hotaks444
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धीरे-2 मेरी और वीनू की जान पहचान बढ़ने लगी…वीनू की दो लड़किया थी और एक लड़का था…तीनो स्कूल मे पढ़ते थी….धीरे-2 मुझे वीनू के धंधे के बारे मे भी पता चल गया…कोई 2 महीनो तक उसने हमारी बहुत मदद की…पर मे उसकी एक बात से बहुत खुस थी, कि उसने कभी भी मुझे अपने धंधे मे शामिल होने को ना ही कहा., और ना ही मेरे सामने कोई ऐसी बात की…वीनू ने मेरे पति का इलाज भी करवाया…पर पति का घाव कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा था….हम वीनू के अहसान तले दबते जा रहे थे…पर उसने कभी भी मुझे ना तो मजबूर किया और ना ही उकसाया…कि मे ये काम करूँ…वो नेहा को भी अपनी बेटी जैसे मानती थी…हमारा दिन रात का खाना अब वहाँ ही होता था…इसके बदले मे उसके घर की सॉफ सफाई और उसके कपड़े वगेरहा सॉफ करने लगी…वो भी मुझ से बहुत खुस थी…
पर आख़िर वो भी कब तक हमारी मदद करती…धीरे-2 हमारी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी…एक दिन गोपाल ने फ़ैसला किया कि, हम अपने गाँव वापिस चलेंगे…पर गाँव वापिस जाने के लिए भी कम से कम 1000 रुपये तो चाहिए थे…गोपाल ने मुझे वीनू से बात करने को कहा…
पर मेरा दिल पैसे माँगने के लिए मान नही रहा था…आख़िर और कितना झुक सकती थी मे….पर मेरे पास और कोई चारा भी ना था…
एक दिन वो हुआ…जिसने मेरी जिंदगी को पूरी तराहा बदल दिया….रात के 9 बज रहे थे….मे वीनू के घर पर खाना बना कर अभी बाहर आँगन मे बैठी थी….वीनू के घर का आँगन काफ़ी बड़ा था…रात को वो बाहर ही सोती थी…बाहर मे कूलर के सामने बैठ कर अपने पसीने को सुखा रही थी…वीनू भी बाहर पलंग पर मेरे साथ बैठी हुई थी….
तभी उसका मोबाइल बजा….वीनू ने नो देखा…नंबर देखते हुए उसके होंटो पर मुस्कान आ गई…
वीनू: हेलो अभी और बातों कैसे याद किया हमे….
अभी एक 25 साल का बहुत ही गोरा चित्ता लड़का था…वो काफ़ी पैसे वाला था…और वीनू का पक्का कस्टमर था…वो महीने मे एक दो बार वीनू के पास आता और वीनू हर बार उसके लिए कोई ना कोई नयी लड़की ढूढ़ कर उसके साथ भेज देती…वो कई बार घर पर आ चुका था…इसलिए मे उसे जानती थी…पर मेरी उससे कोई बात नही हुई थी…
वीनू: अभी मे तुझे 5 मिनट बाद कॉल करती हूँ…अभी तो टाइम बहुत हो गया है…देखती हूँ कहीं कोई आने को राज़ी हो जाए
वीनू ने फोन काट दिया…और सोच मे पढ़ गयी….
मे: क्या हुआ दीदी कोई परेशानी है….
वीनू; (मुस्करते हुए) वो अपना अभी है ना….उसका लंड आकड़ा हुआ है…..और उसको चूत चाहिए…पर अब इस टाइम कहाँ से किसी को ढूंधू…तू तो जानती है…कि ऐसे कस्टमर्स को मे नाराज़ नही कर सकती….
थोड़ी देर सोचने के बाद वीनू ने मेरी तरफ देखा….मेने उस समय सारी और ब्लाउस पहना हुआ था….फिर उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी…और मेरी तरफ देखते हुए बोली
वीनू: तू मिलेगी अभी से…मिलने से उसका मतलब उस लड़के के साथ बिस्तर पर लेटना…मेरे तो जैसे हाथ पैर सुन्न हो गये…मुझे समझ मे नही आ रहा था..कि मे वीनू दीदी को क्या जवाब दूं…उनके इतने अहसान थे हम पे कि, मे सीधे -2 मना नही कर सकती थी….
मे: (थोड़ी देर सोचने के बाद) पर दीदी आप तो जानती हो…मे ऐसी औरत नही हूँ…मेने कभी ऐसा काम नही किया है….मेरे पति के अलावा मुझे किसी दूसरे मर्द ने छुआ भी नही है….(वो अलग बात थी कि मेरे और जेठ जी के बीच संबंधों को मेरे जेठानी के अलावा और कोई नही जानता था)
वीनू: मे जानती हूँ रचना….पर इस समय मे कोई और लड़की या औरत कहाँ से लाउ…रचना मेरी ये बात मान ले, वरना अगर वो लड़का एक बार मेरे हाथ से निकल गया…तो इस शहर मे मेरे जैसे और भी बहुत हैं….प्लीज़ मना मत करना…..
मे: पर दीदी मे ये काम नही कर सकती…आप के हम पर बड़े अहसान हैं…हम थोड़े दिनो मे गाँव चले जाएँगे…और वहाँ से आप के पैसे वापिस भेंज देंगे..
क्रमशः.................
पर आख़िर वो भी कब तक हमारी मदद करती…धीरे-2 हमारी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी…एक दिन गोपाल ने फ़ैसला किया कि, हम अपने गाँव वापिस चलेंगे…पर गाँव वापिस जाने के लिए भी कम से कम 1000 रुपये तो चाहिए थे…गोपाल ने मुझे वीनू से बात करने को कहा…
पर मेरा दिल पैसे माँगने के लिए मान नही रहा था…आख़िर और कितना झुक सकती थी मे….पर मेरे पास और कोई चारा भी ना था…
एक दिन वो हुआ…जिसने मेरी जिंदगी को पूरी तराहा बदल दिया….रात के 9 बज रहे थे….मे वीनू के घर पर खाना बना कर अभी बाहर आँगन मे बैठी थी….वीनू के घर का आँगन काफ़ी बड़ा था…रात को वो बाहर ही सोती थी…बाहर मे कूलर के सामने बैठ कर अपने पसीने को सुखा रही थी…वीनू भी बाहर पलंग पर मेरे साथ बैठी हुई थी….
तभी उसका मोबाइल बजा….वीनू ने नो देखा…नंबर देखते हुए उसके होंटो पर मुस्कान आ गई…
वीनू: हेलो अभी और बातों कैसे याद किया हमे….
अभी एक 25 साल का बहुत ही गोरा चित्ता लड़का था…वो काफ़ी पैसे वाला था…और वीनू का पक्का कस्टमर था…वो महीने मे एक दो बार वीनू के पास आता और वीनू हर बार उसके लिए कोई ना कोई नयी लड़की ढूढ़ कर उसके साथ भेज देती…वो कई बार घर पर आ चुका था…इसलिए मे उसे जानती थी…पर मेरी उससे कोई बात नही हुई थी…
वीनू: अभी मे तुझे 5 मिनट बाद कॉल करती हूँ…अभी तो टाइम बहुत हो गया है…देखती हूँ कहीं कोई आने को राज़ी हो जाए
वीनू ने फोन काट दिया…और सोच मे पढ़ गयी….
मे: क्या हुआ दीदी कोई परेशानी है….
वीनू; (मुस्करते हुए) वो अपना अभी है ना….उसका लंड आकड़ा हुआ है…..और उसको चूत चाहिए…पर अब इस टाइम कहाँ से किसी को ढूंधू…तू तो जानती है…कि ऐसे कस्टमर्स को मे नाराज़ नही कर सकती….
थोड़ी देर सोचने के बाद वीनू ने मेरी तरफ देखा….मेने उस समय सारी और ब्लाउस पहना हुआ था….फिर उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी…और मेरी तरफ देखते हुए बोली
वीनू: तू मिलेगी अभी से…मिलने से उसका मतलब उस लड़के के साथ बिस्तर पर लेटना…मेरे तो जैसे हाथ पैर सुन्न हो गये…मुझे समझ मे नही आ रहा था..कि मे वीनू दीदी को क्या जवाब दूं…उनके इतने अहसान थे हम पे कि, मे सीधे -2 मना नही कर सकती थी….
मे: (थोड़ी देर सोचने के बाद) पर दीदी आप तो जानती हो…मे ऐसी औरत नही हूँ…मेने कभी ऐसा काम नही किया है….मेरे पति के अलावा मुझे किसी दूसरे मर्द ने छुआ भी नही है….(वो अलग बात थी कि मेरे और जेठ जी के बीच संबंधों को मेरे जेठानी के अलावा और कोई नही जानता था)
वीनू: मे जानती हूँ रचना….पर इस समय मे कोई और लड़की या औरत कहाँ से लाउ…रचना मेरी ये बात मान ले, वरना अगर वो लड़का एक बार मेरे हाथ से निकल गया…तो इस शहर मे मेरे जैसे और भी बहुत हैं….प्लीज़ मना मत करना…..
मे: पर दीदी मे ये काम नही कर सकती…आप के हम पर बड़े अहसान हैं…हम थोड़े दिनो मे गाँव चले जाएँगे…और वहाँ से आप के पैसे वापिस भेंज देंगे..
क्रमशः.................