hotaks444
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15
गतान्क से आगे.......
राज ने अपने दोनो हाथ उसकी चुचियों पर रख उन्हे मसल्ने लगा.
कभी वो उसके निपल को भींचता तो कभी उसकी चुचियो की गोलियों
को. उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया और उसके निपल को अपने दांतो
मे ले हौले हौले काटने लगा.
रोमा के शरीर मे उत्तेजना बढ़ने लगी, वो उन्माद मे सिसकने
लगी, 'ऑश राज्ज्जज्ज्ज ऑश हाआँ काटो मेरी चूचियों को.... ओह हन
भींच डालो इनहूओ."
उत्तेजना मे रोमा अपनी कमर उठा अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़
रही थी.उसने महसूस किया कि राज का लंड तनने लग रहा है. उससे
रहा नही जा रहा था वो उसके लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती
थी.
राज ने अपनी टाँगो से रोमा की टाँगे और फैला दी और अपने को इस तरह
उसके उपर कर दिया कि उसका लंड ठीक उसकी चूत के मुँह पर लगा
था, लेकिन उसे अंदर घुसाने के बजाय वो अपने लंड को धीरे धीरे
उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
ओह राज..... क्यों तडपा रहे हूऊऊ..... प्लीज़ घुसा दो ना
अंदर.... देखो ना मुझसे अब नही रहा जाता.... प्लीज़ चोदो ना
मुझे.." रोमा सिसक पड़ी.
पर राज ने उसकी करहों पर ध्यान नही दिया और अपने लंड को उसकी
चूत पर घिसता रहा. उसका लंड रोमा की चूत से छूटे पानी से पूरा
गीला हो चुका था. फिर अपने आपको थोड़ा नीचे खिसकाते हुए उसने
उसकी एक चुचि के निपल को अपने मुँह मे ले किसी बच्चे की तरह
चुलबुलाने लगा.
रोमा उत्तेजना मे किसी पंछी की तरह फड़फदा रही थी... उसे अब
बर्दाश्त नही हो रहा था. वो राज के सिर को पकड़ जोरों से अपनी
चुचि पर दबा रही थी.
"ऑश राज क्यों तडपा रहे हूऊ.... ओह प्लीज़ चोदो ना
मुझे .... डाल दो अपने लंड को मेरी चूओत मे......" रोमा अब उत्तेजना
मे जोरों से सिसक रही थी.
लेकिन आज की रात तो राज रोमा के साथ पूरी तरह खेलने के मूड मे
था, वो उछल कर रोमा के पेट पर बैठ गया और अपने खड़े लंड को
उसकी चुचियों के बीच की घाटी मे रख दिया. फिर उसकी दोनो
चुचियो को पकड़ अपने लंड पर दबाया और अपना लंड आगे पीछे
करने लगा.
रोमा भी अपने प्रेमी के खेल को समझ गयी और जब भी राज अपने
लंड को आगे की ओर धकेल्ता तो वो पहले तो अपनी जीब से उसे चाटती
और फिर दूसरी बार अपना मुँह खुला रखती जिससे लंड सीधा उसके मुँह
मे पल भर के लिए घूस्ता और बाहर निकल जाता.
राज ज़ोर ज़ोर से रोमा की चुचियों को चोदने लगा, रोमा उसके गीले
लंड को चाटती तो कभी चूस्ति. लेकिन रोमा की उत्तेजना आपे चरम
सीमा पर पहुँच चुकी थी, और अब एक पल भी रुकना उसके लिए
मुश्किल हो रहा था.
रोमा ने राज को धक्का दिया और उसे अपने से अलग कर दिया. राज पीठ
के बल बिस्तर पर था, और इसके पहले कि वो कई और शैतानी करता
रोमा उसके उपर चढ़ गयी और अपनी टाँगों को उसके अगल बगल मे
ढंग से रख उसके लंड को अपनी चूत से लगाया और उस पर बैठती
चली गयी.
थोड़ी देर उसके लंड पर बैठ वो उसके लंड को अपनी चूत मे अड्जस्ट
करती रही फिर थोडा सा उपर उठ ज़ोर से नीचे बैठ गयी और उसके
लंड को पूरा अपनी चूत मे ले लिया.
"ओह राज तुम्हारा गरम लंड मेरी चूत मे कितना अछा लग रहा
है....."
रोमा अब उछल उछल कर उसके लंड को अपनी चूत मे ले रही थी. रोमा
जब ठप की आवाज़ से उसके लंड पर बैठती तो राज भी अब अपनी कमर
उपर कर अपने लंड को और अंदर तक घुसा देता.
राज अब उसके कुल्हों को पकड़ नीचे से धकके मार रहा था. रोमा थी
कि वो और उछल उछल कर उसे चोद रही थी. उसने झुकते हुए अपनी
चुचि राज के मुँह मे दे दी. रोमा जब उपर उठती तो राज अपनी कमर
उपर उठा अपने लंड को अंदर घुसा देता और जब उसकी कमर नीचे को
होती तो रोमा ज़ोर से उसकी कमर पर बैठ जाती. दोनो ताल से ताल मिला
चुदाई कर रहे थे.
"हां राज ऐसे ही अंदर तक घुसा कर चोदो मुझे ओह राज आअज
भर दो मेरी चूत को अपने लंड से ओह. हाां और ज़ोर से धकक्के
मारो... और ज़ोर से... हाआँ "
राज ने रोमा को कमर से पकड़ा और करवट बदल ली. उसका लंड अभी
भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. करवट बदाल्ते ही रोमा ने अपनी
टाँगे उसकी कमर से लपेट ली और उसे बेतहाशा चूमने लगी.
राज ने उसकी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने
लगा. हर धक्के पर वो अपने लंड को उसकी चूत की जड़ तक पेल देता.
"ऑश राज हाआँ और ज़ोर से ऑश हाआँ फाड़ दो मेरी चूऊत को ऑश
मेरा छूटने वाला है ओह हाआअँ में गयी.." सिसकते हुए रोमा
की चूत ने पानी छोड़ दिया.
राज भी झड़ने की कगार पर था. पर उसने अपना लंड को रोमा की चूत
से बाहर निकाला और उसकी पेट पर बैठ अपने लंड को उसके मुँहे मे दे
दिया.
रोमा ने भी अपना मुँह खोला और उसके लंड को चूसने लगी. राज ने दो
तीन धक्के ज़ोर के उसके मुँह मे लगाए और अपना पानी रोमा के मुँह मे
छोड़ दिया जिसे रोमा पी गयी. दोनो की साँसे उखाड़ रही थी. राज उसके
उपर से हट उसके बगल मे लेट गया.
"राज मुझे कभी छोड़ कर मत जाना." रोमा उसकी छाती पर अपना सिर
रखते हुए फुसफ्साई.
"कभी नही जाउन्गा मेरी जान." राज उसके बालों मे हाथ फेरते हुए
बोला.
"राज मुझे अपने से चिपका लो, में थोड़ी देर सोना चाहती हूँ."
* * * * *
दूसरी सुबह राज अपने किचन मे अपने लिए चाइ बना रहा था. रोमा
अभी भी सो रही थी.
तभी फोन की घंटी बजी, वैसे तो वो कभी फोन उठाता नही था,
लेकिन कई बार घंटी बजने पर उसने फोन उठाकर "हेलो" कहा.
"राज में जय बोल रहा हूँ."
जय का फोन इस समय आना उसे अच्छा नही लगा. माना कि वो उसका
ख़ास दोस्त था लेकिन अब भी उसे उस पर गुस्सा आ रहा था फिर भी
अपने गुस्से को छिपाते हुए वो बोला, "हां जय."
अपने दोस्त की बदली हुई आवाज़ से वो समझ गया कि राज अब भी गुस्सा
है फिर भी हिम्मत कर उसने कहा, देखो राज मेरा रिया और मम्मी का
झगड़ा हुआ और मम्मी ने मुझे और रिया को घर से बाहर निकाल दिया
है.....अब में सहर मे रिया के साथ हूँ.... मेने फोन इसलिए
किया जो कुछ भी उस दिन रोमा के साथ मेने किया उसके लिए में बहोत
शर्मिंदा हूँ प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना. मेने नही सोचा था कि
बात इतनी बढ़ जाएगी... प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना और रोमा से भी
कह देना ."
राज को जय की बात पर विश्वास नही हुआ फिर भी उसने धीरे से
कहा, "हां क्यों नही.... तो तुम आज कल रिया के साथ हो."
"हाआँ" जय ने कहा, "वैसे तो रिया की रूम मेट रानी भी उसके साथ
है..."
मुझे नही पता था कि तुम रिया के साथ सहर मे रहोगे" राज ने
कहा.
"मेने भी नही सोचा था," जय ने कहा, "पर मेरे पास दूसरा कोई
चारा भी नही था."
"ऐसा क्या हो गया कि घर छोड़ना पड़ गया? राज ने पूछा, वो जानना
चाहता था कि आख़िर हुआ क्या है जो इतनी जल्दी इतनी बड़ी बात हो
गयी.
जय ने कुछ जवाब नही दिया और विषय को बदलते हुए कहा, "तुम
दोनो खुद आकर नही जगह नही देखना चाहोगे."
गतान्क से आगे.......
राज ने अपने दोनो हाथ उसकी चुचियों पर रख उन्हे मसल्ने लगा.
कभी वो उसके निपल को भींचता तो कभी उसकी चुचियो की गोलियों
को. उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया और उसके निपल को अपने दांतो
मे ले हौले हौले काटने लगा.
रोमा के शरीर मे उत्तेजना बढ़ने लगी, वो उन्माद मे सिसकने
लगी, 'ऑश राज्ज्जज्ज्ज ऑश हाआँ काटो मेरी चूचियों को.... ओह हन
भींच डालो इनहूओ."
उत्तेजना मे रोमा अपनी कमर उठा अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़
रही थी.उसने महसूस किया कि राज का लंड तनने लग रहा है. उससे
रहा नही जा रहा था वो उसके लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती
थी.
राज ने अपनी टाँगो से रोमा की टाँगे और फैला दी और अपने को इस तरह
उसके उपर कर दिया कि उसका लंड ठीक उसकी चूत के मुँह पर लगा
था, लेकिन उसे अंदर घुसाने के बजाय वो अपने लंड को धीरे धीरे
उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
ओह राज..... क्यों तडपा रहे हूऊऊ..... प्लीज़ घुसा दो ना
अंदर.... देखो ना मुझसे अब नही रहा जाता.... प्लीज़ चोदो ना
मुझे.." रोमा सिसक पड़ी.
पर राज ने उसकी करहों पर ध्यान नही दिया और अपने लंड को उसकी
चूत पर घिसता रहा. उसका लंड रोमा की चूत से छूटे पानी से पूरा
गीला हो चुका था. फिर अपने आपको थोड़ा नीचे खिसकाते हुए उसने
उसकी एक चुचि के निपल को अपने मुँह मे ले किसी बच्चे की तरह
चुलबुलाने लगा.
रोमा उत्तेजना मे किसी पंछी की तरह फड़फदा रही थी... उसे अब
बर्दाश्त नही हो रहा था. वो राज के सिर को पकड़ जोरों से अपनी
चुचि पर दबा रही थी.
"ऑश राज क्यों तडपा रहे हूऊ.... ओह प्लीज़ चोदो ना
मुझे .... डाल दो अपने लंड को मेरी चूओत मे......" रोमा अब उत्तेजना
मे जोरों से सिसक रही थी.
लेकिन आज की रात तो राज रोमा के साथ पूरी तरह खेलने के मूड मे
था, वो उछल कर रोमा के पेट पर बैठ गया और अपने खड़े लंड को
उसकी चुचियों के बीच की घाटी मे रख दिया. फिर उसकी दोनो
चुचियो को पकड़ अपने लंड पर दबाया और अपना लंड आगे पीछे
करने लगा.
रोमा भी अपने प्रेमी के खेल को समझ गयी और जब भी राज अपने
लंड को आगे की ओर धकेल्ता तो वो पहले तो अपनी जीब से उसे चाटती
और फिर दूसरी बार अपना मुँह खुला रखती जिससे लंड सीधा उसके मुँह
मे पल भर के लिए घूस्ता और बाहर निकल जाता.
राज ज़ोर ज़ोर से रोमा की चुचियों को चोदने लगा, रोमा उसके गीले
लंड को चाटती तो कभी चूस्ति. लेकिन रोमा की उत्तेजना आपे चरम
सीमा पर पहुँच चुकी थी, और अब एक पल भी रुकना उसके लिए
मुश्किल हो रहा था.
रोमा ने राज को धक्का दिया और उसे अपने से अलग कर दिया. राज पीठ
के बल बिस्तर पर था, और इसके पहले कि वो कई और शैतानी करता
रोमा उसके उपर चढ़ गयी और अपनी टाँगों को उसके अगल बगल मे
ढंग से रख उसके लंड को अपनी चूत से लगाया और उस पर बैठती
चली गयी.
थोड़ी देर उसके लंड पर बैठ वो उसके लंड को अपनी चूत मे अड्जस्ट
करती रही फिर थोडा सा उपर उठ ज़ोर से नीचे बैठ गयी और उसके
लंड को पूरा अपनी चूत मे ले लिया.
"ओह राज तुम्हारा गरम लंड मेरी चूत मे कितना अछा लग रहा
है....."
रोमा अब उछल उछल कर उसके लंड को अपनी चूत मे ले रही थी. रोमा
जब ठप की आवाज़ से उसके लंड पर बैठती तो राज भी अब अपनी कमर
उपर कर अपने लंड को और अंदर तक घुसा देता.
राज अब उसके कुल्हों को पकड़ नीचे से धकके मार रहा था. रोमा थी
कि वो और उछल उछल कर उसे चोद रही थी. उसने झुकते हुए अपनी
चुचि राज के मुँह मे दे दी. रोमा जब उपर उठती तो राज अपनी कमर
उपर उठा अपने लंड को अंदर घुसा देता और जब उसकी कमर नीचे को
होती तो रोमा ज़ोर से उसकी कमर पर बैठ जाती. दोनो ताल से ताल मिला
चुदाई कर रहे थे.
"हां राज ऐसे ही अंदर तक घुसा कर चोदो मुझे ओह राज आअज
भर दो मेरी चूत को अपने लंड से ओह. हाां और ज़ोर से धकक्के
मारो... और ज़ोर से... हाआँ "
राज ने रोमा को कमर से पकड़ा और करवट बदल ली. उसका लंड अभी
भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. करवट बदाल्ते ही रोमा ने अपनी
टाँगे उसकी कमर से लपेट ली और उसे बेतहाशा चूमने लगी.
राज ने उसकी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने
लगा. हर धक्के पर वो अपने लंड को उसकी चूत की जड़ तक पेल देता.
"ऑश राज हाआँ और ज़ोर से ऑश हाआँ फाड़ दो मेरी चूऊत को ऑश
मेरा छूटने वाला है ओह हाआअँ में गयी.." सिसकते हुए रोमा
की चूत ने पानी छोड़ दिया.
राज भी झड़ने की कगार पर था. पर उसने अपना लंड को रोमा की चूत
से बाहर निकाला और उसकी पेट पर बैठ अपने लंड को उसके मुँहे मे दे
दिया.
रोमा ने भी अपना मुँह खोला और उसके लंड को चूसने लगी. राज ने दो
तीन धक्के ज़ोर के उसके मुँह मे लगाए और अपना पानी रोमा के मुँह मे
छोड़ दिया जिसे रोमा पी गयी. दोनो की साँसे उखाड़ रही थी. राज उसके
उपर से हट उसके बगल मे लेट गया.
"राज मुझे कभी छोड़ कर मत जाना." रोमा उसकी छाती पर अपना सिर
रखते हुए फुसफ्साई.
"कभी नही जाउन्गा मेरी जान." राज उसके बालों मे हाथ फेरते हुए
बोला.
"राज मुझे अपने से चिपका लो, में थोड़ी देर सोना चाहती हूँ."
* * * * *
दूसरी सुबह राज अपने किचन मे अपने लिए चाइ बना रहा था. रोमा
अभी भी सो रही थी.
तभी फोन की घंटी बजी, वैसे तो वो कभी फोन उठाता नही था,
लेकिन कई बार घंटी बजने पर उसने फोन उठाकर "हेलो" कहा.
"राज में जय बोल रहा हूँ."
जय का फोन इस समय आना उसे अच्छा नही लगा. माना कि वो उसका
ख़ास दोस्त था लेकिन अब भी उसे उस पर गुस्सा आ रहा था फिर भी
अपने गुस्से को छिपाते हुए वो बोला, "हां जय."
अपने दोस्त की बदली हुई आवाज़ से वो समझ गया कि राज अब भी गुस्सा
है फिर भी हिम्मत कर उसने कहा, देखो राज मेरा रिया और मम्मी का
झगड़ा हुआ और मम्मी ने मुझे और रिया को घर से बाहर निकाल दिया
है.....अब में सहर मे रिया के साथ हूँ.... मेने फोन इसलिए
किया जो कुछ भी उस दिन रोमा के साथ मेने किया उसके लिए में बहोत
शर्मिंदा हूँ प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना. मेने नही सोचा था कि
बात इतनी बढ़ जाएगी... प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना और रोमा से भी
कह देना ."
राज को जय की बात पर विश्वास नही हुआ फिर भी उसने धीरे से
कहा, "हां क्यों नही.... तो तुम आज कल रिया के साथ हो."
"हाआँ" जय ने कहा, "वैसे तो रिया की रूम मेट रानी भी उसके साथ
है..."
मुझे नही पता था कि तुम रिया के साथ सहर मे रहोगे" राज ने
कहा.
"मेने भी नही सोचा था," जय ने कहा, "पर मेरे पास दूसरा कोई
चारा भी नही था."
"ऐसा क्या हो गया कि घर छोड़ना पड़ गया? राज ने पूछा, वो जानना
चाहता था कि आख़िर हुआ क्या है जो इतनी जल्दी इतनी बड़ी बात हो
गयी.
जय ने कुछ जवाब नही दिया और विषय को बदलते हुए कहा, "तुम
दोनो खुद आकर नही जगह नही देखना चाहोगे."