desiaks
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सुबह 6:00 बजे विशाल की आँख खुलती है। आरोही के कपड़ों की हालत इस वक़्त ऐसी थी की विशाल को आरोही का आधा जिएम नजर आ रहा था। और रात जो कुछ हआ उसका सोचकर विशाल को अपने आपसे बड़ी शर्मिंदगी महसूस होने लगती है। विशाल आरोही के ऊपर एक चादर डाल देता है, और विशाल परेशान सा ऊपर छत पर पहुँच जाता है।
ऊपर विशाल का कसरत का सामान रखा हुआ था और विशाल कसरत करने लगता है। आज विशाल की हिम्मत नीचे जाकर आरोही का सामना करने की नहीं हो रही थी। और यूँ ही विशाल को 8:00 बज चुके थे।
नीचे आरोही भी उठ चुकी थी और अपने आपको फ्रेश कर के नीचे मम्मी के पास पहुँचती है। मम्मी चाय कप में टाल रही थी।
सुमन- विशाल अभी तक नहीं उठा?
आरोही- भैया तो कब के उठ चुके हैं शायद ऊपर होंगे।
मम्मी दो कप में चाय लेकर पापा के रूम में चली गई।
आरोही भी दो कप में चाप बनती है, और चाय लेकर ऊपर विशाल के पास पहुँचती है, और विशाल के सामने बैठते हुए आरोही बोली- "गुड मार्निंग भैया, लीजिए चाय पीजिए..." और आरोही विशाल से ऐसे बात कर रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पहले जैसा सब कुछ नामंल हो।
विशाल आरोही से बिना आँखें मिलायें ही बोलता है- "गुड मानिंग...
आरोही- क्या बात है भैया, आज आप अब तक कसरत कर रहे हो? मम्मी भी आपको पूछ रही थी। 8:00 बज चुके हैं।
विशाल एकदम से आरोही से रात जो हुआ उसके लिए सारी बोलता है- "आरोही मुझे माफ कर दें... रात में में बहक गया था।
आरोही- "उहह... तो ये बात है। मेरे भैया को रात की वजह से शर्मिंदगी महसूस हो रही है। अरे भैया इसमें इतना परेशान होने की क्या जरूरत है? भाई बहन के साथ हम एक दोस्त भी तो हैं, और दोस्तों में इतना सब कुछ तो चल ही जाता है...
विशाल- मगर आगेही अगर इस बात का किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
आरोही- क्यों डरते हो भैया? भला ये बात हम किसी को क्यों बातायेंगे? और भैया मैं तुमसे बहुत प्यार करती हैं और क्या तुम्हें मेरा प्यार करना अच्छा नहीं लगता?"
विशाल- नहीं ये बात नहीं है आरोही। मगर भाई बहन में ये प्यार नहीं हो सकता।
तभी नीचे में मम्मी की आवाज आती है- "आरोही विशाल नीचे आओ..."
ऊपर विशाल का कसरत का सामान रखा हुआ था और विशाल कसरत करने लगता है। आज विशाल की हिम्मत नीचे जाकर आरोही का सामना करने की नहीं हो रही थी। और यूँ ही विशाल को 8:00 बज चुके थे।
नीचे आरोही भी उठ चुकी थी और अपने आपको फ्रेश कर के नीचे मम्मी के पास पहुँचती है। मम्मी चाय कप में टाल रही थी।
सुमन- विशाल अभी तक नहीं उठा?
आरोही- भैया तो कब के उठ चुके हैं शायद ऊपर होंगे।
मम्मी दो कप में चाय लेकर पापा के रूम में चली गई।
आरोही भी दो कप में चाप बनती है, और चाय लेकर ऊपर विशाल के पास पहुँचती है, और विशाल के सामने बैठते हुए आरोही बोली- "गुड मार्निंग भैया, लीजिए चाय पीजिए..." और आरोही विशाल से ऐसे बात कर रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पहले जैसा सब कुछ नामंल हो।
विशाल आरोही से बिना आँखें मिलायें ही बोलता है- "गुड मानिंग...
आरोही- क्या बात है भैया, आज आप अब तक कसरत कर रहे हो? मम्मी भी आपको पूछ रही थी। 8:00 बज चुके हैं।
विशाल एकदम से आरोही से रात जो हुआ उसके लिए सारी बोलता है- "आरोही मुझे माफ कर दें... रात में में बहक गया था।
आरोही- "उहह... तो ये बात है। मेरे भैया को रात की वजह से शर्मिंदगी महसूस हो रही है। अरे भैया इसमें इतना परेशान होने की क्या जरूरत है? भाई बहन के साथ हम एक दोस्त भी तो हैं, और दोस्तों में इतना सब कुछ तो चल ही जाता है...
विशाल- मगर आगेही अगर इस बात का किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
आरोही- क्यों डरते हो भैया? भला ये बात हम किसी को क्यों बातायेंगे? और भैया मैं तुमसे बहुत प्यार करती हैं और क्या तुम्हें मेरा प्यार करना अच्छा नहीं लगता?"
विशाल- नहीं ये बात नहीं है आरोही। मगर भाई बहन में ये प्यार नहीं हो सकता।
तभी नीचे में मम्मी की आवाज आती है- "आरोही विशाल नीचे आओ..."