hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मैं घर पहुँचा तो ना ही डॅड घर पर थे और ना ही सुजाता....फिर मैं पारूल के रूम मे चला गया...और साथ खाना खा कर पूरा दिन उसी के साथ रहा....
शाम होते ही मेरा मोबाइल बज उठा...ये शीला का फ़ोन था....
( कॉल पर )
मैं- हेलो जी...क्या हाल है...
शीला- हम तो बढ़िया है...लगता है आप ठीक नही...
मैं- मुझे क्या होना है..हम भी मस्त है...
शीला- तो क्लब क्यो नही आते...
मैं- ह्म्म..बस थोड़ा बिज़ी था...वैसे हमे ये जान कर खुशी हुई कि आपको हमारी कमी खलती है...
शीला- नही..ऐसा कुछ नही...वो तो मैं बस...नही आना है तो मत आओ...मुझे क्या...
मैं- अगर आपको कुछ नही पता तो आप डेली फ़ोन नही करती ...समझी शीला जी...
शीला(इतराते हुए)- ऐसा कुछ नही...वैसे भी आप हमारे है कौन...ह्म्म...
मैं- ये तो पता नही..पर कौन जानता है...क्या पता हम जल्दी ही आपके कुछ हो जाए....है कि नही...
शीला(मुस्कुरा कर)- बस...आप बातें ही करते रहो....कहाँ से सीखा इतनी अच्छी बाते करना...
मैं- अजी हम तो बस बोल देते है...अच्छी तो अपने आप लग जाती है...
शीला- वाह...क्या डायलॉग है...अच्छा सुनो...आज आओगे ना...
मैं- आप इतने प्यार से बुलयगी तो हम कैसे नही आएँगे....पर ..
शीला- पर...क्या पर ..
मैं- आने से हमे कुछ मिलेगा क्या....
शीला- मतलब...मिलना क्या है..मैं मिलूगी ना...
मैं- ओह..तो आप मुझे मिल जाएगी...वाउ...
शीला- अरे..अरे...मतलब मुलाक़ात होगी...कुछ और मत समझना...ओके...
मैं- हाँ..मैं वही कह रहा था....आपने क्या समझा...हां..
शीला(मुस्कुरा कर)- आप भी ना...कुछ नही...आइए...हम आपका वेट करेंगे...
मैं- ह्म्म..सी यू सून...बाइ...
शीला- ओके..बाइ...
जैसे ही मैने कॉल कट की तो पारूल मेरे कंधे पर चढ़ कर बोली...
पारूल- क्या भैया...किससे मिलने जा रहे हो....कोई खास है क्या...
मैं- नही रे पगली...कोई खास नही...पर है खास काम की...बस हाथ मे आ जाए...फिर मौजा ही मौजा...
पारूल- आपने सोच लिया तो जाएगी कहाँ..आ ही जाएगी...आप हो ही इतने ग्रेट...
मैं- बस...इतनी तारीफ मत कर...मैं शरमा जाउन्गा...
पारूल- हहहे...आप भी ना...
मैं- ओके..अब तू रेस्ट कर..मैं इसे निपटा कर आता हूँ...ओके...विश मे गुड लक..फास्ट...
फिर पारूल ने मुझे गाल पर किस कर के गुड लक बोला और मैं उसका माथा चूम कर वहाँ से निकल गया...
फिर मैं सही टाइम पर रेडी हो कर क्लब पहुँच गया...जहा शीला मेरा ही वेट कर रही थी...
आज भी शीला को देख कर बदन मे हलचल मच गई...आज उसने डीप नॅक और स्लीवलेशस गाउन पहना हुआ था...जिसमे उसकी बॉडी कयामत दिख रही थी....
शीला- हाई हॅंडसम.....
मैं- हॅंडसम...ह्म्म...पर तुम्हारे सामने सब फीके है ...
शीला- अपना -अपना नज़रिया है...मेरी नज़र मे तुम कमाल हो...
मैं- ओके...और...मेरी नज़र मे तुम सबसे ज़्यादा हसीन हो...सच मे..
और मैने शीला का हाथ पकड़ कर उसे किस कर दिया...
शीला ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखो से मुझे देखा और मुस्कुरा दी...
फिर हम दोनो ने वाइन के कुछ पेग मारे और तभी क्लब मे डॅन्स सुरू हो गया....
मैं- हे ब्यूटिफुल...मेरे साथ डॅन्स करना चाहोगी...
शीला(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...
और फिर हम डॅन्स करने लगे....
करीब 4 घंटे बाद मैं घर बापिस आया...घर पर सब आ चुके थे..और डिन्नर कर के अपने रूम्स मे रेस्ट कर रहे थे...
मैं भी अपने रूम मे आया और रूम मे लगी दोस्तो की फोटो मे अकरम.को देख कर सोच मे पड़ गया...
मैं(मन मे)- अकरम...क्या हाल होगा उसका....क्या सोच रहा होगा वो....उसे मैने सब बता दिया...क्या वो भी इसी बात को सच मान कर बैठ जायगा कि उसकी फॅमिली को मेरे दादाजी ने ख़त्म किया...या फिर वो सच जानने मे मेरा साथ देगा.....?????
लेकिन अगर ये सब ही सच हुआ तो..क्या अकरम की दोस्ती मेरे साथ रहेगी...या फिर दुस्मनि की आग मे ये दोस्ती की डोर भी जल कर रख हो जाएगी.....?????
कहते है कि दोस्ती दिल से होती है..और दोस्तो का दिल साथ जुड़ा होता है....
यहाँ मैं अकरम के बारे मे सोच रहा था और वहाँ अकरम मेरे बारे मे सोचता बैठा था....
अकरम(मन मे)- ये क्या किया अंकित....मुझे ये सब क्यो बताया....अब मैं क्या करूँ....अगर तेरी बात सच निकली तो...तो मेरी दोस्ती पर आँच आ सकती है....पर मैं जानता हूँ...तू सही का साथ देगा...ग़लत का नही....
इसलिए मैं भी सच जानने मे तेरा साथ दूँगा...और सच चाहे जो भी हो...मैं तुझे शर्मिंदा नही होने दूँगा...
मैं जानता हूँ अंकित..की तेरा दिल सॉफ है...इसलिए तूने मुझे सब बता दिया...बिना ये परवाह किए कि मुझे गुस्सा भी आ सकता है...
अंकित....सच जो भी निकले...पर एक बात दावे के साथ कह सकता हूँ...तू अकरम ख़ान की दोस्ती हमेशा याद रखेगा...हमेशा....
दोनो ही दोस्तो के दिल मे अजीब सी कस्मकस चल रही थी....
देखना ये है कि पुरानी दुश्मनी दोस्ती पर भारी पड़ती है...या हमारी दोस्ती एक नई मिसाल कायम करती है....कौन जीतेगा....
दुश्मनी या दोस्ती......??????????????
शाम होते ही मेरा मोबाइल बज उठा...ये शीला का फ़ोन था....
( कॉल पर )
मैं- हेलो जी...क्या हाल है...
शीला- हम तो बढ़िया है...लगता है आप ठीक नही...
मैं- मुझे क्या होना है..हम भी मस्त है...
शीला- तो क्लब क्यो नही आते...
मैं- ह्म्म..बस थोड़ा बिज़ी था...वैसे हमे ये जान कर खुशी हुई कि आपको हमारी कमी खलती है...
शीला- नही..ऐसा कुछ नही...वो तो मैं बस...नही आना है तो मत आओ...मुझे क्या...
मैं- अगर आपको कुछ नही पता तो आप डेली फ़ोन नही करती ...समझी शीला जी...
शीला(इतराते हुए)- ऐसा कुछ नही...वैसे भी आप हमारे है कौन...ह्म्म...
मैं- ये तो पता नही..पर कौन जानता है...क्या पता हम जल्दी ही आपके कुछ हो जाए....है कि नही...
शीला(मुस्कुरा कर)- बस...आप बातें ही करते रहो....कहाँ से सीखा इतनी अच्छी बाते करना...
मैं- अजी हम तो बस बोल देते है...अच्छी तो अपने आप लग जाती है...
शीला- वाह...क्या डायलॉग है...अच्छा सुनो...आज आओगे ना...
मैं- आप इतने प्यार से बुलयगी तो हम कैसे नही आएँगे....पर ..
शीला- पर...क्या पर ..
मैं- आने से हमे कुछ मिलेगा क्या....
शीला- मतलब...मिलना क्या है..मैं मिलूगी ना...
मैं- ओह..तो आप मुझे मिल जाएगी...वाउ...
शीला- अरे..अरे...मतलब मुलाक़ात होगी...कुछ और मत समझना...ओके...
मैं- हाँ..मैं वही कह रहा था....आपने क्या समझा...हां..
शीला(मुस्कुरा कर)- आप भी ना...कुछ नही...आइए...हम आपका वेट करेंगे...
मैं- ह्म्म..सी यू सून...बाइ...
शीला- ओके..बाइ...
जैसे ही मैने कॉल कट की तो पारूल मेरे कंधे पर चढ़ कर बोली...
पारूल- क्या भैया...किससे मिलने जा रहे हो....कोई खास है क्या...
मैं- नही रे पगली...कोई खास नही...पर है खास काम की...बस हाथ मे आ जाए...फिर मौजा ही मौजा...
पारूल- आपने सोच लिया तो जाएगी कहाँ..आ ही जाएगी...आप हो ही इतने ग्रेट...
मैं- बस...इतनी तारीफ मत कर...मैं शरमा जाउन्गा...
पारूल- हहहे...आप भी ना...
मैं- ओके..अब तू रेस्ट कर..मैं इसे निपटा कर आता हूँ...ओके...विश मे गुड लक..फास्ट...
फिर पारूल ने मुझे गाल पर किस कर के गुड लक बोला और मैं उसका माथा चूम कर वहाँ से निकल गया...
फिर मैं सही टाइम पर रेडी हो कर क्लब पहुँच गया...जहा शीला मेरा ही वेट कर रही थी...
आज भी शीला को देख कर बदन मे हलचल मच गई...आज उसने डीप नॅक और स्लीवलेशस गाउन पहना हुआ था...जिसमे उसकी बॉडी कयामत दिख रही थी....
शीला- हाई हॅंडसम.....
मैं- हॅंडसम...ह्म्म...पर तुम्हारे सामने सब फीके है ...
शीला- अपना -अपना नज़रिया है...मेरी नज़र मे तुम कमाल हो...
मैं- ओके...और...मेरी नज़र मे तुम सबसे ज़्यादा हसीन हो...सच मे..
और मैने शीला का हाथ पकड़ कर उसे किस कर दिया...
शीला ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखो से मुझे देखा और मुस्कुरा दी...
फिर हम दोनो ने वाइन के कुछ पेग मारे और तभी क्लब मे डॅन्स सुरू हो गया....
मैं- हे ब्यूटिफुल...मेरे साथ डॅन्स करना चाहोगी...
शीला(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...
और फिर हम डॅन्स करने लगे....
करीब 4 घंटे बाद मैं घर बापिस आया...घर पर सब आ चुके थे..और डिन्नर कर के अपने रूम्स मे रेस्ट कर रहे थे...
मैं भी अपने रूम मे आया और रूम मे लगी दोस्तो की फोटो मे अकरम.को देख कर सोच मे पड़ गया...
मैं(मन मे)- अकरम...क्या हाल होगा उसका....क्या सोच रहा होगा वो....उसे मैने सब बता दिया...क्या वो भी इसी बात को सच मान कर बैठ जायगा कि उसकी फॅमिली को मेरे दादाजी ने ख़त्म किया...या फिर वो सच जानने मे मेरा साथ देगा.....?????
लेकिन अगर ये सब ही सच हुआ तो..क्या अकरम की दोस्ती मेरे साथ रहेगी...या फिर दुस्मनि की आग मे ये दोस्ती की डोर भी जल कर रख हो जाएगी.....?????
कहते है कि दोस्ती दिल से होती है..और दोस्तो का दिल साथ जुड़ा होता है....
यहाँ मैं अकरम के बारे मे सोच रहा था और वहाँ अकरम मेरे बारे मे सोचता बैठा था....
अकरम(मन मे)- ये क्या किया अंकित....मुझे ये सब क्यो बताया....अब मैं क्या करूँ....अगर तेरी बात सच निकली तो...तो मेरी दोस्ती पर आँच आ सकती है....पर मैं जानता हूँ...तू सही का साथ देगा...ग़लत का नही....
इसलिए मैं भी सच जानने मे तेरा साथ दूँगा...और सच चाहे जो भी हो...मैं तुझे शर्मिंदा नही होने दूँगा...
मैं जानता हूँ अंकित..की तेरा दिल सॉफ है...इसलिए तूने मुझे सब बता दिया...बिना ये परवाह किए कि मुझे गुस्सा भी आ सकता है...
अंकित....सच जो भी निकले...पर एक बात दावे के साथ कह सकता हूँ...तू अकरम ख़ान की दोस्ती हमेशा याद रखेगा...हमेशा....
दोनो ही दोस्तो के दिल मे अजीब सी कस्मकस चल रही थी....
देखना ये है कि पुरानी दुश्मनी दोस्ती पर भारी पड़ती है...या हमारी दोस्ती एक नई मिसाल कायम करती है....कौन जीतेगा....
दुश्मनी या दोस्ती......??????????????