hotaks444
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शाज़िया अपने जिस्म को देख कर फख्र महसूस कर रही थी.कि 30 साल तलाक़ याफ़्ता होते हुए उस की फिगर बहुत मस्त और कसी हुई थी.
अपनी मिड्ल एज में आ कर भी वो बिल्कुल नही बदली बल्कि अब तो उस का बदन पहले से भी ज़्यादा निखर कर और पूर्कश हो गया था.
शाज़िया ने आईने के सामने खड़े खड़े अपने चूचों के गुलाबी दानो पर नज़र दौड़ाई.
फिर वो अपने हाथों से अपने दोनो चूचों को पकड़ कर अपने हाथ से सहलाने लगी.
अपने हाथ अपने चूचों पर लगते ही शाज़िया की चूत और ज़्यादा गरम होने लगी.
शाज़िया ने अपने हाथों से चूचों को सहलाते हुए अपनी उंगलियों से अपने दोनों चूचों के गुलाबी दाने पकड़ लिए और उन्हे अपनी उंगलियों के दरमियाँ में ले कर दबाने लगी, "आहह अपने चूचों के निपल्स पर दबाव पड़ते ही शाज़िया के मुँह से सिसकी निकल गई".
कुछ देर तक मज़े से अपनी आँखें बंद कर के अपने चूचों को सहलाने के बाद अपनी शाज़िया ने अपनी आँखें खोलते हुए अपनी छातियों से अपने हाथ हटा दिए.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
शाज़िया अब शीशे में अपनी चूत को देखने लगी. क्यों कि शाज़िया ने कुछ दिन पहले अपनी चूत के बाल हेर रिमूव लगा कर सॉफ किए थे. इस लिए अब उस की चूत पर हल्के हल्के बाल उग आए थे.
जब खड़े खड़े शाज़िया की टाँगों में दर्द होने लगा तो वो शीशे के सामने पड़े एक स्टूल पर बैठ गई.
शाज़िया ने स्टूल पर बैठे हुए अपनी टाँगें फेला दीं और सामने लगे शीशे में अपने आप को देखने लगी.
उस ने देखा कि उस के बाकी जिस्म की तरह उस की चूत भी साँवली है .
उस की चूत के उपर एक दाना है जब कि उस की चूत के मोटे मोटे होंठ आपस में एक दूसरे से बिल्कुल जुड़े हुए हैं.
शाज़िया ने अपनी चूत को इस से पहले भी कई दफ़ा देखा था. मगर इतनी गौर से आज पहली दफ़ा अपनी फुद्दि का जायज़ा ले रही थी.
शाज़िया अपना हाथ अपनी चूत के दाने पर रख कर उसे सहलाने लगी, "आहह ष्ह्ह्ह” चूत के दाने को छूते ही शाज़िया का पूरा जिस्म काँप उठा और उस की चूत में से ज़ियादा पानी निकलने लगा.
शाज़िया अब अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी चूत के होंठो पर फिराने लगी .... और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठो को अलग करते हुए आईने में देखने लगी, उसे अपनी चूत के होंठो के बीच में सिर्फ़ लाल रंग नज़र आने लगा ...!
शाज़िया ने अपनी चूत के होंठो को छोड़ते हुए अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली से अपनी चूत के छेड़ को कुरेदने लगी, ऐसा करते हुए शाज़िया को बहुत मज़ा आ रहा था ....!
जिस वक्त शाज़िया अपने कमरे में लेट कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी. उसी वक्त कमरे से बाहर उस की अम्मी रज़िया बीबी अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की तरफ गई.
बाथरूम से वापसी के वक्त जब रज़िया बीबी अपनी बेटी के कमरे के पास से गुज़री तो उस के कानों में शाज़िया की सिसकारी पड़ी जिन को सुन कर रज़िया बीबी के कदम अंदर ही थम गये.
अपनी बेटी की लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ सुन कर रज़िया बीबी को यकीन हो गया कि आज फिर उस की बेटी अपनी उंगली से अपनी गरम चूत को ठंडा करने की कॉसिश में है.
रज़िया बीबी थोड़ी देर अपनी बेटी की आवाज़े सुनती रही और फिर जब कमरे से आवाज़ आनी बंद हुई तो उसे पता चल गया कि शाज़िया उंगली मार कर फारिग हो चुकी है.
इस लिए अब रज़िया बीबी भी अपने कमरे में चली आई और आ कर सो गई. आज सोने से पहले रज़िया बीबी ने अपने दिल में यह फ़ैसला कर लिया था कि वो सुबह अपनी बेटी से बात करे गी. कि वो कब तक ऐसे घुट घुट कर अपनी जवानी को ज़ाया करती रहेगी.इस लिए बेहतर हो गा कि वो दुबारा शादी कर ले.
रात बार की थकि मांदी शाज़िया अगली सुबह हस्बे मामूल देर से उठी.
तो उस के पास इतना भी टाइम नही था कि वो सकून से नाश्ता भी कर सके.
शाज़िया ने जल्दी से हाथ मुँह धो कर अपने स्कूल जाने की तैयारी की और चाइ के एक दो घूँट जल्दी से भर कर बाहर खड़ी अपनी स्कूल वॅन में जा बैठी.
ज्यों ही वॅन जब नीलोफर के घर पहुँची तो नीलोफर की रात वाली फोटोस को याद कर के शाज़िया की हिम्मत नही हो रही थी कि वो अपनी दोस्त का सामना कर पाए. मगर जब नीलोफर वॅन में आ कर शाज़िया के साथ बैठी तो उस ने ऐसे ज़ाहिर किया कि जैसे कोई बात हुई ही ना हो.
नीलोफर का रवईया देख कर शाज़िया की हालत संभली.
फिर स्कूल में सारा दिन दोनो के दरमियाँ रात वाले वकीये पर कोई बात ना हुई. जिस की वजह से शाज़िया पुरसकून हो गई.
स्कूल से वापसी पर घर जाते वक्त बारिश स्टार्ट हो गई. तो नीलोफर और शाज़िया के कपड़े वॅन में बैठे बैठे भीग गये.
आज नीलोफर के सास और सुसर अपनी एक बेटी को मिलने उस के घर गुजरात गये हुए थे . जिस की वजह से नीलोफर अपने घर में शाम तक अकेली थी.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
वॅन में बैठ कर नीलोफर ने शाज़िया को कहा” यार आज मेरे सास सुसर घर नही क्यों ना तुम आज सीधा घर जाने की बजाय थोड़ी देर मेरे पास ही रुक जाओ, हम मिल कर गरमा गरम चाइ पिएँगे और साथ पकौड़े खाएँगे”
शाज़िया: यार आज नही फिर कभी.
“यह बात तो तुम हर दफ़ा कहती हो, लगता है तुम्हें हम ग़रीबों के घर आना पसंद नही.नीलोफर ने थोड़ा हल्के गुस्से के अंदाज़ में जवाब दिया.
शाज़िया: यार यह बात नही असल में अम्मी को नही बताया ना.इस लिए वो फ़िकरमंद हों गीं.
नीलोफर: तो इस में क्या मसला है मेरे घर पहुँच कर अम्मी को फोन पर बता देना कि तुम मेरे घर हो. और फिर एक दो घंटे बाद रिक्शे से घर चली जाना.
शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर नीलोफर की ज़िद के आगे हर मानते हुए वो रज़ामंद हो गई.
नीलोफर के घर की गली तंग होने की वजह से वॅन वाले ने उन को सड़क पर ही उतारा . जिस की वजह से उन दोनो को सड़क से घर तक पैदल चल कर जाना पड़ा.
उस वक्त चूँकि मुसला धार बारिस हो रही थी. इस लिए नीलोफर के घर तक आते आते नीलोफर और शाज़िया दोनो बारिश में अच्छी ख़ासी भीग गईं.
घर पहुँच कर शाज़िया ने सब से पहले अपनी अम्मी को फोन पर बता दिया कि वो अपनी दोस्त नीलोफर के घर रुक गई है और शाम तक वापिस अपने घर पहुँच जाय गी.
अपनी मिड्ल एज में आ कर भी वो बिल्कुल नही बदली बल्कि अब तो उस का बदन पहले से भी ज़्यादा निखर कर और पूर्कश हो गया था.
शाज़िया ने आईने के सामने खड़े खड़े अपने चूचों के गुलाबी दानो पर नज़र दौड़ाई.
फिर वो अपने हाथों से अपने दोनो चूचों को पकड़ कर अपने हाथ से सहलाने लगी.
अपने हाथ अपने चूचों पर लगते ही शाज़िया की चूत और ज़्यादा गरम होने लगी.
शाज़िया ने अपने हाथों से चूचों को सहलाते हुए अपनी उंगलियों से अपने दोनों चूचों के गुलाबी दाने पकड़ लिए और उन्हे अपनी उंगलियों के दरमियाँ में ले कर दबाने लगी, "आहह अपने चूचों के निपल्स पर दबाव पड़ते ही शाज़िया के मुँह से सिसकी निकल गई".
कुछ देर तक मज़े से अपनी आँखें बंद कर के अपने चूचों को सहलाने के बाद अपनी शाज़िया ने अपनी आँखें खोलते हुए अपनी छातियों से अपने हाथ हटा दिए.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
शाज़िया अब शीशे में अपनी चूत को देखने लगी. क्यों कि शाज़िया ने कुछ दिन पहले अपनी चूत के बाल हेर रिमूव लगा कर सॉफ किए थे. इस लिए अब उस की चूत पर हल्के हल्के बाल उग आए थे.
जब खड़े खड़े शाज़िया की टाँगों में दर्द होने लगा तो वो शीशे के सामने पड़े एक स्टूल पर बैठ गई.
शाज़िया ने स्टूल पर बैठे हुए अपनी टाँगें फेला दीं और सामने लगे शीशे में अपने आप को देखने लगी.
उस ने देखा कि उस के बाकी जिस्म की तरह उस की चूत भी साँवली है .
उस की चूत के उपर एक दाना है जब कि उस की चूत के मोटे मोटे होंठ आपस में एक दूसरे से बिल्कुल जुड़े हुए हैं.
शाज़िया ने अपनी चूत को इस से पहले भी कई दफ़ा देखा था. मगर इतनी गौर से आज पहली दफ़ा अपनी फुद्दि का जायज़ा ले रही थी.
शाज़िया अपना हाथ अपनी चूत के दाने पर रख कर उसे सहलाने लगी, "आहह ष्ह्ह्ह” चूत के दाने को छूते ही शाज़िया का पूरा जिस्म काँप उठा और उस की चूत में से ज़ियादा पानी निकलने लगा.
शाज़िया अब अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी चूत के होंठो पर फिराने लगी .... और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठो को अलग करते हुए आईने में देखने लगी, उसे अपनी चूत के होंठो के बीच में सिर्फ़ लाल रंग नज़र आने लगा ...!
शाज़िया ने अपनी चूत के होंठो को छोड़ते हुए अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली से अपनी चूत के छेड़ को कुरेदने लगी, ऐसा करते हुए शाज़िया को बहुत मज़ा आ रहा था ....!
जिस वक्त शाज़िया अपने कमरे में लेट कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी. उसी वक्त कमरे से बाहर उस की अम्मी रज़िया बीबी अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की तरफ गई.
बाथरूम से वापसी के वक्त जब रज़िया बीबी अपनी बेटी के कमरे के पास से गुज़री तो उस के कानों में शाज़िया की सिसकारी पड़ी जिन को सुन कर रज़िया बीबी के कदम अंदर ही थम गये.
अपनी बेटी की लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ सुन कर रज़िया बीबी को यकीन हो गया कि आज फिर उस की बेटी अपनी उंगली से अपनी गरम चूत को ठंडा करने की कॉसिश में है.
रज़िया बीबी थोड़ी देर अपनी बेटी की आवाज़े सुनती रही और फिर जब कमरे से आवाज़ आनी बंद हुई तो उसे पता चल गया कि शाज़िया उंगली मार कर फारिग हो चुकी है.
इस लिए अब रज़िया बीबी भी अपने कमरे में चली आई और आ कर सो गई. आज सोने से पहले रज़िया बीबी ने अपने दिल में यह फ़ैसला कर लिया था कि वो सुबह अपनी बेटी से बात करे गी. कि वो कब तक ऐसे घुट घुट कर अपनी जवानी को ज़ाया करती रहेगी.इस लिए बेहतर हो गा कि वो दुबारा शादी कर ले.
रात बार की थकि मांदी शाज़िया अगली सुबह हस्बे मामूल देर से उठी.
तो उस के पास इतना भी टाइम नही था कि वो सकून से नाश्ता भी कर सके.
शाज़िया ने जल्दी से हाथ मुँह धो कर अपने स्कूल जाने की तैयारी की और चाइ के एक दो घूँट जल्दी से भर कर बाहर खड़ी अपनी स्कूल वॅन में जा बैठी.
ज्यों ही वॅन जब नीलोफर के घर पहुँची तो नीलोफर की रात वाली फोटोस को याद कर के शाज़िया की हिम्मत नही हो रही थी कि वो अपनी दोस्त का सामना कर पाए. मगर जब नीलोफर वॅन में आ कर शाज़िया के साथ बैठी तो उस ने ऐसे ज़ाहिर किया कि जैसे कोई बात हुई ही ना हो.
नीलोफर का रवईया देख कर शाज़िया की हालत संभली.
फिर स्कूल में सारा दिन दोनो के दरमियाँ रात वाले वकीये पर कोई बात ना हुई. जिस की वजह से शाज़िया पुरसकून हो गई.
स्कूल से वापसी पर घर जाते वक्त बारिश स्टार्ट हो गई. तो नीलोफर और शाज़िया के कपड़े वॅन में बैठे बैठे भीग गये.
आज नीलोफर के सास और सुसर अपनी एक बेटी को मिलने उस के घर गुजरात गये हुए थे . जिस की वजह से नीलोफर अपने घर में शाम तक अकेली थी.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
वॅन में बैठ कर नीलोफर ने शाज़िया को कहा” यार आज मेरे सास सुसर घर नही क्यों ना तुम आज सीधा घर जाने की बजाय थोड़ी देर मेरे पास ही रुक जाओ, हम मिल कर गरमा गरम चाइ पिएँगे और साथ पकौड़े खाएँगे”
शाज़िया: यार आज नही फिर कभी.
“यह बात तो तुम हर दफ़ा कहती हो, लगता है तुम्हें हम ग़रीबों के घर आना पसंद नही.नीलोफर ने थोड़ा हल्के गुस्से के अंदाज़ में जवाब दिया.
शाज़िया: यार यह बात नही असल में अम्मी को नही बताया ना.इस लिए वो फ़िकरमंद हों गीं.
नीलोफर: तो इस में क्या मसला है मेरे घर पहुँच कर अम्मी को फोन पर बता देना कि तुम मेरे घर हो. और फिर एक दो घंटे बाद रिक्शे से घर चली जाना.
शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर नीलोफर की ज़िद के आगे हर मानते हुए वो रज़ामंद हो गई.
नीलोफर के घर की गली तंग होने की वजह से वॅन वाले ने उन को सड़क पर ही उतारा . जिस की वजह से उन दोनो को सड़क से घर तक पैदल चल कर जाना पड़ा.
उस वक्त चूँकि मुसला धार बारिस हो रही थी. इस लिए नीलोफर के घर तक आते आते नीलोफर और शाज़िया दोनो बारिश में अच्छी ख़ासी भीग गईं.
घर पहुँच कर शाज़िया ने सब से पहले अपनी अम्मी को फोन पर बता दिया कि वो अपनी दोस्त नीलोफर के घर रुक गई है और शाम तक वापिस अपने घर पहुँच जाय गी.