hotaks444
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किचन के दरवाज़े के बाहर पहुँच कर ज़ाहिद की नज़र किचन में अपने काम करती हुई अपनी अम्मी पर पड़ी.
रज़िया बीबी की कमर इस वक्त अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ थी. जिस वजह से ज़ाहिद ज्यों ही किचन के पास गया तो उस की नज़र सीधी अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों पर पड़ी.
रज़िया बीबी ने किचन में अपने काम काज के दौरान दो तीन दफ़ा झुक कर सिंक के नीचे बने हुए हिस्से से आयिल की बॉटल उठाई थी.
इस तरह बार बार झुकने से रज़िया बीबी की कमीज़ पीछे से उस के भारी चुतड़ों में जा कर फँसी गई. जिस का रज़िया बीबी को ज़रा भी एहसास ना हुआ.
रज़िया बीबी की गान्ड में फँसी हुई कमीज़ की वजह से रज़िया बीबी की गान्ड की शेप इतनी वज़िया हो गई थी.के अपनी अम्मी की मोटी गान्ड का ये दिल कश नज़ारा देखते ही ज़ाहिद का दिल में इंडियन मूवी देवदास का ये गाना गूंजने लगा.
“डोला रे डोला रे डोला
अम्मी की गान्ड पे मेरा लंड डोला”
हालाकी रात अपनी अम्मी के नाम की मूठ लगाने के बाद ज़ाहिद ये सोच कर सोया था. कि वो अब कभी दुबारा अपनी अम्मी के मुतलक कोई गंदी बात अपने दिमाग़ में नही ले गा.
मगर अब अपनी अम्मी की भारी गान्ड को देखते ही ज़ाहिद का ईमान दुबारा से डोलने लगा.
जिस वजह से उस का मोटा बड़ा लंड फिर से उस की पॅंट में अपना सर उठाने लगा था.
“काश मैं अपनी अम्मी की इस भारी गान्ड की इन उभरी हुई पहाड़ियों में अपने लंड को डाल सकता”अपनी अम्मी की बड़ी गान्ड को देखते हुए ज़ाहिद के दिल और लंड में दुबारा से एक अजीब सी हलचल मचने लगी. और ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में फनफनाने लगा था.
अब जैसे जैसे रज़िया बीबी किचन में काम के दौरान मूव करती इधर उधर होती. पीछे से उस की गान्ड की मोटी पहाड़ियाँ भी उसी तरह थल थल करती हुई उपर उछल हो रही थी.
अपनी अम्मी की मटकती गान्ड को देख देख कर ज़ाहिद का लंड और सख़्त होने लगा. तो ज़ाहिद ने किचन के बाहर ही खड़े हो कर अपनी अम्मी की गान्ड को देखते हुए अपने लंड को अपनी पॅंट के ऊपर से ही आहिस्ता आहिस्ता मसलना शुरू कर दिया.
ज़ाहिद कुछ देर तो किचन के बाहर खड़ा हो कर अपनी अम्मी के कसे हुए भारी जिस्म को अपनी आँखों से ही चोदता रहा.
फिर जब ज़ाहिद से अपनी अम्मी के जिस्म से दूरी मज़ीद बर्दास्त ना हुई. तो ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ किचन में एंटर हुआ. और बगैर कोई आवाज़ किए किचन में आ कर अपनी अम्मी के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया.
रज़िया बीबी आज किचन में इतनी मसरूफ़ थी. कि उसे पता ही ना चला कि उस का बेटा ज़ाहिद उस के पीछे आ कर खड़ा हो चुका है.
“इस से पहले के ज़ाहिद आ जाए मुझे जल्दी से उस के लिए नाश्ता टेबल पर लगा देना चाहिए”ये बात अपने जहाँ में सोचते हुए रज़िया बीबी एक दम से अपने पीछे पड़े हुए टेबल की तरफ मूड गई.
इस तरह एक अचानक और एक दम से मुड़ने की वजह से रज़िया बीबी अपने बिल्कुल पीछे खड़े हुए अपने बेटे ज़ाहिद के जिस्म के साथ टकरा गई.
रज़िया बीबी चूँकि इस बात की तवक्को नही कर रही थी. इसीलिए ज़ाहिद के साथ टकराती ही वो अपना तवज्जो खो बैठी और एक दम से पीछे सिंक की तरफ गिरने लगी.
ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को यूँ पीछे की तरफ गिरते देखा.तो उस ने फॉरन अपनी अम्मी को सहारा देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. और अपनी अम्मी की मोटी कमर के गिर्द अपने हाथ को लपेट कर अपनी तरफ खैंचा.
ज़ाहिद के हाथ का सहारा मिलते ही रज़िया बीबी का पीछे की तरफ गिरता वजूद एक दम से ऊपर की तरफ उठा. तो इस दफ़ा ना सिर्फ़ दोनो माँ बेटा की छाती एक दूसरे की छाती में पेवस्त होती चली गई.
बल्कि नीचे से भी ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अपनी अम्मी की शलवार में माजूद रज़िया बीबी की गरम और प्यासी चूत से रगड़ खा गया.
“आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज अपनी माँ को अपनी इन मज़बूत बाहों में जकड कर मार ही डालो मुझे यययययययययययी बएटााआआआआआआआ” अपने बेटे की सख़्त और जवान छाती से चिपकते ही रज़िया बीबी के दिल में ये ख्वाहिश उमड़ी.
“हाईईईईईईईईईईई आप ने बचपन में मुझे अपने इन मोटे मम्मों का दूध पिला कर मुझे जवान तो कर दिया है ,अब आप कब अपने इस जवान बेटे को अपने इन मम्मो से दुबारा अपना दूध पीने का मोका दोगी अम्मिईीईईईईईईई” अपनी अम्मी की भारी और गुदाज छातियों को यूँ अपनी सख़्त छाती से टकराते हुए महसूस कर के ज़ाहिद के दिल में भी ख्याल आया.
दोनो माँ बेटे के प्यासे वजूद ज्यों ही अचानक आपस में इस तरह टकराई. तो ज़ाहिद और रज़िया बीबी दोनो को ना सिर्फ़ एक दूसरे के जिस्मो में लगी हुई आग का अंदाज़ा हुआ.
बल्कि ज़ाहिद और रज़िया बीबी ने एक दूसरे की बिखरी हुई सांसो को भी अच्छी तरह से सुन लिया था.
रज़िया बीबी की कमर इस वक्त अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ थी. जिस वजह से ज़ाहिद ज्यों ही किचन के पास गया तो उस की नज़र सीधी अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों पर पड़ी.
रज़िया बीबी ने किचन में अपने काम काज के दौरान दो तीन दफ़ा झुक कर सिंक के नीचे बने हुए हिस्से से आयिल की बॉटल उठाई थी.
इस तरह बार बार झुकने से रज़िया बीबी की कमीज़ पीछे से उस के भारी चुतड़ों में जा कर फँसी गई. जिस का रज़िया बीबी को ज़रा भी एहसास ना हुआ.
रज़िया बीबी की गान्ड में फँसी हुई कमीज़ की वजह से रज़िया बीबी की गान्ड की शेप इतनी वज़िया हो गई थी.के अपनी अम्मी की मोटी गान्ड का ये दिल कश नज़ारा देखते ही ज़ाहिद का दिल में इंडियन मूवी देवदास का ये गाना गूंजने लगा.
“डोला रे डोला रे डोला
अम्मी की गान्ड पे मेरा लंड डोला”
हालाकी रात अपनी अम्मी के नाम की मूठ लगाने के बाद ज़ाहिद ये सोच कर सोया था. कि वो अब कभी दुबारा अपनी अम्मी के मुतलक कोई गंदी बात अपने दिमाग़ में नही ले गा.
मगर अब अपनी अम्मी की भारी गान्ड को देखते ही ज़ाहिद का ईमान दुबारा से डोलने लगा.
जिस वजह से उस का मोटा बड़ा लंड फिर से उस की पॅंट में अपना सर उठाने लगा था.
“काश मैं अपनी अम्मी की इस भारी गान्ड की इन उभरी हुई पहाड़ियों में अपने लंड को डाल सकता”अपनी अम्मी की बड़ी गान्ड को देखते हुए ज़ाहिद के दिल और लंड में दुबारा से एक अजीब सी हलचल मचने लगी. और ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में फनफनाने लगा था.
अब जैसे जैसे रज़िया बीबी किचन में काम के दौरान मूव करती इधर उधर होती. पीछे से उस की गान्ड की मोटी पहाड़ियाँ भी उसी तरह थल थल करती हुई उपर उछल हो रही थी.
अपनी अम्मी की मटकती गान्ड को देख देख कर ज़ाहिद का लंड और सख़्त होने लगा. तो ज़ाहिद ने किचन के बाहर ही खड़े हो कर अपनी अम्मी की गान्ड को देखते हुए अपने लंड को अपनी पॅंट के ऊपर से ही आहिस्ता आहिस्ता मसलना शुरू कर दिया.
ज़ाहिद कुछ देर तो किचन के बाहर खड़ा हो कर अपनी अम्मी के कसे हुए भारी जिस्म को अपनी आँखों से ही चोदता रहा.
फिर जब ज़ाहिद से अपनी अम्मी के जिस्म से दूरी मज़ीद बर्दास्त ना हुई. तो ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ किचन में एंटर हुआ. और बगैर कोई आवाज़ किए किचन में आ कर अपनी अम्मी के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया.
रज़िया बीबी आज किचन में इतनी मसरूफ़ थी. कि उसे पता ही ना चला कि उस का बेटा ज़ाहिद उस के पीछे आ कर खड़ा हो चुका है.
“इस से पहले के ज़ाहिद आ जाए मुझे जल्दी से उस के लिए नाश्ता टेबल पर लगा देना चाहिए”ये बात अपने जहाँ में सोचते हुए रज़िया बीबी एक दम से अपने पीछे पड़े हुए टेबल की तरफ मूड गई.
इस तरह एक अचानक और एक दम से मुड़ने की वजह से रज़िया बीबी अपने बिल्कुल पीछे खड़े हुए अपने बेटे ज़ाहिद के जिस्म के साथ टकरा गई.
रज़िया बीबी चूँकि इस बात की तवक्को नही कर रही थी. इसीलिए ज़ाहिद के साथ टकराती ही वो अपना तवज्जो खो बैठी और एक दम से पीछे सिंक की तरफ गिरने लगी.
ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को यूँ पीछे की तरफ गिरते देखा.तो उस ने फॉरन अपनी अम्मी को सहारा देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. और अपनी अम्मी की मोटी कमर के गिर्द अपने हाथ को लपेट कर अपनी तरफ खैंचा.
ज़ाहिद के हाथ का सहारा मिलते ही रज़िया बीबी का पीछे की तरफ गिरता वजूद एक दम से ऊपर की तरफ उठा. तो इस दफ़ा ना सिर्फ़ दोनो माँ बेटा की छाती एक दूसरे की छाती में पेवस्त होती चली गई.
बल्कि नीचे से भी ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अपनी अम्मी की शलवार में माजूद रज़िया बीबी की गरम और प्यासी चूत से रगड़ खा गया.
“आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज अपनी माँ को अपनी इन मज़बूत बाहों में जकड कर मार ही डालो मुझे यययययययययययी बएटााआआआआआआआ” अपने बेटे की सख़्त और जवान छाती से चिपकते ही रज़िया बीबी के दिल में ये ख्वाहिश उमड़ी.
“हाईईईईईईईईईईई आप ने बचपन में मुझे अपने इन मोटे मम्मों का दूध पिला कर मुझे जवान तो कर दिया है ,अब आप कब अपने इस जवान बेटे को अपने इन मम्मो से दुबारा अपना दूध पीने का मोका दोगी अम्मिईीईईईईईईई” अपनी अम्मी की भारी और गुदाज छातियों को यूँ अपनी सख़्त छाती से टकराते हुए महसूस कर के ज़ाहिद के दिल में भी ख्याल आया.
दोनो माँ बेटे के प्यासे वजूद ज्यों ही अचानक आपस में इस तरह टकराई. तो ज़ाहिद और रज़िया बीबी दोनो को ना सिर्फ़ एक दूसरे के जिस्मो में लगी हुई आग का अंदाज़ा हुआ.
बल्कि ज़ाहिद और रज़िया बीबी ने एक दूसरे की बिखरी हुई सांसो को भी अच्छी तरह से सुन लिया था.