लाला : "रश्मी...तुम्हारी किस्मत सच मे बड़ी कमाल की है...वैसे तो मैने आज तक किसी लड़की के साथ जुआ नही खेला...आज खेला भी तो तुम्हारे साथ , जिसके हाथों हारने में भी कोई परेशानी नही है मुझे...''
रश्मी समझ गयी की वो उसके उपर लाइन मार रहा है...अब खूबसूरत लड़कियों की ये सबसे बड़ी प्राब्लम होती है...उन्हे पता होता है की एक बंदा पहले से सेट है उनके हाथ (मोनू) पर फिर भी नये आशिक़ों को वो मना नही करती..अपने उपर मरने वालों मे एक और नाम लिखवाने में भला किसे प्राब्लम हो सकती है..
लाला की दिलफेंकी वैसे भी पूरे मोहल्ले मे माशूर थी..गली से निकलते हुए पहले भी वो कई बार उसकी भूखी आँखों का सामना कर चुकी थी...पर आज माहौल अलग था...वो अपने पैसे लुटवाने के लिए उसके सामने तैयार बैठा था...और उपर से उसपर लाइन भी मार रहा था...दोनो ही बातें रश्मी को पसंद आ रही थी.
रश्मी ने गोर किया की लाला का हाथ अभी भी उसके लंड के उपर सरक रहा है...जैसे वो जान बूझकर उसे अपने लंड को दिखाना चाहता था..रश्मी की चूत में भी खुजली सी होने लगी...शायद मोनू होता उसके सामने तो वो भी अपनी चूत वाले हिस्से को रगड़कर वहाँ की खुजली मिटा लेती..पर लाला के सामने ऐसा करना उसे सही नही लगा...वो बस अपनी दोनो जांघों को भींच कर आपस मे रगड़ने लगी..ताकि लाला को पता ना चले की वो कर क्या रही है.
पर लाला तो एक नंबर का हरामी था , उसके पैरों की हल्की हरकत को देखकर वो एक ही पल मे समझ गया की वो क्या कर रही है...यानी वो इस समय उत्तेजित है और अगर वो अपनी तरफ से थोड़ी सी कोशिश करे तो उसका काम बन सकता है.
लाला ने अपनी टांगे थोड़ी और फेला कर रख दी...और ऐसा करने से उसके आगे वाला हिस्सा और भी ज़्यादा फूल कर बाहर की तरफ निकल आया..ऐसा लग रहा था की उसकी पेंट के अंदर बाँस का बंबू लगा कर टेंट बनाया गया है...और बेशरम लाला उसे छुपाने के बजाए और भी ज़्यादा उभारकर दिखाने की कोशिश कर रहा था.
अगले पत्ते रश्मी ने बाँटे...पर उसका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ तंबू और बंबू पर ही था..
3 ब्लाइंड चलने के बाद लाला ने 1000 की दो ब्लाइंड और चल दी...इस बार रश्मी ने भी सोच लिया था की वो पत्ते नही उठाएगी..उसने 2 हज़ार की ब्लाइंड कर दी..लाला ने भी उसका साथ दिया...अगली 3 ब्लाइंड 2 हज़ार की आई...ब्लाइंड मे ही इतना पैसा इकट्ठा हो चुका था , जितना की नीचे बैठे जुआरी चाल चलने के बाद भी इकट्ठा नही कर पा रहे थे..
अब लाला ने थोड़ा और आगे बढ़ने की सोची...
अभी तक होता क्या था, लाला जब भी ब्लाइंड या चाल चलता था,अपने पैसे चूम कर नीचे फेंकता था...और पत्ते भी पहले चूमता था और उसके बाद देखता था..ये उसका टोटका था, जो अभी तक चला नहीं था
इस बार जब उसने अपनी अगली चाल चली तो पैसे अपने होंठों से चूमने के बदले अपने खड़े हुए लंड पर घिस कर दिए...पहली बार लाला को ऐसा करते देखकर रश्मी हैरान भी हुई और शरम से लाल भी..पर जब अगली बार उसने फिर से ऐसा किया तो उससे रहा नही गया, वो बोल पड़ी : "अब ये क्या तरीका है...''
उसने उसकी टाँगो के बीच इशारा करते हुए कहा..
लाला (मुस्कुराते हुए) : "ये मेरा टोटका है...जब मैं हारने लगता हू तो अपने दोस्त की मदद लेता हू...अब गुड्डू तो नीचे बैठा है, इसलिए अपने दूसरे दोस्त की मदद ले रहा हू..''
रश्मी (हँसते हुए, शरारती आवाज में बोली ) : "ऐसा थोड़े ही होता है...''
रश्मी को अपनी बातों में फँसता देखकर लाला बोला : "अब ये तो इस गेम के बाद ही पता चलेगा...''
रश्मी को भी डर सा लगने लग गया...वैसे भी बीच मे लगभग 15 हज़ार आ ही चुके थे...उसने अपने पत्ते उठा कर देख लिए..इस बार पहली दफ़ा उसके पास ढंग के पत्ते नही आए थे...बादशाह, बेगम और चोक्की...पर फिर भी उसने 2000 बीच मे फेंकते हुए शो माँग लिया.
लाला ने उसके पत्ते देखे..और फिर अपने पत्ते उठा लिए..और उन्हे फिर से एक बार अपने खड़े हुए लंड पर रगड़ा और खुद बिना देखे उन्हे नीचे फेंक दिया..
उसके पास 1,2,3 की सीक़वेंस आई थी...लाला को तो खुद ही विश्वास नही हुआ की उसके पास इतने बढ़िया पत्ते आए हैं...और वो भी उस वक़्त जब उसने लंड पर रगड़ने वाले टोटके का तुक्का मारा था...आज से पहले उसने ऐसा कुछ भी नही किया था...वो तो बस रश्मी को उकसाने के लिए और उसे अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उसने बोल दिया था..पर वो नही जानता था की असल में वो जीत जाएगा..पर जो भी था, वो अंदर से काफ़ी खुश हो रहा था..क्योंकि अब रश्मी को उसकी बात पर विश्वास हो जाएगा..और वो खुलकर वो सब कर सकेगा जो उसने पहले से सोच लिया था..
रश्मी भी पहली बार हारकर थोड़ा मायूस थी...जब से उसने तीन पत्ती खेलना शुरू किया था, वो हारी ही नही थी..शायद ओवर कॉन्फिडेंट हो चुकी थी वो...वो सोचने लग गयी की ऐसा क्यो हुआ, क्या लाला ने जो टोटका अपनाया उसकी वजह से...वो सही भी था शायद..क्योंकि अभी तक वो खुद भी तो बिना अंडरगारमेंट्स के खेल रही थी..वो भी तो एक टोटका ही था, क्योंकि पहले जब वो मोनू के साथ अंदर के कपड़े पहन कर खेली थी तो वो हारती जा रही थी..मोनू ने ही उसे ये सलाह दी थी..और जब से उसने अपनी ब्रा और पेंटी उतार कर खेलना शुरू किया वो हारी ही नही..पर अब हार गयी...और वो शायद इसलिए की शायद उसका टोटका ज़्यादा भारी पड़ गया उसके उपर..
अब वो बेचारी उन बातों में इतनी अंदर तक घुस गयी थी की ये भी नही समझ पा रही थी की ये मात्र इत्तेफ़ाक़ था...ऐसे पत्तों पर किसी का भी ज़ोर नही चलता..और अभी तक सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी किस्मत ही उसका साथ दे रही थी..मोनू ने भी सिर्फ मजे लेने के लिए उसके अंडरगारमेंट्स निकलवाए थे, और वो उसके मजे भी ले चूका था, पर बेचारी रश्मी समझ कर बैठी थी की वो इसी वजह से जीत रही है.
लाला ने पैसे समेट लिए और गोर से उसके चेहरे को देखते हुए ये जानने की कोशिश करने लगा की रश्मी के दिमाग़ में चल क्या रहा है..
खेर, जब अगली गेम शुरू हुई तो लाला ने फिर से वही हरकत करनी शुरू कर दी...और इस बार तो वो और भी ज़्यादा बेशर्मी पर उतर आया..ये जानते हुए भी की रश्मी घूर-2 कर वहीं देख रही है, वो अपने खड़े लंड पर लाल नोटों को ज़ोर-2 से रगड़कर नीचे फेंकने लगा..
इस बार रश्मी ने चांस नही लिया..वो देखना चाहती थी की क्या इस बार भी लाला का टोटका काम करेगा..उसने अपने पत्ते उठा लिए..उसके पास 3 का पेयर आया था..पत्ते एक बार फिर से चाल चलने लायक थे..इसलिए उसने 2000 की चाल चल दी..पर लाला ने बिना पत्ते देखे, एक बार फिर 1000 का नोट अपने खड़े लंड पर मसल कर नीचे फेंक दिया..अब रश्मी फिर से घबराने लगी, क्योंकि लाला एक दम कॉन्फिडेंट होकर वो ब्लाइंड चल रहा था..जैसे वो जानता हो की उसके पास बड़िया पत्ते ही आएँगे..
अब मोनू भी उसके साथ नही था, जिससे पूछ कर वो कोई डिसीसन ले सकती...उसने अपने दिल की बात मानते हुए शो माँग लिया. लाला ने फिर से एक बार बिना देखे ही अपने तीनों पत्ते उसके सामने पलट दिए..और उन्हे देखकर रश्मी को पक्का विश्वास हो गया की अब उसका नही बल्कि लाला का टोटका हावी है गेम पर.. क्योंकि उसके पास 10 का पेयर आया था..
लाला ने मुस्कुराते हुए एक बार फिर से वो सारे पैसे समेट लिए.
लाला : "देखा ...मैने कहा था ना...मेरा टोटका है ये...''
रश्मी ने भी सोच लिया की वो भी ये टोटका ट्राइ करेगी..
अगली ब्लाइंड चलने से पहले रश्मी ने वो किया जो लाला ने सोचा भी नही था..रश्मी ने 1000 का नोट लेकर सीधा अपने मुम्मे पर रगड़ा और उसे नीचे फेंक दिया..
लाला : "हा हा हा ...तो तुम भी इन बातों पर विश्वास करती हो...''
रश्मी : "हाँ ..तभी तो मैने अंदर कुछ भी नही .....''
वो बोलते-2 रुक गयी....पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी...लाला को उसकी ब्रा और पेंटी के गायब होने का राज पता चल चुका था..और वो ये सुनकर बड़ी ही बेशर्मी से अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ मुस्कुराने लगा.
लाला : "इसमें शरमाने की क्या बात है...सही है...अगर तुम उसकी वजह से जीत रही हो तो इसमे नुकसान ही क्या है...बस सामने बैठे लोगो को थोड़ी परेशानी हो जाती है, पर उससे तुम्हे क्या, तुम्हे तो जीतने से मतलब है बस..''
रश्मी उसकी बात सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी..
अगली बार फिर से लाला ने 2 हज़ार का नोट अपने लंड से रगड़ा...और फिर उसके बाद रश्मी ने भी अपने मुम्मे पर ..अब वो ऐसा करते हुए शरमा भी नही रही थी...अपने ही हाथों अपने मुम्मे को रगड़ना और वो भी लाला के सामने, उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर रहा था...उसके बदन मे चींटियाँ सी काट रही थी..वो करारे नोट को जब अपने खड़े हुए निप्पल के उपर रगड़ती तो एक अजीब सी झनझनाहट होती उसके जिस्म में ..और वो बेचारी सिसक भी नही सकती थी..बस दाँतो से होंठ दबा कर ब्लाइंड चलती रही..
कुछ देर बाद रश्मी ने अपने पत्ते उठा ही लिए..उसके पास सिर्फ़ इक्का और 5, 9 नंबर आए थे...इकके के बल पर चाल चलना काफ़ी रिस्की था, पर वो देखना चाहती थी की उसका ये टोटका भी काम कर रहा है या नही..इतना सोचते हुए उसने शो माँग लिया
लाला ने हर बार की तरह गहरी मुस्कान के साथ अपने पत्ते उठाए , उन्हे अपने खड़े लंड से रगड़ा...और बिना देखे ही सामने फेंक दिए.
उसके पास 2,3 और 9 नंबर आए थे...यानी ये गेम सिर्फ इक्के के बल पर रश्मी जीत चुकी थी...और रश्मी ने खुशी की किल्कारी मारते हुए वो सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..
और उसे जीतता देखकर लाला भी काफ़ी खुश था...दरअसल वो चाहता भी यही था..क्योंकि अगर वो जीत जाता तो रश्मी उसकी इस झूटी टोटके वाली बात पर कभी विश्वास नही करती...अब तो लाला को एक तरीका मिल गया था उसे उत्तेजित करने का...उसे अपनी तरफ आकर्षित करने का..
अगली गेम शुरू हुई...और रश्मी ने ब्लाइंड चल दी...और इस बार उसने एक-2 करते हुए अपने दोनो मुम्मों पर नोट रगड़ा ...उसके मुम्मों की थिरकन से लाला की आँखे चुंधिया सी रही थी..और वो बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल रखकर बैठ हुआ वो देख रहा था.
लाला की बारी आई तो उसने एक और डेयरिंग दिखाई...उसने धीरे से अपनी जीप खोल दी..उसके अंडरवीयर मे फँसे लंड को थोड़ा और फेलने की जगह मिल गयी..और फिर उसने अपने खड़े हुए लंड को अपने हाथ से मसला..उसे सहलाया..और फिर हज़ार के नोट को उसने अंदर डाल कर उससे टच करवाया..यानी अपने नंगे लंड से ..और फिर वो नोट नीचे फेंक दिया.
लाला : "मुझे लगता है इसको सीधा टच करवाने से ही असली असर आएगा ...मेरा जादू तभी चलेगा...''
रश्मी उसकी बातें सुन रही थी और अपनी फटी हुई आँखों से उसके उभार को देखकर साँस लेना भी भूल गयी थी..
ऐसा लग रहा था की उसने अंडरवीयर मे नाग पाल रखा है..जो किसी भी पल बाहर निकल कर उसपर हमला कर देगा..
रश्मी मे इतनी भी हिम्मत नही हुई की वो उसे ऐसा करने से मना कर दे...उसके कमरे में वो लाला अपनी बेशर्मी दिखा रहा था, वो चाहती तो उसे ऐसा करने से मना कर सकती थी..खेल को छोड़ सकती थी...अपने भाई को आवाज़ देकर उपर बुला सकती थी और उसे बता सकती थी की देखो, तुम्हारा दोस्त कैसी गंदी हरकत कर रहा है...पर ये सब तो तब होता ना जब वो ऐसा करना चाहती....वो तो ऐसा सीन देखकर खुद ही उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी...उसकी नंगी चूत में से पानी निकल कर उसके पायजामे में गीला धब्बा बना चुका था...उसके कड़क निप्पल टी शर्ट में ड्रिल करके छेद बनाने की कोशिश कर रहे थे..और ये सब उसे इतना रोमांचित कर रहा था की वो बस यही चाह रही थी की ये सब ऐसे ही चलता रहे...कोई उन्हे डिस्टर्ब ना करे...आज बात बढ़