उसके चेहरे पे लाया और साइड से पकड़ के हल्के हल्के उसका चुंबन लेने लगा..



"आआहाहहूंम्म्ममममम भाभहिईीईई....... सस्सिईईईईईईईईई..." रिकी ने किस तोड़ स्नेहा को देखा और फिर से अपनी आँखें भी बंद कर उसको चूमने लग गया




"आआहाहहह देवर्र जीई.... उम्म्म्ममम एआहह अहहहौमम्म्म... सक मईए आअहह......उम्म्म्ममम उम्म्म्मम...... हाआंन्नानणणन् अपने भैईई हाहहूंम्म्मममम की कमी आआहौमम्म्म पूरीआहह उफफफफफ्फ़ कीजिए नाहह..." स्नेहा अपने हाथों को रिकी के जिस्म पे घुमाने लगी और धीरे धीरे नीचे बढ़ने लगी और रिकी की जीन्स पर आके उसके बटन को खोलने
लगी...




"उउम्म्म्ममम आहहहः ईसस्सस्स भाआभिईीईईईई उम्म्म्मम......." रिकी होंठ चूस्ते चूस्ते बोलने लगा... स्नेहा ने जैसे ही रिकी के बटन को खोला, वो होंठ छुड़वा के फिर से रिकी के जिस्म पे जीभ घुमाती हुई नीचे बढ़ी और उसके लंड के पास मूह करके रिकी के चेहरे को देखने लगी, जिसे देख सॉफ पता चल रहा था कि रिकी अभी उसके वश में ही है... स्नेहा एक बार मुस्कुराइ और जीन्स के साथ बॉक्सर को भी पकड़ के उसको धीरे धीरे नीचे करने लगी.. जीन्स के नीचे होते ही स्नेहा की आँखों में वासना का नशा सर चढ़ कर बोलने लगा.. रिकी के लंड को यूँ देख उससे रहा नहीं गया और एक ही पल में एक हाथ से लंड को पकड़ा और दूसरे से रिकी के टट्टों को सहलाने लगी, और धीरे धीरे कर अपनी जीभ को रिकी के लंड के सुपाडे पे घुमाने लगी और तिरछी नज़रों से रिकी के चेहरे को देखने लगी




"आअहह फ़फफुऊऊुऊउक्ककककककककक...." रिकी ने बंद आँखों से कहा और स्नेहा के सर पे हाथ फेरने लगा और हल्का हल्का ज़ोर देने लगा.. लंड के सुपाडे से आगे बढ़ स्नेहा धीरे धीरे रिकी के लंड को अपने मूह के अंदर निगलने लगी और फिर एक ही बार में पूरा का पूरा बाहर निकल लेती... पूरा अंदर, फिर पूरा बाहर.. ऐसे तीन से चार बार कर रिकी का
लंड स्नेहा की थूक से सन चुका था और स्नेहा अपने मज़े में बढ़ोतरी करने के लिए रिकी के टट्टों को निचोड़ने लगती और फिर उसे छोड़ देती
 
"आआहहह फ़फफुकककककककक भाभिईीईईईई उफफफफ्फ़......" रिकी दर्द और मज़े में चिल्लाता..




"हॅविंग फन देवर जीईए....." स्नेहा ने लंड अपने मूह से बाहर निकाल कर कहा और फिर लंड को अपने अंदर भर उसे चूसने लगी..."उम्म्म्मम उम्म्म्मम..... आहह उम्म्म्मममम.... उम्म्म्मममम उम्म्म्म.. गुणन्ञणन् गुउन्न्ञन् गुउन्न्ञणन्..... उम्म्म अहहहह ससलुर्र्रर्रप्प्प्प आहह...." स्नेहा रिकी के लंड को चूसने लगी और फिर एका एक लंड बाहर निकाल के पूरे लंड पे अपनी जीभ फेरने लगती..




"आहहाहा सस्सिूम्म्म्ममममम.......उम्म्म उहहाआहमम्म्म.... भाभी कैसी लगी आपको देवर जीईए अओउम्म्म्मममममम हिहीहीही..." स्नेहा के चेहरे पे अभी बस रंडियों की मुस्कान ही थी...




"आहहहा यह देखिए ना अहहाहा....उम्म्म्ममममम सस्स्स्सुउउऊकप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प.." स्नेहा ने रिकी के टट्टों को एक नज़र देखा और नीचे झुक के उसके टट्टों को मूह में लेके चूसने लगी..



"अहहहहहाहा... उउम्म्म्ममममममम ....." रिकी बस मज़े लेने के अलावा कुछ नहीं बोलना चाहता था




"सस्स्सलुर्र्ररप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प.... ससलुर्र्ररप्प्प्प आहह..... यूआर वेरी टेस्टी देवर जीए अहहहओमम्म्ममम...." स्नेहा ने रिकी के लंड और टट्टों पे अपना हमला जारी रखते हुए कहा..

जब रिकी का लंड उसके मूह में होता तो अपने नाखूनों से उसके टट्टों पे कुरेदती और जब उसके टटटे मूह में होते तब उसके नाख़ून उसके लंड के सुपाडे पे चल रहे होते.. स्नेहा ने अपने चुचों को अपनी ब्रा की कड़ी से आज़ाद किया और लंड मूह में रख के दोनो हाथों से अपने चुचों को दबा के मज़े लेने लगी..




"उम्म्म्मम...... उम्म्म्मम अहहहूंम्म्ममम गुणन्ञणन् गुणन्ञनणणन् उम्म्म्ममम..." स्नेहा अपने मूह को आगे पीछे करके रिकी के लंड से अपने मूह को चुदवाने लगी और अपने निपल्स को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगी..





"आआहहहह फकक्क्क्क्क भाआभिईीईई...." रिकी तेज़ी से चीखा और स्नेहा के बालों को पकड़ के उसे स्थिर किया और अपने लंड को स्नेहा के मूह के अंदर उतारने लगा... जैसे जैसे रिकी का लंड स्नेहा के मूह के अंदर तक जाता, स्नेहा की आँखें बड़ी होती जाती और उसकी साँसें घुटने लगी... रिकी ने ऐसे तीन चार बार किया और स्नेहा को खांसने तक का मौका नहीं देता... एक बार फिर सेम और जब फिर स्नेहा का मूह खाँसी के लिए खुला तो रिकी ने फिर अपने लंड को अंदर डाला और तेज़ी से अंदर बाहर करके उसके मूह को ऐसे चोदता जैसे उसकी चूत चोद रहा था..


"आहहहहहाः उम्म्म्ममम.... अहहह उम्म्म्ममममम गुणन्ञन् अहहहूंम्म्मम.... ख्ाओूौउन्न्ञन् ओमम्म्मममममम... अहहह......" स्नेहा बीच बीच में खांसने लगती और फिर रिकी के लंड के हमलों को झेलती हुई सिसकने लगती...





"सिर्रफफ़्फ़ अहहहौमम्म्म उम्म्म अहाहाहा...." स्नेहा आगे बोल ही नहीं पा रही थी.... इसलिए उसने अपने दोनो हाथों को अपने चुचों से हटाया और रिकी का अंदर बाहर होते लंड को पकड़ा और उसे बाहर निकाला और अपनी लाल आँखों से उसे देखते हुए बोली




"सिर्रफ़्फ़ मूह को ही चोद्ते हो क्या देवर्र जीई... उम्म्म्म अहहाहा हहहहहाअ..." रिकी ने जब एक नज़र नीचे मारी तो स्नेहा की आँखें एक दम लाल सुर्ख हो चुकी थी, बाल एक दम बिखरे, उसके चुचे हवा में झूल रहे थे जिन्हे देख रिकी भी मदहोश होता गया





बिना कुछ कहे या जवाब दिए रिकी ने अपने हाथों से स्नेहा के चेहरे को थोड़ा उपर किया और खुद झुक के फिर से उसके होंठों को चूमने में लग गया...




"उम्म्म्ममाहहहहााा येस्स्स्स अहहहाहा...." स्नेहा फिर खड़ी हुई और रिकी की बाहों में समा के उसके होंठों का रास्पान करने लगी...चूमते चूमते रिकी ने स्नेहा को अपनी मज़बूत बाहों में उठाया और होंठ चूस्ते चूस्ते बेड पे पटक दिया.. बेड पे आते ही स्नेहा ने अपने सर को बेड के भरोसे टिकाया और अपनी टाँगें खोल के चूतरस से भीगी हुई चूत के दर्शन रिकी को करवाए.. रिकी भी आगे बढ़ा और उसकी गुलाबी चूत को देख अपनी जीभ से उसे चाटने लगा...




"अहाहाहा उम्म्म्मम..... " स्नेहा ने मस्ती की सिसकारी छोड़ी और रिकी के बालों को पकड़ के उसे चूत के अंदर दबाने लगी, लेकिन उसका ज़ोर इतना तेज़ नहीं था, इसलिए रिकी ने अपनी जीभ निकाली और स्नेहा की टाँगों को थोड़ा और फेला के अपने लंड को स्नेहा की चूत पे सेट करके अपने सुपाडे को उसकी चूत के होंठों पे घुमाने लगा..




"आहहहहहहाआ नूऊऊओ ससिईईईईईई..." स्नेहा तड़पने लगी




"अभी तो यह अंदर गया भी नहीं है भाभहिईिइ.." इतनी देर में रिकी यह पहला वाक्य पूरी तरह से बोला था जिसे सुन स्नेहा की मस्ती में बंद हुई आँखें भी खुली और उसके होंठों पे मुस्कान टायर गयी...




"अब दिखा भी दीजिए ना आपका ज़ोर..." स्नेहा ने रिकी के लंड को पकड़ा और अपनी चूत उपर उठा के उसके लंड को अंदर लेने लगी.. रिकी भी अब अपने लंड को अंदर घुसाने लगा और धीरे धीरे कर हल्के हल्के धक्के देने लगा..





"अहहहहहहा उफफफफ्फ़...... बहुत मज़ा आआहहहाहः आ रहा हाऐईयईईईईई.. हाअवययययईई..... कितनी खुश नसीब है अहहहहाहाहा उफफफफ्फ़ देवर जीई अहाहाा... मेरी ननद को भी अहहहहहा ह्म्म्म्म ऐसे ही चोद्ते हैं क्या अहहहहाआ ओमम्म्ममममम....... ओह्ह्ह येस्स्स्स रिक्कययी अहाहाा....... फकक्क्क्क उरर शीएन्न्नाआहह अहहहहाआ...."

स्नेहा के मूह से यह शब्द सुन रिकी का खून खोलने लगा... रिकी ने अपने लंड को रोका और स्नेहा को घूर्ने लगा... जब स्नेहा ने आँखें खोली तब चटाअक्ककक की आवाज़ उसके कानो में गूँजी, अपने कड़क और लोहे समान हाथों से रिकी ने उसके गाल पे करारा तमाचा मारा...




"सस्शह.... रंडी हो, रंडी बनकर रहो... शीना का नाम भी लाई तो यहीं का यहीं दफ़ना दूँगा...." रिकी की आँखों में खून उतरने में एक पल भी ना लगा.. तमाचा इतना ज़ोर का था कि स्नेहा के मूह से शब्द नहीं निकले और बड़ी मुश्किल से अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश करने लगी...




"आहाहहाहा... माफ़ कीजिए मेरे देवर जीई अहहहा..... और ज़ोर से चोदिये ना भाभी को अहहहहाहा आहाआईई..... क्या अपनी शीना को भी इतना धीरे चोदते हैं आहहाअ अपप्प उम्म्म्म.." स्नेहा ने फिर रिकी को उकसाना चाहा लेकिन रिकी ने अपने धक्के जारी रखे और स्नेहा की टाँगों को हवा में उठा के उसकी चूत के अंदर अपना लंड पेलता रहा...




चूत से लंड टकराने की आवाज़ के अलावा अभी कोई और आवाज़ नहीं दिस ईज़ वक़्त, बाहर बारिश थम चुकी थी, बस ठंडी ठंडी हवायें बह रही थी और अंदर इनकी चुदाई का घमासान... जितनी देर रिकी स्नेहा को चोद रहा था, उतनी देर रिकी ने स्नेहा की टाँगें हवा में पकड़े रखी और लंड को अंदर पेलता रहा...




"अहहाहाहहाहा नाहिंन्नणणन्.... बसस्सस्स आहहहहाअ... टाँगें नीचे करने एद्दूऊ आहहहहाअ.." स्नेहा टूटी हुई साँसों से बोलने लगी, यह थकान चुदाई की नहीं लेकिन इतनी देर टाँगें उपर थी इसलिए वो बिलबिलाने लगी




"अहहहहाहा नूऊऊओ..... प्लीज़ नीचे करने द्दोदूओ ना आअहह.." स्नेहा भीख माँगने लगी, लेकिन रिकी ने उसकी एक ना सुनी.. चोदते चोदते अचानक रिकी रुका और लंड बाहर निकाल के खुद बेड पर लेट गया... स्नेहा को लगा कि रिकी थक गया तो वो भी लंबी साँसें लेने लगी और उसके बाजू में जाके लेट ही रही थी कि अचानक फिर से उसके गालों पे एक करारा थप्पड़ पड़ा...




"सोने के लिए कहा मैने तुझे बेन्चोद्द्द्द.. उपर आ चल अभी... रंडीपन एक बार में ख़तम करूँगा मैं तेरा... चल साली कुतिया कहीं की..." रिकी ने स्नेहा के बाल पकड़ उसे धक्का दिया और स्नेहा बिना कुछ बोले उसके लंड पे बैठ के धीरे धीरे कूदने लगी...




"बड़ा शौंक है ना मादरचोद...." रिकी ने बस इतना ही कहा और नीचे से बड़े तेज़ धक्के लेके उसकी चूत में चोदने लगा... स्नेहा इस हमले के लिए तैयार नहीं थी क्यूँ कि उसकी टाँगें जवाब दे चुकी थी और इतनी तेज़ चुदाई से फिर उसके जिस्म में दर्द बढ़ने लगा..





"अहहहहहहा अनूऊऊऊ नाहिन्न्न अहहहहहा नहियंन्णणन् नाहा नाआअ..... बाहर निकालो अहहहहहा नऊऊऊऊऊओ........" स्नेहा चीखते चीखते चुदवाने लगी और रिकी किसी मशीन की तरह उसे चोदे जा रहा था...





"अहहहहहा यीएस्स्स अहहहहा.आ.. और ले बेन्चोद्द्द....... अहहहहा अपने बाप कूऊव अहहा चोदना नहीं सिखाया कर अहहहहा उफफफ्फ़....." रिकी भी तेज़ी से धक्के मारते हुए जवाब देने लगा



चोदते चोदते जब रिकी की स्पीड कम हुई, तब स्नेहा ने देखा कि उसकी टाँगें भी अकड़ने लगी है और वो शायद झड़ने वाला था... स्नेहा उस वक़्त कूदना छोड़ के उसके लंड पे बैठ गयी और अपनी चूत को गोल गोल उसके लंड पे घुमाने लगी..




"आहाहहा ऊऊऊंनूऊऊओ.. आइएम कमिंग भाभहिईिइ अहाहाआ...." रिकी ने उसे हटाने की कोशिश की लेकिन वो वहीं की वहीं बैठी रही और अपनी चूत और भी ज़ोर से घिसने लगी...





"अहहहहाहा स्शहीत्त्त......" रिकी तेज़ी से चीखा और उसकी चूत में अपना पानी छोड़ने लगा.. अपनी चूत के अंदर पानी महसूस कर स्नेहा को काफ़ी खुशी हुई, आख़िर यही तो उसका काम था...




"आआहा देवर जीए..... कम इन मी अहाहाा.उम्म्म्ममम.." स्नेहा ढीले पड़ चुके रिकी के लंड पे फिर चूत को घुमाने लगी और जब देखा कि वो शांत पड़ गया है तो वो भी उसके लंड के उपर से उठी और उसके पास जाके लेट गयी






जहाँ रिकी अपनी आँखें बंद कर शीना के बारे में सोच रहा था और अपनी टूटी हुई साँसों को समेटने की कोशिश कर रहा था, वहीं स्नेहा ने अपने चेहरे को रिकी के सीने में छुपा लिया था... कुछ ही पल बीते थे कि स्नेहा ने कहना शुरू किया
 
"रिकी... शीना को छोड़ दो.. मैं तुम्हारी होना चाहती हूँ, पाना चाहती हूँ तुम्हे.." स्नेहा ने अपने नाख़ून उसके सीने पे फेरते हुए कहा




"क्या कहा.. अपनी औकात मत भूल दो टके की लौंडिया.. कहाँ शीना और कहाँ तू..." रिकी ने स्नेहा के बाल खींच के कहा और वहाँ से अपने कमरे में जाने लगा..




"अगर यह सब शीना को पता चला तो वो तुम्हे छोड़ देगी समझे, मेरा मूह बंद रखना चाहते हो तो मेरी बात मान लो..." स्नेहा ने उसे धमकी दी लेकिन रिकी पे उसका कोई असर नहीं हुआ और वो अपने कमरे में घुस्स गया




"लगता है शीना को यह रेकॉर्डिंग सुनानी पड़ेगी.." स्नेहा ने बेड के पास से एक डिवाइस निकाला और उसमे अपनी चुदाई की आवाज़ें रिकी के कमरे के बाहर खड़ी होके सुनने लगी... आवाज़ें सुन के थोड़ी देर में रिकी बाहर आया और स्नेहा ने अपनी रेकॉर्डिंग बंद की




"अब बोल.. क्या अब भी मना करेगा तू.." स्नेहा ने अपने हाथ बाँधते हुए कहा




"मैने पहले ही कहा था, डॉन'ट टीच यू फादर टू फक" रिकी ने जवाब दिया और एक दूसरी रेकॉर्डिंग प्ले की जिसमे स्नेहा की और राजवीर की होटेल रूम में हुई चुदाई की बातें और अमर को मारने की बातें चल रही थी.. रेकॉर्डिंग सुन स्नेहा का पूरा गुस्सा ठंडे पानी समान हो गया और उसकी आँखों में एक डर फेलने लगा.. रिकी से नज़रें चुरा के इधर उधर देखने लगी और ठीक इसी वक़्त रिकी ने फिर से उसके चेहरे पे एक तमाचा कसा जिससे वो सीढ़ियों से नीचे गिरती गयी और उसके हाथ से वो डिवाइस छूट गया.. रिकी तुरंत उस डिवाइस को पकड़ने लगा और उसे हाथ में ले लिया..




"तेरी माँ को चोदु बेन्चोद, साली रंडी..." रिकी ने फिर स्नेहा को उसके बालों से पकड़ा और दो तीन तमाचे और कस दिए उसके गालों पे.. स्नेहा सीढ़ियों से गिरने की वजह से पहले ही दर्द में थी और अब तीन तमाचे उसके आँसुओं को बाहर ले आए...




"रो मत.. बेन्चोद, मेरे बाप को मारेगी... अब जाके सुना कोई भी रेकॉर्डिंग मदरजात.. मैं देखता हूँ तू और राजवीर कैसे बचते हो... और आइन्दा से शीना का नाम भी अपनी ज़बान पे लाई, तो याद रखना, घर के अंदर जो हुआ सो हुआ, यही सब घर के बाहर, 1000 लोगों के बीच भी मैं कर सकता हूँ.." रिकी ने कहके बाल छोड़े और स्नेहा को घूर्ने लगा जो अभी भी दर्द में थी और बिलख बिलख के अपने आँसू पोछ रही थी




"ओह्ह्ह्ह मेरी प्यारी भाभी..... " रिकी ने हँस के स्नेहा को देखा




"ओह्ह्ह... मेरी प्यारी रंडी भाभी.... देवर जी की चुदाई... कैसी लगी आपको... फीडबॅक के लिए एसएमएस करें, अगर पसंद आया तो हमे बतायें, नहीं तो अपनी माँ चुदवाये..." रिकी ने स्नेहा से हँस के कहा और अपने कमरे में चला गया.. कमरे में जाते ही स्नेहा वाले डिवाइस को तोड़ के बाहर फेंक दिया और गुस्सा शांत होते ही शीना के बारे में सोचने लगा

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"यार दो बियर दूसरी पिलाओ..." सन्नी ने सामने खड़े बंदे से कहा लेकिन उससे कोई जवाब नहीं मिला..




"अरे हां , मैं लंडन में हूँ... टू मोर बियर्स प्लीज़..." सन्नी ने फिर उससे कहा और वो उसके लिए बियर लेने चला गया




"तुझे बियर भी चढ़ने लगी अब साले.. कहाँ तो एक पूरी स्कॉच ख़तम कर लेता था.. आज क्या हुआ.." समर ने उसे सामने कहा




"बियर नहीं चढ़ि साले, तेरी बातें चढ़ने लगी है... पहले ही ज़िंदगी में टेन्षन कम है अब उपर से तेरी बातें, साला इंडिया से यहाँ भाग आया ताकि टेन्षन से दूर रहूं, और अब यहाँ भी तू मिल गया.. लगता है साला अब किसी पहाड़ी की चोटी पे जाके बैठ के तपस्या करनी पड़ेगी, यू नो, वो जैसे हिन्दी सीरियल्स में दिखाते थे ना, वो सेक्सी सेक्सी लड़कियाँ साधु लोगों को कंपनी देती हैं, वैसी एक दो रख लेने की.. ज़िंदगी सुकून से कटने लगेगी फिर.. ना तू, ना कोई और, और ना ही कोई टेन्षन.." सन्नी समर से कह ही रहा था कि उसके सामने उसकी दो बियर के पाइंट आ गये..




"थॅंक यू माइ फ्रेंड.. चियर्स..." सन्नी ने उस वेटर से कहा और फिर समर की तरफ रुख़ कर दिया




"वहाँ भी लड़की ले जाएगा.." समर ने अपनी बियर का घूँट पीते हुए कहा




"हां तो.. साले वहाँ मोबाइल का नेटवर्क नहीं आएगा, तो फिर बातें किसके साथ करूँगा..." सन्नी ने इर्द गिर्द आँख घूमाते हुए कहा लेकिन उसे कोई लड़की नहीं दिखी वहाँ




"बातें ही करेगा ना तू.. सिर्फ़ बातें... पक्का ?"




"अरे, मतल्ब कंप्लीट पॅकेज यार.. तू भी ना.. और हां, मैं तेरा कोई काम नहीं करने वाला समझा.. बियर के पैसे मैं भर दूँगा अपने, साला बियर पिला के क्या क्या उम्मीद रखने लगा है तू अब हैं.." सन्नी ने सीरीयस होते हुए कहा




"ठीक है तू दे दे अपनी बियर के पैसे, कोई काम नहीं कर मेरा..." समर ने अपनी बियर पीते हुए कहा और सन्नी को घूर्ने लगा




"ऐसे घूर्ने से फ़ैसला नहीं बदलूँगा मैं अपना.. देख जो तू कह रहा है वो करना कोई आसान काम थोड़ी है, मेरे लवडे लगेंगे, आपका क्या है, आप तो पौंड खिला दोगे इधर, लेकिन मैं छोटा सा बच्चा, मेरे को कौन बचाएगा.. मेरा बाप तो पहचानेगा भी नहीं कुछ गड़बड़ हुई तो समझा.." सन्नी ने बियर पीते बीते समर से कहा और अपने लिए दूसरी दो बियर ऑर्डर कर दी




"सर, यू हॅव ऑलरेडी ऑर्डर्ड 12 बियर्स.." वेटर ने उससे कहा




"ओके सर, दीज़ टू विल मेक इट 14.. आइ नो दा मेद्स.. ओके, 3 मोर.. फिफ्टीन विल बी दा टोटल.. सी, आइ आम कॉन्षियस नाउ.. हॅपी.." सन्नी ने वेटर को अपनी लाल आँखें दिखाते हुए कहा




"ओके सर.. आंड एनितिंग फॉर यू सर.."




"नो, नतिंग.. जस्ट दा बिल" समर ने वॉलेट निकाल के कहा




"हां तो मैं कह रहा था कि तू जो बोलता है यह बार बार के मेरे को बाप नहीं बचाएगा, पैसे नहीं है.. तुझे देख के लगता तो नहीं कि तू फाइनॅन्षियली इतना साउंड नहीं है, लंडन में पढ़ने आया है तो पैसा तो होगा ना..आंड चिंता क्यूँ करता है, कुछ भी नहीं होगा, मैं हूँ.." समर ने उसे आश्वासन देते हुए कहा




"भाई पढ़ने नहीं आया, भाग आया हूँ घर से.. घरवालों को दिखाने के लिए कॉलेज में हूँ.. नहीं तो.." कहते कहते सन्नी रुक गया




"नहीं तो.. नहीं तो क्या.." समर ने उससे जानना चाहा




"भाई, मैं इंडिया वापस जाउन्गा ना तो मेरी.." सन्नी कह ही रहा था कि उसका फोन बजने लगा




"रुक साले.." सन्नी ने समर से कहा और फोन निकाल के स्क्रीन पे नाम देखा तो उसके चेहरे पे चमक आ गयी




"यस बेबी... हां जी जानता हूँ.. जी आपको वक़्त देके ऐसा करेंगे हम, पक्का जी, दो घंटे में.. यस.. मैं जी 15 मिनिट पहले ही आ जाउन्गा... बाइ..." सन्नी ने फोन रखा और समर को देखने लगा





"फाइनली इंडियन मिल गयी तुझे..." समर ने आँखें बड़ी करके कहा
 
"नहीं, सऊदी की है.. इससे आगे कुछ मत सोचना, तू समझ जाएगा.. हिन्दी तो वो अभी सीख रही है उसकी एक पाकिस्तानी फरन्ड है ना.. उससे.." सन्नी ने जल्दी से अपनी दो बियर्स उठाई और वहाँ से जाने लगा




"अरे कहाँ जा रहा है, अभी दो घंटे हैं और तेरा बिल भर दे.." समर ने उसे बिल देते हुए कहा




"अरे सबसे पहले फ्रेश होने जाउन्गा भाई, फिर थोड़ी रन्निंग और फिर उससे मिलने जाउन्गा.. हां तेरी बाइक दे ना प्लीज़, और बिल तो तू भर दे, अब मेरे साथ हिसाब करेगा क्या तू भी.. चल चल जल्दी बाइक की चाबी दे, मैं यहाँ से कॉलेज चल के जाउन्गा तो थोड़ी देर लगेगी.. चल अब जल्दी कर यार.." सन्नी बहुत ही इमपेशेंट हो रहा था




"अबे हां.... यह ले, और मेरी बात के बारे में सोचना.." समर ने चाबी पकड़ाते हुए कहा





"हां भाई.. चल बाइ.." कहके सन्नी दौड़ता दौड़ता बार से निकला और जल्दी जल्दी कॉलेज की तरफ बढ़ने लगा.







शाम के 4 बजे और घने काले बादलों ने लंडन को घेर रखा था.. लंडन में धूप निकलने का एक वक़्त होता है और बारिश और बादलों का घिरना वो एक सामान्य चीज़ है.. जब जब तेज़ धूप निकलती है, तब तब यहाँ गोरे छुट्टी लेके सन बाथ करने निकल पड़ते हैं.. बार से कॉलेज का रास्ता काफ़ी सुहाना था, आस पास कुछ गार्डेन्स और एक कच्ची सड़क के किनारे से चलता हुआ सन्नी सोच रहा था कि समर ने जो उससे कहा वो उसे करना चाहिए की नही.. चलते चलते अचानक से फिर बारिश शुरू हुई, हाला कि इतनी तेज़ बारिश नहीं थी लेकिन कोई भी उसमे दस मिनिट तक खड़ा रहे तो पूरा गीला हो सकता है.. जहाँ से सन्नी गुज़र रहा था वहाँ पास के गार्डेन में एक छोटा रॅंच हाउस बना हुआ था. सन्नी जल्दी से वहाँ गया और बारिश ख़तम होने का वेट करने लगा..




"बहनचोद.. यह तो रुकेगी नहीं और उधर वो भी गाड़ी में आएगी.." सन्नी ने बादलों को देखते हुए खुद से कहा और देखते ही देखते बारिश बढ़ गयी




"इसकी तो.. साला समर की गाड़ी ही लेनी थी.. पर समझ नहीं आ रहा उसकी बात का करूँ क्या, जो उसने बताया वो सच हुआ तो यह काम करना चाहिए, लेकिन मेरी जॅक लगी तो फिर साला कौन देखेगा इसकी क्या गॅरेंटी... वैसे तो समर पे विश्वास है, वो बिल्कुल फँसाने नहीं देगा लेकिन फिर भी.. जान है तो जहान है.. और अभी तो मेरी सिर्फ़ 6 कंट्रीज़ हुई हैं.. अब क्या करूँ, " सन्नी खुद से बातें ही कर रहा था कि 20 मिनिट के बाद बारिश रुक गयी और मौसम फिर सॉफ होने लगा




"लोड्‍ा ले लो तुम भी.. बेन्चोद अब क्यूँ रुके, दो घंटे और गिरती तो क्या जाता, अब लेट हो जाउन्गा ना.." सन्नी ने उपर बादलों की तरफ देख कहा और जल्दी से कॉलेज की तरफ बढ़ने लगा.. दौड़ता दौड़ता वो कॉलेज पहुँचा और सबसे पहले अपना ट्रॅक और शूस लेके फील्ड की तरफ बढ़ा जहाँ उसकी पूरी टीम ड्रिल में लगी हुई थी..




"हे.. वी हॅव आ मॅच टुमॉरो.. कम हियर आंड प्रॅक्टीस.." उसके कप्तान ने चिल्ला के पुकारा




"हे बिली.. यस,आइ एम हियर फॉर सम रन्निंग.. फर्स्ट लेट मी फिनिश दट, लेट मी वॉर्म अप आंड देन आइ विल जाय्न यू गाइस" सन्नी ने बहाना बनाते हुए कहा क्यूँ कि वो जानता था कि अगर वो फुटबॉल ड्रिल पे रुका तो कम से कम एक घंटा और जाएगा और ऑलरेडी उसके 40 मिनिट निकल चुके थे




"नो प्राब्लम सन्नी..ऑल आइज़ विल बी ऑन यू टुमॉरो ओके.. इट'स अन एलिमिनेटर , होप यू रिमेंबर" बिली ने बॉल दूसरे खिलाड़ी की तरफ फेंकते हुए कहा




"वी आर विन्निंग दट बिली.. हाउ मच यू वान्ट टेल मी, " सन्नी ने बॉल उसका हाथ से छीन के कहा




"गिव मी 3-0 बडी.. आइ विल गिफ्ट यू दा बेस्ट एवर प्रेज़ेंट ऑफ युवर लाइफ.." बिली ने हंस के कहा




"स्कॉटलॅंड ?" सन्नी ने आँख मारते हुए कहा




"हाहाहा.. कॅनडा बेबी.. टर्न अराउंड आंड हॅव आ लुक अट दा शीक.." बिली ने उसे इशारा करके कहा, और सन्नी ने उसके इशारे का पीछा किया तो दूर एक कोने में लड़की खड़ी अपनी फरन्डस के साथ बातें कर मुस्कुरा रही थी..




"ह्म्म्मक..." सन्नी ने सिर्फ़ इतना ही कहा क्यूँ कि काफ़ी दूरी से उसको चेहरा दिखा नहीं ठीक




"जेन्निफर... ट्रस्ट मी, शी विल नॉक यू आउट. बट ऑल दिस आफ्टर 3-0.. नो 2-0, नो 3-1.." बिली ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा




"शी ईज़ माइन..." सन्नी ने हाथ मिला के जवाब दिया और अपनी दौड़ में लग गया.. पूरे फील्ड के 6 राउंड्स निकालते निकालते सन्नी ने एक बार भी जेन्निफर की तरफ नहीं देखा, क्यूँ कि वो जानता था के एक बार उसको देख लिया तो फिर ना वो गेम पे फोकस कर पाएगा और ना ही आने वाली मुलाक़ात पे.. छठा राउंड जैसे ही ख़तम होने आया सन्नी अपनी टीम की नज़रों से काफ़ी दूर था, एक नज़र घड़ी की तरफ मारी तो अभी 6 बजने में सिर्फ़ 20 मिनिट रह गये थे.. वो जल्दी से फील्ड के पीछे से निकला और अपने रूम की तरफ दौड़ने लगा.. रूम में जाके जल्दी से नहाया और कपड़े पहेन समर की बाइक लेके जल्दी से निकलने लगा




"फक..." बाइक पे बैठ सन्नी चिल्लाया और फिर रूम की तरफ भागा, शायद कुछ भूल गया था.. रूम में जाते ही एक ड्रॉयर खोला और पाउच लेके जेब में डाल जल्दी से उस लड़की से मिलने भागा
 
"भाई.. कहाँ पहुँचे आप.." शीना ने रिकी से फोन पे पूछा




"मुंबई टच किया डियर.. जल्दी आता हूँ.." रिकी ने फोन पे जवाब दिया और फोन कट कर दिया बिना कुछ सुने या बोले




"ऐसे क्यूँ फोन कट कर दिया.. चलो आओ देखती हूँ.." शीना ने खुद से कहा और अपने काम में लग गयी




करीब एक घंटे बाद रिकी ने गाड़ी रोकी और बाहर आके सीधा शीना से मिलने चला गया.. पीछे मूड के उसने एक बार भी स्नेहा की तरफ नहीं देखा जो गाड़ी से बाहर खड़ी होके मंद मंद मुस्कुरा रही थी..




"शीना... शीनाआअ...." रिकी मैं हॉल से ही चिल्लाने लगा और शीना को ढूँढने लगा.. शीना ने जैसे ही उसकी आवाज़ सुनी वो दौड़ के उसके पास भागी.. रिकी काफ़ी बेचेन लग रहा था, उसके एमोशन्स पे आज बिल्कुल भी उसका कंट्रोल नहीं था..




"शीना......" रिकी एक बार फिर चिल्लाया तो सामने से शीना आती दिखी उसे




"भाई... धीरे, व्हाट हॅपंड.. आप ठीक हो.." शीना दौड़ के उसके पास आई और उसे संभालने लगी..




"क्या हुआ भाई.. इतना चिल्ला क्यूँ रहे हो, और आपकी साँसें इतनी तेज़ क्यूँ.. आंड यह पसीना.. आप ठीक हो.." रिकी की लंबी लंबी साँसें चलते देख शीना को चिंता होने लगी




"आइ वान्ट टू टॉक टू यू.. प्लीज़ आओ मेरे साथ.." रिकी ने शीना से कहा और हाथ पकड़ के उसे अपने साथ ले जाने लगा




"भाई.. रिलॅक्स, चलिए..." शीना ने उसके हाथ को थामा और फिर उसे उपर ले जाने लगी.. उपर जाते जाते शीना ने देखा रिकी का हाथ एक दम गरम, दिल की धड़कन तेज़ चल रही थी.. वो समझ नहीं पा रही थी कि अचानक ऐसा क्या हुआ.. हमेशा एक दम नॉर्मल और कूल रहने वाला रिकी आज इतना परेशान था के उसे ऐसे देख शीना भी काफ़ी घबरा चुकी थी...




"पहले पानी पीजिए भाई.. आराम से.." शीना ने रिकी को बेड पे बिठाया और उसे पानी का ग्लास दिया.. पानी का ग्लास लेते वक़्त भी रिकी के हाथ काँप रहे थे, ग्लास को अपने होंठों के करीब ले जाते वक़्त उसके हाथ थर थर काँप रहे थे, बड़ी मुश्किल से उसने एक घूँट पिया ही था कि हाथ इतनी तेज़ी से काँपे के ग्लास उसके हाथ से छूट गया और काँच के गिरते ही शीना का पसीना बहने लगा.. रिकी ने अपने चेहरे को अपने हाथों में छुपा लिया और लंबी लंबी साँसें लेने लगा





"भाई.. यू नीड आ डॉक्टर.. बहुत गरम है आपकी बॉडी.." शीना ने रिकी के सर पे हाथ रखा तो उसका बदन तप रहा था..




"नहीं... वेट...." रिकी लंबी लंबी साँसें लेने लगा और अपने सर पे आया हुआ पसीना पोछने लगा..





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"यू नो सादिया.. यू आर दा मोस्ट ब्यूटिफुल थिंग दट हॅज़ हॅपंड टू मी टिल डेट.." सन्नी सामने बैठी लड़की से कह रहा था.. सन्नी के मूह से यह शब्द सुन सादिया काफ़ी खुश हुई, चाँद पे भी एक दाग रहता है, लेकिन सादिया का मुखड़ा एक दम सॉफ.. हल्की ब्राउन आँखें उसकी हमेशा चमकती रहती, उसकी हसी किसी भी माहॉल को खुशनुमा बना दे.. सादिया अभी सन्नी के सामने एक कॉफी शॉप में बैठी थी..





"आइ नो... लेट'स स्पीक इन हिन्दी.. मुझे हिन्दी भी आती है जनाब.." सादिया ने हँस के जवाब दिया




"आपको देख के हमारे मूह से शब्द निकले वही काफ़ी है, आपकी मौजूदगी में जैसे मैं कहीं खो जाता हूँ.." सन्नी ने उसका हाथ पकड़ना चाहा लेकिन फिर पीछे खींच लिया




"जानती हूँ, तभी तो आपने हमें आधा घंटा इंतेज़ार करवाया.." सादिया ने हँस के जवाब दिया जिससे उसकी आँखों में चमक बढ़ गयी




"इंतेज़ार का भी अपना ही मज़ा है मोहतर्मा.. वैसे देरी से आने के लिए माफ़ कर दें.." सन्नी ने दिल फेंक अंदाज़ में कहा




"आप पहले ऐसे शक़्स हैं जिसने लड़की को इंतजार करवाया, दिलचस्प तो पता नही, लेकिन हां अलग ज़रूर हैं दूसरे लड़कों से.." सादिया ने कॉफी मग को अपने होंठों से लगा के कहा..




"अरे यह क्या कह दिया आपने.. वैसे अलग का तो पता नहीं, लेकिन आप दिलचस्प ज़रूर हैं.." सन्नी ने भी अपनी कॉफी हाथ में ली और हल्के से सादिया को आँख मार दी




"अभी तो सिर्फ़ दूसरी मुलाक़ात है हमारी.. अभी से आप ने हमें पहचान लिया.." सादिया ने फिर जवाब दिया




"पहचानने के लिए एक नज़र ही काफ़ी है मोहतर्मा.. और यह पहली मुलाक़ात है, अगर आप कंट्री साइड में हुई मुलाक़ात को मुलाक़ात कहती हैं तो फिर आज की मुलाक़ात को क्या नाम देंगी.." सन्नी बातों को अच्छे से घुमाना जानता था




"मुझे लगा आज हम डेट पे हैं.." सादिया के यह जवाब सुन पहले तो सन्नी को यकीन नहीं हुआ लेकिन फिर अपने मचलते दिल को काबू किया




"मैने कहा था, आप दिलचस्प हैं.. देखिए, हुआ ना मैं सही.." सन्नी और सादिया अपनी अपनी बातों में लग गये और तकरीबन आधे घंटे तक कॉफी शॉप में बैठे रहे




"आपसे मिलके अच्छा लगा.. अब मुझे चलना चाहिए..' सादिया ने अपनी घड़ी देखते हुए कहा




"छोटी ही सही, लेकिन चलिए, आप कम से कम नाचीज़ से मिलने तो आई.." सन्नी ने सादिया को एस्कॉर्ट किया और कॉफी शोप के बाहर चले गये दोनो




"अलविदा.. सादिया जी.." सन्नी ने हसके कहा जब सादिया अपने ड्राइवर को बुलाने लगी




"अलविदा कहने से दुबारा मिलने की उम्मीद टूट जाती है.." सादिया ने फिर हंस कर जवाब दिया और अपनी गाड़ी का इंतेज़ार करने लगी.. करीब 2 मिनिट हुए और उसकी गाड़ी उन दोनो के सामने आके खड़ी हुई..
 
"ओह नो.. आइ वाज़ रॉंग.." सन्नी ने सादिया से कहा उसकी गाड़ी देख कर




"क्यूँ, क्या हुआ.." सादिया को समझ नहीं आया सन्नी ने ऐसा क्यूँ कहा




"आप ज़रूर दिलचस्प हैं, लेकिन आपकी कार.. उतनी ही बोरिंग.. इससे अच्छी गाड़ी मेरे पास है" सन्नी ने सादिया की ऑडी को देख कहा




"ह्म्म्मे...." सादिया ने मुस्कुरा के जवाब दिया और सन्नी का इशारा समझ गयी





"यू नो... आपकी वजह से काफ़ी स्लो चला रहा हूँ बाइक.. आपके गिरने का डर है, नहीं तो इससे भी तेज़ चला सकता हूँ मैं.." सन्नी ने सादिया को कहा जो अभी उसकी बाइक के पीछे बैठी थी.. सन्नी की यह लाइन सुन सादिया ने उसे पीछे से हग किया और ऐसा करते ही सन्नी ने अपनी बाइक की स्पीड बढ़ा दी.. कॉफी शॉप से लेके सादिया के घर तक सन्नी एक मिनट भी खामोश नहीं रहा, वो कहता रहा और सादिया उसकी बातें सुन मुस्कुराती रहती.. सादिया का घर था ब्रिस्टॉल काउंटी में, जो कॉफी शॉप से करीब एक घंटे की दूरी पे था.. लेकिन सन्नी केंट और हॅंप्षाइर से घुमा के ले जाने लगा जिसे सादिया ने नोट किया लेकिन सन्नी को रोका नहीं.. हरी हरी वादियों के बीच से होते हुए घर जाना, खुली ताज़ी हवा और साथ में दो दिलचस्प इंसान... ऐसे में सादिया के दिल को काफ़ी सुकून मिल रहा था, वैसे सादिया जहाँ भी जाती तो ड्राइवर के साथ उसकी गाड़ी में, लेकिन आज यह बाइक का एक्सपीरियेन्स काफ़ी अलग था उसके लिए... तेज़ बाइक पे बैठते ही ठंडी हवा को जैसे ही सादिया ने अपने बदन पे महसूस किया उसने अपनी आँखें बंद की और मौसम का मज़ा लेने लगी...





"वउूऊहूऊऊओ..." सादिया तेज़ी से चीखी जब सन्नी ने बाइक की स्पीड और तेज़ की और अपने स्कार्फ को खोल के उसे हवा में लहराने लगी... सादिया को ऐसे देख सन्नी समझ गया कि सादिया अब कहीं और नहीं जाएगी, इसलिए उसने खामोश रहना ही ठीक समझा और बाइक उसके घर की तरफ तेज़ी से चलाता रहा और तब तक सादिया भी अपनी खुशी अपने स्कार्फ को लहरा लहरा के दिखा रही थी.. सादिया का घर अभी कुछ 10 मिनट की दूरी पे ही था कि अचानक से तेज़ बारिश का आगमन फिर से हुआ.. बारिश के आते ही सन्नी ने अपनी तेज़ी कम की और बिल्कुल धीरे धीरे बाइक चलाने लगा




"ओह नो.. यह मौसम भी यहाँ एक पल में बदल जाता है.." सादिया ने अपना स्कार्फ फिर बाँध लिया और सन्नी से चिपक के बैठ गयी..




"चलिए सादिया जी.. आपका घर आ गया..." सन्नी ने तेज़ बारिश में एक घर के आगे अपनी बाइक रोकते हुए कहा




"अरे आप भी अंदर आइए, ऐसे बारिश में कहाँ जाएँगे, बारिश हल्की हो जाए फिर निकलें.." सादिया ने अपने सर को ढकते हुए कहा




"फिर कभी सादिया जी... आज शायद आपके अब्बू को खराब लगेगा ऐसे में आउन्गा तो"




"डरते हैं....हाहहहहाअ, खैर कोई बात नहीं, अब्बू घर पे नहीं हैं, आप प्लीज़ आयें.." सादिया ने फिर उसको न्योता दिया और वो अंदर चलने लगी..




"चलो, अभी ट्राइ मारते हैं.." सन्नी ने खुद से कहा और बाइक साइड में लगा के खुद भी अंदर चला गया...




"यह लीजिए, आपकी कॉफी..." सादिया ने सन्नी को कॉफी देते हुए कहा जब वो दोनो मेन रूम के काउच पे बैठे थे... सन्नी ने अपनी शर्ट निकाल के ड्राइयर में डाल दी थी और सादिया ने भी सबसे पहले उसके लिए कॉफी बनाई




"शुकरान... वैसे आप भी कपड़े बदल लें, नहीं तो बीमार हो जाएँगी.." सन्नी ने सादिया से कहा जिसने सिर्फ़ हां में गर्दन हिलाई और सामने बने अपने रूम में चली गयी.. सादिया जैसे जैसे अपने कमरे की तरफ बढ़ती वैसे वैसे सन्नी की नज़रें भी उसके पीछे जाती.. सादिया जानती थी फिर भी मुस्कुरा के अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी.. अपने कमरे में बढ़ते ही सादिया ने रूम को लॉक नहीं किया और आईने के सामने जाके अपनी ज़ूलफें संवारने लगी.. सन्नी ने अपना कॉफी मग टेबल पे रखा और धीरे धीरे सादिया के रूम की तरफ गया जिसका दरवाज़ा आधा खुला था.. सादिया ने चुपके से शीशे में देखा तो सन्नी को दरवाज़े के करीब पाया और मंद मंद मुस्कुराने लगी. अपनी नज़रें उँची की और फिर अपनी कमीज़ निकालने लगी.. सन्नी ने जब यह देखा के सादिया ने उसे देख लिया है उसके बाद भी वो अपने कपड़े बदल रही है तो वो मुस्कुराते हुए अंदर पहुँचा और एक एक कदम बढ़ा के सादिया के पीछे जा खड़ा हुआ.. तेज़ बारिश, कमरे में जल रही लकड़ियाँ और दो जवान बदन... कोई भी बहक सकता है, सादिया ने जैसे ही अपना हाथ अपनी कमीज़ के साइड पे रखा , सन्नी ने उसके हाथों पे अपने हाथ रखे और कमीज़ उतारने में उसकी मदद करने लगा...




"उम्म्म्ममम......" सादिया ने अपने हाथ हवा में उठा दिए जिससे सन्नी को आसानी हुई उसकी कमीज़ उतारने में...




"आप बेहद खूबसूरत हैं सादिया जी.." सन्नी ने अपनी गरम साँसें उसके गर्दन पे छोड़ते हुए कहा और हल्के से अपने होंठ उसके कंधों पे रख दिए




"सस्सिईईईईईईईईईईई....." सादिया की हल्की सी सिसक निकली सन्नी की गरम साँसों को अपने बदन पे महसूस कर..




सन्नी ने सादिया का चेहरा अपने साइड घुमाया तो उसके ब्रा में क़ैद चुचों को देख पागल सा होने लगा... सादिया की आँखें बंद थी और साँसें तेज़ चल रही थी.. ऐसे में सन्नी ने एक दम धीरे धीरे काम लेना सही समझा.. अपने हाथ पीछे ले जाके उसकी ज़ुल्फो से खेलते हुए बोला




"सादिया... प्लीज़ ओपन युवर आइज़..." सन्नी ने एक दम सुखी हुई आवाज़ में कहा जिसे सुन सादिया ने अपनी आँखें एक पल को खोली और फिर बंद कर ली..




सन्नी धीरे धीरे उसके होंठों की तरफ अपने होंठों को ले जा रहा था, जिसे महसूस कर सादिया भी अपने होंठों को खोल के उसके न्योते को स्वीकारने लगी




"उम्म्म्मममममममममममम....." सादिया की सिसकी निकली जब सन्नी के निचले होंठ ने उसके उपरी होंठ को चूसना शुरू किया




"आआहहूंम्म्मममममम...." सादिया ने इस बार कोई देर नहीं की और अपने हाथ सन्नी की पीठ पे ले जाके उसे खुद पर दबाने लगी




"आआहाआहह येस्स्स्स.स... उम्म्म्मममम " सादिया और सन्नी देखते ही देखते एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे






चूमते चूमते दोनो पागल हुए जा रहे थे, जब सन्नी ने मौका सही समझा, तब उसने आगे बढ़ने का सोचा और अपना हाथ पीछे ले जाके उसकी ब्रा के हुक पे रख दिया.. अभी हुक खुल ही रहा था कि अचानक से एक तेज़ आवाज़ आई




"थकककक थककककक.... थककक.... सादिया बेटी.... जल्दी दरवाज़ा खोलो"
 
"ओह शिट... अब्बू आ गये.." सादिया ने किस तोड़के सन्नी से अलग होते हुए कहा




"व्हाट... यह कैसे ,... बेन्चोद अपनी किस्मत ही खराब है... घंटा मैं कभी आगे बढ़ पाउन्गा किस से..." सन्नी जल्दी से मेन रूम में गया और अपनी शर्ट लेके पहनने लगा




"सन्नी, जल्दी जाओ... आंड दूसरी तरफ से जाओ... हरी अप..." सादिया बहुत डरने लगी




"तुम्हारे बाप को भी देख लूँगा एक दिन..." सन्नी ने शर्ट पहनी और जुते अपने हाथ में लेके दूसरे दरवाज़े से बाहर चला गया...





"हाहहहहहहहा...... ओह हाहहहहहहहा..... हिहीहीएहहेहेहेहीए...... अहहहहहहाआओह नूऊऊ अहहहहााअ.... याअरर अहहहो ...." समर की हँसी रुक ही नहीं रही थी सन्नी की किस्मत देख.. दोनो हॉस्टिल के बाहर वाली फील्ड पे बैठे थे और आस पास के स्टूडेंट्स सिर्फ़ उन दोनो ही देख रहे थे जहाँ समर पेट पकड़ के हँसे जा रहा था...




"बस कर ले भोसड़ी के..." सन्नी ने गुस्से में समर से कहा




"हाहहहा.... ओह तेरी अहहहुहह... हिहिहिहिहेहहेीए..." समर ने काफ़ी कोशिश की लेकिन उसकी हँसी रुकी ही नहीं और सन्नी का मूह लटकता चला गया यह देख



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"भाई... आर यू फाइन नाउ..." शीना ने रिकी से कहा जो अभी पहले से काफ़ी ठीक लग रहा था.




"भाई.. कुछ बोलिए ना, देखिए मुझे भी चिंता हो रही है.." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ के कहा




"शीना.... आइ लव यू आ लॉट... प्लस्स.... प्लीज़ कभी नहीं छोड़ना तुम मेरा साथ..." रिकी ने शीना को कस के अपनी बाहों से लगाया और उसके मस्तक को चूमा




"भाई.. व्हाट हॅपंड, प्लीज़ बताइए ना..." शीना ने फिर अपने सर को उँचा किया और रिकी की आँखों में देखने लगी..


"तू ठीक है.. ?" सामने से फोन पे रिकी से पूछा




"मुझे क्या होगा..?" रिकी ने खुद को संभालते हुए जवाब दिया




"अभी थोड़ी देर पहले शीना के सामने टूट चुका था, बिखर जाता उससे पहले मुझे संभालना पड़ा, और पूछ रहा है क्या हुआ.." सामने वाले ने चिंता जताते हुए कहा




"तू मेरी बातें कब से सुनने लगा.. विश्वास नहीं है तुझे क्या.." रिकी ने ठंडा पानी अपने गले के नीचे उतारते हुए कहा




"मैं तेरी बातें सुनू कि नहीं, वो तो तू ही कंट्रोल करता है, पर बात यह है कि मुझे बता क्या हुआ जो ऐसे बात कर रहा था शीना के साथ" सामने वाले की आवाज़ में रिकी के लिए एक फ़िक्र, एक चिंता सॉफ झलक रही थी




"नहीं, कुछ भी नहीं.. बस यूँ ही.." रिकी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले




"यूँ ही.. चूतिए, यूँ ही कोई पसीना पसीना होता है, वो भी उस घर में जहाँ लोग कम और एसी ज़्यादा है.. गान्डू समझ रहा है क्या, मैं जान के ही रहूँगा, जल्दी बता क्या हुआ चल... ज़्यादा लड़की नखरे ना छोड़ मेरे आगे.."




"यार.. अब मैं कैसे कहूँ..." रिकी को शब्द नहीं मिल रहे थे कि वो क्या कहे




"मूह से बोल, खोल तेरे मूह को चूतिए और बकना शुरू कर अब.. इतने नखरे तो बेन्चोद शीना ने भी नहीं छोड़े थे जब तूने उसको प्रपोज़ किया था, साला लड़की बन रहा है अभी.. चल बता.."




"यार, हुआ यूँ कि..." रिकी ने कहना शुरू किया और एक एक डीटेल सामने वाले को देना शुरू किया




"ओह तेरी... कमाल है, पहले शीना और अब भाभी.. तुम तो बड़े हंटर निकले भाई.." सामने वाले ने मज़ाक में कहा




"यार, ग़लती से हो गया.. वो साली सिड्यूस किए जा रही थी, आख़िर कितना रुकता, दिस वाज़ अन आक्सिडेंट..." रिकी ने चिंतित स्वर में कहा




"आक्सिडेंट.. अच्छा, तो आप घर पे चलते चलते गिर गये सीधा जाके अपनी भाभी की चूत पे.. ऐसा क्या"




"यार तू मगज ना चोद अब, मुझे समझ नहीं आ रहा कि शीना से कैसे सामना करूँ, मैं उससे आँखें भी नहीं मिला पाउन्गा, यह सोच के डर रहा हूँ" रिकी अपने नाख़ून चबाते हुए बोला




"अरे तो नहीं बता, तू क्यूँ साला बड़ा सच्चाई की मूर्ति बन रहा है, शीना कभी नहीं मानेगी कि स्नेहा तुझे यह सब करने पे मजबूर कर रही थी, बेटर है वहाँ से निकल और कुछ दिन मेरे पास आजा.. शांति से दारू पिएँगे और घूमते रहेंगे.." सामने वाले ने सिगरेट जला के कहा




"घूमना ? मुंबई में क्या घुमाएगा तू मुझे, साला एक ही शहेर कितनी बार देखूं.." रिकी अभी थोड़ा ठीक महसूस कर रहा था




"ओह हो, तो आप जानते हैं हमारा ठिकाना.."




"मैं चाहूं तो अभी तेरे पास 5 मिनिट में आ सकता हूँ, बट नहीं.. दारू नहीं पीनी, सिगरेट भी बंद करनी है, डॉक्टर की रिपोर्ट शीना देख लेगी तो मुश्किल हो जाएगी और उसके पास मेरी रिज़ल्ट भी है.. अब यह मार्क्स का भी जस्टिफिकेशन देना पड़ेगा.." रिकी थोड़ा सा सुकून महसूस कर रहा था




"हां, आपके मार्क्स कितने हैं वैसे, " सामने से फिर सवाल मिला




"अबे बहुत सही हैं, लास्ट टाइम 35, इस बार 45.. यह तो पहले दो सेमिस्टर में अच्छे थे, तो अग्रिगेट सीजीपी 6.3 रहा, नहीं तो घर से निकाल देते"




"खैर, शीना को नहीं बताना फिलहाल.. आंड ऐसा ख़याल आया भी कैसे, समझ, आइ मीन सपोज़ अगर ऐसा तू ज्योति के साथ करता, वैसे तो वो मेरा माल है, लेकिन फिर भी.. फॉर एग्ज़ॅंपल ऐसा तुम दोनो के बीच भी होता, तो क्या वो भी बताता शीना को.. सर, आक्सिडेंट हर बार नहीं होता..." सामने वाले की बात सुन रिकी अपने मन में कुछ सोचने लगा
 
"यार माफ़ कर दे.. वो भी हो गया , " रिकी अंदर ही अंदर खुद से कहने लगा और सामने वाली की बातें सुनाई ही नहीं दे रही थी उसे




"हेलो....हेल्ल्लू... अबे, अबे मर गये क्या..... हेल्ल्लूऊ..." सामने वाले की चीखने की आवाज़ सुन रिकी होश में आया




"हां, बोल बोल, वो कुछ सोच रहा था.." रिकी ने होश में आके कहा




"कुछ सोचना भी नहीं ज्योति के लिए समझा, अब सुन, शीना से कुछ नहीं कहना फाइनल.. उसको क्या कहके घुमाना है वो तू सोच ले,आइ एम शुवर तेरे दिमाग़ में कुछ ना कुछ आ चुका होगा.."






"भाई..... ठक्क ठक्क... यू आर फाइन ना..." बाहर से शीना दरवाज़े को पीटने लगी




"अबे, बाइ बाइ.. " रिकी ने आगे बिना कुछ सुने फोन रखा और दरवाज़ा खोल दिया




"थॅंक गॉड यूआर फाइन.." शीना ने सामने रिकी को देख कहा जो उसे देख मुस्कुरा रहा था




"मुझे क्या होगा.." रिकी ने शीना के लिए रास्ता बनाया और शीना भी अंदर आके बैठ गयी




"अब बताओ, क्या हुआ.. बताते बताते आधे में चले आए यहाँ, यूआर स्केरिंग मी आ लॉट.. प्लीज़ बताइए क्या हुआ.." शीना ने रिकी को अपने पास बुला के पूछा




"शीना, पहले पूरी बात सुनना.. कुछ भी रिएक्ट नहीं करना बीच में..ओके" रिकी ने शीना की आँखों में देख कहा




"ओके.. स्टार्ट करो अब, यूआर किल्लिंग मी वित युवर साइलेन्स.." शीना ने दाँत पीसते हुए कहा




"शीना, कल सुबह को मैं जब महाबालेश्वर के लिए निकल रहा था, तब ज्योति ने पापा और चाचू के सामने सब को सजेस्ट किया कि भाभी को भी एक बार रिज़ॉर्ट दिखा लेना चाहिए, अगर उन्हे कुछ कहना है किसी भी चीज़ को लेके तो उनकी राय भी ले लेनी चाहिए.. मैने कुछ नहीं कहा ऐसा, बट पापा ने ज्योति की बात को सही कहा और भाभी को मेरे साथ भेज दिया, भाभी ने सब देखा और विलसन से बात भी करी आगे के बारे में.. तो कल दोपहर जब हम ने बात की कि भाभी कहाँ है, तो वो उस वक़्त महाबालेश्वर में ही थी मेरे साथ, हम लोग उस वक़्त खाना खा रहे थे.. और अभी भाभी मेरे साथ लौटी, आइ आम रियली सॉरी कि मैने तुम्हे यह फोन पे नहीं बताया, पर अगर फोन पे बताता तो शायद तुम गुस्सा होती मुझसे, नाराज़ होती और बात नहीं करती, बट शीना प्लीज़ ट्रस्ट मी, मेरा कोई इंटेन्षन नहीं था तुमसे झूठ कहने का, सही वक़्त नहीं लगा इसलिए उस वक़्त नहीं बताया.. बट सबसे पहले आके तुमसे यह बात करना सही समझी, मैं घबरा गया था कि कहीं तुम नाराज़ ना हो मुझसे इसलिए यह सब हुआ.. शीना आइ आम रियली रियली सॉरी कि मैने झूठ कहा , प्लीज़ माफ़ कर दो.. प्लीज़ माफ़ करो यार, कुछ तो बोलो.. बोलोगि नहीं तो कैसे पता चलेगा कुछ.." रिकी की आँखों में नमी आने को ही थी




"बीच में बोलने को मना किया है, फिर कैसे बोलूँगी.. और मुझे पता है, कि भाभी वहाँ थी, सो रिलॅक्स करो.." शीना ने इतरा के मूह घुमा के जवाब दिया जिसे सुन रिकी का दिमाग़ गुल हो गया, हां उसने आधा सच बताया था लेकिन फिर भी स्नेहा उसके साथ थी यह जानने के बाद भी शीना इतनी शांत, उससे एक झटका लगा




"रिलॅक्स किया कि नहीं, अब बताऊ मुझे कैसे पता चला ?" शीना ने फिर कॅषुयल वे में कहा और रिकी की आँखों में देखने लगी जो हल्की सी नम होने को थी




"ओह्ह्ह यार... भाई आप ना, यूआर वेरी इनोसेंट.." शीना ने रिकी के सर को पकड़ा और उसे गोद में सुला दिया.. शीना की गोद में आते ही रिकी ने भी अपनी आँखें बंद की और उससे लिपट गया




"सॉरी भाई, शायद आपकी बात की शुरुआत में ही बता देना था आपको, बट आप सॉरी बोलते वक़्त इतने क्यूट लग रहे थे ना.. तो मैने सोचा थोड़ा और देखूं आपको सॉरी कहते हुए भी हहिहिहिहह्ी.." शीना ने हँस के कहा और रिकी के चेहरे को उपर किया तो उसकी आँखों की नमी भी अब जाती रही




"रोते वक़्त भी बड़े डॅशिंग लगते हो आप बाइ गॉड..." शीना ने रिकी के चेहरे को अपने हाथों में थामा और उसके मस्तक को चूम लिया




"आइ हेट यू नाउ.." रिकी ने मज़ाक में कहा और शीना से चिपक गया




"हाहहाहा.. अच्छा सुनो, आप जैसे ही बात बताते बताते आधे में आए तब ज्योति ने फोन किया उसकी रिज़ल्ट बताने के लिए, बट आपको देख मैं भी परेशान थी तो वो समझ गयी कि सम्तिंग ईज़ ट्रबलिंग मी, तो उसने ज़ोर दिया और मैने बता दिया.. तो आपका नाम सुनते ही उसने कहा, कि भैया और भाभी कब आए ? और भैया का रिज़ल्ट क्या आया.. रिज़ल्ट तो मैने नाही बताई, पर भाभी के बारे में सुनते ही मैने उससे पूछा तो उसने सब बताया जो अभी आपने मुझे बताया.. मैं उसपे गुस्सा हुई कि उसने भाभी को आपके साथ क्यूँ भेजा, फिर वो भी समझाने लगी कि भाभी को बुरा नही लगे आंड ऑल दट नॉनसेन्स, अब जब उसपे गुस्सा हुई तो आप पे क्यूँ करूँगी.." शीना ने यह सब रिकी से एक साँस में कह दिया और फिर थोड़ा रुक गयी




"आप तो मेरी जान हो जी..." शीना ना आँख मार के कहा और रिकी से गले लग गयी.. रिकी के दिल को इतना सुकून मिला वो सोच भी नहीं सकता था कि शीना उससे नाराज़ नही हुई.. रिकी ने आधा सच बताना ही बेहतर समझा, इसलिए आगे बिना कुछ कहे शीना का हाथ पकड़े वहीं बैठा रहा




"अच्छा अब बताओ, रिज़ल्ट ऐसी क्यूँ आई आपकी.." शीना ने फिर से रिकी को झींझोड़ना शुरू किया, अब क्या जवाब देता रिकी यही सोचने लगा और शीना से नज़रें चुराने लगा...




"बताओ, नज़रें नहीं चुराओ.. मैने अब तक किसी से नहीं कही आपकी रिज़ल्ट, बट ऐसा क्यूँ आया रिज़ल्ट पहले बताओ, फिर डिसाइड करूँगी, कि मोम डॅड को बतानी है कि नहीं" शीना ने टिपिकल बहेन के आवाज़ में रिकी से जवाब माँगा.. ऐसा लग रहा था कि बच्चे की चोरी पकड़ी गयी और बहेन को जवाब दे रहा हो..




"शीना, हुआ यूँ था आक्च्युयली कि, 3र्ड सेमिस्टर से पहले.. मैं हॉस्पिटल में अड्मिट हुआ था.." रिकी ने नज़रें झुका के कहा, क्यूँ कि वो आँखों में देख के झूठ नहीं बोल सकता था




"व्हाट... क्यूँ, क्या हुआ था, और हम सब को तो बताया नहीं था, आंड व्हाई.. और रोज़ तो बात करते थे हम.. फिर कैसे.. ओह माइ गॉड, वाज़ सम्तिंग सीरीयस..." शीना ने इतने सारे सवाल एक दम पूछ लिए कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था वो क्या कहे, क्या नहीं




"रिलॅक्स.. वो दरअसल हुआ यूँ था कि, कॉलेज में कुछ लोगों ने अचानक हमला कर दिया था हम पे.. हमारी कॉलेज टीम फुटबॉल कप जीती थी, इसलिए उनके सपोर्टर्स ने हमे मारना और अटॅक्स करना शुरू किए, मैं अकेला था उस दिन, इसलिए कुछ नहीं कर पाया.. उस की वजह से क्लासस नहीं अटेंड हुए तो वहाँ अटेंडेन्स के मार्क्स कम हुए, और लेक्चर्स मिस तो सब नोट्स बनाने रह गये.. इसलिए यह हुआ, और 3र्ड सेमिस्टर के बाद अग्रिगेट ड्रॉप हो गया, 4थ सेमिस्टर में भी मुश्किल से बेस कवर किया, तभी जाके इतने मार्क्स आए.. मैने तुम सब को बताया नहीं क्यूँ कि आप लोग भी परेशान होते.. बट कभी नहीं सोचा था कि इस तरह पता चलेगा तुम्हे.." रिकी का चेहरा अभी भी नीचे था..




"अववव... आइआम सो सॉरी टू हियर दिस, अभी ठीक हैं ना बट, कोई ज़्यादा चोट तो नहीं लगी थी.." शीना ने चिंता में आके पूछा




"हाः... अभी आइआम फाइटिंग फिट..." रिकी ने चेहरा उपर उठाया और हँसी दे दी




"यस, वैसे भी मैने आपकी पूरी बॉडी अंदर से भी देखी हुई है, कहीं कुछ नहीं दिखा मुझे.." शीना ने आँख मार के कहा और दोनो हँसने लगे



प्यार में थोड़ा झूठ तो चलता है.. वैसे भी ऐसा झूठ जो किसी को नुकसान नहीं पहुँचाए तो वो झूठ खराब नहीं होता, आंड मैं अगर सच बता देता तो शीना रूठ जाती,

रूठ क्या जाती, हमेशा के लिए छोड़ देती, फिर मैं अकेला जीके क्या करता... वैसे भी ख़ालीपन है, अब इन हसीन लम्हों को ना संभाल सकूँ तो और मुश्किल हो जाएगा जीना मेरे लिए तो.. शीना ही तो मेरी ज़िंदगी में वो रोशनी बनके आई है जिसने मेरी ज़िंदगी में फेले हुए अंधेरे को मिटा दिया है.. अब अगर मेरी आँखें कुछ देखना चाहती हैं तो शीना का प्यारा सा चेहरा जिसपे हमेशा हँसी ही रहती है, हन कभी कभी गुस्सा करती है लेकिन उस गुस्से में भी एक मासूमियत रहती है, रहता है एक प्यार , कभी ख़त्म ना होने वाला प्यार.. दिल हमेशा कहता है के जब जब शीना मेरे पास बेती हो तो उसका हाथ पकड़ के हमेशा उसे अपने सीने से लगाए रखूं, कभी डोर ना जाने दूं..

मेरा मन हमेशा सुनना चाहता है उसकी आवाज़, उसकी वो सुरीली आवाज़ जिसे सुन मैं अपने सब दुख भुला देता हूँ, उसकी आवाज़ में भी वोही मासूमियत, एक दम बचों जैसी और जब गुस्सा करे तो आवाज़ एक दम कड़क लेकिन मिठास वोही..




"भाई..."




अभी यह लिख रहा हूँ और तब भी उसकी आवाज़ सुनाई दे रही है.. क्या जादू है शीना का, मैं सही में बहुत खुश नसीब हूँ कि शीना मेरी ज़िंदगी में ऐसे आई.. रिकी ने लिखना जारी रखा अपनी डाइयरी में




"भाई... हेलो....." शीना ने थोड़ा ज़ोर से पुकारा जिससे रिकी को होश आया और सामने देखा तो शीना खड़ी थी उसके लिए कॉफी लेके




"ओह..." रिकी ने सिर्फ़ इतना कहा और अपनी डाइयरी बंद कर छुपाने लगा




"छुपा क्या रहे हो.. मुझे भी दिखाओ, क्या क्या लिखते हो आख़िर आप.." शीना ने उसके पास बैठ के कहा और उसे अपनी कॉफी पकड़ा दी




"हहा, नहीं, नतिंग लाइक दट.. छुपाउन्गा क्यूँ, डाइयरी ही तो है.." रिकी ने बात को घुमाने की कोशिश करते हुए कहा




"हां वोही तो भाई, डाइयरी ही तो है.. दिखाओ..." शीना ने हाथ आगे बढ़ा के कहा




"अभी नहीं, सही वक़्त पर दूँगा मैं तुम्हे.." रिकी ने बड़े प्यार से कहा




"वैसे भाई, डिजिटल ज़माने में है, 2015 शुरू होने वाला है इन वन मंत, और आप आज भी ऐसे मनुअल लिखते हो काग़ज़ पे.. ओल्ड फॅशंड हाँ" शीना ने हल्के से कहा




"अरे, डिजिटल डाइयरी में लिखने में वो मज़ा कहाँ जो पेज और पेन में है.. बट वो नहीं डिसकस करना मुझे फिलहाल.." रिकी ने अपनी कॉफी सीप करते हुए कहा




"ओके.. आंड व्हाई डू यू राइट.. लिखते वो लोग हैं जिनके पास कोई सुनने वाला नहीं होता, काग़ज़ पे दिल की बात उतारना सही है जनाब, लेकिन अगर आपका साथी है तो काग़ज़ और कलम की क्या ज़रूरत.." शीना ने एक शोख अदा से कहा
 
"शीना ऐसी कयि बातें होती है आदमी की ज़िंदगी में जो वो कभी किसी से नहीं बाँट सकता, साथी तो है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि साथी हर बात को समझे, हो सकता है साथी को शायद कोई बात पसंद ना आए.. बस, वैसी ही कुछ बातें हैं जो मैं डाइयरी में उतार रहा था.. आंड बिफोर यू मेक एनी प्रैज़ंप्षन, तुम खुद को अस्यूम नहीं करना अब, सही वक़्त पे मैं तुम्हे डाइयरी दे दूँगा, इतमीनान से पढ़ना"




"येस ससिर्र...." शीना ने कड़क अंदाज़ में सल्यूट मार के कहा और हँसने लगी..




"वैसे, भाई यह लो.. 10 दिन हो गये और आपने अभी तक मोम डॅड को रिज़ल्ट नहीं दिखाया, यह लीजिए, आप अपने हाथ से दिखाइए ओके.." शीना ने रिकी के हाथ में कुछ लॅमिनेटेड पेपर्स देके कहा.. रिकी ने उसके हाथ से लिया और सीधा ट्रांसक्रिप देखने लगा.. ट्रांसक्रिप में हर सब्जेक्ट के सेमेस्टर वाइज़ मार्क्स थे और एंड में सीजीपीए था.. जो 6 के आस पास
होना चाहिए था, वो अभी 8.3 था




"8.3 ..." रिकी ने शॉक होके कहा और शीना को घूर्ने लगा




"हाहहहा... यह, बस यह रियेक्शन चाहिए था मुझे.. मैने आपसे झूठ कहा था कि आपके मार्क्स कम हैं, यह है ओरिजनल मार्क शीट आपका.. अब चलिए और मोम दद को दिखाइए जल्दी से.." शीना यह कहके जैसे ही बेड से उठने को हुई, रिकी ने तुरंत उसका राइट हाथ पकड़ा और उसे वापस बेड पे अपने उपर खींच लिया




"झूठ तो तुम अब बोल रही हो शीना.." रिकी ने धीरे से उसके कानों में कहा




"नहीं भाई.. देखो ना, आपके हाथ में ही है मार्कशीट" शीना ने अपनी आँखें बड़ी करके कहा




"रूको.." रिकी ने शीना को थोड़ा पीछे हटाया और साइड ड्रॉयर में रखी एक फाइल निकाली और शीना को दिखाने लगा




"देखो, यह मेरी थर्ड सेमिस्टर की ट्रांसक्रिप है.. इस्पे लगा यह हॉलोग्रॅम.. इस ट्रांसक्रिप में डूक्स का जो डी है उसका यह स्ट्रोक थोड़ा ज़्यादा है, और तुम्हारी ट्रांसक्रिप के हॉलोग्रॅम में जो डी है, उसका यह स्ट्रोक ठीक एंड पे आके ओवर होता है, कहीं से भी बाहर नहीं जा रहा .. दिस ईज़ आ वेरी माइनर डिफरेन्स, इसके अलावा सब सेम है.. देखने वाले को
पता नहीं चलेगा के कौनसी असली है और कौनसी तुम्हारे वाली असली, आइ मीन नकली " रिकी ने शीना को आँख मार के कहा जिसका मूह यह सब सुन एक दम खुला का खुला रह गया




"नकली मारक्शीट क्यूँ बनवाई तुमने.. और 10 दिन बहुत ज़्यादा हैं, यह काम तो 2 दिन में हो जाता है" रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के कहा




"भाई.. पापा मम्मी डाँटते आपको तो मुझे अच्छा नही लगता, बट आपको कैसे पता चला कि यह नकली है, आइ मीन, सीधा नज़र उधर.. क्या है आख़िर.." शीना ने अपनी एक आँख बंद और दूसरी बड़ी कर कहा




"हाहहा, नहीं, ऐसे केसस बहुत देखे थे हम ने कॉलेज में सो.. चलो ठीक है, फिलहाल मोम डॅड को यह मारक्शीट दिखाते हैं पर सही टाइम पे सच्चाई बता देंगे, ओके" रिकी ने शीना से प्रॉमिस लेते हुए कहा




"यस भाई... प्रॉमिस.." शीना ने रिकी का हाथ थामा और दोनो नीचे चले गये..




"वाह बेटा.. प्राउड ऑफ यू.." अमर ने रिकी की रिज़ल्ट देख कहा और रिकी को गले लगा लिया और सुहानी और राजवीर भी काफ़ी खुश थे... ज्योति तो अपनी रिज़ल्ट पहले ही बता चुकी थी और उसका सीजीपीए इस बार रिकी से ज़्यादा था




"भाई... वैसे एक बात बताओ, हमारी ड्यूप्लिकेट मारक्शीट के बाद भी ज्योति आपसे आगे निकल गयी.. कहीं ऐसा तो नहीं, वो भी ड्यूप्लिकेट ही बनवाती है.. हिहिहीई" शीना ने धीरे से रिकी के कान में कहा जब सब लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे




"सस्शह..." रिकी ने उसे चुप करवाया और खाते खाते अमर से कहने लगा




"पापा.. एक गुड न्यूज़ है, रिज़ॉर्ट ईज़ ऑलमोस्ट डन, 95 % जैसा काम हो गया है, और जो 5 % भी बाकी है वो भी काफ़ी आउटर पोर्षन है.. तो आज या कल, जब आप लोगों को कन्वीनियेंट हो तो आप सब चलिए और रिज़ॉर्ट देख लीजिए, अपनी राय दीजिए और फिर जब आप कहें, वी कॅन ओपन इट फॉर जनरल पब्लिक.."




रिकी की बात सुन सब लोग खुशी से झूम उठे और एक दूसरे को बधाई देने लगे और सब रिकी की तारीफ़ करने लगे..




"अरे अरे.. एक मिनिट, पापा, मम्मी चाचू.. प्लीज़.. सुनिए, यह 85% तक का काम तो ज्योति ने किया है, फिर आप मेरी तारीफ़ क्यूँ कर रहे हैं.. आप सब इसको बोलिए, मुझे नही.." रिकी ने ज्योति की तरफ देखते हुए कहा




"बिल्कुल सही कहा भाई आपने..." शीना ने कहा और सबसे पहले उठके ज्योति को गले लगा लिया..




"मुझे खुशी है बेटा कि तुमने सही हक़दार को देखा, और ज्योति.. आज हम सब बहुत खुश हैं.. कल रिज़ॉर्ट देखेंगे हम, और कल ही आपको आपका एक प्यारा सा तोहफा मिलेगा" अमर ने ज्योति को अपने पास बुला के कहा और उसे गले लगा लिया




"प्राउड ऑफ यू बेटी.." राजवीर ने उसके सर पे हाथ फेरते हुए कहा और उसके मस्तक को चूम दिया और सुहसनी ने भी सेम किया




"ओह ओह ओह... मैं तो भूल ही गया" अमर ने शीना को देख कहा जो काफ़ी खुश थी




"ज्योति के साथ मुझे मेरी शीना के लिए भी तो कुछ लेना पड़ेगा ना.." अमर ना हँसते हुए कहा




"नहीं पापा.. आप नहीं, गिफ्ट अब से भैया देंगे मुझे.. अब तो वो भी कमाने लगेंगे ना, हिहीही.. आंड इन फॅक्ट उन्होने तो गिफ्ट दे भी दी. उनकी न्यू कार, अब वो मेरी है.. तो आप रिलॅक्स करो, आंड हे यू ऑल ओल्डीस... आप सब अब आराम करें, अब से घर हम तीनो जवान लोग चलाएँगे.." शीना ने मज़ाक में सब पे नज़र फेरते हुए कहा




"हाहहहा... पागल.." सुहसनी ने उससे कहा और सब लोग फिर अपने अपने खाने में लग गये




खाना निपटा के ज्योति और शीना अपनी अपनी शॉपिंग पे चले गये और रिकी भी घर से बाहर निकल गया




"देखा राजवीर.. आज हम दोनो ग़लत साबित हुए.." अमर ने राजवीर से कहा जब दोनो घर के मेन रूम में बैठे थे




"क्या हुआ भाईसाब.. कौनसी बात में" राजवीर को समझ नही आया कि वो क्या कहना चाहता है




"राजवीर, हमारे दादा जी से लेके हमारे खानदान में किसी ने आज तक एक काम ऐसा नहीं किया जिसे सुन किसी को भी गर्व हो, दादा जी के ज़माने से जुआ जो फिर ताश के पत्तों में बदल गयी, हवाला, आँकड़े जैसे काम करते रहे हमारे पिता के साथ.. फिर हम आए और हम भी उन सब में लग गये, ज़माना बदला और हम ने नज़र खेल पे घुमाई, खेल वोही था लेकिन खिलाड़ी हम नहीं थे, फिर विक्रम आया और ना चाहते हुए भी मुझे उसे इस काम में लगाना पड़ा.. विक्रम दिन रात यह सब करता और आज इस दो नंबर के पैसे से हम कहाँ पहुँचे हैं सब के सामने है.. विक्रम के जाते ही रिकी भी इस काम में लग गया और तुम्हारे हिसाब से वो विक्रम से दो कदम आगे था.. लेकिन आज यह खबर सुन मुझे खुशी है कि रिकी इस दलदल में नहीं धन्सेगा, वो एक शरीफ लोगों जैसी ज़िंदगी जीएगा, उसके सर पे जुआरी या कोई और दाग नहीं लगेगा.. हम हमेशा सोचते थे कि बच्चे हम से देख सीखेंगे, लेकिन हम ग़लत निकले.. इन तीनो बच्चों ने अपना भविश्य खुद चुना और खुद ही उस तक पहुँचने का रास्ता बनाया.. आज मुझे काफ़ी खुशी है कि मैं अमर राइचंद पहली बार ज़िंदगी में ग़लत साबित हुआ हूँ.." अमर ने नम आँखों से कहा और राजवीर भी उसकी खुशी देखकर भावुक होने लगा

 
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