hotaks444
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वो घुटुर-घुटुर कर के पी रहा था| कड़ी महक से लग रहा था कि ये देसी दारू की बोतल है| उसका मुँह तो बोतल से बंद था हीं, ‘इन्होंने’ एक-दो और धक्के कस के मारे| बोतल हटा के नंदोई ने एक बार फिर से उसके गोरे-गोरे कमसिन गाल सहलाते हुए फिर अपना तन्नाया लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया|
‘इन्होंने’ आँख से नंदोई जी को इशारा किया, मैं समझ गई कि क्या होने वाला है? और वही हुआ|
नंदोई ने कस के उसका सिर पकड़ के मोटा लंड पूरी ताकत से अंदर पेल के उसका मुँह अच्छी तरह बंद कर दिया और मजबूती से उसके कंधे को पकड़ लिया| उधर ‘इन्होंने’ भी उसका शिश्न छोड़ के दोनों हाथों से कमर पकड़ के वो करारा धक्का लगाया कि दर्द के मारे वो गों गों करता रहा, लेकिन बिना रुके एक के बाद एक ‘ये’ कस-कस के पलते रहे|
उसके चेहरे का दर्द... आँखों में बेचारे के आँसू तैर रहे थे|
लेकिन मैं जानती थी कि ऐसे समय रहम दिखाना ठीक नहीं और ‘इन्होंने’ भी ऑलमोस्ट पूरा लौड़ा उसकी कसी गांड़ में ठूंस दिया|
वो छटपटाता रहा, गांड़ पटकता रहा, गों गों करता रहा लेकिन बेरहमी से वो ठेलते रहे| मोटा लंड मुँह में होने से उसके गाल भी पूरे फूले, आँखे निकली पड़ रही थी|
“बोल साल्ले, मादरचोद, तेरी बहन की माँ का भोंसड़ा मारूं, बोल मज़ा आ रहा है गांड़ मराने में?” उसके चूतड़ पे दुहथड़ जमाते हुए ‘ये’ बोले|
नंदोई ने एक पल के लिए अपना लंड बाहर निकाल लिया और वो भी हँस के बोले,
“आइडिया अच्छा है, तेरी सास बड़ी मस्त माल है, क्या चूचियाँ हैं उसकी! पूछ इस साल्ले से चुदवायेगी वो? क्या साईज है उस छिनाल की चूचियों की?”
“बोल साल्ले, क्या साईज है उसकी चूचियों की? माल तो बिंदास है|” उसके बाल खींचते हुए ‘इन्होंने’ उसके गाल पे एक आँसू चाट लिया और कचकचा के गाल काट लिए|
“38 डीडी...” वो बोला|
“अरे भोंसड़ी के, क्या 38 डीडी... साफ-साफ बोल...” उसके गाल पे अपने लंड से सटासट मारते नंदोई बोले|
“सीना...छाती...चूचि|” वो बोला|
“सच में, जैसे तेरी कसी कसी गांड़ मारने में मज़ा आ रहा है वैसे उसकी भी बड़ी-बड़ी चूचियाँ पकड़ के मस्त चूतड़ों के बीच... क्या गांड़ है? बहोत मज़ा आएगा!”
‘ये’ बोले और इन्होंने बचा-खुचा लंड भी ठेल दिया| मेरे छोटे भाई की चीख निकल गई.|
मैं सोच रही थी कि तो क्या मेरी माँ के साथ भी... कैसे-कैसे सोचते है ये... वैसे ये बात सही भी थी कि मेरी माँ की चूचियाँ और चूतड़ बहुत मस्त थे और हम सब बहनें बहुत कुछ उन पे गई थीं| वैसे भी बहुत दिन हो गए होंगे, उनकी बुर को लंड खाए हुए|
“क्या मस्त गांड़ मराता है तू यार... मजा आ गया| बहुत दिन हो गए ऐसी मस्त गांड़ मारे हुए|” हल्के-हल्के गांड़ मारते हुए ‘ये’ बोले|
नंदोई कभी उसे चूम रहे थे तो कभी उससे अपना सुपाड़ा चटवा चुसवा रहे थे| उन्होंने पूछा, “क्या हुआ जो तुझे इस साल्ले की गांड़ में ये मज़ा आ रहा है?”
वो बोले, “अरे इसकी गांड़, जैसे कोई कोई हाथ से लंड को मुट्ठियाते हुए दबाए, वैसे लंड को भींच रही है| ये साल्ला नेचुरल गाण्डू है|” और एक झटके में सुपाड़े तक लंड बाहर कर के सटासट गपागप उसकी गांड़ मारना शुरू कर दिया|
मैंने देखा कि जब उनका लंड बाहर आता तो ‘इनके’ मोटे मूसल पे उसके गांड़ का मसाला... लेकिन मेरी नज़र सरक के उसके लंड पे जा रही थी| सुन्दर सा प्यारा, खड़ा, कभी मन करता था कि सीधे मुँह में ले लूं तो कभी चूत में लेने का...
तभी सुनाई पड़ा, ‘ये’ बोल रहे थे,
“साल्ले, आज के बाद से कभी मना मत करना गांड़ मराने के लिए, तुझे तो मैं अब पक्का गंडुआ बना दूँगा और कल होली में तेरी सारी बहनों की गांड़ मारूंगा, चूत तो चोदूंगा हीं| तुझे तेरी कौन छिनाल बहन पसंद है? बोल साल्ले... इस गांड़ मराने के लिये तुझे अपनी साली ईनाम में दूँगा|”
मैंने मन में कहा कि ईनाम में तो वो ‘उनकी’ छोटी बहन की मस्त कच्ची चूत की सील तो वो सुबह हीं खोल चुका है|
वो बोला, “सबसे छोटी वाली...लेकिन अभी वो छोटी है...”
“अरे उसकी चिन्ता तू छोड़... चोद-चोद कर इस होली के मौके पे तो मैं उसकी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा और... अपनी सारी सालियों को रंडी की तरह चोदूंगा... चल तू भी क्या याद करेगा| सारी तेरी बहनों को तुझसे चुदवा के तुझे गाण्डू के साथ नम्बरी बहनचोद भी बना दूँगा|”
उन लोगों ने तो बोतल पहले हीं खाली कर दी थी| नंदोई उसे भी आधी से ज्यादा देसी बोतल पिला के खाली कर चुके थे और वो भी नशे में मस्त हो गया था|
“अरे कहाँ हो...?” तब तक जेठानी की आवाज़ गूंजी|
‘इन्होंने’ आँख से नंदोई जी को इशारा किया, मैं समझ गई कि क्या होने वाला है? और वही हुआ|
नंदोई ने कस के उसका सिर पकड़ के मोटा लंड पूरी ताकत से अंदर पेल के उसका मुँह अच्छी तरह बंद कर दिया और मजबूती से उसके कंधे को पकड़ लिया| उधर ‘इन्होंने’ भी उसका शिश्न छोड़ के दोनों हाथों से कमर पकड़ के वो करारा धक्का लगाया कि दर्द के मारे वो गों गों करता रहा, लेकिन बिना रुके एक के बाद एक ‘ये’ कस-कस के पलते रहे|
उसके चेहरे का दर्द... आँखों में बेचारे के आँसू तैर रहे थे|
लेकिन मैं जानती थी कि ऐसे समय रहम दिखाना ठीक नहीं और ‘इन्होंने’ भी ऑलमोस्ट पूरा लौड़ा उसकी कसी गांड़ में ठूंस दिया|
वो छटपटाता रहा, गांड़ पटकता रहा, गों गों करता रहा लेकिन बेरहमी से वो ठेलते रहे| मोटा लंड मुँह में होने से उसके गाल भी पूरे फूले, आँखे निकली पड़ रही थी|
“बोल साल्ले, मादरचोद, तेरी बहन की माँ का भोंसड़ा मारूं, बोल मज़ा आ रहा है गांड़ मराने में?” उसके चूतड़ पे दुहथड़ जमाते हुए ‘ये’ बोले|
नंदोई ने एक पल के लिए अपना लंड बाहर निकाल लिया और वो भी हँस के बोले,
“आइडिया अच्छा है, तेरी सास बड़ी मस्त माल है, क्या चूचियाँ हैं उसकी! पूछ इस साल्ले से चुदवायेगी वो? क्या साईज है उस छिनाल की चूचियों की?”
“बोल साल्ले, क्या साईज है उसकी चूचियों की? माल तो बिंदास है|” उसके बाल खींचते हुए ‘इन्होंने’ उसके गाल पे एक आँसू चाट लिया और कचकचा के गाल काट लिए|
“38 डीडी...” वो बोला|
“अरे भोंसड़ी के, क्या 38 डीडी... साफ-साफ बोल...” उसके गाल पे अपने लंड से सटासट मारते नंदोई बोले|
“सीना...छाती...चूचि|” वो बोला|
“सच में, जैसे तेरी कसी कसी गांड़ मारने में मज़ा आ रहा है वैसे उसकी भी बड़ी-बड़ी चूचियाँ पकड़ के मस्त चूतड़ों के बीच... क्या गांड़ है? बहोत मज़ा आएगा!”
‘ये’ बोले और इन्होंने बचा-खुचा लंड भी ठेल दिया| मेरे छोटे भाई की चीख निकल गई.|
मैं सोच रही थी कि तो क्या मेरी माँ के साथ भी... कैसे-कैसे सोचते है ये... वैसे ये बात सही भी थी कि मेरी माँ की चूचियाँ और चूतड़ बहुत मस्त थे और हम सब बहनें बहुत कुछ उन पे गई थीं| वैसे भी बहुत दिन हो गए होंगे, उनकी बुर को लंड खाए हुए|
“क्या मस्त गांड़ मराता है तू यार... मजा आ गया| बहुत दिन हो गए ऐसी मस्त गांड़ मारे हुए|” हल्के-हल्के गांड़ मारते हुए ‘ये’ बोले|
नंदोई कभी उसे चूम रहे थे तो कभी उससे अपना सुपाड़ा चटवा चुसवा रहे थे| उन्होंने पूछा, “क्या हुआ जो तुझे इस साल्ले की गांड़ में ये मज़ा आ रहा है?”
वो बोले, “अरे इसकी गांड़, जैसे कोई कोई हाथ से लंड को मुट्ठियाते हुए दबाए, वैसे लंड को भींच रही है| ये साल्ला नेचुरल गाण्डू है|” और एक झटके में सुपाड़े तक लंड बाहर कर के सटासट गपागप उसकी गांड़ मारना शुरू कर दिया|
मैंने देखा कि जब उनका लंड बाहर आता तो ‘इनके’ मोटे मूसल पे उसके गांड़ का मसाला... लेकिन मेरी नज़र सरक के उसके लंड पे जा रही थी| सुन्दर सा प्यारा, खड़ा, कभी मन करता था कि सीधे मुँह में ले लूं तो कभी चूत में लेने का...
तभी सुनाई पड़ा, ‘ये’ बोल रहे थे,
“साल्ले, आज के बाद से कभी मना मत करना गांड़ मराने के लिए, तुझे तो मैं अब पक्का गंडुआ बना दूँगा और कल होली में तेरी सारी बहनों की गांड़ मारूंगा, चूत तो चोदूंगा हीं| तुझे तेरी कौन छिनाल बहन पसंद है? बोल साल्ले... इस गांड़ मराने के लिये तुझे अपनी साली ईनाम में दूँगा|”
मैंने मन में कहा कि ईनाम में तो वो ‘उनकी’ छोटी बहन की मस्त कच्ची चूत की सील तो वो सुबह हीं खोल चुका है|
वो बोला, “सबसे छोटी वाली...लेकिन अभी वो छोटी है...”
“अरे उसकी चिन्ता तू छोड़... चोद-चोद कर इस होली के मौके पे तो मैं उसकी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा और... अपनी सारी सालियों को रंडी की तरह चोदूंगा... चल तू भी क्या याद करेगा| सारी तेरी बहनों को तुझसे चुदवा के तुझे गाण्डू के साथ नम्बरी बहनचोद भी बना दूँगा|”
उन लोगों ने तो बोतल पहले हीं खाली कर दी थी| नंदोई उसे भी आधी से ज्यादा देसी बोतल पिला के खाली कर चुके थे और वो भी नशे में मस्त हो गया था|
“अरे कहाँ हो...?” तब तक जेठानी की आवाज़ गूंजी|