desiaks
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ड्राइवर ने जोर से ब्रेक लगाकर जीप रोक दी।
देशराज की तंद्रा भंग हुई, बोला—“क्या हुआ?”
“सड़क के उस तरफ कुछ पड़ा है साब, शायद कोई लाश!”
“लाश?”
“हां साब—शायद लाश ही है, उस तरफ देखिए …।” कहने के साथ ड्राइवर ने बाईं तरफ वाले फुटपाथ की ओर इशारा किया—जीप की हैडलाइट सड़क पर सीधी पड़ रही थी—इसलिए फुटपाथ का दृश्य साफ तो नजर न आया मगर ऐसा आभास जरूर मिला कि वहां कुछ पड़ा है, देशराज ने आदेश दिया—“जीप तिरछी कर।”
ड्राइवर ने आदेश का पालन किया।
सचमुच लाश ही थी वह!
देशराज, पांडुराम और ड्राइवर के साथ जीप से निकलकर लाश के नजदीक पहुंचा।
वह किसी बूढ़े की लाश थी—जिस्म पर नीला कुर्ता, सफेद धोती और पैरों में जूतियां—किसी ने बड़ी बेरहमी से उसके चेहरे पर चाकू मारे थे—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि हत्यारे ने बूढ़े का समूचा चेहरा उधेड़ डाला था।
लाश पर मक्खियां भिनभिना रही थीं।
“हवलदार!” देशराज ने घृणा से मुंह सिकोड़ा—“अगर हमने इस बुड्ढे की लाश की बरामदगी अपने इलाके से दिखाई तो साली एक मुसीबत जान को उलझ जाएगी—इसका पंचनामा करो, पोस्टमार्टम कराओ, शिनाख्त न होने पर श्मशान ले जाकर फूंकने की जहमत उठाओ।”
“शिनाख्त तो इसकी हो ही नहीं सकती साब!” पांडुराम ने कहा—“क्रियाकर्म करने वाले ने साले के चेहरे की तिक्काबोटी अलग-अलग कर डाली है।”
“हमारे पास इसके हत्यारे की खोज में सिर खपाने का टाइम भी कहां है—और उधर अखबार वाले शोर मचाएंगे, अफसरान फिर कहेंगे देशराज के हलके में बहुत क्राइम हो रहे हैं और देशराज कुछ कर नहीं रहा।”
“फिर क्या करें साब?”
“सारी मुसीबतों से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता है, इसे यहां से उठाकर बगल वाले थाने के हलके में फेंक आते हैं—इस मुसीबत को साले वे ही भुगतें।”
“ओ.के. सर!”
“तो उठाओ इसे, जीप में डाल लो।”
ड्राइवर और पांडुराम ने मिलकर लाश इस तरह जीप में डाली जैसे भूसे की बोरी हो।
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देशराज की तंद्रा भंग हुई, बोला—“क्या हुआ?”
“सड़क के उस तरफ कुछ पड़ा है साब, शायद कोई लाश!”
“लाश?”
“हां साब—शायद लाश ही है, उस तरफ देखिए …।” कहने के साथ ड्राइवर ने बाईं तरफ वाले फुटपाथ की ओर इशारा किया—जीप की हैडलाइट सड़क पर सीधी पड़ रही थी—इसलिए फुटपाथ का दृश्य साफ तो नजर न आया मगर ऐसा आभास जरूर मिला कि वहां कुछ पड़ा है, देशराज ने आदेश दिया—“जीप तिरछी कर।”
ड्राइवर ने आदेश का पालन किया।
सचमुच लाश ही थी वह!
देशराज, पांडुराम और ड्राइवर के साथ जीप से निकलकर लाश के नजदीक पहुंचा।
वह किसी बूढ़े की लाश थी—जिस्म पर नीला कुर्ता, सफेद धोती और पैरों में जूतियां—किसी ने बड़ी बेरहमी से उसके चेहरे पर चाकू मारे थे—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि हत्यारे ने बूढ़े का समूचा चेहरा उधेड़ डाला था।
लाश पर मक्खियां भिनभिना रही थीं।
“हवलदार!” देशराज ने घृणा से मुंह सिकोड़ा—“अगर हमने इस बुड्ढे की लाश की बरामदगी अपने इलाके से दिखाई तो साली एक मुसीबत जान को उलझ जाएगी—इसका पंचनामा करो, पोस्टमार्टम कराओ, शिनाख्त न होने पर श्मशान ले जाकर फूंकने की जहमत उठाओ।”
“शिनाख्त तो इसकी हो ही नहीं सकती साब!” पांडुराम ने कहा—“क्रियाकर्म करने वाले ने साले के चेहरे की तिक्काबोटी अलग-अलग कर डाली है।”
“हमारे पास इसके हत्यारे की खोज में सिर खपाने का टाइम भी कहां है—और उधर अखबार वाले शोर मचाएंगे, अफसरान फिर कहेंगे देशराज के हलके में बहुत क्राइम हो रहे हैं और देशराज कुछ कर नहीं रहा।”
“फिर क्या करें साब?”
“सारी मुसीबतों से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता है, इसे यहां से उठाकर बगल वाले थाने के हलके में फेंक आते हैं—इस मुसीबत को साले वे ही भुगतें।”
“ओ.के. सर!”
“तो उठाओ इसे, जीप में डाल लो।”
ड्राइवर और पांडुराम ने मिलकर लाश इस तरह जीप में डाली जैसे भूसे की बोरी हो।
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