hotaks444
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राज का एक हाथ गौरी की जांघों पर था... उसने हाथ को बातों बातों में थोडा सा और उपर करके उसकी पनटी के उपर रख दिया.. वहाँ उसने गौरी को कसकर पकड़ा हुआ था..... अंजलि उसकी गर्दन को अपनी गोद में रखे उसके हाथों को पकड़े हुए थी...
मॅच देखने आई गौरी की हालत पतली हो गयी... पर उसको लग रहा था वो सुरक्षित हाथों में है... अपनी मम्मी और अपने सर के हाथों में... इसीलिए थोडा सा निसचिंत थी...
ये वही समय था जब दिव्या की रूम मेट सभी लड़कियों को जगा कर ले आई थी... दोनो कमरों में चल रहा वासना का नंगा नाच फ्री में दिखाने के लिए....
गौरी की हालत पतली होती जा रही थी.. मर्द के हाथ उसकी चूत के पास होने से वो लाख चाह कर भी अपने आपको बेचैन सा महसूस कर रही थी... उधर अंजलि उसके कपड़े उतारने पर आमादा थी.. राज चुपचाप उसकी छतियो का उतना बैठना देख रहा था.. जब सीधी उंगली से ही घी निकल रहा हो तो टेडी करके क्या फयडा... वो इंतज़ार कर रहा था की कब अंजलि उसको नंगा करे और कब वो उस्स बेमिसाल हुस्न की मल्लिका के दीदार कर सके... गौरी के लाख कोशिश करने पर भी जब अंजलि ने उसके हाथों को नही छोड़ा तो उसने अपना सिर अंजलि की गोद में घुसा दिया... अंजलि की रस से भारी पनटी की भीनी भीनी खुसबू उसका विरोध लगातार ढीला करती चली गयी... अंजलि ने पहले ही पेट तक आ चुकी उसकी नाइटी को उसकी ब्रा के उपर तक सरका दिया... वो मचलती रही... पर अब मचलना पहले जैसा नही था... शायद दिखावा ज़्यादा था... वो सेक्स के प्रति मानवीया कमज़ोरी से टूट-ती जा रही थी लगातार...
राज उसको अकल्पनीया यौवन को देखकर पत्थर सा हो गया... वो सोच रहा था, सुंदर तो उसकी बीवी भी बहुत है... पर क्या 18 साल और 22 साल में इतना फ़र्क़ आ जाता है.. या फिर पराया माल कुच्छ ज़्यादा ही अपना लगता है.... उसका हाथ उसकी जाँघ से उपर उठकर उसके पेट पर ब्रा से थोड़ा सा नीचे जाकर जम गया... क्या चीज़ है ययार!
अंजलि ने थोड़ी सी कोशिश और की और नाइटी उसके हसीन बदन से अलग होकर बेड के सिरहने पर जाकर टंग गयी...
गौरी का दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था की उसकी धक धक बिना स्टेतस्कोप के अंजलि और राज को सुनाई दे रही थी.. राज का दिल उसकी छातियो की ताल से ताल मिला कर धड़क रहा था.. अपनी कोहनी से अपनी आँखों को ढके गौरी ये सोच रही थी की जब उसको कुच्छ नही दिखता तो औरों को भी नही दिखता होगा... ठीक उस्स कबूतर की तरह जो बिल्ली को आया देख आँखें बंद करके गुटरगू करता रहता है.. उड़ने की बजाय... गौरी को नही पता था की राज की आँखें बिल्ली की तरह ही उसकी घात लगाए बैठी हैं... उसका शिकार करने के लिए... अंजलि के मॅन में भी उसको राज की जांघों पर सवार करने का कोई इरादा नही था... वो तो बस अपनी झिझक दूर करने के लिए ही उसको शरम से पानी पानी कर देना चाहती थी... जब अंजलि ने राज को उसकी पनटी और ब्रा पर नज़र घूमते देखा तो वो राज का आशहया समझ गयी.. उसने गौरी को छोड़ दिया," जा उठकर अपने कपड़े पहन ले... अब तो समझ आ गया होगा की कितनी शर्म आती है.. अगर तू सच में दिल से मुझे दीदी कहती है तो प्लीज़ यहाँ से चली जा...
गौरी को अपनी ग़लती का अहसास हो गया था पर उसको इश्स कदर गरम करके राज की बाहों से उठा देना उसको अजीब सा लगा.. पर अपने आपको उसने संभाला और अपनी नाइटी पहन ली. वह आकर अपनी दीदी मा से लिपट गयी," आइ लव यू मम्मी!"
पहली बार गौरी को अहसास हुआ की नारी चाहे सग़ी मा हो या सौतेली.. पर मा तो मा ही होती है ...
पहली बार उसने अंजलि को मा कहा.. दोनों की आँखें छलक आई......
उधर टफ ने तो जैसे अपनी जिंदगी के सारे सेक्स के अनुभवोव को एक साथ ही सरिता और प्यारी की चूत में डाल देना था.... उनकी चूत इतनी पास पास थी की एक चूत से दूसरी चूत में लंड के जाने का पता ही टफ को नाहो लगता था... पता लगता था तो सिर्फ़ सरिता और प्यारी की आवाज़ों से... जिसकी चूत से उसका लंड बाहर निकलता वो तड़प उठती और जिसकी चूत में वो जाता वो सिसक उठती.... कामना सेक्स के इश्स जादूगर को बिना हीले देख रही थी... बिना पालक झपकाए...
उधर राकेश भी जी भर कर 2-2 लड़कियों को मस्त बना रहा था... एक की चूत में लंड सररर सर्ररर जा रहा था और दूसरी की चूत में उंगली अपना काम कर रही थी... जब एक का काम हो गया तो उसने एक्सपाइर माल की तरह उसको एकतरफ ढाका दिया और दूसरी को जन्नत की सैर करने लगा... लगभग 15-20 मिनिट में ही उसने दोनो को निहाल कर दिया और खुद भी लंड चूत से बाहर निकल कर निढाल हो गया... तीनो हाल्फ रहे थे....
गौरी अपनी मम्मी की गोद से उठकर अलग हो गयी और उन्न दो जवान पांच्छियों को यौवन सुख के लिए अकेला छोड़ दिया... पर अस्ल मुसीबत तो बाहर गेट पर खड़ी थी... जैसे ही गौरी ने दरवाजा खोला... बाहर खड़ी सभी लड़कियाँ आपा धापी में भाग ली.... गौरी के होश उड़ गये... उसने झट से दरवाजा बंद कर दिया और हैरत
से राज और अंजलि की और देखने लगी... राज और अंजलि भी सारा माजरा समझ गये....
उधर टफ दोनों के अस्थि पंजर ढीले करके अपनी पॅंट पहन ही रहा था जब उसको अचानक कमरों के बहा शोर सुनाई दियाअ...
सब का नशा एक दम से काफूर हो गया...
कुच्छ देर बाद राज टफ के कमरे में आया...," उसने देखा एक और लड़की खड़ी है दीवार से लगकर ... वो रो रही थी... ," कामना, अपने रूम में जाओ!"
"मैं नही जवँगी सर! मैं कैसे जाऊं... सबने सब कुछ देख लिया होगा... वो उस्स वक़्त तक भी नंगी खड़ी थी... पर राज ने उसकी ओर ध्यान तक नही दिया...
"ठीक है.. तुम जल्दी से कपड़े पहनो और अंजलि मेडम के पास जाओ... हम सब ठीक कर देंगे... कुछ सोचते है.." दोनो लड़कियाँ और प्यारी दूसरे कमरे में चली गयी...
राज ने टफ से पूछा," क्या करें भाई... बॅंड बज गया"
टफ ने बेड के सिरहाने से अपना सिर लगाया और सिग्गेरेत्टे सुलगा ली...," मुझे सोचने दो!"
टफ और राज आपस में बात कर ही रहे थे की अंजलि और प्यारी भी उसी कमरे में आ गयी...," अब क्या होगा?" अंजलि के माथे पर चिंता की सिल्वट सॉफ दिखाई दे रही थी... प्यारी भी कम परेशन नही थी... उसकी 'इज़्ज़त' खराब होने का डर उसको भी सता रहा था....
टफ ने सिग्गेरेत्टे बुझाते हुए कहा... "मेरे पास एक आइडिया तो है... पर सफल होगा या नही; इसकी कोई गॅरेंटी नही है...."
"जल्दी बताओ ना!" अंजलि इश्स बात को दबाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी...
"देखो पसंद ना आए तो मत लेना... लेकिन में सीरीयस हूँ... मैने एक इंग्लीश मूवी में ऐसा देखा था..." टफ ने बताने से पहले उनको भरोसे में लेना चाहा...
" अब कुछ बको भी... या पहेलियाँ ही बुझते रहोगे..."राज अपना धैर्या खोता जा रहा था... उसको शिवानी से बहुत डर लगता था...
टफ ने अपना थर्ड क्लास आइडिया उगल दिया..," हम एक खेल खेलेंगे कल रात को जिसमें बारी बारी से सब लड़कियाँ अपने कपड़े उतारती जायेंगी.."
"बकवास करने की भी हद होती है यार! हूमें यहाँ अपने कपड़े बचाने की पड़ी है.. और तुम दूसरी लड़कियों के भी कपड़े उतरने की सोच रहे हो... कुच्छ तो सोचा होता..." राज उसकी बात सुनकर फफक पड़ा....
"पूरी बात सुनोगे या नही?" टफ ने ज़ोर से चिल्लाकर राज को चुप कर दिया...
अंजलि ने भी राज से सहमति जताई," ऐसा कभी हो ही नही सकता... वो गाँव की लड़कियाँ हैं... तुम्हारी ब्लू फिल्म की हेरोइन नही.."
"फिर तो एक ही तरीका है.. बचने का.." टफ अब भी शैतानी कर रहा था... उसका था भी क्या... गाँव में भी जाता तो जाता; ना भी जाता...
"अब क्या है!" सारे उसकी बात सुनकर पक रहे थे...
"स्यूयिसाइड!" उसने कहा और उठकर बाथरूम चला गया...
सभी के दिमाग़ काम करना बंद कर चुके थे... आख़िर उन्होने टफ की ही शरण ली... अंजलि ने प्यार से टफ को कहा," अच्छा तुम पूरा तरीका बताओ!"
"अरे बहुत सारे तरीके हैं... गोली खा लो, फाँसी पर...!"टफ को अंजलि ने बीच में ही रोक दिया.. उसने तकिया उठाकर प्यार से टफ के मुँह पर दे मारा...," वो बताओ; पहले वाला..." अंजलि को लगा, भागते चोर की लंगोटी पकड़ लेनी चाहिए!
"ध्यान से सुनो.. पूरा सुन-ने से पहले अगर कोई बीच में बोला तो में उठकर चला जवँगा.. आज ही ड्यूटी पर... अपना क्या है? एक तो साला तुम्हारे बारे में फोकट में दिमाग़ घिसाओ, उपर से तुम्हारे नखरे भी सुनो.... अगर मंजूर हो तो उन्न छिप्कलियो को भी बुला लो... प्लान को ठीक से समझ कर उसकी अड्वर्टाइज़्मेंट कर देंगी...
प्यारी झट से उठ कर दूसरे कमरे में डरी बैठी उन्न ," छिप्कलियो" को बुला लाई...
तीनों लड़कियों के आने के बाद टफ ने बोलना शुरू किया:
"देखो! हमारे पास इश्स रास्ते के अलावा दूसरा कोई रास्ता नही है की हम सभी लड़कियों को इश्स खेल में शामिल करें.. और जब हमाम में सभी नंगे हो जाएँगे तो फिर किसका डर रहेगा... इसके लिए इन्न लड़कियों का हमारा साथ देना ज़रूरी है... ये अब कमरों में जाकर
बेशर्मी से ये बताएँगी की उन्होने हमसे एक खेल सीखा है... बहुत ही मजेदार खेल... खेल
में धीरे धीरे करके अपने कपड़े उतारने पड़ते हैं.. और जो इश्स खेल में पीछे
रहेगी.. वो हारेगी.. और जिसके कपड़े सबसे पहले उतरेंगे वो इश्स खेल में विजेता होगी...
मुझे पता है उन्हे शुरू में बहुत झिझक होगी.. पर वो सब इनके बाकी लड़कियों को बताने के तरीके पर डिपेंड करता है... और सुबह अंजलि के भासन पर भी....
अंजलि को जब सुना की उसको भी लड़कियों को इश्स बारे में बोलना पड़ेगा तो वो एक दम से टफ को टोकने को हुई.. पर उसको टफ की बात याद आ गयी... बीच में ना बोलने वाली....
टफ का प्लान जारी था...
"सारी नही तो कुछ लड़कियाँ ज़रूर खेलने को तैयार हो जाएँगी... पर हुमको हर एक लड़की को नंगा करना है... इश्स खेल से हमें कम से कम ये तो पता लग ही जाएगा की कौन कौन लड़कियाँ नंगी नही हुई... बस! वही हमारे लिए ख़तरा बन सकती हैं... उनके बारे में बाद में सोचेंगे... हां जो कुच्छ अंजलि को सुबह लड़कियों को कहना है... उससे मुझे विस्वास है की जिन लड़कियों का बदन दिखाने लायक है... वो तो तकरीबन ही तैयार हो जाएँगी... अब तुम तीनो जाओ और खेल का प्रचार शुरू कर दो... उनको खुल कर ये बताना है की इश्स खेल में जो मज़ा है... वो आज तक तुम्हे नही आया... बाकी प्लान में आप को बता दूँगा...
"एक दो तो मेरे कहने से ही तैयार हो जाएगी.." सरिता ने टफ की और देखते हुए कहा..
"अरे हां! जिन लड़कियों के राज तुम तीनो जानती हो उनको तो पहले ही तैयार कर लो ताकि वो भी तुम्हारे साथ दूसरी लड़कियों को खेल के लिए तैयार कर लें.... तुम सबसे पहले उन्ही को मेरे पास लेकर आओ!" टफ ने लड़कियों को जाते हुए रोक कर कहा..
कुच्छ ही देर बाद काई और लड़कियाँ भी उनक 'गेम प्रमोटर ग्रूप' में शामिल हो गयी.... कविता, दिव्या, अदिति, मुस्कान, नेहा; इन्न सबको मिला कर अब कुल 10 लड़कियाँ कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी... तीनो ने इन सबको प्यार से या फिर ब्लाकक्मैँलिंग की डर से तैयार कर लिया था गेम में शामिल होने के लिए... सभी कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी...
टफ इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों को देखकर खुश हो गया... "बस अब हमारा ग़मे सुपेरहित होकर रहेगा..." अब तो सिर्फ़ 34 ही बची हैं..."" तुम क्पडे उतारने के लिए तैयार हो या थोड़ी प्रॅक्टीस चाहिएगी... अभी..."
एक साथ काई लड़कियाँ बोल पड़ी," नही सर! हम तैयार हैं...."
"गुड! अब अंजलि मेडम तुम्हे कल सुबह खेल की आवस्यकता और उसके फ़ायदों के बारे में जानकारी देंगी... जाओ अब सभी अपने अपने रूम्स में इश्स खेल के बारे में बताना शुरू कर दो.. ऑल थे बेस्ट!"
लड़कियाँ चली गयी... जाते ही अंजलि टफ पर बरस पड़ी... "मैं कैसे सबको इश्स बारे में...!"
राज ने अंजलि को बीच में ही टोक दिया.. ," डोंट वरी! मैं बता दूँगा! मुझको ऐसी बातें बताने का बड़ा शौक है.. आगे वो माने या ना माने... वो उनकी मर्ज़ी... " राज अपनी लाइफ में पहली बार इतना सीरीयस हुआ था, लड़कियों की बात पर....
"क्या बोलना है... ये भी बता दो!" राज ने टफ से पूछा...
टफ ने उसको अपने प्लान का थीम बता दिया.. और बाकी खुद सोच लेने को कह दिया..
सब के चेहरे पर निसचिंत-ता सी झलकने लगी थी... कुछ कुछ... प्यारी और अंजलि उठ कर कमरे में चली गयी....
"क्या हो गया यार!" टूर का सारा मज़ा खराब हो गया....
" कुच्छ नही हुआ! सो जा... सुबह देखना कितना मज़ा आएगाअ" टफ ने राज को कहा और करवट बदल कर आँखें बंद कर ली.....
राज की आँखों में नींद नही थी... यही हाल अंजलि का भी था... पर प्यारी को अपने यार पर पूरा भरोसा था.... वो जल्द ही खर्राटे लेने लगी...
तो भाई लोग कैसी लगी ये कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना कहानी अभी बाकी है.आगे की कहानी आप गर्ल्स स्कूल--16 मैं पढ़ सकते है.
कहानी अगले पार्ट मैं तब तक के लिए विदा
लकिन दोस्तो कहानी पढ़ने के बाद एक कमेंट दे दिया करो मैं भी खुश हो जाउगा तो फिर देर मत कीजिए अपना कमेंट देने मैं
मॅच देखने आई गौरी की हालत पतली हो गयी... पर उसको लग रहा था वो सुरक्षित हाथों में है... अपनी मम्मी और अपने सर के हाथों में... इसीलिए थोडा सा निसचिंत थी...
ये वही समय था जब दिव्या की रूम मेट सभी लड़कियों को जगा कर ले आई थी... दोनो कमरों में चल रहा वासना का नंगा नाच फ्री में दिखाने के लिए....
गौरी की हालत पतली होती जा रही थी.. मर्द के हाथ उसकी चूत के पास होने से वो लाख चाह कर भी अपने आपको बेचैन सा महसूस कर रही थी... उधर अंजलि उसके कपड़े उतारने पर आमादा थी.. राज चुपचाप उसकी छतियो का उतना बैठना देख रहा था.. जब सीधी उंगली से ही घी निकल रहा हो तो टेडी करके क्या फयडा... वो इंतज़ार कर रहा था की कब अंजलि उसको नंगा करे और कब वो उस्स बेमिसाल हुस्न की मल्लिका के दीदार कर सके... गौरी के लाख कोशिश करने पर भी जब अंजलि ने उसके हाथों को नही छोड़ा तो उसने अपना सिर अंजलि की गोद में घुसा दिया... अंजलि की रस से भारी पनटी की भीनी भीनी खुसबू उसका विरोध लगातार ढीला करती चली गयी... अंजलि ने पहले ही पेट तक आ चुकी उसकी नाइटी को उसकी ब्रा के उपर तक सरका दिया... वो मचलती रही... पर अब मचलना पहले जैसा नही था... शायद दिखावा ज़्यादा था... वो सेक्स के प्रति मानवीया कमज़ोरी से टूट-ती जा रही थी लगातार...
राज उसको अकल्पनीया यौवन को देखकर पत्थर सा हो गया... वो सोच रहा था, सुंदर तो उसकी बीवी भी बहुत है... पर क्या 18 साल और 22 साल में इतना फ़र्क़ आ जाता है.. या फिर पराया माल कुच्छ ज़्यादा ही अपना लगता है.... उसका हाथ उसकी जाँघ से उपर उठकर उसके पेट पर ब्रा से थोड़ा सा नीचे जाकर जम गया... क्या चीज़ है ययार!
अंजलि ने थोड़ी सी कोशिश और की और नाइटी उसके हसीन बदन से अलग होकर बेड के सिरहने पर जाकर टंग गयी...
गौरी का दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था की उसकी धक धक बिना स्टेतस्कोप के अंजलि और राज को सुनाई दे रही थी.. राज का दिल उसकी छातियो की ताल से ताल मिला कर धड़क रहा था.. अपनी कोहनी से अपनी आँखों को ढके गौरी ये सोच रही थी की जब उसको कुच्छ नही दिखता तो औरों को भी नही दिखता होगा... ठीक उस्स कबूतर की तरह जो बिल्ली को आया देख आँखें बंद करके गुटरगू करता रहता है.. उड़ने की बजाय... गौरी को नही पता था की राज की आँखें बिल्ली की तरह ही उसकी घात लगाए बैठी हैं... उसका शिकार करने के लिए... अंजलि के मॅन में भी उसको राज की जांघों पर सवार करने का कोई इरादा नही था... वो तो बस अपनी झिझक दूर करने के लिए ही उसको शरम से पानी पानी कर देना चाहती थी... जब अंजलि ने राज को उसकी पनटी और ब्रा पर नज़र घूमते देखा तो वो राज का आशहया समझ गयी.. उसने गौरी को छोड़ दिया," जा उठकर अपने कपड़े पहन ले... अब तो समझ आ गया होगा की कितनी शर्म आती है.. अगर तू सच में दिल से मुझे दीदी कहती है तो प्लीज़ यहाँ से चली जा...
गौरी को अपनी ग़लती का अहसास हो गया था पर उसको इश्स कदर गरम करके राज की बाहों से उठा देना उसको अजीब सा लगा.. पर अपने आपको उसने संभाला और अपनी नाइटी पहन ली. वह आकर अपनी दीदी मा से लिपट गयी," आइ लव यू मम्मी!"
पहली बार गौरी को अहसास हुआ की नारी चाहे सग़ी मा हो या सौतेली.. पर मा तो मा ही होती है ...
पहली बार उसने अंजलि को मा कहा.. दोनों की आँखें छलक आई......
उधर टफ ने तो जैसे अपनी जिंदगी के सारे सेक्स के अनुभवोव को एक साथ ही सरिता और प्यारी की चूत में डाल देना था.... उनकी चूत इतनी पास पास थी की एक चूत से दूसरी चूत में लंड के जाने का पता ही टफ को नाहो लगता था... पता लगता था तो सिर्फ़ सरिता और प्यारी की आवाज़ों से... जिसकी चूत से उसका लंड बाहर निकलता वो तड़प उठती और जिसकी चूत में वो जाता वो सिसक उठती.... कामना सेक्स के इश्स जादूगर को बिना हीले देख रही थी... बिना पालक झपकाए...
उधर राकेश भी जी भर कर 2-2 लड़कियों को मस्त बना रहा था... एक की चूत में लंड सररर सर्ररर जा रहा था और दूसरी की चूत में उंगली अपना काम कर रही थी... जब एक का काम हो गया तो उसने एक्सपाइर माल की तरह उसको एकतरफ ढाका दिया और दूसरी को जन्नत की सैर करने लगा... लगभग 15-20 मिनिट में ही उसने दोनो को निहाल कर दिया और खुद भी लंड चूत से बाहर निकल कर निढाल हो गया... तीनो हाल्फ रहे थे....
गौरी अपनी मम्मी की गोद से उठकर अलग हो गयी और उन्न दो जवान पांच्छियों को यौवन सुख के लिए अकेला छोड़ दिया... पर अस्ल मुसीबत तो बाहर गेट पर खड़ी थी... जैसे ही गौरी ने दरवाजा खोला... बाहर खड़ी सभी लड़कियाँ आपा धापी में भाग ली.... गौरी के होश उड़ गये... उसने झट से दरवाजा बंद कर दिया और हैरत
से राज और अंजलि की और देखने लगी... राज और अंजलि भी सारा माजरा समझ गये....
उधर टफ दोनों के अस्थि पंजर ढीले करके अपनी पॅंट पहन ही रहा था जब उसको अचानक कमरों के बहा शोर सुनाई दियाअ...
सब का नशा एक दम से काफूर हो गया...
कुच्छ देर बाद राज टफ के कमरे में आया...," उसने देखा एक और लड़की खड़ी है दीवार से लगकर ... वो रो रही थी... ," कामना, अपने रूम में जाओ!"
"मैं नही जवँगी सर! मैं कैसे जाऊं... सबने सब कुछ देख लिया होगा... वो उस्स वक़्त तक भी नंगी खड़ी थी... पर राज ने उसकी ओर ध्यान तक नही दिया...
"ठीक है.. तुम जल्दी से कपड़े पहनो और अंजलि मेडम के पास जाओ... हम सब ठीक कर देंगे... कुछ सोचते है.." दोनो लड़कियाँ और प्यारी दूसरे कमरे में चली गयी...
राज ने टफ से पूछा," क्या करें भाई... बॅंड बज गया"
टफ ने बेड के सिरहाने से अपना सिर लगाया और सिग्गेरेत्टे सुलगा ली...," मुझे सोचने दो!"
टफ और राज आपस में बात कर ही रहे थे की अंजलि और प्यारी भी उसी कमरे में आ गयी...," अब क्या होगा?" अंजलि के माथे पर चिंता की सिल्वट सॉफ दिखाई दे रही थी... प्यारी भी कम परेशन नही थी... उसकी 'इज़्ज़त' खराब होने का डर उसको भी सता रहा था....
टफ ने सिग्गेरेत्टे बुझाते हुए कहा... "मेरे पास एक आइडिया तो है... पर सफल होगा या नही; इसकी कोई गॅरेंटी नही है...."
"जल्दी बताओ ना!" अंजलि इश्स बात को दबाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी...
"देखो पसंद ना आए तो मत लेना... लेकिन में सीरीयस हूँ... मैने एक इंग्लीश मूवी में ऐसा देखा था..." टफ ने बताने से पहले उनको भरोसे में लेना चाहा...
" अब कुछ बको भी... या पहेलियाँ ही बुझते रहोगे..."राज अपना धैर्या खोता जा रहा था... उसको शिवानी से बहुत डर लगता था...
टफ ने अपना थर्ड क्लास आइडिया उगल दिया..," हम एक खेल खेलेंगे कल रात को जिसमें बारी बारी से सब लड़कियाँ अपने कपड़े उतारती जायेंगी.."
"बकवास करने की भी हद होती है यार! हूमें यहाँ अपने कपड़े बचाने की पड़ी है.. और तुम दूसरी लड़कियों के भी कपड़े उतरने की सोच रहे हो... कुच्छ तो सोचा होता..." राज उसकी बात सुनकर फफक पड़ा....
"पूरी बात सुनोगे या नही?" टफ ने ज़ोर से चिल्लाकर राज को चुप कर दिया...
अंजलि ने भी राज से सहमति जताई," ऐसा कभी हो ही नही सकता... वो गाँव की लड़कियाँ हैं... तुम्हारी ब्लू फिल्म की हेरोइन नही.."
"फिर तो एक ही तरीका है.. बचने का.." टफ अब भी शैतानी कर रहा था... उसका था भी क्या... गाँव में भी जाता तो जाता; ना भी जाता...
"अब क्या है!" सारे उसकी बात सुनकर पक रहे थे...
"स्यूयिसाइड!" उसने कहा और उठकर बाथरूम चला गया...
सभी के दिमाग़ काम करना बंद कर चुके थे... आख़िर उन्होने टफ की ही शरण ली... अंजलि ने प्यार से टफ को कहा," अच्छा तुम पूरा तरीका बताओ!"
"अरे बहुत सारे तरीके हैं... गोली खा लो, फाँसी पर...!"टफ को अंजलि ने बीच में ही रोक दिया.. उसने तकिया उठाकर प्यार से टफ के मुँह पर दे मारा...," वो बताओ; पहले वाला..." अंजलि को लगा, भागते चोर की लंगोटी पकड़ लेनी चाहिए!
"ध्यान से सुनो.. पूरा सुन-ने से पहले अगर कोई बीच में बोला तो में उठकर चला जवँगा.. आज ही ड्यूटी पर... अपना क्या है? एक तो साला तुम्हारे बारे में फोकट में दिमाग़ घिसाओ, उपर से तुम्हारे नखरे भी सुनो.... अगर मंजूर हो तो उन्न छिप्कलियो को भी बुला लो... प्लान को ठीक से समझ कर उसकी अड्वर्टाइज़्मेंट कर देंगी...
प्यारी झट से उठ कर दूसरे कमरे में डरी बैठी उन्न ," छिप्कलियो" को बुला लाई...
तीनों लड़कियों के आने के बाद टफ ने बोलना शुरू किया:
"देखो! हमारे पास इश्स रास्ते के अलावा दूसरा कोई रास्ता नही है की हम सभी लड़कियों को इश्स खेल में शामिल करें.. और जब हमाम में सभी नंगे हो जाएँगे तो फिर किसका डर रहेगा... इसके लिए इन्न लड़कियों का हमारा साथ देना ज़रूरी है... ये अब कमरों में जाकर
बेशर्मी से ये बताएँगी की उन्होने हमसे एक खेल सीखा है... बहुत ही मजेदार खेल... खेल
में धीरे धीरे करके अपने कपड़े उतारने पड़ते हैं.. और जो इश्स खेल में पीछे
रहेगी.. वो हारेगी.. और जिसके कपड़े सबसे पहले उतरेंगे वो इश्स खेल में विजेता होगी...
मुझे पता है उन्हे शुरू में बहुत झिझक होगी.. पर वो सब इनके बाकी लड़कियों को बताने के तरीके पर डिपेंड करता है... और सुबह अंजलि के भासन पर भी....
अंजलि को जब सुना की उसको भी लड़कियों को इश्स बारे में बोलना पड़ेगा तो वो एक दम से टफ को टोकने को हुई.. पर उसको टफ की बात याद आ गयी... बीच में ना बोलने वाली....
टफ का प्लान जारी था...
"सारी नही तो कुछ लड़कियाँ ज़रूर खेलने को तैयार हो जाएँगी... पर हुमको हर एक लड़की को नंगा करना है... इश्स खेल से हमें कम से कम ये तो पता लग ही जाएगा की कौन कौन लड़कियाँ नंगी नही हुई... बस! वही हमारे लिए ख़तरा बन सकती हैं... उनके बारे में बाद में सोचेंगे... हां जो कुच्छ अंजलि को सुबह लड़कियों को कहना है... उससे मुझे विस्वास है की जिन लड़कियों का बदन दिखाने लायक है... वो तो तकरीबन ही तैयार हो जाएँगी... अब तुम तीनो जाओ और खेल का प्रचार शुरू कर दो... उनको खुल कर ये बताना है की इश्स खेल में जो मज़ा है... वो आज तक तुम्हे नही आया... बाकी प्लान में आप को बता दूँगा...
"एक दो तो मेरे कहने से ही तैयार हो जाएगी.." सरिता ने टफ की और देखते हुए कहा..
"अरे हां! जिन लड़कियों के राज तुम तीनो जानती हो उनको तो पहले ही तैयार कर लो ताकि वो भी तुम्हारे साथ दूसरी लड़कियों को खेल के लिए तैयार कर लें.... तुम सबसे पहले उन्ही को मेरे पास लेकर आओ!" टफ ने लड़कियों को जाते हुए रोक कर कहा..
कुच्छ ही देर बाद काई और लड़कियाँ भी उनक 'गेम प्रमोटर ग्रूप' में शामिल हो गयी.... कविता, दिव्या, अदिति, मुस्कान, नेहा; इन्न सबको मिला कर अब कुल 10 लड़कियाँ कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी... तीनो ने इन सबको प्यार से या फिर ब्लाकक्मैँलिंग की डर से तैयार कर लिया था गेम में शामिल होने के लिए... सभी कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी...
टफ इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों को देखकर खुश हो गया... "बस अब हमारा ग़मे सुपेरहित होकर रहेगा..." अब तो सिर्फ़ 34 ही बची हैं..."" तुम क्पडे उतारने के लिए तैयार हो या थोड़ी प्रॅक्टीस चाहिएगी... अभी..."
एक साथ काई लड़कियाँ बोल पड़ी," नही सर! हम तैयार हैं...."
"गुड! अब अंजलि मेडम तुम्हे कल सुबह खेल की आवस्यकता और उसके फ़ायदों के बारे में जानकारी देंगी... जाओ अब सभी अपने अपने रूम्स में इश्स खेल के बारे में बताना शुरू कर दो.. ऑल थे बेस्ट!"
लड़कियाँ चली गयी... जाते ही अंजलि टफ पर बरस पड़ी... "मैं कैसे सबको इश्स बारे में...!"
राज ने अंजलि को बीच में ही टोक दिया.. ," डोंट वरी! मैं बता दूँगा! मुझको ऐसी बातें बताने का बड़ा शौक है.. आगे वो माने या ना माने... वो उनकी मर्ज़ी... " राज अपनी लाइफ में पहली बार इतना सीरीयस हुआ था, लड़कियों की बात पर....
"क्या बोलना है... ये भी बता दो!" राज ने टफ से पूछा...
टफ ने उसको अपने प्लान का थीम बता दिया.. और बाकी खुद सोच लेने को कह दिया..
सब के चेहरे पर निसचिंत-ता सी झलकने लगी थी... कुछ कुछ... प्यारी और अंजलि उठ कर कमरे में चली गयी....
"क्या हो गया यार!" टूर का सारा मज़ा खराब हो गया....
" कुच्छ नही हुआ! सो जा... सुबह देखना कितना मज़ा आएगाअ" टफ ने राज को कहा और करवट बदल कर आँखें बंद कर ली.....
राज की आँखों में नींद नही थी... यही हाल अंजलि का भी था... पर प्यारी को अपने यार पर पूरा भरोसा था.... वो जल्द ही खर्राटे लेने लगी...
तो भाई लोग कैसी लगी ये कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना कहानी अभी बाकी है.आगे की कहानी आप गर्ल्स स्कूल--16 मैं पढ़ सकते है.
कहानी अगले पार्ट मैं तब तक के लिए विदा
लकिन दोस्तो कहानी पढ़ने के बाद एक कमेंट दे दिया करो मैं भी खुश हो जाउगा तो फिर देर मत कीजिए अपना कमेंट देने मैं