hotaks444
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विशाल मेरी जवानी का रस धीरे धीरे पी रहा था.......वही वो अपने दूसरे हाथों से मेरे एक बूब्स को दबा भी रहा था......कभी वो अपनी उंगलियों के बीच मेरी निपल्स को दबाता तो मैं ज़ोरों से उछल पड़ती.......मैं वही बिस्तेर पर इधेर से उधेर मचल रही थी.......विशाल ने जब जी भर कर मेरे बूब्स का रस पिया तब वो अपनी जीभ सरकाते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगा........मैने जवाब में अपनी दोनो टाँगें उसके सामने पूरी फैला दी........
विशाल जब मेरी चूत के पास पहुँचा तब वो मेरी चूत को बड़े गौर से देखने लगा..........मेरी चूत पूरी तरह से गीली थी......और वहाँ से काम रस धीरे धीरे बहता हुआ बाहर की ओर आ रहा था........विशाल फिर अपने दोनो हाथ मेरी चूत की पंखुड़ियों पर ले गया और मेरी चूत की फांको को बहुत आहिस्ता से फैलाकर मेरा छेद देखने लगा.........अंदर गुलाबी रंग की चमड़ी में चमकता मेरा काम रस उसे सॉफ दिखाई दे रहा था.........मैं लाख बेशर्मी विशाल के सामने जाहिर कर रही थी मगर फिर भी मेरे अंदर शरम की एक तेज़ लहर एक बार फिर से मेरे अंदर दौड़ गयी.......
विशाल कुछ देर तक मेरी चूत को ऐसे ही देखता और सहलाता रहा.......फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी और वो वहाँ बहुत आहिस्ता से चाटने लगा......जैसे ही उसकी जीभ मेरी चूत को टच हुई मुझे एक पल तो ऐसा लगा जैसे मैने कोई बिजिल का नंगा वाइयर छू लिया हो.......मेरे जिस्म पर हज़ारों चीटियों ने जैसे काट लिया हो.....मैं इस बार अपने अंदर की सिसकरी को नहीं रोक सकी और फ़ौरन वही चीख पड़ी......
आईटी- आआआआआआआआआअ...........म्म्म्मीममममम...........उूुउउ.अयू.म्म्म्मकमममममममम..म्म्म्मलमममम.ययययययययययी..
बस करो विशाल.......मैं मर जाऊंगी.......प्प्प्प...ल्ल्ल्ल्ल्ल....ईई...एयेए....ससस्स...ईई.....क्या तुम आज मेरी जान लोगे ........अब मुझसे सहन नहीं होता......मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.....प्लीज़ अब मुझे अब और मत तड़पाऊ.......
विशाल फ़ौरन रुक गया और अपना चेहरा मेरी तरफ करके वो मुझे बड़ी गौर से एक टक देखने लगा- अभी तो ये शुरआत है अदिति.......ठीक है मैं तुम्हें और नहीं तड़पाउंगा मगर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा......
अदिति- क्या विशाल.......
विशाल- तुम्हें मेरा लॉडा चूसना होगा..........चूसोगी ना.........
मेरे लिए ये किसी झटके से कम नहीं था.......मैं पहली बार विशाल के मूह से इस तरह की वर्ड्स सुन रही थी........मुझे मेरे कानों पर बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था.......
विशाल- क्या हुआ अदिति......
अदिति- विशाल तुम ऐसे डर्टी वर्ड्स......
विशाल- ओह...कम्मोन अदिति.........बच्चो जैसी बातें मत करो.......बोलो तुम्हें मेरी शर्त मंज़ूर है कि नहीं......
अदिति- ठीक है मुझे मंज़ूर है.......
विशाल- ऐसे नहीं अदिति.......खुल कर बोलो.......जैसे अभी मैने कहा है.........ये मेरे लिए एक और शॉक था........मैने कभी ऐसे वर्ड्स किसी के सामने नहीं कहे थे तो विशाल के सामने भला मैं कैसे कहती........मैं चुप होकर उसकी तरफ एक टक देखने लगी......
विशाल- क्या हुआ अदिति.......अब बोल भी दो ना......
अदिति- प्लीज़......विशाल.......तुम जो चाहते हो वो तो मैं कर रही हूँ ना फिर ये सब कहना ज़रूरी है क्या........
विशाल-हां ज़रूरी है....क्या आप मेरी खातिर इतना भी नहीं कर सकती.......
अब मेरे लिए ये किसी इम्तिहान से कम नहीं था.....एक तरफ विशाल था तो दूसरी तरफ मेरे अंदर की शरम और लाज.......मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि मैं आगे कैसे बढ़ूँ और क्या मैं ये सब उसके सामने कह पाउन्गि...........मैं एक बार फिर से खामोश होकर विशाल के चेहरे की तरफ देखने लगी...........पता नहीं आने वाले वक़्त में विशाल मेरे साथ ना जाने और क्या क्या करवाने वाला था.....................पता नहीं ये अंत था या फिर इन सब की एक शुरूवात थी..
विशाल जब मेरी चूत के पास पहुँचा तब वो मेरी चूत को बड़े गौर से देखने लगा..........मेरी चूत पूरी तरह से गीली थी......और वहाँ से काम रस धीरे धीरे बहता हुआ बाहर की ओर आ रहा था........विशाल फिर अपने दोनो हाथ मेरी चूत की पंखुड़ियों पर ले गया और मेरी चूत की फांको को बहुत आहिस्ता से फैलाकर मेरा छेद देखने लगा.........अंदर गुलाबी रंग की चमड़ी में चमकता मेरा काम रस उसे सॉफ दिखाई दे रहा था.........मैं लाख बेशर्मी विशाल के सामने जाहिर कर रही थी मगर फिर भी मेरे अंदर शरम की एक तेज़ लहर एक बार फिर से मेरे अंदर दौड़ गयी.......
विशाल कुछ देर तक मेरी चूत को ऐसे ही देखता और सहलाता रहा.......फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी और वो वहाँ बहुत आहिस्ता से चाटने लगा......जैसे ही उसकी जीभ मेरी चूत को टच हुई मुझे एक पल तो ऐसा लगा जैसे मैने कोई बिजिल का नंगा वाइयर छू लिया हो.......मेरे जिस्म पर हज़ारों चीटियों ने जैसे काट लिया हो.....मैं इस बार अपने अंदर की सिसकरी को नहीं रोक सकी और फ़ौरन वही चीख पड़ी......
आईटी- आआआआआआआआआअ...........म्म्म्मीममममम...........उूुउउ.अयू.म्म्म्मकमममममममम..म्म्म्मलमममम.ययययययययययी..
बस करो विशाल.......मैं मर जाऊंगी.......प्प्प्प...ल्ल्ल्ल्ल्ल....ईई...एयेए....ससस्स...ईई.....क्या तुम आज मेरी जान लोगे ........अब मुझसे सहन नहीं होता......मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.....प्लीज़ अब मुझे अब और मत तड़पाऊ.......
विशाल फ़ौरन रुक गया और अपना चेहरा मेरी तरफ करके वो मुझे बड़ी गौर से एक टक देखने लगा- अभी तो ये शुरआत है अदिति.......ठीक है मैं तुम्हें और नहीं तड़पाउंगा मगर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा......
अदिति- क्या विशाल.......
विशाल- तुम्हें मेरा लॉडा चूसना होगा..........चूसोगी ना.........
मेरे लिए ये किसी झटके से कम नहीं था.......मैं पहली बार विशाल के मूह से इस तरह की वर्ड्स सुन रही थी........मुझे मेरे कानों पर बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था.......
विशाल- क्या हुआ अदिति......
अदिति- विशाल तुम ऐसे डर्टी वर्ड्स......
विशाल- ओह...कम्मोन अदिति.........बच्चो जैसी बातें मत करो.......बोलो तुम्हें मेरी शर्त मंज़ूर है कि नहीं......
अदिति- ठीक है मुझे मंज़ूर है.......
विशाल- ऐसे नहीं अदिति.......खुल कर बोलो.......जैसे अभी मैने कहा है.........ये मेरे लिए एक और शॉक था........मैने कभी ऐसे वर्ड्स किसी के सामने नहीं कहे थे तो विशाल के सामने भला मैं कैसे कहती........मैं चुप होकर उसकी तरफ एक टक देखने लगी......
विशाल- क्या हुआ अदिति.......अब बोल भी दो ना......
अदिति- प्लीज़......विशाल.......तुम जो चाहते हो वो तो मैं कर रही हूँ ना फिर ये सब कहना ज़रूरी है क्या........
विशाल-हां ज़रूरी है....क्या आप मेरी खातिर इतना भी नहीं कर सकती.......
अब मेरे लिए ये किसी इम्तिहान से कम नहीं था.....एक तरफ विशाल था तो दूसरी तरफ मेरे अंदर की शरम और लाज.......मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि मैं आगे कैसे बढ़ूँ और क्या मैं ये सब उसके सामने कह पाउन्गि...........मैं एक बार फिर से खामोश होकर विशाल के चेहरे की तरफ देखने लगी...........पता नहीं आने वाले वक़्त में विशाल मेरे साथ ना जाने और क्या क्या करवाने वाला था.....................पता नहीं ये अंत था या फिर इन सब की एक शुरूवात थी..