hotaks444
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चूत रगड़ाई मांग रही थी और मेरा लंड भी रफ़्तार चाह रहा था।
मैंने रोहित से कहा- तुम गांड में आओ, मैं चोदता हूँ।
यह सुनकर पूजा उठकर खड़ी हो गई और बोली- गांड में मैं नहीं करवाऊंगी, दर्द होगा।
मैंने रोहित से उसके लंड पर और पूजा की गांड में वैसलीन लगाने को कहा।
रोहित ने ढेर सारी वैसलीन लगाई और पूजा को घोड़ी बनने को कहा।
ना नुकुर के बाद पूजा घोड़ी बन गई। रोहित उसके ऊपर आकर उसके मम्मे दबाने लगा कर उसको गर्म करने लगा। मैं उनके नीचे लेट गया।
तभी रोहित ने अपना लंड पूजा की गांड में घुसा दिया।
पूजा दर्द से चीखी और अलग होने की कोशिश करने लगी। तब तक मैं पूजा की चूत को अपने लंड के पास ले आया था और पूजा को नीचे झुका कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
पूजा दर्द से छटपटा रही थी मगर हम दोनों ने अपने अपने लंडों की स्पीड बढ़ा दी।
दो मिनट के बाद पूजा को भी मजा आने लगा, वो बोलने लगी- हाँ आज मजा आ रहा है। हरामखोरो… फाड़ दो मेरी चूत और गांड! आने दो सुनीता को… अगर उसकी चूत पहले दिन ही न बजवाई तो मेरा नाम नहीं।
वो हाँफ रही थी, ‘उह आह फच्च फच्च…’ की आवाज से कमरा भर गया।
चुदास का अनोखा नजारा था।
रोहित कुछ नहीं कर रहा था, बस लंड को गांड में डाले पड़ा था, उसके ऊपर दो दो लोग लदे थे।
पूजा तो सातवें आसमान पर थी।
तभी मेरा फव्वारा छूट गया… शायद इस ख्याल से कि जल्दी सुनीता को भी हम इसमें शामिल कर लेंगे।
सब एक दूसरे से हटे और रोहित पूजा को लेकर मेरे बाथरूम में चला गया।
मैंने भी अपने को ठीक किया।
वो दोनों नंगे ही बाहर आये, मैंने कहा- कपड़े पहन लो। खाना खाते हैं।
11 बजे वो लोग चले गए।
जाते समय पूजा यह कहना नहीं भूली- अब सुनीता को जल्दी ले आओ, वो अकेली कब तक चुदेगी।
मैं हंस पड़ा।
उनके जाते ही मैंने सुनीता को फ़ोन किया कि क्या कोई जोड़ा मैं यहाँ ढूंढूँ जो हमरे साथ चुदाई करे।
सुनीता ने मजाक में कहा- पहले मुझे ले तो जाओ… कभी तुम ढूंढ लो और मैं यहीं रह जाऊँ और वहाँ वो तुम्हारी इज्जत लूट लें।
मैं हंस पड़ा मगर मुझे यकीन हो गया कि सुनीता को अपने ग्रुप में शामिल करने में दिक्कत नहीं आएगी। मुझे यह भी शक हुआ कि कहीं न कहीं सुनीता भी कुछ बदमाशी कर रही है अपनी कामाग्नि को शांत करने के लिए।
जब मैंने उसको अपनी कसम देकर पूछा तो उसने बता दिया कि वो और उसकी चचेरी बहन रोज फ़ोन पर बातें करते हैं और उसकी बहन अपने देवर से पूरे मजे लेती है।
मैंने सुनीता से कहा- अपनी बहन की मुझे भी दिलवाओ!
तो सुनीता बोली- दिलवा दूँगी… मगर फिर मुझे भी तो एक और चाहिए क्योंकि उसकी बहन कह रही थी कि पति के अलावा दूसरे से करने का मजा कुछ और ही है।
मेरे मन में तो लड्डू फूट गए… यहाँ तो बात बनी बनाई है, बस दस पन्द्रह दिन की ही तो बात है। मैं इन्ही ख्वाबों में खो कर सो गया।
अगले दिन 11 बजे पूजा का फ़ोन आया कि उसकी गांड सूज गई है और चूत से भी ब्लीडिंग हुई है।
मैंने उसको सॉरी बोला तो वो बोली- अरे इसमे सॉरी क्यों… कल के मजे के लिए तो मैं कबसे तड़फ रही थी। हाँ बस अब तीन चार दिन मैं छुट्टी पर रहूंगी, मिलना नहीं होगा फ़ोन पर तो दोस्ती निभाएँगे ही। और सुनीता के आने के बाद हमारी दोस्ती और पक्की होगी।
सुनीता को मनाने की जिम्मेदारी पूजा ने ली, वो बोली- मैं एक दो दिन में ही उसे प्यार से बांध लूंगी। क्योंकि इस रिलेशनशिप में मन से स्वीकृति जरूरी है।
मैंने भी उससे वादा किया कि हम हमेशा अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे।
अब मेरे सामने लक्ष्य था अगले दस दिनों में अपने मकान को नया रूप देने का!
मैं अपने मकान की मरम्मत और पेंट आदि कामों में जुट गया, पूजा व रोहित ने दिल से मेरी मदद की।
पूजा मेरे साथ जाकर मार्केट से परदे के कपड़े, बेड शीट, आदि दिलवा लाई और दर्जी को परदे सिलने भी दिलवा दिये। वो दिन में एक दो बार पेंटरों का काम भी देख जाती, अगर मैं भी उस समय घर पर होता तो सबकी निगाह बचाकर हम होंठ मिला भी लेते थे।
बढ़ई भी काम कर रहा था।
एक दिन पूजा और उसकी सास मेरे साथ जाकर रसोई के सामान दिलवा लाई। इसके लिए मैंने उन लोगों की बात अपनी माँ से करवा दी थी। मेरी माँ को भी उनसे बात करके अच्छा लगा कि मेरे पड़ोसी इतने अच्छे हैं।
आखिर पंद्रह दिनों की मेहनत के बाद मकान तैयार हो गया। मैंने पूजा और रोहित को थैंक्स कहने के लिये रात को खाने पर बुलाया।
रोहित ने शर्त रखी कि तुम हमारा स्वागत बिना कपड़ों के करोगे।
मैंने कहा- अच्छा आओ तो सही!
मैंने होटल से खाना मंगा लिया था और फ्रिज में बीयर ठंडी होने को रख दी।
पूरे घर में मोगरा की खुशबू कर कर नहा कर मैं उनका इंतजार करने लगा पर मैंने लोअर और टी शर्ट पहने थी। आठ बजे घंटी बजी और दरवज़ा खोलते ही मुझे जन्नत का नज़ारा देखने को मिला।
रोहित ने पूजा को गोदी में उठा रखा था और पूजा के हाथों में एक फूलों का गुलदस्ता था।
रोहित आते ही गुस्सा हुआ- क्यों बे तुससे कहा था कि बिना कपड़ों के दरवाज़ा खोलना… इस बात पर मेरी और पूजा की शर्त लगी थी। तेरी वजह से मैं शर्त हार गया, शर्त के हिसाब से अब मुझे नंगा होना पड़ेगा।
मैंने और पूजा ने हँसते हुए रोहित को जुर्माने से माफ़ कर दिया।
असल में मुझे पूजा ने ही दिन में फ़ोन करके कह दिया था कि मैं कपड़े पहन कर ही रहूँ।
मैंने पूजा और रोहित को मकान के काम में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इस पर पूजा ने मुझे होठों से भींच लिया। इस अचानक हमले के लिए मैं भी तैयार नहीं था।
हम लोग सोफे पर बैठ गए, मैंने बियर निकल ली। रोहित के दिमाग में फिर एक खुराफात आई, बोला- आज हम पूजा की चूत की बियर पियेंगे।
पूजा ने शायद पहले भी ऐसा किया होगा और वो घर पर बात करके आये होंगे, इसलिए पूजा ने तुरंत अपनी सलवार उतार दी और सोफे पर लेट गई।
रोहित ने मुझसे एक खाली बियर मग उसकी चूत के नीचे रखकर पकड़ने को कहा।
अब उसने बियर की बोतल को उसकी चूत के ऊपर से लुढ़काना शुरू किया, बियर पूजा की चूत से होकर मग में गिरने लगी। ऐसा करके उसने तीन गिलास बनवाये, दो गिलास हम दोनों ने लिए और एक पूजा को दिया।
पूजा बोली- चलो तुम दोनों भी अपने लंड निकालो!
हमें भी अपने लोअर उतारने पड़े।
अब पूजा ने एक एक करके हमारे लंड अपने बियर के गिलास में डुबाये और बियर में हमारे लंड घुमाया।
अब हम पूजा की चूत में भीगी बियर पी रहे थे और पूजा हमारे लंड में भीगी बियर पी रही थी। पूजा को मस्ती चढ़ रही थी वो लंड पर आकर बैठ गई और हाथ से लंड अंदर कर लिया।
यह नजारा देखकर रोहित भी खड़ा हुआ और अपना लंड पूजा के मुँह में कर दिया।
पूजा ने अपना गिलास बराबर में टेबल पर रख और एक हाथ से रोहित का लंड चूसते हुए दूसरे हाथ को मेरे कंधे का सहारा लेकर ऊपर नीचे होकर मेरी चुदाई करने लगी।
मैंने रोहित से कहा- तुम गांड में आओ, मैं चोदता हूँ।
यह सुनकर पूजा उठकर खड़ी हो गई और बोली- गांड में मैं नहीं करवाऊंगी, दर्द होगा।
मैंने रोहित से उसके लंड पर और पूजा की गांड में वैसलीन लगाने को कहा।
रोहित ने ढेर सारी वैसलीन लगाई और पूजा को घोड़ी बनने को कहा।
ना नुकुर के बाद पूजा घोड़ी बन गई। रोहित उसके ऊपर आकर उसके मम्मे दबाने लगा कर उसको गर्म करने लगा। मैं उनके नीचे लेट गया।
तभी रोहित ने अपना लंड पूजा की गांड में घुसा दिया।
पूजा दर्द से चीखी और अलग होने की कोशिश करने लगी। तब तक मैं पूजा की चूत को अपने लंड के पास ले आया था और पूजा को नीचे झुका कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
पूजा दर्द से छटपटा रही थी मगर हम दोनों ने अपने अपने लंडों की स्पीड बढ़ा दी।
दो मिनट के बाद पूजा को भी मजा आने लगा, वो बोलने लगी- हाँ आज मजा आ रहा है। हरामखोरो… फाड़ दो मेरी चूत और गांड! आने दो सुनीता को… अगर उसकी चूत पहले दिन ही न बजवाई तो मेरा नाम नहीं।
वो हाँफ रही थी, ‘उह आह फच्च फच्च…’ की आवाज से कमरा भर गया।
चुदास का अनोखा नजारा था।
रोहित कुछ नहीं कर रहा था, बस लंड को गांड में डाले पड़ा था, उसके ऊपर दो दो लोग लदे थे।
पूजा तो सातवें आसमान पर थी।
तभी मेरा फव्वारा छूट गया… शायद इस ख्याल से कि जल्दी सुनीता को भी हम इसमें शामिल कर लेंगे।
सब एक दूसरे से हटे और रोहित पूजा को लेकर मेरे बाथरूम में चला गया।
मैंने भी अपने को ठीक किया।
वो दोनों नंगे ही बाहर आये, मैंने कहा- कपड़े पहन लो। खाना खाते हैं।
11 बजे वो लोग चले गए।
जाते समय पूजा यह कहना नहीं भूली- अब सुनीता को जल्दी ले आओ, वो अकेली कब तक चुदेगी।
मैं हंस पड़ा।
उनके जाते ही मैंने सुनीता को फ़ोन किया कि क्या कोई जोड़ा मैं यहाँ ढूंढूँ जो हमरे साथ चुदाई करे।
सुनीता ने मजाक में कहा- पहले मुझे ले तो जाओ… कभी तुम ढूंढ लो और मैं यहीं रह जाऊँ और वहाँ वो तुम्हारी इज्जत लूट लें।
मैं हंस पड़ा मगर मुझे यकीन हो गया कि सुनीता को अपने ग्रुप में शामिल करने में दिक्कत नहीं आएगी। मुझे यह भी शक हुआ कि कहीं न कहीं सुनीता भी कुछ बदमाशी कर रही है अपनी कामाग्नि को शांत करने के लिए।
जब मैंने उसको अपनी कसम देकर पूछा तो उसने बता दिया कि वो और उसकी चचेरी बहन रोज फ़ोन पर बातें करते हैं और उसकी बहन अपने देवर से पूरे मजे लेती है।
मैंने सुनीता से कहा- अपनी बहन की मुझे भी दिलवाओ!
तो सुनीता बोली- दिलवा दूँगी… मगर फिर मुझे भी तो एक और चाहिए क्योंकि उसकी बहन कह रही थी कि पति के अलावा दूसरे से करने का मजा कुछ और ही है।
मेरे मन में तो लड्डू फूट गए… यहाँ तो बात बनी बनाई है, बस दस पन्द्रह दिन की ही तो बात है। मैं इन्ही ख्वाबों में खो कर सो गया।
अगले दिन 11 बजे पूजा का फ़ोन आया कि उसकी गांड सूज गई है और चूत से भी ब्लीडिंग हुई है।
मैंने उसको सॉरी बोला तो वो बोली- अरे इसमे सॉरी क्यों… कल के मजे के लिए तो मैं कबसे तड़फ रही थी। हाँ बस अब तीन चार दिन मैं छुट्टी पर रहूंगी, मिलना नहीं होगा फ़ोन पर तो दोस्ती निभाएँगे ही। और सुनीता के आने के बाद हमारी दोस्ती और पक्की होगी।
सुनीता को मनाने की जिम्मेदारी पूजा ने ली, वो बोली- मैं एक दो दिन में ही उसे प्यार से बांध लूंगी। क्योंकि इस रिलेशनशिप में मन से स्वीकृति जरूरी है।
मैंने भी उससे वादा किया कि हम हमेशा अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे।
अब मेरे सामने लक्ष्य था अगले दस दिनों में अपने मकान को नया रूप देने का!
मैं अपने मकान की मरम्मत और पेंट आदि कामों में जुट गया, पूजा व रोहित ने दिल से मेरी मदद की।
पूजा मेरे साथ जाकर मार्केट से परदे के कपड़े, बेड शीट, आदि दिलवा लाई और दर्जी को परदे सिलने भी दिलवा दिये। वो दिन में एक दो बार पेंटरों का काम भी देख जाती, अगर मैं भी उस समय घर पर होता तो सबकी निगाह बचाकर हम होंठ मिला भी लेते थे।
बढ़ई भी काम कर रहा था।
एक दिन पूजा और उसकी सास मेरे साथ जाकर रसोई के सामान दिलवा लाई। इसके लिए मैंने उन लोगों की बात अपनी माँ से करवा दी थी। मेरी माँ को भी उनसे बात करके अच्छा लगा कि मेरे पड़ोसी इतने अच्छे हैं।
आखिर पंद्रह दिनों की मेहनत के बाद मकान तैयार हो गया। मैंने पूजा और रोहित को थैंक्स कहने के लिये रात को खाने पर बुलाया।
रोहित ने शर्त रखी कि तुम हमारा स्वागत बिना कपड़ों के करोगे।
मैंने कहा- अच्छा आओ तो सही!
मैंने होटल से खाना मंगा लिया था और फ्रिज में बीयर ठंडी होने को रख दी।
पूरे घर में मोगरा की खुशबू कर कर नहा कर मैं उनका इंतजार करने लगा पर मैंने लोअर और टी शर्ट पहने थी। आठ बजे घंटी बजी और दरवज़ा खोलते ही मुझे जन्नत का नज़ारा देखने को मिला।
रोहित ने पूजा को गोदी में उठा रखा था और पूजा के हाथों में एक फूलों का गुलदस्ता था।
रोहित आते ही गुस्सा हुआ- क्यों बे तुससे कहा था कि बिना कपड़ों के दरवाज़ा खोलना… इस बात पर मेरी और पूजा की शर्त लगी थी। तेरी वजह से मैं शर्त हार गया, शर्त के हिसाब से अब मुझे नंगा होना पड़ेगा।
मैंने और पूजा ने हँसते हुए रोहित को जुर्माने से माफ़ कर दिया।
असल में मुझे पूजा ने ही दिन में फ़ोन करके कह दिया था कि मैं कपड़े पहन कर ही रहूँ।
मैंने पूजा और रोहित को मकान के काम में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इस पर पूजा ने मुझे होठों से भींच लिया। इस अचानक हमले के लिए मैं भी तैयार नहीं था।
हम लोग सोफे पर बैठ गए, मैंने बियर निकल ली। रोहित के दिमाग में फिर एक खुराफात आई, बोला- आज हम पूजा की चूत की बियर पियेंगे।
पूजा ने शायद पहले भी ऐसा किया होगा और वो घर पर बात करके आये होंगे, इसलिए पूजा ने तुरंत अपनी सलवार उतार दी और सोफे पर लेट गई।
रोहित ने मुझसे एक खाली बियर मग उसकी चूत के नीचे रखकर पकड़ने को कहा।
अब उसने बियर की बोतल को उसकी चूत के ऊपर से लुढ़काना शुरू किया, बियर पूजा की चूत से होकर मग में गिरने लगी। ऐसा करके उसने तीन गिलास बनवाये, दो गिलास हम दोनों ने लिए और एक पूजा को दिया।
पूजा बोली- चलो तुम दोनों भी अपने लंड निकालो!
हमें भी अपने लोअर उतारने पड़े।
अब पूजा ने एक एक करके हमारे लंड अपने बियर के गिलास में डुबाये और बियर में हमारे लंड घुमाया।
अब हम पूजा की चूत में भीगी बियर पी रहे थे और पूजा हमारे लंड में भीगी बियर पी रही थी। पूजा को मस्ती चढ़ रही थी वो लंड पर आकर बैठ गई और हाथ से लंड अंदर कर लिया।
यह नजारा देखकर रोहित भी खड़ा हुआ और अपना लंड पूजा के मुँह में कर दिया।
पूजा ने अपना गिलास बराबर में टेबल पर रख और एक हाथ से रोहित का लंड चूसते हुए दूसरे हाथ को मेरे कंधे का सहारा लेकर ऊपर नीचे होकर मेरी चुदाई करने लगी।