hotaks444
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"ओके मिस्टर राइचंद.. वी शैल टेक आ लीव नाउ.." जैसे ही विलसन ने यह कहा स्नेहा ने अपने पैर सीधे किया और सॅंडल पहनने लगी.. रिकी ने भी तब चैन की साँस ली और विलसन के साथ बाहर जाने लगा..
"आइ विल कॉल यू मिस्टर विलसन..बाय.." रिकी ने आखरी शब्द कहे और गाड़ी में जाके बैठा जहाँ स्नेहा पहले से ही बैठी हुई थी..
रेस्तरो से लेके घर तक रिकी ने स्नेहा से कोई बात नहीं की और घर जाके सीधा अपने कमरे में लॉक हो गया.. स्नेहा अच्छी तरह समझ रही थी उसकी हरकतों को, इसलिए उसने भी कुछ नहीं कहा और जाके अपने अगले कदम के बारे में सोचने लगी.. दोपहर से शाम हुई ही कि मौसम में बदलाव आ गया.. शाम के 5 बजे और घना अंधेरा सा छाने लगा पहाड़ियों में.. 15 मिनिट तक तेज़ हवा और फिर हुआ बारिश का आगमन...
"यह ओक्टूबर में कैसी बारिश.." रिकी ने खिड़की से परदा हटा के देखा तो मौसम काफ़ी खराब था और तभी ही उसका फोन भी बजा
"शीना, यार इट'स रेनिंग हियर.." रिकी ने फोन उठाते हुए कहा
"आइ नो, अभी पता चला, आप मौसम ठीक होते ही निकलना ओके.. घर पे मैं अकेली हूँ एक तो."
"क्यूँ, मोम डॅड और चाचू कहाँ गये.."
"अरे वो लोग तो एक पार्टी में गये हैं, ज्योति भी नहीं है. और भाभी भी पता नहीं कहाँ गयी है"
"तो भाभी को फोन करके पूछ लो ना.." रिकी जानता था कि वो कभी स्नेहा को फोन नहीं करेगी, लेकिन वो बार बार यह सोच रहा था कि जब शीना को पता चलेगा के स्नेहा उसके साथ है तब वो क्या करेगा
"नहीं, मरने दो, मैं क्यूँ पूछूँ.. चलो आप आओ आराम से, मैं भी फरन्ड को बुला देती हूँ, शी विल अकंपनी मी.. चलो बाइ, टेक केयर" शीना ने फोन रखा
"यार, अब इसको कैसे बताउन्गा..." रिकी सोच ही रहा था कि तभी बिजली भी चली गयी
"यह भी अभी होना था बेन्चोद... किस्मत ही.." रिकी अभी आस पास कुछ देख ही रहा था कि स्नेहा की आवाज़ आई
"देवर जी... ज़रा बाहर आइए प्लीज़, अंधेरे से डर लग रहा है.."
"गान्ड मरवा ले डर में.. बेन्चोद, " रिकी ने खुद से कहा कि तभी स्नेहा की आवाज़ फिर आई
"हां आया भाभी... " रिकी ने जल्दी से अपनी शर्ट पहनी और बाहर चला गया जहाँ स्नेहा खड़ी थी..
"देवर जी, नीचे साथ बैठते हैं, अकेले में मुझे डर लगेगा.. कॅंडल्स लाई हूँ मैं" स्नेहा ने हाथ में कॅंडल्स दिखाते हुए कहा
"चलिए भाभी..." रिकी ने सिर्फ़ इतना ही कहा और स्नेहा के आगे आगे चलने लगा..
दोनो मेन रूम में आके बैठ गये जहाँ काफ़ी अंधेरा था.. अंधेरे को दूर करने के लिए रिकी ने अपने मोबाइल की लाइट से टेबल पे कॅंडल्स रखे और उन्हे जला दिया.. कॅंडल्स जलते ही रूम में खोया हुआ उजाला लौट आया और रिकी ने स्नेहा को देखा जो अभी केवल बाथरोब में थी.. रिकी ने एक नज़र देखा और फिर अपनी नज़रें फेर सामने पड़े सोफा पे जाके बैठ गया... स्नेहा और रिकी आमने सामने बैठ गये.. अब आमने सामने बैठे थे तो रिकी की नज़रें स्नेहा पे पड़नी ही थी.. स्नेहा तो जैसे इस मौके के लिए तैयार बैठी ही थी, जैसे ही रिकी की नज़र स्नेहा पे पड़ी, स्नेहा ने अपने पैरों को हल्के से खोला जिससे बाथरोब के बीच से उसकी जांघों का प्रदर्शन हुआ, इतने अंधेरे में भी स्नेहा का शरीर चाँदी के जैसा चमक रहा था.. रिकी की आँखों को यकीन नहीं हो रहा था जो वो देख रहा था उसपे, लेकिन उस एक सेकेंड में रिकी की आँखों का निशाना पकड़, स्नेहा के चेहरे पे एक कातिलाना मुस्कान छा गयी
"कैसा लग रहा है देवर जी.." स्नेहा अपने पैरों को और फेला के बैठ गयी.. रिकी की हालत पतली होती रही और उसका गला सुख़्ता चला गया.. रिकी ने कुछ जवाब नहीं दिया और अपनी नज़रें नीची कर ली..
"क्या करूँ..हां वापस उपर जाता हूँ.. नहीं, उसमे भी बेन्चोद मना ही करेगी... हां, मोबाइल पे कुछ भी कर लेता हूँ, या शीना से बात.. हां यह सही है.." रिकी ने मन ही मन सोचा और मोबाइल निकाल अपनी आँखें उसमे ही गाढ दी.. करीब 5 मिनिट तक रिकी मोबाइल में ही कुछ ना कुछ करता रहा, शीना को एसएमएस किए लेकिन कोई जवाब नहीं, तो कभी क्रिकेट स्कोर, कभी एमाइल, लेकिन आख़िरकार अंदर देख देख वो भी झल्लाने लगा...
"साला, जब कुछ करना हो तभी कुछ नहीं सूझता, कुछ बात भी नहीं कर सकता एक तो, नहीं तो फिर कहीं डबल मीनिंग ना ले जाए... हां, मौसम का बोलता हूँ, उसमे कुछ डबल मीनिंग नहीं निकलेगी .. यस.." रिकी ने मन ही मन सोचा और स्नेहा से नज़रें उठा के कहा
"भाभी, अचानक मौसम खराब हो गया, नहीं.. दिस ईज़... उहह... ट्थ्स्स्स्स.... इस, उन... उंईए .... अनएक्सपेक्टेड्ड्ड्ड..." रिकी हल्का हकला के बोलने लगा
जवाब में स्नेहा ने फिर वोही रंडी स्माइल अपने चेहरे पे लाई और अपनी चेयर से खड़ी होती हुई बोली..
"लगता है आज रात यहाँ तूफान आने वाला है.. आपको क्या लगता है... देवर... जीई.." स्नेहा ने जवाब दिया और एक ही झटके में अपने पारदर्शी सॉफ चमकते बदन से काला बाथरोब उतार दिया.. सिल्क का बाथरोब डोरी खुलते ही उसके बदन से अलग हुआ और सार्रर्र्ररर करके नीचे गिर गया जिससे स्नेहा रिकी के सामने अपनी ब्लॅक कलर की शिफ्फॉन ब्रा पैंटी में आ गयी.. ऐसा नज़ारा देख रिकी के कलेजे पे छुरियाँ चलने लगी, उसका मूह खुला का खुला रह गया, एक दम स्तब्ध रह गया था रिकी स्नेहा को ऐसे देख...
"वो क्या है ना देवर जी.. इतनी देर बाथरोब में, बदन पे रॅशस पड़ सकते हैं.. आइ होप आप कंफर्टबल हैं.." स्नेहा ब्रा पैंटी में आगे बढ़ के उसके पास आने लगी जिसेदेख रिकी होश में आया और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया
"देवर जी ...." स्नेहा अपने कहेर धाते बदन को रिकी के पास लाई और उसके सामने किसी प्रोफेशनल रंडी की तरह खड़ी हो गयी .. रिकी ने स्नेहा की इस पुकार का कोई जवाब नहीं दिया
"लगता है आप कंफर्टबल नहीं हैं... पर मैं क्या करूँ, मेरे कपड़े रूम में हैं, अकेले जाने में डर लगता है.." स्नेहा ने एक अंगड़ाई लेते हुए बोला जिससे उसका सीना और चौड़ा हो गया
"बह बह... बाआह .... भाभिि... म्म्म्मँम..एमेम..... एमेम.म.म.म.म माईंन्न्न् लीयी आताआ हुन्न्ञन् आअपक्कीए.... कककक .... क... क....कपड़े..." बड़ी मुश्किल से रिकी ने अपना वाक्य ख़तम किया और स्नेहा को बिना देखे सोफे से उठा और एक कॅंडल लेके सीढ़ियों से दौड़ता हुआ उपर चला गया.. जल्दी जल्दी में जैसे ही पहला रूम आया रिकी वहाँ घुस गया और दरवाज़े को धक्का दे दिया..