hotaks444
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कार चलाते हुए मैं संजू के बारे मे ही सोच रहा था....कि आख़िर संजू ने ऐसा क्यो किया...मुझसे क्यो छिपाया...क्यो....
तभी मेरा फ़ोन बज उठा...ये कॉल मेरी रेणु दी का था.....
( कॉल पर )
मैं- हाई डार्लिंग...
रेणु- तुम ठीक हो ना...
मैं- तुम इतनी घबराई क्यो हो...हाँ..मैं ठीक हूँ...मुझे क्या हुआ ...
रेणु- ओह ..थॅंक गॉड...मेरी तो जान ही निकल गई थी...
मैं- जान...क्या कह रही हो...हुआ क्या...
रेणु(मन मे)- क्या बोलू...मुझे पता चला था कि तुम पर अटॅक हुआ है...
मैं- हेलो...क्या हुआ....
रेणु- क्क़...कुछ नही...वो ..मुझे पता चला कि तुम्हारा आक्सिडेंट हुआ था...
मैं- ओह..आक्सिडेंट...अरे वो तो डॅड की कार का हुआ था...मेरा नही...
रेणु(ज़ोर से)- क्या...मतलब मामा...
मैं(बीच मे)- कुछ भी सोचने से पहले पूरी बात सुनो...डॅड बिल्कुल ठीक है...उन्हे कुछ नही हुआ...ओके..
रेणु- ह्म्म...तो आक्सिडेंट...आख़िर हुआ क्या...
मैं- बताता हूँ...
फिर मैने रेणु को सब कुछ बता दिया....जिसे सुन कर रेणु को जूही के लिए दुख भी हुआ...पर वो खुश थी कि मैं और डॅड ठीक है..
मैं- अच्छा अब ये बताओ कि मिलने कब आ रही हो...
रेणु- बहुत जल्दी ....इस बार आओगी ना तो फिर तुम दुवारा मुझे बुला नही पाओगे...
मैं- अच्छा...वो क्यो...
रेणु- क्योकि...क्योकि मैं वापिस ही नही आउगि..ओके...
मैं- ह्म...ये सही है...
रेणु- अच्छा ये बता कि आज अनाथालय गया था कि नही....
अनाथालय का नाम सुनते ही मैने फुल ब्रेक मारा और कार थम्म से रुक गई...ब्रेक इतना तेज था कि टायर के रगड़ने की आवाज़ रेणु के कानो मे भी जा पहुँची थी....
रेणु- क्या हुआ...
मैं- कुछ नही....मैं..मैं बाद मे बात करता हूँ ..बाइ...
और मैने बिना कुछ कहे फ़ोन कट की और निकल गया एक लंबे सफ़र पर....
सहर से 10 किमी दूर एक छोटी सी बस्ती बसी हुई थी....जिसमे एक छोटा सा अनाथालय भी था.....""एंजल'स""
एंजल्ज़ सिर्फ़ अनाथ लड़कियों के लिए था...
जैसे ही मैं एंजल्ज़ के अंदर पहुँचा तो वहाँ की हेड में ने मुझे देखते ही गले लगा लिया...
में- ओह अंकित...कैसे हो बेटे....मुझे पता था कि तुम ज़रूर आओगे...मुझे सुबह से तुम्हारा इंतज़ार था....
मैं- ठीक हूँ में...आप कैसी हो ...और यहाँ सब कैसा है...
में- सब ठीक है बेटा...अब तू पहले उससे मिल ले...फिर बात करेंगे.....
फिर मैं एक रूम मे गया और अपने साथ लाया हुआ फूलो का गुलदस्ता सामने रखा और कुछ देर रुक कर वापिस आ गया ...और में से कुछ देर बात करने के बाद मैने उन्हे एक चेक दिया...
मेम- 2 लख्स...इतना क्यो बेटा...
मैं- रखिए मेम....और हाँ...कोई भी ज़रूरत हो...अपने बेटे को याद करना..ओके...
मेम- ह्म्म..गॉड ब्लेस्स यू...
और फिर मैं में की ब्लेस्सिंग ले कर अपने घर आ गया........
जैसे ही मैं घर मे एंटर हुआ तो मेरे सामने डॅड और सुजाता बैठे हुए थे....दोनो शायद मेरे बारे ही बात कर रहे थे....इसलिए मुझे देखते ही दोनो चुप हो गये.....
सुजाता- अर्रे...आ गये बेटा...आओ बैठो....
आकाश- अंकित...जूही अब कैसी है...और उसके घरवाले ....उन्होने क्या कहा...
मैं- कुछ नही डॅड...सब ठीक है....
सुजाता- ह्म्म...आओ ना बेटा...थोड़ा मेरे साथ भी बैठ लो....
मैं- मुझे नीद आ रही है...
और मैं सीधा जा कर अपने रूम मे लेट गया...और लेट कर अपने अतीत को याद करने लगा.....
अपनी यादो मे खोया हुआ मैं कब नीद की आगोश मे चला गया....ये मुझे पता ही नही चला....
तभी मेरा फ़ोन बज उठा...ये कॉल मेरी रेणु दी का था.....
( कॉल पर )
मैं- हाई डार्लिंग...
रेणु- तुम ठीक हो ना...
मैं- तुम इतनी घबराई क्यो हो...हाँ..मैं ठीक हूँ...मुझे क्या हुआ ...
रेणु- ओह ..थॅंक गॉड...मेरी तो जान ही निकल गई थी...
मैं- जान...क्या कह रही हो...हुआ क्या...
रेणु(मन मे)- क्या बोलू...मुझे पता चला था कि तुम पर अटॅक हुआ है...
मैं- हेलो...क्या हुआ....
रेणु- क्क़...कुछ नही...वो ..मुझे पता चला कि तुम्हारा आक्सिडेंट हुआ था...
मैं- ओह..आक्सिडेंट...अरे वो तो डॅड की कार का हुआ था...मेरा नही...
रेणु(ज़ोर से)- क्या...मतलब मामा...
मैं(बीच मे)- कुछ भी सोचने से पहले पूरी बात सुनो...डॅड बिल्कुल ठीक है...उन्हे कुछ नही हुआ...ओके..
रेणु- ह्म्म...तो आक्सिडेंट...आख़िर हुआ क्या...
मैं- बताता हूँ...
फिर मैने रेणु को सब कुछ बता दिया....जिसे सुन कर रेणु को जूही के लिए दुख भी हुआ...पर वो खुश थी कि मैं और डॅड ठीक है..
मैं- अच्छा अब ये बताओ कि मिलने कब आ रही हो...
रेणु- बहुत जल्दी ....इस बार आओगी ना तो फिर तुम दुवारा मुझे बुला नही पाओगे...
मैं- अच्छा...वो क्यो...
रेणु- क्योकि...क्योकि मैं वापिस ही नही आउगि..ओके...
मैं- ह्म...ये सही है...
रेणु- अच्छा ये बता कि आज अनाथालय गया था कि नही....
अनाथालय का नाम सुनते ही मैने फुल ब्रेक मारा और कार थम्म से रुक गई...ब्रेक इतना तेज था कि टायर के रगड़ने की आवाज़ रेणु के कानो मे भी जा पहुँची थी....
रेणु- क्या हुआ...
मैं- कुछ नही....मैं..मैं बाद मे बात करता हूँ ..बाइ...
और मैने बिना कुछ कहे फ़ोन कट की और निकल गया एक लंबे सफ़र पर....
सहर से 10 किमी दूर एक छोटी सी बस्ती बसी हुई थी....जिसमे एक छोटा सा अनाथालय भी था.....""एंजल'स""
एंजल्ज़ सिर्फ़ अनाथ लड़कियों के लिए था...
जैसे ही मैं एंजल्ज़ के अंदर पहुँचा तो वहाँ की हेड में ने मुझे देखते ही गले लगा लिया...
में- ओह अंकित...कैसे हो बेटे....मुझे पता था कि तुम ज़रूर आओगे...मुझे सुबह से तुम्हारा इंतज़ार था....
मैं- ठीक हूँ में...आप कैसी हो ...और यहाँ सब कैसा है...
में- सब ठीक है बेटा...अब तू पहले उससे मिल ले...फिर बात करेंगे.....
फिर मैं एक रूम मे गया और अपने साथ लाया हुआ फूलो का गुलदस्ता सामने रखा और कुछ देर रुक कर वापिस आ गया ...और में से कुछ देर बात करने के बाद मैने उन्हे एक चेक दिया...
मेम- 2 लख्स...इतना क्यो बेटा...
मैं- रखिए मेम....और हाँ...कोई भी ज़रूरत हो...अपने बेटे को याद करना..ओके...
मेम- ह्म्म..गॉड ब्लेस्स यू...
और फिर मैं में की ब्लेस्सिंग ले कर अपने घर आ गया........
जैसे ही मैं घर मे एंटर हुआ तो मेरे सामने डॅड और सुजाता बैठे हुए थे....दोनो शायद मेरे बारे ही बात कर रहे थे....इसलिए मुझे देखते ही दोनो चुप हो गये.....
सुजाता- अर्रे...आ गये बेटा...आओ बैठो....
आकाश- अंकित...जूही अब कैसी है...और उसके घरवाले ....उन्होने क्या कहा...
मैं- कुछ नही डॅड...सब ठीक है....
सुजाता- ह्म्म...आओ ना बेटा...थोड़ा मेरे साथ भी बैठ लो....
मैं- मुझे नीद आ रही है...
और मैं सीधा जा कर अपने रूम मे लेट गया...और लेट कर अपने अतीत को याद करने लगा.....
अपनी यादो मे खोया हुआ मैं कब नीद की आगोश मे चला गया....ये मुझे पता ही नही चला....