College Girl Chudai मिनी की कातिल अदाएं - Page 7 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

College Girl Chudai मिनी की कातिल अदाएं

चूत रगड़ाई मांग रही थी और मेरा लंड भी रफ़्तार चाह रहा था।
मैंने रोहित से कहा- तुम गांड में आओ, मैं चोदता हूँ।
यह सुनकर पूजा उठकर खड़ी हो गई और बोली- गांड में मैं नहीं करवाऊंगी, दर्द होगा।

मैंने रोहित से उसके लंड पर और पूजा की गांड में वैसलीन लगाने को कहा।
रोहित ने ढेर सारी वैसलीन लगाई और पूजा को घोड़ी बनने को कहा।
ना नुकुर के बाद पूजा घोड़ी बन गई। रोहित उसके ऊपर आकर उसके मम्मे दबाने लगा कर उसको गर्म करने लगा। मैं उनके नीचे लेट गया।
तभी रोहित ने अपना लंड पूजा की गांड में घुसा दिया।
पूजा दर्द से चीखी और अलग होने की कोशिश करने लगी। तब तक मैं पूजा की चूत को अपने लंड के पास ले आया था और पूजा को नीचे झुका कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
पूजा दर्द से छटपटा रही थी मगर हम दोनों ने अपने अपने लंडों की स्पीड बढ़ा दी।
दो मिनट के बाद पूजा को भी मजा आने लगा, वो बोलने लगी- हाँ आज मजा आ रहा है। हरामखोरो… फाड़ दो मेरी चूत और गांड! आने दो सुनीता को… अगर उसकी चूत पहले दिन ही न बजवाई तो मेरा नाम नहीं।
वो हाँफ रही थी, ‘उह आह फच्च फच्च…’ की आवाज से कमरा भर गया।
चुदास का अनोखा नजारा था।
रोहित कुछ नहीं कर रहा था, बस लंड को गांड में डाले पड़ा था, उसके ऊपर दो दो लोग लदे थे।
पूजा तो सातवें आसमान पर थी।
तभी मेरा फव्वारा छूट गया… शायद इस ख्याल से कि जल्दी सुनीता को भी हम इसमें शामिल कर लेंगे।
सब एक दूसरे से हटे और रोहित पूजा को लेकर मेरे बाथरूम में चला गया।
मैंने भी अपने को ठीक किया।
वो दोनों नंगे ही बाहर आये, मैंने कहा- कपड़े पहन लो। खाना खाते हैं।
11 बजे वो लोग चले गए।
जाते समय पूजा यह कहना नहीं भूली- अब सुनीता को जल्दी ले आओ, वो अकेली कब तक चुदेगी।
मैं हंस पड़ा।
उनके जाते ही मैंने सुनीता को फ़ोन किया कि क्या कोई जोड़ा मैं यहाँ ढूंढूँ जो हमरे साथ चुदाई करे।
सुनीता ने मजाक में कहा- पहले मुझे ले तो जाओ… कभी तुम ढूंढ लो और मैं यहीं रह जाऊँ और वहाँ वो तुम्हारी इज्जत लूट लें।
मैं हंस पड़ा मगर मुझे यकीन हो गया कि सुनीता को अपने ग्रुप में शामिल करने में दिक्कत नहीं आएगी। मुझे यह भी शक हुआ कि कहीं न कहीं सुनीता भी कुछ बदमाशी कर रही है अपनी कामाग्नि को शांत करने के लिए।
जब मैंने उसको अपनी कसम देकर पूछा तो उसने बता दिया कि वो और उसकी चचेरी बहन रोज फ़ोन पर बातें करते हैं और उसकी बहन अपने देवर से पूरे मजे लेती है।
मैंने सुनीता से कहा- अपनी बहन की मुझे भी दिलवाओ!
तो सुनीता बोली- दिलवा दूँगी… मगर फिर मुझे भी तो एक और चाहिए क्योंकि उसकी बहन कह रही थी कि पति के अलावा दूसरे से करने का मजा कुछ और ही है।
मेरे मन में तो लड्डू फूट गए… यहाँ तो बात बनी बनाई है, बस दस पन्द्रह दिन की ही तो बात है। मैं इन्ही ख्वाबों में खो कर सो गया।
अगले दिन 11 बजे पूजा का फ़ोन आया कि उसकी गांड सूज गई है और चूत से भी ब्लीडिंग हुई है।
मैंने उसको सॉरी बोला तो वो बोली- अरे इसमे सॉरी क्यों… कल के मजे के लिए तो मैं कबसे तड़फ रही थी। हाँ बस अब तीन चार दिन मैं छुट्टी पर रहूंगी, मिलना नहीं होगा फ़ोन पर तो दोस्ती निभाएँगे ही। और सुनीता के आने के बाद हमारी दोस्ती और पक्की होगी।
सुनीता को मनाने की जिम्मेदारी पूजा ने ली, वो बोली- मैं एक दो दिन में ही उसे प्यार से बांध लूंगी। क्योंकि इस रिलेशनशिप में मन से स्वीकृति जरूरी है।
मैंने भी उससे वादा किया कि हम हमेशा अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे।
अब मेरे सामने लक्ष्य था अगले दस दिनों में अपने मकान को नया रूप देने का!
मैं अपने मकान की मरम्मत और पेंट आदि कामों में जुट गया, पूजा व रोहित ने दिल से मेरी मदद की।
पूजा मेरे साथ जाकर मार्केट से परदे के कपड़े, बेड शीट, आदि दिलवा लाई और दर्जी को परदे सिलने भी दिलवा दिये। वो दिन में एक दो बार पेंटरों का काम भी देख जाती, अगर मैं भी उस समय घर पर होता तो सबकी निगाह बचाकर हम होंठ मिला भी लेते थे।
बढ़ई भी काम कर रहा था।
एक दिन पूजा और उसकी सास मेरे साथ जाकर रसोई के सामान दिलवा लाई। इसके लिए मैंने उन लोगों की बात अपनी माँ से करवा दी थी। मेरी माँ को भी उनसे बात करके अच्छा लगा कि मेरे पड़ोसी इतने अच्छे हैं।
आखिर पंद्रह दिनों की मेहनत के बाद मकान तैयार हो गया। मैंने पूजा और रोहित को थैंक्स कहने के लिये रात को खाने पर बुलाया।
रोहित ने शर्त रखी कि तुम हमारा स्वागत बिना कपड़ों के करोगे।
मैंने कहा- अच्छा आओ तो सही!
मैंने होटल से खाना मंगा लिया था और फ्रिज में बीयर ठंडी होने को रख दी।
पूरे घर में मोगरा की खुशबू कर कर नहा कर मैं उनका इंतजार करने लगा पर मैंने लोअर और टी शर्ट पहने थी। आठ बजे घंटी बजी और दरवज़ा खोलते ही मुझे जन्नत का नज़ारा देखने को मिला।
रोहित ने पूजा को गोदी में उठा रखा था और पूजा के हाथों में एक फूलों का गुलदस्ता था।
रोहित आते ही गुस्सा हुआ- क्यों बे तुससे कहा था कि बिना कपड़ों के दरवाज़ा खोलना… इस बात पर मेरी और पूजा की शर्त लगी थी। तेरी वजह से मैं शर्त हार गया, शर्त के हिसाब से अब मुझे नंगा होना पड़ेगा।
मैंने और पूजा ने हँसते हुए रोहित को जुर्माने से माफ़ कर दिया।
असल में मुझे पूजा ने ही दिन में फ़ोन करके कह दिया था कि मैं कपड़े पहन कर ही रहूँ।
मैंने पूजा और रोहित को मकान के काम में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इस पर पूजा ने मुझे होठों से भींच लिया। इस अचानक हमले के लिए मैं भी तैयार नहीं था।
हम लोग सोफे पर बैठ गए, मैंने बियर निकल ली। रोहित के दिमाग में फिर एक खुराफात आई, बोला- आज हम पूजा की चूत की बियर पियेंगे।
पूजा ने शायद पहले भी ऐसा किया होगा और वो घर पर बात करके आये होंगे, इसलिए पूजा ने तुरंत अपनी सलवार उतार दी और सोफे पर लेट गई।
रोहित ने मुझसे एक खाली बियर मग उसकी चूत के नीचे रखकर पकड़ने को कहा।
अब उसने बियर की बोतल को उसकी चूत के ऊपर से लुढ़काना शुरू किया, बियर पूजा की चूत से होकर मग में गिरने लगी। ऐसा करके उसने तीन गिलास बनवाये, दो गिलास हम दोनों ने लिए और एक पूजा को दिया।
पूजा बोली- चलो तुम दोनों भी अपने लंड निकालो!
हमें भी अपने लोअर उतारने पड़े।
अब पूजा ने एक एक करके हमारे लंड अपने बियर के गिलास में डुबाये और बियर में हमारे लंड घुमाया।
अब हम पूजा की चूत में भीगी बियर पी रहे थे और पूजा हमारे लंड में भीगी बियर पी रही थी। पूजा को मस्ती चढ़ रही थी वो लंड पर आकर बैठ गई और हाथ से लंड अंदर कर लिया।
यह नजारा देखकर रोहित भी खड़ा हुआ और अपना लंड पूजा के मुँह में कर दिया।
पूजा ने अपना गिलास बराबर में टेबल पर रख और एक हाथ से रोहित का लंड चूसते हुए दूसरे हाथ को मेरे कंधे का सहारा लेकर ऊपर नीचे होकर मेरी चुदाई करने लगी।
 
मैंने भी अपना गिलास साइड टेबल पर रखा और पूजा को कमर से उठा कर ऊपर नीचे करने लगा।
अचानक पूजा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हांफते हुए बोली- मजा आ गया जान… मजा आ गया… मैं… मैं… हाँ… हाँ… और जोर से करो जानू… मैं आने वाली हूँ… फाड़ दो मेरी चूत… बना दो इसका भुरता… मैं आई… मैं आई!
और कहते-कहते उसने अपना पानी छोड़ दिया।
हमने एक ब्रेक लिया और साफ़ करके कपड़े पहने, सोचा चलो खाना खा लें।
हमने एक प्लेट में ही खाना लगाया और एक दूसरे को खिलाते हुए खाना खाया।
घर जाते समय पूजा बोली- अगली बार हम तब करेंगे जब सुनीता भी साथ होगी।
दो दिन बाद मैं टैक्सी लेकर सुनीता और सामान लेने घर गया।
सुनीता मुझे देखकर ऐसे खुश हुई जैसे किसी कैदी को रिहाई मिल रही हो।
मैं जैसे ही अपने कमरे में पहुँचा, सुनीता चाय लेकर आई और आते ही गले लिपट गई। आज उसके कसाव में वासना की आग झलक रही थी।
मैं चाय लेकर बाहर माँ बाबूजी के पास आकर बैठ गया।
वो उदास थे, मैंने उनको समझाया कि दिल छोटा न करें, कभी वो लोग गाजियाबाद आ जाया करें, कभी हम दोनों आते रहा करेंगे।
शाम को हम लोग वापिस हुए। रास्ते में ड्राईव चाय पीने उतरा तो मैंने सुनीता को भींच लिया और होठों को मिला लिया।
सुनीता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैंने भी उसके मम्मे दबा दिये।
उसका हाथ मेरा लंड टटोल रहा था।
तभी ड्राईवर आता दिखाई दिया, हम ठीक होकर बैठ गए।
घर पहुँचते ही रोहित और पूजा ने हमारे स्वागत किया।
पूजा ने सुनीता को गले लगाया और माथा चूम लिया, रोहित बोला- स्वागत में तो हम भी खड़े हैं।
सुनीता शर्मा गई और रोहित को हाथ जोड़कर नमस्कार किया।
पूजा ने हंसकर कहा- लो उसने तो तुमसे हाथ जोड़ लिए!
रोहित हार मानने वालों में से नहीं था, उसने आगे बढ़कर सुनीता के कंधे पर हाथ रखकर कहा- सुनीता, यहाँ तो हम ही लोग तुम्हारे रिश्तेदार और दोस्त हैं।
मैंने भी रोहित का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- बिल्कुल… मैं तो उनको अपने परिवार का ही हिस्सा मानता हूँ।
हमने गाड़ी से सामान उतारा, पूजा अपने घर से चाय नाश्ता लेकर आ गई। हम सबने मिलकर चाय पी।
पूजा जाते समय सुनीता के गले में हाथ डालकर बोली- एक अच्छी दोस्त की तरह की चीज की आवश्यकता हो तो बता देना!
और फिर जो उसने किया वो मैं और सुनीता सोच भी नहीं सकते थे, उसने सुनीता के गले में बाहें डाले डाले कहा कि उसने सोचा भी नहीं था कि सुनीता इतनी मिलनसार और प्यारी होगी।
और यह कह कर उसने सुनीता को होंठ पर चूम लिया।
बस यही शुरुआत थी भविष्य में उन दोनों के बीच बढ़ी नजदीकियों की…
दोनों के जाने के बाद मैंने सुनीता को गोदी में उठाकर पूरा घर दिखाया।
सुनीता बोली- गर्मी लग रही है।
मैं उसका मतलब समझ गया और फटाफट हम दोनों ने अपने कपड़े उतार लिए और चिपक गए।
हमारा हर अंग एक हो जाने को बेकरार था, जीभ तो दोनों की एक हो ही चुकी थीं।
उसने अपना एक पैर उठा कर मेरी कमर पर लपेट लिया था, मैंने एक हाथ से उसकी चूत की मालिश शुरू कर दी थी।
वो कसमसा कर बोली- बिस्तर पर चलो!
बिस्तर पर उसको लिटा कर मैंने उसकी चूत चूजय शुरू कर दी, वो जोर जोर से आवाज करने लग गई। मैं चाहता था कि वो धीमे से बोले, पर उसकी कामाग्नि भड़क चुकी थी और उसे इस समय सिर्फ एक चीज ही चाहिये थी, वो थी जोरदार चुदाई!
मैं भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और एक ही धक्के में अन्दर कर दिया।
एक बार तो सुनीता चीखी- फाड़ ही दोगे क्या?
मैंने भी कहा- और लाया किस लिए हूँ?
वो बोली- फिर देर क्यों कर रहे हो फाड़ दो मेरी चूत… बना दो इसका भोसड़ा… घुसेड़ दो अपना लौड़ा पूरा अन्दर!
यह भाषा उसको उन्ही किताबों से मिली थी जो मैं उसको दे आया था।
दस मिनट के घमासान के बाद दोनों एक साथ छूटे, कोई तौलिया नहीं था पास में, चादर ही गन्दी हो गई।
इतने में ही रोहित का फ़ोन आया- क्यों बे साले, कर लिया गृह प्रवेश?
मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम?
वो बोला- पूजा ने ठंडा पानी भिजवाया था, क्योंकि तेरा फ्रिज बंद था, गेट पर जब अन्दर की सीत्कारें सुनाई दी तो वो वापिस चला गया।
रात को पूजा का भेजा खाना खाकर हम जल्दी सोने चले गए, क्योंकि सफ़र की थकान थी और एक बार चुदाई हो चुकी थी।
मगर बिस्तर पर लेटते समय मैंने सुनीता से कहा- आज के बाद हम कभी कपड़े पहन कर नहीं सोयेंगे।
उसे भी यह आईडिया अच्छा लगा और वो तुरंत नंगी हो गई, मुझे तो केवल लुंगी ही उतारनी थी। जब चूत और लंड का टकराव हुआ और मम्मे दबे तो सारी थकान भूल कर मैं सुनीता के चढ़ गया।
उसने भी टांगें चौड़ा कर मेरा पूरा लंड अंदर कर लिया।
फिर जो चुदाई का आलम शुरू हुआ तो आगे पीछे ऊपर नीचे सारे आसन निबटा कर हम चुपक कर लेटे।
अब हमारा बातचीत का विषय था पूजा और रोहित!
मैंने उनकी खूब तारीफ़ की और सबसे ज्यादा तारीफ़ की रोहित के सेक्सी स्वभाव की क्योंकि पूजा ने मुझसे कहा था कि मैं सुनीता से पूजा की तारीफ न करूँ क्योंकि कोई औरत दूसरी औरत की तारीफ़ अपने पति से सुनना पसंद नहीं करती।
मैंने बातों ही बातों में यह भी बता दिया कि रोहित को रोज सेक्स करने की आदत है और वो भी नए नए स्टाइल में!
कुल मिलाकर सुनीता के मन में रोहित के लिए क्रेज पैदा कर दिया।
अगले दिन मैं जब दुकान के लिए निकल ही रहा था, पूजा आ गई और सुनीता को आँख मारकर बोली- कैसी रही?
सुनीता शर्मा गई।
पूजा ने मुझसे कहा- आप दुकान जाओ, मैं सुनीता के साथ घर ठीक करवाती हूँ, मैं शाम तक यहीं हूँ।
मैं समझ गया कि पूजा अपनी जिम्मेदारी पूरी करने आ गई है मैदान में!
 
अब शाम तक की कहानी सुनीता के मुख से सुनिए:


जय के जाते ही मैंने पूजा से कहा- दीदी आप बैठिये, मैं अपने आप कर लूंगी!
तो पूजा ने मुझसे कहा कि भले ही वो मुझसे बड़ी है, पर सुनीता उसे पूजा ही कहे, क्योंकि पूजा की अपनी छोटी बहन भी उसे पूजा ही कहती है।
मैंने कहा- ठीक है, जैसा आपको अच्छा लगे! मैं नहा कर आती हूँ, फिर बैठ कर गप्पे मारेंगे।
पूजा बोली- ठीक है।
मैं नहाने के कपड़े लेकर चली तो पूजा ने उसे टोका कि ये साड़ी वाड़ी पहनने की कोई जरूरत नहीं है, यहाँ कोई नहीं आएगा शाम तक, कुछ भी हल्का पहन लो।
मैंने कहा- मेरे पास अभी तो कोई ऐसे कपड़े नहीं हैं।
तो पूजा बोली- तू तो बहुत सीधी है, कपड़े मैं निकाल कर देती हूँ, तू नहा कर आ!
मैंने नहा कर अन्दर से आवाज दी- दीदी मेरे कपड़े दे दो!
तो पूजा मुझसे बोली- टॉवल लपेट कर बहार आ जाओ, मैंने कपड़े बिस्तर पर रख दिये हैं।
जब मैं बाहर आई तो मैंने केवल तौलिया लपेट रखा था, और मेररे भीगे बालों से पानी टपक रहा था।
पूजा ने मुझे गले लगा लिया, बल्कि सही कहूं तो मेरे मम्मे भींच दिये और बोली- अगर अब के बाद दीदी कहा तो मैं तेरा टॉवल खींच दूँगी।
मैं घबरा गई मैंने कहा- सॉरी अब पूजा ही बोलूंगी, मगर मेरे कपड़े तो दो?
उसने मुझे जय की लुंगी और टीशर्ट दी।
मैंने कहा- मैं ये नहीं पहनूंगी आप के सामने!
तो पूजा बोली- चल अच्छा अब वो पहन ले जो पहन कर रात को सोई थी।
मेरे मुँह से निकल गया- रात को तो कुछ भी नहीं पहना था!
कह कर मैं खुद शरमा गई कि हाय यह मैंने क्या कह दिया।
तो पूजा बोली- शर्मा मत, मैं भी अभी चेंज कर लेती हूँ और उसने तो केवल टी शर्ट ही डाली, नीचे कुछ नहीं!
मैं तो आश्चर्य से देख रही थी, लग ही नहीं रहा था कि इससे मैं केवल एक दिन पहले मिली हूँ।
खैर, अब हमने घर का काम करना शुरू किया, पूरा घर सेट किया, बीच में कई बार पूजा ने मेरे मम्मे छू दिये।
परदे टांगने के लिए वो एक स्टूल पर चढ़ी और मैं नीचे से उसे पर्दे पकड़ा रही थी, टी शर्ट के नीचे से उसकी पैंटी दिख रही थी और वो इतनी महीन जाली की थी कि उसकी गुलाबी चूत साफ़ नजर आ रही थी।
वो बोली- क्या देख रही है?
मैंने कहा- आज आपने मुझे पूरा बदमाश बना दिया!
पूजा बोली- अब तक तो तूने कोई बदमाशी की नहीं?
मुझे क्या झक चढ़ी, मैंने उनकी चूत में उंगली कर दी।
वो चीखी, बोली- हाय मेरी जान, मैं तो कब से इन्तजार कर रही थी!
यह कह कर वो स्टूल पर से ही कूद गई और मेरी टी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरे मम्मी दबा दिये और मेरे होंठ अपने होठों से लगा लिए।

पता नहीं क्या मस्ती का आलम था, मुझ पर क्या नशा चढ़ गया था, मैंने भी पूजा के होंठ चूसने शुरू कर दिए और अपनी उंगली उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दी।
वो मुझे खींचकर बिस्तर पर ले गई और अगले ही पल हम दोनों नंगी होकर एक दूसरी की चूत चूस रही थी।
कुछ पल बाद मुझे ऐसा लगा कि कहीं कुछ गलत हो रहा है मुझसे… मैं झटके से खड़ी हो गई और भाग कर बाथरूम में चली गई।
मेरे अन्दर आग लगी थी पर मन में डर था।
मैंने शावर खोल दिया…
अगले ही पल पूजा भी बाथरूम में आ गई और मुझे सहलाते हुए शावर लेने लगी, हम एक बार फिर चिपक गए।
मगर इस बार डर नहीं शरीर की जरूरत थी।
दस मिनट शावर लेने के बाद हम टॉवल लपेट कर बाहर आये, पूजा अपने कपड़े पहन कर घर चली गई और मैं भी सो गई।
शाम को आँख खुली तो देखा पांच बजे हैं, फटाफट खाने की तैयारी में लग गई।
पूजा मुझे बहुत अच्छी लगी थी और सच बताऊँ तो मुझे रोहित भी मस्त आदमी लगा था।
मैंने जय को फ़ोन किया कि आज रात को खाने पर पूजा और रोहित को भी बुला लो।
मैं गली के बाहर डेरी से पनीर ले आई और रात की तैयारी करने लगी।
पूजा का फ़ोन आया और मुझसे बोली- बुरा तो नहीं लगा?
मैंने कहा- बहुत बुरा लगा और ऐसा बुरा मैं रोज लगाना चाहती हूँ।
यह सुनकर पूजा बहुत जोर से हंसी और बोली- वादा रहा!
पूजा बोली- अभी रोहित का फ़ोन आया है कि उससे जय ने रात को खाने पर आने को कहा है। पर रोहित का कहना है कि डिनर का ड्रेस कोड होना चाहिए।
पूजा ने मुझसे पूछा कि मैं क्या ड्रेस पहनना चाहती हूँ, वो ड्रेस पूजा मुझे भेज देगी।
मुझे रोहित के सामने उल्टा सीधा पहनने में शर्म आ रही थी तो पूजा ने मुझे समझाया कि अब हम सब दोस्त हैं, और जब एक बार रोहित से घुल मिल जाओगी तो अटपटा नहीं लगेगा।
खैर मैं पूजा के कहने पर फ्रॉक पहनने को तैयार हो गई, जो पूजा ने मुझे छत पर बुला कर दे दी।
उसने मुझे बता दिया कि जेंट्स को लुंगी और टी शर्ट पहननी है।
मुझे बड़ा मजा आया वो फ्रॉक पहन कर देखने में!
मैं उत्साहित होकर जय का इन्तजार करने लगी।
आठ बजे जय आये और आते ही मुझे गोदी में बिठा कर चूमा चाटी की, हम दोनों चाय पीकर साथ साथ नहाने गए।
नहाकर मैंने तो फ्रॉक पहनी, उसके नीचे ब्रा और पैंटी भी पहनी, जय ने लुंगी बिना अंडरवियर के पहनी।
मैंने कहा- अंडरवियर क्यों नहीं?
तो बोले- गर्मी है!
 
नौ बजे रोहित पूजा आये।
पूजा खुले बालों में गजब लग रही थी और रोहित का शार्ट लोअर उसके औजार का साइज़ बताने के हिसाब से छोटा था। रोहित ने बड़ी बेशर्मी से मेरे गालों को सहलाया, मुझे उलझन लगी पर पूजा ने तो हद कर दी, सबके सामने मुझे चूम लिया और मेरे मम्मों से अपने मम्मे भिड़ाये।
वो मुझे खींचकर कमरे में ले गई और बोली- ये ब्रा क्यों पहनी है?
मैंने कहा- पूजा हद करती हो, रोहित भैया के सामने बिना ब्रा के?
तो वो बोली- बेफिक्र रहो, रोहित तुम्हारे मम्मे नहीं दबायेंगे।
मैं हंस पड़ी और बोली- तुम चलो मैं अभी उतार कर आती हूँ!
मैं फटाफट ब्रा उतारकर बाहर गई और सबको कोल्ड ड्रिंक सर्व की।
रोहित ने पूजा से कहा कि वो उसकी गोद में बैठ जाये।
मुझे लगा कि वो मजाक कर रहे हैं मगर पूजा तो उछाल मार कर रोहित की गोद में जा बैठी।
मुझे लगा जय को ख़राब लग रहा होगा, पर वो तो मेरी ओर देखकर आँख मारकर बोला- भाई अब मुझे क्यों अकेला छोड़ रही हो?
पूजा उठी और मुझे जबरदस्ती जय की गोद में बिठा दिया।
जय को खड़ा लंड मुझे ठीक से बैठने नहीं दे रहा था, मैं इधर उधर हिल रही थी।
यह देखकर पूजा हंसकर बोली- इसे अंदर करके आराम से बैठ जाओ, अपना ही घर और अपना ही घरवाला है।
मेरी फ्रॉक पीछे से ऊपर उठी हुई थी, मगर मैंने पैंटी पहनी हुई थी।
जय इतनी हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि वो सबके सामने मेरी पैंटी उतार सके।
पूजा उठी और कमरे की बड़ी लाईट बंद कर कर छोटी लाईट जला दी जिसमें कुछ ज्यादा नहीं दिख रहा था।
फिर वो रोहित की गोद में बैठ गई, मगर बैठते समय उसने अपनी फ्रॉक पीछे से ऊपर उठा दी।
और पता नहीं क्या हुआ, उसकी हल्की सी ‘ओ मर गई…’ की आवाज आई।
मैंने ध्यान से देखा तो समझ में आया कि रोहित भैया ने अपना लंड उसकी चूत में कर दिया है।
मुझे बड़ी शर्म आ रही थी, मैं वहाँ से उठी और किचन में चली आई।
पीछे पीछे पूजा भी आ गई और हंसते हुए बोली- रोहित बहुत बेसब्र है, कभी जगह का भी ख्याल नहीं रखते!
उसने पीछे से मेरी फ्रॉक उठा कर कहा- अरे तूने पैंटी क्यों पहनी, इसीलिए जय तेरी चूत में नहीं घुस पाया?
मैंने कहा- आखिर कुछ तो शर्म होनी ही चाहिए और अगर मैं बिना पैंटी के भी होती तो जय सबके सामने कुछ ऐसा नहीं करते।
पूजा बोली- चल लगा शर्त, तू पैंटी उतार और फिर देखना जय की बेशर्मी!
मैंने भी शर्त मान ली और किचन में ही पैंटी उतार दी।

पूजा बोली- अब मैं बाहर जाती हूँ, तू जय को किसी बहने से यहाँ बुला ले, फिर देखना जय की शराफत!
पूजा बाहर चली गई, मैंने जय को आवाज लगाकर कहा कि खाना लगवाने में मेरी मदद करो।
मैं खुद भी चुदासी हो रही थी, बल्कि मेरा मन तो कर रहा था कि बजाये जय के रोहित को यहाँ बुलाऊँ!
जय आया और बोला- क्या मदद करूँ जानू?
पीछे से आते ही उसने मेरी गांड को टटोला और जब उसे ये एहसास हुआ कि मैंने पैंटी उतार दी है तो वो जैसे पागल हो गए, उसने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरे मम्मे दबाने शुरु कर दिये।
मैंने भी पीछे हाथ ले जाकर उसका लंड पकड़ लिया।
बस अब क्या था, उसने अपना लंड बाहर निकला और घुसेड़ दिया मेरी चूत में!
मैं बोली- क्या कर रहे हो? पूजा आ जाएगी।
जय बोला- वो कैसे आएगी, वो तो बाहर चुदवा रही है।
मुझे विश्वास नहीं हुआ, मैं जय का हाथ पकड़ कर बाहर आई तो देखा रोहित पूजा को कुतिया स्टाइल में चोद रहा है।
मैं घबरा रही थी, यह मेरे लिए नया और अजूबा अनुभव था।
मेरी चूत गीली और चुदने को बेताब थी।
जय ने मेरी आँखें पढ़ ली थी और मुझे उसने आगे मेज पर झुकाया और अपना लंड मेरी चूत में दाखिल कर दिया।
अब पूजा और मैं चुदवा रही थी और एक दूसरे को देख भी रही थी।
हालाँकि जय का लंड रोहित से बड़ा था मगर मुझे अपनी चचेरी बहन की बात याद आ रही थी कि दूसरे लंड का मजा कुछ और ही है।
इतने में ही रोहित ने अपना माल पूजा के अंदर छोड़ दिया और वो एक रुमाल से अपने को पौंछने लगे।
जय के धक्के चालू थे और पूजा आँख फाड़कर जय के लंड को देख रही थी।
अचानक रोहित उठा और मेरे मम्मे पकड़ लिए।
सच बताऊँ तो मुझे अच्छा लगा।
जय ने धक्के और तेज कर दिए और एक झटके में अपना माल मेरी चूत में डाल दिया।
हम सब हंसते हुए उठे और अपने अपने को साफ करके खाना खाने बैठ गए।
यह तो बस शुरुआत थी.. कहानी तो अब शुरू होनी थी…
 
अब आगे की कहानी मैं सुनाता हूँ!
खाना खाकर मैंने सुनीता को फ्रिज से आइसक्रीम निकालने को कहा।
वो उठी, मैं भी पीछे पीछे चला गया, मैंने उसको पीछे से गले लगाकर पूछा कि उसे बुरा तो नहीं लग रहा, और क्या वो और भी आगे बढ़ने को तैयार है?
तो उसने पलट कर मुझे चूम कर कहा कि मेरे साथ वो हर चीज के लिए और किसी भी लिमिट तक तैयार है बस इन सबसे मेरे और उसके संबंधों पर फर्क नहीं आना चाहिए।
मैंने उससे पूछा- पूजा और रोहित कैसे लगे?
तो वो हंसकर बोली- पूजा बहुत जिंदादिल और अच्छी है और रोहित को उसने चखा कहाँ है तो उसे क्या मालूम कि वो कैसा है।
मैंने कहा- चल बाहर… अभी चखा दूँ।
तो सुनीता बोली- अभी तो आइसक्रीम ले आऊँ, फिर देख लेंगे! जरूरी तो नहीं कि आज ही सारा कार्यक्रम हो जाये!
वो चार कपों में डालकर आइसक्रीम ले आई, हमने आइसक्रीम खानी शुरू की तो रोहित ने फिर एक नई खुराफात हमसे बिना पूछे कर दी, उसने पूजा को लिटाकर उसकी फ्रॉक ऊपर करके उसकी चूत में अपना आइसक्रीम का कप पलट दिया और उसे जीभ से चाटने लगा।
पूजा ने सुनीता जो आँख फाड़कर ये नजारा देख रही थी, को अपने पास बुलाया और उसे अपने मुँह के ऊपर बिठाया और उसकी चूत चूसने लगी।
अब अकेला मैं क्या करता, मैंने भी ताव में आकर अपने लंड पर आइसक्रीम लगा ली और लंड दे दिया सुनीता के मुँह के अंदर…
यह देख कर पूजा बोली- जय, मुझे भी चूसना है!
मैंने सुनीता की ओर देखा, सुनीता ने मेरे लंड को मुँह से निकाल कर उस पर और आइसक्रीम लगा कर मुझे अपनी जगह बिठा दिया और पूजा मेरे लंड चूसने लगी।
रोहित पूजा की चूत चूस रहा था और पूजा मेरे लंड चूस रही थी।
मैंने सुनीता से कहा- रोहित का लंड खाली है उसे तू चूस…
सुनीता को झिझक हो रही थी, रोहित ने उसका हाथ अपने लोअर में कर दिया।
फिर तो सुनीता ने उसका लोअर नीचे किया और उसका लंड अपने मुँह के अंदर ले लिया।
क्या नजारा था… हर ओर चुसाई और चुदाई का आलम!
जैसे ही एक मिनट को रोहित ने अपना मुँह पूजा की चूत से हटाया और सुनीता से चुसवाने में अच्छी पोजीशन करी, मैंने फटाक से अपना लंड पूजा के मुँह से हटाकर उसकी चूत में घुसा दिया।
पूजा ने भी अपनी टांगें मेरे कंधों पर रख ली। हम जोरदार चुदाई में लग गए।
यह देखकर सुनीता ने भी रोहित का लंड मुँह से निकाल दिया और लेट गई इस इन्तजार में कि रोहित उसकी चूत फाड़ दे!
रोहित ने उसकी दोनों टांगों को दोनों हाथों से फैलाया और अपना औज़ार सुनीता की चूत में डाल दिया।
सुनीता ने जिन्दगी में पहली बार किसी दूसरे का लंड खाया था, भले ही इसका इंतज़ार वो कबसे कर रही थी।
सुनीता और पूजा ने एक दूसरे के हाथ पकड़ लिए थे और मैं और रोहित एक दूसरे की बीवियों की चूत बजा रहे थे।
मैंने कहा- रोहित चलो इनकी गांड भी खोल दें!
मगर सुनीता इसके लिए तैयार नहीं हुई, बोली- फिर कभी!
रात काफी हो चुकी थी, पूजा रोहित अपने घर चले गए।
हमने कपड़े नहीं पहने थे, हम ऐसे ही सो गए।
अगले इतवार को पूजा ने वाटर पार्क का प्रोग्राम बनाया। मेरी छुट्टी तो मंगलवार को होती थी मगर पूजा के बार बार कहने पर मैं दोपहर दो बजे बाद चलने को तैयार हुआ।
वाटर पार्क में स्विमिंग कोस्टयूम तो वहीं से लेने थे, अपने टॉवल लेकर सुनीता पूजा के साथ आ गई। मैं और रोहित सीधे वहीं पहुँचे।
पूजा और सुनीता ने बिकनी स्टाइल का कोस्टयूम लिया और मैंने और रोहित ने बरमूडा!
हम लोग एक साथ खूब मस्ती करने लगे। यह तय हो गया था कि पूजा मेरे साथ रहेगी और सुनीता रोहित के साथ!
एक बंद वाली स्लाइड में मैं और पूजा ऊपर से नीचे फिसल कर आये, अंदर मैंने पूजा के मम्मे जोरे से दबाये।
पूजा चीखी पर इतनी शोर में उसकी चीख कहाँ सुनाई देती।
नीचे सुनीता आते ही बोली- रोहित तो बहुत बदमाश है! ऊपर से नीचे आते में इसने मेरे मम्मे दबा दबा कर परेशान कर दिया।
हम लोग स्विमिंग पूल में भी इन दोनों की चूत में उंगली करते रहे।
वहाँ खड़े गार्ड ने एक बार देख भी लिया और सीटी बजाई।
मैंने बाहर आकर उससे कहा कि चुपचाप जो हो रहा है होने दे और कल मेरी दुकान पर आकर 500 रुपये ले जाये।
वो मुस्कुरा कर बोला- ठीक है, पर और लोगों न देखें, इस बात का भी ध्यान रखें!
शाम को घर आने पर प्रोग्राम बना कि रात को खाना छत पर खायेंगे।
हम लोग अपना अपना खाना लेकर 9 बजे छत पर पहुँच गए। छत पर ज्यादा रोशनी नहीं थी। पूजा और सुनीता ने तय कर लिया था कि वो दोनों गाऊन में आएँगी, मैंने लुंगी और शर्ट पहनी थी, रोहित भी लुंगी और टीशर्ट पहने था।
हम लोग नीचे चटाई बिछाकर बैठ गए, अब हमें दूसरी छतों से भी कोई देख नहीं सकता था।
पूजा ने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी और रोहित की लुंगी की गाँठ खोल दी।
हमारी लुंगी आगे से खुलकर हमारे औजार दिखाने लगी।
इसके बाद पूजा ने सुनीता के गाऊन की बेल्ट खींच दी।
मैं यह देख कर दंग रह गया कि सुनीता ने नीचे कुछ भी नहीं पहना था। अब सुनीता ने पूजा का भी गाऊन खोल दिया, हम चारों अपने नंगे बदन को दिखा रहे थे।
यह देखकर और पूजा और सुनीता की बदमाशी समझ कर हम हंस पड़े।

रोहित ने सुनीता को अपनी ओर खींच लिया, सुनीता पेट के बल लेट कर रोहित का लंड चूसने लगी।
मैं पूजा के पीछे बैठकर उसके मम्मी दबाते हुए उसकी जीभ अपनी जीभ से चूसने लगा।
तभी सुनीता ने अपनी उंगली पूजा की चूत में कर दी और पूजा ने भी अपने पैर का अंगूठा सुनीता की चूत में कर दिया..
कोई देख न ले इसलिए हम लोग खड़े नहीं हो सकते थे।
बहुत देर तक हम ऐसे ही करते रहे।
रोहित तो सुनीता के मुँह में झड़ गया पर सुनीता, पूजा और मेरी प्यास अधूरी रही।
मैंने सुनीता से कहा- चलो नीचे चलते हैं।
तो पूजा बोली- मेरा क्या होगा?
पर मजबूरी थी इससे ज्यादा यहाँ कुछ हो भी नहीं सकता था।
मैंने रोहित को एक आईडिया दिया कि दो दिन के लिए जिम कार्बेट पार्क चलते हैं, वहाँ मैं पूजा के साथ रहूँगा और तुम सुनीता के साथ… दो दिन सिर्फ चुदाई… बस खाने के लिए ही बहार निकलेंगे।
मेरा आईडिया सबको पसंद आया। यह जिम्मेदारी मुझे दी गई कि मैं काम के हिसाब से छुट्टी की डेट निकाल लूँ और रोहित से कन्फर्म करके रिजर्वेशन करा लूँ।
 
Back
Top