Incest Kahani बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत - Page 4 - SexBaba
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Incest Kahani बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

विशाल- नेहा। तुम्हारा अभी तक नहीं हुआ।

जिसे सुनकर नेहा झट से दरवाजा खोलकर बाहर चली जाती हैं। दरवाजा बंद हो जाता है।

नेहा- ही हो गया विशाल चलिए।

विशाल- लेकिन कितनी देर नेहा।

नेहा- सारी बाबा... अब चलो।

विशाल- रुको मुझो भी बाथरुम जाना है।

नेहा विशाल के अंदर जाने की बात से डर जाती है क्योंकी अंदर तो राज है। और वो अभी-अभी अंदर से आई हैं। नेहा का दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है। नेहा मन में- "ओह नहीं। विशाल अंदर चला गया तो? ओ माई गोड... मैं अब क्या करेंग? ओहह नहीं। मुझे कैसे भी करके विशाल को रोकना होगा..."

विशाल बाभणाम के दरवाजे के पास जाने लगता है।

नेहा- "विशाल, वहां मत जहए। बहुत बदबू आती है वहां। मैं भी मुश्किल सी गई थी वहाँ.."

विशाल- अरे कोई बात नहीं बस दो मिनट की हो तो बात है।

नेहा- "विशाल, तुम ये कहीं और कर लेना। अभी चलो ना.. मुझे बहुत भूख लगी हैं और मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही। चलो ना..."

विशाल- लेकिन नेहा।

नेहा- प्लीज... चलो ना।

विशाल- अच्छा मेरी माँ चलो।

नेहा विशाल का हाथ पकड़ लेती है और वो दोनों जाने लगते हैं। नेहा एक बार पीछे मुड़कर देखती हैं। दरवाजा अभी भी बंद था। विशाल और नेहा जाकर खाने लगते हैं।

इधर राज बाथरूम में सोचता है- "साली का पति मुझे हमेशा डिस्टर्ब करता है। साली अच्छा खासा किस कर रही औ। कोई बात नहीं मेरी जान... तुझसे तो में बहुत कुछ करवागा..."

तभी वो अपना लण्ड मसलता है। फिर बाहर चला जाता है। वो दूसरी तरफ से आता है। वो देखता है की नेहा
और विशाल खाना खा रहे हैं। राज भी वहां पहुँच जाता है। नेहा राज को देखने लगती है। राज नेहा को घर रहा था, जैसे बोल रहा हो कि किस क्यों नहीं किया? नेहा कुछ रिएक्सन नहीं देती।

विशाल- अरे राज कहीं चले गये ?

राज- कहीं नहीं साहब, उधर एक तरफ चला गया था।

विशाल- खा लिया?

राज- "नहीं साहब, खाने का मौका ही नहीं मिला..' ये बात वो नेहा की तरफ देखकर करता है।

नेहा समझ जाती है की राज क्या बोल रहा है। नेहा झट से नीचे देखने लगती है।

विशाल- अरे तो अब खा लो ला।

राज- साहब अब खा लिया तो पता नहीं क्या हो जायगा?

नेहा नजरें झकाए हुए थी, और राज उसे ही देख रहा था।

विशाल- ऐऐसा क्यों?

राज. वो कुछ नहीं साहब। मैं अगर ज्यादा खाऊँगा तो गाड़ी चलते हुए लौंद आ जाएगी।

विशाल- वो तो ठीक है। लेकिन हल्का फुलका कुछ खा ली।

राज- "जी साहब..." फिर राज दूसरे टेबल पर बैठ कर कुछ आईर करके खाने लगता है। खाते हुए भी उसकी नजर नेहा की तरफ जा रही थी। उसके हाथ इतनी मस्त खूबसूरत जवान औरत लगी थी यही सोचकर उसकी उत्तेजना चरम पर थी। आधे घंटे बाद उनका खाना हो जाता है।

फिर सब कार की तरफ जाकर बैठ जाते हैं, और राज कार हाइवे पर दौड़ा देता है।
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खाना खाने के बाद नेहा को थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था। लेकिन उसको यह बात खाए जा रही थी की राज उसको जब चाहे तब इस्तेमाल कर रहा था, और वो खुद भी उसे रोक नहीं पा रही थी। आखोरकार, क्यों वो
अपने पति को नहीं बता देती राज की इस गंदी हरकत के बारे में? जो भी है नेहा राज के जाल में अब बहत अंदर तक फैंसती जा रही थी। पता नहीं क्या होगा उसका?

अब हाइवे पर कार तेजी से आगे बढ़ रही थी। कोई बात नहीं कर रहा था। लेकिन नेहा राज की घरे जा रही
ओ, पता नहीं क्यों? लोकल इस बार राज सिर्फ ड्राइविंग कर रहा था, बिना मिरर से नेहा को देखें।

इन दोनों की बात से बिल्कुल बेखबर विशाल अपने मोबाइल में बिजी था। कार चल रही थी। तभी एक बार राज की नजर मिरर पर जाती है तो उसे नेहा उसकी ही तरफ देखती हुई मिलती है। राज अपनी सबसे होतानी स्माइल उसे देता है। जो नेहा भी देख लेती है। नेहा फॉरन अपना मुँह उधर कर लेती है। तभी राज को कुछ सूझता है।

राज- "साहब एक बात बतानी भी आपको..."

नेहा राज की बात सुनकर चौंक जाती है। नेहा मन में- "इस बटे को क्या बतानी है अब, और कैसी बात? नेहा दूर जाती है कही राज बाथरूम वाली बात तो नहीं बताएगा, या फिर उसकी चुदाई वाली?" अब नेहा के पशीने छूट जाते हैं ये सब सोचकर। कहीं का कहीं। राज को भी अहसास होता है की नेहा ऐसा ही कुछ सोच सकती

विशाल मोबाइल पर देखते हुए- " बोलो क्या बात बतानी है?"

नेहा राज की तरफ बड़े ही हैरानी भरी नजर से देखने लगती हैं। जो राज देख लेता है।

राज- वो साहब उस ढावे पर ना।

नेहा अब बहुत डर जाती है।

विशाल- हाँ क्या ढाबे पर?

राज- वो ढाबे पर जो बाथरूम था ना।

नेहा की सांस जैसे अटक जाती है बाभरकम का नाम सुनकर। नेहा अब राज की तरफ बड़े ही मासूमियत से देखने लगती है। जैसे बोल रही हो प्लीज... मत बताओ। राज लेकिन उसकी तरफ देखकर मुश्कुरा रहा था।

राज- वो साहब बाथरूम के अंदर।

विशाल अभी भी मोबाइल पर कुछ कर रहा था- "हाँ हों बाथरूम के अंदर क्या?"

नेहा राज की तरफ देखते हुए अब अपना सिर ना में हिलाती है। जैसे बोल रही हो- "ये तुम क्या कर रहे हो? प्लीज़... ऐसा मत करो....

राज- "वो साहब...." इतना ही बोलकर वो नेहा की तरफ देखने लगता है, और स्माइल करता है- "वो साहब वहीं का बाथरूम बहुत गंदा था ला... उसके लिए सारी। आप लोगों को तकलीफ हुई होगी ना?"

राज की ये बात सुनकर नेहा की जान में जान आती है।

विशाल- अरे इसके लिए तुम क्यों माफी माँग रहे हो। में समझ सकता हैं। ऐसे रोड साइड दाओं की वैसे भी हालत ठीक नहीं होती।

राज- जी साहब।

राज फिर से नेहा की तरफ देखता है मिरर से। जिसपर नेहा इस बार उसे गुस्से से देखती हैं। लेकिन राज उसे स्माइल करता है। शोड़ी देर ऐसे ही कार चलाने के बाद विशाल को नींद आ जाती है। नेहा की भी आँखें लौंद में अब बंद होने लगी थी।

राज तभी बोला "मेमसाहब सो गई क्या?"

नेहा चौंक कर राज को देखने लगती है। कैसे ये विशाल के सामने यूँ बात कर रहा है। नेहा कुछ जवाब नहीं देती।

राज- मेमसाहब।

नेहा- क्या है?

राज- कुछ नहीं बस पूछ रहा था की सो गई क्या?

नेहा- खुद जगाकर बोल रहे हो सोई या नहीं?

विशाल सोया हुआ था। उसे नहीं पता था की क्या बातें चल रही हैं इधर।

राज- सारी मेमसाहब। लेकिन आप दोनों सोएंगे तो मुझे भी नोंद आ जाएगी। वो क्या है ना कोई साथ में बातें करता रहता है तो नींद नहीं आती।

नेहा- तुम्हारा मतलब क्या है की मैं तुम्हारे साथ बातें करती रहूँ?

राज- हाँ मेमसाहब।

नेहा- मुझसे नहीं होगा।

राज फिर चुप होकर कार चलाने लगता है। नेहा फिर से सोने की कोशिश करती है।

राज- मेमसाहब।

नेहा राज की तरफ देखने लगती है- "क्या है?"

राज इशारों में ही नेहा को चुम्मा देने वाला मुँह बनाता है। नेहा गुस्से से उसकी तरफ देखने लगती है। उसका
पति साइड में ही था, और ये काला गंदा बढ़ा उसे किस करने का मुँह बना रहा था। राज फिर से प्लीज़... प्लीज़... करने लगता है। लकिन नेहा उसे गुस्सा दिख रहीं भी। थोड़ी देर फिर से वहीं खामोशी छा जाती है। राज अब नेहा की तरफ फिर से देखता है।

राज- "चस्सह चस्म्स ह..."
 
नेहा राज की तरफ देखने लगती है। राज नेहा को इशारों में उसकी साड़ी का पल्लू ब्लाउज़ के ऊपर से हटाने का इशारा करता है। नेहा हैरान थी की ये बूढ़ा इतना सब कर रहा है। वो भी उसके पति के होते हए। नेहा ना में गर्दन हिलाती है। राज फिर से वही इशारा करता है। फिर से नेहा ला में गर्दन हिलाती है।

राज इस बार थोड़ा सीरियस होकर- "साहब.."

नेहा एकदम से राज के ऐमा बोलने से डर जाती है- "तुमको प्रोबलम क्या है ?"

राज बिना बोले उसको पल्ल हटाने का इशारा करता है। नेहा फिर से ला में गर्दन हिलाती है। राज अब कार थोड़ा धीरे करके पीछे मुड़ता है विशाल को बुलाने के लिए।

तभी नेहा- "प्लीज़...

राज फिर आगे देखकर कार चलाने लगता है। फिर वो इशारा करता है। नेहा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे? एक काला बटा उसकी जैसी जवान औरत को मैं अपने इशारों पर नचा रहा था, और अब तो हद हो गई थी। उसके पति के सामने ही उसे ये सब करने के लिए बोल रहा था।

राज- मेमसाहब्।

नेहा अपनी सोच से बाहर आती हैं और राज की तरफ देखने लगती है, और फिर से ना में इशारा करती हैं।

राज- साहब।

नेहा- रूको।

इसपर राज स्माइल करता है, और हटाने का इशारा करता है। हैरानी की बात तो ये थी की विशाल को ऐसी क्या नींद लगी थी की उसको इन दोनों की बातें सुनाई नहीं दे रही थी? जो भी हो इसमें राज का फायदा हो रहा था। नेहा अब मजबूरी में अपना हाथ पहलू पर रखती है। उसे दूर लग रहा था, क्योंकी उसका पति साइड में
था। राज जल्दी करने का इशारा करता है। नेहा उसे घूरने लगती है। नेहा अब धीरे से अपना पहल साइड में करने लगती है।

अब नेहा का ब्लाउज़ दिखने लगता है। साथ में उसका एक बड़ा चूचा ब्लाउज़ के ऊपर से मस्त शेप में दिख रहा था राज को। नेहा को घिन आ रही थी में एक काले बढ़े के कहने पर ये सब करते हुए। ऐसे ही नेहा अपना मालू पूरा अपने ब्लाउज़ पर से हटा देती हैं। अब नेहा का ब्लाउज़ साफ दिख रहा था और उसके अंदर कैद बड़ी बड़ी चूचियां।

एक काला गंदा बढ़ा एक जवान खूबसूरत औरत को इतना सब करने पर मजबूर कर रहा था। नेहा विशाल का तरफ बार-बार देख रही थी की कहीं वो जाग जा जाए। राज अब नेहा की चूचियों का शो एंजाय कर रहा था बलाउज़ के ऊपर से। नेहा को शर्म भी आ रही भी मैं किसी गैर मर्द को अपना शरीर दिखाते हए, वो भी एक बूढ़े
को। अपने पति के साइड में होते हुए भी।

थोड़ी देर ऐसे ही देखने के बाद राज अब नेहा को उसकी चूचियां दबाने का इशारा करता है। जिसे देखकर नेहा एकदम हैरान रह जाती है। नेहा जा में गर्दन हिलाती है। राज फिर विशाल को बुलाने जैसा मह बनाता है। इस बार तो नेहा के लिए और परेशानी थी क्योंकी उसने इस वक्त अपना पल्लू हटा रखा था। अगर अब विशाल जाग गया और उसे इस हालत में देखेगा तो मांचंगा की वो एक ड्राइवर के सामने ऐसे कैसे रह सकती है?

नेहा झट से राज को विशाल को ना बुलाने का इशारा करती हैं। वो मज़ा भी। वो बस राज का कहा हुआ कर सकती थी और कुछ नहीं। लेकिन अपनी चूचियां खुद दबाना वो भी एक ड्राइवर के कहने पर उसे ओड़ा अजीब महसूस हो रहा था। राज उसको फिर से चूचियां दबाने का इशारा करता है। नेहा शर्म से दूसरी तरफ देखते हुए अपने हाथ अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों पर रखती है। फिर धीरे से राज की तरफ देखने लगती हैं। राज उसे दबाने का इशारा करता है। नेहा फिर से नीचे देखते हए धौरे से अपनी चूचियां दबाने लगती है। हल्के-हल्के
वो दबा रही थी अपनी चूचियों को। वो दूसरी तरफ देख रही थी। लेकिन कार चलाते हुए राज के चेहरे पर एक कमीनी स्माइल और नेहा शर्म से पानी-पानी हो रही औ| अपने ही पति के साइड में होते हुए किसी गैर मर्द के लिए ऐसा करना।

अब राज थोड़ा जोर से दबाने का इशारा करता है। नेहा पहले ही शर्म से मर रही थी और अब ये। वो अब थोड़ा जोर से अपनी चूचियां दबाने लगती है। राज के बदसूरत चेहरे पर एक कमीनी स्माइल फैली हुई थी। तभी विशाल एक करवट लेकर फिर से सो जाता है। एक बार के लिए तो जैसे नेहा के जिस्म में जान ही नहीं बची
थी। क्योंकी इस वक्त वो अपनी चूचियां जो दबा रही थी वो भी एक काले बढे ड्राइवर के सामने।

वापस सोने से नेहा को राहत मिलती है। इस बार वो अपने हाथ चूचियों पर से हटाने लगती है। तभी राज उसे वैसा ना करने का इशारा करता है। इस बार बो नेहा को अपने बलाउज़ के बटन खोलने का इशारा करता है। जिस पर नेहा चकित थी।

नेहा मन में- "ये बूढ़ा अब हद से आगे बढ़ रहा है। ये मुझसे क्या-क्या करवा रहा है? और में पागलों की तरह इसकी बात मान रही हूँ। क्यों में इस बूढ़े को खुलकर मन्ना नहीं कर पा रही है। इस कमीने में अगर विशाल को जगा दिया तो पता नहीं विशाल क्या सोचेगा मेरे बारे में। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा की मैं क्या करूं?

राज- वो मेमसाहब।

इस आवाज से नेहा राज की तरफ देखती हैं। राज बटन खोलने का इशारा करता है। नेहा झिझक रही थी। उसे शर्म आ रही थी की अपने पति के होते हुए किसी गैर मर्द को मैं अपनी चूचियां दिखाने में। नेहा कुछ सोच हो रही थी की,

राज- साहब उठिये।

नेहा हैरानी भरी नजर से राज को देखने लगती हैं। वो झट से अपने पल्लू अपने ब्लाउज़ पर डाल लेती हैं, और राज की गुस्से से देखने लगती हैं। विशाल तो जैसे घोड़े बेचकर सो रहा था। उसपर राज के बोलने का असर ही नहीं हुआ था।

लेकिन राज ने भी थोड़ा धीरे से आवाज लगाई थी विशाल को। ताकी विशाल जाग ना जाए। वो तो बस नेहा को इराने के लिए ऐसा कर रहा था। राज अब फिर से नेहा को बटन खोलने का इशारा करता है। नेहा गुस्से में थी में बार-बार राज के विशाल को बुलाने से। लेकिन वो कर भी कुछ नहीं सकती थी। उसकी पता था राज बहुत जिद्दी है।

नेहा अब अपना पल्लू फिर से हटा देती हैं। लेकिन भोड़ी देर वो वैसे ही रहती है। राज तभी कार धौरे करते हुए शोक देता है। जिसपर नेहा दूर जाती है कि ये बूढ़ाअब क्या करेगा? राज अब पीछे देखता है नेहा की तरफ। नेहा थोड़ा अचम्भे से राज को देखने लगती है। नेहा को पता था की कुछ ना कुछ गलत हरकत करेगा।

नेहा- गाड़ी क्यों रोको?

राज अब विशाल को जगाने के लिए अपना हाथ बढ़ाता है।

नेहा- रुको।

राज नेहा की तरफ देखने लगता हैं। फिर बी नेहा को बटन खोलने का इशारा करता है। नेहा के पास अब कोई रास्ता नहीं था, तो कहा- "तुम गाड़ी चलाओ."

राज फिर कार स्टार्ट करके चल्लाने लगता है। नेहा अब अपने ब्लाउज़ के ऊपर का बटन धीरे से खोल देती है।

अब नेहा की छाती का थोड़ा सा गोरा हिस्सा दिखने लगता है। नेहा शर्माते हए एक और बटन खोल देती हैं। अब नेहा की डिजाइनर सा दिखने लगती है। नेहा का ऊपरी हिस्सा जो बिल्कुल गोरा था राज को दिखने लगता है। अब एक लास्ट बटन था जो निकालने के लिए नेहा बहुत शर्मा रही थी। या फिर कहिए झिझक रही भी। लेकिन वो शर्मा क्यों रही थी? क्या वो भी राज को अपना जिस्म दिखाना चाहती थी इस वक्त? जो भी हो पता चल हो जाएगा आगे।

नेहा अपने ब्लाउज़ के आखिरी बटन को पकड़े हुए खामोश बैठी थी। राज कार चलाते हुए नेहा को इस हालत में देखकर मजे ले रहा था। लेकिन वो नेहा को ऊपर से नंगी करना चाहता था, इस वक्त उसके पति के होते हुए

राज- मेमसाहब जल्दी कीजिये।

नेहा- चुप रहो और चुपचाप गाड़ी चलाओ।

नेहा अब धीरे से अपना आखिरी बटन निकालने लगती है। आखिरी बटन खुलते ही नेहा की ब्लाउज़ के दोनों बाजू अलग हो जाते हैं और नेहा की डिजाइनर सामने आ जाती है। जल्द ही नेहा अपने हाथों से अपने आपको ढँक लेती हैं। राज उसे हाथ हटाने का इशारा करता है। नेहा बहुत झिझक रही थी। लेकिन वो धीरे से अपने हाथ हटा देती है। इधर राज को इतने बड़े घर की जवान खूबसूरत बह को इस हालत में देखकर बहुत मजा आ रहा था।

अब राज अपना लण्ड पेंट में से बाहर निकाल लेता है। उसका काला गंदा लण्ड फूटा तना हुआ था। लण्ड की नसें फूली हुई थी। अब वो एक हाथ से स्टियरिंग वील और दूसरे हाथ से अपना लण्ड पकड़कर हिलाने लगता है। अब राज नेहा को चूचियां ब्रा में से बाहर निकालने का इशारा करता है। नेहा हैरान थी इस बूढ़े की मांगें देखकर। साला ठरकी बूढ़ा बुढ़ापा आ गया है फिर भी जवानी अभी भी बाकी है।

राज एक बार उसे इशारा करता है, इस बार गुस्से के एक्सप्नेशन से। नेहा धीरे से अपनी ब्रा नीचे करने लगती है। जिसे देखकर राज अपना लण्ड तेजी से हिलाने लगता है। ब्रा हटाते ही नेहा की गोरी बड़ी-बड़ी चूचियां सामने आ जाती हैं। उसपर पिंक निपल आहा क्या मस्त लग रहे थे। नेहा भी देख रही थी को राज का हाथ कब से हिल रहा है नीचे। उसे समझने में देरी नहीं लगती की राज क्या कर रहा होगा। नेहा शर्म से पानी-पानी हो जाती है। एक काले गंदे बूढ़े को अपनी चूचियां देखकर मूठ मारते हुए। नेहा अपनी चूचियां छुपाने की कोशिश करती तो राज उसे रोकता। राज छूटने के बहुत करीब था।

तभी वो नेहा को अपनी चूचियां दबाने का इशारा करता है। नेहा इस बार बिना किसी झिझक के अपनी चूचियां हल्के-हल्के दबाने लगती है और राज अपना काला लण्ड जोरों से हिला रहा था। खूबसूरत जवान औरत अपनी चूचियां दबा रही थी और ड्राइवर अपना लण्ड हिला रहा था। थोड़ी देर बाद राज का पानी निकल जाता है। वो हफते हुए कार चलाने लगता है। नेहा को भी लगता है की राज का निकल गया है। इसलिए वो अपने कपड़े ठीक कर लेती हैं और सोने की कोशिश करने लगती है। उसे कब नींद आती है पता ही नहीं चला। ऐसे ही दो घंटे बाद वो लोग विशाल के दोस्त के यहाँ पहुँच जाते हैं।

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कड़ी_18

विशाल के दोस्त यहाँ शादी की तैयारी चल रही थी। क्योंकी कल ही शादी थी। लोग अपना-अपना काम कर रहे
थे। इधर पहुँचने के बाद विशाल कार से उतर जाता है और फिर नेहा भी।

विशाल- राज तुम कार पार्क करके आओ।

राज- जी साहब।

फिर विशाल और नेहा अंदर चले जाते हैं। राज कार पार्क करके अंदर जाने लगता है। शादी का माहौल था तो बहुत सारे लोग इधर-उधर घूम रहे थे, अपना काम करते हए। औरतें भी भी कुछ। कोई बातें कर रही थी तो कोई काम कर रही थी।
राज मन में- "साला यहाँ तो हरियाली ही हरियाली हैं। लेकिन साला अपनी आइटम के सामने कुछ नहीं। राज सोच तो रहा था मगर वो वहीं की हाट औरतों को घूर घूर कर देख भी रहा था। किसी की चूचियां, तो किसी की गाण्ड। उधर नेहा और विशाल उसके दोस्त से जाकर मिलते हैं और बातें कर रहे थे।

दोस्त- अरे यार बहुत-बहुत थॅंक्स आने के लिए।

विशाल- थॅंक्स बोल रहा है दोस्ती में।

दोस्त- सारी यार। और भाभी कैसा रहा सफर। कोई तकलिफ तो नहीं हुई ना?

नेहा- "नहीं नहीं कोई तकलीफ नहीं हुई.." और नेहा तो ऐसा बोल रही थी जैसे उसके साथ कुछ हुआ ही ना हो।

दोस्त- "ठीक है विशाल, तुम लोग गेस्ट रूम में चले जाओ। और कुछ चाहिए तो बता देना.." फिर विशाल और नेहा को कमरा दिखा दिया जाता है।

नेहा- विशाल मैं बहुत थक गई हूँ मुझे बस सोना है।

विशाल- ठीक है तुम सो जाओ। मैं बाहर होकर आता हूँ।

नेहा- "क्या विशाल चलो सोते हैं." और नेहा मूड में भी।

विशाल- अरे यहां पर। शादी का घर है यार।

नेहा- शादी का घर है तो क्या हुआ? हम दोनों पति पत्नी हैं। हम जो चाहे करें, लोगों को उससे क्या?

विशाल- नहीं यार यहां नहीं।

नेहा- क्या विशाल कितने दिन हो गये।

विशाल. घर जाकर कर लेंगे। यहाँ ठीक नहीं लगता। यहाँ नहीं।

नेहा- "तुम भी ना विशाल... और ऐसे बोलकर नेहा चुपचाप दूसरी तरफ घूमकर लेट जाती है।

विशाल भी अब नेहा से बात करना ठीक नहीं समझता। क्योंकी उसने ही नेहा का मूड आफ किया था। विशाल दरवाजा बंद करके बाहर चला जाता है। वो अपने दोस्त के साथ बातें कर रहा था।
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इधर राज इधर-उधर घूम रहा था। शादी में आई हुई औरतों को बहुत ही बुरी नजर से देख रहा था। जैसे सबकी नंगी कर रहा हो अपनी नजर से। लेकिन उसे तलाश अपनी माशूका नेहा की थी। जो कहीं भी नजर नहीं आ रही भी। राज उसको ढूंढते हुए इधर-उधर घूम रहा था। लेकिन उसे नेहा को देखने के चक्कर में उस घर की बहुत सेक्सी औरतों से सामना हो रहा था। वो बहुत मुश्किल से कंट्रोल कर पा रहा था। लेकिन उसे पता था वो नेहा की साभ तो जो चाहे कर सकता आ। लेकिन अगर यहां कोई बदतमीजी की तो मार खाए बिना नहीं जाने वाला। इसलिए वो अपने आपको कंट्रोल कर रहा था।

उसे घूमते घूमते एक कमरा नजर आता है। जिसको बाहर से लाक था। राज को ना जाने क्या सूझता है वो
अंदर जाने के लिए धीरे से लाक खोलता है और अंदर झौंकता है। अंदर का दृश्य देखकर उसका काला लंबा साँप उसकी पैंट में तन जाता है। अंदर नेहा एक तरफ घूमकर लेटी हुई थी। उसकी कमर से साड़ी का पल्लू हटा हुआ आ। जिसकी वजह से उसकी गोरी पतली कमर दिख रही भी। और उसकी गाण्ड एकदम मस्त लग रही थी। एक तरफ घूमने की वजह से उसकी गाण्ड और बड़ी दिख रही थी।

राज मन में- "ओहही तो मेरी माल इधर है। आहा क्या मस्त लग रही है। साली ने फिर से मेरा लौड़ा खड़ा कर दिया." ऐसे बोलते हुए अपना लण्ड पेंट के ऊपर से मसलता है। फिर वो अंदर चला जाता है।

अंदर आते हए वो दरवाजे को लाक लगा देता है। बेड के पास आकर वो खड़ा हो जाता है वहीं पर। वो साथ में अपना लण्ड मसल रहा था पैंट के ऊपर से। राज खड़े हुए नेहा के जिश्म को निहार रहा था, उसकी कतल कर देने वाली जवानी को। उसके मासूम चेहरे पर बिखरे हुए बाल उसको और सेक्सी बना रहे थे। ये सब देखकर राज अस अंदर ही अंदर बेताब हो रहा था।

राज देरी ना करते हुए बेड पर चढ़ जाता है। नेहा की गाण्ड उसकी तरफ थी। वो अब बेड पर लेट जाता है और नेहा के करीब खिसकता है। अब वो नेहा से चिपक जाता है। नेहा की तरफ से कोई आहट नहीं हुई। राज अब नेहा की कमर में हाथ डालकर एकदम उससे चिपक जाता है। राज को नेहा के जिस्म से मस्त खुशबू आ रही थी। नेहा की गोरी नंगी कमर में उसके काले हाथ घेरा डाले हुए थे। अब राज नेहा की कमर पर अपने हाथ फेरना लगता है। जिससे नेहा के चेहरे पर कुछ हरकत होने लगी। लेकिन वो अभी भी सोई हुई थी। बिना ये
जाने क राज उससे चिपक के लेटा हुआ है।
 
राज अब् पीछे से नेहा की ब्लाउज़ जो एक डोरी से टिकी हुई थी। उस होरी को निकाल देता है। नेहा का ब्लाउज़ जो बैंकलेश था पीछे से खुल जाता है। नेहा ने स्ट्रैपलेश ब्रा पहनी थी। अब नेहा की पीठ बिल्कुल नंगी भी। राज का लण्ड अब नेहा की गाण्ड में चुभ रहा था। हालांकी वो नेहा को चोद चुका है लेकिन नेहा भी हो इतनी हाट और खूबसूरत को उसको कितनी बार भी चोदो मन भरने वाला नहीं था। और राज तो फिर भी एक
दो कौड़ी का गंदा ट्रक ड्राइवर था।

अब राज अपने हाथ नीचे ले जाने लगता है। वो अपना हाथ नेहा की पेटीकोट के अंदर से उसकी पैंटी के अंदर डाल देता है, नेहा की गुलाबी चूत के पास। अब राज का हाथ नेहा की चूत पर पहुँच जाता है। उसका काला हाथ नेहा की गुलाबी चूत की दीवार को छू रहस आ| अब नेहा कुछ हिलने लगती हैं। नेहा राज की बाथरूम वाली हरकत से बहुत पहले ही गरम थी, और अब और एक बार। राज अब चूत पर उंगली फेरने लगता है। नेहा की लौंद में ही सिसकारी निकालने लगती हैं।

नेहा- "अहह."
नेहा की सेक्सी सिसकारी सुनकर राज का लण्ड झटके खा रहा था। राज से कंट्रोल नहीं होता तो वो अचानक नेहा की चूत में उंगली घुसा देता है। जिससे नेहा की नींद खुल जाती है।

नेहा- "आहह...

नेहा की आँख खुलते ही उसे अहसास होता है की किसी का हाथ उसके पैंटी के अंदर चूत पर है। नेहा तब चकित हो जाती है जब वो देखती है की वो एक काला हाथ था। नेहा झट से ओड़ा पीछे घूमती है और राज को देखकर हैरान हो जाती है।

नेहा- तुम... हटो कोई आ जाएगा हटो।

राज- कोई नहीं है यहाँ मेरी जान ... मैंने दरवाजा बंद कर दिया है।

नेहा- नहीं हटो मेरे ऊपर से।

राज का हाथ अभी भी नेहा की चूत पर था। वो अब चूत में उंगली करने लगता है।

नेहा- "आअहह... मत करो वैसे अहह.."

राज. तु मुँह से तो मना कर रही हैं लेकिन तेरी चूत तो कुछ और ही बता रही है। देख तेरी चत कैसे तड़प रहीं हैं मेरे लण्ड के लिए।

नेहा ये सुनकर शर्म से लाल हो जाती हैं। क्योंकी सच में उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। नेहा बोली- "नहीं ऐसा कुछ नहीं है तुम हटो..."

राज नेहा से दूर होने के बिल्कुल मूड में नहीं था। वो अब नेहा की चूत में जोर-जोर से उंगली करने लगता है।

नेहा- "अहह... आहह... नहीं आहह...'

राज की काली मोटी उंगली नेहा की चूत में अंदर-बाहर हो रही थी। नेहा का जिकम अकड़ने लगा था। अभी भी दोनों उसी पोजीशन में थे। राज उससे चिपका हुआ था और आगे से उसका हाथ नेहा की पेटीकोट से पेंटी में

नेहा- "प्लीज़... अहह... करीम्म अहह.." और नेहा इस चीख के साथ झड़ चुकी थी।

नेहा को अपने आपसे शमिंदगी होती है की वो एक बूढ़े काले ड्राइवर के हाथों झड़ गई। नेहा की सांस फूली हुई थी वो उसे काबू करने लगती हैं। लेकिन तभी राज फिर से उसकी चूत सहलाने लगता है। नेहा की चूत पानी पानी हो चुकी थी। राज के हाथ नेहा की चूत के रस से गीले हो चुके थे। नेहा भी शमिंदा भी अपने आपसे। लेकिन वो कर भी क्या सकती थी? राज की छुअन ही उसे झड़ने पर मजबूर कर देती थी। नेहा की औखें राज के ऐसे उसकी चूत सहलाने में बंद हो रही थी। वो अपने आप पर कंट्रोल खो रही थी। नेहा की पतली गोरी कमर भर-भर कांप रही थी। थोड़ी देर बाद नेहा दूसरी बार झड़ जाती है। नेहा हाँ फ रही थी अब्बा राज ने उसे दो बार झड़ने पर मजबूर किया था।

राज अब बेड पर से नीचे उतर जाता है। नेहा भी उठकर बैठ जाती है। राज बेड के किनारे नेहा के पास
आता है। उसके चेहरे के सामने वो अपना काला मोटा लण्ड पैंट के ऊपर से मसलने लगता है। नेहा जिसे देखकर दूसरी तरफ मुँह कर लेती है।

राज- "क्या मेरी जान... तेरे तो मजे हो गये अब मेरी बारी.."

नेहा शर्मा जाती है इसपर।

राज- चल अब् शर्माना छोड़ और मेरा लण्ड चूस।

नेहा का लण्ड चूसने की बात सुनकर घिन आने लगती है। उसने अपने पति का लण्ड कभी अपने मुंह में नहीं लिया था। और ये गंदा बढ़ा अपना काला झांटों से भरा हुआ गंदा लण्ड चूसने को बोल रहा था। नेहा ना में सिर हिलाती है।

राज- "अरे वाह... अपना हो गया तो खतुम। अब मैं क्या करूँगा?"

नेहा चुप रहती है।

राज- बोल।

नेहा- मुझे नहीं पता।

राज मन में- "साली को लण्ड नहीं लेना मुंह में लेकिन चूत में चलता है। साली अभी हाथ से चला लेता हूँ । लेकि जल्द ही तुझे लण्ड मुह में लेना होगा.."

राज बोला- "चल मुँह में ना सही, अपने हाथ से ही शांत कर दे मेरे लण्ड को.."

नेहा नीचे ही देख रही थी। राज अब अपने पेंट की जिप खोलता है। जिसकी आवाज सुनकर नेहा दूसरी तरफ देखने लगती है। राज अब अपना काला मोटा गंदा सा लण्ड बाहर निकाल लेता है। उसके गंदे लण्ड से बदबू आ रही, जो नेहा को अभी आ रही भी। नेहा लेकिन राज के लण्ड की तरफ नहीं देखती।
राज- "चल मेरी जान शुरू हो जा। कला तुझे ही देरी होगी। क्योंकी में ये तरे से कराये बिना नहीं जाने वाला। चाहे जो हो जाये...
नेहा को समझ में नहीं आ रहा था की क्या करें। वो इस वक़्त अपने पति के दोस्त की शादी में आई हैं और यहाँ ये बूदा गंदा ड्राइवर उसके साथ ये सब कर रहा है। नेहा सोच रही थी।
राज- "नेहा किस सोच में पड़ गई?" राज इतना बोलकर नेहा का कोमल गोरा हाथ पकड़कर अपने काले गंदे लण्ड पर ले आता है।
नेहा एक बार तो राज का मोटा काला लण्ड महसूस करके दूर जाती है। और झट से अपना हाथ हटा लेती है। उसने जो बड़ा लण्ड अपने हाओं में महसूस किया था उसे अजीब सा लगा आ। क्या वो यही लण्ड था जिससे उसकी चुदाई हो चुकी है। एक काले बटे का लण्ड।
राज फिर से नेहा का हाथ पकड़ लेता है और उसके लण्ड पर रख देता है। नेहा अपना हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन इस बार राज उसका हाथ पकड़े हुए था। नेहा का गोरा हाथ अब राज की काली झांटों से भरे हुए लण्ड पर था। नेहा दूसरी तरफ मुँह किए हुई थी।
राज- मेरी जान इधर देख।
नेहा नहीं घूमती। राज अब उसका हाथ पकड़े हुए अपना लण्ड ऊपर-नीचे हिलाने लगता है। नेहा हाथ हटाने की कोशिश करती हैं। लेकिन राज उसे नहीं हटाने देता। नेहा को राज के लण्ड की नसें साफ महसूस हो रही थी जो फूली हुई थी। उसकी काली जिल्द लण्ड के टोने के ऊपर-नीचे हो रही थी। राज भी अब अच्छा महसूस कर रहा था। हो भी क्यों ना? एक खूबसूरत औरत के गोरे कोमल हाथ उसके लण्ड को सहला जो रहे । थोड़ी देर याद राज देखता है की नेहा अपना हाथ हटाने की कोशिश नहीं कर रही है।
इसलिए वो अब धीरे से अपने हाथ नेहा के हाथ से हटा देता है। नेहा बेखयाली में राज का काला लण्ड हिला रही थी, ये समझ के की राज का हाथ उसके हाथ पर है। राज अब मजे लेने लगता है नेहा को अपना लण्ड हिलसता देखकर। नेहा दूसरी तरफ चेहरा किए हुई थी। नेहा को चेहरे पर अलग ही भाव थे। वो अजीब से
अहसास में थी। उसे ये अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी।
 
राज को अहसास होता है कि वो अब छुटने वाला है, तो राज बोला- "ही ऐसे ही आहह... ऐसे ही करती रह।
मजा आ रहा है."
राज की बात सुनते ही अचानक नेहा राज की तरफ देखती है और राज का हाथ अपने हाथ पर ला देखकर हैरान रह जाती है। उसकी नजर राज के बदसूरत चेहरे पर जाती है जो आँखें बंद किए हुए मजे ले रहा था। राज छूटने के बेहद करीब था। लेकिन तभी नेहा ने एकदम से उसका लण्ड छोड़ दिया। राज को तो जैसे उसके लण्ड पर हथौड़ा मार दिया हो नेहा ने। इतना करीब आकर उसने हिलाना बंद कर दिया था।
राज- तूने बंद क्यों किया हिलना?
नेहा- मुझे नहीं करना।
राज को गुस्सा आता है इस बार- "साली अपनी चूत की प्यास मिटा ली, और अब मेरे लौड़े की बारी आई तो नखरे कर रही है। साली तुझे तो मैं छोइंगा नहीं." ऐसा बोलकर वो रूम के बाहर चला जाता है।
नेहा थोड़ा राहत की साँस लेती है के यहा से चला गया बट्टा कही का। लेकिन उसने जो बोला है उसका क्या? क्या करेगा वो उसके साथ? ये सब सोचकर नेहा को डर लगने लगा था। नेहा राज का गुस्सा देखकर भी हाल भी। इससे पहले कभी राज ने उससे ऐसी बात नहीं की थी। इधर राज बाहर आकर किसी वाशरूम में चला जाता है। और वहाँ जाकर मूठ मारता है।
राज. "साली की तो मैं... साला पानी यहाँ आकर निकलना पड़ा। वहीं उसके चेहरे पर करना चाहिए था। कोई बात नहीं। अब आगे उसकी चूत में अपना पानी डालेंगा.." फिर राज शांत होकर बाहर चला जाता है।
नेहा उस रूम में रहना अब ठीक नहीं समझती। इसलिए वो अब अपने आपको ठीक करके बाहर चली जाती है। उसे विशाल कहीं नजर नहीं आ रहा था। बाहर लोग शादी की तैयारियां कर रहे थे। नेहा इधर-उधर टहलते हुए बाहर की ओर जाने लगी। बाहर भी उसे विशाल नजर नहीं आया।
नेहा यही किसी को नहीं जानती औ। सब अंजान लोग थे। क्योंकी वो पहली बार यहाँ आई थी। नेहा चलते हर
ओड़ा और बाहर आती हैं। इधर-उधर विशाल को टूटते हुए उसकी नजर दरवाजे पर साइड में खड़े राज पर गई जो सिगरेट पी रहा था। उसके साथ में एक और आदमी था। दिखने में कोई 45 साल का आदमी लग रहा था। सांवला सा। थोड़ा पतले शरीर वाला इंसान। राज उससे बातें करते हुए सिगरेट पी रहा था। नेहा उसकी तरफ ध्यान ला देते हए दूसरी तरफ जाने लगी। लेकिन तभी दूर से किसी की आवाज आई उसे।
राज- "मेमसाब्ब...
नेहा उस आवाज की तरफ घूमी, और काम को देखकर ओड़ा गुस्सा हो गई। नेहा सांची- "पता नहीं अब ये बूढ़ा क्या करने के इरादे में आया है?
 
राज- मेमसाब्ब ।
नेहा- क्या है?
राज- वो साहब थोड़ा बाहर गये हैं। एक घंटे में आ जाएंगे।
नेहा- एक घंटा... तब तक मैं क्या करंगी? ये विशाल भी ना बता नहीं सकता आ। में भी साथ में चलती। छोड़ गये मुझे अकेले।
राज नेहा को ही देख रहा था, कहा- "मेमसाहब आप चाहे तो हमसे बातें कर सकती हैं."
नेहा राज की तरफ अजीब नजरों से देखने लगती है, और कहती है- "मुझे नहीं करनी बात तुमसे..."
राज- क्यों?
नेहा- "नहीं करनी मतलब नहीं करनी। और तुम ड्राइवर हो और ड्राइवर की औकात में रहीं समझे... नेहा का ये रूप देखकर राज हैरान था।
राज मन में- "साली बहुत फुदक रही। यहां भीड़ में नाटक कर रही है। साली तुझे तो मैं बाद में देख लूँगा। तेरे मुँह से चौखें ना निकलवा दी तो मैं 1000 बाप का.."
नेहा वहाँ से चली जाती है अंदर अपने रूम में। राज वापस उस आदमी के पास चला जाता है, जिसके पास वो पहले खड़ा था। उधर नेहा रूम में आकर बेड पर बैठ कर।

नेहा- "ये विशाल मुझे छोड़कर कैसे जा सकता है , अंजान लोगों में? मेरी जरा भी फिकर नहीं है उसे। ऐसा भी कोई करता है क्या? उसे पता नहीं क्या कैसे राज जैसे लोग भरे पड़े हैं। जो कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। कर क्या सकते हैं? राज तो मेरे साथ कर चुका है। अब क्या होगा मेरा? वो बूढ़ा तो जैसे मुझपर हुकम चलाता है। जब चाहे तब मेरे पास चला आता है, जो चाहे वो करता है। मैं भी तो उसे ज्यादा मना नहीं कर पाती लेकिन क्यों? वो बूढ़े की हरकतें ही मुझे उकसाती हैं। कमौना कही का, मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बोलता है। इसपर नेहा ओड़ा मुश्कुराती है। बड़ा हो गया फिर भी गर्लफ्रेंड चाहिए कमीने को। इसमें विशाल की भी गलती है। वो मुझे टाइम नहीं देते और मैं , राज के हाथों मजबूर हो जाती हैं। मुझे तो डर है की किसी दिन में सारी हदें जा पार कर
दूं...
नेहा यही सब सोचते हए बेड पर लेट जाती है। उसको जल्द ही नींद भी आ जाती है। सुबह वो देरी से उठती है। अभी भी रूम में विशाल नहीं था। लेकिन उसे रूम के बाहर लोगों की आवाजें सुनाई दे रही थी। नेहा थोड़ा फ्रेश होकर एक नई साड़ी पहन लेती हैं। क्या मस्त माल लग रही थी नेहा इस वक्त। एकदम नेचरल ब्यूटी। 36" इंच
की चूचियां उस साड़ी में पर्फेक्ट दिखती थी। और 28 इंच की कमर। आइह... किसी का भी काल कर दे, और उसकी 37 इंच की गाण्ड जिसे हर कोई मारना चाहे। एकदम पटाका लग रही थी।

आज एक बात तो पक्की थी। शादी में आए मर्दो की बुरी नजर नेहा पर पड़ना लाजिम था। पता नहीं कितनों के लण्ड झटके खाने वाले हैं नेहा को देखकर। नेहा तैयार होकर बाहर निकलती हैं। बाहर शादी का काम जारी । विशाल भी काम में लगा हुआ था। नेहा उसके पास चली जाती है।
विशाल- उठ गई तुम?
नेहा- "हो..." और नेहा ओड़ा गुस्सा में बोलती है।
विशाल- क्या हुआ गुस्से में लग रही हो?
नेहा- क्या हुआ? कल कहाँ चले गये थे? मुझे बताया भी नहीं अपने। मैं भी आती ना।
विशाल- सारी जान ओड़ा एमजेंसी थी इसलिए जाना पड़ा। तुम सो रही थी तो तुमको जगाना ठीक नहीं लगा इसलिए।
नेहा कुछ नहीं बोलती है।
विशाल- तुमने नाश्ता कर लिया?
नेहा- कहीं अभी तो उठी हैं।
विशाल- अरे मीरा।
-
-
नाम
मीरा विशाल के दोस्त की बहन थी। मीरा 20 साल की मस्त आइटम थी। एकदम हाट फिगर। 34-28-36 को फिनार। बिल्कुल प्यारा चेहरा। उसने आज एक मस्त लहंगा चोली पहना हुआ था। एकदम पटाब
चोली में से उसकी चूचियां एकदम चलते हर उछल-कूद रही थी, और चेहरे पर मेकपा और ऊपर से उसकी नंगी पतली कमर। बहुत हाट लग रही थी। मीरा विशाल के बुलाने पर आती है वहीं।
मीरा- हाँ विशाल भैया।
विशाल- "अरे मीरा, तुम्हारी भाभी को नाश्ता करवा दोगी..." '

मीरा- जरूर विशाल भैया। चलिए भाभी।

नेहा- विशाल तुम भी आओ ना।

विशाल- नेहा मुझे बहुत काम है तुम हो आओ ना।

नेहा फिर मीरा के साथ चली जाती है। वो दोनों एक बड़े से किचेन में जाते हैं जहाँ पर डाइनिंग टेबल भी था।

मीरा- भाभी आप बाठिये। मैं आपके लिए नाश्ता लाती हैं।

नेहा बैठ जाती है। थोड़ी देर में मीरा नाश्ता देती है।

नेहा- तुम भी नाश्ता करी।

मीरा- नहीं भाभी, मैंने कर लिया। आप करो।

नेहा खाने लगती है। मीरा अपने मोबाइल पर चैटिंग कर रही थी। थोड़ी देर बाद किचेन की खिड़की से कोई अंदर झोंक रहा होता है। नेहा और मीरा ने उसे अभी तक नहीं देखा । क्योंकी वो खिड़की वो दोनों जहाँ पर खड़ी उनसे पीछे साइड पर थी। कौन था वो आदमी?
 
बाहर खिड़की से राज नेहा को देख रहा था| लोकल उसकी नजर वहां खड़ी मीरा पर भी चली जाती है। इतनी जवान खूबसूरत लड़की को देखकर उसका मन डोलने लगा था, और इसका काला लण्ड तड़पने लगा था। उसकी आँखों के सामने एक से एक मस्त आइटम औ। एक की तो वो ले चुका था लकिल दूसरी बाली की लेने की वो सोच रहा था।
राज मन में- "साली क्या आइटम है। लण्ड खड़ा कर दिया इस परी ने। है कौन ये आखिर। क्या चूचियां हैं इसकी अहह... क्या कमर है... जरुर कुँवारी होगी..."

राज अब मीरा के ऊपर नजर गड़ाए हए था। उसके जिश्म को स्कैन कर रहा था। वो तो मीरा को ऐसे घूर रहा
था जैसे नजरों से हो नंगी कर रहा हो। राज खिड़की से अंदर देखते हुए अपना लण्ड मसल रहा था। तभी अचानक मीरा की नजर राज पड़ जाती है।
मीरा- हे कौन हो तुम? और यहां क्या कर रहे हो?

मीरा की आवाज सुनकर नेहा भी खिड़की पर देखती है और राज को वहीं देखकर थोड़ा डर जाती है।

राज- वो मैं नेहा जी का ड्राइवर हूँ।

मीरा अब नेहा की तरफ देखते हुए. "भाभी?"

नेहा- हाँ वो हमारा ड्राइवर है।

मीरा- वो अच्छा। लेकिन तुमको क्या चाहिए?

राज मन में- "साली मुझे तो तेरी कुवारी चूत चाहिए...

राज- कुछ नहीं, बस ऐसे ही आया था।

मीरा- ऐसे ही मतलब।

नेहा कुछच बोल नहीं रही थी।
राज- वो खाने के लिए कुछ भी मिल जाता तो?

मीरा- वो ठीक हैं अंदर आओ, मैं कुछ देती हूँ।

राज के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। उसके मास्टरमाइंड दिमाग में एक आइडिया आया था। राज मन में. "नेहा मेरी जान तू मुझसे खुलकर कुछ नहीं करती ना। मुझे पता है तुझे भी मेरे से चुदाई करवाना पसंद हैं। मुझे पता है मेरा लौड़ा तुझे पसंद है। लेकिन तू खुलकर नहीं बताती। अब देख मैं क्या करता हूँ। तुझे खुद मुझसे सब कुछ बोलना होगा। तू देखती जा."

मीरा- वो भाईसाब आओ अंदर।

राज होश में आते हुए अंदर चला जाता है। नेहा नीचे देखते हुए नाश्ता कर रही भी। राज उसे देखते हुए दूसरी तरफ जमीन पर बैठ जाता है। मीरा उसे प्लेट देने के लिए जाती है। तभी झकने से उसकी चोली के अंदर उसकी मस्त टाइट चूचियां राज को दिख जाती है। जिसे देख कर राज के मुँह में पानी आ जाता है। वो उधर ही घर रहा था। फिर मीरा वापस नेहा के पास जाकर अपने मोबाइल पर चॅटिंग करने लगती है।

अब राज अपना ट्रैप बिछाने लगता है। नेहा जो तब से नीचे देख रही थी। अब कभी-कभी राज को देख रही भी। जो राज ने भी देख लिया था। राज अब मीरा को देखने लगता है घूर घूर कर। मीरा को इसकी बिल्कुल खबर नहीं थी। वो तो बस अपने मोबाइल में बिजी थी। राज मीरा के गोरे जवान 20 साल के जिस्म को घरे जा रहा था। नेहा की नजर अब राज पर जा रही थी। उसने देख लिया था की राज मीरा को पूरे जा रहा है। राज को ऐसा देखने के बाद नेहा बार-बार राज को देख रही थी। राज लेकिन अपने काम में लगा हुआ था। वो अब कभी-कभी मीरा को देखते हुए अपना लण्ड भी मसल रहा था। जिसे नेहा ने देखा ।

नेहा मन में- "कमीना बुट्टा कहाँ का। कैंसी गंदी हरकत कर रहा है? अपनी पोती की उमर की लड़की को ताड़े जा रहा है। इसे भी फंसाने का इरादा है इसका लगता है। बिल्कुल बेशर्म है। बूढ़े की हसरतें कम ही नहीं होती। देखो कैसे घरे जा रहा है मीरा को। जैसे उसे खा जाएगा.."

राज मीरा को देखे जा रहा था। ऐसे ही थोड़ी देर में नेहा का खाना हो जाता है। और वो प्लेट उठाकर ऑसन के पास जाती हैं और प्लेट थोड़ा जोर से रखती है। जैसे उसे किसी बात पर गुस्सा हो। राज और मीरा दोनों प्लेट की आवाज में नेहा की तरफ देखते हैं।

मीरा- क्या हुआ भाभी?

नेहा- "कुछ नहीं... बोलकर एक बार राज को देखकर बाहर चली जाती है।

मीरा को हैरानी होती है नेहा के इस अचानक बिहेवियर से। लेकिन राज के बदसूरत चेहरे पर एक कमीनी स्माइल थी। जैसे उसने कुछ जान लिया हो। जैसे उसे कुछ हासिल हुआ हो।
मीरा- क्या हुआ भाभी को अचानक?

तब तक राज का हो जाता हैं खाकर। वो प्लेट वहीं पर रखकर उठ जाता है और बेसिन पर हाथ धोने लगता है। मीरा राज को वहीं देखकर प्लेट उठाने जाती है। वो झकी हुई थी को राज उसके पीछे आ जाता है।
राज- मैं कुछ मदद करें?

मीरा की गाण्ड इस पोजीशन में उभरी हुई थी, और ऐसे पोजीशन में राज सीधा उसकी गाण्ड से चिपक के खड़ा
आ। उसका तना हुआ काला लण्ड मोरा की गाण्ड में चुभ रहा था। मोरा को अचानक झटका लगता है। मोरा राज की इस हरकत मा हरान भी, लेकिन वो कुछ बोल नहीं पाई। राज वैसे ही उसके पिछे सकता है कुछ देर। और खुद ही हट जाता है। और फिर किचेन के बाहर चला जाता है।

मीरा फूटा चकित भी। कैसे एक बदसूरत काला बढ़ा ड्राइवर उसके पीछे गंदे तरीके से खड़ा । इतनी हिम्मत उसमें। मीरा उसके बारे में ज्यादा ना सोचते हुए बाहर चली जाती है। बाहर नेहा विशाल के साथ भी, और राज किधर भी नजर नहीं आ रहा था।

नेहा- विशाल हम कब निकलेंगे इधर से?

विशाल- एक बार शादी तो होने दो। कल चले जाएंगे।

नेहा- विशाल। मुझे यहाँ बहुत बोर हो रहा है।

विशाल- बोर... तुमको शादी के माहौल में बोर हो रहा है?

नेहा- मैं यहां किसी को जानती भी नहीं।

विशाल- तो जाओ डालिंग किसी से दोस्ती करो। बातें करो।

नेहा- विशाल मुझे नहीं करनी किसी से दोस्ती।

विशाल- दोस्ती नहीं करनी ठीक है। लेकिन मीरा से तो बातें कर सकती हो जा?

मीरा का नाम सुनकर ना जाने क्यों नेहा को गुस्सा आता है- "मुझे नहीं करनी उससे बात..."

विशाल- क्यों क्या हुआ अब। कुछ हुआ है क्या?

नेहा- "कुछ नहीं... इतना बोलकर दूसरी तरफ चली जाती हैं।
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फिर विशाल अपने काम में लग जाता है। सोचने की बात तो ये थी की आखोरकार, नेहा को गुस्सा क्यों आया आ मीरा का नाम सुनकर? क्या चल रहा था नेहा की दिमाग में? क्यों उसने किचेन में प्लेट जोर से रखा था? जो भी हो इसके पीछे वजह आगे पता चल हो जाएगी।

नेहा उधर से जाकर बाहर आती है। वहीं उसे एक जगह राज दिखता है। वो एक कार के पीछे खड़े होकर किसी को देख रहा था। नेहा थोड़ा आगे देखती है तो उसे मीरा दिखती है जो किसी से मोबाइल पर बात कर रही थी, और राज उसे ही देख रहा था। पता नहीं क्यों नेहा को ये देख कर गुस्सा आता है।

नेहा मन में- " कमीना कहीं का। जब देखो तब किसी ना किसी लड़की को देखते रहता है। कुछ और काम ही नहीं है इसको तो। और वो मीरा को देखो कैसे मटक-मटक के चल रही है। बेशर्म कहाँ की..." और नेहा ऐसा सोचते हुए वहां से चली जाती हैं।

नेहा को आखीरकार, प्राब्लम क्या थी मीरा से? क्यों वो अचानक से ऐसे बिहेव कर रही थी। नेहा नगेस्टरूम में चली जाती है। उसके चेहरे पर गुस्सा आ। वो किस बात का आ पता नहीं। नेहा जाकर बेड पर लेट जाती हैं। लेकिन कुछ था जो उसे बेचैन कर रहा था। उसी बेचैनी के चलते वो अब उठ खड़ी होती है और बाहर चली जाती हैं। वो विशाल के पास फिर से जाती है। उसे थोड़ी देर में मोरा नजर आती हैं। जो अभी भी फोन पर लगी हुई थी किसी के साथ।

कुछ देर में उसे राज भी नजर आता है जो मीरा को ही देख रहा था। पता नहीं क्यों नेहा वो देखकर थोड़ा गुस्सा होती है। , राज का उसे अनदेखा करना अजीब लग रहा था। लेकिन क्यों उसे इतना बुरा लग रहा था। देखते हैं।

तभी मीरा किसी से टकराती है और उसका मोबाइल उसके हाथ से गिर जाता है। राज उसे उठाने चला जाता है। मोबाइल के पार्टस इधर-उधर बिखरे हुए थे।

मीरा- वो नहीं।

मीरा उस टकराए हुए आदमी को देखकर- "अंधे हो क्या देखकर नहीं चल सकते?"

आदमी- सारी मेडम।

असल में मीरा को ही गलती भी। वो ही कहीं और देखकर मांबाइल मा लगी हुई थी। वो आदमी वहीं से चला जाता है। मीरा नीचे देखती हैं की राज उसके मोबाइल के पार्टस उठा रहा है। अब मीरा भी नीचे बैठकर उसकी मदद करने लगती है।

मीरा- अरे कोई बात नहीं में कर लूँगी।

राज. मैं कर देता हूँ। कोई प्रोबलम नहीं।

राज मोबाइल के पार्टस जमा कर लेता है लेकिन उसे कौन सी चीज कहाँ लगानी है नहीं पता था। जिसे देखकर मीरा थोड़ा स्माइल करती है।

मीरा- इधर दीजिये मैं करती हैं।

राज मोबाइल दे देता है उसे। जब ये हो रहा था, तो नेहा दूर से इन दोनों को देख रही थी। उसको एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी इन दोनों को मैं देखकर। जब राज मीरा को मोबाइल दे रहा था तब उसका काला गंदा हाथ मीरा के गोरे नरम हाथ से टच होता है। जिसे नेहा देख लेती हैं। मीरा मोबाइल लेकर ठीक करने राज वैसे ही मीरा को देखे जा रहा था। मीरा के बैठे होने की वजह से उसका हल्का सा क्लीवेज दिख रहा था। जिसपर राज की नजर भी। मीरा ने उसे नोटिस नहीं किया आ। फिर मीरा मोबाइल ठीक करके उठ जाती है।
और राज भी।

मीरा- थैक्स यू। वैसे क्या नाम है आपका?
राज- वो मेरा नाम राज है।
मीरा- "ओह थैक्स अगेन राजजी..' बोलकर वो वहाँ से चली जाती है।

राज मीरा को जाते हुए उसकी गाण्ड को देख रहा था। तभी वो तिरछी नजर से नेहा को देखा की नेहा उसी की तरफ देख रही थी। राज के मन में कुछ तो चल रहा था। वो हल्का सा : पड़ता है वहाँ से। वो मीरा जिस तरफ गई भी उसी तरफ चला जाता है। इधर नेहा को अब उसकता हो रही थी की आखोरकार, राज कहीं जा रहा है अब? कहाँ मीरा के साथ कछ करने तो नहाँ? उसका मन उत्तेजित हो रहा था। नेहा के कदम उसे रोक रहे थे। लेकिन उसका मन राज के पीछे जाने को बोल रहा था।

आखीरकार, वो अपने मन की सुनती हैं और उधर चली जाती है राज के पीछे, उससे छुपते छुपाते हुए। नेहा थोड़ा लेट हो गई थी। राज उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था। तभी उसे कुछ ख्याल आता है और वो मीरा के रूम की तरफ जाती है। दरवाजा खुला था। वो अंदर झाकती है लेकिन उसे ना ही मीरा कहीं दिखती है और ना ही राज। नेहा थोड़ा अंदर जाती हैं। वो सोचती है शायद बाथरूम में हो। वो बाथरूम की तरफ जाती है। वो हलके पैरों से चल रही थी ताकी कोई आवाज ना हो। वो ऐसे चल ही रही थी की दरवाजा पर राज आ जाता है। वो जानता था की ये नेहा है मीरा नहीं। वो अब धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए नेहा की पास पहुँच जाता है। और फिर एकदम से नेहा की कमर में हाथ डालकर उससे चिपक जाता हैं।

राज- हाय मेरी जान मीरा। क्या मस्त माल है तू।

नेहा समझ जाती है की ये राज है और उसे मीरा समझ रहा है।

नेहा मन में- "बड़ा कमीना कहीं का। कितना गिरा हुआ इंसान है। इतनी छोटी उम्र की लड़की के साथ ये सब करना चाहता है। और अब यहां मीरा होती तो शायद कर भी डालता। लेकिन इसमें मीरा को भी गलती है। ऐसे कपड़े पहन के जाएगी तो कोई भी कुछ भी करेगा उसके साथ। है। मीरा है ही बेशर्म। कैसे राज के साथ हँस-हँसकर बात कर रही थी बाहर।

इसी बीच नेहा की तरफ से कोई रेस्पान्स ना आता देखकर राज नेहा की दोनों चूचियां एक बार दबा देता है।

नेहा- "अहह... छोड़ मुझे ... और नेहा ऐसा बोलकर राज से हटकर थोड़ा दूर खड़ी हो जाती है, और कहती है "शर्म नहीं आती तुमको बूढ़े

राज नाटक करते हुए- "अरे तू यहां। मैं समझा....." राज ने उतना बोला ही था की
नेहा बोली- "तुम समझे की मीरा है ना?" नेहा के चेहरे पर गुस्सा था। नेहा गुस्से से राज को देख रही भी।

राज. वो हाँ ।

नेहा अब गुस्से से वहीं से जाने लगती है।

तभी राज उसका एक हाथ पकड़ लेता है। जिसे देखकर।
नेहा- "मेरा हाथ छोड़ो बूढ़े..

राज- क्यों क्या हुआ मेरी जान?

नेहा- मैं तुम्हारी जान नहीं हैं समझे। इसके बाद मुझे अपनी गंदी बदसूरत शकल दिखाना भी मत।

राज के चेहरा पर एक कमीनी स्माइल थी, कहा- "मैंने क्या किया, जो तू इतना गुस्सा हो रही है?"

नेहा- मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी। तु हाथ छोड़

राज- नहीं छोडूंगा।

नेहा अब अपना हाथ थोड़ा छोड़कर राज के हाथ को काटती है जिससे राज की पकड़ छूट जाती है और नेहा अपना हाथ छुड़ाकर एक बार राज को गुस्से से देखते हुए चली जाती है।

राज एक कमीनी स्माइल करते हुए- "मेरी जान मुझे पता है तू मीरा से जल रही हैं। साली मेरे से चुदना चाहती है, लेकिन खुलकर नहीं बताती। लेकिन जल्द ही तेरे मुँह से सब उगलवाऊँगा..."
फिर राज भी वहीं से चला जाता है। बाहर नेहा विशाल के पास खड़ी थी। तभी राज वहां आता है। नेहा राज को आता देखकर उसे गुस्से से देखती हैं। लेकिन राज उसे स्माइल देता है। तभी मीरा कहीं अजेंट जा रही थी भागते हुए।
 
नेहा राज को आता देखकर उसे गुस्से से देखती हैं। लेकिन राज उसे स्माइल देता है। तभी मीरा कहीं अजेंट जा रही थी भागते हुए।

विशाल- अरे मीरा क्या हुआ?
मीरा- वो भैया वो मैंने एक गिफ्ट मैंगवाया था वहीं लेने जा रही थी।
विशाल- कोई बड़ी चीज है क्या?
मीरा- हाँ भैया बड़ी चीज तो है।
विशाल- तुम एक काम करो बाहर सको। मैं राज को भेजता हैं तुम्हारी मदद करने।
नेहा ये सुनकर विशाल की तरफ हैरानी भरी नजर से देखने लगती है।
विशाल- "अरे राज...
राज दूर से आते हुए- "हाँ साहब..."
विशाल- वो बाहर मीरा की थोड़ी मदद कर दो।
राज- "जी साहब.." फिर राज जाने लगता है।
नेहा उसको जाते हुए देख रही थी। उसका मन बाहर जाकर देखने का कर रहा था की बाहर क्या हो रहा है? लेकिन वो अपने आपको किसी तरह रोक लेती हैं। थोड़ी देर बाद राज बाहर से एक बड़ा सा बाक्स उठाए हए ला रहा था और मीरा उसके पीछे भी। नेहा दोनों को देख रही थी। राज बाक्स लेकर मीरा के रूम में चला जाता है। साथ में मीरा भी।

नेहा मन में- "ये मीरा हर वक्त राज के पीछे क्यों पड़ी है। ऐसा क्या नजर आ गया उसकी उस बटे में। बेशर्म कहीं की..."
नेहा मीरा को तो बेशर्म बोल रही थी। लेकिन वो ये भूल रही थी की वहीं बटा उसे बेशर्मी की तरह चांद चुका है। ऐसे ही कई हरकतें करके राज नेहा को जलाता है। और नेहा भी ना जाने कैसे जल रही थी मीरा से। फिर शादी भी हो जाती है। सब बहुत एंजाय करते हैं। इसी बीच कई पल ऐसे आए जब राज की नजर मीरा से हट ही नहीं रहाँ थी। जब मीरा डान्स कर रही थी तो उसकी चूचियां उस चोली में उछल कूद रही थी और उसकी गाण्ड कैसे हिल रही थी। राज को ऐसे मीरा की तरफ देखते हुए नेहा को जलन हो रही थी। बस यही सब चल रहा था। शाम में सब काम निपटाकर विशाल और नेहा रूम में बैठे थे।

विशाल- क्या बात है नेहा, खोई-खोई सी लग रही हो?
नेहा- नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।
विशाल- आर यू श्योर?
नेहा- हाँ ।
ऐसे ही रात में खाने के बाद दोनों बाहर हाल में न्यूली वेड कमल के साथ बातें कर रहे थे। लेकिन नेहा का ध्यान कहीं और ही आ। उसका मन किसी को दुद रहा था।
नेहा- विशाल एक मिनट में आई।
विशाल- कहां जा रही हो?
नेहा- कही नहीं अस ऐसे हो।
विशाल- ठीक है।
नेहा फिर बाहर की ओर जाती है। वहीं उसे नाही मीरा और ना ही राज दिखता है। फिर वो मीरा के बेडरूम में जाती है। वहां पर भी दोनों नहीं थे। वो किचेन की तरफ से गुजर रही थी की उसे किचेन से किसी के हँसने की
आवाज आती है। वो अंदर देखती है तो उसे मीरा हँसती हुई दिखती है। और उसके साइड में राज खड़ा था।
मीरा- आप भी ना राज चाचा बहुत फन्नी हो।
राज- अब हैं, तो हैं।
नेहा मन में- "ये मोरा तो हाथ धोकर काम के पीछे पड़ी हुई है। जरा भी शर्म नहीं आती क्या इसे? देखो कैसे राज से हैंस-हँसकर बातें कर रही है। जैसे वो राज की गर्लफ्रेंड हो। राज की गर्लफ्रेंड तो मैंन्।
नेहा ने उतना सोच ही था की वो रुक जाती हैं। आखीरकार, नेहा किस ओर बढ़ चली थी? क्या रीजन है नेहा को , मीरा से जलना।
XNXX NXXN कड़ी_20 फिर उधर से नेहा चली आती है वापस। रात में सोते हुए भी उसको राज और मीरा का खयाल आ रहा था। कुछ था जो उसे ठीक से सोने नहीं दे रहा था। कुछ तो आ जिससे उसको बेचैनी हो रही थी। काफी रात तक वो बेचैन रहती है। एक बार तो जाकर कटीम को देखने का सोचती है लेकिन किसी तरह से खुद को रोक लेती हैं।

अगली सुबह नाश्ता करके नेहा और विशाल तैयार हो चुके थे वापस जाने के लिए।
विशाल- चल यार हम चलते हैं।
दोस्त- यार त कुछ और दिन रुक जा जा। दो दिन ही तो हए हैं।
विशाल- रुक जाता यार, लेकिन मुझे काम है बहुत अपने आफिस में। नहीं रुक सकता समझा कर।
ऐसे वो कुछ बातें करते हैं।
विशाल- चल यार हम चलते हैं फिर।
दोस्त- जल्द आना।
विशाल- जस्ट बाइ।
फिर वो लोग वहाँ से निकल पड़ते हैं। राज कार ड्राइवर कर रहा था। नेहा इस बार राज को नहीं देख रही थी। उसके मन में एक अंजाना गुस्सा था राज के लिए। अभी कार में कोई बात नहीं कर रहा था। अभी सुबह का टाइम | विशाल आराम से बैठा हुआ आ। लेकिन नेहा के मन में अजब सा गुस्सा आ राज के लिए या फिर कहिए मीरा का राज के नजदीक जाना उसे पसंद नहीं आया था। लेकिन क्या? वो तो हमेशा राज को डिसलाइक करती है फिर भी क्यों? पता नहीं नेहा की मन में क्या चल रहा था।
वहीं राज कार चलते हुए कभी-कभी नेहा को देख रहा था। उसे पता था नेहा की क्या हालत होगी? उसने उसके मन में जलन जो पैदा कर दी थी। उसे ये भी पता था की नेहा इतनी आसानी से अपने एमोशन्स जाहिर नहीं करेगी। राज को और मजबूर करना आ नेहा को। वो अब नेहा को बार-बार मिरर से देखने लगता है। लेकिन नेहा का खयाल उधर नहीं आ। उसे तो राज पर गुस्सा था।
राज मन में- "हाय मेरी जान कितना गुस्सा कर रही हो सिर्फ मेरे लिए। बस अब घोड़ा वक्त यह जदाई बत्ति कर ले। फिर मैं तुझे जिंदगी के असली मजे दंगा..."
थोड़ी देर बाद विशाल के मोबाइल पर एक काल आता है और वो उसमें बिजी हो जाता है। इधर काम अब नेहा को मिरर से देखे जा रहा था। एक बार के लिए नेहा की नजर राज पर जाती है। नेहा उसे गुस्से से देखती है। लेकिन राज उसे स्माइल करके दिखाता है। फिट नेहा दूसरी तरफ देखने लगती है।
नेहा मन में- "बेशर्म बूढ़ा कही का। मुझे देख रहा है अब। कल तो उस बेशर्म मीरा को देख रहा था। कमीना कहीं
का... ऐसे ही सफर में ज्यादा कुछ नहीं होता। वो अब इनके सिटी में पहुँच चुके थे। ऐसे ही कार चलते हुए विशाल को काल आता है।
विशाल- "हाँ बोलो, ही." और विशाल मोबाइल पर बात कर रहा था।

नेहा को नौंद आ गई थी सफर से तो वो लेटी हुई थी।
विशाल काल खतुम कर के- "अरे राज सुनो। कार आफिस ले लो."

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राज- जी साहब।
विशाल नेहा को जगाते हुए- "नेहा उठ.."
नेहा उठ जाती है- "हुह्ह क्या हुआ?"
विशाल- मुझे आफिस में कुछ काम है। तुमको राज ड्राप कर देगा घर पर।
नेहा- लेकिन विशाल इस वक़्त कौन सा इंपार्टेट काम है तुमको?
विशाल- समझा करी हालिंग जाना होगा।
नेहा- हमेशा तुम ऐसा करते हो।
विशाल- साली हालिंगा
नेहा कुछ नहीं बोलती है और खिड़की से बाहर देखने लगती हैं। राज इन दोनों की बातें बड़ी गौर से सुन रहा था। थोड़ी देर में आफिस आ जाता है। विशाल कार से उतरकर।
विशाल- सारी हालिंग में जल्दी आ जाऊँगा काम खतुमश करके।
नेहा कुछ नहीं बोलती।
विशाल- राज मेडम को लेकर जाओ घर।
राज- जी साहब।
फिर कटीम कार वहां से चला देता हैं। आफिस से घर का रास्ता 0 किलोमीटर आ। अभी काफी देर थी नेहा के
घर पहुँचने तक। राज और नेहा दोनों बात नहीं कर रहे थे। थोड़ी देर में ही वो ट्रैफिक में की तरह से फैंस जाते हैं। काफी लंबा ट्रैफिक लग रहा था। जिसे देखकर नेहा थोड़ा टेन्शन में आ जाती है। वो राज से तो बिल्कुल बात नहीं करना चाहती थी। लेकिन सिचुयेशन कुछ ऐसी बन गई थी की।
नेहा- कब तक क्लियर होगा ये?

राज- पता नहीं काफी ज्यादा ट्रैफिक हैं।
नेहा- तो क्या में ऐसे ही बैठी रहा
राज- और क्या कर सकती हो मेडम आप। चाहे तो आप वो कर सकती हैं।

नेहा एक बार के लिए राज का इशारा नहीं समझती है। लेकिन जल्द ही वो समझ जाती है। नेहा बोला. "चुप रही बेशर्म कहीं के..' और वो दूसरी तरफ मुँह करके बाहर देखने लगती है।
राज- मेमसाहब कीजिये ना वो।
नेहा इधर नहीं घूमती।
राज- मेमसाहब प्लीज़... कीजिये ना।
नेहा अभी भी कोई स्पान्म नहीं देती।
"दखिए अब तो मैंने बाहर भी निकाल दिया, अब
राज अब अपना काला मोटा लण्ड पेंट से बाहर निकाल दिया

नेहा इस बार राज को गुस्से से देखते हुए- "बेशर्म बूढ़े चुप रहो। और तुम ये अपनी माशूका मीरा से ही कर लो ना... मुझे क्यों बोल रहे हो?" और नेहा की कहने में जेलेसी थी जो राज को भी मालूम पड़ रहा था।
 
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