Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास - Page 5 - SexBaba
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Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास

जिस्म की प्यास--16

गतान्क से आगे……………………………………

डॉली ने अपने हाथो से खुद अपनी पैंटी उतारी और राज को पकड़ा दी. डॉली ने अपनी टाँगों को चुपका दिया

क्यूंकी वो अपनी चूत को दिखाने में शर्मा रही थी... राज फिरसे अपने होंठो से डॉली को चूमने

लगा और डॉली अपनी टाँगें खोलने लगी... राज ने मौका देखकर ही अपनी ज़ुबान डॉली की

चूत की तरफ ले गया और उसे चाटने लगा. डॉली अपने दांतो से अपने होंठो को दबाने लगी.

उसने कभी नही सोचा था कि खुले आम एक गाड़ी में ऐसी हरकते करेगी.... वो चाहती थी ये कभी रुके ना

क्यूंकी राज इस चीज़ माहिर लग रहा था. इतना मज़ा तो उसको कभी अपने पुराने राज के साथ भी

नहीं आया था.... और उसके भाई के प्रति वो रातें हवस की वजह से थी सच्चे प्यार की वजह से नहीं.....

डॉली की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. राज अब और रुक नहीं सकता था उसने डॉली को अपनी बाँहों

में उठाया और अपने लंड पे बिठा दिया और उसके चोद्ने लगा. डॉली की जांघें राज की जाँघो पे थी और

उसकी गीली चूत राज के तने हुए लंड पर.... डॉली धीरे धीरे ऑश आहह करने लगी.

अब तक वो उतना समझ ही गयी थी कि एक मर्द को कैसे खुश करना है.... जब भी उसे मौका मिलता तो अपनी

कमर को हिलाने लगती जिससे राज का लंड उसकी चूत में गोल गोल घूमने लगता.... राज डॉली की हर्कतो से

काफ़ी ज़्यादा मचल गया और अब साथ ही साथ उसके मम्मो को भी सहलाने लगा. फिर राज ने

सीटो को पीछे कर दिया और डॉली को उठाकर सीट पे लिटा कर चोद्ने लगा. जैसे राज ने अपना लंड फिरसे

डॉली की चूत में डाला डॉली मस्ती में सिसकियाँ लेने लगी..... अब राज बुर्री तरह से लंड

अंदर बाहर करने में लगा था. डॉली दर्द के मारे पागल हुए जा रही थी. उसने अपने नाख़ून राज की गाड़ी की

सीट पे गढ़ा रखे थे और एक नाख़ून ने तो सीट के अंदर भी छेद बना दिया था....

डॉली ने अपने टाँग उठाई और राज के कंधो पे रख दी और फिर राज और ज़ोर से चूत को चोद्ने लगा....

राज को जैसे ही लगा कि वो और नहीं रुक पाएगा तो उसने अपना लंड निकाला और डॉली के मम्मो पे डाल

दिया और कुच्छ छीते उसके गाल पे भी आ गये. राज के बिना कहे ही डॉली ने राज को लंड को पकड़ा और

उसपे लगे हुए पानी को चाटकार सॉफ कर दिया.... वो रात उन दोनो की सबसे यादगार रात थी.

उसे कभी भी वो भुला नहीं सकते थे. राज ने अपने घर पहुचने के बाद अपना फोन देखा तो डॉली

ने मैसेज लिखा था कि "थॅंक्स माइ लव"
 
अगली दोपहर बिना किसी परेशानी से डॉली अपने दिल्ली वाले घर में वापस पहुच गयी थी.. रास्ते में उसे काई

बारी ख़याल आया कि वो अपने भाई चेतन से कैसे मिलेगी.... क्या वो अभी भी उस रात को भुला नही होगा??

जो भी होगा उसे किसी तरह चेतन को समझाना ही होगा नही तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी..

मगर फिर वो कल की रात के बारे में सोचती जिस तरह उसके प्यार राज ने उसको गाड़ी में चोदा था वो

मंज़र वो कभी भी भुला नही पाएगी... उस रात के बारे में ध्यान करते हुए ही उसकी चूत में

नमी होने लग जाती.... फिर वो अपने घर के दरवाज़े के पास खड़ी हो गयी और चेतन से मिलने के लिए हिम्मत

जुटाने लग गयी...

जब उसने अपने घर की घंटी बजाई तो दरवाज़ा शन्नो ने खोला और उसको देखकर ही वो उसे गले लग गयी.... दोनो के चेहरे पर खुशी छाइ हुई थी.... शन्नो चिल्लाई "चेतन ललिता तुम्हारी दीदी आ गयी बच्चो जल्दी आओ"

सबसे पहले ललिता आई और डॉली से चिपेट गयी.... दोनो ने एक दूसरे के गालो को चूमा और फिर डॉली की

नज़र चेतन पे पड़ी जोकि धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ रहा था.... चेतन आया मगर वो डॉली से गले नही

मिला सिर्फ़ हाथ मिलाकर उसका समान उठाके डॉली के कमरे में ले गया.... डॉली को ये बात

थोड़ी अजीब सी लगी मगर फिर उसकी मम्मी ने उसका ध्यान अपनी ओर कर लिया... अपने भाई बहन और मम्मी से

मिलके डॉली बहुत खुश हुई.. उसकी मम्मी की आँखों में खुशी के आँसू भी आ गये थे..

जब घर पे सब शांत होने लगा तो डॉली को राज की कमी खल रही थी और तभीतो उसने दिल्ली आने के बाद सबसे

पहला कॉल राज को किया था.. उधर दूसरी ओर राज आज़ाद पंछी की तरह घूम रहा था उसको किसी का

भी डर नहीं था क्यूंकी उसकी गर्लफ्रेंड दिल्ली गयी हुई थी... दोनो ने कुच्छ देर बात करी और फिर राज ने अपने

आपको थोड़ा बिज़ी जताकर फोन काट दिया....

अब शाम आई तो ललिता को भी अपनी सहेली रिचा के घर जाना था रहने के लिए....

उसने और रिचा ने प्लान बनाया था कि वो साथ में एग्ज़ॅम की तैयारी करेंगे.... सबसे ज़्यादा डर ललिता

को मथ्स के पेपर में था और उसने अपनी सहेली रिचा से मदद माँगी जोकि मथ्स की उस्ताद थी..

ललिता का उससे दोस्ती करने का मकसद ही यही था और शायद रिचा का मकसद ये था कि वो ललिता जैसी

खूबसूरत लड़की की सहेली बनना चाहती थी. रिचा ने ललिता को कहा कि वो उसके घर रुक सकती है और दोनो

साथ में एग्ज़ॅम्स के लिए प्रिपेर कर सकते है.. ललिता भी एग्ज़ॅम के डर से मान गयी...

ललिता के एग्ज़ॅम शुरू होने में 5 दिन थे तो वो उन्न 5 दिनो के लिए रिचा के घर चली गयी ताकि वो उसके ट्यूशन

मॅम के साथ भी पढ़ सके.. एग्ज़ॅम की वजह से डॉली ने भी ललिता को रिचा के घर जाने दिया क्यूंकी वो

जानती थी कि ललिता को मथ्स से कितना डर लगता था....

अब घर में सिर्फ़ शन्नो, डॉली और चेतन बचे थे... शन्नो का आज का दिन अजीब तरह से बीता क्यूंकी

उसकी बड़ी बेटी घर आई थी जिससे वो बहुत खुश थी मगर आज वो अपने आपको संतुष्ट नही कर पाई....

वो हॉलो मॅन से बात करना चाहती थी मगर उसने उसको कॉल करने को मना कर दिया था...

रात के कुच्छ 12 बज रहे थे और शन्नो अभी भी नही सोई थी... उसका मन कर रहा था कि वो अपनी अलमारी

में से लंड निकाले और अपनी चूत की कुच्छ सेवा करें मगर उसकी आवाज़ से दोनो बच्चो को शक़ हो जाता

और वो किसी को भी मुँह दिखाने लायक नही रहती... उसने कोशिश करी कि वो अपने तरबूज़ो को दबाए या

अपनी उंगलिओ से अपनी चूत की प्यास भुजाए मगर उसे कोई ख़ास फरक नही पड़ा बल्कि उसकी प्यास और बढ़ गयी....

उसने सोचा कि अगर वो नींद की गोली खा लेगी तो शायद इस बैचानी से मुक्ति मिल जाएगी...

वो बिस्तर से उठी और अपनी अलमारी से नींद की एक गोली निकाली.... अपने कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए वो किचन

में पानी पीने के लिए गयी...
 
पूरे घर में शांति फेली हुई थी और उसकी नज़र उस सोफे पे पड़ी जिसपे वो लेट के हॉलो मॅन से फोन पे

बात करती है और अपनी चूत से खेलती है... फिर उसे कुच्छ खुशर पुशर की आवाज़ आई...

हल्की हल्की आवाज़ें उसके कानो में तेज़ होती गयी... उसने किचन से ड्रॉयिंग रूम रूम की तरफ देखा तो

वहाँ कोई नही था... अपना वेहम समझ कर उसने पानी की बॉटल को बंद करके वापस फ्रिड्ज में डाला...

मगर जब वो अपने कमरे की तरफ बढ़ी तो उसे फिर से वैसी ही आवाज़ सुनाई दी.... उसने आगे पीछे

देखा तो कोई दिखाई नही दिया... वो फिर डॉली के कमरे की तरफ बढ़ी जहाँ से बिल्कुल हल्की सी रोशनी आ रही थी...

शन्नो ने हाथ बढ़ा कर बाहर की लाइट बंद करदी और डॉली के दरवाज़े को हल्के से खोला....

दरवाज़ा बिना आवाज़ करें खुला और शन्नो अपनी दोनो नज़रे कमरे के इधर उधर चलाने लगी...

टाय्लेट की लाइट जलने के कारण कमरे में थोड़ी सी रोशनी थी क्यूंकी टाय्लेट का दरवाज़ा 90% बंद था....

शन्नो को फिरसे कुच्छ आवाज़ आई मगर ये कोई बोली नही थी.... उसने अपनी गर्दन पूरी उल्टी तरफ घुमाई तो उसे

बिस्तर पे बैठा हुआ दिखाई दिया.... नज़रे नीचे करते हुए उसने एक लड़की को देखा

(क्यूंकी लंबे बाल उसे दिखाई दे रहे थे) और वो लड़की डॉली के अलावा कोई और नही हो सकती थी....

"आह चूसो दीदी" ये सुनके शन्नो के होश उड़ गये... ये आवाज़ उसके बेटे चेतन की थी जोकि अपनी बड़ी बहन

से अपना लंड चुस्वा रहा था.... ये देख कर/सुनके शन्नो एक दम से वहाँ से अपने कमरे में भाग गयी...

उसकी साँसें हद से ज़्यादा तेज़ हो गयी थी... वो शब्द उसके कानो में बजे जा रहे थे....

वो अपने बिस्तर पे लेटी और अपने आपको पूरा रज़ाई से धक लिया...

उधर जैसी ही शन्नो वहाँ से निकली डॉली ने चेतन का हाथ अपने सिर से हटाया और उसको धक्का दे दिया....

वो बोली "जो हुआ वो ग़लत था और अब वो नही होना चाहिए तुम्हे समझ नही आती क्या..."

चेतन गुस्से में उठा और अपने कमरे में चला गया....

उधर ललिता रिचा के घर में उसके परिवार से मिली.... रिचा के परिवार में 4 लोग थे जिनमें एक रिचा थी और

उसके मा बाप और एक नौकर परशु था जोकि 40 साल तक का था.. रिचा के पास अपना खुद का कमरा था

जोकि सबसे अच्छी बात थी.. जब ललिता आई थी दोनो लड़किया उसी कमरे में पड़ी हुई थी..

ललिता का पढ़ाई में बिकुल भी मन नहीं लग रहा था मगर रिचा उसको मार मार के पढ़ने के लिए कह रह थी..

और ललिता रिचा को डाइयेट के बारे में बता रही थी... उसका प्लान था रिचा को मार मार के पतला करने का ...

कल से रिचा का खाना बंद करवा रखा था उसने. रिचा के मा बाप दोनो काम करते थे इसलिए

शाम तक घर में कोई रोक टोक नहीं थी जो मर्ज़ी आए वो कर सकते थे..

ललिता की पहली रात उसके घर पे काफ़ी बढ़िया बीती थी.. दोनो ने देर रात तक गप्पे लड़ाई और पूरी रात एसी चला के सोए.. सुबह जब ललिता की आँख खुली तो वो बिस्तर पे अकेली लेटी हुई थी.. ललिता को लग रहा था कि अभी सुबह

कुच्छ 4-5 बज रहे होंगे इसलिए वो आँख बंद करके लेटी रही मगर फिर टाय्लेट का दरवाज़ा खुलने की आवाज़

आई और कुच्छ देर में रिचा भी बाहर आ गयी.. ललिता ने अपनी नींद सी भरी आँखें हल्की सी खोली तो रिचा

ने अपना भारी बदन पर टवल लपेटा हुआ और उसके बाल काफ़ी गीले लग रहे थे शायद वो उस समय नाहके आई हो.. फिर रिचा ने पीछे मूड के देखा तो ललिता ने फिर से अपनी आँखें बंद करली..

रिचा ने जल्दी से अपने बदन से टवल हटाया और ललिता ने देखा कि उसने गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहेन

रखी थी. रिचा का बदन पीछे से काफ़ी फेला हुआ था.... उसकी ब्रा इतनी खीची हुई थी कि मानो अभी

टूटके गिर जाए... रिचा ने उपर एक टॉप पहेन लिया और नीचे नीले रंग की शॉर्ट्स..

ललिता ने वापस आँखें बंद करली और सो गयी. काफ़ी देर बाद रिचा चिल्लाने लगी कि उठ जा ललिता कब तक सोएगी..
 
ललिता उठ कर बैठी और रिचा ने उसको बताया कि ट्यूशन वाली मॅम आएँगी घंटे के अंदर तो जाके

नहा के ताज़ा होले.. ललिता ने बॅग में से कपड़े निकाले और उन्हे लेके नहाने चली गयी.. उसने अपने

सॉफ कपड़े टाँग दिए और जब वो अपने कपड़े उतार ने लगी तो उसने फर्श पे रिचा के गंदे कपड़े पड़े हुए देखे..

ललिता ने रिचा की गंदी पैंटी को देखा तो वो हद से ज़्यादा बड़ी लग रही थी मानो किसी बंदे का कच्छा हो..

ललिता ने उसको वापस फेका और नहाने लग गयी.. फिर उसने अपने गीले बदन को सॉफ किया और कपड़े पहेन्ने लग गयी.. उसने ब्लॅक ब्रा और पैंटी पहेनली और उसके उपर बिना बाजू के गुलाबी टॉप और नीचे काला पाजामा..

ललिता को टाय्लेट के बाहर कोई नहीं दिखा तो आराम से अपने बाल बनाने लगी.. फिर दोनो लड़कियों ने नाश्ता करा और ट्यूशन पढ़ने लगे..

भोपाल में नारायण अपने कमरे में अकेला बैठा हुआ था और उसके दूसरे वाले छोटे केबिन में

रश्मि काम में व्यस्त थी.... अबसे कुच्छ दिनो के लिए उसको खाली पड़ा रहना था क्यूंकी उसकी बेटी दिल्ली चली गयी थी... नज़ाने कितनी सदिओ बाद उसे ऐसा मौका मिला था और इस मौके वो फ़ायदा भी उठाना चाहता था मगर

उसे समझ नही आ रहा था कि कहाँ शुरू करा जाए.... कल की रात उसने जब घर पे अकेले बिताई तो वो

खुश तो काफ़ी था मगर घबराहट भी उसके दिल पर छाई थी... या तो ये कहिए कि वो काफ़ी डरा हुआ था....

नारायण ने सुधीर को अपने कॅबिन में बुलाया और उसे बिनति करली कि वो उसके कुच्छ दिनो के लिए रहने आ जाए...

सुधीर भी खुशी खुशी आने के लिए राज़ी हो गया ताकि वो अपने बॉस का ख़ास आदमी बन जाए..

दोनो ने स्कूल के बाद पहले सुधीर के घर उसका समान लेने का प्लान बनाया और फिर घर जाने का....

नारायण को खुशी इस बात की भी थी कि सुधीर को खाना बनाना भी आता था तो अब उसे रोज़ रोज़ उसे बाहर का खाना नहीं खाना पड़ेगा....

जब दोपहर में छुट्टी हुई तो नारायण अपने कॅबिन में बैठा हुआ सुधीर का इंतजार करने लगा कि कब वो

आएगा और वो घर के लिए रवाना होंगे... उसका मोबाइल भी बिज़ी आ रहा था तो वो उठ कर सुधीर को ढूँढने निकला.... सारा स्कूल खाली हो चुका था बस एक दो क्लर्क ही नज़र आ रहे थे... अतः नारायण ने कॅंटीन की तरफ देखा कि

सुधीर और रश्मि दोनो साथ में खड़े चाइ पी रहे थे... दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी खुश लग रहे थे...

नारायण को समझ नही आया क्यूंकी स्कूल के वक़्त दोनो ने एक दूसरे से ढंग से बात भी कभी नहीं

करी और अभी यहाँ दोनो के तेवर ही अलग थे... सुधीर ने कयि बारी रश्मि के कंधे को भी छुआ जिसका

रश्मि ने कुच्छ जवाब सुधीर को छुते हुए दिया.... सुधीर वापस अपने कॅबिन की ओर जाने लगा...

वो सोचने लगा कि वैसे तो बड़ी हिट्लर जैसी बनती है मगर सुधीर के सामने उसको क्या हो गया था... कुच्छ देर बाद सुधीर उसके कॅबिन में आया दोनो स्कूल से रवाना हो गये....

दोपहर के वक़्त दिल्ली में शन्नो घर पे अकेली बैठी हुई थी... उसको बुआ से मिलने के लिए जाना था मगर कल

रात के बाद उसके जाने का बिल्कुल भी मन नही था.... डॉली अपने कॉलेज गयी थी अपना अड्मिशन कार्ड

लेने के लिए और चेतन अपने स्कूल गया हुआ था.... शन्नो कल रात के बारे में सोच सोचके परेशान थी कि

कैसे एक भाई बहन के बीच ऐसे रिश्ते भी पनप सकते है... उसे सारी ग़लती डॉली की लग रही थी क्यूंकी

एक बड़ा भाई अपनी छोटी बहन को बहला फुसला सकता है मगर एक बड़ी बहन होने के नाते उसको अपने छोटे

भाई को समझाना चाहिए था... फिर फोन की घंटी बजने लगी और शन्नो अपनी सारी परेशानिओ को भूल

के हॉलो मॅन की आवाज़ सुनने के लिए बेताब हो गयी...

"हेलो मेडम... कल मेरेको बड़ा मिस करा आपने" हॉलो मॅन अपनी अजीब सी आवाज़ में बोला... उसकी आवाज़ में ही गन्द्पन छलक्ता था....

शन्नो बोली "मैं बहुत बेताब हुई थी तुम्हारी आवाज़ सुनने के लिए" शन्नो सोफे से उठकर सीधा अपने कमरे

गयी

ये सुनके हॉलो मॅन हँसने लगा और बोला "तब तो आपकी चूत तो हद्द से ज़्यादा गीली होगी"

शन्नो बोली "थोड़ी सी है मगर तुम इसको और गीला कर दोगे" आज पहली बारी शन्नो इतनी गंदी भाषा में बोल रही थी शायद ये कल रात का असर था...

ये भाषा सुनके हॉलो मॅन का लंड भी जाग गया था... "हॉलो मॅन ने उससे कहा चलो अपने कपड़े उतारो और धंधे पे लग जाओ..."
 
शन्नो आज सोफे पे ही बैठके अपने आपसे खेलने लगी.... उसकी चूत और गान्ड दोनो में लंड घुसे पड़े थे.... उसके मुँह से धूक टपक रहा था और उसके हाथ चुचिओ को मसल रहे थे....

हॉलो मॅन मस्ती में बोला "क्या आपकी बेटियो की भी जिस्म की प्यास आप ही के जितनी है" शन्नो ने उसको कुच्छ नही बोला... मगर हॉलोमॅन बोला "कहीं लंड की तलाश में अपने बेटे से नहीं चुद्वा लेना" शन्नो ये सुनके तुरंत बोली

"प्लीज़ में बेटे के बारे में कुच्छ नही बोलो"

हॉलो मॅन बोला "बेटियो के बारे में बोला तो कुच्छ नही मगर बेटे का सुनके इतनी आग लग गयी.... और जैसे ही बेटे का

ज़िक्र हुआ आपकी सिसकिया तेज़ क्यूँ होने लग गयी... कैसी मा हो अपने बेटे से ही चुदवाने के ख्वाब रखती हो"

ये बातें सुनके शन्नो की चूत और गीली हो गयी... उसे याद आ गया कि उसके बेटे का कितना बड़ा लंड है और वो अपनी बड़ी बहन को भी उसे चोद चुका है... हॉलो मॅन अब बस चेतन का नाम लेकर ही शन्नो को और गरम कर रहा था....

शन्नो पूरी टूट चुकी थी... उसका अंग अंग हवस में डूब गया था....

मगर फिर घर का दरवाज़ा खुल गया और एक आवाज़ आई "मम्मी"

शन्नो को एहसास ही नहीं हुआ कि दोपहर के दो बज गये थे और उसके सामने चेतन अपना स्कूल का बस्ता लिए

खड़ा था.... चेतन की आँखें फॅटी की फॅटी रह गयी थी... उसके सामने उसकी मम्मी का पूरा फूला हुआ

गरम बदन एक गोस्त की तरह रखा हुआ था... शन्नो ने अपनी जाँघो को छुपाना चाहा मगर उसकी चूत

और गान्ड में घुसे लंड ने ऐसा होने नही दिया...

शन्नो के पास फोन देखते हुए चेतन बोला "आप ये क्या कर रहे हो... और ये फोन पे किससे बात कर रहे थे...

आपको शरम नही आती???"

बिना सोचे समझे अपने आपको बचाने के लिए शन्नो बोली "तुम क्या कर रहे थे कल रात अपनी बहन के साथ"

ये सुनके चेतन को हल्का सा झटका लगा और फिर वो बोला "तो आपको पता है उस बारे में"

चेतन ने अपने कंधे से बस्ते को नीचे गिराया और धीरे धीरे शन्नो की तरफ बढ़ा... शन्नो को हद से ज़्यादा शरम आ रही थी... वो अपने बदन को अपने हाथ से ढकने लगी मगर तब तक काफ़ी देर हो गयी थी... चेतन ने शन्नो की टाँगो को पकड़ा और सोफे पे बैठ उसके अंदर घुशे दोनो लंड की तरफ देखने लगा..

"चेतन तुम जाओ यहाँ से प्लीज़" शन्नो ने अपने बेटे से बिनती करी

शन्नो ने ज़ोर से चिल्लाया जब चेतन ने उस लंड को और अंदर घुसा दिया... शन्नो की टाँगें पूरी तरह चौड़ी हुईपड़ी

थी और उसका बेटा उसके नंगे बदन से खेल रहा था.... चेतन ने हाथ बढ़ाकर शन्नो के मम्मो को

छुआ तो उसकी चुचियाँ और भी सख़्त हो गयी... शन्नो ना चाहते हुए भी चेतन की इन हर्कतो से और गरम हो रही थी... केयी बारी वो चेतन को रोकने के लिए कहती मगर चेतन हर बारी और भी ज़्यादा आगे बढ़ जाता...

और फिर शन्नो की चूत में से लंड अपने आप निकला और एक नलके की तरह उस चूत ने सारा पानी चेतन की

टाँग पे डाल दिया... चेतन फिर अपने कमरे में चला गया और शन्नो सोफे पे पड़ी रही....

क्रमशः……………………….
 
जिस्म की प्यास--17

गतान्क से आगे……………………………………

डॉली जब घर पहुचि तो चेतन और शन्नो दोनो अपने अपने कमरे में थे... वो चेतन से मिलना नही चाहती थी

तो वो अपने मम्मी के कमरे में गयी.... डॉली के पुछ्ने पर शन्नो ने बहाना बना दिया कि उसकी तबीयत बहुत

खराब है तो वो अपने कमरे में ही रहेगी बाकी तुम दोनो बाहर से खाना मंगवा लो....

हिम्मत करकर डॉली चेतन के कमरे में गयी जोकि अपने मोबाइल पर कुच्छ कर रहा था... डॉली उससे

बिल्कुल शांत होकर प्यार से बात करी... चेतन ने भी कुच्छ उल्टा सीधा नही कहा और डॉली से तमीज़ से बात करने लगा...

डॉली को खुशी हुई कि कल रात का असर चेतन पर अभी भी है और वो बस यही दुआ कर रही थी कि उसका भाई अब पहले जैसे ही हो जाए (जोकि हक़ीकत नही थी) आने वाले कयि दिन दोनो मा बेटी के लिए काफ़ी अजीब से बीते.... चेतन दोनो से काफ़ी दूर दूर रहने लगा...

ज़्यादातर वो अपने कमरे में ही बंद रहता था... शन्नो को जब भी मौका मिलता वो हॉलो मॅन से बात करती और

अपनी ही दुनिया में खो जाती... मगर अब उसका बातो में इतना मन नही लग रहा था...

वो हॉलो मॅन से मिलना चाहती थी... वो उसके लंड को अपनी चूत में लेना चाहती थी... जितने भी दिनो शन्नो ने

हॉलो मॅन से बात करी उसने बस उससे मिलके चुदवाने की इच्च्छा जगाई....

डॉली का पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नही लग रहा था क्यूंकी केयी दिनो से उसकी राज से ढंग से बात तक नही हुई थी...

वो राज को मैसेज भी करा करती मगर 10 मैसेज के बाद कही जाके उसका 1 मैसेज आता और ऐसे व्यावार से काफ़ी चिंतित थी...

वो सोचती कहीं उसने उस रात राज को हरी झंडी दिखा कर ग़लती तो नही करी...

भोपाल में कुच्छ रात के 10:30 बज रहे थे.... दोनो आदमी ( नारायण/सुधीर) साथ में बैठे टीवी देख रहे थे...

टीवी वो ही साँस बहू के सीरियल्स देख देख के दोनो परेशान हो चुके थे...

चॅनेल बदल बदल के सुधीर फॅशन टीवी पे चॅनेल पे आके कुच्छ सेकेंड रुक गया और जब उसने उसे हटाया तो

नारायण ने उसे वापस लगाने के लिए बोला... सुधीर को पता चल गया कि बॉस भी रंगीन मिसाज के है बड़े....

FटV पे सर्दी के कपड़ो की नुमाइश हो रही थी जिसको देख कर दोनो ने टीवी ही बंद कर्दिआ...

सुधीर ने नारायण से कहा " वैसे ये विदेशी मॉडेल्स कितनी सूखी सी होती है इससे बेहतर तो हमारी देसी होती है पतली वाली भी बड़ी सुंदर दिखती है"

नारायण ने इस बात पे हामी भरी और सुधीर से पूछा "ये रश्मि का केस समझाओ मुझे"

सुधीर अंजान बनके बोला "कुआ क्या हुआ सर?"

नारायण ने सच सच बताया "मैने रश्मि और तुम्हे कॅंटीन के पास देखा था और दूर से तुम दोनो काफ़ी अच्छे

दोस्त नज़र आ रहे थे"

"वो तो बस ऐसे ही सर" सुधीर ने कहा

नारायण बोला "अच्छा वैसे बाकीओ से वो सीधे मुँह बात नही करती मगर तुम्हारी बड़ी फॅन सी लग रही थी"

सुधीर ने कहा "सर सच बोलू तो रश्मि मेरी गर्लफ्रेंड है" ये सुनके नारायण चौक गया और बोला

"अर्रे भाई ये कब और कैसे हो गया"

सुधीर ने कहा "सर वो तो काफ़ी पहले से थी और उसको नौकरी देने की एक ये भी वजह थी"

नारायण बोला "वैसे काम में तो वो माहिर ही है तो मुझे इस बात से कोई दिक्कत नही है.... वैसे निकाह कब होने वाला है"

सुधीर शर्मा बोला "उस बारे में कुच्छ सोचा नही है सर.. मगर जल्द ही होगा"

दोनो ने फिर सोने की तैयारी करी... नारायण को अभी भी थोड़ा अजीब सा लग रहा था क्यूंकी रश्मि को देख कर ऐसा नही लगता था कि वो लव मॅरेज करेगी..."

उस रात ललिता का पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था तो उसने लड़ झगरकर रिचा को भी पढ़ने नहीं दिया..

दोनो फिर अपने स्कूल की लड़के-लड़कियों के बारे में बात करने लगे.. रिचा ललिता के पहले बॉय फ्रेंड के बारे में

पुच्छने लगी कि उसे किसके साथ सबसे ज़्यादा अच्छा लगा था वगेरा वगेरा.. ललिता ने फिर रिचा से भी यही सब

पूछा तो रिचा ने कहा "मेरा तो सिर्फ़ एक ही बॉय फ्रेंड था और उसके साथ भी ज़्यादा दिन नहीं चल पाया था.."

तो फिर ललिता ने पूछा "ऐसा क्या हो गया"

रिचा ने नज़र नीचे करते हुए कहा "यार तू जानती है ना लड़को को जब देखो गंदी गंदी बातें करते रहते है और मुझे वो सब पसंद नहीं था"

ललिता ये सुनके हँसने लगी.. रिचा ने उसको हल्के से मारा और बोली "बेटा तूने ना काफ़ी कुच्छ कर रखा है ना तेरेको शरम नहीं आती क्या??'
 
ललिता बोली "शरम की क्या बात कौनसा पैसे लेती हूँ" ये सुनके दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे..

कुच्छ देर के बाद रिचा ने ललिता को देखा और कहा "तुझे एक चीज़ दिखाऊ मगर वादा कर किसिको नहीं बताएगी.."

ललिता ने वादा कर दिया तो रिचा बिस्तर से उठी और चाबी से अपनी अलमारी खोलदी.. ललिता सोच में पड़ गयी थी कि

ये लड़की क्या करने वाली है.. रिचा ने एक काफ़ी बड़ा गुलाबी रंग का डिल्डो (सेक्स टॉय) निकाला.. ललिता ये देख कर दंग रह गयी.. उसने रिचा को बोला "मुझे यकीन नहीं हो रहा साली तू ये सब भी करती है"

रिचा बोली "अबे आहिस्ता बोल कोई आ जाएगा" रिचा के हाथ डिल्डो जेल्ली की तरह हिले जा रहा था.. रिचा ने ललिता को पकड़ाया तो ललिता ने झट से हसके बोला "धुला हुआ है ना ये??"

रिचा ये सुनके ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी.. ललिता ने पहली बार सेक्स टॉय पकड़ा था और वो काफ़ी रोमांचकारी लग रहा था.. रिचा बोली "अबे घूर क्या रही है चल शुरू होज़ा"

ललिता बोली "हॅट साली तेरा है ये तू कर मुझे कोई शौक नही है'

रिचा हसके बोलती "अर्रे मैं तो बंद दरवाज़े में अकेले करूँगी तेरे सामने क्यूँ करू"

ललिता ये सुनके बोली "हॉ ये बात करदी.. आख़िर तेरी दोस्त तो हूँ ही नहीं मैं"

ले तेरे लिए ये कहके रिचा ने डिल्डो के मुँह को चाट लिया... ललिता के पास अब और कुच्छ बोलने के लिए नहीं था...

फिर दोनो लड़किया पढ़ते पढ़ते सो गयी.. सुबह फिर ललिता ने जब अपनी आँख खोली तो रिचा नहा रही थी..

ललिता ने फिर सोने का नाटक करा और रिचा बाहर तौलिए मैं आई और जल्दी उसे उतार फेका और कपड़े पहेन लिए..

ज़्यादा मोटे होने के कारण रिचा के स्तन भी बहुत बड़े थे और वो काफ़ी हिलते थे जब वो जल्दी जल्दी कपड़े पहेन्ने

की कोशिश करती थी.. ललिता आज नहीं नहाई क्यूंकी उसका मन नहीं कर रहा था.. फिर दोनो ने ट्यूशन पढ़ा और

फिर खाना ख़ाके बैठ गये... फिर कुच्छ घंटो के बाद दोनो का मन चाइ पीने को करा तो रिचा बाहर कमरे के

बाहर गयी परशु को चाइ बनाने के लिए बोलने.. ललिता का मन कुच्छ खाने को भी कर रहा था तो वो रिचा के आने का इंतजार करने लगी कि कब वो उसको बोले.. प्यास इतनी लगी कि ललिता जल्दी से कमरे बाहर गयी और किचन की तरफ मूडी..

ललिता ने 1 सेक के लिए रिचा के हाथ उसके नौकर के लंड की तरफ देखा जैसे वो उसको सहला रही हो..

ललिता की पैरो की आवाज़ सुनके ही रिचा ने फ़ौरन ही अपना हाथ वहाँ से हटा लिया.. परशु अभी भी चूल्‍हे के सामने

खड़ा था मगर रिचा घबराते हुए मूडी और पूछा "क्या हुआ यार??"

ललिता ने बोला "नहीं कुच्छ खाने के लिए ले आओ बस ये बोलना था" ये बोलके ललिता कमरे में चली गयी.

जब रिचा और परशु कमरे में आए तो परशु ने ललिता को देख कर भी अनदेखा सा कर दिया.. रिचा मगर आराम

से ललिता से बात करने लगी जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो.. ललिता को भी लगा शायद जो उसका लग रहा है वैसा ना हो..

उधर भोपाल में रात के कुच्छ 12 बज रहे थे और नारायण ज़ोर ज़ोर से खर्राटे ले रहा था..

सुधीर ने काई बारी कर्वते बदली मगर उसको नींद नहीं आ रही थी.... अपने कानो को तकिओ से दबा लिया तब भी

खर्रातो का शोर उसको परेशान कर रहा था.... नारायण की वजह से वो उठ कर कमरे के बाहर चला गया....

उसको लगा की थोड़ी देर टीवी देखकर वापस सोने की कोशिश करूँगा शायद कुच्छ फ़ायदा हो जाएगा तो वो ड्रॉयिंग रूम रूम

में जाके टीवी देखने लगा.. उसके मतलब का टीवी पे कुच्छ नही आ रहा था... सारे चॅनेल्स दो दो बारी देखने

के बाद भी उसे कुच्छ नही मिला और हारकर उसने टीवी बंद कर दिया.. कुच्छ देर शांति में ड्रॉयिंग रूम में बैठा

रहा और जैसे कि कहते है कि खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है तो उसके खाली दिमाग़ में गंदे गंदे ख़याल आने लगे.. उसे पता था कि नारायण सर तो पूरा जंगल बेचके सो रहे है तो वो उठ कर सीधा डॉली के कमरे में गया.....
 
उसके सामने एक सफेद रंग की अलमारी थी जिसको उसने बड़ी धीरे से खोला.... उसकी आँखों के सामने डॉली के काई कपड़े टाँगें हुए थे.. लेकिन उसका आँखें टाँगें हुए कपड़ो पे नही बल्कि च्चिपे हुए कपड़ो को तलाश कर रही थी...

दो ड्रॉयर्स थी जिनमें चाबी डालके खोलने की जगह बनी हुई थी... वो भगवान से दुआ माँगने लगा क़ि काश दोनो

खुली वी हो... उसने एक को अपनी तरफ खीचा तो वो खुल गयी... अपने हाथो से छूता हुआ सारा समान इधर उधर

करने लगा मगर उसके हाथ में सिर्फ़ सॉक्स और हॅंकी आए.... बिल्कुल अंत में उसकी नज़र एक खाकी पेपर बॅग

पे पड़ी जिसके अंदर विस्पर्स का डिब्बा रखा हुआ था.... उसे देख कर सुधीर को पता चला कि पीरियड के समय डॉली

ये रखती है अपनी चूत पे.. ये सोचके उसकी शैतानी मुस्कान आ गयी..

दूसरे ड्रॉयर को भी उसने जल्दी से खोलना चाहा मगर अफ़सोस वो बंद पड़ी थी... उसे यकीन था के उसके मतलब

की सारी चीज़े उसी के अंदर होगी.... उसकी नज़रो के सामने डॉली की चड्डिया और ब्रा घूम रही थी और वो चाबी की

तलास में पागल हो रहा था.... बड़ी कोशिशो के बाद उसको एक चाबी दिखी जिससे वो द्रावर् खुल गयी..

आधी ड्रॉवार डॉली की ब्रा/पैंटी से भरी हुई थी...ये देख कर सुधीर मचल गया मगर उसके ख्याल से सारी

अच्छी अच्छी ब्रा/पैंटी डॉली अपने साथ दिल्ली ले गयी होगी.... सुधीर ने एक सफेद रंग की ब्रा निकाली उसको

महसूस करने लगा.. वो बड़ी ग़रीबो वाली सी लगी रही थी तो उसने उन्हे वापस रख दिया...

फिर उसकी नज़र एक काली पैंटी पे पड़ी... उसके उठाके उसने देखा और चौक गया कि वो पैंटी नही वो तो थॉंग है....

उसे नही लगता था कि डॉली कभी थॉंग भी पेहेन्ति होगी...... वो बस उसी काले रंग के थॉंग से आज खेलना चाहता था....

उसने अलमारी को बंद करा और सीधा टाय्लेट चला गया.. सुधीर ने जल्दी से जल्दी से अपने पाजामे को उतारा और

उस पैंटी को सूंगकर मसल्ने लग गया.. थॉंग धूलि हुई थी इसलिए धूलि हुई खुश्बू आ रही थी मगर उसका कपड़ा रेशम

की तरह था... जब सुधीर का लंड पूरी तरह बड़ा हो गया तो उसने डॉली के थॉंग को अपने लंड पे रखा और

ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लग गया.. उसके दिमाग़ बस डॉली की नंगी तस्वीर बना रहा था और वो उसको चौद्ने में लगा हुआ था.. वो पूरी तरह मदहोश हो चुका था शायद इसलिए उसको पता भी नहीं चला कि कब सारा वीर्य उस पैंटी पे आ गया..

सुधीर उस पैंटी को सावधानी गीले कपड़े से सॉफ करा और अंदर रखे सोने चला गया.. अब उसको लगा कि हर रात

रंगीन हो जाएगी..

उधर दूसरी ओर रिचा और ललिता पढ़ पढ़ के बोर हो गये थे... ललिता ने फिर रिचा का लॅपटॉप ऑन कर लिया और उधर

फ़ेसबुक करने लगी.. रिचा भी अब और नहीं पढ़ सकती थी इसलिए वो भी ललिता के साथ नेट करनी लगी..

दोनो किसी भी लड़के की प्रोफाइल खोलते और उसको 1-10 तक नो. देते.. ऐसी करते करते रात के 2 बज गये.. रिचा ने फिर

ललिता से लॅपटॉप छीना और उसपे कुच्छ करने लगी.. उसने ललिता को कुच्छ देखने को कहा.. ललिता ने देखा की एक

पूरे फोल्डर में सेक्स मूवीस थी.. ललिता ने पूछा "किसी को पता नही चलता क्या"

रिचा बोली "इसको कोई नही छुता क्यूंकी ये मेरा है और वैसे भी मैं इसको छुपा के रखती हूँ ताकि कोई इन्न मूवीस को ढूँढ ना पाए.. रिचा फिर हर एक मूवी ललिता को थोड़ी थोड़ी दिखाने लगी.. रिचा बोली "तूने देखी तो होगी ही ये"

"हां 2-3 बारी देखी है.. मगर इसको देखते तो लग रहा है कि तूने लाखो देख रखी होंगी अब तक"

रिचा ने एक मूवी खोली और बोली "ये वाली देखले मज़े आजाएँगे.." ललिता भी उसको गौर से देखने लग गयी..

उसकी शुरुआत ऐसी हुई कि एक लड़की जोकि डेसन जैसी लग रही थी स्कूल के कपड़ो में बस के इंतजार में खड़ी थी..

उसने देल्ही की लड़कियों के स्कूल की यूनिफॉर्म की तरह ही सफेद कमीर टाइ और नीचे नीली स्कर्ट पहेन रखी थी..

जब वो बस में चढ़ि तो बस काफ़ी भरी हुई थी तो वो किसी तरह बीच में जाके खड़ी हो गई..

बस की सीट मेट्रो की तरह थी.. वहाँ से एक लड़का उठ कर खड़ा हो गया और उसने उस लड़की को बैठने को जगह डेडी..

वो लड़की भी वाहा सुकूड के बैठ गयी..
 
लड़की के दोनो तरफ 2 गोरे बुड्ढे बैठे थे.. कुच्छ ही पॅलो में एक बुड्ढे ने उस लड़की की स्कर्ट को हल्के से पकड़ा और्र

उसको उठाने की कोशिश करने लगा.. उस लड़की ने उस बुड्ढे के हाथ को हटा दिया.. फिर से उस बुड्ढे करने

की कोशिश करी मगर उस लड़की ने फिर से उसका हाथ हटा दिया.. थोड़ी देर बाद बुड्ढे ने उस लड़की के घुटने को छुआ..

लड़की कोई तमाशा नहीं चाहती थी इसलिए कुच्छ नहीं बोली.. फिर वो बुद्धा उसपे अपना हाथ फेरने लगा..

उस लड़की के चेहरे पे सॉफ दर मौजूद था.. बुद्धा हाथ फेरते फेरते स्कर्ट उपर करने लगा और लड़की वहाँ से उठ कर

खड़ी हो गयी..

फिर वो लड़की के दोनो तरफ दो गोर खड़े थे दोनो उसे थोड़े ही बड़े होंगे मगर काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे..

उनमें से एक लड़का उस लड़की की स्कर्ट को उपर उठाने लगा तो दूसरे अपनी कौनी से उसके स्तनो को महसूस करने लगा..

लड़की ने पूरी कोशिश करी की वो अपनी स्कर्ट को नीचे करके रक्क्खे मगर लड़के ने होने नहीं दिया और उस लड़की

की सफेद पैंटी सबके नज़र में आगयि.. आहिस्ते आहिस्ते कई हाथ लड़की के जिस्म पे पड़ने लगे.. कोई उसकी गान्ड को महसूस

कर रहा तो कोई उसकी जाँघो को.. अब उस लड़की के मम्मो को काफ़ी लोग मसल्ने लगे.. (ललिता और रिचा बड़े गौर

से उस वीडियो को देख रहे थे) जब उस लड़की ने अपने आपको बचाना चाहा तो उन्न लोगो ने उसकी पूरी उतार दी..

फिर उन्न लोगो ने उसकी शर्ट के बटन खोले और उसको भी नीचे फेंक दिया.. उस लड़की ने किसी तरह अपने हाथो से

अपने ब्रा और पैंटी को बचाना चाहा मगर वो हार गयी.. उसकी पैंटी तो वही फाड़ दी और ब्रा को उतार दिया..

नज़ाने कितने हाथ उसके जिस्म से खेल रहे थे..

रिचा ने ठंड का बहाना मारके एक चादर ओढ़ ली और अपने शॉर्ट्स के अंदर हाथ डालके चूत से खेलने लगी...

फिर सारे लड़के/बूढे नंगे हो गये और लड़की क मुँह में अपना लंड डालने लगे.. ललिता के मुँह पे बेचैनी छाई हुई थी.. उस लड़की को बस के फर्श पे बिठाकर सब उस लंड चूस वा रहे थे.. फिर बस का कंडक्टर पीछे आया और

उसने भीड़ हटा कर उस लड़की को देखा और उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड उसके सामने रख दिया..

फिर सबने उस लड़की को उसकी टाँगो पे खड़ा किया और दो खंबो के सहारे खड़े रहने को कहा..

बारी बारी सब उसकी चूत को चोद्ने लग गये.. वो लड़की बुर्री तरह से चिल्ला रही थी..

रिचा इतनी मदहोश हो चुकी कि उसके मुँह से भी एक-दो सिसकिया निकल गयी.. जब सबने उस लड़की को चोद दिया तब

उसके मुँह के अंदर सारा वीर्य डाल दिया.. फिर आख़िर में सबने उसके उपर पिशब किया.. वो पूरी तरह भीग चुकी थी..

ये देख कर भी दोनो लड़कियों को ज़रा सी भी घिन नहीं आई..

जब वीडियो ख़तम हो गयी तब दोनो की हालत खराब हो गयी.. दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे..

दोनो के पास कुच्छ कहने के लिए ज़्यादा था इसलिए दोनो आँख बंद करके लेटे रहे.. कुच्छ देर बाद रिचा खर्राटे

लेने लगी जैसे कि बड़ी गहरी नींद में सो रही हो.. ललिता यही चाहती थी कि वो किसी तरह से रिचा का सेक्स का

खिलौना लेके टाय्लेट चले जाए अपनी प्यास भुजाने.. पर वो किसी भी तरह की मुसीबत या शर्मन्दिगि में नहीं फसना

चाहती थी इसलिए उसने इंतजार किया..
 
काफ़ी देर के बाद चुपचाप रिचा बिस्तर पे से उठी और ललिता को लेटा देख

अपनी अलमारी से खिलौना लेके टाय्लेट चली गयी.. ललिता को समझ आ गया था कि ये साली भी सोने का नाटक कर रही थी

ताकि मैं सो जाऊ और ये मज़े कर सके.. ललिता ने अपने गुलाबी रंग के टॉप में हाथ डाला और ब्रा के उपर

से ही अपने स्तनो से खेलने लगी.. कमरे काफ़ी ठंड होने का कारण उसकी चूचिया सख़्त हो गयी थी और वो उनको मसल्ने लगी... अपने आप ही उसने अपना दूसरा हाथ अपने पाजामे में डाल लिया और अपनी चूत के सहलाने लगी..

वो सोचने लगी कि अंदर रिचा कितने मज़े से अपनी चूत में खिलौने वाला लंड डाल रही होगी और इस वजह से उसकी प्यास और बढ़ गयी तो वो दो उंगलिया अपनी चूत के अंदर बाहर कर ने लगी... उसने जल्दी से अपनी ब्रा के हुक को खोला ताकि

वो अपने मम्मो से ढंग से खेल सके.. उसकी चूत और उंगलिया काफ़ी गीली हो चुकी थी....

उसने अपने उपर से चादर हटाई और और ज़ोर से अपनी उंगलियाँ चूत में डालने लगी... उसकी पीठ हवा में थी और सिर और पैर बिस्तर में गढ़े हुए...

मगर वो नहीं चाहती थी कि उसकी सहेली को पता चले कि वो जागी हुई है इसलिए वो जल्दी से उठ कर भागी दूसरे टाय्लेट कीतरफ जोकि ड्रॉयिंग रूम की तरफ था.. उसको अब काफ़ी तेज़ पिशाब भी आ रहा था और उसने धदाम से टाय्लेट के दरवाज़ा को मारा..

टाय्लेट के दरवाज़े की कुण्डी टूट गयी और उसके सामने परशु खड़ा हुआ मूत रहा था..

परशु ने ललिता को देख भी लिया मगर फिर भी उसने मूतना बंद नहीं किया.. वो चुपचाप खड़ा हुआ था...

ललिता उसके लंड को देख कर हैरान थी.. पार्सू का लंड पूरी तरह जागा हुआ भी नहीं था तब भी काफ़ी बड़ा/मोटा लग रहा था..

2 सेकेंड के बाद ललिता ने दरवाज़ा वापस बंद कर दिया और किचन में जाके खड़ी हो गई..

जब परशु वहाँ से निकला तो उसने ललिता को किचन की ओर खड़े देखा और उसको देख कर मुस्कुराने लगा...

ललिता की कुच्छ हिम्मत नही हुई बोलने की और वो टाय्लेट चली गयी और पिशाब करके जल्दी कमरे की तरफ भागी और

जाके बिस्तर पे गिर गयी.. उस लंड को सोचते हुए उसे गोलू चौकीदार की याद आ गयी....

दोनो का लंड काफ़ी काला था और मोटा भी था... वो जानती थी कि गोलू ने जब उसे चोदा था तब वो खुशी में झूम

रही थी मगर परशु के साथ ये सब सोचने में भी उसकी हवा टाइट हो रही थी क्यूंकी परशु काफ़ी ख़तरनाक

इंसान मालूम पड़ता था.... खैर कुच्छ देर बार रिचा भी बाहर आ गयी और बिस्तर पे लेटके सो गयी...

अगली सुबह डॉली जल्दी से तैयार होकर अपना आखरी एग्ज़ॅम देने जा रही थी और उसके कुच्छ देर बाद चेतन भी घर

से चला गया था.... शन्नो घर में अकेली फिर से हॉलो मॅन के कॉल का इंतजार कर रही थी....

क्रमशः……………………….
 
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