hotaks444
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वैसे ये पहला मौका था जब वो मुझे इस हाल में देख रहा था.......मैं आगे कुछ कहती या अपने बदन को ढकति उससे पहले विशाल ओह.शिट!!!! कहता हुआ दरवाज़े के तरफ अपना मूह घूमाकर खड़ा हो गया......
विशाल- दीदी आइ अम रियली सॉरी.......मुझे नहीं पता था कि आप कपड़े बदल रही होंगी......अगर मुझे पता होता तो मैं यहाँ कभी नहीं आता......फिर विशाल जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ता है मेरी आवाज़ सुनकर उसके बढ़ते कदम अचानक से वही रुक जाते है.......
विशाल की बातों को सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी........मगर मैने ये बात उसे बिल्कुल ज़ाहिर नहीं होने दिया.........
अदिति -इसमें सॉरी की कोई वजह नहीं विशाल....ग़लती मेरी ही थी.....मुझे दरवाज़ा अंदर से लॉक करना चाहिए था.......मगर...............इतना कहकर मैं खामोश हो गयी.......विशाल भी मेरी बात को आगे सुनने के लिए वही खड़ा होकर मेरे आगे बोलने का इंतेज़ार कर रहा था......अब भी उसका मूह दूसरी तरफ था.......
अदिति- विशाल अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे........विशाल मेरी ओर बिना मुड़े जवाब में हां कहकर फिर से खामोश हो जाता है......
अदिति- दर-असल मेरी ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा.....क्या तुम प्लीज़ मेरी ब्रा की हुक लगा दोगे.......मेरी बात सुनकर विशाल के मानो होश उड़ गये थे....उसने मुझसे कभी इस बात की उम्मीद नहीं की थी......मैने भी ये बात बहुत हिम्मत जुटाकर उससे कही थी........मगर मुझे पूरा विश्वास था कि विशाल मुझे मना नहीं करेगा......मैं फिर खामोश होकर उसके जवाब का इंतेज़ार करने लगी.....
थोड़ी देर बाद विशाल ने आख़िर चुप्पी तोड़ी- दीदी मुझसे ये नहीं होगा.......अगर मम्मी पापा जान गये तो........और मैं कैसे आपको उस हाल में देख सकता हूँ.......
अदिति- विशाल ........मैं तुमसे कोई ग़लत काम करने को तो नहीं कह रही........मेरी हुक बहुत टाइट है....और अगर मम्मी यहाँ होती तो मैं उनसे ही लगवा लेती.......और रागिनी का भी कई बार फोन आ चुका है.......वो मेरा ही वेट कर रही है......समझा करो हम लेट हो जाएँगे......
विशाल मरता क्या ना करता.......वो कुछ देर तक यू ही खामोश रहता है.......
विशाल- ठीक है दीदी मगर आप मुझे पहले ये वादा करो कि आप ये बात कभी किसी से नहीं कहोगी........मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गयी........मैं उसे पूरा विश्वास दिलाया और फिर मैं अपने दोनो हाथ अपने सीने पर रख दिए......मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था......क्या होगा जब विशाल मेरे नंगी पीठ पर अपना हाथ रखेगा......एक तरफ मेरा दिल ज़ोरों से धधक रहा था वही मेरे अंदर की आग एक बार फिर से धीरे धीरे सुलगने लगी थी.......
उधेर फिर विशाल पीछे घूमकर मेरी ओर अपना चेहरा करता है.......फिर वो मेरी तरफ धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाता है.......विशाल की भी हालत खराब थी.......उसका जिस्म थर थर काँप रहा था मैं आईने में उसकी चाल देखकर इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगा सकती थी........विशाल जब मेरे करीब आया तो वो मेरी नंगी पीठ को बड़े गौर से देखने लगा......मेरी गोरी पीठ कमर के उपर पूरी नंगी थी.......आज पहली बार मैं उस हाल में विशाल के सामने बैठी हुई थी........
विशाल फिर मेरे पास आया और उसने अपनी आँखें बंद कर ली......शायद उसे बहुत शरम सी लग रही थी.......मगर मेरा सारा ध्यान तो विशाल के चेहरे और उसकी हर हरकत पर था.......जैसे ही विशाल ने मेरे नंगे पीठ को छुआ मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकरी फुट पड़ी.......सिसकारी इतनी धीमी थी कि विशाल उसे नहीं सुन सकता था.....मगर हां मुझे देखकर मेरे अंदर उठ रहे उस तूफान को ज़रूर महसूस कर सकता था......जैसे ही उसके हाथों का स्पर्श मेरे पीठ पर हुआ मेरी साँसें बहुत ज़ोरों से चलने लगी.......मेरा दिल बहुत तेज़ी से धड़कने लगा.........
मैं बता नहीं सकती उस वक़्त मैं क्या महसूस कर रही थी......मगर सच तो ये था कि मेरी दोनो निपल्स तन कर बहुत हार्ड हो गयी थी.......मेरी चूत गीली हो चली थी.......जब आईने में मैने विशाल के चेहरे पर नज़र डाली तो उसकी आँखें बंद थी.......वो अपनी आँखे बंद कर मेरी ब्रा के हुक को लगा रहा था.......मैं भी आज पूरे शरारत के मूड में थी.......जब विशाल ने मेरे दोनो ब्रा के स्ट्रॅप्स को पकड़ा फिर वो जैसे ही उसे आगे खीच कर उसका हुक लगाने को आगे बढ़ा मैने अपने सीने को और फैला दिया जिससे उसके हाथों में रखा एक स्ट्रॅप्स छूट गया........
विशाल- दीदी आइ अम रियली सॉरी.......मुझे नहीं पता था कि आप कपड़े बदल रही होंगी......अगर मुझे पता होता तो मैं यहाँ कभी नहीं आता......फिर विशाल जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ता है मेरी आवाज़ सुनकर उसके बढ़ते कदम अचानक से वही रुक जाते है.......
विशाल की बातों को सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी........मगर मैने ये बात उसे बिल्कुल ज़ाहिर नहीं होने दिया.........
अदिति -इसमें सॉरी की कोई वजह नहीं विशाल....ग़लती मेरी ही थी.....मुझे दरवाज़ा अंदर से लॉक करना चाहिए था.......मगर...............इतना कहकर मैं खामोश हो गयी.......विशाल भी मेरी बात को आगे सुनने के लिए वही खड़ा होकर मेरे आगे बोलने का इंतेज़ार कर रहा था......अब भी उसका मूह दूसरी तरफ था.......
अदिति- विशाल अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे........विशाल मेरी ओर बिना मुड़े जवाब में हां कहकर फिर से खामोश हो जाता है......
अदिति- दर-असल मेरी ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा.....क्या तुम प्लीज़ मेरी ब्रा की हुक लगा दोगे.......मेरी बात सुनकर विशाल के मानो होश उड़ गये थे....उसने मुझसे कभी इस बात की उम्मीद नहीं की थी......मैने भी ये बात बहुत हिम्मत जुटाकर उससे कही थी........मगर मुझे पूरा विश्वास था कि विशाल मुझे मना नहीं करेगा......मैं फिर खामोश होकर उसके जवाब का इंतेज़ार करने लगी.....
थोड़ी देर बाद विशाल ने आख़िर चुप्पी तोड़ी- दीदी मुझसे ये नहीं होगा.......अगर मम्मी पापा जान गये तो........और मैं कैसे आपको उस हाल में देख सकता हूँ.......
अदिति- विशाल ........मैं तुमसे कोई ग़लत काम करने को तो नहीं कह रही........मेरी हुक बहुत टाइट है....और अगर मम्मी यहाँ होती तो मैं उनसे ही लगवा लेती.......और रागिनी का भी कई बार फोन आ चुका है.......वो मेरा ही वेट कर रही है......समझा करो हम लेट हो जाएँगे......
विशाल मरता क्या ना करता.......वो कुछ देर तक यू ही खामोश रहता है.......
विशाल- ठीक है दीदी मगर आप मुझे पहले ये वादा करो कि आप ये बात कभी किसी से नहीं कहोगी........मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गयी........मैं उसे पूरा विश्वास दिलाया और फिर मैं अपने दोनो हाथ अपने सीने पर रख दिए......मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था......क्या होगा जब विशाल मेरे नंगी पीठ पर अपना हाथ रखेगा......एक तरफ मेरा दिल ज़ोरों से धधक रहा था वही मेरे अंदर की आग एक बार फिर से धीरे धीरे सुलगने लगी थी.......
उधेर फिर विशाल पीछे घूमकर मेरी ओर अपना चेहरा करता है.......फिर वो मेरी तरफ धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाता है.......विशाल की भी हालत खराब थी.......उसका जिस्म थर थर काँप रहा था मैं आईने में उसकी चाल देखकर इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगा सकती थी........विशाल जब मेरे करीब आया तो वो मेरी नंगी पीठ को बड़े गौर से देखने लगा......मेरी गोरी पीठ कमर के उपर पूरी नंगी थी.......आज पहली बार मैं उस हाल में विशाल के सामने बैठी हुई थी........
विशाल फिर मेरे पास आया और उसने अपनी आँखें बंद कर ली......शायद उसे बहुत शरम सी लग रही थी.......मगर मेरा सारा ध्यान तो विशाल के चेहरे और उसकी हर हरकत पर था.......जैसे ही विशाल ने मेरे नंगे पीठ को छुआ मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकरी फुट पड़ी.......सिसकारी इतनी धीमी थी कि विशाल उसे नहीं सुन सकता था.....मगर हां मुझे देखकर मेरे अंदर उठ रहे उस तूफान को ज़रूर महसूस कर सकता था......जैसे ही उसके हाथों का स्पर्श मेरे पीठ पर हुआ मेरी साँसें बहुत ज़ोरों से चलने लगी.......मेरा दिल बहुत तेज़ी से धड़कने लगा.........
मैं बता नहीं सकती उस वक़्त मैं क्या महसूस कर रही थी......मगर सच तो ये था कि मेरी दोनो निपल्स तन कर बहुत हार्ड हो गयी थी.......मेरी चूत गीली हो चली थी.......जब आईने में मैने विशाल के चेहरे पर नज़र डाली तो उसकी आँखें बंद थी.......वो अपनी आँखे बंद कर मेरी ब्रा के हुक को लगा रहा था.......मैं भी आज पूरे शरारत के मूड में थी.......जब विशाल ने मेरे दोनो ब्रा के स्ट्रॅप्स को पकड़ा फिर वो जैसे ही उसे आगे खीच कर उसका हुक लगाने को आगे बढ़ा मैने अपने सीने को और फैला दिया जिससे उसके हाथों में रखा एक स्ट्रॅप्स छूट गया........