hotaks444
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अब आगे के स्टोरी रचना की ज़ुबानी फिर से शुरू होती है.
मे रात भर अपनी बेटी नेहा की चुदाई का खेल देख-2 कर गरम होती रही. और अपनी चूत की आग को अपनी उंगली करके ठंडा करने की कोशिस करती रही. पर कहाँ बाबू जी का 8 इंच का लौदा और कहाँ मेरी पतली सी छोटी सी उंगली. मे सारी रात तड़पति रही. सुबह के 3 बजे मे सो गयी.
अगली सुबह मे 10 बजे तक सोती रही . जब मेरी नींद खुली. तो मेने अपने आस पास देखा. मे अभी के साथ वाले रूम मे थी. मेरी सलवार बेड के नीचे फर्श पर गिरी हुई थी. और पॅंटी बेड के एक कोने मे. सुबह मुझे यकीन नही हो रहा था. कि नेहा की बाबू जी ने इतनी जबरदस्त चुदाई की है. मे वैसे ही बेड पर खड़ी हो गयी. और उसे छेद मे से झाँकने लगी.
नेहा बाबू जी के साथ चिपकी हुई सो रही थी. मे सुबह-2 गरम हो कर अपना मूड खराब नही करना चाहती थी. मेने अपनी पॅंटी उठाई और पहन कर बेड से नीचे उतर कर अपनी फर्श पर पड़ी सलवार को उठा कर पहनने लगी.
सलवार पहन कर मे बाहर आ कर बाथरूम चली गयी. फ्रेश होने के बाद मे नहाने लगी. और नहा कर किचन मे आ गयी. टाइम काफ़ी हो गया था. इसलिए सोचा पहले नाश्ता बना लूँ. फिर चाइ बना कर बाबू जी और नेहा को उठाती हूँ.
मे नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाते समय भी मेरे दिमाग़ मे रात को हुई नेहा की चुदाई के सीन ही नज़र आ रहे थे. ना चाहते हुए भी मेरी चूत मे खुजली होने लगी. पर फिर मेने अपने सर को झटका और नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाने के बाद मेने चाइ बना कर कप्स मे डाली और अभी के रूम के तरफ गयी. रूम के डोर के पास पहुच कर मेने डोर क्नॉक किया. मुझे पता था. कि नेहा और अभी दोनो अंदर नंगें है. और उन्हें डोर खोलने मे टाइम लगेगा. कुछ मिनिट बाद मेने फिर से डोर नॉक किया
और थोड़ी देर बाद नेहा ने डोर खोला. नेहा के बॉल बिखरे हुए थे. और उसके होंटो पर दाँतों से काटने के निशान भी थे. मुझे नेहा की हालत पर थोड़ा सा तरस आ गया. मेने नेहा के गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला.
मे: उठ गयी बेटा.
नेहा: जी माँ.
मे: जा बातरूम हो आ. और फ्रेश हो जा. मेने चाइ बना दी है. और नाश्ता भी पहले नहा ले. फिर मे तुझे चाइ नाश्ता देती हूँ.
नेहा: (मुझसे नज़रें मिलाए बिना) ठीक है मा.
और नेहा बाथरूम मे चली गयी. और मे रूम मे अंदर चली गयी. अभी रज़ाई ओढ़ बेड के रेस्ट सीट से पीठ टिका कर बैठा हुआ था. मुझे देखते ही उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी. और मे भी शर्मा कर मसूकुराने लगी.
मेने चाइ की ट्रे को टेबल पर रखा. और अभी के पास जाकर बेड पर बैठ गयी.
अभी: क्यों देखा कैसे नेहा मेरे लंड पर अपनी चूत पटक रही थी. क्यों मज्जा आया.
मे: (उदास सा मुँह बनाते हुए) किया बाबू जी कहाँ मज़ा आया. इधर आप और नेहा चुदने का मज्जा ले रही थी. उधर मे अपनी चूत मे उंगली ले कर चूत की आग बुझाने की कॉसिश कर रही थी.
अभी: अर्रे मेरी रानी नाराज़ क्यों हो रही हूँ. मे तुम दोनो की चूत के खुजली मिताउन्गा ना. अब आगे देखना नेहा और तुम दोनो दिन भर मेरा लंड अपनी चूत मे लेकर रहना. ठीक है
ये कहते हुए बाबू जी मेरे खुले हुए बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. मे बेड पर आ गये.
मे रात भर अपनी बेटी नेहा की चुदाई का खेल देख-2 कर गरम होती रही. और अपनी चूत की आग को अपनी उंगली करके ठंडा करने की कोशिस करती रही. पर कहाँ बाबू जी का 8 इंच का लौदा और कहाँ मेरी पतली सी छोटी सी उंगली. मे सारी रात तड़पति रही. सुबह के 3 बजे मे सो गयी.
अगली सुबह मे 10 बजे तक सोती रही . जब मेरी नींद खुली. तो मेने अपने आस पास देखा. मे अभी के साथ वाले रूम मे थी. मेरी सलवार बेड के नीचे फर्श पर गिरी हुई थी. और पॅंटी बेड के एक कोने मे. सुबह मुझे यकीन नही हो रहा था. कि नेहा की बाबू जी ने इतनी जबरदस्त चुदाई की है. मे वैसे ही बेड पर खड़ी हो गयी. और उसे छेद मे से झाँकने लगी.
नेहा बाबू जी के साथ चिपकी हुई सो रही थी. मे सुबह-2 गरम हो कर अपना मूड खराब नही करना चाहती थी. मेने अपनी पॅंटी उठाई और पहन कर बेड से नीचे उतर कर अपनी फर्श पर पड़ी सलवार को उठा कर पहनने लगी.
सलवार पहन कर मे बाहर आ कर बाथरूम चली गयी. फ्रेश होने के बाद मे नहाने लगी. और नहा कर किचन मे आ गयी. टाइम काफ़ी हो गया था. इसलिए सोचा पहले नाश्ता बना लूँ. फिर चाइ बना कर बाबू जी और नेहा को उठाती हूँ.
मे नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाते समय भी मेरे दिमाग़ मे रात को हुई नेहा की चुदाई के सीन ही नज़र आ रहे थे. ना चाहते हुए भी मेरी चूत मे खुजली होने लगी. पर फिर मेने अपने सर को झटका और नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाने के बाद मेने चाइ बना कर कप्स मे डाली और अभी के रूम के तरफ गयी. रूम के डोर के पास पहुच कर मेने डोर क्नॉक किया. मुझे पता था. कि नेहा और अभी दोनो अंदर नंगें है. और उन्हें डोर खोलने मे टाइम लगेगा. कुछ मिनिट बाद मेने फिर से डोर नॉक किया
और थोड़ी देर बाद नेहा ने डोर खोला. नेहा के बॉल बिखरे हुए थे. और उसके होंटो पर दाँतों से काटने के निशान भी थे. मुझे नेहा की हालत पर थोड़ा सा तरस आ गया. मेने नेहा के गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला.
मे: उठ गयी बेटा.
नेहा: जी माँ.
मे: जा बातरूम हो आ. और फ्रेश हो जा. मेने चाइ बना दी है. और नाश्ता भी पहले नहा ले. फिर मे तुझे चाइ नाश्ता देती हूँ.
नेहा: (मुझसे नज़रें मिलाए बिना) ठीक है मा.
और नेहा बाथरूम मे चली गयी. और मे रूम मे अंदर चली गयी. अभी रज़ाई ओढ़ बेड के रेस्ट सीट से पीठ टिका कर बैठा हुआ था. मुझे देखते ही उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी. और मे भी शर्मा कर मसूकुराने लगी.
मेने चाइ की ट्रे को टेबल पर रखा. और अभी के पास जाकर बेड पर बैठ गयी.
अभी: क्यों देखा कैसे नेहा मेरे लंड पर अपनी चूत पटक रही थी. क्यों मज्जा आया.
मे: (उदास सा मुँह बनाते हुए) किया बाबू जी कहाँ मज़ा आया. इधर आप और नेहा चुदने का मज्जा ले रही थी. उधर मे अपनी चूत मे उंगली ले कर चूत की आग बुझाने की कॉसिश कर रही थी.
अभी: अर्रे मेरी रानी नाराज़ क्यों हो रही हूँ. मे तुम दोनो की चूत के खुजली मिताउन्गा ना. अब आगे देखना नेहा और तुम दोनो दिन भर मेरा लंड अपनी चूत मे लेकर रहना. ठीक है
ये कहते हुए बाबू जी मेरे खुले हुए बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. मे बेड पर आ गये.