hotaks444
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थोड़ी देर बाज़ सुजाता और आकाश , प्रॉपर्टीस की फाइल्स पढ़ रहे थे.....
सुजाता(फाइल्स पटक कर)- ये क्या बकवास है...सारी प्रॉपर्टी अंकित के नाम...और उसे कुछ हुआ तो सारी की सारी अलका चेरिटी ट्रस्ट के नाम...क्या बकवास है....
आकाश- हाँ...अजीब है ना..
सुजाता- पर तुमने तो पेपर पर साइन लिए थे....उसका क्या हुआ....
अक्ष- लिए तो थे..मुझे भी समझ नही आ रहा....शायद अकाउंटटेंट ने गड़बड़ की हो...या फिर अंकित ने....
सुजाता- ज़रा उस अक्कौंटेंट को बुलाओ तो..और पूछो उससे...क्या है ये सब...
अक्कौंटेंट आया और उसने बताया कि ये सब अंकित सर के कहने पर किया था.....
अंकित का नाम सुन कर सुजाता का पारा चढ़ गया ..पर अक्कौंटेंट के सामने चुप रही....और उसके जाते ही भड़क उठी.......
सुजाता- तुमसे एक काम ठीक से नही होता...किसी काम के नही तुम...
आकाश- मेरी क्या ग़लती...मैने तो साइन ले लिए थे....पता नही ये अंकित ने कैसे....बड़ा दिमाग़ चला गया लड़का....
सुजाता- ह्म्म...पर अब मेरी बारी...मैं इतनी आसानी से ये सब हाथ से नही जाने दूगी.....
आकाश- तो अब तुम क्या करोगी..हाँ...
सुजाता- कुछ खास नही...अंकित की कमज़ोरी का फ़ायदा उठाकर सब अपने मन का करवाउन्गी....
आकाश- पर कैसे...वो बहुत तेज दिमाग़ वाला है...आसानी से नही मानेगा...
सुजाता(मन मे)- बड़े से बड़े दिमाग़...औरत के सामने मंद पड़ जाते है...फिर ये तो बच्चा है...हहहे....
और सुजाता कुटिल मुस्कान बिखेरने लगी...जो आकाश की समझ मे नही आया.....
-----------------------------------------------
रिचा के घर.........
रिचा की दमदार चुदाई कर के हम फिर से बाहर वाले रूम मे बैठ गये...
रिचा की गान्ड इस कदर घायल थी कि वो ठीक से बैठ भी नही पा रही थी....
मैं- तो अब...अब खेलते है रियल गेम....ओके
रिचा- हाँ...खेलो...पर है क्या....???
मैं- ह्म्म..गेसिंग दा ट्रूथ...
रिचा- ये क्या है...मैने तो नही सुना...
मैं- हो सकता है...वैसे भी हर चीज़ कभी ना कभी 1स्ट टाइम होती है...तो आज ये 1स्ट टाइम खेल लो...फिर समझ जाओगी...ओके..
रिचा- ओके..तो सुरू करे...और ये बताओ कि करना क्या है...
मैं- बढ़ा सिंपल है...मैं एक कार्ड दिखाउन्गा...तुम्हे उसका ट्रूथ बताना है..कि वो क्या है...ओके...
रिचा- ओके...इसमे कोई बड़ी बात नही...सुरू करो...
मैं(कॉफी ख़त्म कर के)- ह्म्म...तो फिर सुरू करते है...ट्रूथ ऑर लाइ...
फिर मैने कार्ड को फेंटा और उसमे से बेगम के कार्ड्स को अलग किया और टेबल पर रख दिए....
मैं- तो बोलो...ये क्या है ...??
रिचा- ये...ये तो बेगम है...
मैं- ह्म्म..4 बेगम....
रिचा- हाँ..4 बेगम...पर इसमे क्या...
मैं- रूको तो ...सब समझ जाओगी....
रिचा- ओके...
फिर मैने 2 गुलाल...और 1 बादशाह भी टेबल पर रख दिए....
मैं- अब बोलो.....
रिचा- इसमे क्या बोलना...2 गुलाम और 1 बादशाह....इसमे गेम क्या है...ये तो बकवास है...अगर क्लोज़ करके पूछते तो गेम होता...तुम तो ओपन करके पूछ रहे हो...इसमे क्या मज़ा....
मैं- गुड....बस थोड़ा और...फिर गेम का मतलब भी समझ जाओगी और मज़ा भी आएगा...
फिर मैने 1 दुक्की रख दी...और एक जोकर...जोकर के नीचे एक पत्ता छिपा कर रख दिया....
मैं- ह्म्म...तो अब गेम सुरू होता है...ये तुम्हे अब इंटरेस्टिंग लगेगा...
रिचा(झुक कर कार्ड्स देखते हुए)- ह्म्म..तो अब करना क्या है...ये एक दुक्की रख दी और एक जोकर....मैं कुछ समझ नही पा रही...
मैं- रूको तो...सब समझ जाओगी...ये गेम तुम्हारी जिंदगी का सबसे इम्पोर्टेंट गेम होने वाला है.....
रिचा मुझे देखने लगी...और मैने एक शरारती मुस्कान बिखेर दी...जिसे देख कर रिचा बोली कुछ नही...पर मेरे बोलने का इंतज़ार करने लगी...
मैं- 4 बेगम....कामिनी, दामिनी, रजनी और रिचा....
अब रिचा का माथा ठनका....उसके चेहरे का रंग बदलने लगा...पर वो अपने आपको काबू करते हुए बोली...
रिचा- हम सहेलियाँ...बेगम...गुड...
मैं- हाँ जी....कामिनी ईंट की , रजनी पान की...दामिनी हुकुम की और तुम चिड़ी की...ठीक है...
रिचा- ओके...
मैं- अब ये 2 गुलाम...हुकुम का और चिड़ी का....
रिचा- इसका क्या...
मैं- हुकुम का छोड़ो...ये चिड़ी की बेगम का गुलाम है...क्या था...हाँ...रफ़्तार सिंग....सही है ना...
रिचा(सकपका कर)- र्ररर...रफ़्तार सिंग...इसका क्या मतलब...??
मैं- सब समझाउन्गा...थोड़ा रूको तो...अब किसकी बारी...तुम बोलो..अब कौन आएगा...
रिचा(हैरानी और डर से)- म्म..मुझे क्या पता...तुम ही बोलो....
मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...और ये आया बादशाह...जो इन बेगमो को कंट्रोल करता है....क्या था वो...हाँ...सरफ़राज़.....ठीक कहा था....
सटफ़राज़ का नाम सुनते ही रिचा की फट गई...उसे समझ आ गया कि मैं क्या बोल रहा हूँ...अब उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था....पर अब भी वो बुत बनी मेरे बोलने का इंतजार करने लगी....
मैं- तो अब...बोलो भी...
रिचा- मैं क्या बोलू...मुझे कुछ समझ नही आ रहा...
मैं- लगता है कि नज़र कमजोर है तुम्हारी....देखो...ये बादशाह भी चिड़ी का है .....और तुम चिड़ी की बेगम...मतलब तुम सब जानती हो उस बादशाह के बारे मे...मतलब सरफ़राज़ के बारे मे....अब बोलो...
मेरी आवाज़ मे कठोरता थी..जिससे रिचा और भी सहम गई...फिर भी एक अच्छे खिलाड़ी की तरह बोली....
रिचा- तुम ये क्या बकवास कर रहे हो..मुझे कुछ समझ नही आ रहा...कैसा बादशाह...कैसा गुलाम...और कैसी बेगम...
मैं- रुक जाओ...ये देखो...ये है जोकर...जो इन बादशाह , बेगम और गुलाम की नज़रों मे बेवकूफ़ है...है ना...ये जोकर मैं हूँ...ओके...
रिचा- ये तुम क्या बके जा रहे हो...तुम और जोकर...क्या है ये....
मैं- वो भी समझ आ जायगा...पहले इस दुक्की को तो समझ लो...ये है चिड़ी की दुक्की...जो चिड़ी की बेगम के करीब है...है ना...
रिचा- मतलब...??
मैं- मतलब ये कि दुक्की बड़े कमाल की चीज़ है...सबका गेम करवा देगी...ये दुक्की है...ह्म्म्म..क्या थी...हाँ....रिया...
मैने दुक्की को आगे खिसका कर बोला...और रिया का नाम आते ही रिचा की पूरी तरह से फट गई....
अब वो कुछ कहने के लायक नही थी..बस मुझे देखते हुए उसका चेहरा उतरता जा रहा था.....
सुजाता(फाइल्स पटक कर)- ये क्या बकवास है...सारी प्रॉपर्टी अंकित के नाम...और उसे कुछ हुआ तो सारी की सारी अलका चेरिटी ट्रस्ट के नाम...क्या बकवास है....
आकाश- हाँ...अजीब है ना..
सुजाता- पर तुमने तो पेपर पर साइन लिए थे....उसका क्या हुआ....
अक्ष- लिए तो थे..मुझे भी समझ नही आ रहा....शायद अकाउंटटेंट ने गड़बड़ की हो...या फिर अंकित ने....
सुजाता- ज़रा उस अक्कौंटेंट को बुलाओ तो..और पूछो उससे...क्या है ये सब...
अक्कौंटेंट आया और उसने बताया कि ये सब अंकित सर के कहने पर किया था.....
अंकित का नाम सुन कर सुजाता का पारा चढ़ गया ..पर अक्कौंटेंट के सामने चुप रही....और उसके जाते ही भड़क उठी.......
सुजाता- तुमसे एक काम ठीक से नही होता...किसी काम के नही तुम...
आकाश- मेरी क्या ग़लती...मैने तो साइन ले लिए थे....पता नही ये अंकित ने कैसे....बड़ा दिमाग़ चला गया लड़का....
सुजाता- ह्म्म...पर अब मेरी बारी...मैं इतनी आसानी से ये सब हाथ से नही जाने दूगी.....
आकाश- तो अब तुम क्या करोगी..हाँ...
सुजाता- कुछ खास नही...अंकित की कमज़ोरी का फ़ायदा उठाकर सब अपने मन का करवाउन्गी....
आकाश- पर कैसे...वो बहुत तेज दिमाग़ वाला है...आसानी से नही मानेगा...
सुजाता(मन मे)- बड़े से बड़े दिमाग़...औरत के सामने मंद पड़ जाते है...फिर ये तो बच्चा है...हहहे....
और सुजाता कुटिल मुस्कान बिखेरने लगी...जो आकाश की समझ मे नही आया.....
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रिचा के घर.........
रिचा की दमदार चुदाई कर के हम फिर से बाहर वाले रूम मे बैठ गये...
रिचा की गान्ड इस कदर घायल थी कि वो ठीक से बैठ भी नही पा रही थी....
मैं- तो अब...अब खेलते है रियल गेम....ओके
रिचा- हाँ...खेलो...पर है क्या....???
मैं- ह्म्म..गेसिंग दा ट्रूथ...
रिचा- ये क्या है...मैने तो नही सुना...
मैं- हो सकता है...वैसे भी हर चीज़ कभी ना कभी 1स्ट टाइम होती है...तो आज ये 1स्ट टाइम खेल लो...फिर समझ जाओगी...ओके..
रिचा- ओके..तो सुरू करे...और ये बताओ कि करना क्या है...
मैं- बढ़ा सिंपल है...मैं एक कार्ड दिखाउन्गा...तुम्हे उसका ट्रूथ बताना है..कि वो क्या है...ओके...
रिचा- ओके...इसमे कोई बड़ी बात नही...सुरू करो...
मैं(कॉफी ख़त्म कर के)- ह्म्म...तो फिर सुरू करते है...ट्रूथ ऑर लाइ...
फिर मैने कार्ड को फेंटा और उसमे से बेगम के कार्ड्स को अलग किया और टेबल पर रख दिए....
मैं- तो बोलो...ये क्या है ...??
रिचा- ये...ये तो बेगम है...
मैं- ह्म्म..4 बेगम....
रिचा- हाँ..4 बेगम...पर इसमे क्या...
मैं- रूको तो ...सब समझ जाओगी....
रिचा- ओके...
फिर मैने 2 गुलाल...और 1 बादशाह भी टेबल पर रख दिए....
मैं- अब बोलो.....
रिचा- इसमे क्या बोलना...2 गुलाम और 1 बादशाह....इसमे गेम क्या है...ये तो बकवास है...अगर क्लोज़ करके पूछते तो गेम होता...तुम तो ओपन करके पूछ रहे हो...इसमे क्या मज़ा....
मैं- गुड....बस थोड़ा और...फिर गेम का मतलब भी समझ जाओगी और मज़ा भी आएगा...
फिर मैने 1 दुक्की रख दी...और एक जोकर...जोकर के नीचे एक पत्ता छिपा कर रख दिया....
मैं- ह्म्म...तो अब गेम सुरू होता है...ये तुम्हे अब इंटरेस्टिंग लगेगा...
रिचा(झुक कर कार्ड्स देखते हुए)- ह्म्म..तो अब करना क्या है...ये एक दुक्की रख दी और एक जोकर....मैं कुछ समझ नही पा रही...
मैं- रूको तो...सब समझ जाओगी...ये गेम तुम्हारी जिंदगी का सबसे इम्पोर्टेंट गेम होने वाला है.....
रिचा मुझे देखने लगी...और मैने एक शरारती मुस्कान बिखेर दी...जिसे देख कर रिचा बोली कुछ नही...पर मेरे बोलने का इंतज़ार करने लगी...
मैं- 4 बेगम....कामिनी, दामिनी, रजनी और रिचा....
अब रिचा का माथा ठनका....उसके चेहरे का रंग बदलने लगा...पर वो अपने आपको काबू करते हुए बोली...
रिचा- हम सहेलियाँ...बेगम...गुड...
मैं- हाँ जी....कामिनी ईंट की , रजनी पान की...दामिनी हुकुम की और तुम चिड़ी की...ठीक है...
रिचा- ओके...
मैं- अब ये 2 गुलाम...हुकुम का और चिड़ी का....
रिचा- इसका क्या...
मैं- हुकुम का छोड़ो...ये चिड़ी की बेगम का गुलाम है...क्या था...हाँ...रफ़्तार सिंग....सही है ना...
रिचा(सकपका कर)- र्ररर...रफ़्तार सिंग...इसका क्या मतलब...??
मैं- सब समझाउन्गा...थोड़ा रूको तो...अब किसकी बारी...तुम बोलो..अब कौन आएगा...
रिचा(हैरानी और डर से)- म्म..मुझे क्या पता...तुम ही बोलो....
मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...और ये आया बादशाह...जो इन बेगमो को कंट्रोल करता है....क्या था वो...हाँ...सरफ़राज़.....ठीक कहा था....
सटफ़राज़ का नाम सुनते ही रिचा की फट गई...उसे समझ आ गया कि मैं क्या बोल रहा हूँ...अब उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था....पर अब भी वो बुत बनी मेरे बोलने का इंतजार करने लगी....
मैं- तो अब...बोलो भी...
रिचा- मैं क्या बोलू...मुझे कुछ समझ नही आ रहा...
मैं- लगता है कि नज़र कमजोर है तुम्हारी....देखो...ये बादशाह भी चिड़ी का है .....और तुम चिड़ी की बेगम...मतलब तुम सब जानती हो उस बादशाह के बारे मे...मतलब सरफ़राज़ के बारे मे....अब बोलो...
मेरी आवाज़ मे कठोरता थी..जिससे रिचा और भी सहम गई...फिर भी एक अच्छे खिलाड़ी की तरह बोली....
रिचा- तुम ये क्या बकवास कर रहे हो..मुझे कुछ समझ नही आ रहा...कैसा बादशाह...कैसा गुलाम...और कैसी बेगम...
मैं- रुक जाओ...ये देखो...ये है जोकर...जो इन बादशाह , बेगम और गुलाम की नज़रों मे बेवकूफ़ है...है ना...ये जोकर मैं हूँ...ओके...
रिचा- ये तुम क्या बके जा रहे हो...तुम और जोकर...क्या है ये....
मैं- वो भी समझ आ जायगा...पहले इस दुक्की को तो समझ लो...ये है चिड़ी की दुक्की...जो चिड़ी की बेगम के करीब है...है ना...
रिचा- मतलब...??
मैं- मतलब ये कि दुक्की बड़े कमाल की चीज़ है...सबका गेम करवा देगी...ये दुक्की है...ह्म्म्म..क्या थी...हाँ....रिया...
मैने दुक्की को आगे खिसका कर बोला...और रिया का नाम आते ही रिचा की पूरी तरह से फट गई....
अब वो कुछ कहने के लायक नही थी..बस मुझे देखते हुए उसका चेहरा उतरता जा रहा था.....