hotaks444
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मैं- डॉली.. एक बात कहूँ?
डॉली- कहो।
मैं- आज एक गाना याद आ रहा है।
डॉली- कौन सा वाला।
मैं- मुझे और जीने की ख्वाहिश न होती.. अगर तुम न होते, अगर तुम न होते।
डॉली- किसी को अपने दिल में इतनी जगह भी मत दे दो कि उसके जाने से तुम्हारी दुनिया ही वीरान हो जाए।
मैंने उसे कस कर पकड़ते हुए कहा- मैं कहीं जाने दूँ तब न… वैसे ये सब क्यूँ बोल रही हो?
डॉली- परसों से मेरी नई फिल्म की शूटिंग स्टार्ट हो रही है। सो मैं तुम्हें अब ज्यादा वक़्त नहीं दे पाऊँगी। बस इसीलिए कह रही थी।
मैं- और तुम मुझे ये कब बताने वाली थी?
डॉली- अभी-अभी.. और मैंने बता दिया न.. अब उदास वाली सूरत मत बनाओ। वैसे भी हम मिलते रहेंगे।
मैं- मैं समझ सकता हूँ तुम्हारी परेशानी। सो चिंता मत करो और अपने कैरियर पर ध्यान दो।
सड़क किनारे लगे फ़ूड स्टाल्स का मज़ा लेते हुए हमने एक यादगार वक़्त साथ बिताया और फिर अपने-अपने घर चले गए।
मैंने उसे ज़रा सा भी एहसास नहीं होने दिया कि उसके दूर होने से मुझ पर क्या बीतेगी। मैं तो उसे यूं ही अपनी बांहों में ही रखना चाहता था.. पर उसे स्क्रिप्ट की तैयारी करनी थी। सो मैं अपने फ्लैट में आ गया।
डॉली की फिल्म की शूटिंग मलेशिया में हो रही थी और मेरी यहाँ मुंबई में ही।
अब तो कभी-कभार ही हमें वक़्त मिल पाता था। अक्सर शूटिंग के वक़्त उससे मुलाकात होती और शूटिंग ख़त्म होते ही एक गाड़ी.. उसे दूसरे लोकेशन पर ले जाने को खड़ी रहती।
मैं अक्सर उसे रोकने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाता.. पर वो शायद मुझे देख ही नहीं पाती थी।
हमारी आज की शूटिंग ख़त्म हो चुकी थी और अब एक आखिरी बार परसों हमें शूट करना था और काफी दिनों से मेरी डॉली से ढंग से बात नहीं हो पाई थी.. सो मैं पागल हुआ जा रहा था।
शूट ख़त्म होते ही सबके सामने मैंने डॉली का हाथ पकड़ा और उसे अपनी वैन में ले जाने लगा।
डॉली- विजय.. यह क्या कर रहे हो? सब क्या सोचेंगे?
मैं- यही कि हम दोनों एक-दूसरे के प्यार में पागल हैं और एक-दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते।
डॉली ने वैन में आ गई पर मुझसे दूर बैठ गई।
‘मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।’
मैं- क्या..? तुम्हें इस तरह अपने साथ लाना या मेरा तुम्हें हद से ज्यादा प्यार करना?
डॉली- हर चीज़ अपनी हद में ही रहे तो अच्छी लगती है.. वर्ना चुभने लगती है।
‘मेरा प्यार तुम्हें चुभने लगा है..!’
फिर मैंने उसके हाथ को थामते हुए आगे कहा- डॉली अगर मुझसे कोई भी गलती हुई हो.. तो प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैंने तुम्हें ही अपना सब कुछ माना है और तुम ही मुझसे रूठ जाओगी तो मैं सांस भी कैसे ले पाऊँगा।
डॉली- तुम अब बच्चे नहीं हो। जो हर बात को बताना पड़े। तुम समझदार हो और तुम्हारे सामने अपना कैरियर है.. उस पर फोकस करो।
वो गेट खोल बाहर जाते हुए बोली- बाय..!
ये आखिर इस तरह क्यूँ चली गई..? मुझसे क्या गलती हो गई..? ऐसा लग रहा था मानो कोई धीरे-धीरे मेरे दिल में सुई चुभो रहा हो.. और फिर उसी तरह बाहर निकाल रहा हो।
मेरे लिए तो सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।
मैंने वैन के दरवाज़े को बंद किया और खुद को शराब के नशे में डुबो दिया। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
कोमल ने बहुत कोशिश की कि मैं उसके साथ घर चलूँ.. पर मैं सबके जाने के बाद अकेला ही सड़कों पर पैदल अपने घर की ओर निकल पड़ा।
एक हाथ में शराब की एक बोतल और दूसरे में गिलास। बरसात की हल्की फुहारें अब तेज़ हो गई थीं। मैं वहीं सड़क पर बैठ गया। बोतल से गिलास में पैग डालता और बारिस उस जाम को पूरा भर देती।
बरसात की बूंदों में.. मेरे आंसू भी खो गए थे जैसे.. तभी एक कार मेरे ठीक सामने आकर रुकी।
ड्राईवर नीचे उतरा और मुझे उठा कर उस कार में बिठा दिया। मैंने अपनी बोझिल होती आँखों से उसे पहचानने की कोशिश की..
काजल थी वो..
उसे देखा और बेहोश हो कर वहीं उसकी गोद में गिर पड़ा।
न जाने कितने वक़्त तक मैं ऐसे ही बेसुध पड़ा रहा। आखिरकार मुझे होश आया तो फिर से आज मेरे सर में तेज़ दर्द हो रहा था और टेबल पर सर दर्द की दवा और एक गिलास पानी रखा था। मैं दवा खा कर जैसे ही बिस्तर से उठने को हुआ कि चक्कर की वजह से फिर से गिर पड़ा।
‘लोगों के प्यार में गिरने की बात तो सुनी थी, पर आज देख भी लिया।’
यह कहते हुए काजल कमरे में दाखिल हुई।
मैं- मुझे पता था कि मेरे दोस्त मुझे थाम लेंगे.. थैंक यू..!
काजल- तोड़ दिया न दिल तुमने? ‘थैंक यू’ मत बोलो.. अब बताओ कि कल मरने का इरादा था क्या? मैं तुम्हें नहीं पहचानती.. तो पता नहीं क्या हो जाता!
मैं- वो डॉली की बातों ने बेचैन कर दिया था मुझे.. तुमने उसे तो कुछ भी नहीं बताई हो न? वो बेकार में ही परेशान हो जाएगी।
मैं बात कर ही रहा था कि कोमल वहाँ आ गई।
कोमल- काजल जी ने मुझे बताया कि कल तुम किस हाल में थे.. कैसे तुम किसी पर इतना भरोसा कर लेते हो..! वो तुम्हारे लायक नहीं थी.. सो तुमसे अलग हो गई। तुम भी बिल्कुल पागल हो।
मैं- अरे तुम लोग गलत समझ रही हो। ऐसी कोई बात नहीं है। बस उसे थोड़ा काम का टेंशन होगा.. इसीलिए मुझे इग्नोर कर रही होगी। मुझे पता है.. वो आज भी मुझे उतना ही चाहती है।
कोमल- तुम्हें कुछ भी नहीं कहा उसने?
मैं- तुम किस बारे में बात कर रही हो?
काजल- कल कुछ ख़ास लोगों को एक पार्टी दी गई थी। डॉली ने वो पार्टी होस्ट की थी.. ब्रेकअप पार्टी थी वो…
फिर से मेरी साँसें बढ़नी शुरू हो गईं।
मैं- कौन है वो?
काजल- वहीं जिसके साथ मेरी पार्टी में डॉली को देख कर तुम बेचैन हुए थे और उसी के साथ अभी उसने दो और फ़िल्में साइन की हैं।
मैंने कुछ भी नहीं कहा और बाहर जाने लगा।
कोमल ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- कहाँ जा रहे हो?.. अभी यहीं रुको.. तुम और कुछ भी बेवकूफी मत करो।
मैं जबरन अपना हाथ छुड़ाता हुआ बाहर आ गया। मैंने टैक्सी ली.. और उस स्टूडियो की ओर निकल पड़ा.. जिसने डॉली को साइन किया था। वहाँ अभी मीडिया वाले भी आए हुए थे। कोई प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी शायद..
डॉली- कहो।
मैं- आज एक गाना याद आ रहा है।
डॉली- कौन सा वाला।
मैं- मुझे और जीने की ख्वाहिश न होती.. अगर तुम न होते, अगर तुम न होते।
डॉली- किसी को अपने दिल में इतनी जगह भी मत दे दो कि उसके जाने से तुम्हारी दुनिया ही वीरान हो जाए।
मैंने उसे कस कर पकड़ते हुए कहा- मैं कहीं जाने दूँ तब न… वैसे ये सब क्यूँ बोल रही हो?
डॉली- परसों से मेरी नई फिल्म की शूटिंग स्टार्ट हो रही है। सो मैं तुम्हें अब ज्यादा वक़्त नहीं दे पाऊँगी। बस इसीलिए कह रही थी।
मैं- और तुम मुझे ये कब बताने वाली थी?
डॉली- अभी-अभी.. और मैंने बता दिया न.. अब उदास वाली सूरत मत बनाओ। वैसे भी हम मिलते रहेंगे।
मैं- मैं समझ सकता हूँ तुम्हारी परेशानी। सो चिंता मत करो और अपने कैरियर पर ध्यान दो।
सड़क किनारे लगे फ़ूड स्टाल्स का मज़ा लेते हुए हमने एक यादगार वक़्त साथ बिताया और फिर अपने-अपने घर चले गए।
मैंने उसे ज़रा सा भी एहसास नहीं होने दिया कि उसके दूर होने से मुझ पर क्या बीतेगी। मैं तो उसे यूं ही अपनी बांहों में ही रखना चाहता था.. पर उसे स्क्रिप्ट की तैयारी करनी थी। सो मैं अपने फ्लैट में आ गया।
डॉली की फिल्म की शूटिंग मलेशिया में हो रही थी और मेरी यहाँ मुंबई में ही।
अब तो कभी-कभार ही हमें वक़्त मिल पाता था। अक्सर शूटिंग के वक़्त उससे मुलाकात होती और शूटिंग ख़त्म होते ही एक गाड़ी.. उसे दूसरे लोकेशन पर ले जाने को खड़ी रहती।
मैं अक्सर उसे रोकने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाता.. पर वो शायद मुझे देख ही नहीं पाती थी।
हमारी आज की शूटिंग ख़त्म हो चुकी थी और अब एक आखिरी बार परसों हमें शूट करना था और काफी दिनों से मेरी डॉली से ढंग से बात नहीं हो पाई थी.. सो मैं पागल हुआ जा रहा था।
शूट ख़त्म होते ही सबके सामने मैंने डॉली का हाथ पकड़ा और उसे अपनी वैन में ले जाने लगा।
डॉली- विजय.. यह क्या कर रहे हो? सब क्या सोचेंगे?
मैं- यही कि हम दोनों एक-दूसरे के प्यार में पागल हैं और एक-दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते।
डॉली ने वैन में आ गई पर मुझसे दूर बैठ गई।
‘मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।’
मैं- क्या..? तुम्हें इस तरह अपने साथ लाना या मेरा तुम्हें हद से ज्यादा प्यार करना?
डॉली- हर चीज़ अपनी हद में ही रहे तो अच्छी लगती है.. वर्ना चुभने लगती है।
‘मेरा प्यार तुम्हें चुभने लगा है..!’
फिर मैंने उसके हाथ को थामते हुए आगे कहा- डॉली अगर मुझसे कोई भी गलती हुई हो.. तो प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैंने तुम्हें ही अपना सब कुछ माना है और तुम ही मुझसे रूठ जाओगी तो मैं सांस भी कैसे ले पाऊँगा।
डॉली- तुम अब बच्चे नहीं हो। जो हर बात को बताना पड़े। तुम समझदार हो और तुम्हारे सामने अपना कैरियर है.. उस पर फोकस करो।
वो गेट खोल बाहर जाते हुए बोली- बाय..!
ये आखिर इस तरह क्यूँ चली गई..? मुझसे क्या गलती हो गई..? ऐसा लग रहा था मानो कोई धीरे-धीरे मेरे दिल में सुई चुभो रहा हो.. और फिर उसी तरह बाहर निकाल रहा हो।
मेरे लिए तो सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।
मैंने वैन के दरवाज़े को बंद किया और खुद को शराब के नशे में डुबो दिया। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
कोमल ने बहुत कोशिश की कि मैं उसके साथ घर चलूँ.. पर मैं सबके जाने के बाद अकेला ही सड़कों पर पैदल अपने घर की ओर निकल पड़ा।
एक हाथ में शराब की एक बोतल और दूसरे में गिलास। बरसात की हल्की फुहारें अब तेज़ हो गई थीं। मैं वहीं सड़क पर बैठ गया। बोतल से गिलास में पैग डालता और बारिस उस जाम को पूरा भर देती।
बरसात की बूंदों में.. मेरे आंसू भी खो गए थे जैसे.. तभी एक कार मेरे ठीक सामने आकर रुकी।
ड्राईवर नीचे उतरा और मुझे उठा कर उस कार में बिठा दिया। मैंने अपनी बोझिल होती आँखों से उसे पहचानने की कोशिश की..
काजल थी वो..
उसे देखा और बेहोश हो कर वहीं उसकी गोद में गिर पड़ा।
न जाने कितने वक़्त तक मैं ऐसे ही बेसुध पड़ा रहा। आखिरकार मुझे होश आया तो फिर से आज मेरे सर में तेज़ दर्द हो रहा था और टेबल पर सर दर्द की दवा और एक गिलास पानी रखा था। मैं दवा खा कर जैसे ही बिस्तर से उठने को हुआ कि चक्कर की वजह से फिर से गिर पड़ा।
‘लोगों के प्यार में गिरने की बात तो सुनी थी, पर आज देख भी लिया।’
यह कहते हुए काजल कमरे में दाखिल हुई।
मैं- मुझे पता था कि मेरे दोस्त मुझे थाम लेंगे.. थैंक यू..!
काजल- तोड़ दिया न दिल तुमने? ‘थैंक यू’ मत बोलो.. अब बताओ कि कल मरने का इरादा था क्या? मैं तुम्हें नहीं पहचानती.. तो पता नहीं क्या हो जाता!
मैं- वो डॉली की बातों ने बेचैन कर दिया था मुझे.. तुमने उसे तो कुछ भी नहीं बताई हो न? वो बेकार में ही परेशान हो जाएगी।
मैं बात कर ही रहा था कि कोमल वहाँ आ गई।
कोमल- काजल जी ने मुझे बताया कि कल तुम किस हाल में थे.. कैसे तुम किसी पर इतना भरोसा कर लेते हो..! वो तुम्हारे लायक नहीं थी.. सो तुमसे अलग हो गई। तुम भी बिल्कुल पागल हो।
मैं- अरे तुम लोग गलत समझ रही हो। ऐसी कोई बात नहीं है। बस उसे थोड़ा काम का टेंशन होगा.. इसीलिए मुझे इग्नोर कर रही होगी। मुझे पता है.. वो आज भी मुझे उतना ही चाहती है।
कोमल- तुम्हें कुछ भी नहीं कहा उसने?
मैं- तुम किस बारे में बात कर रही हो?
काजल- कल कुछ ख़ास लोगों को एक पार्टी दी गई थी। डॉली ने वो पार्टी होस्ट की थी.. ब्रेकअप पार्टी थी वो…
फिर से मेरी साँसें बढ़नी शुरू हो गईं।
मैं- कौन है वो?
काजल- वहीं जिसके साथ मेरी पार्टी में डॉली को देख कर तुम बेचैन हुए थे और उसी के साथ अभी उसने दो और फ़िल्में साइन की हैं।
मैंने कुछ भी नहीं कहा और बाहर जाने लगा।
कोमल ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- कहाँ जा रहे हो?.. अभी यहीं रुको.. तुम और कुछ भी बेवकूफी मत करो।
मैं जबरन अपना हाथ छुड़ाता हुआ बाहर आ गया। मैंने टैक्सी ली.. और उस स्टूडियो की ओर निकल पड़ा.. जिसने डॉली को साइन किया था। वहाँ अभी मीडिया वाले भी आए हुए थे। कोई प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी शायद..