Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ - Page 3 - SexBaba
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Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ

मैं उसके साथ उसके फ्लैट में गया।
उसमें उसके साथ दो लड़कियां रहती थीं.. एक पंजाब की थी और एक बंगाल की थी, वो दोनों भी खूबसूरत थीं।
मैंने उसको सामान दे दिया और तीनों से हल्की-फुल्की बातें की.. और फिर जाने लगा.. तो पद्मा से पूछा - मेरा कमरा देखना है?
पद्मा- हाँ आपके साथ चलूँ क्या?
मैं - हाँ चलो.. वैसे भी बोर हो रही हो तो थोड़ा बहुत घूम लोगी।
पद्मा - हाँ आती हूँ.. रेडी हो कर..
वो जल्दी से रेडी हो कर आ गई.. तब उसने घुटनों तक आने वाला जींस और टाइट टॉप पहन लिया था.. जिसमें उसकी उठी हुई चूचियाँ साफ़ दिख रही थीं।
जब वो बैठी तो मैं हल्का पीछे खिसक कर अपनी पीठ पर उसकी चूचियों को महसूस करने लगा। अब मैं बाइक चलाने लगा.. तो मैंने जानबूझ कर डिस्क ब्रेक मारा.. और वो पूरी मेरे पीठ पर चिपक गई।
शायद वो भी समझ गई कि मैं क्या कर रहा हूँ.. सो वो भी मुझे पकड़ कर बैठ गई और उसकी चूचियों मेरे पीठ को मज़े देने लगीं। थोड़ा बहुत घूमने के बाद मैंने उसको खाना खिला कर उसके घर छोड़ दिया, उसे कमरे पर नहीं ले गया मैं।
फिर इसी तरह 1-2 दिन घुमाने के बाद वो मेरे से एकदम खुल कर बात करने लगी… मतलब फ्रैंक हो गई।
एक दिन मैं उसको एक पब में ले गया मैं जानता था कि वहाँ सिर्फ़ कपल्स को ही अन्दर जाने देते हैं। जब हम दोनों वहाँ पहुँचे.. तो पब वाले ने पूछा- कपल्स हो?
मैं कुछ बोलता.. उससे पहले वो ही बोली- हाँ..
तो वो बोला- तो इतना दूर-दूर क्यों चल रहे हो.. साथ जाओ..
मैंने मौका देख कर पद्मा की कमर में हाथ डाल दिया और अन्दर चला गया।
अन्दर जाकर हम दोनों डान्स करने लगे.. मैं उसके साथ डान्स करते-करते उसके बदन के किसी ना किसी अंग को छू देता था.. लेकिन शायद उसको बुरा नहीं लग रहा था। पब में मस्ती करने के बाद जब हम बाहर निकले तो।
मैं- मजा आया?
पद्मा- हाँ बहुत..
मैं- तो आज चलो.. आज मेरे घर.. यहाँ पास में ही है।
पद्मा- तो चलिए.. दिखाईएगा।
मैं- हाँ चलो..
मैं उसको अपने फ्लैट पर ले आया।
पद्मा- वाउ बहुत खूबसूरत है.. अकेले रहते हैं आप यहाँ?
मैं- हाँ अब तक तो अकेले था.. लेकिन अभी तुम हो ना..
पद्मा - हाहहाहा.. मैंने सोचा कि कोई गर्ल-फ्रेंड के साथ रहते होंगे।
मैं- नहीं है।
पद्मा - क्या.. मुझे भरोसा नहीं हो रहा.. इतना स्मार्ट लड़का और बिना गर्ल-फ्रेंड के.. हो ही नहीं सकता।
मैं- सच्ची.. नहीं है गर्ल-फ्रेंड.. तुम्हारा ब्वॉय-फ्रेंड है क्या?
पद्मा - नहीं..
मैं - क्यों तुम भी तो इतनी खूबसूरत सेक्सी सी लड़की हो.. ब्वॉय-फ्रेंड तो होगा ही..
पद्मा- नहीं है.. पहले था पतबा में। लेकिन उससे ब्रेकअप हो गया।
मैं - कैसा ब्वॉय-फ्रेंड चाहिए तुमको?
पद्मा- अगर आपके जैसा हैण्डसम.. स्मार्ट हो.. तो..
मैं हँसा और पूछा- कॉफी पीओगी?
पद्मा - हाँ पी लूँगी.. आपकी गर्ल-फ्रेंड सच में नहीं है?
मैं - नहीं.. एक थी.. लेकिन अब हम अलग हो गए हैं।
पद्मा- कहाँ की थी?
मैं- पंजाब की.. यहीं साथ रहती थी मेरे साथ..
पद्मा- साथ मतलब.. लिव-इन में रहते थे?
मैं- हाँ..
पद्मा- ऊऊऊऊओह तब तो..!
मैं - क्या तब तो..?
पद्मा- कुछ नहीं..
मैं- बोलो न…
पद्मा- वो आप समझ गए होंगे..
मैं- हाँ मैं समझ गया.. और तुम भी समझ गई होगी.. सो इस बात को हटाओ.. चीनी ख़त्म है.. मैं नीचे से ले कर आता हूँ.. तब तक तुम बोर ना हो इसलिए लैपटॉप खोल देता हूँ।
मैंने अपना लैपटॉप खोल कर उसको बोल दिया- डी ड्राइव मत खोलना।
पद्मा- क्यों?
मैं- उसमें मेरी पर्सनल फाइलें हैं।
पद्मा- ठीक है।
डी ड्राइव में मेरा नंगा फोटो पड़ा था.. मेरे खड़े लंड का फोटो था और अब तक जितनों को चोदा है उन सबके नंगे फोटो.. उन सबको चोदते हुए फोटो.. और वीडियो हैं। ख़ास करके मेरी डार्लिंग काजल का तो चुदाई वीडियो और उसको चोदते हुए का फोटो पड़ा था।
मैं जानता था कि मैंने मना किया है तो वो जरूर देखेगी।
 
मैं पद्मा को उसी कमरे में बैठा कर आया था… जिस कमरे में कैमरा लगा हुआ था.. तो मैंने बाहर निकलते ही कैमरा को मोबाइल से कनेक्ट किया और छत पर जाकर बैठ गया और देखने लगा कि वो क्या कर रही है।
मैंने देखा वो अभी डी ड्राइव में ही घूम रही थी कि उसकी नज़र हाइड फाइलों पर पड़ी.. तो उसने उस फोल्डर को क्लिक कर दिया।
उसके बाद मेरी फोटो देखने लगी.. जिसको देख कर तो उसके होश ही उड़ गए थे। मेरी सारी नंगी फोटो थीं.. ख़ास करके मेरे खड़े लंड की फोटो को वो ज़ूम करके देख रही थी।
उसने लंड तो खाए होंगे.. लेकिन शायद इतना दमदार लंड नहीं खाया होगा.. इसी लिए ज़ूम करके देख रही थी।
उसके बाद चोदते हुए भी फोटो खोलने लगी.. तो वो टॉप के ऊपर से ही अपनी चूची को दबाने लगी।
फिर उसने मेरा ही एक चुदाई वाला वीडियो चला दिया.. जिसमें मैं काजल को चोद रहा था।
वो सब देख कर पद्मा बहुत गर्म हो रही थी और अपना हाथ बुर के पास ले जा रही थी.. कि तभी मैं अन्दर आ गया और कॉफी बना कर कमरे में गया।
तो मैंने देखा कि उसका कंठ सूखा हुआ था.. वो इस समय एकदम गरम थी।
सो उसको कॉफी देने के बहाने मैंने उसके शरीर पर कॉफी का कप गिरा दिया और ‘ऊहह सॉरी..’ बोलते हुए उसको पोंछना चाहा.. और इसी बहाने उसकी चूचियों को दबा दिया।
वो कुछ नहीं बोली लेकिन उसकी नज़र मेरे लंड पर ही थी और कहते हैं ना कि अगर चुदी हुई लड़की अगर अच्छा लंड देख ले.. तो उसको बिना चुदे अच्छा ही नहीं लगता। कुछ वैसा ही हाल था पद्मा का… वो कुछ बोल तो नहीं पा रही थी लेकिन उसको देख कर मैं सब समझ रहा था।
सो मैंने उसकी चूचियों को ज़ोर से दबा दिया और वो भी अपने आपको कंट्रोल नहीं कर पाई और मेरे गले लग गई।
उसने झपट कर पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ लिया तो मैं कौन सा पीछे रहने वाला था.. मैंने अपना लंड निकाल कर उसके सामने कर दिया और उसकी चूचियों को दबाने और चूसने लगा।
अब वो मेरे लंड को सहला रही थी कि तभी वो नीचे बैठ गई और और मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया। उसके लंड चूसने के तरीके से मैं समझ गया कि कांता ने इसके बारे में कुछ गलत नहीं बताया था.. ये ज़रूर अच्छे ख़ासे लंड खा चुकी होगी। कभी लंड के नीचे पड़े दो गोलों को चूसती.. तो कभी पूरा लंड अन्दर गटक जाती थी।
मुझे भी अच्छा लग रहा था और तब तक चूसती रही.. जब तक मैं झड़ नहीं गया। वो मेरे लंड का सारा रस पी गई और मेरे लंड को एकदम साफ़ कर दिया। अब मैंने भी उसकी बुर को चाटा.. जब वो भी डिसचार्ज हुई.. तब ही मुझसे अलग हुई और बिस्तर पर लेट गई।
मैं उसकी चूचियों के ऊपर हाथ घुमाने लगा और दबाने लगा और फिर कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने अपना मुँह ही लगा दिया और टॉप के ऊपर से ही उसके रसीले आमों को चूसने लगा।
कुछ देर चूसने के बाद हाथ टॉप में डाल दिया और नंगे पेट को सहलाने लगा। फिर कुछ देर में उसके टॉप को निकाल ही दिया.. अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी।
ब्रा भी इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं बता नहीं सकता। काली ब्रा में बंद उसकी चूचियाँ.. मानो मुझे बुला रही थीं कि आओ.. और मुझे चूसो.. आज़ाद करो.. मुझे इस काली ब्रा के बंधन से..
मैं कैसे नहीं सुनता चूचियों की उस पुकार को.. सो मैं सीधा उस पर टूट पड़ा और बहुत जल्दी ही उनको आज़ाद कर दिया और ब्रा को खोल दिया। जैसे ही ब्रा खुली.. उसकी चूचियों उछल कर बाहर आ गईं.. जैसे बहुत देर से आज़ादी का इंतजार करने के बाद आज़ादी मिली हो।
अब मैं उन रस भरी चूचियों को चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने अपनी शर्ट भी उतार दी और मैं भी पूरा नंगा हो गया। मेरे शर्ट उतारते ही पद्मा मेरे मर्दाना बदन को भी चूमने लगी।
कुछ देर एक-दूसरे को चूसने के बाद मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पैरों के बीच चला गया। अब मैं उसकी बुर के ऊपर अपना लंड घुमाने लगा..
तो वो बोली- जल्दी डालो ना अन्दर..
तो मैंने एक झटके में पूरा लंड डाल दिया और पूरा का पूरा लंड उसकी बुर में घुसता चला गया…
वो कराह उठी।
लेकिन जल्दी ही नॉर्मल हो गई और मैं झटके मारने लगा और उसके मुँह से आअहह फक मी.. फक मी फास्ट.. निकलने लगा।
मेरे झटकों की आवाज़ और उसके मुँह से निकल रही मादक आवाज़ पूरे कमरे में फैल रही थी। फिर कुछ देर ऐसा ही चलता रहा और कुछ देर बाद हम दोनों फारिग होने वाले थे.. तो लंड को बाहर निकाल कर मैंने उसके मुँह पर सारा रस छोड़ दिया।
कुछ देर बाद हम दोनों ने फिर चुदाई की.. कुछ पोज़ मैं जानता था.. कुछ उसने बताए और हम दोनों 3 बार डिसचार्ज होने के बाद एक साथ बिस्तर पर ही लेट गए।
मैं - कहाँ से सीखा इतना अच्छा लंड चूसना और इतने सारे पोज़.. लगता है अच्छा-ख़ासा अनुभव है लंड चूसने का?
पद्मा- हाँ अब आप से क्या छुपाना.. वैसे आप भी कम नहीं हैं।
मैं - हाँ वो तो हूँ ही.. वैसे कितने लंड खाए हैं अब तक.. तेरी बुर बता रही है कि रेग्युलर लंड खाती हो।
पद्मा - हा हा हा.. ज्यादा नहीं, 5 ही खाए हैं।
मैं - क्या.. अभी 12वीं खत्म ही हुई है.. और 5 लंड खा चुकी हो.. वाउ कमाल की हो..
पद्मा - आप भी कम नहीं हैं.. मैंने भी आपकी करतूत आपके लैपटॉप में देख ली है।
मैं- हा हा हा.. वैसे कौन थे वो 5 लण्ड?
पद्मा - थे… अपने ही लोग थे..
मैं - कौन थे.. बताओ तो सही.. ज़रा मैं भी तो जानूँ.. तुम्हारी बुर का मजा लेने वाले ख़ुसनसीब कौन-कौन हैं?
पद्मा - ओके.. बताती हूँ.. पहली बार चुदाई सर से हुई.. जो टियूशन पढ़ाने आते थे..
मैं- वाउ.. कहाँ चोदता था तुमको..?
पद्मा - पहली बार तो घर में ही चोदा था.. फिर बाहर अपने घर पर पेला था।
मैं - उसके बाद?
पद्मा - पड़ोस में रहता है वो? उसने भी घर में ही चोदा था।
मैं- ओके..
पद्मा- उसके बाद 2 ब्वॉय-फ्रेण्ड और ये होटल और फ्रेंड के घर पर चोदा..
मैं - और एक और कौन?
पद्मा - आप का ही दोस्त मोहित
मैं - क्या मोहित?
पद्मा - हाँ..
मैं - ये कब हुआ.. मतलब कब से?
पद्मा - एक साल से और मुझे सबसे ज्यादा भी इसी ने चोदा है।
 
मैं - अब पता चला.. क्यों साले का घर नज़दीक होने के बाद भी तुम्हारे घर में किराए पर रहता था।
पद्मा- हा हा.. हा हा..
मैं - मैं कौन सा बुरा था यार.. मुझे भी दे देती।
पद्मा - मैं तो आपको लाइन देती ही थी.. आप ही ध्यान नहीं देते थे।
मैं - हो सकता है तुमको बच्ची समझ रहा होऊँ।
पद्मा - और अब?
मैं - अब तो तुम पटाखा.. चुदक्कड़ आइटम हो..
पद्मा- हाहहहह हाहा.. आपने भी तो बहुत को चोदा है।
मैं - वो तो तुम देख ही चुकी हो लैपटॉप में।
पद्मा - तब तो इसमें मेरा भी आ जाएगा..
मैं - हाँ वो देखो सामने कैमरा लगा है।
पद्मा - और इसे तो आपके दोस्त भी देखते होंगे।
मैं - नहीं.. लेकिन कुछ तो देखते ही हैं।
पद्मा - मेरा भाई भी.. उसे मत दिखाना.. नहीं तो क्या सोचेगा मेरे बारे में।
मैं - ओके रूको.. तुमको कुछ और दिखाता हूँ।
मैंने उसको दीप्ति की फ़ोटो दिखा दी।
पद्मा - ये तो दीदी हैं.. मतलब आपने?
मैं - हाँ जो तुम बोलना चाह रही हो… वो सही है.. और उसको दीप्ति का पूरा वीडियो दिखा दिया।
पद्मा - तुम बहुत कमीने हो?
मैं - वो तो हूँ ही.. आओ एक बार और करते हैं.. तुम्हारी गान्ड किसी ने नहीं मारी है ना.. आज मैं ये कमी भी पूरी कर देता हूँ।
पद्मा - हाँ.. मजा आएगा..
मैं उसके बुरड़ों को मसलने लगा.. फिर गलिसरीन आयल ला कर उसके पूरे बुरड़ों में लगा दिया और थोड़ा तेल उसकी गान्ड के छेद में भी डाल दिया। फिर मैं उंगली अन्दर डालने लगा.. कुछ देर उंगली डालने के बाद उसकी गान्ड के छेद पर अपने लंड को रख दिया और डालना चाहा.. लेकिन जा नहीं पा रहा था।
तो मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया उसके बाद एक झटका मारा और पूरा लंड अन्दर चला गया.. लेकिन वो चिल्लाने लगी- निकाल दो यार.. बहुत दर्द हो रहा है..
वो तड़फने लगी.. तो मैं उसकी बुर में उंगली करने लगा। कुछ देर बाद वो नॉर्मल हुई.. तो मैं फिर से झटके मारने लगा। अब उसको भी मजा आने लगा.. दम भर चोदने के बाद मैं डिसचार्ज हो गया और उसकी गान्ड में रस छोड़ दिया।
फिर हम दोनों ने खुद को साफ़ किया।
पद्मा - आपने तो मेरे टॉप को गंदा कर दिया है.. अब मैं क्या पहन कर जाऊँगी।
मैं - अभी साफ़ कर दो और रात भर यहीं रुक जाओ.. जब सूख जाएगा तब चली जाना।
पद्मा - तब तक पहनूँगी क्या?
मैं- मेरी जान, यहाँ पर कपड़े कोई नहीं पहनता।
पद्मा- ठीक है।
रात भर पद्मा मेरे घर पर ही रही.. सुबह जब कपड़े सूख गए.. तब वापस जाने लगी।
मैं- जा रही हो जान.. फिर आती रहना..
पद्मा- मैं तो अपना सामान लेकर यहीं आ जाती हूँ.. कॉलेज खुलने तक यही रहूंगी।
मैं- वाउ.. तब तो मेरे मजे हैं.. जाओ जल्दी ही आना।
पद्मा- ओके बाय..
उसके जाते ही मैंने जय को फोन किया।
मैं - कैसे हो.. इधर काम हो गया है..
जय - क्या बात कर रहे हो.. सच्ची?
मैं - हाँ अभी तो यहाँ से गई है.. तुम कहाँ हो?
जय - भोपाल में ही।
मैं- क्या?
जय- हाँ कांता के साथ ही एक होटल में रुका हुआ हूँ।
मैं - साले तुम भी कमीने हो गए हो..
जय - तुम से ही सीखा भाई.. तुमने तो..
मैं - लेकिन तुम्हारी बहन कुँवारी नहीं थी.. 5 लंड खा चुकी थी।
जय - क्या?
मैं - हाँ उसकी बुर तो पहले से फटी थी गान्ड मैंने फाड़ दी।
जय - इतने लंड खा चुकी है.. तब तो मेरा लंड भी ले ही लेगी..
मैं - हाँ आ जा दिल्ली.. उसकी बुर भी तुमको भी दिलवाता हूँ..
जय - ठीक है आता हूँ.. कुछ दिन में अभी कांता को चोदने दो.. यहीं मन लग रहा है।
मैं - ठीक है… एंजाय कर..
उस दिन के बाद पद्मा मेरे पास हमेशा आती और चुद कर जाती थी।
एक बार जय के साथ भी उसको चोदा मतलब सिर्फ़ मैं ही नहीं.. जय भी अपनी दोनों बहन को चोद कर बहनचोद बन गया था।
*****
 
मैंने दोनों बहनों को अब तक अलग-अलग चोदा था।
एक बार मैं और कांता घर पर थे.. और रोज की तरह चुदाई कर रहे थे.. तभी पता चला की डॉली भी आने वाली है।
कांता- आज डॉली आने वाली है.. पता है तुमको?
मैं- हाँ पता चला.. मुझे भी!
कांता- तो?
मैं- तो क्या?
कांता- अब हम लोग मस्ती कैसे करेंगे?
मैं- जैसे करते थे..
कांता- डॉली के सामने?
मैं- हाँ कौन सा मैंने उसको नहीं चोदा हुआ है?
कांता- लेकिन मुझे शर्म आ रही है..
मैं- आने तो दो.. जो होगा देखा जाएगा..
कांता- हाँ लेकिन दोनों में से किसको चोदोगे?
मैं- एक साथ दोनों को..
कांता- नहीं.. मैं नहीं करूँगी.. लेकिन तब भी आइडिया बुरा नहीं है..
मैं- बुरा नहीं है.. तो ट्राई कर सकते हैं ना..
कांता- सोचूँगी इसके बारे में..
मैं- सोचना क्या है इसमें.. साथ में ही कर लेंगे..
कांता- ओके..
मैं- डॉली आ रही है.. स्टेशन लेने के लिए मेरे साथ चलना है क्या?
कांता- ओके चलो.. चलती हूँ..
मैं- ठीक है।
हम दोनों स्टेशन पहुँच गए डॉली को लेने… चुदाई के बाद दोनों बहनें पहली बार एक-दूसरे से मिलने वाली थीं..
डॉली की ट्रेन अभी तक नहीं आई थी, हम ट्रेन का इंतज़ार करने लगे।
जैसे ही ट्रेन आई.. हम दोनों की नजरें डॉली को ढूँढने लगीं.. तभी सामने ट्रेन से उतरती हुई दिखी।
कांता- वो देखो..
मैं- मैंने भी देख लिया..
कांता- चलो चलते हैं।
मैं- नहीं यहीं रूको.. आ जाएगी!
कांता- ठीक है।
तभी देखा कि डॉली सामने से आ रही थी।
मैं- वो देखो इधर ही आ रही है।
कांता- हाँ दिख रही है, और भी बहुत कुछ दिख रही है।
मैं- मतलब.. क्या दिख रही है?
कांता- कुछ नहीं.. तुम्हारी मेहनत..
मैं- मेरी मेहनत?
कांता- हाँ तुम्हारी मेहनत डॉली के फिगर पर.. तुमने उसका सब कुछ बढ़ा दिया है।
मैं- ऊओह.. अब समझा.. बढ़ तो तुम्हारा भी गया है..
कांता- हाँ लेकिन उतना नहीं.. जितना डॉली का साइज़ बढ़ा हुआ है.. तुम और जय दोनों ने मिल कर मुझसे अधिक मेहनत डॉली पर हुई है।
मैं- हाँ ये तो है.. डॉली की फिगर पहले भी बड़ी थी.. खुद भी खूब मेहनत करती थी और उसका ब्वॉय-फ्रेण्ड भी खूब उछल-कूद करके मेहनत किया करता था..
 
कांता- वो तो ऊपर से मेहनत करता था ना.. और नीचे से देखो.. पिछवाड़ा कितना फैला हुआ है..
मैं- हाँ वो मेरी मेहनत है.. वैसे भी अभी उसको देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा है।
कांता- तो क्या करने वाले हो?
मैं- देखो क्या करता हूँ..
कांता- ओके.. नज़दीक तो आ ही गई।
तब तक डॉली हमारे पास पहुँच गई तो मैं सीधा उसके गले लग गया और उसकी बुरड़ों को दबा दिया और जल्दी से अलग हो गया। ये सब मैंने इतना जल्दी किया कि किसी को ज्यादा पता ही नहीं चला।
तो डॉली मुस्कुरा दी.. और हम तीनों गाड़ी की तरफ़ बढ़ने लगे और गाडी में आगे मैं और डॉली बैठे और कांता पीछे वाली सीट पर बैठ गई।
अब हम घर जाने लगे.. रास्ते में कुछ हुआ नहीं.. सो ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। कुछ ही देर में हम लोग घर पहुँच गए।
अब मैं दीदी को चोदने का मौका ढूँढ रहा था लेकिन सब घर में थे.. सो चुदाई का मौका ही नहीं मिल पा रहा था। क्योंकि दीदी माँ-पापा के पास बैठी हुई थी.. तो कांता ने मुझे अपने पास बुलाया।
मैं- क्या हुआ?
कांता- कुछ नहीं.. आगे का क्या प्लान है?
मैं- पता नहीं.. दीदी कभी अकेली तो रह नहीं रही है।
कांता- तो मुझसे काम चला लो..
मैं- तुमको तो रोज चोद ही रहा हूँ.. आज दीदी को चोदना है.. उसको बहुत दिन से नहीं चोदा है।
कांता- ठीक है.. माँ-पापा को ऑफिस जाने दो.. फिर चोद लेना।
मैं- हाँ, यह आइडिया बुरा नहीं है।
कांता- लेकिन मैंने आइडिया दिया है.. तो मुझे क्या मिलेगा?
मैं- क्या चाहिए.. जाओ जय के पास से निपट आओ..
कांता- नहीं अब उसके साथ उतना मजा नहीं आता है।
मैं- तो तुम्हारे लिए और क्या कर सकता हूँ।
कांता- कुछ नहीं.. बस तुम डॉली दीदी को चोदना और मैं देखूंगी!
मैं- क्या बात कर रही हो.. क्या तुम साथ में नहीं चुदवाओगी?
कांता- नहीं.. मैं देखना चाहती हूँ कि दीदी कैसे चुदती हैं।
मैं- ओके मेरी जान..
कुछ देर बाद दीदी रसोई में खाना बनाने गई.. तो मैं भी मौका देख कर उसके पीछे से चला गया और उसको पीछे से पकड़ लिया।
डॉली- क्या कर रहे हो.. कोई देख लेगा!
मैं- क्या करूँ.. कंट्रोल नहीं हो पा रहा है।
डॉली- कंट्रोल करो.. कोई देख लेगा तो गड़बड़ हो जाएगा।
मैं उसका हाथ अपने लंड पर रखते हुए बोला- मैं तो कर भी लूँगा.. लेकिन ये तुम्हार हथियार कंट्रोल नहीं कर पा रहा है।
डॉली मेरे लंड को दबाते हुए इसको भी बोलो करने को..
मैं- नहीं मान रहा है.. पूछ रहा है इसकी गुफा कब मिलेगी!
डॉली- रात को मिल जाएगी..
मैं- इतना लंबा इंतज़ार नहीं हो पा रहा है।
डॉली- करना पड़ेगा.. और कोई रास्ता भी तो नहीं है।
मैं- एक रास्ता है।
डॉली- क्या?
मैं- दोनों के ऑफिस जाने के बाद..
डॉली- लेकिन कांता तो रहेगी ना..
मैं- उसको भी बाहर भेज दूँगा.. उसके दोस्त के घर या मार्केट।
डॉली- तब ठीक है.. अब जाओ यहाँ से..
मैं- ओके जाता हूँ.. लेकिन बिना कुछ लिए कैसे चला जाऊँ?
डॉली- क्या चाहिए.. ये लो खाना खाओ..
मैंने उसकी चूचियों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- खाना नहीं.. ये पीना है..
डॉली- ये बाद में.. अभी जाओ..
मैं- प्लीज़.. थोड़ा..
डॉली- कोई देख लेगा तो?
 
मैं- कोई नहीं देखेगा..
डॉली- ओके.. ये लो.. जल्दी करो।
उसने अपना टॉप उठा दिया और मैं चूचियों को पी कर बोल उठा- उम्माह्ह.. मजा आ गया..
डॉली- अब जाओ यहाँ से..
मैं- हाँ जा रहा हूँ.. दोपहर को पूरा मजा लूँगा।
डॉली- ओके..
थोड़ी देर बाद माँ-पापा ऑफिस चले गए। मैं कांता के पास गया और बोला- तुम भी किसी बहाने से बाहर जाओ.. और पीछे के दरवाजे से आ जाना और वहीं बैठ जाना.. जहाँ मैं जय के टाइम बैठा था।
कांता- ओके जाती हूँ..
मैं- जाती हूँ नहीं.. जा कर दीदी को बोल कि तुम अपनी सहेली के घर जा रही हो।
कांता- ओके बाबा जा रही हूँ..
वो दीदी के पास गई और बोली- मैं अपनी एक सहेली के पास जा रही हूँ.. 2-3 घंटे में आती हूँ।
डॉली- ओके जाओ.. और ठीक से जाना।
कांता- ठीक है दीदी।
वो चली गई.. उसके जाते ही मैं दीदी के कमरे में पहुँचा, मुझे देख कर दीदी मुस्कुराई।
मैं- भगा दिया ना उसको भी.. अब तो कोई नहीं है!
डॉली- हाँ लेकिन जाओ पहले दरवाजा बंद करके आओ.. ताकि कोई आए तो पता चल जाएगा।
मैं- ओके.. मैं आता हूँ..
मैं दरवाजा बंद करके बाहर निकला तो पीछे के दरवाजे से कांता अन्दर आ चुकी थी.. तो मैंने दरवाजा बंद कर दिया।
डॉली- ठीक से बंद कर दिया ना?
मैं- हाँ मेरी जान.. अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है।
डॉली- तो करने को कौन बोल रहा है.. मेरी जान.. आ जाओ मैं भी तड़फ रही हूँ।
मैं- तो आ जा.. अभी तड़फ मिटा देता हूँ।
मैं दीदी से लिपट गया और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे और मैंने तो सीधा उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसे किस करना शुरू कर दिया।
कुछ देर वैसा करने के बाद मैं थोड़ा नीचे आया और उसकी गर्दन को चूमने लगा।
वो मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी और मैं उसकी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही चूमने-चाटने लगा। वो मेरे लंड को दबाने लगी.. तो मैं भी उसकी चूचियों को मुँह से और बुरड़ों को हाथ से ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसकी चूचियों को टॉप से निकालने लगा.. तो उसने खुद हाथ ऊपर कर दिए तो मैंने पूरा टॉप ही बाहर निकाल दिया।
उसके दोनों ‘अनमोल रत्न’ बाहर आ गए और मेरी आँखों के सामने नग्न हो चुके थे.. तो मैं बेसब्री से उनको चूमने लगा।
अब तक वो मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी थी.. तो मैंने खुद अपना पैंट खोल दिया और लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल आया.. जिसको पकड़ कर दीदी बोली- अरे वाह.. ये तो पहले से काफ़ी बड़ा और मोटा हो गया है.. लगता है इसका बहुत इस्तेमाल हुआ है।
मैंने हँसते हुए कहा- नहीं वैसी बात नहीं है.. ये तो तुम्हारे हाथों का कमाल है।
डॉली- देख कर तो नहीं लग रहा है.. मुझे तो ऐसा लग रहा है कि इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा हुआ है।
मैं- हाँ उतना तो होते ही रहता है।
डॉली- ओके.. किसके साथ चुदाई की?
मैं- है कोई..
डॉली- कौन है.. हमें भी बताओ ज़रा?
मैं- बताना क्या है.. आज मिलवा ही दूँगा.. चलना शाम को..
डॉली- ओके..
मैं- जानेमन अगर आपके सवाल-जवाब ख़तम हो गए हों तो अब हम अपना काम करें.. मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो पा रहा है।
डॉली ने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा- हाँ यार.. सच बोलूँ.. तो मुझे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है.. जी कर रहा है खा जाऊँ इसे..
मैं- तो खा जाओ.. रोका किसने है.. लेकिन पूरा मत खाना.. नहीं तो तेरी बुर को कौन शान्त करेगा..
डॉली- हाँ ये भी सही बोला..
मैं उसकी चूचियों को पीने लगा और मसलने लगा। तभी मेरी नज़र कांता पर पड़ी.. तो वो इशारा कर रही थी कि ठीक से दिख नहीं रहा है।
तो मैंने दीदी को गोद में उठाया और कमरे से बाहर आ गया और हॉल में बिस्तर पर लिटा दिया।
पीछे से कांता की सहमति मिली कि हाँ.. अब सब कुछ दिख रहा है.. तो मैं फिर से अपने काम में लग गया और उसकी चूचियों को पीने लगा।
मैं चूचियों को पीते-पीते नीचे बढ़ने लगा और उसके पेट पर चुम्बन करने लगा.. तो उसके मुँह से सीत्कार निकलने लगी।
अंततः मैं उसकी बुर के पास पहुँच गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसे चूमने लगा। कुछ देर चूमा.. कि तभी कांता ने इशारा किया कि दीदी को पूरा नंगा करो। तो मैंने दीदी को बिस्तर पर खड़ा किया और उसकी कैपरी को नीचे कर दिया। अब दीदी की बुरड़ कपड़ों से पूरी तरह से आज़ाद हो गए थे और मैंने देखा कि पीछे कांता की चुदासी सूरत देखने लायक थी। वो दीदी को पहली बार नंगा देख रही थी।
 
मैं दीदी के मुलायम बुरड़ों पर हाथ फेरने लगा.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. बता नहीं सकता कि कितना अच्छा लग रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और चूमने लगीं..
तभी मैंने कांता को आने का इशारा कर दिया और वो पीछे आ कर खड़ी हो गई.. लेकिन दीदी को पता नहीं चला… वो तो मेरा लंड चूसने में मस्त थी।
तभी कांता आगे आ गई और दीदी की नज़र उस पर पड़ी तो उसे झटका लगा और वो लंड छोड़ कर सीधे एक चादर से अपने आपको ढकने की कोशिश करने लगी, उसके चेहरे पर शर्मिन्दगी साफ़ झलक रही थी।
मैं उसी तरह नंगा ही खड़ा हो गया.. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था ही.. मैं बिस्तर के एक तरफ बैठ गया। अब मैंने कांता को अपने तरफ़ खींच लिया और उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके हाथ में अपना लंड दे कर उसको चुम्बन करने लगा।
डॉली- ये क्या कर रहे हो तुम दोनों?
कांता- वही.. जो अभी आप कर रही थीं।
डॉली- मतलब तुम दोनों भी..
मैं और कांता ने कामुक मुस्कान बिखरते हुए कहा- हाँ हम दोनों भी..
कांता- अब शर्म छोड़ दीजिए.. और चादर हटा लो!
मैं- हाँ हटा दो यार..
डॉली हँसते हुए- हटाती हूँ.. लेकिन ये कब हुआ.. कैसे हुआ?
तो मैंने और कांता ने मिल कर उसको सारी बातें बता दीं।
डॉली- मतलब ये तुम दोनों का प्लान था।
कांता और मैं- हाँ..
डॉली- तुम दोनों को देख कर मुझे लगा तो था..
कांता और मैं- क्या लगा था?
डॉली- कांता के बदन में इतना जल्दी इतना ज्यादा परिवर्तन.. और तुम्हारे लंड को देख कर ही मैं बोली थी.. कि ये बहुत यूज होता है।
कांता और मैं- हाहहह..
डॉली- ख़ास कर कांता तो जवान हो गई है.. पूरी मेरी तरह.. मुझे लगा किसी के साथ चक्कर चल रहा है.. लेकिन यह उम्मीद नहीं थी कि यह तुम्हारे साथ ही खेल रही है और राजा तुमने इसको भी नहीं छोड़ा.. बड़ा कमीना बहनचोद है तू..
मैं- वो तो हूँ ही.. लेकिन छोड़ने वाली क्या बात है.. घर का माल अगर घर में ही रह जाए.. तो बुरा ही क्या है.. मैं नहीं भोगता.. तो कोई और तो पक्का ले ही जाता.. तो मैं ही क्यों नहीं चोद लूँ।
डॉली & कांता- ओह ऊओ.. तो हम दोनों माल हैं..
मैं- अरे नहीं.. मेरा मतलब वो नहीं था..
डॉली और कांता- तो क्या मतलब था?
मैं- अरे कुछ नहीं छोड़ो इन बातों को.. आओ मजे करते हैं।
डॉली और कांता- हाँ आओ..
मैं- हम दोनों तो नंगे हैं ही.. कांता सिर्फ़ कपड़ों में है.. तुम भी अपने कपड़े उतारो न..
डॉली- हाँ उतार दो और आज तक इसने हम दोनों को चोदा है.. आज हम दोनों मिल कर इसको चोदेंगे।
कांता- हाँ ये सही रहेगा.. मैं जल्दी से कपड़े उतार देती हूँ।
कांता एक-एक करके अपने कपड़े उतारने लगी और मैं मन ही मन ये सोच कर रोमांचित हो रहा था कि आज फिर से दो चूतों को एक साथ चोदने का मौका मिलेगा। पिछली बार सोनी और मोनिका को एक साथ चोदा था।
सोनी और मोनिका के बारे में जानने के लिए मेरी पिछली कहानी ‘नंगी नहाती मोनिका का बदन’ को जरूर पढ़ें।
लेकिन उसके बाद फिर से किसी दो लड़कियों को एक साथ में नहीं चोदा था। अब मौका मिल गया है.. दो लड़कियों को एक साथ चोदने का..
 
तब तक कांता कपड़े उतार चुकी थी और वो इतराती हुई हमारी तरफ़ बढ़ने लगी और उसकी चूचियों को ऊपर-नीचे होते देख कर मेरा लंड.. जो पहले से ही खड़ा था.. उसको इस तरह देख कर पूरे उफान पर पहुँच गया था।
मैं उसे पकड़ने के लिए उठने ही वाला था कि तभी दीदी ने मुझे खींच लिया और मैं बैठ गया। वो मेरी एक जाँघ पर बैठ गई.. तब तक कांता भी मेरी दूसरी जाँघ पर बैठ गई।
मेरे लंड की कुछ ऐसी हालत थी कि दो-दो चूतें मेरे दोनों बगलों में थीं.. लेकिन किस में पहले जाया जाए.. मैं यही सोच रहा था..
लेकिन मेरा हाथ कौन सा रुकने वाला था एक हाथ से दीदी की और दूसरी हाथ से कांता की चूचियों को दबाने लगा और दोनों मुझे लिपकिस करने लगीं।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं अलग हुआ और तो दीदी ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया। मैं पीठ के बल लेट गया और दोनों मुझे किस करने लगीं। पूरे बदन पर कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी लंड को चुम्बन करने लगीं और कांता मुझे अपनी चूचियों का रस पिला रही थी।
कुछ देर बाद कांता भी अपनी बुर को मेरे मुँह के पास करके लंड को चाटने लगी। ऐसा लग रहा था कि एक आइसक्रीम को दोनों बहन शेयर करके चूस रही हों। दोनों मेरे लंड को चाट रही थीं और मेरा लंड गरम होता जा रहा था। तो मैं भी इधर कांता की बुर को चाटने लगा।
उधर दीदी लंड को चूसने के बाद मुँह से लंड को बाहर निकाला.. तो कांता ने लंड को मुँह में ले लिया।
अब दीदी मेरे दोनों गोलों को चूसने लगीं.. कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों अपनी गान्ड मेरी तरफ़ करके चूसने लगीं.. तो मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैं दोनों की बुर में उंगली करने लगा।
खैर.. दोनों की बुर इतनी ज्यादा फ़ैल चुकी थी कि उनमें एक उंगली से कुछ होने वाला नहीं था तो मैंने दूसरी भी डाल दी.. कुछ देर बाद तीसरी और फिर चौथी भी घुसेड़ दी.. तो दोनों के मुँह से सीत्कार निकलने लगी।
कुछ देर ऐसा करने के बाद हम सब झड़ गए और दोनों मिल कर मेरे लंड के पानी को पी गईं।
अब हम तीनों एक साथ बिस्तर पर लेट गए, मैं बीच में और दोनों मेरे दोनों बगल में थीं।
कुछ देर लेटे रहने के बाद दोनों साथ मेरे बदन पर उंगली फेरने लगीं.. मैं समझ गया कि अब दोनों को चुदने का मन हो रहा है और मेरे लंड महाराज भी खड़े होकर अपनी मर्ज़ी बता चुके थे।
मैंने दीदी को उठा कर अपने ऊपर खींच लिया और वो मेरे लंड कर बैठ गईं। मेरा लंड थोड़ी सी मेहनत से ही सही लेकिन अन्दर जड़ तक घुसता चला गया और वो भी लण्ड को लीलने के बाद झटके मारने लगी।
इधर कांता अपनी गान्ड मेरे मुँह के सामने हिलाने लगी। कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी लंड पर से हटी.. और कांता जा कर लौड़े पर बैठ गई।
अब दीदी ने अपनी बुर मेरे मुँह के पास रख दी.. चूसने के लिए.. कांता मेरे लंड पर खुद झटके मारने लगी।
मैं इधर दीदी की बुर को चूसने लगा कि तभी दीदी ने कांता के मुँह को पकड़ा और अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिए.. और दोनों चुम्बन करने लगीं।
दोनों रण्डियों की तरह अपनी गान्ड हिला-हिला कर मुझसे बुर चटवाने लगीं.. और वो दोनों मेरे होंठों को चुम्बन भी करती रहीं।
कुछ देर वैसा चलने के बाद कांता ने दीदी की चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगी। तो दीदी भी कौन सा पीछे रहने वाली थी.. वो भी शुरू हो गई। उसने भी कांता की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.. और इधर मैं अपने काम में लगा हुआ था, कांता को झटके मार रहा था और दीदी की बुरड़ों को दबाते हुए उसकी बुर को चाट रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद हम तीनों अलग हुए और मैं अभी उठने ही वाला था कि दोनों ने मुझे बिस्तर पर फिर से गिरा दिया और दोनों लंड को चूसने लगीं।
बस कुछ देर में ही मैं झड़ गया.. और दोनों ने मेरे रस को साफ़ कर दिया।
कुछ देर बाद वो दोनों भी मेरे चेहरे पर फिर से झड़ गईं और सारा पानी मेरे मुँह में चला गया.. मैं भी मजे से पी गया।
फिर हम तीनों ने साथ में बाथरूम में जाकर अपने आपको साफ़ किया.. क्योंकि माँ-पापा के आने का टाइम हो गया था और जल्दी से घर को ठीक किया।
दोनों बहनों ने मिलकर नाश्ता बनाया और हम नाश्ता करने बैठ गए।
मैं- कैसा लगा आज?
कांता और डॉली- मजा आ गया..
मैं- हाँ मुझसे ज्यादा मजा तो तुम दोनों ने ही लिया है।
कांता और डॉली- क्या.. जैसे तुम तो टाइम पास कर रहे थे..
मैं- टाइम पास तो नहीं.. लेकिन तुम से कम ही मजा किया न..
कांता और डॉली- ओके.. छोड़ो..
मैं- ओके..
डॉली- कांता तो एकदम जवान हो गई है।
मैं- हाँ आप बात तो सही बोली..
कांता- आप भी कम थोड़े ही हैं आप का हुस्न देख कर तो कोई भी घायल हो जाए।
डॉली- थैंक्स डार्लिंग..
कांता- आपके ऑफिस में लड़के काम कम करते होंगे और ज्यादा ध्यान आप पर देते होंगे..
डॉली- हाह हाहा.. क्यों तुम्हारे कॉलेज में ऐसा ही होता है क्या?
कांता- नहीं लेकिन थोड़ा बहुत.. आपके ऑफिस में?
डॉली- हाँ मेरे ऑफिस में भी थोड़ा बहुत तो होता ही रहता है।
कांता- कोई ने लाइन दी कि नहीं आपको?
डॉली- हाँ 2-3 ने कोशिश की.. लेकिन मैंने मना कर दिया।
कांता- क्यों?
डॉली- वैसे ही ज़रूरत राजा से पूरी हो ही जाती है… बाकी के टेन्शन में मैं नहीं पड़ना चाहती हूँ।
कांता- हाँ सही है.. लेकिन इतनी बड़ी चूचियों को देख कर तो सब पागल हो जाते होंगे।
डॉली- हाँ सबसे ज्यादा तो मेरा बॉस ही हमेशा मेरे आगे-पीछे घूमता रहता है।
कांता- तो मौका दे दो न बेचारे को..
डॉली- नहीं.. ज़रूरत नहीं है.. तुम बताओ, तुम्हारे पीछे कोई पड़ा या नहीं?
कांता- हाँ बहुत हैं लेकिन किसी को भाव नहीं दे रही हूँ.. लेकिन सबको घुमा रही हूँ।
डॉली- घुमा रही हो.. मतलब?
कांता- अपने लटकों-झटकों से..
डॉली- ऊऊओह.. गुड.. लेकिन ज्यादा इनके चक्करों में मत पड़ना।
कांता- ओके..
डॉली- लेकिन तुम्हारी उमर के हिसाब से तुम्हारे बुरड़ और गान्ड थोड़े ज्यादा बड़े हो गए हैं.. सिर्फ़ राजा ही चढ़ता है या और भी कोई है इसके पीछे?
मैं- बताओ?
कांता- और भी है.. लेकिन ज्यादा राजा का ही कमाल है.. अब तक 200 से ऊपर बार चोद चुका है।
डॉली- 200 तो मेरा भी पहुँच ही गया होगा.. जब भी कोलकाता आता है 5-6 दिन तो सिर्फ़ चोदता ही है।
कांता- मुझे तो भोपाल और घर पर भी.. भोपाल में मैं इसको अपना ‘ब्वॉय-फ्रेण्ड है..’ बोल कर सबको बताती हूँ।
डॉली- मैं भी ब्वॉय-फ्रेण्ड ही बताती हूँ।
कांता- ओके..
डॉली- राजा के अलावा और कौन चोदता है?
 
मैंने दीदी को तो सब बता दिया।
सब कुछ जानने के बाद दीदी को तो मानो झटका सा लगा।
डॉली- तुमने 3 लंड ले लिए.. इतने कम दिनों में ही?
कांता- क्या करूँ.. बुर है कि मानती ही नहीं..
डॉली- और राजा तुम तो महारथी ही हो..
मैं- हाहह हाहा.. क्या करूँ अपना फंडा है.. जिधर मिले बुर.. उतार दो उसका भूत..
कांता और डॉली- हाहह हहाहा.. पर हमारी चूतों का भूत अभी तक नहीं उतरा है।
मैं- आओ उतार देता हूँ।
कांता और डॉली- मन तो हमारा भी है.. लेकिन माँ-पापा के आने का टाइम हो गया है.. सो रात को तेरे कमरे में आती हूँ।
मैं- ओके.. लेकिन मेरे पास एक मस्त आइडिया है..
कांता और डॉली- क्या?
मैं- क्यों ना हम लोग दिल्ली चलते हैं।
कांता और डॉली- क्यों?
मैं- क्यों क्या.. वहाँ खुल कर मस्ती करेंगे.. मेरा अपना फ्लैट है.. और कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है।
कांता और डॉली- तब तो यही मस्त रहेगा.. बोलो कब चलना है..?
मैं- जब की टिकट मिल जाए..
कांता और डॉली- हाँ देख लो और चलो।
मैं- ओके..
घूमने का बहाना बना कर मैं दोनों को लेकर दिल्ली आ गया और सफ़र के कारण थोड़ा थक गया था.. मैं सो गया था।
जब मेरी नींद खुली तो टीवी स्क्रीन पर देखा कि दोनों बिस्तर बैठी हुई थीं..
आगे बताने से पहले बता दूँ कि दिल्ली में मैं एक तीन कमरे के फ्लैट में रहता हूँ.. एक कमरे में.. जिसमें सबको चोदता हूँ.. उस कमरे में 5-5 कैमरे लगा हुए हैं.. जिससे बिस्तर पर जो भी होगा सब कुछ दिख जाएगा और उस कैमरे का वीडियो या तो मेरे मोबाइल पर या तो मेरे कमरे में लगे एलसीडी स्क्रीन पर देखा जा सकता है..
मैंने देखा कि कांता और दीदी दोनों बिस्तर पर बैठे हुए थे। कांता ने सफेद और गुलाबी मिक्स बिकिनी पहनी थी और दीदी ने काली लाल मिक्स बिकिनी पहनी थी। उन्हें यूँ देख कर तो मैं उत्तेजित हो गया था.. लेकिन फिर मैंने सोचा कि देखता हूँ कि ये दोनों क्या करती हैं। उसके बाद अन्दर जाऊँगा।
मैंने देखा कि दीदी गान्ड हिला रही थीं और कांता भी अपने बदन को सहला रही थी कि तभी कांता और दीदी दोनों एक-दूसरे के पास आए और लिप किस करने लगीं।
कुछ देर लिप किस करने के बाद दीदी कांता की ब्रा के ऊपर किस करने लगी।
फिर कुछ देर के बाद दीदी ने कांता की ब्रा नीचे कर दी और उसके निप्पल को चूसने लगी और हाथ से उसके बुरड़ों को सहलाने लगी।
कांता भी दीदी की बुरड़ों को सहलाने लगी.. कुछ देर बाद दीदी की ब्रा नीचे करके वो उसकी चूचियों को चूमने लगी और दबाने भी लगी।
दोनों एक-दूसरे की चूचियों को मसल ही रही थी.. तभी मैं सिर्फ़ अंडरवियर और टी-शर्ट में अन्दर पहुँच गया।
मुझे देखते ही दोनों मुस्कुरा दीं और दोनों एक साथ मेरी तरफ बढ़ने लगीं। दोनों का गोरा बदन.. ऊपर से बड़ी-बड़ी चूचियाँ हिल रही थीं.. जो बहुत ही अच्छा लग रहा था।
जैसे ही मैंने उनकी चूचियों को दबाना चाहा कि दोनों बिस्तर पर बुर आगे करके लेट गईं और दोनों ने खुद ही अपनी-अपनी पैन्टी निकाल दी।
पैन्टी निकालने के लिए पैर उठाया.. तो उनकी बुर सामने दिखने लगी और बिना बाल का पूरा साफ़-सुथरी गुलाबी चूतें मेरे नज़रों के सामने थीं।
तभी
 
तभी मैं दीदी की बुर की तरफ़ बढ़ने लगा और उसकी बुर को चाटने लगा तो कांता भी दीदी की जाँघों को सहलाने लगी और दीदी की चूचियों को चूसने लगी।
मैं इधर बुर को चूसता रहा और कांता दीदी की चूचियों को दबाने लगी.. उसके लबों को चूमने लगी। तभी कांता ने दीदी की ब्रा खोल कर पूरी हटा दी।
अब मैं भी दीदी की बुर को छोड़ कर कांता की बुर पर पहुँच गया और तब तक दीदी ने भी कांता की ब्रा को पूरे तौर से बदन से हटा दी और उसके निप्पलों पर अपना जीभ घुमाने लगी, अपने हाथों से दूसरी चूची को दबाने लगी।
कुछ देर यूँ ही चलता रहा.. मैं बुर चूसता और ऊपर वो दोनों मजे लेते रहे।
तभी मैंने दीदी की बुर में एक उंगली को घुसा दिया.. तो मुझे पता भी नहीं चला.. बड़ी आसानी से अन्दर चली गई.. तो मैंने दूसरी उंगली को भी घुसाया और उसकी बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।
मेरी देखा-देखी कांता भी दीदी की बुर को ऊपर से सहलाने लगी, मैं तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा और दीदी चीखने लगीं।
तभी कांता ने मेरी उंगली बुर से निकलवा दी और उंगली को मुँह में ले लिया। कुछ देर चूसने के बाद वो भी लेट गई और मैं उसकी बुर में भी उंगली करने लगा, अब दीदी उसकी बुर के ऊपर दबाने लगी और सहलाने लगीं।
कुछ देर बाद जब मैंने कांता की बुर में से उंगली को निकाला.. तो झट से दीदी मेरी उंगली को अपने मुँह में ले कर चूसने लगीं।
फिर उन्होंने कांता की बुर को भी एक बार चाट लिया।
कुछ देर बुर चाटने के बाद मैंने भी अपनी टी-शर्ट को उतार दिया.. तो दोनों एक साथ मेरी तरफ़ बढ़ीं और मुझे चूमने-चाटने लगीं।
कुछ देर यूँ ही मस्ती करने के बाद मैं उन दोनों के बीच में लेट गया और दोनों मेरे बदन पर चुम्बन करने लगीं। चुम्बन करते-करते दोनों मेरे ही एक-एक निप्पल पर अपनी जीभ फेरते हुए उसे चुभलाने लगीं और उसको चाटने लगीं।
कुछ देर बाद दोनों साथ ही मेरे लौड़े को अंडरवियर के ऊपर से ही चूमने लगे और कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों ने आपस में कुछ इशारा किया और एक साथ में ही मेरा अंडरवियर नीचे कर दिया.. तो मैंने हँसते हुए अपने पैर उठा दिए.. जिससे अंडरवियर को पूरा बाहर कर दिया गया।
अब हम तीनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। वे दोनों साथ में मेरे लंड को चाटने लगीं।
तभी कांता ने लंड को मुँह में ले लिया और दीदी नीचे गोटियाँ चाटने लगीं।
मैं लौड़ा चुसवाता हुआ उन दोनों के बुरड़ों को सहला रहा था और दोनों मिल कर मेरे लंड के साथ खेल रही थीं।
कुछ देर दीदी चूसतीं.. तो कुछ देर कांता..
कुछ देर बाद मैंने दीदी को अपने पास खींच लिया और उसके साथ चूमा चाटी करने लगा।
उधर कांता अब भी मेरा लंड चूस रही थी। कुछ देर ऐसा चलता रहा..
फिर हम तीनों खड़े हुए।
कांता ने दीदी को बेड के एक किनारे पर इस तरह बैठा दिया कि दीदी की बुर एकदम सामने को हो गई.. तो मैं अपने खड़े लंड को दीदी की बुर पर घुमाने लगा और एक झटका मारा.. लंड अन्दर घुसता चला गया.. और उसके मुँह से ज़ोर से चीख निकल पड़ी- आआ.. आआहह.. उ..ह..!
तो कांता दीदी की बुर के पास हाथ फेरने लगी और मैं झटके मारने लगा।
जब दीदी थोड़ा संयत हो गई.. तो मैं ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा।
फिर मैंने लंड बाहर निकाल लिया.. तो कांता मेरा लंड चूसने लगी, दीदी की बुर का सारा रस चाट गई। कुछ देर लौड़ा चूस कर उसने दीदी की बुर पर लगा दिया।
फिर मेरे बमपिलाट झटके शुरु हो गए और दीदी के मुँह से फिर से ‘आआ.. आआअहह.. उऊहह..’ निकलने लगा।
तो कांता ने दीदी के मुँह के पास अपनी बुर कर दी और दीदी में मुँह को दोनों टाँगों के बीच फंसा लिया।
मैं लगातार झटके मार रहा था और सामने से कांता की चूचियों को चूस रहा था। कुछ देर बाद फिर दीदी को उल्टा किया और झूले पर पेट के बल टांग दिया.. और पीछे से उसकी गान्ड मारने लगा… कुछ देर झटके मारने के बाद फिर से दोनों लंड चूसने लगीं।
कुछ देर बाद मैं लेट गया और मेरे लंड के पास दोनों एक-दूसरे के गान्ड से गान्ड सटा कर बैठ गई.. और बारी-बारी से चुदने लगी।
पहले दीदी चुदीं.. फिर दीदी हटीं.. तो कांता चुदने लगीं.. तब तक मैं दीदी के बुरड़ों को मसलने लगा।

फिर जब दीदी चुदने लगीं.. तो कांता भी दीदी की गान्ड में अपनी गान्ड टकराने लगी.. जब दोनों के बुरड़ों टकराते थे.. तो मुझे बहुत अच्छा लगता था।
कुछ देर बाद जब हम तीनों को लगा कि हम झड़ने वाले हैं.. तो दोनों लंड के पास पहुँच गईं और लौड़े को चूसने लगीं।
जैसे ही मैं रस छोड़ा.. तो दोनों चुदासी चूतें.. मेरा सारा रस पी गईं.. और बुर का रस भी दोनों एक-दूसरे का पी गई और हम तीनों वहीं निढाल हो कर सो गए।
कुछ देर बाद सभी फ्रेश हुए और दोनों ने मिल कर नाश्ता बनाया और हम सब नाश्ता करने लगे।
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