Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास - Page 6 - SexBaba
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Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास

जिस्म की प्यास--18

गतान्क से आगे……………………………………

आज उसने ठान ली थी कि वो हॉलो मॅन को मिलने के मना लेगी.... कुच्छ 11 बजे तक जब फोन की घंटी बजी तो शन्नो

ने जल्दी से फोन उठाया,..

"हेलो मॅम..... इतनी बेताब थी मेरी आवाज़ सुनने के लिए" हॉलो मॅन अपनी अजीब सी आवाज़ में बोला

शन्नो ने कुच्छ देर तक उसे एहसास दिलाया कि उसकी जिस्म की प्यास ऐसे नही मिट रही है और वो उससे मिलना चाहती है...

हॉलो मॅन ये सारी बात सुनके हँसने लगा जिससे शन्नो को बहुत बुरा लगा... उसके अगले ही सेकेंड घर की घंटी बजी और

ललिता घबरा के बोली "सुनो थोड़ी देर में कॉल करना"

हॉलो मॅन बोला "दरवाज़ा खोलो तुम्हारे लिए तौफा है" शन्नो को लगा शायद हॉलो मॅन ही उसे मिलने के लिए आया है....

वो धीरे धीरे दरवाज़े की तरफ बढ़ी और उसे खोलके देखा तो वहाँ 4 लड़के खड़े हुए थे.... हॉलो मॅन ने कहा

"ये तुम्हारी जिस्म की प्यास मिटाने के लिए है... चारो ने अभी तक किसी लड़की को छुआ तक नही है...

इन्हे खुश करदो और मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूँगा.... और इनको मैने तुम्हे मेरी बीवी बताया है"

वो चारो लड़को की नज़र शन्नो के पैरो की तरफ थी यानी कि के ज़मीन पर... वो चारो शन्नो से नज़र मिलाने में भी

घबरा रहे थे... सब चेतन की उम्र के जितने ही लग रहे थे.... चारो ने चस्मा पहेन रखा था... बाल चिपके हुए थे...

और एक साधारण सी शर्ट पॅंट में थे... सब ज़िंदगी से हारे हुए या तो फिर किताबी कीड़ा लग रहे थे....

उनमें से सबसे आगे खड़ा हुआ लड़का घबराके बोला "क्या आप ही शन्नो जी है"

शन्नो बोली "अंदर आ जाओ"

चारो लड़के एक के बाद एक घर के अंदर आ गये और शन्नो ने घर के दरवाज़े पर कुण्डी लगा दी....

शन्नो ने उस वक़्त अपनी हाफ बाजू वाली नीली नाइटी ही पहेन रखी थी... वो चलके उन्न चारो लड़के के सामने खड़ी हो गई... चारो की हिम्मत नही हो रही थी कुच्छ कहने की या पहले शुरुआत करने की.... शन्नो नीचे झुकी और अपनी नाइटी को

पकड़के उतार दिया... उसकी गोरा फूला हुआ जिस्म सिर्फ़ सफेद कॉटन वाली ब्रा और पैंटी से छुपा हुआ था.....

उसके बाल खुले हुए उसकी पीठ से लगे हुए थे... चारो लड़को का गला सूख गया थी इस चुदाई की देवी को देख कर...

उसने अपना एक हाथ पीछे बढ़ाया ब्रा के हुक्स खोलने के लिए और उनको खोलने के बाद उसकी ब्रा ने उसके 38डी मम्मो

को इन्न चार लड़को के सामने खुला छोड़ दिया... मम्मो को देख कर ये चारो लड़के छोटे बच्चो की तरह दूध

पीने के लिए शन्नो के उपर चढ़ गये.... किसी ने शन्नो की जाँघ को पकड़ रखा था तो किसी ने उसकी कमर को...

मगर चारो ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली हुई थी ताकि वो शन्नो के तरबूज़ वाले बदन को चख सके....

चार चार ज़ुबाने शन्नो के बदन पे छूटती हुई शन्नो मस्ती में झूल गई मस्त हो गयी.... फिर एक लड़के ने उत्साहित होकर

शन्नो की सफेद पैंटी को उतार दिया और शन्नो इन्न चारो लड़को के सामने नंगी खड़ी हुई थी....

चारो ने एक बाद अपने कपड़े उतार दिए और शन्नो के नंगे बदन से अपना नंगा बदन चिपकाने लगे...

"मैने इससे पहले कभी भी मम्मो को नही देखा" उनमें से एक लड़के ललिता के मम्मो को काटते हुए कहा

दूसरे ने बोला "सच में आज पहली बारी देख रहा हूँ और वो भी इतने बड़े.... इन्पे तो कोई पिल्लो बनाके सोसकता है..."
 
शन्नो की नज़र उन्न चारो की लंड पे गढ़ी हुई थी जो हर पल बढ़ते ही जा रहे थे... जितना उसको लग रहा था उनसे ज़्यादा बड़े

और तने हुए इन्न चारो के लंड लग रहे थे... शन्नो से रहा नही गया और चारो को अपने बदन से दूर करके फर्श पे

बैठ गयी और सबके लंड को छुने लगी.... उसने दो लंड को अपने हाथो में पकड़ा और बाकी दो को बारी बारी चूसने लगी.... चारो के लंड पे काफ़ी काले घने बाल थे... जिनपे शन्नो अपनी उंगलिया घुमा रही थी... सब अपने जज़्बातो को रोक नही

पा रहे थे और उनपे से एक लड़का बोला "क्या मैं आपको मा बुला सकता हूँ"

शन्नो ने अपना सिर हां में हिलाया और वो लड़का और उस लड़के का लंड और भी मज़बूत लगने लग गया...

शन्नो की बहती चूत को देख कर एक लड़का ने पूछा "क्या इसमे हम अपना लंड डालेंगे" ये सुनके शन्नो ने उनके लंड को

मुक्त कर दिया और अपनी टाँगें चौड़ी करके फर्श पे लेट गयी... चारो लड़के आपस में लड़ने लगे कि पहले कौन

शन्नो की गीली चूत में अपना लंड डालने का सौभाग्य पाएगा...

शन्नो ने फिर खुद एक लड़के को ये करने का मौका दिया और वो उत्साहित होके अपना लंड शन्नो की चूत में घुसाने लग गया... बाकी लड़को ने भी शन्नो के जिस्म को खाली नही छोड़ा और कहीं ना कहीं उससे खेलते रहे....

चूत में डालने से पहले ही उनमें से एक लड़के का पानी निकल गया जिसका उसको एहसास भी नहीं हुआ और उसका वीर्य ललिताके मम्मो पे जा गिरा... फिर बाकी तीन लड़के बारी बारी शन्नो को चोद्ने लगे.... शन्नो जानती थी कि ये चारो

ने पहले कभी किसिको नही चोदा है तो कभी भी ये अपना वीर्य छोड़देंगे.... फर्श पे लेटी लेटी शन्नो अपनी सिसकीओ को

रोक नही पा रही थी... उसके चेहरे पे हल्की सी भी शरम नही थी मानो जैसे उसने एक रांड़ का रूप धारण कर लिया हो...

. बारी सब लड़को का वीर्य निकल गया और सबने शन्नो के जिस्म को टाय्लेट समझके उसपे अपना वीर्यछिड़क दिया....

शन्नो इतना थक गयी थी इस चुदाई से कि उसने वहाँ से उठना भी ज़रूरी नही समझा.... सबने शन्नो को मम्मी

कहते हुआ धन्यवाद कहा और वहाँ से चले गये.... शन्नो ने सोफे पड़े फोन को उठाया और उसपे अभी

हॉलो मॅन की साँसें सुनाई दे रही थी.... फिर उसको आवाज़ "मॅम मज़ा आया ना मेरे तोफे से मिलकर ऊप्स मेरे तोफो से चुद्कर..." शन्नो बोली तुम्हे कैसे पता चला कि मैने फोन उठा लिया है... क्या तुम यही हो??"

शन्नो अपने वीर्य से चिपके हुए बदन को चदडार से लपेटा और चुपके से घर के दरवाज़े को खोलके देखा मगर वहाँ

कोई नही था.... उसके कानो में आवाज़ आई "हेलो मम्मी" वो डर के पीछे मूडी तो वहाँ चेतन खड़ा हुआ था..

घबराहट मे उसकी वो चादर नीचे गिर गयी और उसका नंगा बदन उसके बेटे के सामने आ गया....

चेतन फिर अपनी आवाज़ बनाके बोला "आज तो मज़े ही आ गये मेडम" और ये कहकर चेतन हँसने लगा

"तुम.. तुम हो हॉलो मॅन" फर्श पे नंगी बैठी हुई शन्नो ने अपने बेटे से पूछा

"हां मैं ही हूँ आपका चहिता हॉलो मॅन" चेतन ने शन्नो के नंगे कंधे को चूमते हुए कहा...

शन्नो को कुच्छ समझ नही आ रहा था आख़िर कार उसके ही बेटे ने उसको ऐसे बेवकूफ़ क्यूँ बनाया...

और अब आगे उसकी ज़िंदगी कैसे गुज़रेगी और अगर उसकी बेटियाँ या फिर उसके पति को पता चल जाएगा तो ना जाने कितनी

बड़ी आफ़त आ जाएगी... शन्नो को इस घर में घुटन महसूस कर रही थी... ये सारे सवाल उसका दिमाग़ खा रहे

थे तो वो नाहकार बुआ के घर चली गयी....
 
उधर जब ललिता की आँख खुली तो उसके दिमाग़ में कल का द्रिश्य आ रहा था और परशु को अपने लिए चाइ लाते

देख वो द्रिश्य और भी सामने आ गया.. परशु में कुच्छ बात थी जो इतना सब होने के बाद भी बिल्कुल भी घबराहट

या उत्सुकता नहीं दिखाता था.. पूरे समय वो एक ही सा चेहरा बनाते फिरता था.. ललिता ने रिचा से परशु के

बारे में ऐसी ही सवाल करें तो उसने बताया कि परशु बहुत पहले से इनके घर में काम करता है जब वो कुच्छ

5 साल की थी तबसे और वो खुशी में ज़्यादा खुश नहीं होता और ना ही गम में ज़्यादा दुखी..

जब ललिता नाहके अपने कपड़े बदल के रिचा को ढूँढने लगी और ढूँढते ढूँढते बाहर गयी तो रिचा और परशु

बाहर बाल्कनी में खड़े थे.. वो जैसी ही बाल्कनी के पास बढ़ती रही तो उनकी बात करने की आवाज़ आती रही..

परशु नज़ाने क्यूँ रिचा को किसी बात के लिए डाँट रहा था और रिचा भी उसे माफी माँगे जा रही थी...

ललिता जब कोने में छुप के बात सुनने लगी तब वो चौक गयी.. परशु रिचा को इसलिए डाट रहा था क्यूंकी उसने वो

खिलौना ढंग से छुपा के नहीं रखा था.. वो बोले जा रहा था कि साब और मालकिन देख सकते थे उसे और वगेरा वगेरा... ललिता ये सुनके वापस कमरे में चली गयी और उसे कुच्छ समझ नहीं आ रहा था..

फिर उनकी ट्यूशन वाली मॅम आ गयी और वो पढ़ने लगे.

भोपाल में कुच्छ 1 बज रहा था और नारायण के पास कुच्छ काम नहीं था तो वो अपनी खिड़की के बाहर देखने लगा... उसका ऑफीस फर्स्ट फ्लोर पे था जो कि ज़मीन से कुच्छ ही फीट उपर था और उसकी खिड़की के बाहर ही स्कूल का खेलने का मैदान था... कभी कबार जब नारायण के पास काम नहीं होता था तो वो इस खिड़की के बाहर देख कर अपनी आँखो को ठंडक पहुचाता था... क्यूंकी हर बारी लड़किया कुच्छ ना कुच्छ खेल रही होती थी और जब वो भागती थी तो उनके मम्मे हिलते थे उनकी स्कर्ट भी ऊपर नीचे होती थी या कभी कोई स्टेज पे बैठता तो उसकी जाँघो को भी वो देख पाता था... काई बारी तो वो इतना गरम हो जाता की अंजाने में अपने लंड को सहलाने लगता... इस बारी भी कुच्छ ऐसा होने जा रहा था मगर उसे पहले रश्मि कॅबिन में आगयि....

रश्मि ने नारायण से कहा "सर ये कुच्छ पेपर्स है आपके इन्पे साइन चाहिए"

नारायण अपनी कुर्सी पे बैठे और रश्मि को भी बैठने को कहा.... पेपर्स साइन करते हुए नारायण ने रश्मि को बोला "तुम्हारे काम करने का जज़्बा देख कर मैं काफ़ी खुश हूँ.... ये कुच्छ अफीशियल नही हुआ है मगर मैं कोशिश करूँगा कि तुम्हारी तन्खुआह मैं बढ़ाने की पूरी कोशिश करूँगा क्यूंकी तुम काम भी हद से ज़्यादा करती हो...."

ये सुनके रश्मि के चेहरे पर खुशी च्छा गयी और उसी वक़्त एक पीयान नारायण के ऑफीस आया एक लड़की को लेके... लड़की की आँखों में आँसू झलक रहे थे और वो काफ़ी परेशान लग रही थी.. पीयान बोला "सर इस लड़की को अभी मैने शराब के साथ पकड़ा है.. इसकी बॉटल में शराब डाली हुई थी और जल्दबाज़ी में इसके हाथ से वो गिर गयी ओरजब मैने उसे सूँघा तो शराब की बू आ रही थी"

नारायण ने पीयान को जाने के लिए कहा और लड़की को गुस्से में पूछा "क्या नाम है तुम्हारा??"

लड़की ने घबरा के कहा "जी... मेरा नाम नवरीत है"

"पूरा नाम बताने का कष्ट करेंगी आप" नारायण ने थोड़े गुस्से में उस लड़की से पूछा..

लड़की ने कहा "नवरीत कौर"

नारायण फिर बोला "ये जो भी बोला गया तुम्हारे बारे में कहा पीयान ने सब सच है.. बोलो जवाब दो"

आज तो रश्मि भी नारायण को गुस्से में देख कर घबरा गयी थी...

लड़की ने सिर झुका कर कहा "एसस्स सर... मगर आप प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए ऐसा नहीं होगा"
 
नारायण ने रश्मि को तुर्रंत एक लेटर टाइप करके लेके आने को कहा.. रश्मि भाग कर अपने कॅबिन में गयी और लेटर लेके आई... नारायण ने बोला "ये तुम्हारा सस्पेन्षन लेटर है.. तुम अगले 10 दिन स्कूल में कदम नहीं रख सकती मगर कल सुबह तुम इस्पे साइन करवाकर अपने हाथो से रश्मि मॅम को दोगि नहीं तो 10 दिन के साथ साथ फाइन भी लग जाएगा.."

ऐसी सख्ती देख कर रश्मि नारायण की फॅन हो गयी... उसे लगता था कि नारायण ये नौकरी ऐसे करता था कि जैसे खैरात में मिली हुई हो... उसके काम करने का ढंग भी बड़ा आलस वाला लगता था मगर आज तो उसने कमाल ही कर दिया था.... लड़की नारायण से माफी मांगती रही मगर नारायण ने एक ना सुनी.. उल्टा रश्मि ने भी उस लड़की को जाने के लिए कह दिया और वो रो रो कर वहाँ से चली गयी... नारायण को लगा कि वो कुच्छ ज़्यादा सख़्त था मगर कभी कबार जीवन में सकती दिखानी चाहिए ये सोचके वो अपने फ़ैसले से संतुष्ट था..

रश्मि ने भी ऐसे फ़ैसले की हौसले अफजाई करी...

फिर दिल्ली में जब डॉली कुच्छ 3 बजे एग्ज़ॅम देके वापस आई तो पूरे घर में कोई नहीं था... उसको इतनी खुशी थी कि आज उसका आखरी इम्तिहान भी ख़तम हो गया और अब वो इस पड़ाई से आज़ाद है.. उसने जल्दी से हाथ मुँह धोके खाना खाया और राज को भोपाल में कॉल करा.. किसी कारण राज ने उसका फोन उठाया नहीं.. उसके पास करने को कुच्छ नहीं था तो उसने टीवी ऑन कर दिया और अलग अलग चॅनेल देखने लगी... टीवी पे भी कुच्छ नहीं आ रहा था और वो बुर्री तरह बोर हो गयी थी.. उसने सोचा कि कोई मूवी ही लगाके देख लेती हूँ तो वो अपने भाई के कमरे में गयी मूवीस की सीडीज़ लेने के लिए जो कि एक पूरा डिब्बा भरा हुआ था.. हर डिस्क पे मूवी के शॉर्ट फॉर्म बनी लिखी थी (जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे = द्दलज या मुझसे शादी करोगी = मस्क) डॉली ने 2-4 डिस्क निकाली जिसकी शॉर्ट फॉर्म उसे समझ में नहीं आ रही थी और एक अपनी सबसे पसंदीता ड्ड्ळ्ज़ फिल्म की अगर कुच्छ ना मिला तो वो उसे देख लेगी.. पहली जो उसने डिस्क डाली वो तो चल ही नहीं रही थी.. जब उसने तीसरी डाली तो वो चलने लगी... वो कोई अक्षय कुमार की मूवी थी.. डॉली सोफे पे बैठ गयी और शांति से मूवी देखने लगी..

कुच्छ देर बाद वो मूवी भी रुक गयी और टीवी पे काली स्क्रीन आ गयी.. डॉली ने सोचा सीडी खराब होने के कारण ऐसा हो रहा हो तो उसने 2 मिनट रुकने का सोचा मगर अचानक से एक गंदी सी फिल्म शुरू हो गई जिसमे एक गोरा एक कल्लन को चोद रहा था.. पूरे रूम में शोर भर गया था डॉली ने जल्दी से रिमोट उठाया और टीवी बंद कर दिया.. उसे समझ में नहीं आया कि यह क्या हो गया.. उसने फिर टीवी को फिर से ऑन करा और उसे मूट कर दिया.. अब टीवी पे फिर काली स्क्रीन आगयि तो डॉली को लगा कि अब फिल्म फिर से शुरू हो जाएगी मगर फिर दिखाया कि एक छ्होटी उम्र का काला लड़का स्कूल में अकेला बैठा है क्यूंकी उसे एग्ज़ॅम में चीटिंग करने में सज़ा मिली है और उसके सामने उसकी गोरी टीचर बैठी हुई है.. वो लड़का कभी पेन और कभी पेपर गिरा कर अपनी टीचर की स्कर्ट के अंदर झुक झुक के देखने की कोशिश कर रहा है और जैसी टीचर को पता चला तो वो भी मज़े लेने के लिए उसको दिखा रही है.. डॉली ये देख कर परेशान हो गयी और उसने सीडी वापस निकालके तोड़ दी.. तभी उसका फोन बजा और वो डर गयी.. उसने राज का नाम पढ़ा और वो खुश हो गयी.. डॉली ने जब राज की आवाज़ सुनी तो उसने खुशी फोन को चूम लिया.... राज बोला "अर्रे घर पे कोई सुन लेगा आराम से.."
 
डॉली बोली "कोई नही सुन सकता क्यूंकी मैं अकेली हूँ फिलहाल"

राज फिर हसके बोला "फिर तो एक और बनती है"

डॉली भी हसके बोली "बेशरम... वैसे पहले फोन क्यूँ नहीं उठाया था??"

राज ने जवाब दिया "यार फोन पता नहीं कहा पड़ा हुआ था... वैसे भी जब से तूने बात करनी बंद करदी तबसे फोन का कुच्छ पता नहीं रहता है"

डॉली ये सुनके मुस्कुरा दी...

राज ने फिर पूछा "तो क्या कर रही थी??"

डॉली बोली "मूवी देख रही थी"

राज झत्ट से बोला "पॉर्न :पी"

डॉली ने जवाब नहीं दिया और उसे स्कूल के बारे में पुच्छने लगी... राज फिर बीच में ही डॉली को बोलने लगा "यार जल्दी आजा... बहुत याद आ रही है"

ये सुनका डॉली को इतना अच्छा लगा वो बोली "मैं तो अभी आना चाहती हूँ मगर फिर भाई-बहन का एग्ज़ॅम जब ख़तम होंगे तभी आ पाउन्गि.. आइ आम सॉरी... वैसे एक बात बोलू तुम्हे.. मैने अभी थोड़ी सी पॉर्न देखी थी.."

राज बोला " देखा मुझे सब कुच्छ पता है तेरे बारे में... चल बता कैसी सी थी???"

डॉली ने बताने से इनकार कर दिया मगर राज ज़िद्द पे अड़ा रहा..

डॉली बोली "उसमें ना ऐसा था कि एक गंदा सा लड़का था तेरी तरह" राज बोला "मेरी तरह से क्या मतलब है तेरा" डॉली ने बोला "मेरेको बताने तो दे ना पहले... अच्च्छा सुन तो वो लड़का अपनी एक टीचर के साथ बैठा था एक कमरे में... उसको सज़ा मिली थी थोड़े ज़्यादा घंटे स्कूल में बिताने के लिए.... वो टीचर ने काला ड्रेस पहेन रखा था जोकि छोटा टाइट सा था तो वो लड़का झुक झुक के टाँगों और जाँघो को देख रहा था... बस मैने ये देख कर ही उसे हटा दिया"

राज चिल्ला के बोला " क्या.. क्यूँ हटा दिया.. देखना चाहिए था ना.. तुझे सीख भी मिलती

डॉली हंस के बोली "अच्च्छा कैसी सीख??""

राज रूक्के बोला " कि कैसे मज़े लेने चाहिए"

डॉली ने तुरंत बोला "वो मुझे नही आपको चाहिए" राज भी बोला "तो मैं इंतिज़ार कर रहा हूँ सिखा दे... चल एक खेल खेलते है.. तूने रॉलीप्लेयिंग गेम सुना है?? उसमें ऐसा होता है कि लोग कोई किरदार प्ले करते है जैसे कि डॉक्टर/नर्स, वाइफ/सर्वेंट, टीचर/स्टूडेंट वगेरा वगेरा और एक कहानी को वो आगे बढ़ाते है.. बड़े मज़े आते है"

डॉली सुनने के बोली "हां हां तुम लड़को को ही मज़े आते होंगे ना.. हमे तो नहीं आते"

राज बोला " आते तो सबको ही है बस लड़किया दिखाना नहीं चाहती... और अगर तुझे नहीं आते तो एक बारी मेरे साथ खेलके तो देख...

डॉली सोचके बोली "चल ठीक है... मगर अगर मैं बीच में बोर हो गई तो गेम वहीं बंद करदेंगे"

राज भी जोश में बोला "जैसे आप बोलें... तो सीन वैसे ही रखे कि एक लड़का 17 साल का है और उसकी टीचर 26 साल की है और उस लड़के को पनिशमेंट मिली है स्कूल में ज़्यादा देर तक रुकने के लिए... मगर हमारी टीचर ने ड्रेस नही एक नीली हरे रंग की सारी पहेन रखी है क्यूंकी वो हिन्दुस्तानी है ना..."

डॉली की रज़ामंदी के बाद दोनो ने खेलना शुरू किया

डॉली मॅम मुझे कब तक यहाँ रुकना पड़ेगा?? राज ने पूछा

डॉली बोली "चुप चाप बैठे रहो.. मैने बोला था कि जाके कि आकृति मॅम को आइ लव यू बोलके आओ??"

राज बोला "मॅम वो तो महेश ने बोला था मैं तो बस उसके साथ क्लास के बाहर खड़ा हुआ था.. नज़ाने उसको क्या सूझा और उसने आइ लव यू चिल्ला दिया और वहाँ से भाग गया"

डॉली बोली "चुप चाप बैठे रहो मुझे तुम्हारे छिछोरि हर्कतो के बारे में नहीं सुनना"

"मॅम आप कर क्या रही हो" राज ने पूछा

डॉली बोली " बच्चो की कॉपिया चेक कर रही हूँ... क्यूँ नहीं करू??"

राज बोला "नहीं मैं सोच रहा था कि एग्ज़ॅम पास आ रहे है और मैं वक़्त बर्बाद नहीं करना चाहता.. अगर आप मुझे पढ़ा देती थोड़ा सा तो मुझे ज़्यादा अच्छे से समझ आ जाता"

डॉली बोली " अभी बड़ी पढ़ाई की याद आ रही है... चलो निकालो किताब और आगे चेर लेके आओ...

राज ने बाइयालजी की किताब निकाली और डॉली के सामने जाके बैठ गया??

डॉली ने पूछा 'कौन से चॅप्टर्स आ रहे है??"

राज बोला "मॅम बाकी सब तो आते है बस रिप्रोडक्षन में थोड़ी दिक्कत है"

(डॉली ये सुनके हँसने लगी... राज ने पूछा "बोर तो नहीं हो रही ना.. डॉली बोली "नहीं नहीं)

क्रमशः…………………..
 
गतान्क से आगे……………………………………

डॉली ने फिर किताब खोली और राज को पढ़ाना शुरू कर दिया... उसने राज से कहा 'इसमें तुम्हे ज़्यादा कुच्छ नही पढ़ना बस कौन कौन से रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स होते है, वो कैसे दिखते है और क्या क्या काम करते है ये पता होना चाहिए"

मॅम वोही तो मुझे बनाने में बहुत दिक्कत होती है.. डॉली परेशान होके कुर्सी से उठी और चॉक पकड़के बोर्ड पे बनाने लगी... राज बिल्कुल सामने बैठके उसकी गान्ड को हिलते हुए देख रहा... "लो ऐसा बनाते है" डॉली ने कहा

राज ने नादान होके पूछा "ये है क्या मॅम"

डॉली मॅम ये सुनके हल्की सी मुस्करा दी और बोली "अर्रे ये लड़कियों का ऑर्गन है"

राज बोला "वो कभी देखा नहीं ना मॅम तो इसलिए पता नहीं"

ये सुनके डॉली ने बोला "देखो ज़्यादा स्मार्ट ना बनो और उठ कर मेल का ऑर्गन बनाओ और वो देखा है या वोभी नहीं देखा??"

राज ने चॉक उठाके चित्र बना दिया... राज ने बोला "मॅम ये वाला स्कूल आने के वक़्त ऐसा होता है (गिरा हुआ) मगर आपको देख कर ये ऐसा हो जाता है (सख़्त खंबे की तरह)" डॉली हड़बड़ा के बोली "देखो राज तुम ज़्यादा बनो नहीं.. ये सब सुनने के लिए मैं तुम्हे पढ़ा नहीं रही हूँ"

ये सुनके डॉली की चूत हल्की सी गीली हो गयी और उसने राज को ये गेम खेलने से मना कर्दिआ.. राज बोला "क्यूँ क्या हुआ.. सच्ची बताओ मज़े आ रहे थे ना"

डॉली बोली "नहीं आ रहे थे और अब मैं फोन काट रही हूँ" ये कहके डॉली ने फोन काट दिया... फिर उसने अपने पाजामे में हाथ डालके महसूस किया की उसकी पैंटी हल्की सी नम हो गई है.. तभी राज का फोन पे मैसेज आया " फोन क्यूँ काट दिया.. ??" डॉली ने लिखा "बस काफ़ी बात करली थी तुमसे"

राज ने लिखा "अच्छा ये तो बताओ कि तुमने आज पहेन क्या रखा है??"

डॉली लिखती "क्यूँ क्या करना है तुम्हे??"

राज ने लिखा "अर्रे मैं तुम्हे सोचूँगा ना.. बताओ ना डॉली"

डॉली जवाब दिया "मैने सफेद रंग का नूडल स्ट्रॅप वाला टॉप पहना है और नीचे काले रंग का पाजामा"

राज मज़ाक में लिखता "और अंदर क्या पहना है??"

डॉली मज़ाक में लिखती "बदतमीज़ शर्म नहीं आती :"

राज ने बोला "मेरे ख़याल से तुमने कुच्छ नहीं पहेन रखा अंदर"

डॉली ने लिखा "अच्छा आके खुद देख लो अगर शक़ हो रहा है मुझपे"

राज का लंड ये सुनके जाग गया और उसने लिखा

"अगर पहना होगा तो पिच्छली बार की तरह उतार दूँगा"

ये पढ़के डॉली शरम के मारे लाल हो गयी थी... इससे पहले वो कुच्छ लिखती घर की घंटी बजने लगी और उसने दरवाज़ा खोलके देखा तो शन्नो खड़ी थी.... डॉली को नज़ाने क्यूँ शन्नो की हालत थोड़ी खराब सी लग रही थी... शन्नो ने डॉली से कुच्छ बात भी नही करी और सीधा अपने कमरे में जाके लेट गयी... शन्नो को राहत इस बात की थी कि उसका बेटा घर पर नहीं था... डॉली ने राज को बादमें बात करने के लिए और शन्नो के पास जाके बैठके बात करने लगी...
 
उधर दूसरी ओर ललिता बिल्कुल भी परशु से नज़र नहीं मिल पा रही थी और परशु किसी ना किसी बात की वजह से ललिता के सामने आए जा रहा था.. उसे ये भी समझ नहीं आ रहा था कि परशु को उस खिलौने के बारे में कैसे पता है और रिचा और उसके बीच क्या खिचड़ी पक रही है.. वो पूरी तरह परेशान थी.. कुच्छ दोपहर के 3 बज रहे थे और रिचा को काफ़ी नींद आ रही थी.. ललिता ने पूरी कोशिश करी कि वो उसको सोने ना दे मगर वो फिर सो गई.. ललिता सोचने लग गयी कि अब वो क्या करें.. उसका दिमाग़ चल ही नहीं रहा था.. उसने किताब उठाई और पढ़ना शुरू कर दिया और उसमें भी उसका बिल्कुल भी मन नहीं था.. कमरे के बाहर भी काफ़ी शांति छाई हुई थी,.. वो देखना चाहती थी कि आख़िर कार परशु कर क्या रहा है.. ललिता ने धीरे से दरवाज़ा खोला और कमरे के बाहर निकली.. घर में हल्का हल्का अंधेरा सा था क्यूँ कि सारी खिड़किया पर्दे से धकि थी.. जब वो किचन तक पहुचि तो परशु उसे देख कर बोला "क्या है" ललिता घबराकर बोली "नहीं कुच्छ नहीं पानी लेने आई थी"

जब वो पानी पीके जा रही थी तब परशु ने बोला "कल मज़ा आया था तेरे को??" ललिता ये सुनके और भी ज़्यादा घबरा गई..

परशु ने फिर से बोला मगर इस बार थोड़ा ज़ोर से "कल रात मज़ा आया??" ललिता के मुँह से सिर्फ़ "जी" निकला और वो वहाँ से चली गयी.. कमरे में जाके ललिता ने सबसे पहले अपना माथा पौच्छा और घबराकर बिस्तर पे लेट गयी और अपने आपको चादर से धक लिया..

कुच्छ देर चैन से सोने के बाद जब ललिता की आँख खुली तो रिचा बिस्तर पे नहीं थी.. ललिता जल्दी से बिस्तर से उठी और दबे पाओ कमरे के बाहर गयी.. जब पूरी घर में रिचा नहीं मिली तब उसकी नज़र परशु के कमरे के तरफ बढ़ी जोकि बंद पड़ा था.... ललिता दरवाज़ा पे कान रखे सुनने लगी.. कमरे में से हल्की हल्की आवाज़ आ रही थी.. आवाज़ फिर सिसकीओ में बदल गयी... ललिता के दिमाग़ में परशु का मोटा लंड रिचा की चूत को चोद्ता हुआ नज़र आ रहा था.. उन्न सिसकिओं ने ललिता को काफ़ी मदहोश कर दिया था और अपने आप ही उसका हाथ उसके जिस्म से खेलने लगा था... फिर कुच्छ सेकेंड के लिए आवाज़ बंद हो गई और कमरे का दरवाज़ा अचानक से खुल गया.. परशु ने ललिता को घूरके पूछा "क्या हो गया??" ललिता कुच्छ नहीं बोल पाई..

परशु ने उसको बोला "रिचा बाहर बाल्कनी में है उसके पास जाओ मुझे अभी परेशान ना करो.." ये बोलकर उसने दरवाज़ा ललिता के मुँह पे दे मारा... ललिता धीरे धीरे बाल्कनी की तरफ बढ़ी और जैसी उसने रिचा को वहाँ पाया उसका दिमाग़ पूरी तरह परेशान हो चुका था........

भोपाल में शाम के कुच्छ 5:30 बज रहे थे नारायण आराम से सफेद कुर्ते पाजामे में बैठा

एफ टी वी देख रहा था.. सुधीर आज रात को अपने घर का कुच्छ काम ख़तम करके आएगा तो इसलिए वो अकेले चैन

से बैठा हुआ था.. फिर घर की घंटी बजी और नारायण ने चॅनेल चेंज कर दिया और बाहर देखने गया..

उसके सामने रश्मि एक गुलाबी सूट में खड़ी थी और उसके साथ वो लड़की थी जिसको आज शराब पीते हुए

पीयान ने पकड़ा था.. रश्मि ने बात शुरू करते हुए कहा "सर अंदर आके बात करें?"

नारायण ने दोनो को अंदर बुलाया और दोनो अंदर जाके सोफे पे बैठ गयी और नारायण उनके सामने वाले सोफे पे..

"हां बोलो रश्मि तुम यहाँ कैसे और इन मेडम को क्यूँ लाई हो" नारायण ने पूछा

रश्मि नारायण की आँखों में आँखें डालके बोली "सर ये वोई लड़की है जिसको पीयान आपके पास लाया था...

इसका नाम नवरीत कौर है.. सर उस पीयान ने आपसे झूठ बोला था रीत को फसाने के लिए"

नारायण रीत को देख कर बोला जोकि अपना सिर झुकाके बैठी थी "रश्मि तुम्हे ये कैसे पता??

रश्मि बोली "सर आपके जाने के बाद रीत ने मुझे सब कुच्छ बताया इसलिए मैं आपके पास आई हूँ"

नारायण ने कहा "रश्मि तुम हमारे ऑफीस की ही एक अच्छी करम्चारि हो और मैं तुम्हारी बात मान भी

लेता हूँ मगर वो ऐसा क्यूँ करेगा"

रश्मि बोली "सर ये बात ही कुच्छ ऐसी थी जो आपको नही बताई जा सकती थी मगर फिर भी आपको बताना पड़ेगा....

सर वो रीत को गंदी नज़रो से देखता था और कई बारी उसको उल्टा सीधा भी बोला है उसने और जब रीत ने शिकायत

करनी चाही तो वो पीयान सीधा उसको लेके आपके पास आ गया और आपको ये झूठी कहानी सुना दी"
 
नारायण मुस्कुराकर बोला "मुझे नहीं पता था कि हमारे स्कूल की सबसे ज़्यादा काम करने वाली लड़की एक लड़की

को बचाने के लिए इतना झूठ भी बोल सकती है.. वैसे तुम दोनो की जानकारी के लिए मैं बता दू कि उस पीयान

ने मुझे वो बॉटल भी दिखा दी थी और जहाँ वो शराब गिरी वो जगह भी"

ये सुनके रीत की आँखों में से आँसू टपकने लगे मगर रश्मि फिर भी नारायण से रीत की तरफ से

माफी माँगने लगी.. जब नारायण ने दोनो लड़कियों को जाने के लिए कहा तब रश्मि ने पलट कर कहा

"ठीक है सर वैसे आप भी कम नहीं हो जो लड़कियों को खेलते हुए खिड़की से देखते रहते हो.."

ये सुनके नारायण थोड़ा आश्चर्य चकित हो गया.. रश्मि ने आगे बढ़के और कहा "आपको क्या लगता है कि आप बहुत चालाक हो जो आपकी हर्कतो के बारे में किसी को पता नही चलेगा.... मैने एक नही कयि बारी आपको देखा है... वैसे आपको स्कूल के कपड़ो में लड़किया पसंद है ना इसलिए तो मैं रीत को स्कूल के कपड़ो में ही लेके आई हूँ"

रश्मि के बड़बोले अंदाज़ को देख कर नारायण तो हैरान परेशान ही रह गया.. उसी दौरान रीत ज़ोर ज़ोर से रोने का नाटक करने लगी... नारायण रस्मी को देख कर बोला "अपनी दोस्त को बोले नाटक बंद करें और मेरे पास आए.."

रीत ये सुनके नारायण के पास जाके खड़ी हो गयी.. ऊपर से नीचे रीत को देखने के बाद नारायण ने रीतको

उसकी टाइ पकड़के उसको खीचता हुआ अपने कमरे ले गया और उसको बिस्तर पे फेंक दिया.. रश्मि को लगा उसका

काम हो गया है और जब वो घर के बाहर जाने लगी तो नारायण बोला "तुम्हे जाने के लिए किसने कहा"

नारायण के इस निराले अंदाज़ को देख कर रश्मि पीछे नही हटी और अंदर कमरे के अंदर आ गई....

नारायण एक कूसरी पे बैठा हुआ था और उसने रस्मी को बोला "अगर तुम्हे माफी चाहिए तो जैसा मैं कहु वैसा

करना पड़ेगा" रीत और रश्मि ने मंज़ूरी दी.. फिर नारायण बोला "रश्मि रीत के पास जाओ और

उसके रसीले होंठो को जाके चूम लो" रश्मि रूपाल के पास गयी और 2 सेकेंड उसके गोर सेचेहरे को देख कर

उसने अपने होंठो को उसके होंठो पर टीका दिया.. रीत को पहले झिझक हुई मगर फिर वो भी रश्मि को चूमने लगी.. दोनो के हाथ एक दूसरे के बदन पे चल रहे थे.... नारायण को यकीन नही हुआ कि रश्मि उस छोटी उम्र

की लड़की को चूम रही है... वो नही जानता था कि रश्मि के ऐसे करने की वजह क्या है और उसको इस बात से कुच्छ

फरक भी नही था...

नारायण ने धौस जमाते हुए बोला "चलो अब दोनो एक दूसरे को उपर से नंगा करो

" जैसे कि पहले बताया था कि रश्मि एक शरीफ रिया सेन लगती थी मगर अब नारायण का नज़रिया बदल गया था...

दिखने में वो रिया सेन जैसी ही दुबली थी मगर अब शरीफ बिल्कुल भी नही थी....

नारायण की एक आवाज़ पर रश्मि ने रीत की शर्ट को उस नीली स्कर्ट के बाहर निकाला और बारी बारी उसके बटन्स

खोलने लगी.... रीत की शर्ट उतरते ही रश्मि के हाथ उसके मम्मो पे पड़े....

हर स्कूल गर्ल की तरह रीत ने भी सफेद ब्रा पहेन रखी थी.... रीत काफ़ी गोरी और लंबी थी..

उसका बदन सही सही जगह पर फूला हुआ था और उसके बाल काले घने थे...

ये मानलो कि पक्की पंजाबन थी रीत.... और उसके मुक़ाबले में रश्मि भी गोरी थी मगर काफ़ी पतली और लंबी थी..

. तो नारायण की किस्मत इतनी अच्छी थी कि उसको दो एकदम अलग तरह की लड़कियों को आज चोद्ने का मौका मिल रहा था....
 
दोनो लड़किया अपने घुटनो के बल नारायण के बिस्तर पे बैठी थी..... कमरे में एक बल्ब जला हुआ था जोकि काफ़ी

रोशनी दे रहा था.... रश्मि ने अपना सीधा हाथ रीत की पीठ की तरफ बढ़ाया और उसकी सफेद

ब्रा के हुक्स एक झटके में खोल दिया... रीत की पीठ पूरी नंगी हो गयी थी मगर वो ब्रा उसके

मम्मो पर टिकी रही.... इससे पता चल रहा था कि वो ब्रा कितनी टाइट थी और उसके मम्मे कितने गोल है....

रश्मि रीत के गर्दन को चूमते चूमते उसके स्तनो के तरफ बढ़ी और रीत की ब्रा को अपने दातों से

पकड़ के बिस्तर पे गिरा कर उसकी चुचियाँ को चूसने लगी... मस्ती में रीत अपने बालो में उंगलिया डालकर

ऊहह आहह कर रही थी.... रश्मि पूरी तरह रीत पर हाबी हो चुकी थी... उसने रीत को बिस्तर पे लिटा दिया और

उसके पेट पे जाके बैठ गई... रश्मि को किसी बात की भी झिझक नही थी और इस बात से नारायण का लंड काफ़ी खुश था.... रश्मि ने अपने कुर्ते को पकड़कर ज़मीन पर उतार फेका... उसने एक गुलाबी ब्रा पहेन रखी थी जिसका

एक स्ट्रॅप उसके कंधे से नीचे गिरा हुआ था.... जब रश्मि रीत के बदन को चूमने लगी तब रीत ने अपने

हाथो से रश्मि के ब्रा के हुक्स खोल दिए.... नारायण अपने जागे हुए लंड को ज़ोरो से सहलाने लगा...

रश्मि के स्तन छोटे तो थे मगर उनपे गहरे भूरे रंग की बड़ी चुचियाँ को देखते वो मचल उठा.....

रश्मि रीत के पेट के उपर से उठी और उसकी नीली स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर उसने उसकी पैंटी को उतार दिया और

उसको नारायण के पास फेंक दिया... नारायण एक कुत्ते की तरह उसको सूँगने लग गया...

रश्मि ने रीत को स्कर्ट उपर कर दिया और उसकी गुलाबी चूत को चाटने लगी.... ये देख कर नारायण का गला

सूख गया था.... रीत की सिसकियाँ पूरे कमरे में फेल गयी थी..... रश्मि एक जंगली बिल्ली की तरह रीत की

चूत के पानी को दूध समझके चाटने लगी.... रीत की चूत भी रुकने का नाम नही ले रही थी...

नारायण इतना गरम हो गया था कि वो कुर्सी से उठा और अपने कपड़े जल्दी से उतारके फिर से बैठ गया...

दोनो लड़किया नारायण को नंगा देख कर हल्के हल्के गिलगियाने लगी.... नारायण का लंड भी पानी छोड़ने लगा

था जिसको देख कर रश्मि ने रीत को बिस्तर पे अकेले छोड़ दिया और अपने सर के लंड के पास चली गयी.....

रश्मि ने अपने नाख़ून नारायण की जाँघो पर एक एक करके बढ़ाए और सीधा उसके लंड को जाकड़ लिया....

अपना मुँह खोलते हुए उसने लंड को चूसना शुरू किया.... रीत भी बिस्तर से उठी नारायण की कुर्सी के पास जाके

खड़ी हो गयी... नारायण ने उसकी चिकनी कमर को पकड़ा और अपनी गोद मे बिठा दिया.... रीत की गान्ड

नारायण की उल्टी जाँघ पर थी और उसका उल्टा पाओ नारायण की सीधी टाँग पर.... नारायण रीत को चूमने लगा और

रीत ज़रा भी पिछे नही हटी... रश्मि ने मौका देखकर अपनी दो उंगलिया रीत की टाइट चूत में घुसा दी...

रीत दर्द के मारे चिल्लाई मगर रश्मि रुकी नही और अपनी उंगलिया अंदर बाहर करने लगी....

नारायण के लंड से अब रहा नही जा रहा था और वो कुर्सी से उठा और दोनो लड़कियों को कमर से पकड़कर बिस्तर

पे ले गया.... दोनो लड़कियों ने एक दूसरे को काफ़ी गरम कर दिया था इसलिए नारायण अब वक़्त बर्बाद नही करना चाहता था... उसने रीत को बिस्तर पे लिटा दिया और उसकी टाँगो को अपने कंधे पे रख दिया.... अपने लंड को उसकी गीली चूत में हल्के हल्के घुसाने लगा... रीत दर्द के मारे पागल हुई जा रही थी तो रश्मि ने उसके होंठो को अपने

होंठो से सिल दिया... नारायण अब रीत की चूत को चोद्ने लगा था.... रश्मि ने अपनी सलवार के नाडे को

खोला और उसे नीचे गिरा दिया.... उसने अपनी कच्छि को भी उतार फैंका और रीत के माथे की तरफ बैठ गयी ताकि

रीत उसकी चूत को चूस पाए.... रीत ने अपनी गुलाबी ज़ुबान निकाली और चूस को चाटना शुरू किया...

रश्मि की चूत नारायण की आँखों के सामने थी और उसपे बाल देख कर उसे अपनी पत्नी शन्नो की याद आ गयी...

नारायण अपना हाथ बढ़ाकर रश्मि की बड़ी चुचियाँ को मसल्ने लगा.... तीनो एक दूसरे को पूरी तरह खुश कर रहे थे....

रश्मि के जिस्म की प्यास बढ़ गयी थी और उसने नारायण से चुदवाने की इच्छा जगाई तो नारायण ने रीत की चूत

में से लंड निकाला और खुद बिस्तर पे लेट गया... रश्मि उसके लंड पे जाके बैठ गयी....

नारायण का लंड रश्मि की चूत में बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था मानो कि रश्मि की चूत में तेल

डाला हुआ हो.... रीत से अकेले रहा नही गया और नारायण से अपनी चूत चुसवाने लगी....

पहली बारी नारायण को चुदाई मे इतना मज़ा आ रहा था.... उसे लग रहा था कि भगवान ने उसे भोपाल अकेले

आने का अफ़सर दिया है.... दोनो लड़किया मस्ती में मदहोश हो चुकी थी और अपने स्तनो को मसल्ने लगी थी...

जब नारायण थक गया तो रश्मि उसके लंड पर कूदने लगी....

फिर रश्मि और रीत नारायण के उपर से उठे और बोले "सर अब हम आपको मज़ा देंगे" दोनो रॅंडियो की तरह

नारायण के पैरो के पास बैठ गयी और बारी बारी उसके लंड को पकड़ा और चूसना शुरू कर दिया..

नारायण ने अपनी आँखें बंद करली क्यूंकी ये सब वो सपने में ही देखा करता था और आज हक़ीक़त में हो

रहा था.. नारायण के लंड पर दोनो लड़कियों की चूत का स्वाद आ रहा था... नारायण ने फिर अपने लंड को पकड़ा

और उसे ज़ोर से हिलाता हुआ अपना सारा पानी रश्मि और रीत के चेहरे पे डाल दिया.... उसका लंड धीरे धीरे

गिरने लगा.... वो इतना थक गया था कि उसे कुर्सी का सहारा लेके बैठना पड़ा... दोनो लड़किया एक दूसरे

को देख कर मुस्कुराने लगी और नारायण को उस हालत में छोड़के उस घर से चली गयी नारायण ने जल्द से

अपना लंड रश्मि की चूत में से निकाला और उसे हिलाने लग गया... पूरे कमरे में पसीने और वीर्य की

सुगंध भरी हुई थी... नारायण कुर्सी पे बैठा अभी भी पिछले गुज़रे हुए घंटे पर यकीन नही कर पा रहा था...

क्रमशः…………………..
 
गतान्क से आगे……………………………………

शाम को डॉली अकेले ड्रॉयिंग रूम रूम में बैठी बैठी टीवी देख रही थी... शन्नो अपने कमरे से निकली नही थी और

चेतन का कोई अता पता नही था... डॉलीने जब उसे कॉल भी करा तब उसने फोन को काट दिया और मैसेज करते हुए कहा कि वो शाम के बाद ही घर आएगा.... डॉली के पास उसकी दोस्त प्रिया से न्योता आया था उसके घर आने का

तो वो सोचने लगी कि इसके बाद तो उसे अपनी सहेली से मिलने का मौका तो मिलेगा ही नही तो क्यूँ ना वो आज ही चली जाए.... डॉली ने शन्नो को अभी बताना ज़रूरी नहीं समझा क्यूंकी वो कुच्छ ना कुच्छ बहाना करके उसे रोक लेती इसलिए वो जल्दी से स्लावार कुर्ता पहेन कर शन्नो के कमरे में गयी और उसे सारी बात बता दी...

शन्नो उसे तुरंत रुकने के लिए कहना चाहती थी क्यूंकी इस बीच में अगर चेतन आ गया तो नज़ाने क्या हो

जाएगा मगर उसके बोलने से पहले ही डॉली कमरे से चली गयी.... शन्नो बिस्तर से उठी नही वही काफ़ी देर तक

लेटी रही मगर उसकी दिल की धड़कने तब बढ़ गयी जब घर की घंटी बजने लगी... उसे पता चल गया था कि ये

उसका बेटा चेतन ही है मगर फिर भी ये ख़याल वो दिमाग़ से निकालने की पूरी कोशिश कर रही थी...

जब उसने दरवाज़ा खोला तो चेतन उसकी नज़रो के सामने खड़ा था... शन्नो ने शरम के मारे अपनी नज़रे

झुका ली और चेतन बिना कुच्छ कहें सीधा अपने कमरे में चला गया.... शन्नो भी फिर अपने कमरे को बंद

करके बैठ गयी.... शाम का सूरज काफ़ी देर पहले ढल चुका था और दोनो कमरे के दरवाज़े बंद पड़े थे...

डॉली की भी कोई खबर नही थी... शन्नो ने खड़ी में समय देखा तो 8 बजने वाले थे...

वो बाहर ड्रॉयिंग रूम रूम में गयी और डॉली के मोबाइल पर कॉल लगाया.... मगर इस कॉल के बाद उसकी परेशानी और

बढ़ गयी थी... डॉली अपनी सहेली के घर रुकने की माँग करने लगी और जब शन्नो ने उसे डाँट के घर

आने के लिए कहा तो उसकी सहेली प्रिया ने फोन पे शन्नो को मनाने की कोशिश करी और शन्नो को अंत में मानना ही पड़ा....

घड़ी पर समय बढ़ता जा रहा था और बड़ी हिम्मत दिखाकर शन्नो चेतन के कमरे की तरफ बढ़ी...

दरवाज़े को हल्के से खटखटाते हुए उसने एक दो बारी चेतन कोपुकारा मगर अंदर से कोई जवाज़ नही आई...

शन्नो ने धीरे से दरवाज़ा खोला तो चेतन बिस्तर पे पड़ा सो रहा था... शन्नो की धड़कने शांत हो गयी मगर फिर चेतन की आवाज़ आई "क्या हुआ"

शन्नो की ज़ुबान लड़खड़ाते हुए बोली "डॉली आज नही आएगी तो तुम्हे कुच्छ खाना खाना है"

उधर..................

" नारायण ने पहली बारी दो लड़कियों को साथ में चोदा और वो भी दोनो उसकी स्कूल की लड़किया थी....

अब इस चुदाई से नारायण की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा?? क्या वो इसे हसीन ख्वाब समझकर भूल जाएगा या

फिर ये हसीन लम्हा उसके अंदर का शैतान जगा देगा??

शन्नो और चेतन एक पूरी रात अकेले घर पे बिताएँगे... शन्नो को चेतन से डर है और शायद उसे अपनी जिस्म की प्यास

से भी डर है..."

ये सुनकर चेतन ने अपने उपर से चादर हटाई और शन्नो की तरफ देखते हुए बोला "तो इसका मतलब आज पूरी रात हम

दोनो अकेले होंगे"
 
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