hotaks444
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आकाश को देखते ही धर्मेश और अली उसके पास आ गये...
आकाश- माँ को क्या हुआ धर्मेश...
धर्मेश ने अपनी नज़रे अली की तरफ कर ली...
आकाश- बोल ना साले...क्या हुआ माँ को...
धर्मेश फिर से चुप रहा और अली को देखता रहा....धर्मेश की चुप्पी ने आकाश का गुस्सा बढ़ा दिया और वो धर्मेश की कॉलर पकड़ कर बोला...
आकाश- साले...कब से पूछ रहा हूँ...बोलता क्यो नही...क्या हुआ माँ को....
तभी अली आगे आया और आकाश को पकड़ कर दूर हट गया...
अली- रूको बेटा...सब्र रखो...
आकाश- देखो ना अंकल...मैं कब्से पूछ रहा हूँ और ये...
अली- बस बेटा...शांत रहो...मैं बताता हूँ ना....
आकाश- ह्म्म..कहाँ है माँ..क्या हुआ उन्हे....
अली- देखो बेटा...वो तुम्हारी माँ...वो कल...
आकाश- कल क्या...क्या हुआ था...
अली- बेटा...तुम्हारी माँ इस दुनिया मे नही रही...
आकाश(चिल्ला कर)- न्न् मानणन्नाआआहहिईीईईईईईई.......ये नही हो सकता...ये नही हो सकता...
अली(आकाश को पकड़े हुए)- सम्भालो अपने आप को...बेटा....शांत हो जाओ...बेटा..बेटा...
आकाश अली के हाथो मे बेहोश हो गया...
अली- धर्मेश पानी लाओ...जल्दी...आकाश...आकाश...
आकाश की आवाज़ सुनकर सब लोग घर के बाहर आ गये...धर्मेश ने आकाश के मुँह पर पानी छिड़का...और आकाश के होश मे आते ही..ज़ोर से रोने लगा...
अली आकाश को संभाल रहा था पर आकाश बेसूध सा हो कर रोए जा रहा था....
तभी आज़ाद बोला..
आज़ाद- अब रोता क्यो है...ये सब तेरी वजह से ही हुआ...
अली- बस आज़ाद...चुप रहो...ये इन सब बातों का टाइम नही...
आज़ाद चुप हो गया..और आकाश अपनी माँ के पास अंदर जाने लगा...
आकाश- माँ...मैं आ गया..माँ..मैं..
आकाश अंदर की तरफ जाना चाह रहा था पर अली ने उसे पकड़े रखा..तभी आज़ाद फिर से बोला...
आज़ाद- अब अंदर किस लिए जा रहा है...वो तो बेचारी जल कर खाक हो गई होगी ...
आकाश को फिर से झटका लगा...उसकी माँ का अंतिम संस्कार भी हो गया..और उसे पता भी नही चला...
लेकिन इस बार आकाश रोने के साथ गुस्से मे भी था....
अली- बेटा ..मैं समझता हूँ...
आकाश(बीच मे)- नही अंकल...मुझे माँ के पास जाना है...मैं अपनी माँ से मिलने जा रहा हूँ....
आकाश लड़खड़ाते हुए संभला और शमशान की तरफ जाने लगा...आकाश के पीछे अली और धर्मेश भी चले गये....
शमशान मे रुक्मणी जल कर पाँच तत्वो मे विलीन हो चुकी थी...
चिता मे हल्की-2 आग थी...आकाश अपनी माँ की चिता देखते ही सन्न रह गया...
आकाश चिता के पास गया ...और घुटनो पर बैठ गया...
आकाश- देखो माँ...मैं आ गया...तुम्हारा बदनसीब बेटा....सबसे बुरा बेटा...
अली- नही बेटा..माँ के लिए उसका बेटा कभी बुरा नही होता....
आकाश- देखो ना अंकल...मैं अपनी माँ की अंतिम यात्रा मे भी नही आ सका तो मैं बदनसीब ही हुआ ना....
अली- ऐसा मत बोल बेटा...तुम्हारी माँ की आत्मा को दुख पहुचेगा...
थोड़ी देर तक आकाश रोता-बिलखता रहा और धमेश, अली उसे समझाते रहे...
फिर आकाश संभला और चिता की परिक्रमा करके माँ की चिता की राख उठाई और माथे पर लगा कर फिर से रोने लगा....
आकाश करीब 3-4 घंटे अपनी माँ की चिता के पास बैठा रोता रहा...
फिर वो संभला और उठके अपने मन मे बोला....
आकाश(मन मे)-तेरी कसम ख़ाता हूँ माँ...जिसकी वजह से मेरी माँ नही रही...उसे मैं जान से मार दूँगा...तभी तेरी आत्मा को शान्ती मिलेगी....
और फिर आकाश, आज़ाद के पास पहुचा...
आकाश- पापा...ऐसा क्यो किया आपने....
आज़ाद- तू जा यहाँ से ..मुझे कोई बात नही करनी तुझसे....
आकाश(गुस्से मे )- आपने ऐसा क्यो किया...
आज़ाद- बोला ना...निकल जा यहाँ से...
आकाश(चिल्ला कर)- आपने ऐसा किया क्यू...
आकाश की आवाज़ सुनकर फिर से सब उनके पास आ गये...
आज़ाद- चिल्ला मत...
आकाश- आपने मुझे मेरी माँ के अंतिम दर्शन भी नही करने दिए...क्यो...
आज़ाद- क्योकि तू इस लायक नही है...
आकाश- आप भी मुझे ग़लत मानते है...
आज़ाद- हाँ...मानता हूँ...और इसलिए अब तू मर गया मेरे लिए...चला जा यहाँ से....
आकाश- जा रहा हूँ...और हाँ...कल आपने कसम दी थी ना कि मैं इस घर मे कदम ना रखू...आज मैं कसम ख़ाता हूँ कि आज के बाद मैं इस घर मे कदम नही रखुगा....
आकाश गुस्से मे वहाँ से जाने लगा...अली आमिर और धर्मेश ने उसे रोकने की कोशिश की पर सब बेकार रहा....
आकाश सबसे रिश्ता तोड़कर शहर चला गया......और जाते-जाते धर्मेश को घर का ख्याल रखने का बोल गया.....
आकाश के जाने के बाद भी गाओं वालो ने सरिता का बलात्कार करने के ज़ुर्म मे आकाश को गाओं मे वापिस ना घुसने की सज़ा सुना दी...
अब आज़ाद चाहकर भी आकाश को नही बुला सकता था......
आकाश शहर चला गया...आज़ाद ने भी गुस्से मे उसे नही रोका....आरती, आकृति और अरविंद भी अपने भाई को रोकने नही आए.....
आकाश- माँ को क्या हुआ धर्मेश...
धर्मेश ने अपनी नज़रे अली की तरफ कर ली...
आकाश- बोल ना साले...क्या हुआ माँ को...
धर्मेश फिर से चुप रहा और अली को देखता रहा....धर्मेश की चुप्पी ने आकाश का गुस्सा बढ़ा दिया और वो धर्मेश की कॉलर पकड़ कर बोला...
आकाश- साले...कब से पूछ रहा हूँ...बोलता क्यो नही...क्या हुआ माँ को....
तभी अली आगे आया और आकाश को पकड़ कर दूर हट गया...
अली- रूको बेटा...सब्र रखो...
आकाश- देखो ना अंकल...मैं कब्से पूछ रहा हूँ और ये...
अली- बस बेटा...शांत रहो...मैं बताता हूँ ना....
आकाश- ह्म्म..कहाँ है माँ..क्या हुआ उन्हे....
अली- देखो बेटा...वो तुम्हारी माँ...वो कल...
आकाश- कल क्या...क्या हुआ था...
अली- बेटा...तुम्हारी माँ इस दुनिया मे नही रही...
आकाश(चिल्ला कर)- न्न् मानणन्नाआआहहिईीईईईईईई.......ये नही हो सकता...ये नही हो सकता...
अली(आकाश को पकड़े हुए)- सम्भालो अपने आप को...बेटा....शांत हो जाओ...बेटा..बेटा...
आकाश अली के हाथो मे बेहोश हो गया...
अली- धर्मेश पानी लाओ...जल्दी...आकाश...आकाश...
आकाश की आवाज़ सुनकर सब लोग घर के बाहर आ गये...धर्मेश ने आकाश के मुँह पर पानी छिड़का...और आकाश के होश मे आते ही..ज़ोर से रोने लगा...
अली आकाश को संभाल रहा था पर आकाश बेसूध सा हो कर रोए जा रहा था....
तभी आज़ाद बोला..
आज़ाद- अब रोता क्यो है...ये सब तेरी वजह से ही हुआ...
अली- बस आज़ाद...चुप रहो...ये इन सब बातों का टाइम नही...
आज़ाद चुप हो गया..और आकाश अपनी माँ के पास अंदर जाने लगा...
आकाश- माँ...मैं आ गया..माँ..मैं..
आकाश अंदर की तरफ जाना चाह रहा था पर अली ने उसे पकड़े रखा..तभी आज़ाद फिर से बोला...
आज़ाद- अब अंदर किस लिए जा रहा है...वो तो बेचारी जल कर खाक हो गई होगी ...
आकाश को फिर से झटका लगा...उसकी माँ का अंतिम संस्कार भी हो गया..और उसे पता भी नही चला...
लेकिन इस बार आकाश रोने के साथ गुस्से मे भी था....
अली- बेटा ..मैं समझता हूँ...
आकाश(बीच मे)- नही अंकल...मुझे माँ के पास जाना है...मैं अपनी माँ से मिलने जा रहा हूँ....
आकाश लड़खड़ाते हुए संभला और शमशान की तरफ जाने लगा...आकाश के पीछे अली और धर्मेश भी चले गये....
शमशान मे रुक्मणी जल कर पाँच तत्वो मे विलीन हो चुकी थी...
चिता मे हल्की-2 आग थी...आकाश अपनी माँ की चिता देखते ही सन्न रह गया...
आकाश चिता के पास गया ...और घुटनो पर बैठ गया...
आकाश- देखो माँ...मैं आ गया...तुम्हारा बदनसीब बेटा....सबसे बुरा बेटा...
अली- नही बेटा..माँ के लिए उसका बेटा कभी बुरा नही होता....
आकाश- देखो ना अंकल...मैं अपनी माँ की अंतिम यात्रा मे भी नही आ सका तो मैं बदनसीब ही हुआ ना....
अली- ऐसा मत बोल बेटा...तुम्हारी माँ की आत्मा को दुख पहुचेगा...
थोड़ी देर तक आकाश रोता-बिलखता रहा और धमेश, अली उसे समझाते रहे...
फिर आकाश संभला और चिता की परिक्रमा करके माँ की चिता की राख उठाई और माथे पर लगा कर फिर से रोने लगा....
आकाश करीब 3-4 घंटे अपनी माँ की चिता के पास बैठा रोता रहा...
फिर वो संभला और उठके अपने मन मे बोला....
आकाश(मन मे)-तेरी कसम ख़ाता हूँ माँ...जिसकी वजह से मेरी माँ नही रही...उसे मैं जान से मार दूँगा...तभी तेरी आत्मा को शान्ती मिलेगी....
और फिर आकाश, आज़ाद के पास पहुचा...
आकाश- पापा...ऐसा क्यो किया आपने....
आज़ाद- तू जा यहाँ से ..मुझे कोई बात नही करनी तुझसे....
आकाश(गुस्से मे )- आपने ऐसा क्यो किया...
आज़ाद- बोला ना...निकल जा यहाँ से...
आकाश(चिल्ला कर)- आपने ऐसा किया क्यू...
आकाश की आवाज़ सुनकर फिर से सब उनके पास आ गये...
आज़ाद- चिल्ला मत...
आकाश- आपने मुझे मेरी माँ के अंतिम दर्शन भी नही करने दिए...क्यो...
आज़ाद- क्योकि तू इस लायक नही है...
आकाश- आप भी मुझे ग़लत मानते है...
आज़ाद- हाँ...मानता हूँ...और इसलिए अब तू मर गया मेरे लिए...चला जा यहाँ से....
आकाश- जा रहा हूँ...और हाँ...कल आपने कसम दी थी ना कि मैं इस घर मे कदम ना रखू...आज मैं कसम ख़ाता हूँ कि आज के बाद मैं इस घर मे कदम नही रखुगा....
आकाश गुस्से मे वहाँ से जाने लगा...अली आमिर और धर्मेश ने उसे रोकने की कोशिश की पर सब बेकार रहा....
आकाश सबसे रिश्ता तोड़कर शहर चला गया......और जाते-जाते धर्मेश को घर का ख्याल रखने का बोल गया.....
आकाश के जाने के बाद भी गाओं वालो ने सरिता का बलात्कार करने के ज़ुर्म मे आकाश को गाओं मे वापिस ना घुसने की सज़ा सुना दी...
अब आज़ाद चाहकर भी आकाश को नही बुला सकता था......
आकाश शहर चला गया...आज़ाद ने भी गुस्से मे उसे नही रोका....आरती, आकृति और अरविंद भी अपने भाई को रोकने नही आए.....