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थ्रिलर २
समुद्र और बनारसी बाला -रीत
रात 11:30 अरब सागर- ‘टेरर’ एल॰पी॰जी॰ शिप के स्टर्न के ऊपर की ओर। दोनों सी किंग हेलीकाप्टर जो उनके साथ चले थे, अब टेरर शिप के स्टर्न के ऊपर पहुँच चक्कर काट रहे थे और उन्होंने अपनी उंचाई कम करनी शुरू कर दी। वो शिप से पचास मीटर ऊपर रहे होंगे, की शिप से टक-टक टक-टक, ऐंटी एयर क्राफट गन की आवाजें शुरू हो गई थी। अब कोई शक नहीं था की वो एनमी शिप था।
लेकिन वो हेलीकाप्टर और उसके चालक इस सिच्युएशन के लिए तैयार थे, उन्होंने पहले तो डक किया लेकिन फिर अचानक ऊपर उड़ गए और दोनों अलग-अलग दिशाओं में दायें बाएं ऊपर उड़ चले। ऐंटी एयर क्राफ्ट गन, लाइट गन्स की गोलियां अब भी उनका पीछा कर रही थी।
रीत और उनके साथी मार्कोस, अब एकदम शिप के पास पहुँच गए थे और शिप में चढ़ने के लिए रोप लैडर का इश्तेमाल शुरू करने वाले थे। शिप के सारे लोगों का ध्यान उन दोनों हेलीकाप्टर पर था। और उसी बीच, एक और हेलीकाप्टर ठीक शिप के बीच इतना नीचे आ गया, की लगा वो शिप पर लैण्ड कर रहा है। उसके पंखों की हवा से शिप की छोटी मोटी चीजें उड़ने लगी थी। और जब तक शिप की ऐंटी एयर क्राफ्ट गन अपना निशाना बदलते, हेलीकाप्टर की गन चालू हो गईं थी। लेकिन वो गोलियों की जगह बाम्ब्स थ्रो कर रही थी- स्मोक बाम्ब।
और उसी के साथ रीत की टीम शिप के वाल पे चढ़ चुकी थी। सबसे आगे मार्कोस का लीडर था, जिसने नेवी सील्स के साथ एक साल ट्रेनिंग की थी, कई ऐक्चुअल एंटी टेरर आपस में भाग लिया था। उसने गैस मास्क लगा लिया और उसके साथ बाकी लोगों ने भी।
सबसे पहले उसने शिप के फ्लोर पर दो स्मोक बाम्ब लुढ़का दिए और फिर पूरी ताकत से आँसू गैस के कैनिस्टर फेंके। जब तक स्मोक बाम्ब्स का धुँआ छा जाता, वो चारों शिप के अंदर थे। उधर हेलीकाप्टर के होल्ड से अब पैराट्रूपर शिप पर उतर रहे थे।
एक, दो, चार, छः और तब दायें बाएं वाले हेलीकाप्टर भी आ गए और उनसे भी शिप के दोनों साइड पर पैराट्रूपर उतर रहे थे। शिप के अंदर के लोग सब उनके मुकाबले को आ गये। लेकिन तब तक तीनों हेलीकाप्टर से स्मोक बाम्ब्स तेजी से फेंके गए और शिप पे धुँआ, कुहासा छा गया। वो पैराट्रूपर सारे डमी थे।
नार्मण्डी लैंडिंग में ब्रिटेन ने एक सीक्रेट आपरेशन लांच किया था, आपरेशन टाइटैनिक, जिसमें ये डमी पैराट्रूपर इश्तेमाल हुए थे और उन्हें रूपर्ट कहा गया था। ये भी बिलकुल उसी तरह थे लेकिन थोड़े एडवांस। एल॰पी॰जी॰ चलते असली गोली तो चला नहीं सकते थे, इसलिए उनमें गोली की आवाज रिकार्ड थी और नकली पिस्तौल फ्लैश करती थी।
कोई उन्हें छूने की या पकड़ने की कोशिश करता था तो टेजर नीडल्स निकलती थी, जिनमें 440 वोल्ट का झटका होता था। और शिप के फ्लोर से लड़ते ही स्टेन ग्रेनेडस निकलते। उसका असर ये हुआ की ढेर सारे लोग काम के काबिल नहीं रहे और रीत की टीम को काम करने का मौका मिल गया।
शिप पर बहुत कन्फ्यूजन था। पहले स्मोक बाम्ब्स, और फिर ये डमी पैराट्रूपर्स। लग रहा था चारों ओर गोलियां चल रही है और जो उनके पास आता वो शाक का शिकार हो रहा था। और गोलियों का उनपर असर हो नहीं रहा था। होता भी कैसे? वो तो डमी थे।
हाँ, डी॰आर॰डी॰ओ॰ ने उनमें रोबोटिक्स का इतना अच्छा इश्तेमाल किया था की चलने फिरने में, वो एक पैरा की तरह लगते थे। यहाँ तक की कुछ पैरा में तो उन्होंने गालियां तक रिकार्ड कर रखी थी, वो भी एक से एक बनारसी, शुद्ध। लेकिन सबसे इम्पॉर्टेंट बात थी उनकी आँखें चारों ओर थी और वो कैमरे रिकार्ड कर लाइव फीड, ऊपर हेलीकाप्टर तक भेज रहे थे, जहाँ से वो कोस्टगार्ड शिप में जा रहा था। और उसे मार्कोस टीम के कैप्टेन के पास भी एनलाइज करके भेजा जा रहा था।
रीत की टीम काम पे लग गई थी। उनके पास बस पन्दरह मिनट का टाइम था, लेकिन उन्हें 11 से 12 मिनट के बीच में शिप एवैकयूएट कर देना था। पहला शिकार रीत के ही हाथ लगा। कमांडो टीम कैप्टेन ने आगे बढ़कर एक दरवाजा था उसे सिक्योर कर दिया। चारों प्वाइंट उसके इसी॰ओ॰र थे। और उसके बाद शिप के कम्युनिकेशन और पावर केबल स्नैप कर दिए।
टीम का रियर एंड भी मार्कोस का एक कमांडो सिक्योर कर रहा था। लेकिन हमला बीच में हुआ। रीत और उसका साथी जगह लोकेट कर रहे थे, तभी एक केबिन खुला और बिजली की तेजी से किसी ने रीत पर हमला किया।
हर कमांडो के चार आँखें चार कान होते हैं, लेकिन रीत के दस थे। वो फुर्ती से पीछे हटी, उसका घुटना अटैकर के पेट में और हाथ से कराते का चाप, गरदन पे। और जब तक वो सम्हलता, रीत ने उसके माथे के पास एक नस दबा दी, जिससे उसके ब्रेन पे सीधे असर पड़ा और वो आधे घंटे से ज्यादा के लिए बेहोश हो गया।
लेकिन ये शुरुवात थी। उसके बाद दो ने और हमला किया, एक साथ। उन दोनों के हाथ में चाकू था। और वो दोनों जूडो के एक्सपर्ट थे। चाकू का पहला हमला गर्दन पर हुआ। रीत झुक गई। हमला बेकार हो गया, लेकिन उसकी कैप गिर गई और उसके लम्बे बाल नीचे तक फैल गए।
“अरे ये तो लौंडिया है…”
समुद्र और बनारसी बाला -रीत
रात 11:30 अरब सागर- ‘टेरर’ एल॰पी॰जी॰ शिप के स्टर्न के ऊपर की ओर। दोनों सी किंग हेलीकाप्टर जो उनके साथ चले थे, अब टेरर शिप के स्टर्न के ऊपर पहुँच चक्कर काट रहे थे और उन्होंने अपनी उंचाई कम करनी शुरू कर दी। वो शिप से पचास मीटर ऊपर रहे होंगे, की शिप से टक-टक टक-टक, ऐंटी एयर क्राफट गन की आवाजें शुरू हो गई थी। अब कोई शक नहीं था की वो एनमी शिप था।
लेकिन वो हेलीकाप्टर और उसके चालक इस सिच्युएशन के लिए तैयार थे, उन्होंने पहले तो डक किया लेकिन फिर अचानक ऊपर उड़ गए और दोनों अलग-अलग दिशाओं में दायें बाएं ऊपर उड़ चले। ऐंटी एयर क्राफ्ट गन, लाइट गन्स की गोलियां अब भी उनका पीछा कर रही थी।
रीत और उनके साथी मार्कोस, अब एकदम शिप के पास पहुँच गए थे और शिप में चढ़ने के लिए रोप लैडर का इश्तेमाल शुरू करने वाले थे। शिप के सारे लोगों का ध्यान उन दोनों हेलीकाप्टर पर था। और उसी बीच, एक और हेलीकाप्टर ठीक शिप के बीच इतना नीचे आ गया, की लगा वो शिप पर लैण्ड कर रहा है। उसके पंखों की हवा से शिप की छोटी मोटी चीजें उड़ने लगी थी। और जब तक शिप की ऐंटी एयर क्राफ्ट गन अपना निशाना बदलते, हेलीकाप्टर की गन चालू हो गईं थी। लेकिन वो गोलियों की जगह बाम्ब्स थ्रो कर रही थी- स्मोक बाम्ब।
और उसी के साथ रीत की टीम शिप के वाल पे चढ़ चुकी थी। सबसे आगे मार्कोस का लीडर था, जिसने नेवी सील्स के साथ एक साल ट्रेनिंग की थी, कई ऐक्चुअल एंटी टेरर आपस में भाग लिया था। उसने गैस मास्क लगा लिया और उसके साथ बाकी लोगों ने भी।
सबसे पहले उसने शिप के फ्लोर पर दो स्मोक बाम्ब लुढ़का दिए और फिर पूरी ताकत से आँसू गैस के कैनिस्टर फेंके। जब तक स्मोक बाम्ब्स का धुँआ छा जाता, वो चारों शिप के अंदर थे। उधर हेलीकाप्टर के होल्ड से अब पैराट्रूपर शिप पर उतर रहे थे।
एक, दो, चार, छः और तब दायें बाएं वाले हेलीकाप्टर भी आ गए और उनसे भी शिप के दोनों साइड पर पैराट्रूपर उतर रहे थे। शिप के अंदर के लोग सब उनके मुकाबले को आ गये। लेकिन तब तक तीनों हेलीकाप्टर से स्मोक बाम्ब्स तेजी से फेंके गए और शिप पे धुँआ, कुहासा छा गया। वो पैराट्रूपर सारे डमी थे।
नार्मण्डी लैंडिंग में ब्रिटेन ने एक सीक्रेट आपरेशन लांच किया था, आपरेशन टाइटैनिक, जिसमें ये डमी पैराट्रूपर इश्तेमाल हुए थे और उन्हें रूपर्ट कहा गया था। ये भी बिलकुल उसी तरह थे लेकिन थोड़े एडवांस। एल॰पी॰जी॰ चलते असली गोली तो चला नहीं सकते थे, इसलिए उनमें गोली की आवाज रिकार्ड थी और नकली पिस्तौल फ्लैश करती थी।
कोई उन्हें छूने की या पकड़ने की कोशिश करता था तो टेजर नीडल्स निकलती थी, जिनमें 440 वोल्ट का झटका होता था। और शिप के फ्लोर से लड़ते ही स्टेन ग्रेनेडस निकलते। उसका असर ये हुआ की ढेर सारे लोग काम के काबिल नहीं रहे और रीत की टीम को काम करने का मौका मिल गया।
शिप पर बहुत कन्फ्यूजन था। पहले स्मोक बाम्ब्स, और फिर ये डमी पैराट्रूपर्स। लग रहा था चारों ओर गोलियां चल रही है और जो उनके पास आता वो शाक का शिकार हो रहा था। और गोलियों का उनपर असर हो नहीं रहा था। होता भी कैसे? वो तो डमी थे।
हाँ, डी॰आर॰डी॰ओ॰ ने उनमें रोबोटिक्स का इतना अच्छा इश्तेमाल किया था की चलने फिरने में, वो एक पैरा की तरह लगते थे। यहाँ तक की कुछ पैरा में तो उन्होंने गालियां तक रिकार्ड कर रखी थी, वो भी एक से एक बनारसी, शुद्ध। लेकिन सबसे इम्पॉर्टेंट बात थी उनकी आँखें चारों ओर थी और वो कैमरे रिकार्ड कर लाइव फीड, ऊपर हेलीकाप्टर तक भेज रहे थे, जहाँ से वो कोस्टगार्ड शिप में जा रहा था। और उसे मार्कोस टीम के कैप्टेन के पास भी एनलाइज करके भेजा जा रहा था।
रीत की टीम काम पे लग गई थी। उनके पास बस पन्दरह मिनट का टाइम था, लेकिन उन्हें 11 से 12 मिनट के बीच में शिप एवैकयूएट कर देना था। पहला शिकार रीत के ही हाथ लगा। कमांडो टीम कैप्टेन ने आगे बढ़कर एक दरवाजा था उसे सिक्योर कर दिया। चारों प्वाइंट उसके इसी॰ओ॰र थे। और उसके बाद शिप के कम्युनिकेशन और पावर केबल स्नैप कर दिए।
टीम का रियर एंड भी मार्कोस का एक कमांडो सिक्योर कर रहा था। लेकिन हमला बीच में हुआ। रीत और उसका साथी जगह लोकेट कर रहे थे, तभी एक केबिन खुला और बिजली की तेजी से किसी ने रीत पर हमला किया।
हर कमांडो के चार आँखें चार कान होते हैं, लेकिन रीत के दस थे। वो फुर्ती से पीछे हटी, उसका घुटना अटैकर के पेट में और हाथ से कराते का चाप, गरदन पे। और जब तक वो सम्हलता, रीत ने उसके माथे के पास एक नस दबा दी, जिससे उसके ब्रेन पे सीधे असर पड़ा और वो आधे घंटे से ज्यादा के लिए बेहोश हो गया।
लेकिन ये शुरुवात थी। उसके बाद दो ने और हमला किया, एक साथ। उन दोनों के हाथ में चाकू था। और वो दोनों जूडो के एक्सपर्ट थे। चाकू का पहला हमला गर्दन पर हुआ। रीत झुक गई। हमला बेकार हो गया, लेकिन उसकी कैप गिर गई और उसके लम्बे बाल नीचे तक फैल गए।
“अरे ये तो लौंडिया है…”