desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
अध्याय 9
जंगल से आने के बाद से मैं अब्दुल काका और रामु काका के साथ बैठकर दारू नही पिया था,आजकल वो मुझसे थोड़ा डरे हुए बाते करते थे ,तो मैंने सोचा की क्यो ना आज उनके साथ बैठा जाए मैं 3 क्वाटर देशी के ले कर उनके पास चला गया,
“नही छोटे साहब मैं रामु के साथ बैठकर शराब नही पियूँगा “
अब्दुल काका की बात से मुझे थोडा अजीब लगा ऐसे भी मैं हमेशा किसी एक के साथ बैठकर पीता था लेकिन मैंने सोचा की दोनो को एक साथ बुला लू लेकिन दोनो ने इनकार कर दिया ..
“क्या बात है आखिर ..”
“जब हम दोनो साथ होते है तो एक दूसरे की बीबियों को गाली देने लगते है फिर हमारे बीच झगड़े हो जाते है उससे अच्छा है की हम साथ ना ही पिये …
अब मुझे पूरी कहानी समझ आ गई थी लेकिन अब मैं पीने के मूड में तो आ ही गया था तो अब क्या करू…
मैं हमारे बंगले के पीछे बने एक सर्विस क्वाटर में बैठा था जन्हा मैं अधिकतर बैठा शराब पीता था,वही अब्दुल और रामु काका वंहा से थोड़ी दूर पर ही रहते थे,चन्दू और सना के लिए पिता जी ने अलग अलग कमरे दे रखे थे जिसमे सना का कमर गेस्ट रूम और मा-पापा के कमरे के पास था वही चन्दू सामने के तरफ बने हुए सर्विस क्वाटर में रहता था …..
मैंने रामु काका से बात की तो उन्होंने भी यही बात कर दी ,तभी मुझे चन्दू दिखाई दिया ,मैंने उसे आवाज लगाई और वो मेरे पास आ गया ..
“चल दारू पीते है “
उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा लेकिन कुछ बोला नही मैं उसे उसी सर्विस क्वाटर में ले गया और बोलता खोल ली ,हमने बिना बोले ही 2 पैक भी लगा लिए थे,अब हमे थोड़ा थोड़ा नशा चढ़ने लगा था,मुझे अहसास हुआ की पहले मुझे ज्यादा नशा होता था लेकिन अब मुझे इतने पर भी कुछ फर्क नही पड़ रहा था,शायद एक्सरसाइज ज्यादा करने की वजह से शरीर की कैपिसिटी बढ़ गई थी ……
“तुम आजकल मुझसे इतने दूर दूर क्यो रहते हो ..”
आखिर तीसरा पैक खत्म कर मैंने कहा ..
“नही ऐसा नही है …….”
उसने एक ही घुट में पूरा माल अंदर कर लिया था जरूर उसके अंदर कुछ तो उबल रहा था …
अब उसे भी नशा अपनी जकड़ में ले रहा था ,उसकी आंखे लाल हो गई थी मैंने तुरंत ही उसके लिए एक और पैक बना दिया उसने उसे भी एक ही सांस में अंदर कर लिया जैसे किसी बड़े दुख से गुजर रहा हो और उसे राहत चाहिए …..
“अब बोल भी दे ..”
उसने मुझे देखा उसकी आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था,लाल आंखों से जैसे खून टपक रहा था ……
“क्या बोलू ..?की तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी “
उसने अगला पैक भी तुरंत ही अपने अंदर उतार लिया ..
“मैंने???”
उसकी बातो से मुझे आश्चर्य हुआ की आखिर मैंने क्या किया है ..
“तू जंगल क्या गया साले वंहा से तोप बन कर आ गया,और मेरे पूरे अरमानो पर तूने पानी फेर दिया,जी चाहता है की तुझे यही मार दु “
उसकी आवाज में नफरत भरी थी…
लेकिन मैं अब भी शांत था मैं जानना चाहता था की आखिर उसके दिल में क्या है ….
“मुझसे इतनी नफरत ??? आखिर क्यो??”
“क्यो???”वो जोरो से हंसा चल मेरे साथ ,..
वो मेरा हाथ पकड़े हुए मुझे बंगले के मुख्य घर की ओर ले जाने लगा,फिर अंडरग्राउंड गैरेज/पार्किंग में ले गया,वंहा कई गाड़िया खड़ी थी वो मुझे दूसरी तरफ ले गया ,मुझे पता था की यंहा एक कमरा है ,कंट्रोल रूम जैसा लेकिन अब कंट्रोल रूम गार्ड के कमरे के पास बना दिया गया था तो ये कमरा अब खाली था,लेकिन कमरे की खिड़किया खुली हुई थी और अंदर से प्रकाश बाहर आ रहा था,मैं समझ गया था की यंहा कोई है लेकिन जैसे ही मैं खिड़की के पास पहुचा तो मेरी आंखे फ़टी की फ़टी रह गई …….
अंदर मेरे पिता शबीना काकी (अब्दुल की बीबी) के ऊपर चढ़े हुए थे और धक्के लगा रहे थे वही कांता काकी (चन्दू की मा और रामु की बीवी) नंगी उनके बाजू में सोई हुई थी लग रहा था की अभी अभी उसके साथ भी कुछ किया गया था…
सिसकियों की आवाजे बाहर तक आ रही थी और उनकी हिम्मत की खिड़की ही नही दरवाजा भी खुला हुआ था,सभी बेखोफ लग गए थे ,दुनिया की परवाह किये बिना अपने ही मजे में मगन थे..
पिता जी का ये रूप देखकर मैं दंग रह गया था,मैंने ये तो सुना था की वो ऐसा करते है लेकिन आज सामने देखकर मेरी सांसे ही रुक गई ,वही वो दृश्य बेहद ही उत्तेजक भी था,
शबीना काकी दूध जैसी गोरी थी और उन्होंने पापा के सर को जोरो से जकड़ लिया था ,वो आहे भर रही थी वही पिता जी की कमर किसी पिस्टन के जैसे अंदर बाहर हो रही थी ,वही सवाली सलोनी कांता काकी के भरे हुए शरीर को देखकर एक बार को मेरा लिंग भी तन गया था,उनके जांघो के बीच बालो की झड़िया उगी हुई थी और वो उन्हें अपने उंगली से सहला रही थी ,वो तेजी से उंगली चलाती फिर जब उंगली गीली हो जाती तो शबीना के मुह में उसे डाल देती,कभी वो शबीना के होठो में आपने होठ लगा देती ,
“दूर हट मादरचोद”जब कांता शबीना के होठो में होठ रखने वाली थी तो पापा ने उसके चहरे को पकड़ कर जोर से दूर फेक दिया ,ये देखकर चन्दू वंहा से तुरत ही हट गया था,मैं उसके रोने की आवाज सुन सकता था,वही कांता पापा के इस बर्ताव के बाद भी फिर से उनकी ओर जाती है और उनके पैरो को चाटने लगती है,
“मादरचोद तेरे चुद से ज्यादा पानी आ रहा है क्या “
कांता ने हा में सर हिला दिया ,पापा शबीना को छोड़ उसके बालो को खीचकर ऊपर ले आये और कांता के जांघो के जोड़ को शबीना के मुह में रख दिया…
“चूस इस रंडी की चुद को साली बहुत मचल रही है ..”
कांता हसने लगी थी ,वही पापा ने फिर से शबीना के योनि में अपना लिंग डाल दिया..
साफ लग रहा था की ये दोनो उनके लिए किसी सेक्स स्लेव जैसी ही है…
मेरी नजर वहां से हटी तो मुझे चन्दू दूर खड़ा रोता हुआ दिखा,मैं समझ सकता था की अपनी माँ को ऐसा देखकर उस बेचारे के दिल में क्या बीत रही होगी,उसे मेरे बाप से जलील होना पड़ता होगा क्या पता की पिता जी को चन्दू की उपस्थिति का पता हो ,हो भी सकता था क्योकि उन्हें दुसरो को जलील करने में बहुत मजा जो आता था,मुझे मेरे पुराने दिनों की याद आ गई लेकिन फिर भी मेरे साथ जो भी हुआ हो ये इससे बुरा तो नही था.
मैं चन्दू के पास पहुचा ,चन्दू फिर से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सर्विस क्वाटर में ले आया था ,और आते ही उसने बची हुई शराब को बोतल से ही निगल लिया …..
“चन्दू..”
मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो भड़क गया
“चुप कर मादरचोद,देखा ना तेरा बाप मेरी माँ के साथ क्या करता है,और तू पूछ रहा था की मैं तुझसे नफरत क्यो करता हु,मैं तो तेरे पूरे परिवार से नफरत करता हु और साथ ही अपने बाप से भी ,अब्दुल और मेरे बाप दोनो को पता है की उनकी बीबियां चंदानी की रंडिया है लेकिन साले नामर्द है ….किसी की हिम्मत नही की उन्हें रोक सके ,या बदला ले लेकिन मैं लूंगा ,मैं तेरे बाप से बदला लूंगा...जानता है वो मेरा भी बाप है ,हा राज मैं और सना दोनो ही उसकी नजायज औलादे है ,हमारे बाप तो बस नाम के ही बाप है ,साले नामर्द कहि के...ऐसे में मैं तेरा भाई हुआ ना ...लेकिन फिर भी देख तू क्या है और मैं क्या हु ,तेरा बाप मेरे और सना की अच्छी देखभाल करता है लेकिन क्या वो हमे वो दर्जा दे सकता है जो तुझे और तेरी बहनो को मिला है ...नही ..क्योकि हम नाजायज औलाद है उसकी…...हम उसके हवस की निशानी है राज …
लेकिन मेरे पास एक उम्मीद थी ,क्योकि उसका बेटा भी नामर्द ही निकल गया था ,एक डरपोक जिससे चंदानी नफरत करता था,मैंने इसका पूरा फायदा उठाया अपने को इस लायक बनाया की चंदानी की नजर में उठ सकू उठा भी ,उसे यही लगने लगा था की मैं ही उसका असली खून हु,मेरे अंदर ही उसके खून ने रंग दिखाया है,मैं निशा के करीब हो गया था,ताकि मैं उसे अपने प्यार में फंसा लू लेकिन ….
लेकिन तू जंगल से आया और चंदानी का असली खून बोल उठा,ताकत और आकर्षण...आज चंदानी के नजरो में मेरी कोई इज्जत नही रह गई निशा मुझसे अलग हो गई,सिर्फ तेरे कारण..साले मैं तो तुझे अभी मार देना चाहता हु ,लेकिन क्या करू मैं कुछ भी नही कर सकता ,लेकिन मेरा वादा है तुझसे की एक दिन आएगा जब मैं चंदानी और उसके परिवार को बर्बाद कर दूंगा ..”
वो रोने लगा था ,असल में ये सब सुनकर गुस्सा आना चाहिए था लेकिन जो मैंने देखा था उसे देखकर मुझे चन्दू पर दया आ रही थी ..
“और तेरी माँ ,उसे भी सब कुछ पता है की मैं और सना कौन है लेकिन वो भी साली ..”
चन्दू इतना ही बोला था की मैंने उसके जबड़े को पकड़ लिया,मेरी पकड़ इतनी मजबूत ही की वो हिल भी नही पा रहा था..
“मादरचोद माँ के बारे में कुछ नही बोलना “
मैंने जब उसे छोड़ा तो वो रोते हुए भी हसने लगा..
“हा कुछ नही बोलूंगा क्योकि वो तेरी माँ है ,और मेरी माँ का क्या जिसे चंदानी नंगी करके चोद रहा है,वो भी दरवाजा खोल कर ,कोई उसे देखे उसे कोई फर्क नही पड़ता,वो मादरचोद तो मेरे बाप के सामने भी उसे चोद देता है ...तेरी माँ की इज्जत है और मेरी माँ बस एक रंडी..?????”
इसे बार वो रोते रोते बैठ गया था ,मैं उसे क्या बोलू मेरे समझ के बाहर था,अपने पिता के इस रूप से मुझे घृणा सी आ रही थी ,और उससे ज्यादा गुस्सा अब्दुल और रामु काका पर जो अपनी ही बीबियों की अस्मिता की रक्षा नही कर पाते,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैं भी तो ऐसा ही था,मेरा बाप सबको ऐसा ही बना देता है ,लोग उसे कमीना ऐसे ही नही कहते..
चन्दू अब मुझे देखने लगा..
“राज मैं जानता हु की तू अब ताकतवर हो गया है लेकिन चाहे जो हो जाए एक दिन मैं चंदानी को उसके किये की सजा जरूर दूंगा,तेरे परिवार को उनके किये की सजा मिलेगी ..”
“मेरे रहते तू मेरे परिवार का बाल भी बांका नही कर सकता चन्दू तो सोचना भी मत “
मैं पहली बार उसे धमकाया था लेकिन मेरा आवाज सामान्य ही था क्योकि मेरे दिल में उसके लिए एक सहानुभूति जाग गई थी ,
वो हंसा
“तुझे क्या लगता है की निशा और तेरा बाप तेरे साथ है ,नही राज वो लोग सिर्फ ताकत के साथ होते है ,जिसके पास मिल जाए वो उधर चले जाएंगे,आज निशा तुझसे चिपक कर तुझे भाई भाई बोल रही है ना,तेरी एक हार और वो फिर से तुझे देखना भी पसंद नही करेगी ,वो सेल्फीज़ है राज ,पहले मेरे साथ थी अब तेरे साथ है और कल किसी और के साथ हो जाएगी …”
“जबान सम्हाल चन्दू “
इस बार मैं चीखा था लेकिन चन्दू अभी भी हंस ही था..
“मुझे मरना है तुझे???मार ले और कर भी क्या सकता है तू लेकिन मैं उस दिन तुझपर फिर से हसूंगा जब निशा फिर से मेरे पास होगी हा हा हा..”
वो हसने लगा ,उसे देखकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई थी ,मैं चाहता तो अभी इसकी हड्डी पसलियां तोड़ सकता था लेकिन मैंने ऐसा नही किया ,अगर ये खेलना चाहता था तो ठीक है आखिर देखूं तो चन्दू कौन सा खेल दिखाता है ..
“ऐसी बात है तो चल तुझे बेस्ट ऑफ लक,लेकिन याद रखना आज से हम दुश्मन है ,और मैं अपने दुश्मनो को नही छोड़ता “
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराया
“राज तू तो जिस दिन पैदा हुआ उसी दिन से मेरा दुश्मन बन गया था ,हा पता तुझे आज चला है लेकिन पता तुझे अभी भी नही है कि तेरा किससे पाला पड़ा है और मैं क्या कर सकता हु"
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा था,लेकिन….
अजीब बात थी की हम दोनो के चहरे में कमीनी मुस्कान थी….
जंगल से आने के बाद से मैं अब्दुल काका और रामु काका के साथ बैठकर दारू नही पिया था,आजकल वो मुझसे थोड़ा डरे हुए बाते करते थे ,तो मैंने सोचा की क्यो ना आज उनके साथ बैठा जाए मैं 3 क्वाटर देशी के ले कर उनके पास चला गया,
“नही छोटे साहब मैं रामु के साथ बैठकर शराब नही पियूँगा “
अब्दुल काका की बात से मुझे थोडा अजीब लगा ऐसे भी मैं हमेशा किसी एक के साथ बैठकर पीता था लेकिन मैंने सोचा की दोनो को एक साथ बुला लू लेकिन दोनो ने इनकार कर दिया ..
“क्या बात है आखिर ..”
“जब हम दोनो साथ होते है तो एक दूसरे की बीबियों को गाली देने लगते है फिर हमारे बीच झगड़े हो जाते है उससे अच्छा है की हम साथ ना ही पिये …
अब मुझे पूरी कहानी समझ आ गई थी लेकिन अब मैं पीने के मूड में तो आ ही गया था तो अब क्या करू…
मैं हमारे बंगले के पीछे बने एक सर्विस क्वाटर में बैठा था जन्हा मैं अधिकतर बैठा शराब पीता था,वही अब्दुल और रामु काका वंहा से थोड़ी दूर पर ही रहते थे,चन्दू और सना के लिए पिता जी ने अलग अलग कमरे दे रखे थे जिसमे सना का कमर गेस्ट रूम और मा-पापा के कमरे के पास था वही चन्दू सामने के तरफ बने हुए सर्विस क्वाटर में रहता था …..
मैंने रामु काका से बात की तो उन्होंने भी यही बात कर दी ,तभी मुझे चन्दू दिखाई दिया ,मैंने उसे आवाज लगाई और वो मेरे पास आ गया ..
“चल दारू पीते है “
उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा लेकिन कुछ बोला नही मैं उसे उसी सर्विस क्वाटर में ले गया और बोलता खोल ली ,हमने बिना बोले ही 2 पैक भी लगा लिए थे,अब हमे थोड़ा थोड़ा नशा चढ़ने लगा था,मुझे अहसास हुआ की पहले मुझे ज्यादा नशा होता था लेकिन अब मुझे इतने पर भी कुछ फर्क नही पड़ रहा था,शायद एक्सरसाइज ज्यादा करने की वजह से शरीर की कैपिसिटी बढ़ गई थी ……
“तुम आजकल मुझसे इतने दूर दूर क्यो रहते हो ..”
आखिर तीसरा पैक खत्म कर मैंने कहा ..
“नही ऐसा नही है …….”
उसने एक ही घुट में पूरा माल अंदर कर लिया था जरूर उसके अंदर कुछ तो उबल रहा था …
अब उसे भी नशा अपनी जकड़ में ले रहा था ,उसकी आंखे लाल हो गई थी मैंने तुरंत ही उसके लिए एक और पैक बना दिया उसने उसे भी एक ही सांस में अंदर कर लिया जैसे किसी बड़े दुख से गुजर रहा हो और उसे राहत चाहिए …..
“अब बोल भी दे ..”
उसने मुझे देखा उसकी आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था,लाल आंखों से जैसे खून टपक रहा था ……
“क्या बोलू ..?की तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी “
उसने अगला पैक भी तुरंत ही अपने अंदर उतार लिया ..
“मैंने???”
उसकी बातो से मुझे आश्चर्य हुआ की आखिर मैंने क्या किया है ..
“तू जंगल क्या गया साले वंहा से तोप बन कर आ गया,और मेरे पूरे अरमानो पर तूने पानी फेर दिया,जी चाहता है की तुझे यही मार दु “
उसकी आवाज में नफरत भरी थी…
लेकिन मैं अब भी शांत था मैं जानना चाहता था की आखिर उसके दिल में क्या है ….
“मुझसे इतनी नफरत ??? आखिर क्यो??”
“क्यो???”वो जोरो से हंसा चल मेरे साथ ,..
वो मेरा हाथ पकड़े हुए मुझे बंगले के मुख्य घर की ओर ले जाने लगा,फिर अंडरग्राउंड गैरेज/पार्किंग में ले गया,वंहा कई गाड़िया खड़ी थी वो मुझे दूसरी तरफ ले गया ,मुझे पता था की यंहा एक कमरा है ,कंट्रोल रूम जैसा लेकिन अब कंट्रोल रूम गार्ड के कमरे के पास बना दिया गया था तो ये कमरा अब खाली था,लेकिन कमरे की खिड़किया खुली हुई थी और अंदर से प्रकाश बाहर आ रहा था,मैं समझ गया था की यंहा कोई है लेकिन जैसे ही मैं खिड़की के पास पहुचा तो मेरी आंखे फ़टी की फ़टी रह गई …….
अंदर मेरे पिता शबीना काकी (अब्दुल की बीबी) के ऊपर चढ़े हुए थे और धक्के लगा रहे थे वही कांता काकी (चन्दू की मा और रामु की बीवी) नंगी उनके बाजू में सोई हुई थी लग रहा था की अभी अभी उसके साथ भी कुछ किया गया था…
सिसकियों की आवाजे बाहर तक आ रही थी और उनकी हिम्मत की खिड़की ही नही दरवाजा भी खुला हुआ था,सभी बेखोफ लग गए थे ,दुनिया की परवाह किये बिना अपने ही मजे में मगन थे..
पिता जी का ये रूप देखकर मैं दंग रह गया था,मैंने ये तो सुना था की वो ऐसा करते है लेकिन आज सामने देखकर मेरी सांसे ही रुक गई ,वही वो दृश्य बेहद ही उत्तेजक भी था,
शबीना काकी दूध जैसी गोरी थी और उन्होंने पापा के सर को जोरो से जकड़ लिया था ,वो आहे भर रही थी वही पिता जी की कमर किसी पिस्टन के जैसे अंदर बाहर हो रही थी ,वही सवाली सलोनी कांता काकी के भरे हुए शरीर को देखकर एक बार को मेरा लिंग भी तन गया था,उनके जांघो के बीच बालो की झड़िया उगी हुई थी और वो उन्हें अपने उंगली से सहला रही थी ,वो तेजी से उंगली चलाती फिर जब उंगली गीली हो जाती तो शबीना के मुह में उसे डाल देती,कभी वो शबीना के होठो में आपने होठ लगा देती ,
“दूर हट मादरचोद”जब कांता शबीना के होठो में होठ रखने वाली थी तो पापा ने उसके चहरे को पकड़ कर जोर से दूर फेक दिया ,ये देखकर चन्दू वंहा से तुरत ही हट गया था,मैं उसके रोने की आवाज सुन सकता था,वही कांता पापा के इस बर्ताव के बाद भी फिर से उनकी ओर जाती है और उनके पैरो को चाटने लगती है,
“मादरचोद तेरे चुद से ज्यादा पानी आ रहा है क्या “
कांता ने हा में सर हिला दिया ,पापा शबीना को छोड़ उसके बालो को खीचकर ऊपर ले आये और कांता के जांघो के जोड़ को शबीना के मुह में रख दिया…
“चूस इस रंडी की चुद को साली बहुत मचल रही है ..”
कांता हसने लगी थी ,वही पापा ने फिर से शबीना के योनि में अपना लिंग डाल दिया..
साफ लग रहा था की ये दोनो उनके लिए किसी सेक्स स्लेव जैसी ही है…
मेरी नजर वहां से हटी तो मुझे चन्दू दूर खड़ा रोता हुआ दिखा,मैं समझ सकता था की अपनी माँ को ऐसा देखकर उस बेचारे के दिल में क्या बीत रही होगी,उसे मेरे बाप से जलील होना पड़ता होगा क्या पता की पिता जी को चन्दू की उपस्थिति का पता हो ,हो भी सकता था क्योकि उन्हें दुसरो को जलील करने में बहुत मजा जो आता था,मुझे मेरे पुराने दिनों की याद आ गई लेकिन फिर भी मेरे साथ जो भी हुआ हो ये इससे बुरा तो नही था.
मैं चन्दू के पास पहुचा ,चन्दू फिर से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सर्विस क्वाटर में ले आया था ,और आते ही उसने बची हुई शराब को बोतल से ही निगल लिया …..
“चन्दू..”
मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो भड़क गया
“चुप कर मादरचोद,देखा ना तेरा बाप मेरी माँ के साथ क्या करता है,और तू पूछ रहा था की मैं तुझसे नफरत क्यो करता हु,मैं तो तेरे पूरे परिवार से नफरत करता हु और साथ ही अपने बाप से भी ,अब्दुल और मेरे बाप दोनो को पता है की उनकी बीबियां चंदानी की रंडिया है लेकिन साले नामर्द है ….किसी की हिम्मत नही की उन्हें रोक सके ,या बदला ले लेकिन मैं लूंगा ,मैं तेरे बाप से बदला लूंगा...जानता है वो मेरा भी बाप है ,हा राज मैं और सना दोनो ही उसकी नजायज औलादे है ,हमारे बाप तो बस नाम के ही बाप है ,साले नामर्द कहि के...ऐसे में मैं तेरा भाई हुआ ना ...लेकिन फिर भी देख तू क्या है और मैं क्या हु ,तेरा बाप मेरे और सना की अच्छी देखभाल करता है लेकिन क्या वो हमे वो दर्जा दे सकता है जो तुझे और तेरी बहनो को मिला है ...नही ..क्योकि हम नाजायज औलाद है उसकी…...हम उसके हवस की निशानी है राज …
लेकिन मेरे पास एक उम्मीद थी ,क्योकि उसका बेटा भी नामर्द ही निकल गया था ,एक डरपोक जिससे चंदानी नफरत करता था,मैंने इसका पूरा फायदा उठाया अपने को इस लायक बनाया की चंदानी की नजर में उठ सकू उठा भी ,उसे यही लगने लगा था की मैं ही उसका असली खून हु,मेरे अंदर ही उसके खून ने रंग दिखाया है,मैं निशा के करीब हो गया था,ताकि मैं उसे अपने प्यार में फंसा लू लेकिन ….
लेकिन तू जंगल से आया और चंदानी का असली खून बोल उठा,ताकत और आकर्षण...आज चंदानी के नजरो में मेरी कोई इज्जत नही रह गई निशा मुझसे अलग हो गई,सिर्फ तेरे कारण..साले मैं तो तुझे अभी मार देना चाहता हु ,लेकिन क्या करू मैं कुछ भी नही कर सकता ,लेकिन मेरा वादा है तुझसे की एक दिन आएगा जब मैं चंदानी और उसके परिवार को बर्बाद कर दूंगा ..”
वो रोने लगा था ,असल में ये सब सुनकर गुस्सा आना चाहिए था लेकिन जो मैंने देखा था उसे देखकर मुझे चन्दू पर दया आ रही थी ..
“और तेरी माँ ,उसे भी सब कुछ पता है की मैं और सना कौन है लेकिन वो भी साली ..”
चन्दू इतना ही बोला था की मैंने उसके जबड़े को पकड़ लिया,मेरी पकड़ इतनी मजबूत ही की वो हिल भी नही पा रहा था..
“मादरचोद माँ के बारे में कुछ नही बोलना “
मैंने जब उसे छोड़ा तो वो रोते हुए भी हसने लगा..
“हा कुछ नही बोलूंगा क्योकि वो तेरी माँ है ,और मेरी माँ का क्या जिसे चंदानी नंगी करके चोद रहा है,वो भी दरवाजा खोल कर ,कोई उसे देखे उसे कोई फर्क नही पड़ता,वो मादरचोद तो मेरे बाप के सामने भी उसे चोद देता है ...तेरी माँ की इज्जत है और मेरी माँ बस एक रंडी..?????”
इसे बार वो रोते रोते बैठ गया था ,मैं उसे क्या बोलू मेरे समझ के बाहर था,अपने पिता के इस रूप से मुझे घृणा सी आ रही थी ,और उससे ज्यादा गुस्सा अब्दुल और रामु काका पर जो अपनी ही बीबियों की अस्मिता की रक्षा नही कर पाते,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैं भी तो ऐसा ही था,मेरा बाप सबको ऐसा ही बना देता है ,लोग उसे कमीना ऐसे ही नही कहते..
चन्दू अब मुझे देखने लगा..
“राज मैं जानता हु की तू अब ताकतवर हो गया है लेकिन चाहे जो हो जाए एक दिन मैं चंदानी को उसके किये की सजा जरूर दूंगा,तेरे परिवार को उनके किये की सजा मिलेगी ..”
“मेरे रहते तू मेरे परिवार का बाल भी बांका नही कर सकता चन्दू तो सोचना भी मत “
मैं पहली बार उसे धमकाया था लेकिन मेरा आवाज सामान्य ही था क्योकि मेरे दिल में उसके लिए एक सहानुभूति जाग गई थी ,
वो हंसा
“तुझे क्या लगता है की निशा और तेरा बाप तेरे साथ है ,नही राज वो लोग सिर्फ ताकत के साथ होते है ,जिसके पास मिल जाए वो उधर चले जाएंगे,आज निशा तुझसे चिपक कर तुझे भाई भाई बोल रही है ना,तेरी एक हार और वो फिर से तुझे देखना भी पसंद नही करेगी ,वो सेल्फीज़ है राज ,पहले मेरे साथ थी अब तेरे साथ है और कल किसी और के साथ हो जाएगी …”
“जबान सम्हाल चन्दू “
इस बार मैं चीखा था लेकिन चन्दू अभी भी हंस ही था..
“मुझे मरना है तुझे???मार ले और कर भी क्या सकता है तू लेकिन मैं उस दिन तुझपर फिर से हसूंगा जब निशा फिर से मेरे पास होगी हा हा हा..”
वो हसने लगा ,उसे देखकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई थी ,मैं चाहता तो अभी इसकी हड्डी पसलियां तोड़ सकता था लेकिन मैंने ऐसा नही किया ,अगर ये खेलना चाहता था तो ठीक है आखिर देखूं तो चन्दू कौन सा खेल दिखाता है ..
“ऐसी बात है तो चल तुझे बेस्ट ऑफ लक,लेकिन याद रखना आज से हम दुश्मन है ,और मैं अपने दुश्मनो को नही छोड़ता “
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराया
“राज तू तो जिस दिन पैदा हुआ उसी दिन से मेरा दुश्मन बन गया था ,हा पता तुझे आज चला है लेकिन पता तुझे अभी भी नही है कि तेरा किससे पाला पड़ा है और मैं क्या कर सकता हु"
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा था,लेकिन….
अजीब बात थी की हम दोनो के चहरे में कमीनी मुस्कान थी….