hotaks444
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मेने राज की आँखो मे झाँका तो राज की आँखो मे अजीब से चमक थी….और काँपति हुई आवाज़ मे बोली “राज इसे अंदर करो….” मेने एक हाथ से राज के बाबूराव को पकड़ कर अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट किया…और दूसरे हाथ से राज की कमर को पकड़ कर नीचे की ओर दबाने लगी…राज के बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….मेने सिसकते हुए राज के बाबूराव को छोड़ कर अपनी बाहों को उसकी कमर पर कस लिया….और अपनी टाँगो को उठा कर उसके कमर पर कसते हुए, उसे अपनी ओर दबाना शुरू कर दिया…..
राज का बाबूराव मेरी पनियाई हुई चुनमुनियाँ मे फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….मैने सिसकते हुए राज के चेहरे को अपने हाथो मे भर लिया और उससे पागलो की तरह चूमने लगी….पर अगले ही पल मुझे इस बात का अहसास कि राज बाबा सेक्स से अंजान नही है. जब उन्होने ने अपने बाबूराव को बाहर निकाल कर फिर से अंदर की तरफ पेला…मेरा रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….मैं हैरत से राज बाबा के चेहरे की ओर देख रही थी. और मुझे सच मे बहुत मज़ा आ रहा था….फिर क्या था….राज बाबा ने अपना बाबूराव बाहर निकाला -2 कर मेरी चुनमुनियाँ मे पेलना शुरू कर दिया…मैं बदहवास से उनके साथ लिपटाते जा रही थी….
और अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर राज के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे लेने की कॉसिश कर रही थी…उस दिन मे कई दिनो बाद झड़ी थी…और उस दिन के बाद मैं राज बाबा से कई बार चुदि…और अब मुझे उनके बाबूराव की आदत पड़ गयी है…
मैं: दीपा तुम्हे ज़रा भी शरम नही आ रही है ये सब सुनाते हुए….
दीपा: दीदी शरम तो आ रही है….पर आप ने ही तो कहा था कि, सब कुछ बताना..
बेहया बेशरम कही की, मेने मन ही मन दीपा के बारे मे सोचा…”सुनो दीपा अब तक तुमने जो करना था कर लिया….और उसके लिए मैं तुम्हे माफ़ भी कर देती हूँ….पर एक बात अच्छे से समझ लो…राज अभी बच्चा है…और तुम उसकी लाइफ बर्बाद कर रही हो…. तुम्हे राज के साथ अपने इस नज़ायज़ रिस्ते को ख़तम करना होगा….नही तो मैं राज के अंकल को सब कुछ बता दूँगी…”
दीपा: मेडम जी आप जो कहँगी मैं वो करूँगी….पर प्लीज़ साहब को मत बताना..
मैं: ठीक है फिर मेरे बात का ध्यान रखना…नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा..
दीपा: जी मेडम जी….
दीपा की बातें सुन कर आज मेरा मन पहली बार बहकने लगा था…मन मे अजीब सी हलचल हो रही थी…..मैं अपने आप को अपने लिए ही कसूरवार ठहरा रही थी कि, मैने आज तक अपने साथ ये सब क्यों क्या…कहाँ पूरी दुनिया के लोग अपनी अपनी जिंदगी के मज़े लूट रहे है….और कहाँ मैं अपने घमंड और गुस्से का खुद ही शिकार होकर अपनी जिंदगी खराब कर रही हूँ… मैं वहाँ से निकल कर घर वापिस आ गयी…
राज का बाबूराव मेरी पनियाई हुई चुनमुनियाँ मे फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….मैने सिसकते हुए राज के चेहरे को अपने हाथो मे भर लिया और उससे पागलो की तरह चूमने लगी….पर अगले ही पल मुझे इस बात का अहसास कि राज बाबा सेक्स से अंजान नही है. जब उन्होने ने अपने बाबूराव को बाहर निकाल कर फिर से अंदर की तरफ पेला…मेरा रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….मैं हैरत से राज बाबा के चेहरे की ओर देख रही थी. और मुझे सच मे बहुत मज़ा आ रहा था….फिर क्या था….राज बाबा ने अपना बाबूराव बाहर निकाला -2 कर मेरी चुनमुनियाँ मे पेलना शुरू कर दिया…मैं बदहवास से उनके साथ लिपटाते जा रही थी….
और अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर राज के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे लेने की कॉसिश कर रही थी…उस दिन मे कई दिनो बाद झड़ी थी…और उस दिन के बाद मैं राज बाबा से कई बार चुदि…और अब मुझे उनके बाबूराव की आदत पड़ गयी है…
मैं: दीपा तुम्हे ज़रा भी शरम नही आ रही है ये सब सुनाते हुए….
दीपा: दीदी शरम तो आ रही है….पर आप ने ही तो कहा था कि, सब कुछ बताना..
बेहया बेशरम कही की, मेने मन ही मन दीपा के बारे मे सोचा…”सुनो दीपा अब तक तुमने जो करना था कर लिया….और उसके लिए मैं तुम्हे माफ़ भी कर देती हूँ….पर एक बात अच्छे से समझ लो…राज अभी बच्चा है…और तुम उसकी लाइफ बर्बाद कर रही हो…. तुम्हे राज के साथ अपने इस नज़ायज़ रिस्ते को ख़तम करना होगा….नही तो मैं राज के अंकल को सब कुछ बता दूँगी…”
दीपा: मेडम जी आप जो कहँगी मैं वो करूँगी….पर प्लीज़ साहब को मत बताना..
मैं: ठीक है फिर मेरे बात का ध्यान रखना…नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा..
दीपा: जी मेडम जी….
दीपा की बातें सुन कर आज मेरा मन पहली बार बहकने लगा था…मन मे अजीब सी हलचल हो रही थी…..मैं अपने आप को अपने लिए ही कसूरवार ठहरा रही थी कि, मैने आज तक अपने साथ ये सब क्यों क्या…कहाँ पूरी दुनिया के लोग अपनी अपनी जिंदगी के मज़े लूट रहे है….और कहाँ मैं अपने घमंड और गुस्से का खुद ही शिकार होकर अपनी जिंदगी खराब कर रही हूँ… मैं वहाँ से निकल कर घर वापिस आ गयी…