Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ - Page 3 - SexBaba
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Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ

मेने राज की आँखो मे झाँका तो राज की आँखो मे अजीब से चमक थी….और काँपति हुई आवाज़ मे बोली “राज इसे अंदर करो….” मेने एक हाथ से राज के बाबूराव को पकड़ कर अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट किया…और दूसरे हाथ से राज की कमर को पकड़ कर नीचे की ओर दबाने लगी…राज के बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….मेने सिसकते हुए राज के बाबूराव को छोड़ कर अपनी बाहों को उसकी कमर पर कस लिया….और अपनी टाँगो को उठा कर उसके कमर पर कसते हुए, उसे अपनी ओर दबाना शुरू कर दिया…..

राज का बाबूराव मेरी पनियाई हुई चुनमुनियाँ मे फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….मैने सिसकते हुए राज के चेहरे को अपने हाथो मे भर लिया और उससे पागलो की तरह चूमने लगी….पर अगले ही पल मुझे इस बात का अहसास कि राज बाबा सेक्स से अंजान नही है. जब उन्होने ने अपने बाबूराव को बाहर निकाल कर फिर से अंदर की तरफ पेला…मेरा रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….मैं हैरत से राज बाबा के चेहरे की ओर देख रही थी. और मुझे सच मे बहुत मज़ा आ रहा था….फिर क्या था….राज बाबा ने अपना बाबूराव बाहर निकाला -2 कर मेरी चुनमुनियाँ मे पेलना शुरू कर दिया…मैं बदहवास से उनके साथ लिपटाते जा रही थी….

और अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर राज के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे लेने की कॉसिश कर रही थी…उस दिन मे कई दिनो बाद झड़ी थी…और उस दिन के बाद मैं राज बाबा से कई बार चुदि…और अब मुझे उनके बाबूराव की आदत पड़ गयी है…

मैं: दीपा तुम्हे ज़रा भी शरम नही आ रही है ये सब सुनाते हुए….

दीपा: दीदी शरम तो आ रही है….पर आप ने ही तो कहा था कि, सब कुछ बताना..

बेहया बेशरम कही की, मेने मन ही मन दीपा के बारे मे सोचा…”सुनो दीपा अब तक तुमने जो करना था कर लिया….और उसके लिए मैं तुम्हे माफ़ भी कर देती हूँ….पर एक बात अच्छे से समझ लो…राज अभी बच्चा है…और तुम उसकी लाइफ बर्बाद कर रही हो…. तुम्हे राज के साथ अपने इस नज़ायज़ रिस्ते को ख़तम करना होगा….नही तो मैं राज के अंकल को सब कुछ बता दूँगी…”

दीपा: मेडम जी आप जो कहँगी मैं वो करूँगी….पर प्लीज़ साहब को मत बताना..

मैं: ठीक है फिर मेरे बात का ध्यान रखना…नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा..

दीपा: जी मेडम जी….

दीपा की बातें सुन कर आज मेरा मन पहली बार बहकने लगा था…मन मे अजीब सी हलचल हो रही थी…..मैं अपने आप को अपने लिए ही कसूरवार ठहरा रही थी कि, मैने आज तक अपने साथ ये सब क्यों क्या…कहाँ पूरी दुनिया के लोग अपनी अपनी जिंदगी के मज़े लूट रहे है….और कहाँ मैं अपने घमंड और गुस्से का खुद ही शिकार होकर अपनी जिंदगी खराब कर रही हूँ… मैं वहाँ से निकल कर घर वापिस आ गयी…
 
घर पहुँच कर देखा तो हमारे घर का काम अब ख़तम होने को था…. जैसे ही मैं घर के अंदर पहुँची तो भाभी ने बताया कि, मजदूर बोल रहे थे कि एक हाफते बाद आप अपने घर मे शिफ्ट कर सकते है…इस बात को लेकर मैं भी बहुत खुस थी. फाइनली हमारे पास भी अपना एक ऐसा घर था जो कि इंसान के रहने लायक था…अगली सुबह भी 10 बजे मुझे सर की कार लेने के लिए आ गयी…मेरा मन तो नही था..पर जय सर की वजह से मैं तैयार हुई और कार मे बैठ कर जय सर के घर आ गयी. डोर आज फिर दीपा ने ही खोला था…..

मैं अंदर आकर सोफे पर बैठी तो दीपा मेरे लिए कोल्ड्रींक ले आई….”सर कहाँ है..” मैने ग्लास उठाते हुए कहा…

.”जी सर तो आज सहर से बाहर गये है…” दीपा ने सर को झुकाए हुए कहा….मेने ध्यान दिया तो मुझे पता चला कि, दीपा के निचले होंठ पर कट का निशान था…जो कल नही था…

.”दीपा ये क्या हुआ तुम्हारे होंठ के पास…” मेरी बात सुन कर दीपा एक दम से घबरा गयी और हड़बड़ाते हुए बोली…” वो मेडम जी कल शायद रात को कीड़े ना काट लिया था….” 

मैं: और राज कहाँ है….?

दीपा: वो अपने रूम मे है…

मैं: अच्छा ठीक है मैं ऊपेर ही जाती हूँ….

मैने ग्लास टेबल पर रखा और ऊपेर चली गयी…जब मैं राज के रूम मे पहुँची तो, राज अपने कंप्यूटर पर कुछ कर रहा था…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कंप्यूटर ऑफ कर दिया…. “अपनी बुक्स निकालो चलो…” मेने उसके सामने सोफे पर बैठते हुए कहा…राज कुछ ना बोला और उठ कर बाहर जाने लगा…

मैं: कहाँ जा रहे हो….? मैं तुमसे कह रही हूँ….

राज: मैं कही भी जाउ…तुम्हे उससे कोई मतलब….

मैं: देखो सीधी तरह मेरी बात मान लो…वरना मैं सर को तुम्हारी शिकायत करूँगी.

राज: तुम्हे जो करना है वो करो…

मैं: राज सीधी तरह मानते हो या फिर मैं सर को फोन करूँ….

मेरी बात सुन कर राज वापिस अंदर आया….और उसने बॅग उठा कर मेरे सामने टेबल पर रख दिया…”चलो अब अपनी इंग्लीश की बुक निकालो…..” राज ने बॅग खोला और उसमे से इंग्लीश की बुक निकाल ली….क्यों अब आए ना लाइन पर सीधी तरह तुम कोई बात नही मानते….मेरी बात सुन कर राज एक दम से भड़क उठा…उसने बुक उठा कर एक तरफ फेंकी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे से उठा दिया…और फिर मेरा हाथ पकड़ कर खेंचते हुए मुझे बेड पर लेजा कर धक्का दे दिया…और फिर तेज़ी से रूम के डोर की तरफ गया…राज की इस हरक़त से मैं एक दम घबरा गयी…

राज ने डोर पर जाकर दीपा को आवाज़ दी….और फिर से अंदर आया और मेरे ऊपेर झपट पड़ा….अगले ही पल वो फिर से मेरे ऊपेर था…इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती….पता नही उसने कहाँ से रस्सी निकाल कर मुझे उल्टा करके मेरे दोनो हाथो को मेरी पीठ के पीछे लेजा कर बांधने लगा…

.”ये ये क्या कर रहे हो तुम छोड़ो मुझे आह राज…प्लीज़ छोड़ो मुझे…..” पर राज तो जैसे मेरी कोई बात सुनने को तैयार ही नही था…उसने मेरे हाथो को बाँध कर मुझे सीधा किया….”साली बहुत स्यानी बनती है ना तू….साली बेहन की लौडी एक बार तुझे छोड़ दिया था कि शायद सुधर जाए… पर लगता है तू सीधी तरह नही सुधरेगी….”

राज: साली खुद तो तू पिछले 7 सालो से अपनी पति से डाइवोर्स करके घर पर बैठी है. और दूसरो की लाइफ मे टाँग अडाने की आदत पाल रखी है….देख आज तेरे साथ क्या करता हूँ…कि आज के बाद किसी की लाइफ मे इंटर्फियर नही करेगी…दीपा…” तभी दीपा रूम आई और मुझे और राज को इस हालत मे देख कर एक दम से घबरा गयी…राज ने दीपा के पास जाकर उसे रूम के अंदर किया और डोर लॉक करके दीपा को खेंचते हुए बेड पर ले आया….

उसने दीपा को ठीक मेरे ऊपेर खड़ा किया…दीपा की टाँगे मेरी कमर के दोनो तरफ थी….”ये साली तुझसे क्या कह रही थी बता ज़रा इसे….” राज ने दीपा के पीछे आकर खड़ा होते हुए कहा…अब दोनो मेरी कमर के दोनो ओर टाँगे करके मेरे ऊपेर खड़े थे… “राज बाबा वो वो ये बोल…..”

राज: हां बोल ना क्या कहा था इसने तुमसे….

दीपा: (एक बार मेरी तरफ घबराते हुए देख कर) वो वो ये कह रही थी कि , अब मैं आगे से आपके साथ वो सब ना करू….

राज: साली खुद की चूत मे लंड नही ले पाई आज तक और अब दूसरो की जिंदगी के मज़े भी खराब करने के चक्कर मे है…..तू बोल तू रह लेगी मेरे लंड के बिना…

दीपा: (मेरी ओर देख कर सहमी सी आवाज़ मई) नही राज बाबा…..

राज: बोल फिर अभी मेरा लंड लेगी इसके सामने अपनी चूत मे….

दीपा ने घबराते हुए हां मे सर हिला दिया….”राज तुम ये ठीक नही कर रहे हो….बहुत हो गया….अब तक मेने तुम्हारी सब घटिया हरकतों को बर्दाश्त किया है पर अब और नही….छोड़ो मुझे मेरे हाथ खोलो….दीपा मेरे हाथ….” इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती…राज ने दीपा को आगे की और धकेल कर नीचे घुटनों के बल बैठा दिया….और फिर उसके कंधे को पकड़ कर आगे की तरफ झुकाने लगा…दीपा मेरी आँखों मे देखते हुए आगे की तरफ झुक गयी….उसकी कमर अब मेरे चेहरे से थोड़ा सा ऊपेर थी….और अगले ही पल राज ने दीपा के साड़ी और पेटिकॉट को पकड़ कर उसकी कमर के ऊपेर चढ़ा दिया….

और अगले ही पल मेरा केलज़ा मूह को आ गया…दीपा की चिकनी बिना वाली चुनमुनियाँ ठीक मेरे चेहरे के ऊपेर थी…मैं आँखे फाडे दीपा की चुनमुनियाँ को देख रही थी…और तभी मेरी नज़रों के सामने राज का तना हुआ बाबूराव आया….एक दम तना हुआ….जिसे देखते ही मैने अपने आँखे बंद कर ली…पर उसके बाबूराव की छाप मेरी आँखो मे समा चुकी थी…उसके बाबूराव का गुलाबी सुपाडा लाल होकर दहक रहा था…” चल साली आँखे खोल और देख, कैसे तेरे सामने इसको चोदता हूँ और तू ललिता रंडी मेरे बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेने के लिए कैसे भीख मांगती है….चल खोल अपनी आँखे…” राज ने मेरे गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए कहा

…”राज स्टॉप दिस नॉनसेंस… नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा….” मेने अपना फेस दूसरी तरफ घूमाते हुए कहा. 
 
“साली मेरी लाइफ मे तुझसे बुरा और कोई हो भी नही सकता…जब देखो मेरी लाइफ मे अपनी टाँग अड़ाती रहती है…अब खोल अपनी आँखे….”

मैं: नही मैं नही खोलूँगी…

राज: साली तू अपनी आँखे भी खोलेगी और तू दीपा की चूत मे मेरा लंड भी जाते हुए देखेगी…..

तभी मेरा बदन उस पल थरथरा उठा…जब मुझे अपने गाल और होंटो के नीचे कुछ गरम सा अहसास हुआ, और ये सोच कर मेरे दिल की धड़कने बंद हो गयी, कि ये राज का बाबूराव है…मेने अपने फेस को इधर उधर करना शुरू कर दिया….”आहह राज स्टॉप इट प्लीज़ इसे पीछे करो….” मेने आ राज के सामने बिनती भरे लहजे मे कहा. 

“चल फिर अपनी आँखे खोल नही तो मैं अपना लंड तेरे मूह मे घुसा दूँगा…”

मैं राज की बात सुन कर एक दम से डर गयी….और ना चाहते हुए भी मेने अपनी आँखे खोल कर ऊपेर की तरफ देखा…मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था….राज का मुन्सल जैसा बाबूराव जो शायद 8 इंच लंबा और काफ़ी मोटा था. मेरे चेहरे के थोड़ा सा पीछे हवा मे झटके खा रहा था….”साली देख अब ये दीपा मेरे लंड के लिए कैसे भीख मांगती है….” ये कहते हुए राज ने अपने बाबूराव को हाथ से पकड़ कर दीपा की चुनमुनियाँ के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया…

“सीईईई अहह राज बाबा….” दीपा की सिसकी सुनते ही मेरा जेहन कांप गया…अब मुझे उसका चेहरा दिखाई नही दे रहा था...पर उसकी साँवले रंग की चुनमुनियाँ सॉफ दिखाई दे रही थी…जिसके छेद पर राज का एक दम गोरा लंड रगड़ खा रहा था….राज अब तेज़ी से अपने बाबूराव को पकड़े हुए, दीपा की चुनमुनियाँ के छेद पर रगड़ रहा था..और दीपा की मस्ती भरी सिसकारियाँ पूरे रूम मे गूँज रही थी……

दीपा: आह बाबा डालो ना अंदर इसे…ओह्ह्ह सीईईई माई रीए…..

राज: बोल साली क्या डालूं….

दीपा: सीयी ओह्ह्ह अपना बाबूराव डालिए ना…

राज: कहाँ ?

दीपा: अहह सीईइ मेरी बुर मे ओह्ह्ह हाई मैं मर जाउन्गी…..जल्दी डालिए ना…

राज: तो बोल साली आज के बाद किसी की बात मे आएगी….

दीपा: नही बाबू जी नही….मेरी तो मति ही मारी गयी थी…..

राज: तू मेरे लंड के बिना रह सकती है क्या….?

दीपा: नही राज बाबा…मैं तो मर जाउन्गी….मेरी बुर आपके बाबूराव के बिना अधूरी है..अब जल्दी करो राज बाबा फाड़ दो ना अपनी रांड़ की बुर को पेल दो ना अपना लौडा.

मैं दीपा के मूह से ऐसी बातें सुन कर एक दम हैरान थी…मुझे यकीन नही हो रहा था कि, ये सब मेरी आँखो के सामने हो रहा है….और दीपा मेरे सामने ही ऐसे बातें कर रही है…तभी मानो जैसे वक़्त थम सा गया हो…राज ने अपने बाबूराव के लाल सुपाडे को दीपा की चुनमुनियाँ के छेद पर टिकाते हुए जोरदार धक्का मारा और अगले ही पल राज का आधे से ज़यादा बाबूराव दीपा की चुनमुनियाँ की गहराइयों मे समा गया….”सीईईईई ओह राज बाबा ओह आह म्म्म्म म…..” राज ने फिर से एक और धक्का मारा और राज का बाबूराव दीपा की चुनमुनियाँ की गहराइयों मे समा गया…..

दीपा एक दम से सिसक उठी….और उसने सिसकते हुए अपनी चुतड़ों को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया…जो ठीक मेरे फेस के ऊपेर था….”क्यों देख लिया कैसे मेरा बाबूराव तुम्हारी जैसी औरतों की चूत खोलता है…” राज ने नीचे मेरी तरफ देखते हुए कहा. मैं एक दम हैरानी से ये सब देख रही थी….

तभी राज ने दीपा की कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर उसे पीछे की ओर खेंचा. अब दीपा का चेहरा मेरे फेस के ऊपेर मेरी आँखो के सामने था…दीपा का फेस एक दम लाल हो चुका था….उसकी आँखे बंद थी…और वो अपने होंटो को अपने होंटो मे दबाए हुए गहरी साँसे ले रही थी….”सीयी अहह” इस सिसकी के साथ दीपा का पूरा बदन हिल गया…. क्योंकि राज ने अपने बाबूराव को बाहर निकाल कर फिर से उसकी चुनमुनियाँ मे घुसाया था…और अगले ही पल दीपा के होंटो पर सन्तुश्ति भरी मुस्कान फेल गयी….

जैसे उसकी चुनमुनियाँ को राज के बाबूराव की रगड़ दुनिया का सबसे बड़ा सुख दे रही हो…और फिर एक के बाद एक राज ने अपने बाबूराव को अंदर बाहर करते हुए शॉट लगाने शुरू कर दिए….दीपा एक दम मस्त होकर सिसकारियाँ भर रही थी….तभी मेरे बदन मे एक दम से बिजली सी कोंध गयी…मुझे अपनी जाँघो के बीच मे तेज सरसराहट महसूस हुई, और मेरा बदन बुरी तरह से थरथरा गया…..राज ने दीपा की चुनमुनियाँ मे अपना बाबूराव अंदर बाहर करते हुए, अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरी सलवार और पेंटी के ऊपेर से मेरी चुनमुनियाँ पर रख दिया था…

मैं उसकी इस हरक़त से एक दम गुस्से मे आ गयी….और नीचे लेटे हुए छटपटाने लगी. पर मेरी हर कॉसिश उस समय बेकार हो रही थी…दीपा लगभग मेरे ऊपेर लेट चुकी थी….इसलिए मैं हिल भी नही पा रही थी….इस मोके फ़ायदा उठाते हुए उस कमीने ने मेरी चुनमुनियाँ को सलवार और पेंटी के ऊपेर से ज़ोर-2 से मसलना शुरू कर दिया….”आह राज हाथ हटाओ वहाँ से ओह्ह्ह्ह नही प्लीज़ ह क्या कर रहे हो हाथ हटाओ….”

मैं एक दम बदहवास से हो चुकी थी….उधर राज की जांघे अब दीपा के चुतड़ों पर ज़ोर-2 से टकरा रही थी…और पूरे रूम मे थप-2 की आवाज़ें गूँज रही थी…” अह्ह्ह्ह राज बाबा ओह्ह्ह्ह आपकी दीपा की चुनमुनियाँ ओह मैं गयी…हाए बाबू ये लो ये लो मेरी चुनमुनियाँ का पानी आअह्ह्ह आपके बाबूराव पर कुर्बान….” मैं बदहवास सी दीपा की गरम बातें सुन रही थी….और मुझे अब कुछ अजीब से महसूस होने लगा था….वो जो मेने अपनी लाइफ मे पहले कभी महसूस नही किया था….दीपा काँपते हुए झड़ने लगी थी. तभी राज ने अपना बाबूराव दीपा की चुनमुनियाँ से बाहर निकाल लिया….और दीपा अब मेरे ऊपेर पूरी तरह से लूड़क चुकी थी…..

फिर तभी मेरा कालीजा मूह को आ गया…जब उसने मेरी सलवार के नाडे को पकड़ कर खेंचा…मेने नीचे लेटे हुए अपने बदन को पूरी ताक़त से हिलाया तो दीपा लुडक कर मेरी बगल मे आ गिरी…पर तब तक मेरे नाडे की गाँठ खुल चुकी थी….और मेरी सलवार मेरी कमर पर ढीली हो गयी थी….मेने छटपटाते हुए अपने टाँगो को राज के चेस्ट पर मारना शुरू कर दिया….

राज एक बार पीछे की तरफ गिरा भी….पर उसने अपने आप को संभालते हुए मेरी टाँगो को पकड़ लिया….और घुटनो से मोडते हुए मेरी टाँगो को ऊपेर उठा दिया… अब मेरे दोनो घुटने मेरे मम्मों पर दबे हुए थे…और राज मेरी जाँघो के बीच मे था…मेरी हालत रोने जैसी हो गयी थी…मुझे लग रहा था कि, आज मेरा सब कुछ लूट जाएगा….और अगले ही पल राज ने मेरी सलवार के जबरन और पेंटी की इलास्टिक मे अपनी उंगलियों को फन्साते हुए उसे नीचे की तरफ पूरे ज़ोर से खेंचा और मेरी पेंटी और सलवार मेरे चुतड़ों के नीचे से सरकती हुई मेरी जाँघो मे आ गयी….
 
मैं एक दम से रोने लगी….”प्लीज़ राज मुझे छोड़ दो….आगे से मैं तुम्हारी लाइफ मे कभी भी इंटर्फियर नही करूँगी….” मेने सूबकते हुए राज से कहा….”दीपा प्लीज़ समझाओ ये ठीक नही है…दीपा तुम तो कुछ ख़याल करो….” दीपा के चेहरे से भी जाहिर हो रहा था कि, जो हो रहा है वो नही होना चाहिए….पर वो कुछ नही बोली. और फिर राज ने फिर से मेरी सलवार और पेंटी को एक साथ खेंचते हुए मेरे पैरो से निकाल दिया….और मेरी टाँगो को घुटनो से पकड़ कर मोडते हुए ऊपेर उठा कर फेला दिया….”नही ओह्ह्ह्ह राज…..मेने सुबकते हुए अपनी आँखे बंद कर ली….”

मेरी चुनमुनियाँ का गुलाबी छेद उसकी आँखो के सामने था…ये सोच कर ही मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था….शरम के मारे मैं अब अपना मूह भी नही खोल पा रही थी…तभी मुझे राज की उंगलियाँ अपनी चुनमुनियाँ की फांको के बीच में चलती हुई महसूस हुई तो मेरे जिस्म ने ऐसे झटका खाया कि, मानो मेने बिजली की नंगी तारो को छू लिया हो….”अह्ह्ह्ह देख दीपा साली के चुनमुनियाँ कैसे पानी छोड़ रही है….” राज ने मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर अपनी उंगलियों को घूमाते हुए कहा….”नही राज मत देखो ऐसे… “ मेने फिर से सूबकते हुए कहा….

और अगले ही पल मुझे अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर कुछ गरम और कड़क सी चीज़ माहूस हुई. मैं एक दम से सन्न रह गयी….और एक दम से हड़बड़ाते हुए आँखे खोल कर देखा तो राज मेरी जाँघो के बीच मे बैठा था…और उसने अपने बाबूराव को पकड़ रखा था…और तभी मुझे फिर से उसके बाबूराव के सुपाडा जो किसी लोहे की रोड की तरह सख़्त और बहुत ज़्यादा गरम मुझे अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर दबता हुआ महसूस हुआ….तो ना चाहते हुए भी मैं एक दम से सिसक उठी….”सीईईई अहह नही राज प्लीज़ ऐसा ना करो…मैं मैं कह रही हूँ आगे से मैं कभी तुम्हारी लाइफ में उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह में इंटर्फियर नही करूँगी…..अह्ह्ह्ह्ह”

राज: घबराओ नही मेरी टीचर साहिबा….आपका बलात्कार करने का कोई इरादा नही है मेरा…..ये तो बस तुम्हे ये दिखा रहा हूँ कि, लंड जब चुनमुनियाँ से टकराता है तो कितना मज़ा आता है…और तू मेरे बाबूराव का स्पर्श अपनी फुद्दि मे दिन रात महसूस करेगी…यही तेरी सज़ा है….

ये कहते हुए उसने अपने बाबूराव को ज़ोर-2 से मेरी चुनमुनियाँ की फांको के बीच मे रगड़ना शुरू कर दिया….एक अजीब सा खिंचाव मुझे अपनी चुनमुनियाँ की दीवारो मे महसूस होने लगा था…चुनमुनियाँ की दीवारे आपस मे ही रगड़ खाने लगी थी….एक तेज सी टीस चुनमुनियाँ के अंदर से निकल कर मुझे मेरी चुनमुनियाँ के दाने मे होती हुई महसूस होने लगी थी….मुझे ऐसा लगने लगा था कि, मेरी चुनमुनियाँ मे जैसे कोई चीज़ उबलने लगी है…और उबल कर कभी भी बाहर आ जाएगी…..

मेरा बदन बुरी तरह से ऐंठ गया था….और हाथ पैर कांप रहे थे….गला सुख चुका था….आँखे बंद हो चुकी थी…और अगले पल ही मुझे ऐसा लगा जैसे मैने मूत दिया हो…कुछ गीला गीला सा मेरी चुनमुनियाँ से बाहर आ रहा था…”हाहाहा यी तो दो मिनिट मे इसकी फुद्दी के टूटी बोल गयी…..” मैं बुरी तरह से हाँफ रही थी…. मस्ती की लहर मेरे दिमाग़ पर चढ़ कर बोल रही थी…और पूरा बदन थरथरा रहा था…

राज के ये शब्द जैसे ही मेरे कानो मे पड़े….मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अभी शरम के मारे मर जाउन्गी…राज मेरी जाँघो के बीच से उठा और मेरे पेट और चुचियाँ के ऊपेर आते हुए मेरे गाल पर हाथ से हल्के थप्पड़ मारते हुए कहा. “देख तेरी चुनमुनियाँ भी पानी छोड़ती है….मेने तो सोचा था कि, तेरी चुनमुनियाँ का पानी शायद सूख गया होगा….देख ना….आँखे खोल नही तो सच मे तेरी फुद्दि मे बाबूराव घुसा दूँगा.

मेने अपनी सांसो को संभालते हुए आँखे खोली, तो देखा राज का मुनसल जैसा बाबूराव मेरे फेस से थोड़ा सा पीछे हवा मे झटके खा रहा था….राज ने अपने बाबूराव के सुपाडे पर अपनी एक उंगली लगा कर पीछे हटाई तो उसकी उंगली और बाबूराव के सुपाडे के बीच मे मेरी चुनमुनियाँ से निकले गाढ़े पानी से एक लार सी बन गयी…”देख तेरी फुद्दि कैसे चू रही है…..और फिर ये कहते हुए राज मेरे ऊपेर ही मेरी कमर के दोनो तरफ पैर करके खड़ा हो गया….और तेज़ी से अपने बाबूराव की मूठ लगाने लगा….उसने पास बैठी दीपा को सर के खुले हुए बालो से पकड़ और अपना बाबूराव उसके होंटो पर दबाया तो दीपा ने मूह खोल कर उसे अपने मूह मे लिया…..”उंह पक -2 पुत्च गॅयेलॅप….”

ऐसी आवाज़े दीपा के मूह से निकल रही थी…फिर राज ने दीपा के मूह से अपना बाबूराव बाहर निकाला और तेज़ी से हिलाने लगा….मैं दीपा की ओर हैरानी भरी नज़रों से देख रही थी…वो अपने मूह को खोले हुए थी….और अगले ही पल….”आहह अहह दीपा ले खोल अपना मूह ओह्ह्ह्ह….” और फिर जैसे-2 राज के बाबूराव से वीर्य की पिचकारियाँ छूटी मेरा दिल उसी लय मे धड़कने लगा…..और राज के बाबूराव से निकलती हुई वीर्य की पिचकारियाँ सीधा दीपा के मूह के अंदर जाकर गिरने लगी…और मेरी आँखो के सामने ही दीपा राज के बाबूराव से निकले रस को निगल गयी….

अब रूम मे सन्नाटा छा चुका था…राज ने अपने कपड़े पहने और मुझे उल्टा करके मेरे हाथ खोल दिए…और फिर मेरे चुतड़ों पर एक ज़ोर दार थप्पड़ दे मारा…मैं एक दम से चीख उठी…..”अहह “ मेने राज की तरफ गुस्से से भरी नज़रों से देखा और राज हँसने लगा….मेने अपनी पेंटी और सलवार उठाई और जल्दी से पहनने लगी…अब मैं एक मिनिट और भी यहाँ नही रुकना चाहती थी….आज जो मेरे साथ हुआ था वो किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही कर सकती थी….


मैं: बहुत हो गया….अब इसका अंज़ाम भुगतने के लिए तैयार रहना…..

राज: अच्छा क्या कर लोगि तुम…..

मैं: वो तुम खुद देख लेना कि मैं क्या करती हूँ….मैं तुम्हारी रिपोर्ट पोलीस मे करूँगी…..

राज: अच्छा मेरी रिपोर्ट करोगी तो जाओ कर दो…क्या कहोगी कि मैने तुम्हारा रेप किया है….वो भी इस घर के अंदर दीपा की मौजूदगी मे….जाओ जाओ करो करो रिपोर्ट. दीपा मेरी तरफ से गवाही देगी….और तुम खुद ही फँस जाओगी….कि तुमने ही मेरे साथ अपनी सेक्स के भूख शांत करने के लिए ज़बरदस्ती की थी…और जब मैने मना कर दिया तो तुम ये ड्रामा कर रही हो….क्यों दीपा ठीक ऐसे ही हुआ था ना….?

दीपा: (नीचे सर कर मुस्कुराते हुए) जी….

मैं: मैं तुम दोनो को देख लूँगी…..मैं तुम्हारी बातों से डरने वाली नही….
 
उसके बाद मैं वहाँ से बाहर आ गये…आज मैं जय सर की कार मे नही बैठी और घर से बाहर निकल कर पोलीस स्टेशन की ओर जाने लगी….उस टाइम दिमाग़ बहुत गरम था..पर चलते चलते जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था….मेरा गुस्सा कम होता जा रहा था…दिमाग़ मे अजीब अजीब से ख़याल आ रहे थे…और अंत मे अपने ही ख्यालों से मजबूर होकर मैं पोलीस स्टेशन से कुछ दूरी पर रुक गयी……मुझमे इतनी हिम्मत नही थी कि, मैं पोलीस मे जाकर कंप्लेंट करू….अगर करती तो भी क्या होता….मेरा रेप तो हुआ नही था…ऊपेर से दीपा मेरे बारे मे कुछ भी ग़लत बोल सकती थी…..

मुझे खुद अपनी बदनामी का डर सताने लगा था….अगर कॉंपलेट करती तो हाथ कुछ ना लगता और ऊपेर से मुझे और भाभी दोनो को ही इतनी अच्छी जॉब से हाथ धोना पड़ता. और ना इस शहर मे मुझे और भाभी को और जॉब मिलती…छोटा सा सहर था…भाई के आक्सिडेंट के बाद जो 25 लाख मिले थे…उनमे से 8 लाख तो घर बनाने मे ही खरच हो चुके थे. और भाभी अभी भी नये फर्निचर और घर का समान खरीदने का सोच रही थी…मैं फिर से उस बदहाल जिंदगी को नही जीना चाहती थी….

इसलिए ना चाहते हुए भी मैं घर को वापिस मूड गयी…बस पकड़ी और घर आई…जब मैं घर पहुँची तो भाभी मुझे घर के गेट पर ही मिल गयी….वो पड़ोस मे किसी के घर जा रही थी…..”अर्रे डॉली आ गयी तू….” खाना बना हुआ है…मैं वेर्मा जी के घर जा रही हूँ….तू चेंज करके फ्रेश होकर खाना खा लेना…..मैं थोड़ी देर मे आती हूँ…..” भाभी के जाने के बाद मैने गेट को बंद किया और सीधा अपने रूम मे चली आई….

रूम में पहुँचते ही, मेने अपने पर्स को चारपाई पर गुस्से से फेंका और अपनी कपड़े उतारने लगी….पहले मेने अपनी कमीज़ उतारी और फिर अपनी सलवार मैं उन्हे रखने और दूसरी सलवार कमीज़ निकालने के लिए जैसे ही अलमारी की तरफ बढ़ी….तो टेबल पर रखे टेबल फॅन की हवा सीधी मेरी जाँघो के बीच मेरी पेंटी पर टकराई, तो मुझे अपनी पेंटी मेरी चुनमुनियाँ पर चिपकी हुई महसूस हुई…एक अजीब जिंझोड़ देने वाली लहर मेरे पूरे बदन मे फेल गयी…मेने अपनी पेंटी के ऊपेर से अपनी चुनमुनियाँ पर हाथ रखा तो मेरे हाथों की उंगलियाँ उसमे लगे मेरी चुनमुनियाँ के कामरास से चिपचिपा गयी….

मुझे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था…मैं ऐसे ही रूम से बाहर निकली और सीधा बाथरूम मे चली गयी….मेने वहाँ जाकर अपनी पेंटी उतारी, और उसे पानी से भरी हुई बाल्टी मे डाल दिया…और फिर अपनी जाँघो को थोड़ा सा फैला कर अपनी चुनमुनियाँ की फांको के बीच मे जैसे ही हाथ लगाया तो मेरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चुनमुनियाँ से निकले पानी से एक दम तरबतर हो गयी…मेने अपने हाथ को अपनी आँखो के सामने लाकर देखा तो मैं एक दम हैरान रह गयी…जब से मेरा डाइवोर्स हुआ है…तब से ही मुझे सेक्स और मर्द जात से नफ़रत सी हो गयी थी….पर आज जब अपनी चुनमुनियाँ की फिर से ये हालत देखी तो मैं दंग रह गयी….

मुझे अब दीपा और राज पर और गुस्सा आ रहा था…मेने अपनी चुनमुनियाँ से निकले हुए पानी को सॉफ करने के लिए अपने हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया…और उसका उल्टा ही असर मुझ पर होने लगा…ना चाहते हुए भी मुझे अजीब सा खेंचाव फिर से अपनी चुनमुनियाँ के बीच मे महसूस होने लगा…..मैं वही दीवार से पीठ टिका कर धीरे-2 नीचे बैठ गयी. मेरी टाँगे विपरीत दिशा मे फेली हुई थी….और मैं अब तेज़ी से अपनी चुनमुनियाँ को रगड़ रही थी….और अपनी सुहागरात को याद करते हुए अपनी चुनमुनियाँ मे उंगली करने लगी थी.

पर फिर अचानक से मेरे जेहन वो नज़ारा उभर आया….जब मेरे फेस के ऊपेर दीपा की चुनमुनियाँ मे राज का बाबूराव अंदर बाहर हो रहा था….कभी मुझे अपनी सुहागरात की चुदाई की तस्वीरें मेरे जेहन मे आती तो कभी दीपा की चुनमुनियाँ में अंदर बाहर होता राज का बाबूराव….इतने सालो मे मेने कभी अपने आप को बहकने नही दिया था…. “अपनी शक्ल देखी है जो मैं तेरे रेप करूँगा…” राज के ये शब्द मेरे कानो में तीर की तरह चुभ रहे थे…..मेने नीचे नज़र करके अपनी वाइट कलर की पुरानी सी ब्रा मे क़ैद अपनी 34फ की अपनी चुचियाँ की ओर देखा….और एक हाथ से अपनी चुचियाँ को ब्रा के ऊपेर से मसलने लगी…..

“ मैं क्या इतनी बदसूरत हूँ….” मैं तेज़ी से अपनी चुनमुनियाँ और मम्मों को मसलते हुए बुदबूदाई…..और अपनी चुनमुनियाँ के दाने को और तेज़ी से मसलने लगी….गरमी की वजह से मेरा पूरा बदन पसीने से नहा चुका था….और मैं काँपते हुए झड़ने लगी… और वही बदहाल सी होकर बैठ गयी….तभी मुझे गेट खुलने की आवाज़ आए…. “ कॉन है” मेने बाथरूम मे बैठे-2 ही आवाज़ लगाई….”

पायल भाभी : मैं हूँ डॉली तू बाथरूम मे है अभी तक खाना खाया कि नही..?

मैं: नही भाभी अभी नही खाया….गरमी बहुत है इसलिए सोचा नहा लेती हूँ…..

भाभी: अच्छा जल्दी से नहा ले मैं खाना लगाती हूँ….

उसके बाद मैने अपनी चुनमुनियाँ को सॉफ किया और नहा कर भाभी को आवाज़ दी…” भाभी मेरे कपड़े दे दो….” भाभी थोड़ी देर बाद मेरे लिए कपड़े ले कर आ गयी..” मेने कपड़े पहने और फिर बाहर आई और भैया भाभी के साथ खाना खाया…दोपहर के 2 बज चुके थे…मुझे नींद आने लगी थी….इसलिए सोचा कुछ देर सो लेती हूँ..तो मैं अपने रूम मे आ गयी….कि तभी मेरे मोबाइल बजने लगा….जब मेने मोबाइल उठा कर देखा तो जय सर की कॉल आ रही थी…मैने कॉल पिक की….

मैं: हेलो जी सर,


सर: और डॉली कैसी हो…?

मैं: जी मैं ठीक हूँ…..

सर: अच्छा घर पर फोन किया था….तो राज ने बताया कि आज तुमने उसे पढ़ाया नही है…कह रहा था कि, थोड़ी देर पहले उनके घर से फोन आया था…बहुत जल्दी में थी इसलिए चली गयी कोई प्राब्लम तो नही है ना….?

मैं: जी वो आक्च्युयली सर वो भैया की तबीयत….. (मेने बहाना बना दिया)

सर: अच्छा अच्छा ठीक है…पहले घर बाकी सब बाद मे….

मैं: सर वो एक बात कहनी थी आपसे….

सर: हां बोलो डॉली….

मैं: सर मैं कुछ दिन नही आ पाउन्गी….

सर: कोई बात नही…तुम अपने भैया का ख़याल रखो….

मैं: जी सर,

सर: अच्छा अब मैं फोन रखता हूँ….

मेने मोबाइल रखा और फिर चारपाई पर लेट गयी….दिल को जैसे सकून सा मिल गया था. कि कम से कम अब सर के घर नही जाना पड़ेगा….और बाकी की छुट्टियाँ आराम से कटेंगी… यही सब सोचते सोचते कब नींद आ गयी पता नही चला….
 
शाम को 6 बजे मुझे भाभी ने आकर उठाया…..”उठ डॉली चाइ रखी है पी ले और जल्दी से तैयार हो जा….” 

मैं: क्या हुआ भाभी तैयार होकर कहाँ जाना है….

भाभी: तू उठ कर चाइ पी और तैयार हो बाद में बताती हूँ…

मैं उठी चाइ पी और फिर तैयार हुई….और थोड़ी देर बाद मैं भाभी के साथ घर से निकली….”भाभी जा कहाँ रहे हैं ये तो बताओ…” मेने भाभी के हाथ को पकड़ते हुए कहा. “ 

मिस्टर. वेर्मा के घर…

मैं: मिस्टर वेर्मा के घर…पर क्यों….? आप तो दोपहर को भी उनके घर थी ना ?

भाभी: हां गयी थी….पता है मिस्टर. वेर्मा ने लाइनाये का नया बिज्निस शुरू किया है….यार एक से बढ़ कर एक डिज़ाइन है उनके पास…..वही देखने गयी थी…पहले सोचा कि खरीद लेती हूँ….फिर सोचा कि तुम्हे साथ मे लाकर खरीदुन्गी तुम भी अपने लिए खरीद लेना….

मैं: नही भाभी मुझे ज़रूरत नही है…..

भाभी: अच्छा दोपहर को जो तुझे ब्रा दी थी मेने कपड़ों के साथ वो मेने देखी थी.. क्या हालत हो चुकी है….अब तो उसकी जान छोड़ दे…..(भाभी ने हँसते हुए कहा)

मैं: नही भाभी मुझे सच मे कुछ नही लेना….फज़ूल खर्ची है सब….

भाभी: (थोड़ी सी सीरीयस टोन मे) देख डॉली अब तक हम दोनो ने नज़ाने अपनी कितनी ख्वाहिशों का गला दबाया है….अब और नही…यार हमें भी तो जिंदगी जीने का हक़ है ना….और अब हमारे पास पैसों की कमी भी नही है….ऐसे काम करके और पैसे कमा कर क्या करना जो अपने लिए चन्द रुपये ना खरच करें…अब हम इतना तो अफोर्ड कर सकते ही है…

मैं: अच्छा मेरी माँ चल…पर मैं तो पैसे लेकर ही नही आई….जल्दी मे मुझे ले आई हो….

भाभी: मैं लेकर आई हूँ ना…तू घर जाकर मुझे दे देना….

थोड़ी देर बाद हम मिस्टर. वेर्मा के घर पहुँच गये…मिस्टर. वेर्मा ने हमे बैठाया और खुद पानी लेने चले गये….पानी पीने के बाद मिस्टर. वेर्मा हमें फाक्नी ब्रा पेंटी और नाइटी सभी तरह की लाइनाये दिखाने लगे….”वाह मिस्टर वेर्मा ये सभी डिज़ाइन तो बहुत अच्छे है….” भाभी की आँखो मे इतने फॅन्सी अंडरगार्मेंट देख कर चमक आ गयी थी..” दिल करता है सभी के सभी खरीद लूँ….”

मिस्टर वर्मा: तो ले जाओ ना…..किस ने मना किया है….

भाभी: ले तो जाउ…पर इतने पैसे कहाँ है मेरे पास…

मिस्टर वेर्मा: पैसे कोई भागे थोड़े ही जा रहे है घर की बात है….जब दिल करे दे देना….ये देखिए ये ब्रा और पेंटी आप पर बहुत सूट करेगा…

भाभी: (उस पेंटी और ब्रा के सेट को उठाते हुए,) ये कैसी पेंटी है और ये ब्रा तो देखो एक दम जाली है….और ये पेंटी देखो तो सही ढके गी कम और दिखाए गी ज़यादा..

हँसी मज़ाक करते हुए भाभी ने अपने लिए दो नाइटी और चार सेट ब्रा और पेंटी के खरीद लिया….भाभी की ज़िद्द की वजह से मुझे भी वो पेंटी और ब्रा के सेट खरीदने पड़े जिनको पहले मैने कभी देखा तक नही था…एक दम न्यू डिज़ाइन थी….और मेरे लिए दो शॉर्ट नाइटी भी खरीद ली…..

उसके बाद हम दोनो घर आ गये…..और फिर मेने और भाभी ने रात का खाना बनाया और हम सब ने खाना खाया ये दिन जो सुबह मेरे लिए बहुत भारी था….शाम तक मुझे कुछ राहत मिल चुकी थी….

अगली सुबह उठी तो मैं अपने आप को बहुत हलका महसूस कर रही थी. जैसे मेरे सर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो….दिन इस तरह कट रहे थे….26 जून को हमारा घर बन कर तैयार हो चुका था…नीचे तीन रूम थे….पीछे के रूम से बाहर निकलते हुए एक साइड में किचिन था और सामने हाल था…जिसे हमने ड्रॉयिंग रूम के लिए रखा था. और फिर आगे गेट के तरफ दो रूम थे…

और ऊपेर सिर्फ़ एक रूम था…जो मेरा था….उस रूम में अटेच बाथरूम था…रूम से बाहर निकलते ही एक साइड मे एक एक्सट्रा किचिन और था और आगे बरामदा था..बाकी का हिस्सा खाली था…उसके ऊपेर छत नही थी….मैने और भाभी ने मार्केट से दो डबल बेड और दो नये टीवी और दो कूलर खरीद लिए थे…और बाकी कुछ और ज़रूरी चीज़े जो घर मे आम्तोर पर इस्तेमाल होती है…वो सब खरीब ली थी…. हमने एक दिन मैं ही 1 लाख रुपये उड़ा दिए थे….

उसी दिन सारा फर्निचर और समान हमने घर पर शिफ्ट करवा लिया था…27 जून को हमने ग्रह प्रवेश का दिन रखा था…घर की पूजा करवाई गयी थी…उसी दिन भाभी के मम्मी पापा और भाभी का भाई जो उनसे छोटा था…वो भी आए हुए थे. और वो खुस थे कि, अब हम किसी ढंग घर में रहँगे….घर में छोटी सी पार्टी रखी थी….जिसमे गली की कुछ औरतें और बच्चे भी शामिल थे…पार्टी के बाद रात का वक़्त था….मैं नीचे भैया के पास बाहर गेट के पास वाले रूम में बैठी हुई थी. 

तभी मुझे अंदर से भाभी की आवाज़ आई….” मम्मी ये क्या बात हुई…आप आज ही तो आए हो दो दिन रूको ना और…” शायद भाभी के मम्मी पापा अगले दिन वापिस जाने की बात कर रहे थी…थोड़ी देर बाद भाभी और उनके मम्मी पापा रूम आए…और हम सभी बैठे थे….”अब बोलो ना पापा…जो बात करनी है डॉली से कर लो….”

अंकल: डॉली बेटा अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ,.,.

मैं: अंकल आप ऐसे क्यों बोल रहे है….आप कहिए ना क्या कहना है…

अंकल: डॉली बेटा देखो बेटा तुम लोगो को इस नये घर में देख कर मेरा दिल में जो ख़ुसी है मैं वो बयान नही कर सकता….अब तुम दोनो भाभी ननद अच्छी जगह जॉब भी कर रही हो….और तुम लोगो पर सदा खुशियों की बरसात ऐसे ही होती रहे यही मेरी इच्छा है…..

मैं: अंकल जी आपका आशीर्वाद चाहिए….

अंकल: देखो बेटा….इस घर पर तुम दोनो का बराबर का हक़ है…बेटा मैं तुमसे कुछ मांगू तो मना तो नही करोगी….

मैं: जी अंकल आप कहिए ना आप क्या चाहते है….?

अंकल: बेटा तुम आरके से शादी कर लो….(आरके भाभी के भाई का नाम)

मैं: अंकल ये आप क्या कह रहे है….आप तो जानते ही हो कि,

अंकल: बेटा मैं जानता हूँ…पर कब तक तुम ऐसे अकेली रहो गी…देखो बेटा मेरी उम्र हो गयी है….मैं इस दुनियाँ को अच्छे से समझता हूँ….लोग बातें बनाने से परहज नही करते..और वैसे भी आरके को तो तुम अच्छी तरह से जानती हो…तुम्हे तो सब पता है कि आरके कितना अच्छा लड़का है…ना कोई नशे के लत है और ना ही बुरा शॉंक है उसे कोई. अच्छी जॉब भी कर रहा है….बेटा जब से आरके का डाइवोर्स हुआ है… तब से वो बहुत अकेला-2 रहता है….

इसलिए उसकी चिंता होती रहती है…अब तो उसका ट्रान्स्फर भी तुम्हारे सिटी मे हो गया है. मेने आरके से बात की है…और उसने कहा है कि, उसे कोई एतराज नही कि अगर तुम शादी के बाद भी जॉब करो….

मैं: ये सब तो ठीक है पर अंकल ऐसे अचानक से मुझे सोचने का कुछ वक़्त तो दीजिए ना….?

अंकल: कोई जल्दी नही बेटा…..सोच कर बता देना….

उसके बाद हमने खाना खाया और मैं ऊपेर अपने रूम मे आकर बेड पर लेट गयी और अंकल की बातों के बारे मे सोचने लगी….आरके सच मे अच्छा लड़का था….बहुत ही शर्मीले से सभाव का था वो…किसी ज़्यादा बातचीत नही करता था और ना ही कभी उसके किसी से उँची आवाज़ में बात करते सुना था….और फिर उस दिन जो मेरी चुनमुनियाँ मे आग भड़की थी…अभी भी मुझे उसकी गरमी रात को महसूस होती थी…आख़िर कब तक अपनी जिंदगी यूँ ही अकले सोकर गुज़ारुँगी…..

ये सब सोचते सोचे मुझे नींद आ गयी….अगली सुबह नाश्ते के बाद भाभी के मम्मी पापा और भाई तैयार होकर घर से जाने को निकालने वाले थी….मैं और भाभी उन्हे बाहर गेट तक छोड़ने आए….”तो बेटा क्या सोचा तुमने…” अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…..”जी किस बारे में….”

अंकल: (मुस्कुराते हुए) हमारी बहू बनने के बारे में…

मैं: (मैं उनकी बात सुन कर शरमा सी गयी…) जी जैसे आपको और भाभी को ठीक लगे.

मैने शरमाते हुए आरके की तरफ देखा तो वो मुझसे भी ज़्यादा शरमा रहा था… उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर से अपने पापा की तरफ देखने लगा… “ठीक है बेटा दो दिन बाद 29 को आरके की ट्रान्स्फर यहाँ हो रही है….उसी दिन कोर्ट में तुम दोनो की मॅरेज करवा देते है….अब हमें कॉन से शोर शराबा करना है….तुम्हारे भाई से भी मेरी बात हो गयी है….”
 
भाभी ने मेरे पेट में चिकोटी काटी…और मैं शरमा कर अंदर भाग आई… थोड़ी देर बाद भाभी पीछे वाले रूम में आई…जहाँ पर मैं बेड पर बैठी हुई थी…”हाए सदके जाउ अपनी ननद पर ओह्ह सॉरी भाभी पर…कैसे शरमा रही है…जैसे आज ही इसकी शादी हो रही हो…हाहाहा….” भाभी ने मेरे चेहरे को अपने हाथो में लेते हुए कहा..

भाभी: डॉली तू खुश है ना…देख कोई ज़बरदस्ती का फैंसला मत कर लेना….

मैं: नही भाभी मैं खुश हूँ…

उसके बाद तो मेरा दुनिया को देखने का नज़रिया ही बदल गया था… कुदरत की बनाई हुई हर चीज़ मुझे हसीन लगने लगी थी….मैं अपने रूम में आई और अपनी अलमारी खोल कर उन ब्रा और पेंटीस को देखने लगी जो हमने खरीदी थी….तभी भाभी एक दम रूम में आए और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी….”उम्ह्ह्ह अच्छा किया जो तूने इनको अभी तक पहना नही है….” भाभी की आवाज़ सुन कर मैं एक दम से चोंक गयी..

मैं: मैं वो मैं तो बस ऐसे ही देख रही थी…

भाभी: (रेड और ब्लॅक कलर मिक्स्ड पेंटी ब्रा सेट उठाते हुए) ये अच्छी रहगी तुम्हारी सुहागरात रात वाले दिन यही पहनना तुम्हे….भाई तो तुम्हे इस ब्रा पेंटी में देख कर ही दीवाना हो जाएगा….

मैं: भाभी आप भी ना….

मैं बेड पर जाकर बैठ गयी….”अर्रे शरमा क्यों रही है….तू कॉन सी एकलौती औरत है जिसकी सुहाग रात होगी…..”हाए मेरी प्यारी ननद जी….मुखड़ा तो देखो कैसे अभी से लाल हो रखा है आपका भाई के बारे में सोचते हुए…”

मैं: भाभी आप जाओ यहाँ से मुझे नींद आ रही है….

भाभी: चल बहाने मत बना सुबह के 10 बजे ही तुझे नींद आने लगी….अच्छा सोच ले तू कि कॉन सी पेहननि है मैं चली नीचे…..

भाभी ये कह कर खिलखिलाते हुए नीचे चली गयी…और अपनी सपनो की सुनहरी दुनिया में हसीन सपने देखने लगी….29 जून को मेरी और आरके की कोर्ट मॅरेज हुई.. मैं बेहद खुश थी….क्योंकि जिस घर में अब तक मैं रही थी…मैं वही पर शादी के बाद भी रहने वाली थी….अपने पति के साथ…..शादी के बाद हम सब ने एक बढ़िया से होटेल में लंच किया और फिर घर वापिस आए. हिंदू रीति रवाजों के मुतबकिल हमारी सुहाग रात अगली रात को होनी थी….इसलिए भाभी रात को सोने के लिए मेरे रूम आई तो उनके हाथ में उनकी मेक अप की किट थी….

मैं: ये क्या है भाभी रात को सोने से पहले भी मेकप करके सोती हो क्या….?

भाभी: (हंसते हुए) मेकअप नही करने वाली तेरी मरम्मत करने वाली हूँ……

भाभी हँसते हुए पलटी और डोर को अंदर से लॉक कर दिया….भाभी मेरे पास बेड पर आकर बैठ गयी…”चल अपनी सलवार उतार…..” मेने भाभी की बात सुन कर चोन्कते हुए कहा. “क्यों क्या हुआ…..” 

भाभी: मुझे पक्का यकीन है कि, तूने नीचे जंगल उगा रखा होगा…चल उतार तेरी मुनिया को सुहागरात के लिए तैयार करना है….

मैं: उम्मह ये क्या भाभी मैं कर लूँगी…

भाभी: मुझे कुछ नही सुनना चल उतार अब….. मुझसे क्यों शरमा रही है….

मुझे पता था कि भाभी मेरी जान नही छोड़ेगी….इसलिए मेने बेड पर लेटे -2 अपनी सलवार का नाडा खोला और सलवार और पेंटी निकाल कर बेड पर रख दी….”हाई मैं मर जावां.. ये क्या हाल बना रखा है तुमने….ही ही” भाभी ने मेरी फुद्दि की झान्टो को हाथ से हटाते हुए कहा…रुक ज़रा…”ये कहते हुए भाभी उठी….और टेबल पड़े हुए न्यूसपेपर को उठा लिया…और फिर मेरे चुतड़ों को उठाते हुए नीचे बिछा दिया…

फिर भाभी ने एलेक्ट्रिक रेजर ऑन किया और मेरी झान्टो को काटने लगी…. “हाए इतनी झान्टे उगा रखी है तूने…हेर रिमूविंग क्रीम भी कुछ ना कर पाए….” पहले भाभी ने एलेक्ट्रिक रेजर से मेरी फुद्दि के चारो तरफ उगी हुई घनी झान्टो को जितना हो सकता था सॉफ किया और फिर मेरी चुनमुनियाँ पर हेर रिमूविंग क्रीम लगा दी….फिर भाभी ने मेरी जाँघो के पैरो और यहाँ तक कि चुतड़ों की वॅक्सिंग भी कर दी….

फिर भाभी ने मुझे मेरी कमीज़ उतारने को कहा….भाभी ने मेरी कांख के बाल भी एक दम सॉफ कर दिए….1 घंटे के बाद मेरे टाँगे चुनमुनियाँ और कांख एक दम चिकने हो गये थे…..उसके बाद मेने शवर लिया और भाभी ने जो गंद फैलाया था उसको भाभी ने सॉफ किया और मैं अपनी पुरानी नाइटी पहन कर बाहर आई…. “लो जी हमारी ननद रेडी है कल अपनी सुहाग रात मनाने के लिए…” मेरे और भाभी के बीच ऐसे ही छेड़ छाड़ चलती रही और फिर हम सो गये….

अगली सुबह जब मैं उठी तो भाभी की मम्मी वापिस जाने को तैयार थी…मैं फ्रेश होकर नीचे आई और सब के साथ नाश्ता किया….उसके बाद भाभी के मम्मी पापा यानी कि मेरे सास ससुर चले गये….आरके भी बॅंक के लिए चले गये ,….क्योंकि आज उनका इस सिटी के बॅंक में पहला दिन था…..इसलिए वो लीव नही लेना चाहते थे… 30 जून मेरी सुहागरात का दिन….

उस दिन दिल में ढेर सारे अरमान लिए हुए, अपने रूम में ओरेंज कलर की कमीज़ और ग्रीन कलर की पटियाला सलवार में सजी हुई दुल्हन बन कर बैठी थी….आज मेरी लाइफ का वो पहला दिन था…जब मुझे शाम को किसी के वापिस आने का इंतजार था….शाम के 6 बज चुके थे….और मैं बार रूम से बाहर निकल कर बाहर गली में नीचे झाँक रही थी. पर आरके शायद लेट हो गये थे…तभी भाभी ने मुझे नीचे आने को कहा और मैं नीचे चली गयी….

जैसे ही मैं नीचे पहुँची तो डोर बेल बजी…आज पहली बार था कि, मैं घर के गेट को खोलने के लिए इतनी उतावली हो गयी थी कि, मैं सीधा गेट की तरफ दौड़ी और गेट खोला तो सामने आरके खड़े थे…मुझे देखते हुए उन्होने ने स्माइल की और मुस्कुराते हुए बोले….” डॉली लगता है कि तुम गेट पर ही खड़ी थी…इतनी जल्दी गेट खोल दिया तुमने…” मैं आरके की बात सुन कर शरमा गयी….और सर को झुका लिया… आरके अंदर आए, और बोले….”कैसी हो तुम….?”

मैं: जी मैं ठीक हूँ आपका पहला दिन कैसा रहा बॅंक में….?

आरके: बहुत काम था…बहुत सारा पेंडिंग वर्क था….जिसे निपटाना ज़रूरी था….

हम दोनो अंदर आ गये भाभी किचिन में रात के खाने की तैयारी कर रही थी… आरके को देखते ही बोली…”अर्रे आरके आ गये तुम कैसा रहा तुम्हारा यहा के बॅंक मे पहला दिन….”

आरके: ठीक था दीदी…

भाभी: अच्छा अंदर जाकर फ्रेश हो जाओ…मैं पानी लेकर आती हूँ…

आरके दीदी के रूम में चला गया क्योंकि आरके के कपड़े और समान अभी भी दीदी के रूम में ही था…अभी उनको मेरे रूम में शिफ्ट नही किया गया था….मैं किचिन में भाभी के पास आ गयी…”अर्रे तू यहाँ क्या कर रही है….जा आरके को उसके कपड़े निकल कर दे…अभी अभी आया है और हर पत्नी का फर्ज़ होता है कि, जब उसका पति काम से घर आए उसे पानी पिलाए उसकी सभी ज़रूरतों का ध्यान रखे….जा ये पानी लेजा कर दे उसे…” भाभी ने मेरी तरफ शरारती मुस्कान के साथ देखा….
 
मैने भाभी के हाथ से पानी का ग्लास लिया…और रूम मे चली गयी…..जैसे ही मैं रूम मे पहुँची तो देखा आरके अपने शूस उतार चुका था और अपनी शर्ट भी उतार चुका था…और अपनी बनियान जो पसीने से भीगी हुई थी उसे उतार रहा था… आरके ने अपनी बनियान जैसे ही उतार कर मेरी तरफ देखा, तो मई एक दम से झेंप गये….और अपने नज़ारे झुकाते हुए बोली…. “पानी पी लीजिए….”

आरके मेरे पास आया, और मेरे हाथ से ग्लास को लेते हुए मेरे हाथ को पकड़ लिया… “तुम ऐसे क्यों शर्मा रही हो….अब तो तुम्हे इन सब के आदत डाल लेनी चाहिए….” फिर आरके ने पानी पीना शुरू कर दिया….पानी पीने के बाद आरके ने ग्लास मुझे पकड़ाया और अपना बॅग निकाल कर उसमे से कपड़े निकालने लगा….”आप नहा लीजिए….मैं कपड़े निकाल देती हूँ….” आरके मेरी बात सुन कर मुस्कुराया और टवल लेकर बाथरूम मे चला गया. मेने आरके के बॅग में से एक टीशर्ट और उनका पयज़ामा निकाला और बाथरूम के डोर को नॉक किया तो आरके ने थोड़ी देर बाद थोड़ा सा डोर खोला और मेरी ओर देखते हुए मेरे हाथ से कपड़े ले लिए…..

मैं कपड़े देने के बाद किचिन मे आ गयी….और भाभी की मदद करने लगी… रात के खाने के बाद मैं भाभी और आरके भैया के रूम मे चले गये…क्योंकि भैया अब चल फिर नही सकते थे…इसलिए हम उनके पास ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने की कॉसिश करते थे….

हम भैया के रूम मे बैठे टीवी देखते हुए एक दूसरे से बात कर रहे थे…भाभी भैया के साथ बेड पर बैठी हुई थी….और मैं आरके के साथ सोफे पर…टीवी पर कोई मूवी चल रही थी…और भाभी और भैया उस मूवी को देखने में मगन थी…तभी मुझे अपनी जाँघ पर आरके का हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ..मेने आरके की तरफ देखा तो धीरे-2 मेरी जाँघो को सहलाते हुए टीवी देख रहे थे…..उन्होने मेरी ओर देख कर मुस्कुराया और फिर से अपने नज़रें टीवी की ओर कर ली….

मुझे भैया और भाभी की मौजूदगी मे ये सब बहुत अजीब सा लग रहा था….पर अंदर ही अंदर मुझे आरके का अपनी जाँघो को सहलवाना अच्छा भी लग रहा था..सिर्फ़ यही डर था कि, भाभी या भैया ना देख लेते….आरके का हाथ मेरी जाँघ पर रेंगता हुआ धीरे -2 मेरे इन्नर की तरफ जा रहा था…जैसे जैसे उनका हाथ मेरी फुद्दि के तरफ बढ़ रहा था…मेरे बदन मे तेज सरसराहट बढ़ती जा रही थी…मेरे हाथ पैर काँपने लगे थे….और आँखे भारी होकर बंद होने लगी थी…

पर तभी आरके ने वो किया जिसके बारे मे मेने कभी सोचा भी नही था…आरके ने मेरे इन्नर थाइ पर चुनमुनियाँ से थोड़ा नीचे ज़ोर से चिकोटी काट दी….” अहह “ मैं एक दम से चीख उठी….सच मे बहुत दर्द और जलन से हो रही थी…मेरी चीख सुन कर भैया और भाभी भी एक दम से चोंक गये…पर उन्दोनो के देखने से पहले ही आरके अपना हाथ हटा चुका था….”क्या हुआ डॉली” भाभी ने चिंता भरे लहजे मे कहा….

मैं: क क कुछ नही वो शायद पैर पर किसी कीड़ी ने काट लिया है….

भाभी: अच्छा देखू तो सही…(भाभी जैसे ही उठने को हुई तो मेने उन्हे रोक दिया.)

मैं: नही भाभी रहने दो आप बैठो ना….कुछ नही हुआ…..

भाभी: अच्छा तुम लोग बैठो मैं दूध गरम करके आती हूँ…नही तो रात को खराब ना हो जाए…

उसके बाद भाभी जैसे ही बाहर गयी…आरके ने फिर से अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया…मेने आरके की तरफ नाराज़गी भरी नज़रों से देखा तो वो मेरी ओर देख कर मुस्कुराने लगा….उसका हाथ रेंगता हुआ फिर से मेरी जाँघ के उसी हिस्से पर पहुँच गया…..जहाँ पर उसने चिकोटी काटी थी…आरके धीरे-2 उस हिस्से को सहलाने लगा. मेरी आँखे एक बार फिर से मस्ती मे बंद होने लगी…पर फिर से आरके ने वही काम दोहराया…इस बार उसकी उंगली और अंगूठे का दबाव धीरे धीरे मेरी जाँघ पर बन रहा था…मेने आरके की तरफ थोड़ा सा गुस्से से देखा तो वो फिर से मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा…

और फिर से मुझे तेज दर्द का अहसास हुआ….मैं एक दम से उठी और उठ कर बाहर आई और सीधा भाभी के पास किचिन मे चली गयी….भाभी दूध गरम कर चुकी थी. और फिर भाभी ने एक ग्लास मे दूध डाला और उसे ट्राइ मे रख दिया और एक बॉटल पानी की भी ट्रे मे रख दी….और मुझे पकड़ाते हुए बोली…”जा इसे ऊपेर ले जा….मैं आरके को भेजती हूँ….ये कह कर भाभी ने प्यार से मेरे गाल पर हाथ फेरा और फिर मैं बाहर आई और ऊपेर जाने लगी….

भाभी सीधा बैठक वाले रूम मे चली गयी….मैं ऊपेर पहुँची और ट्रे को टेबल पर रख कर अलमारी से अपनी लाई शॉर्ट नाइटी निकाली जो भाभी ने पसंद की थी…उसे लेकर बाथरूम मे घुस गयी….मेने अपनी सलवार कमीज़ निकाल कर उस नाइटी को पहन लिया. मुझे मेरी जाँघ मे अभी भी बहुत तेज जलन महसूस हो रही थी….वो नाइटी रेड और ब्लॅक कलर की थी….स्लीव्लेस्स नाइटी आज पहली बार जिंदगी मे पहन रही थी… और उसकी लेंग्थ मेरे घुटनो से थोड़ा ऊपेर तक ही थी…..मैने अपनी नाइटी को ऊपेर उठा कर अपनी जाँघ को देखा तो वहाँ से मेरी जाँघ एक दम लाल हो रखी थी….

बहुत सेंक निकल रहा था….जैसे वहाँ पर उबलता हुआ पानी गिर गया हो…मैं बाहर आई तो देखा आरके बेड पर बैठा हुआ था….और रूम का डोर अंदर से लॉक था…मुझे इस नाइटी मे देख कर आरके की आँखे चमक उठी…वो एक दम से उठा…और मेरे पास आ गया..और मेरी कमर को अपनी बाहों मे लेते हुए मुझे अपनी तरफ खेंच कर मुझे अपने सीने से लगा लिया….मेरे मम्मे नाइट और ब्रा के ऊपेर से आरके की छाती मे जा लगे.

आरके: डॉली आज तो तुम बला की खूबसूरत लग रही हो….मेने तुम्हे इस रूप मे पहले कभी नही देखा….सच मे बहुत खुसकिस्मत इंसान हूँ…जो तुम जैसी अप्सरा मुझे मिली..

मैं: (आरके की चेस्ट मे हलका सा मुक्का मार कर अपनी नाराज़गी जताते हुए) जाओ मैं तुमसे बात नही करती….अपनी पत्नी के साथ कोई ऐसे करता है…..

आरके: क्यों क्या हुआ क्या क्या मेने….? 

आरके ने मुस्कुराते हुए कहा…

.”इतनी ज़ोर से चिकोटी काटी आपने पता है कितनी जलन हो रही है वहाँ इतना दर्द देते है पति अपनी पत्नियों को…” मेने बच्चों जैसी बात करते हुए कहा….

.”सच मे ज़यादा दर्द हो रहा क्या…” आरके ने मेरे फेस को अपने हाथो मे लेते हुए कहा….और मेने हां मे सर हिलाते हुए कहा…”पता है एक दम लाल कर दी है आपने मेरी थाइ….”

आरके ने मेरी आँखो मे देखते हुए मेरे होंटो की तरफ अपने होंटो को बढ़ा दिया…मेने शरमा कर अपने फेस को दूसरी तरफ कर लिया…और आरके की बाहों से निकल कर थोड़ा सा आगे बढ़ कर दीवार की तरफ फेस करके खड़ी हो गयी….आरके मेरी तरफ बढ़ा….उसके कदमो के नज़ीडीक आने की आहट सुन कर मेरा दिल धक-2 करने लगा था. आने वाले पलों के बारे मे सोचते हुए मेरी आँखे बंद होने लगी…होंटो पर एक सुखद मुस्कान फेली हुई थी….आरके मेरे पीछे एक दम करीब आ चुके थी… उन्होने ने मेरे दोनो कंधो पर हाथ रखा और धीरे-2 मुझे अपनी तरफ घुमा लिया.

मैं भी उनके हाथों के इशारे पर उनकी तरफ घूम गयी…मेरी आँखे शरम के मारे बंद थी…होन्ट थरथरा रहे थे…..आरके ने अपने दहकते हुए होंटो को मेरे होंटो की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया…उसकी गरम साँसे मेरे फेस से टकरा रही थी…जिससे मेरे बदन मे सिहरन सी उठ रही थी….तभी मुझे आरके की साँसे मुझे मम्मों के बीच मे महसूस हुई और फिर धीरे-2 मेरी कमर पर…मैं दम साधे उसस्के होंटो के लरज़िश को अपने होंटो पर महसूस करने के लिए बेताब हुई जा रही थी… 

पर जब कुछ देर कुछ ना हुआ तो मेने आँखे खोल कर देखा तो पाया कि आरके घुटनो के बल नीचे बैठा हुआ था…उसने मेरी ओर देखते हुए अपने दोनो हाथ मेरी जाँघो पर घुटनो से थोड़ा ऊपेर साइड से रख दिए….”दिखाओ कहाँ पर जलन हो रही है….” आरके ने मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा कर कहा…उसके ये बात सुनते ही मैं एक दम से लरज़ा गयी…और अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा कर शरमाने लगी….
 
”डॉली मुझसे क्या शरमाना अब हम हज़्बेंड वाइफ है….प्लीज़ दिखाओ तो सही कहाँ मेरी जान को चोट आई है….प्लीज़ दिखाओ ना….”

मैं: (काँपती हुई आवाज़ मे) नही मुझे शरम आती है….

आरके: देखो डॉली हर पति पत्नी अपनी सुहागरात को एक दूसरे को कुछ ना कुछ गिफ्ट देते है….और मेरे लिए तुम्हारा यही गिफ्ट होगा कि, तुम मुझे वो दिखाओ…जो मेरी वजह से तुम्हारे दर्द का कारण बनी है….अपने पति की इतनी सी भी बात नही मनोगी….

मैं: और मेरा गिफ्ट….?

आरके: पहले तुम दिखाओ बाद मे तुम्हारा गिफ्ट मैं तुम्हे दूँगा..

अब पति ने पहली फरमाइश की थी पूरी तो करनी थी….शरम के मारे मेरा फेस एक दम रेड हो गया था….मेने अपनी नाइटी को दोनो हाथों से पकड़ कर धीरे-2 ऊपेर उठाना शुरू कर दिया….मेने अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा रखा था…पर चोर नज़रों से आरके की आँखो मे उठती हुई चमक मैं सॉफ देख पा रही थी…जैसे जैसे मेरी नाइटी ऊपेर उठ रही थी…आरके के हाथ मेरी जाँघो को सहलाते हुए ऊपेर की ओर जा रहे थे…..

अब जहाँ पर दर्द हो रहा था…वो मेरी पेंटी के ठीक थोड़ा सा नीचे राइट जाँघ पर था…पर मैं भी इतनी मदहोश हो चुकी थी…कि मैं अपनी शरम हया को भूल चुकी थी….मेने अपनी नाइटी को अपनी पेंटी तक ऊपेर उठा लिया…और अपने फेस को सीधा करके नीचे आरके की तरफ देखने लगी….आरके के दोनो हाथ अब मेरी पेंटी को टच हो रहे थे…और मेरा बदन थरथरा रहा था….

”कहाँ मुझे तो कुछ नज़र आ नही रहा…” आरके ने मेरी तरफ देखते हुए कहा…..

अब उसको नज़र आता भी कैसे उसने चिकोटी तो इन्नर थाइ पर काटी थी…और मेरी दोनो जांघे आपस मे सटी हुई थी…फिर आरके ने धीरे -2 मेरी जाँघो को पकड़ा खोला और उसे वो लाल हुआ हिस्सा नज़र आया…”ओह्ह ये तो सच मे बहुत लाल है….” आरके ने ये कहते हुए मेरी राइट वाली जाँघ को दोनो हाथों से पकड़ लिया…अब उसका हाथ मेरी राइट जाँघ के अंदर की तरफ था….वो उसे धीरे-2 सहलाने लगा…. मैं अपनी नंगी जाँघ पर आरके के हाथों का स्पर्श पाकर एक दम से मदहोशी मे सिसक उठी….

आरके ने मेरी जाँघो से हाथ हटा कर मेरी कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर मुझे बेड के पास लेजा ते हुए बेड के किनारे बैठा दिया…और फिर खुद बेड के किनारे बैठते हुए मुझे कंधो से पकड़ कर धीरे-2 बेड पर लेटा दिया…मेरी टाँगे अभी भी बेड से नीचे लटक रही थी…..आरके ने मेरी नाइटी को फिर से पकड़ कर मेरी कमर तक सरका दिया…और फिर मेरी दोनो जाँघो को खोलते हुए मदहोशी भरी आवाज़ मे बोला….

आरके: डॉली तुमने तो मुझे गिफ्ट दे दिया है…अब मेरी बारी है तुम्हे गिफ्ट देने की. जिस जगह पर मेने तुम्हे दुख दिया है…वहाँ पर महरम भी मैं ही लगाउन्गा. 

ये कहते हुए आरके ने मेरी जाँघो को सहलाते हुए एक दम से अपने होंटो को उस लाल निशान पर रख दिया….वो हिस्सा मेरी चुनमुनियाँ के एक दम पास था…इसलिए जैसे ही उसके होन्ट वहाँ लगे तो मैं एक दम से सिहर उठी…मैं ज़ोर ज़ोर से सिसकना चाहती थी…पर मेने अपने होंटो को अपने दाँतों से काटते हुए दबा लिया….मस्ती की लहर पूरे जिस्म मे दौड़ गयी…गर्दन के सहारे मेने अपनी पीठ को अपने चुतड़ों तक ऊपेर उठा कर आकड़ा लिया था…..

और अगले ही पाल आरके ने पागलो की तरह वहाँ लाल हिस्से पर चाटना शुरू कर दिया… मैं मस्ती मे एक दम से पागल सी हो गयी….मेने अपने दोनो हाथो को नीचे लेजा ते हुए आरके के बालो को कस्के पकड़ लिया…”सीईईईई उम्ह्ह्ह्ह ओह आरके प्लीज़ ओह्ह्ह नही आरके उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” मैं एक दम मस्त होकर तड़पने लगी थी…..अगले ही पल आरके ने अपने होंटो को वहाँ से हटाया…और बेड के किनारे बैठते हुए फिर से मेरी नाइटी को ऊपेर उठाने लगा…धीरे-2 मेरी नाइटी मेरी ब्रा में कसी हुई चुचियों से भी ऊपेर उठ चुकी थी….
 
मैं इतनी मदमस्त हो चुकी थी, कि मेने खुद ही अपनी बाहों को ऊपेर उठा लिया, और आरके ने मेरी नाइटी को मेरे गले से निकाल कर नीचे फेंक दिया….अब मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्लॅक और रेड कलर मिक्स्ड ब्रा और पेंटी थी…आरके का हाथ मेरी जाँघ से सरकता हुआ ऊपेर मेरी पेंटी के चुनमुनियाँ वाले हिस्से को दबाता हुआ मेरी चुचियों पर आ पहुँचा. उसने ब्रा के ऊपेर से ही मेरी चुचियों को जैसे ही मसला मैं एक दम से कांप गयी. शरम के मारे मेने करवट लेते हुए आरके की तरफ पीठ कर ली…..

जैसे ही मेरी पीठ आरके की तरफ हुई, आरके ने मेरी ब्रा के स्ट्रॅप को पकड़ कर ब्रा के हुक्स खोल दिए…अगले ही पल मेरी चुचियों पर से मेरी ब्रा ढीली पड़ गयी…मेने शरमाते हुए अपने दोनो हाथों को अपनी ब्रा के कप्स पर रख कर ब्रा को अपनी चुचियों पर से लुड़कने से बचा लिया….अगले ही पल आरके बेड से नीचे उतर कर खड़े हो गये. मेने अपनी अध खुली मदहोश आँखो से आरके की तरफ देखा तो वो अपने कपड़े उतार रहे थे…..”जान अपनी ब्रा निकालो ना….जल्दी करो…..” आरके ने अपने कपड़े उतारते हुए कहा….मेने वैसे ही लेटे -2 अपनी ब्रा को अपने बदन से अलग कर दिया..पर अभी भी मैने अपने बाहों से अपनी चुचियों को छुपा रखा था….

थोड़ी ही देर मे आरके सिर्फ़ अंडरवेर मे मेरे सामने खड़े थे…आरके बेड के किनारे पर खड़े होकर झुके, और मुझे सीधा करके पीठ के बल करते हुए मेरी पेंटी को दोनो तरफ से पकड़ लिया….और धीरे-2 नीचे सरकते चले गये…अब मेरी पेंटी भी मेरे बदन का साथ छोड़ चुकी थी….मैं एक दम नंगी उनके सामने लेटी हुई थी. और अपनी आँखे खोलने की हिम्मत नही कर पा रही थी….बेड पर आते हुए मुझे आरके ने सीधा करके लेटा दिया…और खुद मेरे ऊपेर झुकते हुए मेरे हाथों को मेरी चुचियों पर से हटा दिया….

और अगले ही पल आरके ने अपना एक हाथ मेरी राइट चुचि पर रखते हुए मुझसे कहा. “डॉली प्लीज़ आँखे खोलो ना….” मेने आँखे खोल कर आरके की तरफ देखा…और शरमाते हुए मुस्कुराने लगी…आरके ने अपने होंटो को मेरे होंटो की तरफ बढ़ाया तो इस बार मैं उनके होंटो का स्पर्श को पाने के लिए दम साधे इंतजार करने लगी….और अगले ही पल मेरे रेसीले होन्ट आरके के होंटो के बीच मे थे…

मेने एक दम से मचलते हुए आरके के सर को अपनी बाहों मे भर लिया…और उनके बालो को सहलाने लगी…आरके ने मेरे होंटो को किस करते हुए अपने होंटो को नीचे लेजा कर मेरी गर्दन पर रख कर चूमना शुरू कर दिया….मैं एक दम से सिसकी, और अगले ही पल आरके के होन्ट मेरे लेफ्ट निपल्स के साथ लगे हुए थे….मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.. साँसे तेज चल रही थी….मेरी चुचियाँ साँस लेने से ऊपेर नीचे हो रही थी…और ये देख कर मुझे और शरम आ रही थी….

पर अब अपनी सांसो पर काबू पाना नमुनकीन था….और अगले ही पल जैसे ही आरके ने मेरी चुचियाँ को मूह मे भर कर चूसना शुरू किया…मेरा बदन एक दम से अकड़ गया…बदन के रोएँ खड़े हो गये….पूरे बदन मे मस्ती की तेज लहर दौड़ गयी. “सीईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह आरके ओह आइ लव यू आरके…..” मेरे अपने सर को झुका कर आरके के बालो को उसके माथे से ऊपेर उठाते हुए उसके फॉरहेड पर किस कर दिया….मैं इतनी मस्त हो गयी थी कि, मैं ये सब कर गयी थी…

आरके ने मेरी चुचियों को चूस्ते हुए मेरे हाथ को पकड़ कर नीचे लेजाते हुए अपने अंडरवेर के ऊपेर से अपने बाबूराव पर रख दिया…जैसे ही मेरा हाथ उनके बाबूराव पर लगा तो मैं एक दम से कांप गयी…आरके ने मेरी चुचियों से मूह हटाते हुए मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा…”जान ये आज से तुम्हारा है…..” आरके ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बाबूराव पर सहलाते हुए कहा…उनकी बात सुन कर मैं फिर से शरमा गयी….पर मुझे एक बात बहुत अजीब सी लगी….आरके का बाबूराव अभी भी पूरी तरह हार्ड नही था….

आरके ने फिर मेरे हाथ को छोड़ा और अपना अंडरवेर उतार दिया….उनका बाबूराव उनकी जाँघो के बीच मे झूल रहा था….मैं अपनी अध खुली आँखो से आरके के बाबूराव को बड़े गोर से देख रही थी…आरके का बाबूराव साढ़े 5 इंच से ज़्यादा लंबा नही था…और मोटा भी कुछ ख़ास्स नही लग रहा था….पर मेने सुन रखा था कि, मर्दो के बाबूराव की आवरेज लंबाई और मोटाई इतनी ही होती है….इसलिए इस बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया…

अंडरवेर उतारने के बाद आरके मेरी टाँगो को फेला कर बीच मे आ गये…और अपने बाबूराव को पकड़ कर मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट करने लगे….पर आरके का बाबूराव अभी भी ठीक से तना हुआ नही था…इसलिए उसके बाबूराव मे इतनी सख्ती नही थी कि, बाबूराव का दबाव मेरी चुनमुनियाँ की फांको को फेला कर चुनमुनियाँ के छेद तक पहुँच पाए…आरके ने अपने दूसरे हाथ से मेरी चुनमुनियाँ की फांको को फैलाया और अपने बाबूराव के सुपाडे को जैसे ही मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर लगाया तो मैं एक दम सिसक सी उठी…मुझे बाबूराव के सुपाडे की गरमी अपनी चुनमुनियाँ पर महसूस हो रही थी…..

आरके: यू आर सो वेट हनी….

आरके ने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर रगड़ते हुए कहा….और आरके का बाबूराव अभी मुझे अब थोड़ा सा और हार्ड लगने लगा था…शायद उनका बाबूराव भी मेरी चुनमुनियाँ से निकल रही गरमी से खड़ा हो गया था…और अगले ही पल आरके ने मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर अपने बाबूराव को दबाना शुरू कर दिया….बाबूराव का सुपाडा मेरी टाइट चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….

मैं अपनी पहली शादी मे 5-6 बार सेक्स कर चुकी थी…फिर भी मुझे बहुत मामूली सी दिक्कत महसूस हुई…पर शायद आरके का बाबूराव इतना सख़्त ही नही था…कि मुझे तकलीफ़ दे पाता…..कुछ ही पलों मे आरके का बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे उतर चुका था. मैं काम से एक दम विहाल हो चुकी थी…आरके ने मेरे ऊपेर झुकते हुए मेरे होंटो को अपने होंठो मे भर कर चूस्ते हुए धीरे-2 अपनी कमर को हिलाते हुए बाबूराव को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…..मैं एक दम मदहोश हो चुकी थी….पता नही कब मेने अपनी बाहों को आरके के पीठ पर कस लिया था….

आरके कभी मेरी चुचियों को चूस्ते तो कभी मेरे होंटो को….मेरी चुनमुनियाँ मे आरके के बाबूराव को गये हुए 4 मिनिट गुजर चुके थे….और अब मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी…अब मेरा दिल कर रहा था कि, आरके अब मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदे….पर आरके बहुत स्लोली अपने बाबूराव को इन आउट कर रहे थे….मैं शरम के मारे खुद भी कुछ कह नही पा रही थी….पर जिस तरह आरके मेरी चुचियों को मसलते हुए चुस्स रहे थे…मैं धीरे कई सालो बाद फिर से बाबूराव लिए झड़ने जा रही थी…..
 
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