desiaks
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फिर आरोही विशाल के पास से उठकर फिर से सफाई में लग जाती है। थोड़ी देर बाद आरोही हाल में जहां विशाल बैठा पढ़ाई कर रहा था, झाड़ लगाने आ जाती हैं। आरोही अपना दुपट्टा मम्मी के रूम में छोड़ आई थी। आरोही ने काफी बड़े गले की कमीज पहनी हुई थी। आरोही के झुकने से चूचियों की झलक विशाल को साफ-साफ दिखाई दे जाती है। आरोही ये सब कुछ जानते हुए अंजान बनी सफाई में लगी थी। विशाल की नजरें बार-बार आरोही की चूचियों पर पहुँच रही थी।
आरोही को विशाल से इस तरह की शरारतें करने में बड़ा मजा आने लगा, और आरोही किसी ना किसी बहाने विशाल को यूं ही सताती रहती थी। अब तो आरोही रात में छुपकर मम्मी पापा की चुदाई भी देखा करती थी की कैसे मम्मी पापा का लण्ड मुँह में लेकर चूसती थी, और कैसे पापा लण्ड को चूत में अंदर-बाहर किया करते थे। आरोही का सेक्स का पूरा ज्ञान हो चुका था। आरोही का ये सब देखना अब अच्छा लगने लगा था, और कभी कभी अपनी चूत भी हाथों से सहला लिया करती थी।
आरोही विशाल की तरफ खींचती जा रही थी, ये जानते हए की विशाल उसका सगा भाई है। मगर फिर भी आरोही विशाल से हर बढ़त चिपकी रहती थी स्क हए आरोही बाइक पर विशाल से ऐसे चिपक कर बैठती थी की विशाल को आरोही के निप्पल चुभा करते थे। अब विशाल को भी आरोही की ये शरारतें अच्छी लगनें लगी थी। मगर विशाल की हिम्मत कभी आरोही को छने की भी नहीं होती थी। मगर विशाल का लण्ड आरोही की इन शरारतों से हर बार तनकर खड़ा हो जाता था। और इसका पूरा मजा आरोही को आता था।
वक्त गुजर रहा था, और दोनों के एग्जाम भी शुरू हो गये। आरोही बहुत मेहनत से पढ़ाई में लगी हुई थी। एक जनन सा सिर पर साबर था विशाल से ज्यादा मार्क लाने का। आरोही और विशाल ने दोनों बड़ी मेहनत से सारे एग्जाम दे दिए।
आरोही को अपने आप पर बड़ा कान्फिडेंस हो रहा था की अबकी बार विशाल से ज्यादा माकं आयेंगें। अब आरोही को सिर्फ रिजल्ट का इंतजार था।
एक बार विशाल ऊपर वाले रूम में लेटा हआ था। आरोही नीचे वाले रूम में कपड़ों पर प्रेस कर रही थी। गत के 10:30 बज चुके थे। तभी आराही को मम्मी के रूम से खुशर-पसर की आवाज आने लगी, और आरोही धीरे से कम से निकलकर मम्मी के रूम के दरवाजे से अंदर झाँकने लगी।
आरोही को विशाल से इस तरह की शरारतें करने में बड़ा मजा आने लगा, और आरोही किसी ना किसी बहाने विशाल को यूं ही सताती रहती थी। अब तो आरोही रात में छुपकर मम्मी पापा की चुदाई भी देखा करती थी की कैसे मम्मी पापा का लण्ड मुँह में लेकर चूसती थी, और कैसे पापा लण्ड को चूत में अंदर-बाहर किया करते थे। आरोही का सेक्स का पूरा ज्ञान हो चुका था। आरोही का ये सब देखना अब अच्छा लगने लगा था, और कभी कभी अपनी चूत भी हाथों से सहला लिया करती थी।
आरोही विशाल की तरफ खींचती जा रही थी, ये जानते हए की विशाल उसका सगा भाई है। मगर फिर भी आरोही विशाल से हर बढ़त चिपकी रहती थी स्क हए आरोही बाइक पर विशाल से ऐसे चिपक कर बैठती थी की विशाल को आरोही के निप्पल चुभा करते थे। अब विशाल को भी आरोही की ये शरारतें अच्छी लगनें लगी थी। मगर विशाल की हिम्मत कभी आरोही को छने की भी नहीं होती थी। मगर विशाल का लण्ड आरोही की इन शरारतों से हर बार तनकर खड़ा हो जाता था। और इसका पूरा मजा आरोही को आता था।
वक्त गुजर रहा था, और दोनों के एग्जाम भी शुरू हो गये। आरोही बहुत मेहनत से पढ़ाई में लगी हुई थी। एक जनन सा सिर पर साबर था विशाल से ज्यादा मार्क लाने का। आरोही और विशाल ने दोनों बड़ी मेहनत से सारे एग्जाम दे दिए।
आरोही को अपने आप पर बड़ा कान्फिडेंस हो रहा था की अबकी बार विशाल से ज्यादा माकं आयेंगें। अब आरोही को सिर्फ रिजल्ट का इंतजार था।
एक बार विशाल ऊपर वाले रूम में लेटा हआ था। आरोही नीचे वाले रूम में कपड़ों पर प्रेस कर रही थी। गत के 10:30 बज चुके थे। तभी आराही को मम्मी के रूम से खुशर-पसर की आवाज आने लगी, और आरोही धीरे से कम से निकलकर मम्मी के रूम के दरवाजे से अंदर झाँकने लगी।