Bhai Bahan XXX भाई की जवानी - Page 6 - SexBaba
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Bhai Bahan XXX भाई की जवानी

सुबह 6:00 बजे विशाल की आँख खुलती है। आरोही के कपड़ों की हालत इस वक़्त ऐसी थी की विशाल को आरोही का आधा जिएम नजर आ रहा था। और रात जो कुछ हआ उसका सोचकर विशाल को अपने आपसे बड़ी शर्मिंदगी महसूस होने लगती है। विशाल आरोही के ऊपर एक चादर डाल देता है, और विशाल परेशान सा ऊपर छत पर पहुँच जाता है।

ऊपर विशाल का कसरत का सामान रखा हुआ था और विशाल कसरत करने लगता है। आज विशाल की हिम्मत नीचे जाकर आरोही का सामना करने की नहीं हो रही थी। और यूँ ही विशाल को 8:00 बज चुके थे।

नीचे आरोही भी उठ चुकी थी और अपने आपको फ्रेश कर के नीचे मम्मी के पास पहुँचती है। मम्मी चाय कप में टाल रही थी।

सुमन- विशाल अभी तक नहीं उठा?

आरोही- भैया तो कब के उठ चुके हैं शायद ऊपर होंगे।

मम्मी दो कप में चाय लेकर पापा के रूम में चली गई।

आरोही भी दो कप में चाप बनती है, और चाय लेकर ऊपर विशाल के पास पहुँचती है, और विशाल के सामने बैठते हुए आरोही बोली- "गुड मार्निंग भैया, लीजिए चाय पीजिए..." और आरोही विशाल से ऐसे बात कर रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पहले जैसा सब कुछ नामंल हो।

विशाल आरोही से बिना आँखें मिलायें ही बोलता है- "गुड मानिंग...

आरोही- क्या बात है भैया, आज आप अब तक कसरत कर रहे हो? मम्मी भी आपको पूछ रही थी। 8:00 बज चुके हैं।

विशाल एकदम से आरोही से रात जो हुआ उसके लिए सारी बोलता है- "आरोही मुझे माफ कर दें... रात में में बहक गया था।

आरोही- "उहह... तो ये बात है। मेरे भैया को रात की वजह से शर्मिंदगी महसूस हो रही है। अरे भैया इसमें इतना परेशान होने की क्या जरूरत है? भाई बहन के साथ हम एक दोस्त भी तो हैं, और दोस्तों में इतना सब कुछ तो चल ही जाता है...

विशाल- मगर आगेही अगर इस बात का किसी को पता चल गया तो क्या होगा?

आरोही- क्यों डरते हो भैया? भला ये बात हम किसी को क्यों बातायेंगे? और भैया मैं तुमसे बहुत प्यार करती हैं और क्या तुम्हें मेरा प्यार करना अच्छा नहीं लगता?"

विशाल- नहीं ये बात नहीं है आरोही। मगर भाई बहन में ये प्यार नहीं हो सकता।

तभी नीचे में मम्मी की आवाज आती है- "आरोही विशाल नीचे आओ..."
 
दोनों नीचे पहुँचते हैं। मम्मी नाश्ता बना चुकी थी। विशाल और आरोही भी आकर बैठ जाते हैं। तभी राजेश के फोन पर कंपनी से काल आती है और राजेश मोबाइल पर बात करने के बाद कहता है।

राजेश- "कंपनी के काम में 34 दिन के लिए मझें जम्म जाना पड़ रहा है..."

विशाल- कब जाओगे पापा?

राजेश- दो घंटे बाद निकलना है तुम मेरा एक काम करो। मार्केट से एक लोका, बनियान और एक तौलिया लें आओ।

विशाल- "जी पापा अभी लाया..." और विशाल मार्केट चला जाता है।

सुमन राजेश में बोलती है- "सुनो जी मेरी भी छुट्टियां चल रही है। क्या मैं भी आपके साथ चलू?" ।

राजेश- "ये तो मुझे मैनेजर साहब से पूछना पड़ेगा?" और राजेश अपने मैनेजर को फोन मिलाता है- "हेलो मैनेजर साहब, क्या मैं अपनी वाइफ को साथ ले जा सकता हैं?"

मैनेजर- "हाँ हाँ क्यों नहीं... राजेश बस हम दोनों को ही तो जाना है। मैं भी अपनी वाइफ को ले चलता है।

फिर राजेश फोन रखकर सुमन से बोलता है- "ठीक है तुम भी चली। जल्दी से तैयार हो जाओ.."

सुमन के चेहरे पर खुशी के मारे मुश्कान दौड़ जाती है- "आरोही बेटा, मैं चली जाऊँ, तुम दोनों को कोई प्राब्लम तो नही?"

आरोही- नहीं मम्मी, काई प्राब्लम नहीं। आप बेफिकर होकर जाइए। मैं सब संभाल लेंगी।

सुमन आरोही को गले से लगते हुए "ओह मेरी प्यारी बच्ची.." और फिर सुमन भी अपना सामान पैकिंग कर लेती है, इतने में दरवाजे पर डोर बेल बजती है।

आरोही दरवाजा खोलती है, तो विशाल लड़खड़ाता हुआ अंदर आता है।

आरोही- क्या हुआ भैया ऐसे लड़खड़ाकर क्यों चल रहे हो?

विशाल- कुछ नहीं आरोही, वो मार्केट में बाइक स्लिप हो गई थी।

आरोही- क्रया... भैया आपको कहीं चोट तो नहीं लगी?

विशाल- अरीए मुझे कुछ नहीं हुआ आरोही, इतना घबराने की जरूरत नहीं।

सुमन- क्या हुआ आरोही?

आरोही- मम्मी, भैया को चोट लग गई है।

सुमन- कैसे क्या हुआ विशाल कहां लगी?
 
विशाल- आरी मम्मी कुछ भी नहीं हुआ। बाइक स्लिप हो गई थी थोड़ा, पैर में कुछ लग गया बस।

राजेश- बेटा ध्यान से चलाया करो।

विशाल- जी पापा।

राजेश- बेटा तेरी मम्मी भी मेरे साथ जा रही है। कोई प्राब्लम तो नहीं।?

विशाल- नहीं पापा, काई प्राब्लम नहीं। आप बेफिकर होकर जाइए।

थोड़ी देर बाद मैनेजर की गाड़ी आ जाती है। राजेश और सुमन दोनों चले जाते है।
*****
*****
 
विशाल हाल में बैठा टीवी देख रहा था, और आरोही घर की सफाई में लग जाती है। तभी आरोही की नजर विशाल की पैंट पर पड़ती है। सुबह विशाल ने ब्लू कलर की पैंट पहनी हुई थी, जो अब बादामी कलर की पहनी हुई थी। भैया में कब कपड़े चेंज कर लिए और क्यों?

आरोही के दिल में कुछ घबराहट सी होने लगती है, और आरोही रूम में पहुँचकर विशाल की पैंट को ढूँढने लगती है। तभी आरोही को बैंड के ऊपर विशाल की पैंट नजर आ जाती है। आरोही पैट को उठाकर देखने लगती है। तभी आरोही को विशाल की पैंट घुटनों से ऊपर फटी हुई नजर आती है। आरोही के दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, और आरोही बाहर आकर विशाल के पास बैठते हुए विशाल से पूछती है।

आरोही- भैया मुझे दिखाओ आपको कहां पर चोट लगी है।

विशाल- "आरोही बोला ना... थोड़ी सी पैर में लगी है बेकार में इतना परेशान ना हो..."

आरोही- अच्छा तो फिर दिखातें क्यों नहीं?

विशाल जानता था आरोही की जिद के आगे उसकी नहीं चलेगी। विशाल क्या करता खड़ा होकर अपनी पैंट की
बेल्ट खोलकर पैंट उतार देता है। विशाल की जाँघ पर हल्की सी सूजन सी आई हुई थी।

विशाल- बस देख लिया, पहन लें पैट?

आरोही को चोट देखकर कुछ राहत सी मिलती है। बोली- "भैया क्या करोगे पेंट पहनकर? अच्छे लग रहे हो..."

विशाल- "शैतान कहीं की." और विशाल अपनी पैंट पहन लेता है।

आरोही अपने काम में लग जाती है। विशाल बैठा हुआ टीवी देखता रहता है. और यूँ ही कब गत हो जाती है पता ही नहीं चलता। रात का खाना खाकर विशाल रूम में जाकर बेड पर लेट जाता है। थोड़ी देर बाद आरोही भी रगम में आ जाती है।

आरोही- भैया लाओ में आपके पैर में मव लगा दं।
 
विशाल- क्यों परेशान होती है, मैं लगा लेंगा।

आरोही- क्यों भला इसमें परेशानी की क्या बात? जल्दी से पैंट उतारा।

विशाल फिर से अपनी पैंट खोल देता है। और आरोही बेड के ऊपर चढ़कर विशाल की जांघ पर जैसे ही मूब लगाती हैं। विशाल को आरोही के नरम हाथों के स्पर्श से गुदगुदी सी होने लगती है। जैसे ही आरोही के हाथ जाँघ पर टच होते हैं, विशाल की हल्की सी सिसकी निकल जाती है।

विशाल- "आ::... इस्स्स
.. सम्स्सी ... बस्स आरोहीईईई.."

आरोही थोड़ी देर ही मूब से मसाज करती रही। आगही के हाथों के टच से विशाल के लण्ड में हल्का-हल्का तनाब आ गया था। विशाल का बड़ा आराम आने लगा।

विशाल- अब बस कर आरोही।

आरोही को भी विशाल के लण्ड का तनाव दिखने लगा था। आरोही बोली- "भैया लाइट आफ कर दू?"

विशाल- हाँ कर दे।

आरोही लाइट आफ करके विशाल के बराबर में लेट जाती है- "भैया एक बात पछ"

विशाल- हाँ पूछ।

आरोही- भैया लड़कों का पेनिस किस साइज का होता है?

विशाल भी अब तक पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था, और आरोही के इस सवाल में लण्ड में एक झटका और आ जाता है। विशाल बोला- "लड़कों का पेनिस 6 से 9 इंच तक तो लंबा होता है, और लगभग दो इंच मोटा होता

आरोही- करया... इतना लंबा और मोटा होता है? फिर लड़की की वेजाइना में कैसे जाता है? वो तो बहुत छोटी होती है।

विशाल- लड़की को वेजाइना में बहुत जगह होती है। प्यार करने से सेक्स की फीलिंग आने से जगह बजती चली जाती है।

आरोही- प्यार करने से? मैं कुछ समझी नहीं।

विशाल- जैसे लड़कों का पेनिस सेक्स की फीलिंग आने से दो इंच से बदकार इंच का हो जाता है। वैसे ही लड़की के साथ भी होता है। लड़की को किस करने और सहलाने से वेजाइना में जगह बन जाती है।

आरोही- भैया ये तो जाद है।

विशाल और आरोही का चेहरा बात करते हुए बहुत करीब आ चुका था। इतना करीब की बस होंठ से होठ टच होने वाले थे। और विशाल भी अपने होश खो चुका था। एकदम से दोनों के हाँठ एक दूसरे से जुड़ जाते हैं।
 
आरोही और विशाल की आँखें बंद हो चुकी थी। बस एक दूजे के होंठों का रस चसन में दोनों लग चुके थे। क्या गजब का सीन चल रहा था रूम में। दोनों की छपार-कपार आवाज दोनों के प्यार का संगीत सा बजा रही थी।
जाने कितनी देर दोनों के हाठ आपस में चिपके हुए थे। विशाल ने सिर्फ अंडरवेर ही पहना हुआ था। लण्ड इतना खड़ा हो चुका था की अंडरवेर में समाना मुश्किल हो रहा था। विशाल से कंट्रोल करना मुश्किल होने लगा, और थोड़ा सा आरोही की तरफ करवट ले लेता है। लण्ड एकदम आरोही की चूत से टकरा जाता है।

आरोही भी पूरी तरह बेचैन हो चुकी थी, और खुद भी अपनी चूत को विशाल के लण्ड पर दबाने लगी। आरोही की चूत लण्ड के टच से पूरी तरह गोली हो गई और विशाल का लण्ड भी प्री-कम की बूंदें टपकाने लगा। तभी आरोही को अपनी चूचियों पर विशाल के हाथ की पकड़ महसूस होने लगी।

विशाल ने आरोही की चूचियों को अपनी मुट्ठी में भींच लिया था। विशाल को बिना ब्रा की आरोही की चूचियां
ऐसे लग रही थी, जैसे एक्दम नंगी हों। आरोही की सिसकियां निकलनी शुरू हो गई।

आरोही- "आअहह... भैया सस्सीई... कुछ-कुछ हो रहा है मुझे आहह.." और जानें कब आरोही का हाथ विशाल के लण्ड तक पहुँच गया। आरोही ने अपने हाथ में विशाल के लण्ड को भौच लिया था, जैसे लण्ड के साइज को नाप रही हो।

आरोही के हाथ में जैसे ही लण्ड आता है, विशाल के मुँह से आह्ह... निकल जाती है। और विशाल की पकड़ चूचियों पर और टाइट हो जाती है। जिससे आरोही की भी आअहह... निकल जाती है।

अब विशाल आरोही को दीवानों की तरह चमनें लगता है, और विशाल के हाथ आरोही की कमीज को नीचे से पकड़कर ऊपर करते चले जाते हैं। आरोही की दोनों चूचियां विशाल की आँखों के सामने आ जाती है। उफफ्फ... एकदम सफेद दूधिया जिक्षम था आरोही का, जैसे कोई हर की परी इस वक्त विशाल की बौंहों में हो। विशाल की आँखें आरोही का जिक्षम देखकर चौधियाने लगी थी। आरोही की चचियों से हल्के-हल्के निप्पल उभर रहे थे। जैसे किसी फल पर किशमिश रखी हो, और विशाल अपने होंठों को चूचियों के निप्पल से लगाकर उनका रस चूसने लगता है। आरोही बिन पानी मछली की तरह तड़पकर आहें भरने लगती है।

आरोही- "आह्ह.. उह... सस्स्सीईई.. भइरया आअह्ह... उम्म्म्म... सस्स्सी ... आहह.."

विशाल का लण्ड एकदम स्टील की रोड बन चुका था। अब विशाल आरोही के ऊपर आकर चूचियों को चूसने लगता है। जिससे लण्ड चूत के सेंटर पर दबाव देने लगा। विशाल भी चूचियां चूसते-चूसते नीचे सरकने लगता हैं
और आरोही के पेट पर अपने होंठों से किसिंग करता है। जिससे आरोही ऐसे तड़पने लगती है. जैसे मर्डर मूवी में मल्लिका तड़प रही थी। किस कदर बेचैनी हो चुकी थी आरोही को।

विशाल अपने होंठों में आरोही के जिश्म को चमता जा रहा था। आरोही की चूत से इतना रस निकल चुका था
 
आरोही की सलवार पूरी तरह भीग चुकी थी। और अब विशाल के हाथ भी आरोही की सलवार का नाड़ा खोलने लगे थे और दोनों हाथों से सलवार पकड़कर नीचे उतरने लगा। आरोही भी अपने कल्हे ऊपर उठा देती है। आरोही एकदम पूरी तरह नंगी विशाल के सामने थी।

आरोही की चूत एकदम अनछई सफाचट विशाल की आँखों के सामने थी। विशाल आरोही की चूत की सुंदरता को जाने कितनी देर तक निहारता रहता है। और फिर विशाल अपने चेहरे को आरोही की चूत पर झुकाता चला गया की विशाल के होंठ जाकर आरोही की चूत के होंठों से जा मिले। जैसे ही होठों का मिलन चूत की फांकों से होता है, उफफ्फ... आरोही की सिसकारी निकल जाती है।

आरोही- आ:: आइ. उम्म्म्म
... ओहह ... आअहह ... भइरपा क्रया कर रहे हो?"

उधर विशाल आरोही की चूत से निकलते हर रस को चूसने लगता है। आरोही तड़पते मचलते हए बेचैनी में अपने हाथों से बैंड की चादर को खींचने लगी। विशाल की जीभ चूत के छेद को टटोलने की कोशिश कर रही थी। उफफ्फ... अब आरोही से बर्दास्त नहीं हो रहा था, और आरोही के हाथ विशाल के सिर पर पहुँच गये।

आरोही- " भैया कुछ कीजिये..." और आरोही विशाल के सिर को अपनी चूत में दबाती रही। आरोही को ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर से कोई सैलाब निकालने वाला है- आह... आआआ... उम्म्म्म ... उस्स्स्स ...
आईई.. और एकदम से आरोही की चूत में सैलाब बह निकाला।

जिसे विशाल एक-एक बंद अपने अंदर गटकता चला गया। और आरोही टूटे हए पत्ते की तरह बेजान सी बिस्तर
पर लटक गई। विशाल भी चत से अपना मुँह हटाकर अपने होठों पर जीभ फेजता हआ मुश्कुरा देता है, जैसे विशाल ने हंडिया से कोई मक्खन खाया हो। और फिर विशाल भी अपने अंडरवेर को निकालकर पूरी तरह नंगा होकर आरोही के करीब आता है। विशाल का लण्ड एकदम तनकर खड़ा हुआ था।

विशाल आरोही के इतने करीब हो जाता है, जिससे लण्ड चेहरे के पास आ जाता है। आरोही भी विशाल के दिल की बात समझ जाती है की इस वक़्त विशाल क्या चाह रहा है। और आरोही भी अपने हाथ बढ़ाकर विशाल के लण्ड को पकड़ लेती है। थोड़ी देर सहलाने के बाद आरोही अपना मुँह खोल देती है, और बस विशाल एकदम अपने लण्ड को आरोही के मुँह में घुसा देता है।

विशाल- "आअहह... आरोहीईई ऐसे ही चूसा..."

आरोही अपने हाथ में पकड़े लण्ड को अपने मुँह में थोड़ा-थोड़ा अंदर-बाहर करने लगी। विशाल को इस वक़्त चरम आनंद का अनुभव मिल रहा था और विशाल का हाथ भी आरोही के सिर पर पहुंच चुका था। विशाल आराही के सिर को पकड़कर अपने लण्ड को धक्के देने लगा, जैसे लण्ड चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। बस अब विशाल का लावा भी बाहर निकलने को बेताब था।

विशाल- "आरोही मेरा होने वाला है आअहह... आअहह.."

मगर आरोही को लण्ड चूसने में इतना मजा आ रहा था की उसको विशाल की आवाज तक सुनाई नहीं दी। और विशाल का लावा आरोही के गले में उतरता चला गया। आरोही को अपने अंदर नमकीन-नमकीन स्वाद सा महसूस हुआ और एकदम से आरोही अपने मुँह से लण्ड बाहर निकालकर खांसने लगती है।

आरोही- भैया ये सब क्या था?

विशाल- "ये प्यार का रस था..."
 
और फिर दोनों एक दर्ज की बौंहों में लिपटें हए ऐसे लेट जाते हैं, जैसे दोनों कितनै जन्मों के साथी हों। यही लेटे हुए विशाल आरोही के चेहरे को सहलाने लगता है।

विशाल- आरोही तुम बहुत खूबसूरत हो, बहुत मासूम सी प्यारी सी गुड़िया।

आरोही- "भैया आप भी बहुत अच्छे हो.. मेरा इतना खयाल रखते हो, मुझे इतना प्यार करते हो.."

फिर विशाल अपने होंठों को आरोही के होंठों को करीब ले जाता है और आरोही भी अपने होंठों को विशाल के होंठों के करीब ले जाती है। और दोनों फिर से एक दूजे के होंठ चूमने लगते हैं। कुछ देर में ही विशाल के लण्ड में फिर से तनाव आना शुरू हो जाता है, और आरोही की नंगी चत से टकराने लगता है। आरोही को भी लण्ड की टचिंग में सनसनाहट सी दौड़ जाती है।

विशाल- आरोही मैं तुझं और प्यार करना चाहता हूँ।

आरोही- भैया आपको रोका किसने है? जैसे चाहे मुझसे प्यार करो।

विशाल- मगर आरोही इस प्यार में बड़ा दर्द मिलता है।

आरोही- कोई बात नहीं भैया, मैं भैया के लिए हर दर्द सह लगी।

विशाल जानता था आरोही को अभी इस दर्द का अहसास नहीं है, जो कुछ इस वक़्त आरोही बोल रही है ये उसका जोश है। और विशाल बिस्तर से उठकर अलमारी की तरफ पहचता है।

आरोही- क्या हुआ भैया?

विशाल- "कुछ नहीं आरोही तेल की शीशी देख रहा है.." और विशाल अलमारी से नारियल तेल की शीशी उठा

लाता है। विशाल का लण्ड आरोही की चूत में जाने के अहसास से झटके पर झटके मार रहा था। विशाल बिल्कुल आरोही की दोनों टांगों के बीच बैठ जाता है, और कहता है- "आरोही में जो हम कर रहे हैं. बाद में हमें इसका पछतावा तो नहीं होगा?"

आरोही- भैया मैं तुमसे बहुत प्यार करती है और जब इतना आगे बढ़ चुके हैं, तो फिर पछतावा कैसा? भैया मुझे अपने प्यार का हर शुख दे दो। आज मुझे इतना प्यार करा की काई दूरी बाकी ना रह जाय। मैं तुममें समा जाऊँ, तुम मुझं में समा जाओ.."

विशाल आरोही की टाँगे फैला देता है और नारियल तेल उंगली में लेकर आरोही की चूत पर धीरे-धीरे मलने लगता है। आरोही की सिसकियां निकालने लगती है।

आरोही- "आहह... इसस्स्स... सस्स्सीईईई उईईई... इसस्स्स
.."
विशाल काफी देर तक अपनी उंगली से तेल को चूत के चारों तरफ मल देता है। जिसमें आरोही की चूत में फिर से गीलापन आ जाता है। विशाल थोड़ा तेल अपने लण्ड पर लगाकर लण्ड को जैसे ही चूत के छेद में घुसाने लगता है।

आरोही कहती हैं- "भैया, बिना कंडोम के कहीं में प्रेग्नेंट ना हो जाऊँ?"

विशाल- "आरोही ऐसा कुछ नहीं होगा। में एक टेबलेट ला दूँगा.. और फिर विशाल अपने लण्ड को चूत के छेद पर रख देता है।

आरोही की धड़कन लण्ड के इस अहसास से एकदम रूक जाती हैं, और आरोही को ऐसा लगता है जैसे उसके साथ कुछ अनर्थ होने वाला है और आरोही अपनी आँखें बंद कर लेती है।
 
विशाल भी जानता था उसका लण्ड काफी लंबा और मोटा है। आरोही की चूत में इतनी आसानी से नहीं जायेगा। विशाल अपने लण्ड को चूत की फांकों में ऊपर-ऊपर सहलाता रहा। चत और लण्ड पर तेल लगा होने से लण्ड चूत की फांकों में फासता जा रहा था।

आरोही अपनी चूत पर लण्ड को रगड़ महसूस करते हए इतनी बैंचें हो चुकी थी की बोली- "भैय्या प्लिज... कुछ करो.."

विशाल- आरोही तम्म तैयार हो?

आरोही- हाँ भैया।

अब विशाल अपने लण्ड का दबाब चूत के छेद पर बढ़ाने लगता है।

आरोही- "आह्ह.."
विशाल बहुत धीरे-धीरे दबाब दे रहा था और एकदम विशाल के लण्ड का सुपाड़ा चूत के छेद में फंसते हुए घुस जाता है।

आरोही- "उईईई... उइइंयी... भैया आईईई.."

विशाल आरोही का दर्द देखकर फौरन रुक जाता है। पूछता है- "क्या हुआ आरोही"

आरोही- भैया बड़ा दर्द हो रहा है।

विशाल- आरोही पहली बार में ऐसा ही दर्द होता है। अभी तो सिर्फ जरा सा घुसा हैं। तू कहे तो रहने दूं।

आरोही- "नहीं भैया, आप डालिये मैं सब सह लेंगी.. और आरोही में सब जोश में कह दिया लेकिन वो ये नहीं जानती थी की अभी उसको कितना दर्द होने वाला है?

जैसे ही विशाल अपने लण्ड पर थोड़ा और जोर लगता है, लण्ड चूत में छरर की आवाज से थोड़ा और घुसने लगता है। आरोही दर्द से झटपटा जाती है और अपनी कमीज उठाकर अपने मुँह में भींच लेती है की कहीं दर्द के मारे उसकी चीख ना निकल जाय। विशाल भी आरोही के दर्द को समझ रहा था। विशाल अपने लण्ड को यही रोक कर आरोही की चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगता है।

जिससे आरोही का दर्द थोड़ा कम हो जाता है, और थोड़ी देर बाद आरोही को कुछ पाहत सी मिलने लगती है।
मगर विशाल जानता था अभी तो सिर्फ लण्ड का सुपाड़ा ही चूत के अंदर गया है।

विशाल- आरोही तुम ठीक हो?

आरोही- जी भैया में ठीक हैं।

विशाल अपने होंठों को आरोही के होंठों से मिलाकर होंठों को चूसने लगा, तो आरोही का सारा ध्यान किस करने में लग जाता है। फिर विशाल अपने लण्ड पर एक जोर धक्का मार देता है। लण्ड इस धक्के में आरोही की सील तोड़ता हुआ आधे से ज्यादा घुस जाता है। आरोही की एक जोरदार चीख निकलती है जो विशाल के गले में गुज जाती है।

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आरोही की आँखों से दर्द के मारे आँसू बहने लगे थे, और चूत से खून निकलने लगा था। विशाल मैं ही अपने लण्ड को छोड़कर आरोही की चूचियां मसलने लगता है, और होठों को बुरी तरह चूसने लगता है। काफी देर में आरोही कुछ नार्मल सी दिखती है तो विशाल अपना मह हता लेता है।

आरोही- आईईई मर गई मैं... भैय्या प्लीज... बाहर निकाल लो।

विशाल- आरोही, जो दर्द होना था वो तो हो चुका।

आरोही- भैया बहुत दर्द हो रहा है।

विशाल- "बस आरोही अभी थोड़ी देर में ये दर्द यू गायब हो जायेगा की तुम्हें पता भी नहीं चलेगा.." और अब विशाल आरोही की चूचियों के निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगता है।

आरोही- “आहह... आहह... आहह... आहह... उहह... सस्स्सी ..." करती है। आरोही को भी अब मजा सा आने लगा, जिससे चूत में चिकनाहट सी आ गई।

विशाल धीरे-धीरे अपने लण्ड को आगे-पीछे करना शुरू कर देता है। आराही का विशाल का लण्ड को इस तरह करना अच्छे लगने लगा और आरोही की दर्द भरी आहे सिसकियों में बदल गई।

आरोही- "आईई... इसम्स्स... सम्स्सीईई... उम्म्म्म

... मेरे भाई आअहह.."
विशाल- कैसा लग रहा है आरोही?

आरोही- अच्छा लग रहा है भैया।

बस फिर क्या था विशाल अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा देता है। दे दनादन लण्ड चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। दोनों भाई बहन आनंद के सागर में डुबकी लगा रहे थे और उसका संगीत दोनों की रहा था। लण्ड जैसे ही चूत में बाहर निकलकर अंदर जाता आरोही की आअहह... भैया आइ. आइ. निकल जाता,

और थोड़ी ही देर में ही आरोही विशाल की कमर को भींचकर अपनी चूत पर दबाने लगी।

आरोही- "आअहह... भईया आइ: आइ: आअह्ह.." करती है और एक्दम से आरोही का सैलाब निकल गया।

विशाल का लण्ड भी आरोही के पानी को सह नहीं सका और आरोही पर लुढ़कता हुआ- "आरोही.ई

आइआइ: सम्स्सीईई." करता है और अपने लण्ड का लावा आरोही की चूत की गहराई में उतारता चला गया।
 
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